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Category Archives: Health

Never ignore unresolved problems related to Ladies' health

पीरियड्स (Periods) के दौरान कुछ महिलाओं को हर घंटे पैड बदलने की आवश्यकता पड़ती है। इस तरह की हैवी ब्लीडिंग महिलाओं को बहुत ज्यादा परेशान कर देती है। वहीं, इस समस्या के कारण महिलाओं के हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ता है। हेवी ब्लीडिंग की दिक्कत होने के कई वजह हो सकते हैं। कई बार कुछ विटामिंस और मिनेरल्स की कमी हैवी ब्लीडिंग का कारण होती है तो कई बार कुछ और मेडिकल कंडीशन। अगर आपको भी हैवी ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है तो कुछ आयुर्वेदिक तरीकों से राहत पाई जा सकती है।

क्यों होने लगती है हैवी ब्लीडिंग

Say goodbye to heavy bleeding by adopting these tips during periods

पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग होने का एक मेन वजह फाइब्रॉएड्स होता है। जिसकी वजह से शरीर से खून ज्यादा निकलने लगता है। वहीं, कई बार हार्मोनल इंबैलेंस के कारण से भी हैवी ब्लीडिंग होती है। अगर शरीर में विटामिन E और मैग्नीशियम की कमी है तो महिलाएं हैवी ब्लीडिंग से परेशान हो सकती है। अगर पीरियड्स 07 दिनों से ज्यादा दिन तक जारी रहता है और मासिक चक्र 21 दिनों से कम का होता है तो जरूरी है कि डॉक्टर की मदद ली जाए। अगर 02 दिनों में हैवी ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है या जनरल मासिक चक्र के दिनों में ब्लीडिंग ज्यादा होती है तो कुछ घरेलू तरीकों से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।

हल्दी वाला दूध करेगा हेल्प

हैवी ब्लीडिंग होती है तो हल्दी वाला दूध पीने से राहत मिलती है। दूध में दालचीनी पीने से भी पीरियड्स के हैवी ब्लीडिंग को कम किया जा सकता है।

गाजर और अदरक का ऐसे करें इस्तेमाल

हैवी ब्लीडिंग की समस्या है तो अदरक को कुचलकर उसमें शहद मिलाएं। इस मिश्रण को खाने से काफी राहत मिलती है। साथ ही गाजर को पीरियड्स के दौरान खाएं। हैवी फ्लो होने पर गाजर के रस में अदरक के रस को मिलाकर पीने से दर्द और फ्लो में राहत मिलती है।

हमेशा रहें हाईड्रेटेड

5 very important questions that every woman has to ask her gynecologist..

हैवी फ्लो की समस्या बनी रहती है तो खुद को हाईड्रेटेड रखना जरूरी है। पानी ढेर सारा पीएं और लिक्विड वाली चीजों को डाइट में इस्तेमाल करें। इससे शरीर में एनर्जी की कमी नहीं होगी। हैवी फ्लो की वजह से कई बार महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त हो जाती है। ऐसे में पीरियड्स के दौरान खानपान का ध्यान रखना जरूरी है।

ऐसे समय में विटामिन्स और मिनेरल्स है जरूरी

हैवी ब्लीडिंग होती है तो विटामिन C,E के साथ मैग्नीशियम से भरपूर चीजों को खाएं। कीवी, ब्रोकली, टमाटर, स्ट्राबेरी, तिल के बीज, खरबूज के सीड इन विटामिन्स और मैग्नीशियम से भरपूर फूड्स को खाएं। जिससे कि शरीर में ज्यादा थकान महसूस ना हो।

आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ बॉडी बिल्डिंग ब्लॉक्स माने जाते हैं। इन्हीं पर पूरा बॉडी निर्भर करता है। अगर ये तीनों ब्लॉक्स हमारी बॉडी में सही प्रोपोर्शन में रहते हैं तो इन्सान स्वस्थ्य रहता है। वहीं, दूसरी तरफ अगर ये तीनों दोष के तौर पर शरीर को परिवर्तित करने लगते हैं तो वे उम्र घटाने का भी काम करते हैं। अगर आप लंबी (long life) उम्र और हेल्दी लाइफ चाहते हैं तो अपने लाइफस्टाइल में ये प्रभावशाली बदलाव करने होंगे।

यहां हम जानने का प्रयास करेंगे कि वो कौन सी ऐसी चीजें हैं जिससे आप लंबी उम्र जी सकते हैं।

प्रकृति और बॉडी क्लॉक को समझना आवश्यक

स्वस्थ और हेल्दी रहने के लिए शरीर की क्लॉक को नेचर की क्लॉक से मैच करके चलें। इसका मतलब कि इस बात को समझें कि दिन है तो आप हेल्दी और हैवी मील लें। क्योंकि की इस दौरान पाचन शक्ति बढ़ जाती है। मगर शाम ढलते ही हल्का खाना खाएं। रात के वक्त पाचन तंत्र धीमा हो जाता है। रात को जल्द सो जाएं। दरअसल, रात में मेलाटैनिन हार्मोन रिलीज होता है और आप स्लीपिंग डिसआर्डर से बच सकते हैं। इस बारे में हमारी एक्सपर्ट टोनऑप से डॉ रूचि सोनी बता रही है कि लंबी उम्र के लिए किस तरह करें आयुर्वेद का पालन।

जानें आयुर्वेद के वे सीक्रेट जो आपकी उम्र में कर सकते हैं इजाफा

आहार ही आधार है

डॉक्टर बताते हैं कि अक्सर फ्राइड और जंक फूड खाने से शरीर में कई तरह की समस्याएं पैदा होने लगती है। इससे बचने के लिए मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन करनें। इनसे हमें उच्च मात्रा में फाइबर, जिंक, विटामिन्स और मिनरल्स की प्राप्ति होती है। इससे शरीर स्वस्थ रहता है और हम बीमारियों से भी दूर हो जाते हैं।

खाना खाने के दौरान कोल ड्रिंक्स पीने से परहेज करें। इससे मेटाबाल्ज्मि कमज़ोर होता है। डाइजेशन को सुधारने के लिए रूम टेम्परेचर में जूस और पानी पिएं। इससे शरीर को चमत्कारी लाभ मिलता है।

पौष्टिक आहार को डाइट का हिस्सा बनाएं। इससे शरीर में रस धातु का संचार हेता है, जो हमारे इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाने का काम करता है। इसके अलावा खाने का धीरे-धीरे पूरी तरह से चबाकर खाएं, ताकि वो आसानी से डाइजेस्ट हो पाए।

डॉक्टर्स के मुताबिक फास्टिंग हेल्दी रहने की एक सुप्रीम रेमेडी है, जो हमारी गट हेल्थ को मज़बूत करने में मदद करती है।

सोने और जागने का समय

Your sleeping position reveals your personality

ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि अच्छी आदतें ही किसी इंसान को स्वस्थ, अमीर और बुद्धिमान बना सकती है। देर रात तक जागना और सुबह देर से उठना शरीर को कमज़ोर बनाता है। खुद को फिट रखने के लिए सुबह 4 बजे उठना और रात 10 बजे तक बिस्तर पर जाना बेहद ज़रूरी है। अगर आप दिनभर बंद कमरे या ऑफिस में अपना वक्त बिताते हैं, तो सुबह उठने के बाद मार्निंग वॉक या योग को अपने रूटीन में ज़रूर शामिल करें। इससे आपके शरीर में एनर्जी लेवल बढ़ता है। साथ ही खुली हवा में सांस लेने में रेसपिरेटरी संबधी परेशानियां अपने आप दूर होने लगती हैं।

आयुर्वेद के हिसाब से हमें सुबह सुर्योदय से दो घंटे पहले यानी 04 बजे तक उठना अनिवार्य है। इस समय में शरीर के सभी हार्मोंस एक्टिव होने लगते हैं। इस समय में उठने से शरीर में भारीपन और सुस्ती का एहसास होता है। ऐसे में योग और मेडिटेशन के ज़रिए शरीर को एक्टिवेट किया जा सकता है।

ज्यादा खाना यानी उम्र कम

फास्टिंग हेल्दी रहने की एक सुप्रीम रेमेडी है, जो हमारी गट हेल्थ को मज़बूत करने में मदद करती है। इसके अलावा दैनिक आहार में अत्यधिक खाने से बचें। इससे आप स्वस्थ और लंबा जीवन व्यतीत कर सकते हैं। सेंट लुइस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की ओर से 2008 में एक रिसर्च किया गया था। इसके हिसाब से यदि आप अपनी भूख का 80 प्रतिशत खाना खा लेते है, तो इसका अर्थ है कि आपकी उम्र अब कम हो रही है।

अलाव इसके कैलोरी को घटाने से T3 नामक थायराइड हार्मोन के उत्पादन को कम करने में मदद मिलती है। यह आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और एजिंग प्रोसेस को कम करता है।

तेल मालिश है बहुत खास

डॉक्टर बताते हैं कि शरीर को संतुलित करने में मसाज एक अहम रोल अदा करती है। सुबह स्नान करने से पहले कुछ मिनटों की तेल मालिश से शरीर के सभी दोष शांत होने लगते है। इससे स्टेमिना बढ़ने लगता है, स्किन में निखार आता है और रातभर में शरीर के अंदर रिलीज़ होने वाले टॉक्सिंस बाहर आ जाते हैं। इतना ही नहीं, स्किन कई तरह के बैक्टिरियल इंफेक्शन से भी दूर रहती है। अगर आप नियमित मसाज करते हैं तो किसी तरह का इंफेक्शन आसानी से नहीं ह सकता।

जीभ का भी रखें ख्याल

आयुर्वेद के हिसाब से बहुत सी बीमारियों का अंदाजा आपकी जीभ को देखकर लगाया जा सकता है। आमतौर पर जीवा हल्की गुलाबी नज़र आती है। कई बार बिना पचा हुआ खाना और क्लाग्ड आर्गन्स आपकी जीभ पर सफेद परत बना लेते हैं। इससे शरीर में टॉक्सिन जमा होने लगते हैं। ऐसे में रोज़ाना ब्रश करने के अलावा टंग क्लीनिंग का भी ख्याल रखें।

Those 5 reasons which can be responsible for Miscarriage

कई बार प्रेगनेंसी के दौरान कुछ स्वास्थ्य समस्याओं की वजह गर्भपात (Miscarriage) हो जाता है। हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि गर्भपात के वास्तविक कारण क्या हैं? इससे आगे की प्रेगनेंसी के दौरान सावधानी बरत कर इससे बचा जा सकता है।

प्रेगनेंसी के दौरान दो बातें हो सकती है। पहली यह कि स्वस्थ तरीके से बच्चे का जन्म हो सकता है। दूसरी बात यह भी हो सकती है कि बच्चे के जन्म से पहले कुछ जटिलताएं सामने आ सकती हैं। इनमें से एक मिसकैरेज या गर्भपात होना भी हो सकता है। यह जानकारी बेहद अहम है कि ज्यादातर बार गर्भपात उन वजहों से होता है, जो हमारे और आपके नियंत्रण से बाहर होते हैं। असल में, गर्भावस्था के नुकसान के सटीक कारण का पता लगाना अक्सर मुश्किल होता है। हालांकि, गर्भपात के सामान्य कारणों के बारे में जानने से सावधानी बरतने में सपोर्ट मिल सकता है। गर्भावस्था में स्वस्थ होने की संभावना बढ़ सकती है।

गर्भावस्था के नुकसान के कुछ सामान्य कारण यहां दिए गए हैं:

असामान्य गुणसूत्र (Abnormal Chromosomes)

पहले 12 हफ्तों में होने वाले आधे से अधिक गर्भपात के लिए बच्चे के गुणसूत्रों की असामान्य संख्या जिम्मेदार होती है। क्रोमोसोम आपके बच्चे के बालों और आंखों के रंग जैसे लक्षणों का निर्धारण करते हैं। गुणसूत्रों की क्षतिग्रस्त या गलत संख्या होने से बच्चे का उचित विकास नहीं हो पाता है। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, खासकर 35 साल की उम्र के बाद क्रोमोसोमल समस्याओं और गर्भावस्था के नुकसान के लिए जोखिम काफी बढ़ जाता है।

चिकित्सा मुद्दे (Medical Issues)

Those 5 reasons which can be responsible for Miscarriage

गर्भावस्था को पूर्ण अवधि तक ले जाने में मां का स्वास्थ्य अहम भूमिका निभाता है। रूबेला (Rubella) या साइटोमेगालोवायरस जैसे संक्रमण, एचआईवी (HIV) या सिफलिस, थायरॉयड रोग और ऑटोइम्यून विकारों जैसे संक्रमण गर्भावस्था के दौरान मां से बच्चे को होने की संभावना बनी रहती है। इनके अलावा, यदि ठीक से प्रबंधित न किया जाए तो मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी पुरानी स्थितियां गर्भावस्था के साथ समस्याएं पैदा कर सकती हैं। स्वास्थ्य समस्याओं के अलावा, आपकी आदतें गर्भावस्था के नुकसान के जोखिम को भी बढ़ा सकती हैं। धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन और अवैध दवाओं के सेवन से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।

दवाएं (Medications)

कई ओवर-द-काउंटर और प्रिस्क्रिप्शन दवाएं गर्भावस्था के नुकसान की संभावनाओं को भी बढ़ा सकती हैं। इनमें दर्द और सूजन के लिए गैर-स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स (NSDS), रूमेटोइड आर्थराइटिस के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं इनमें शामिल हैं। एक्जिमा जैसी कुछ स्किन प्रॉब्लम के लिए ली जाने वाली दवाएं भी खतरे को बढ़ा देती है।

पर्यावरणीय खतरे (Environmental Hazards)

सेकेंड हैंड धुएं के अलावा, घर या ऑफिस में आपके आसपास के वातावरण में मौजूद कुछ पदार्थों से आपकी गर्भावस्था को खतरा हो सकता है।

इनमें वर्म या रोडेंट को मारने के लिए प्रयोग किये जाने वाले कीटनाशक, घरों में पेंट थिनर या पेंट जैसे सॉल्वैंट्स या पानी के पाइप में मौजूद लेड भी खतरा बढ़ा सकता है।

भोजन विषाक्तता (Food Poisoning)

गर्भावस्था के दौरान कई प्रकार के खाद्य विषाक्तता गर्भपात या गर्भावस्था के नुकसान के जोखिम को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। साल्मोनेला आमतौर पर कच्चे या अधपके अंडे में पाया जाता है। इसके कारण समस्या हो सकती है। टोक्सोप्लाज़मोसिज़ अक्सर संक्रमित कच्चा मांस खाने के कारण होता है।

गर्भपात (Miscarriage) रोकने के उपाय

यह चिंता करना सामान्य है कि कुछ गतिविधियां या काम गर्भावस्था के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। यदि गर्भावस्था हाई रिस्क वाला नहीं है, तो अधिकांश नियमित गतिविधियां जैसे काम करना, बैठना या उचित समय के लिए खड़े रहना, हवाई यात्रा, यदि गर्भावस्था हाई रिस्क वाला नहीं है, तो यौन संबंध बनाना, व्यायाम, भावनात्मक आघात होना से बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। आपकी गर्भावस्था सुरक्षित रहेगी। आमतौर पर गर्भपात को रोकना संभव नहीं है। अपने शरीर की उचित देखभाल करना सबसे अधिक जरूरी है।

गर्भावस्था के दौरान खुद की देखभाल करने के तरीके

गर्भावस्था के दौरान खुद की देखभाल करने के कुछ तरीकों में सभी प्रसवपूर्व देखभाल गतिविधियों को शामिल करना चाहिए। हेल्दी वजन बनाए रखना, प्रसवपूर्व विटामिन लेना, गर्भपात के जोखिम कारकों जैसे सिगरेट-धूम्रपान और शराब पीने से बचना चाहिए। साथ ही नियमित व्यायाम के साथ स्वस्थ आहार भी जरूर लें। अपने डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना और अपनी अच्छी देखभाल करना बेहद जरूरी है। क्योंकि आप अपनी खुशी के बंडल का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं।

Sexual intimacy helps in recovering from loneliness and depression

हर इंसान किसी ना किसी के साथ क्लोज संबंध चाहता है। घनिष्टता (Closeness) या अंतरंगता (Sexual Intimacy) आम तौर पर लोगों के बीच निकटता को दिखाती है। यह संबंध व्यक्तिगत होते हैं। समय के साथ आप दूसरों से जब ज्यादा कनेक्ट होने लगती हैं तो एक दूसरे के प्रति अधिक गहरी भावना महसूस कर सकती हैं। एक-दूसरे के साथ अधिक सहज फील कर सकती हैं। यह अहम नहीं है कि यह लगाव महज भावनात्मक स्तर पर हो। यह फिजिकल स्तर पर भी हो सकता है। अंतरंगता या घनिष्टता आपके कम्पलीट हेल्थ पर पॉजिटिव रूप से असर डाल सकता है।

किसी के साथ इंटीमेट होने से पहले कुछ बातों को जानना है जरूरी

अपने विचारों और भावनाओं को किसी ऐसे व्यक्ति के साथ शेयर करें जिनसे आप प्यार करती हैं। उनके प्रति आपके मन में सम्मान का भाव है। अगर आप सेक्स के स्तर पर किसी के साथ इंटिमेट होने जा रही हैं तो उनके बारे में हर तरह की जानकारी मालूम कर लें। उनकी आदतों, व्यवहार, सेक्सुअली ट्रांस्मिटेड डिजीज के प्रति भी जागरूक रहें। ध्यान रहे कि जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए। समय के साथ ही किसी व्यक्ति के साथ अंतरंगता निर्मित होती है। यदि अन्तरंग होने के बाद आपको उनके बारे में किसी तरह की बुरी जानकारी मिलती है। तो सिवा पछताने के आपके हाथ में कुछ नहीं रहेगा। अगर अन्तरंग होने वाले साथी से दुर्व्यवहार या हिंसा हो जाती है, तो इससे आपको संकेत मिल गया। आपका रिश्ता संकट में है।

यहां है अन्तरंग से मिलने वाले लाभ

मानसिक स्वास्थ्य को लाभ-

Sexual intimacy helps in recovering from loneliness and depression

अन्तरंगता आपके मानसिक स्वास्थ्य को लाभ पहुंचा सकती है। हार्मोन लेवल पर इसका पॉजिटिव प्रभाव पड़ता है। विशेष रूप से ऑक्सीटोसिन पर। इससे आपका तनाव दूर होगा। इंटिमेसी के दौरान अगर कोई आपका स्पर्श करता है, तो खुशी के हार्मोन डोपामाइन का सीक्रेशन अधिक होता है।

शारीरिक स्तर पर भावनात्मक लगाव का प्रभाव

फिजिकल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित शोध आलेख बताते हैं, अगर आपकी सर्जरी हुई है। सर्जरी के बाद आपके पास भावनात्मक लगाव रखने वाला व्यक्ति बैठता है, तो तनाव के स्तर में सुधार होता है। बेहतर उपचार और स्वस्थ व्यवहार से घाव जल्दी भरते हैं। इससे उम्र पर भी प्रभाव पड़ता है। अन्तरंगता से आपकी उम्र भी लंबी हो सकती है। भावनात्मक लगाव शारीरिक स्तर पर प्रभावित कर सकता है। ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन लेवल बढ़ता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन सही होता है। ब्लड प्रेशर घटता है। हार्ट हेल्थ सुदृढ़ होता है।

अकेलेपन उबर सकते हैं

जर्नल ऑफ़ सोशल एंड पर्सनल रिलेशनशिप में प्रकाशित शोध आलेख के मुताबिक अगर आप अकेली रह रही हैं, तो अन्तरंगता यहां आपका अकेलापन दूर कर सकता है। यह अकेलेपन का मुकाबला कर सकती है। कुछ अध्ययन बताते हैं कि व्यक्ति समाज से कट कर अकेले जीने लगते हैं।

अकेलापन के कारण मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी हुई है। सामाजिक अलगाव के पीछे निश्चित रूप से अंतरंगता की कमी जिम्मेदार है। अकेलापन हमारी सोच, नींद नहीं आने का कारण बनता है। यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। वहीं यदि आप किसी व्यक्ति के साथ अन्तरंग हैं, तो यह सामाजिक अलगाव और अकेलेपन की भावनाओं को कम करने में मदद कर सकता है।

सेक्सुअल इंटिमेसी घटाता है Depression

द इंटिमेट जर्नल के रिसर्च के मुताबिक अगर आप सेक्स लेवल पर किसी के साथ इंटिमेट हैं, तो मस्तिष्क डोपामाइन, सेरोटिनिन और ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन सीक्रेट करता है। ये सभी न्यूरोट्रस्मीटर हैं, जो खुशी और रिलैक्स होने की भावनाओं को बढ़ावा देते हैं। दूसरी ओर स्ट्रेस हार्मोन के लेवल में भी कमी आती है। रसायनों का यह प्राकॉतिक प्रवाह अस्थायी रूप से अपसाद की भावनाओं में सुधार कर सकता है।

Never ignore unresolved problems related to Ladies' health

स्वयं और परिवार की पूरी जिम्मेदारी आमतौर पर घर की महिलाओं (Ladies) पर ही होती है। ऐसे में उनके लिए खुद को देने के लिए वक्त बचता ही नहीं। कामकाजी महिलाओं के लिए वर्क लाइफ बैलेंस करना और भी मुश्किल होता है। ऐसे में अक्सर महिलाएं अपने स्वास्थ्य के साथ समझौता करती हैं और यही वजह है कि महिलाओं में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं (Health Problems In Women) लगातार बढ़ रही हैं। अब वक्त आ गया है कि महिलाओं के स्वास्थ्य (Women’s Health) के मद्देनजर थोड़ा सा अलर्ट रहा जाएं। स्वास्थ्य से जुड़े कुछ समस्याएं हैं जो महिलाओं में आमतौर पर देखने को मिलता है, आज हम उन्हीं की बात कर रहे हैं।

महिलाओं में आम है ये हेल्थ से जुड़ी समस्याएं

ब्रेस्ट कैंसर

महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। महिलाओं में ब्रेस्ट सेल्स का अनियमित विकास ब्रेस्ट ब्रेस्ट कैंसर की असल बनता है। अक्सर शुरुआत मिल्क डक्ट की लायनिंग से होती है, जिसकी वजह से ब्रेस्ट में नॉड्स बन जाते हैं। ब्रेस्ट के ऊपर की स्किन के कलर में बदलाव, कड़ापन या ब्रेस्ट साइज में बदलाव इसके कुछ आम लक्षण होते हैं।

बार-बार पेशाब आना

Never ignore unresolved problems related to Ladies' health

मूत्र पथ के संक्रमण (यूटीआई) तब होते हैं जब बैक्टीरिया मूत्रमार्ग में प्रवेश कर जाते हैं और बढ़ने लगते हैं। वे महिलाओं में विशेष रूप से आम हैं, क्योंकि उनका मूत्रमार्ग पुरुषों की तुलना में अधिक छोटा होता है। इससे मूत्राशय तक पहुंचने के लिए बैक्टीरिया के यात्रा करने की लंबाई कम हो जाती है। यूटीआई के लक्षणों में बार-बार पेशाब आना, पेशाब करते समय दर्द या जलन और धुंधला पेशाब शामिल हैं।

चिंता और अवसाद

महिलाओं में हार्मोनल बदलाव से डिप्रेशन (अवसाद) और एंजायटी (चिंता) की संभावना बढ़ जाती है. प्रेग्नेंसी के दौरान और उसके बाद महिलाओं में ये समस्या काफी सामान्य होती जा रही है।

दिल की बीमारी

दिल की बीमारी महिलाओं में लगातार बढ़ रही है. दिल के दौरे के लक्षणों में सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और बाहों में कमजोरी शामिल हैं. हालांकि, महिलाएं दिल के दौरे के रूप में अपने लक्षणों को नहीं पहचान सकती हैं, उन्हें लगता है कि अधिक काम करने की वजह से उन्हें ऐसा महसूस हो रहा है. मैनोपोज हृदय रोग का कारण नहीं बन सकता है, मैनोपोज के बाद कुछ जोखिम कारक अधिक सामान्य होते हैं, जैसे हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल और कम एस्ट्रोजन।

Learn from ancestors the surefire way to live up to 100 years

अर्ली टू बेड एंड अर्ली टू राइज.. बचपन में हम सबने यह कविता पढ़ी है पर बड़े होकर कम लोग ही इसे फॉलो कर पाते हैं। वैसे यह केवल कही सुनी बात नहीं है। भारतीय ट्रडिशन के कुछ नियम वाकई हमारी लाइफ क्वालिटी में सुधार कर सकते हैं। यह बात अब विज्ञान भी मानता है। कई डॉक्टर्स अब लंबी उम्र जीने के लिए पुरानी पद्धति पर जिंदगी जीने की सलाह दे रहे हैं। जैसे हमारे पूर्वज जीते थे। वैसे, तो इंडियन ट्रडिशन से कई चीजें सीखने वाली हैं। यहां 10 ऐसे नियम हैं जिन्हें अपनाकर आप अपनी जिंदगी बदल सकते हैं।

भारतीय संस्कृति के ये 10 नियम अपनाकर हम बीमारियों से दूर रहकर लंबी उम्र जी सकते हैं।

वह पहला नियम बताती हैं ब्रह्म मुहूर्त में जागना। यानी सूरज निकलने से पहले जागना। सूर्योदय से पहले उठना हमारे हेल्थ के लिए बहुत अच्छा है। यह हमारे मेलानिन और कॉर्टिसॉल हॉरमोन को बैलेंस रखने में काफी अच्छा है। इससे हम खुश रहते हैं। ज्यादा देर से उठने वाले लोगों की अपेक्षा हमारे पास ज्यादा समय होता है। इससे हमारे काम करने की क्षमता भी बढ़ जाती है।

दूसरा नियम- ये बनाएं कि सुबह उठने के बाद अपने-अपने गॉड को धन्यवाद दें। आपके पास जो भी है उसके लिए धन्यवाद का भाव रखें। इससे मन उदास नहीं रहता। सूर्य, पृथ्वी, हवा, पानी, पेड़-पौधे इन सबके लिए ग्रैटिट्यूड रखें।

तीसरा नियम है– आसन, प्राणायाम, ध्यान, मुंद्रा, बंद, गतिस योग वगैरह नियमित रूप से करें।

चौथा नियम है- सूर्य को अर्घ्य देना। ऐसा करने से हमारी आंखें और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है। Vit- D मिलता है।

पांचवा काम आप नहाने के बाद प्रार्थना करें। सुबह उठकर नहाने से ब्लड प्रेशर नॉर्मल रहता है, हॉरमोन्स बैलेंस रहते हैं। साथ ही शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य रहता है।

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छठा नियम है जमीन पर बैठकर भोजन करना। पाल्थी मारकर या वज्र आसन में जमीन में बैठकर खाना खाने से पेट नहीं निकलता न ही मोटापा बढ़ता है। ऐसा करने जोड़ों में दर्द नहीं होता साथ ही एसिडिटी और पाचन की समस्या भी नहीं होती।

सातवां नियम- अपने हाथ से खाएं। छुरी-कांटा छोड़कर, साफ हाथों से खाना खाएं। यह भारत का पारंपरिक तरीका है। हमारे हाथ की उंगलियों में नर्व एंडिंग्स होती हैं। ये दिमाग से कनेक्टेड होती हैं। जब हम खाना छूते हैं तो दिमाग को सिग्नल मिलते हैं कि खाना आने वाला है। इससे हमारा डाइजेस्टिव सिस्टम तैयार हो जाता है। छुरी-कांटे से खाने पर खाना शॉक की तरह से आता है तो डाइजेशन से जुड़ी दिक्कतें हो जाती हैं।

आठवां तरीका है- आयुर्वेद मसाज। घर्षण क्रिया सहित कई ऐसी मसाज हैं जो हमारी कई बीमारियां दूर कर सकती हैं।

नौवां नियम है- घर का बना खाना। भारत में बनने वाली ट्रडिशनल डिशेज में कई मसाले और हर्ब्स होते हैं। ये हमारी हेल्थ के लिए अच्छे होते हैं। पारंपरिक तरह से घर का बना खाना हमारी हेल्थ के लिए अच्छा होता है।

दसवां नियम है- परिवार का प्यार और बॉन्डिंग। पूरी दुनिया में परिवार टूट रहे है लेकिन जॉइंट फैमिली भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। जब आप डिप्रेशन, किसी परेशानी या अकेलेपन में होते हैं तब आपको परिवार की अहमियत पता चलती है।

Blood Pressure

कचौरी, चाट और पकौड़े के साथ परोसी गई समोसे की चटपटी चटनी का स्वाद तो आपने कई बार चखा होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं आवश्यकता से अधिक इन चीजों का सेवन आपको ब्लड प्रेशर का मरीज बना सकता है। हाई ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) जिसे हाईपरटेंशन के नाम से भी जाना जाता है, एक जनरल स्थिति है जिसका कई लोग सामना करते हैं। ब्रिटिश जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन के मुताबिक हार्ट से जुड़ी दिक्कतों और मृत्यु दर को घटाने के लिए ब्लड प्रेशर को बढ़ने से रोकना बेहद जरूरी है। ऐसे में अगर आप हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को कंट्रोल करके रखना चाहते हैं तो इन खाने की चीजों का सेवन करना तुरंत बंद कर दें।

ब्लड प्रेशर में आचार ना खाएं

हाई बीपी के मरीजों को अचार का अधिक सेवन करने से बचना चाहिए। अचार में नमक की मात्रा ज्यादा होने से शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ जाती है। यह ब्लड वेसेल्स को नुकसान पहुंचाने के साथ ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है, जिससे दिल से जुड़ी बीमारियां जैसे हार्ट अटैक आदि का खतरा बढ़ सकता है।

कॉफी जरूरत से ज्यादा ना लें

When the taste of tea gets spoiled, natural solution for tea addiction..

कॉफी में कैफीन नाम का उत्तेजक ब्लड प्रेशर लेवल को बहुत अधिक बढ़ा सकता है। इसमें कैफीन के साथ-साथ शुगर की मात्रा बहुत अधिक होती है। यही वजह है कि इसे हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को लेने से मना किया जाता है।

प्रोसेस्ड मीट से बचें

प्रोसेस्ड मीट में सोडियम जरूरत से ज्यादा होता है, इस तरह के खाने के समान को नमकीन बनाया जाता है। अलावा इसके सैंडविच या बर्गर के लिए सॉस, अचार, पनीर, या ब्रेड के साथर इन मीट को टॉप करने से आपके शरीर में सोडियम का लेवल बहुत ज्यादा हो जाएगा और ब्लड प्रेशर भी तेजी से बढ़ेगा।

मीठा हो सकता है नुकसानदेह

हाई बीपी में ज्यादा मीठा खाने से भी सेहत को नुकसान हो सकता है। काफी ज्यादा चीनी का सेवन करने से मोटापा, दांतों की समस्या यहां तक की हाइपरटेंशन भी इसका परिणाम हो सकता है। ये हाई बीपी की समस्या को और बढ़ा सकता है।

पिज्जा और चिप्स को कहे ना

हाई बीपी में पिज्जा-चिप्स जैसी चीजें खाने से बचें। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन का मानना है कि पिज्जा के सॉस और बाकी टॉपिंग्स में भी सोडियम एसिटेट जैसी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। ये हाई बीपी की समस्या को और बढ़ा सकता है। अलावा इसके चिप्स में मसाला और नमक की मात्रा ज्यादा होती है। साथ ही इसमें ऊपर से भी सोडियम मिलाया जाता है जिससे हाई बीपी की समस्या और अधिक हो सकती है।

Blood Clot Symptoms

शरीर में खून (Blood) का थक्का बनना काफी फायदेमंद साबित होचा है। ब्लड क्लॉट यानी खून का धक्का होने पर खून तरह पदार्थ से एक जेल में बदलने लगता है जिसका स्वरूप एक थक्के जैसा होता है। इसे थ्रोम्बोसिस भी कहते हैं। चोट या कहीं कट लग जाने की स्थिति में ब्लड क्लॉटिंग जरूरी होती है क्योंकि ये शरीर से ज्यादा खून निकलने से रोकता है पर जब ये क्लॉटिंग शरीर के अंदर नसों में होने लगती है तो खतरनाक बन जाती है। नसों की ब्लड क्लॉटिंग काफी ज्यादा खतरनाक होती है।

ब्लड क्लॉट कई तरह के होते हैं। ज्यादातर पैर के निचले हिस्से में ब्लड क्लॉटिंग देखने को मिलती है पर हाथ, हृदय, पेल्विस, फेफड़े, ब्रेन, पेट और शरीर के अन्य हिस्सों में भी हो सकती है। अलावा इसके नसों और धमनियों में भी ब्लड क्लॉट हो सकता है।

कोविड-19 के दुष्प्रभावों में से एक रक्त के थक्के जमना है, जिससे धमनियों में थक्का बनने का खतरा भी बढ़ जाता है, जिसके चलते दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. कोविड-19 के बाद के प्रभावों पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग वायरस से संक्रमित हुए, उनमें करीब एक साल बाद खून के थक्के बनने का खतरा काफी ज्यादा पाया गया. इसके बाद की गई अन्य स्टडीज में भी इस बात की पुष्टि की गई कि कोरोना वायरस के कारण खून के थक्के बनने का खतरा काफी ज्यादा होता है जिसके कारण हृदय संबंधित बीमारियों का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है.

नसों और धमनियों के जरिए शरीर में रक्त का संचार होता है। धमनियों में बनने वाले रक्त के थक्के को आर्टेरियल क्लॉट कहते हैं। आर्टेरियल क्लॉट की वजह से दर्द और लकवा हो सकता है। इसकी वजह से दिल का दौरा या स्ट्रोक भी हो सकता है। नसों में होने वाले ब्लड क्लॉट को वेनस क्लॉट कहा जाता है। इस तरह की क्लॉटिंग धीरे-धीरे बढ़ती है जो जानलेवा भी हो सकती है। मस्तिष्क में खून का थक्का बनने से खून का प्रवाह रुक जाता है जिसकी वजह से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

शरीर में खून का थक्का बनने पर कई तरह के लक्षण दिखने लगते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने शरीर में दिखने वाले इन लक्षणों को नजरअंदाज करने की गलती ना करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

आइए जानते हैं शरीर में दिखने वाले ब्लड क्लॉट के लक्षण-

ब्लड क्लॉटिंग के लक्षण (Blood Clot Symptoms)

Blood Clot Symptoms

स्किन का कलर बदलना

अगर कोई थक्का आपके हाथ या पैर की नसों को बंद कर देता है, तो वह नीले या लाल रंग के दिख सकते हैं। नसें डैमेज होने के कारण आपकी स्किन फीकी पड़ सकती है।

सूजन- जब कभी भी खून का थक्का आपके शरीर में ब्लड के फ्लो को रोकता या कम करता है तो यह कोशिकाओं में जमने लगता है जिससे इनमें सूजन आने लगती है। आपके हाथ या पेट में भी खून का थक्का बन सकता है. इसके ठीक होने के बाद, तीन में से एक व्यक्ति में सूजन बनी रहती है और कभी -कभी रक्त वाहिकाओं के डैमेज होने के कारण दर्द और घाव भी हो सकता है।

सीने में तेज दर्द

अगर आपको अचानक से छाती में तेज दर्द होता है तो इसका मतलब है कि आपके शरीर के अंदर बनने वाला खून का थक्का टूट चुका है. या यह इस बात का भी संकेत हो सकता है कि आपकी धामनियों में मौजूद खून के थक्के के कारण आपको हार्ट अटैक आ सकता है. ऐसा होने पर, आपको भी अपनी बाहों में दर्द महसूस हो सकता है, खासकर बाईं ओर.

सांस लेने में परेशानी

अगर आपको सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है तो यह फेफड़ों और हृदय में क्लॉटिंग का संकेत हो सकता है। इसके के कारण आपके हार्टबीट ज्यादा बढ़ सकता है और आप बेहोश भी हो सकते हैं। इसे काफी गंभीर लक्षण माना जाता है।

खांसी का लगातार आना, थक्का बनने का है संकेत

लगातार आने वाली खांसी भी शरीर में खून का थक्का बनने का एक लक्षण है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर सीने में दर्द के साथ ही आपको सूखी खांसी या कभी-कभी बलगम या खून आने की समस्या का सामना करना पड़ता है तो जरूरी है कि आप जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाएं।

Science and Ayurveda also believe that drinking water in a copper vessel is beneficial

आयुर्वेद में ऐसी मान्यता है कि तांबे (Copper) के बर्तन का पानी तीन दोषों कफ, वात और पित्त को संतुलित रखकर आपके पेट और गले से जुड़ी बीमारियों को बहुत हद तक ठीक करने में मदद करता है। आपको डेली सुबह खाली पेट तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना चाहिए। आइये, जानते हैं इसके फायदे-

डाइजेशन सिस्टम को करता है मजबूत

तांबा पेट, लिवर और किडनी सभी को डिटॉक्स करता है। इसमें ऐसे गुण मौजूद होते हैं जो पेट को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टिरिया को मार देते हैं, जिस कारण से पेट में कभी भी अल्सर और इंफेक्शन नहीं होता।

अर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द से देता है राहत

तांबे में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज दर्द से राहत दिलाती है, इसलिए अर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों को आवश्य पीना चाहिए। इसके साथ ही तांबा हड्डियों और रोग प्रतिरोधक झमता को भी मजबूत करता है।

स्किन के लिए उपयोगी

Science and Ayurveda also believe that drinking water in a copper vessel is beneficial

तांबे में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स चेहरे की फाइन लाइन्स और झाइयों को खत्म करता है। साथ ही फाइन लाइन्स को बढ़ाने वाले सबसे बड़े कारण यानी फ्री रेडिकल्स से बचाकर स्किन पर एक सुरक्षा लेयर बनाता है, जिस वजह से आप लंबे समय तक जवां रहते हैं।

वजन कम करने में असरदार

अगर आपको कम समय में वजन कम करना है तो तांबे के बर्तन का पानी पिएं। इससे आपके डाइजेस्टिव सिस्टम को बेहतर कर बेकार फैट्स को शरीर से बाहर निकालता है।

दिमाग को तेज करता है

मस्तिष्क को उत्तेजित कर उसे सक्रिय बनाए रखने में तांबे का पानी बहुत सहायक होता है। इसके इस्तेमाल से स्मरणशक्ति मजबूत होती है और दिमाग तेज होता है।

इसका उपयोग ऐसे करें

आयुर्वेद ही नहीं, विज्ञान ने भी तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना फायदेमंद बताया है। इस पानी का पूरी तरह से लाभ तभी मिलता है, जब तांबे के बरतन में कम से कम 08 घंटे तक पानी रखा जाए। इसलिए लोग रात को तांबे के बर्तन में पानी भरकर रखते हैं, जिससे सुबह उठकर सबसे पहले इस पानी का इस्तेमाल कर सकें।

Feeding

मां बनना एक खास अहसास है, लेकिन ज्यादातर लोग मानते हैं कि यह हमारे मुताबिक आसान वक्त हो सकता है क्योंकि बच्चा बहुत छोटा है। इसके साथ होने वाली भ्रम और टेंशन बहुत मुश्किल भरा हो सकता है। स्तनपान (Breast Feeding) जैसा आसान कार्य, जो बिल्कुल सिंपल लगता है, उसे सही तरह से ना करना पेचीदा हो सकता है। यहां पर कुछ जरूरी सुझाव दिए गए हैं जो यह बताने के लिए काफी है कि आप और आपका शिशु स्तनपान की इस दुनिया को सहजता से अपना सकें।

-जितना जल्दी हो सके अपने शिशु को स्तानपान कराना ना भूले, अगर आप और आपका शिशु ठीक-ठाक है तो जन्म के फौरन बाद इसे करना अच्छा माना जाता है।

-सही स्थिति में स्तनपान कराने के लिए हेल्प लें। अगर आपको दर्द हो रहा है तो शायद यह स्थिति आगे कोई समस्या हो सकती है। शुरुआती कोमलता का अनुभव करना सामान्य है लेकिन अगर आप महसूस कर रही पीड़ा असहनीय हो जाती है, तो यह सामान्य नहीं है। कोई नर्स अगर आपके घर पर आती है तो वह स्थनपान की स्थिति निर्धारण में सुधार करने में आपकी सहायता कर सकती है, जिससे यह असहनीय नहीं होगा।

-अपने शिशु को अपने शरीर के करीब रखें। जब आपका शिशु आपसे लिपटा हो, तब त्वचा से संपर्क, आपके शिशु के लिए सुखदायक हो सकता है और भूख लगने पर उनके द्वारा किए जाने वाले संकेतों को आपको प्रतिक्रिया देने में मदद होगी।

-नवजात के शुरुआती दिनों में बार-बार दूध पीना सामान्य प्रक्रिया हैं क्योंकि भूख शिशुओं की एक सक्रिय आदत है।

-फिलहाल एक दिनचर्या बनाने की कोशिश ना करें, बस अपने शिशु की जरूरत और प्रतिक्रियाओं के साथ चलें। शुरुआती दिनों मे यह बार-बार हो सकता हैं।

-हर बार दोनों स्तनों से शिशु को दूध पिलाएं, भले ही आपका शिशु सिर्फ एक से ही पीता हो।

-स्तनपान ऐसी प्रक्रिया है जिसे आपको और शिशु को एकसाथ सीखना है और इसे सामान्य और प्राकृतिक महसूस करने में थोड़ा वक्त लग सकता है। शुरुआती दिनों और हफ्ते में जो होता है वह अच्छे में बदलता है और वक्त बीतने पर आप इसे सबसे आरामदायक चीज़ की तरह महसूस करेंगी|

-जब आप शिशु को स्तनपान करा रहीं हैं तो बेहतर होगा कि उसे किसी भी तरह के बोतल से दूध पिलाने की आदत ना डालें। बोतल और चूसक का उपयोग आपके शिशु के स्तनपान के ‘गुण’ पर प्रभाव डाल सकता है।

-अगर आप लंबे समय तक पीड़ा-मुक्त स्तनपान के बाद पीड़ा महसूस कर रही हैं, तो यह आपके निप्पल पर फंगल संक्रमण के कारण हो सकता हैं। अपने डॉक्टर से संपर्क करें। अगर यह स्थिति होने पर आपको और आपके शिशु को चिकित्सा की आवश्यकता पड़ेगी ।

Breast Feeding

-सही यह होगा कि स्तनपान के दौरान आप समय ना देखें। स्तनपान पर आपका शिशु कितने समय तक है और यह प्राप्त किये जाने वाले दूध की मात्रा को नहीं दर्शाता है। कई शिशु कुछ मिनट में जितना उन्हें चाहिए उतना पी लेते हैं जबकि अन्य कुछ ज्यादा वक्त लेते हैं। बस अपने शिशु की जरूरतों पर ध्यान रखें।

-ज्यादातर शिशु स्तनपान के वक्त स्वाभाविक रूप से विश्राम लेते हैं जो कि समय में भिन्न होते हैं। लेकिन लंबे स्तनपान (जैसे, नियमित रूप से एक घंटे से अधिक) जो आपके शिशु को खुश रखने में विफल होते हैं और उन्हें बैचैन कर देते है, एक संकेत है कि शायद कुछ सही नहीं हैं। एक बार फिर स्थिति निर्धारण की जांच करें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपका शिशु संतोषजनक मात्रा में दूध पी रहा है।

अपने स्तन पैड को नियमित रूप से बदलें क्योंकि गंदे स्तन पैड बैक्टीरिया विकसित कर सकते हैं।

स्तनपान रोकने के लिए धीरे से शिशु के जरिए बनाई गई सक्शन सील को समाप्त कर अपने शिशु को निप्पल से हटा लें। यह करने के लिए अपनी उंगली को अपने शिशु के मुंह के कोने तक धीरे से सरकाएं और आहिस्ते से उन्हें दूर खींच लें।

अपने निप्पल पर थोड़ा दूध निचोड़े और इससे मसाज करें। अगर संभव हो तो अपने नीपल को थोड़ी देर खुली हवा में सूखने दें। यह स्वास्थ्य और सफाई रखने में मदद करेगा।