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Category Archives: Health

Excessive use of perfume for skin can cause big problems for you

सर्द मौसम में अक्सर लोग शरीर की दुर्गंध से निजात पाने को लेकर डियो और PERFUME का प्रयोग करने लगते हैं। लेकिन सोचे कि दुर्गंध दूर करने का दम भरने वाले ये प्रोडक्ट्स दिनभर तन पर लगाए रखने की वजह से किस तरह से आपके स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि इसे लगाने से दिनभर हम अच्छी फ्रेगरेंस को फील करते हैं। मगर बता दें कि इसका ज्यादा इस्तेमाल सिरदर्द, रैशेज, एलर्जी और कॉन्टैक्ट एक्जिमा समेत कई समस्याओं का कारण बनने लगता है। इसमें मौजूद रासायनिक तत्व शरीर को कई तरह से प्रभावित करने लगता है। आइये जानते हैं परफ्यूम से शरीर को होने वाले नुकसान के बारे में-

परफ्यूम का स्किन पर असर

रिपोर्ट के मुताबिक सुगंधित उत्पादों में थैलेट्स, एल्डीहाइड्स, पैराबेंस और एल्युमीनियम समेत कई कंपाउड पाए जाते हैं। इसके कारण स्किन एलर्जी, स्तन कैंसर, रिप्रोडक्टिव डिसऑर्डर, माइग्रेन और रेस्पीरेटरी समस्याओं का खतरा बना रहता है। स्किन केयर उत्पादों में मौजूद खुशबू में गेरानियोल, यूजेनॉल, सिट्रोनेलोल, फथलेट्स जैसे एलर्जेंस होते हैं। इनसे त्वचा की एलर्जी, हाइव्स, खुजली, रैशेज़, छींक और पिगमेंटेशन की समस्या बनी रहती है।

एक्सपर्ट बताती हैं कि परफ्यूम का इस्तेमाल भले ही खुशबू के लिए किया जाता है लेकिन इसमें मौजूद कुछ केमिकल्स आपकी त्वचा और सेहत पर हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक परफ्यूम में इस्तेमाल होने वाले सिंथेटिक सुगंधित तत्व और प्रिज़र्वेटिव्स से एलर्जी, जलन और रैशेज़ जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कई बार ये समस्याएं तुरंत दिखाई नहीं देतीं पर लंबे समय तक परफ्यूम के इस्तेमाल से त्वचा की संवेदनशीलता बढ़ सकती है।

परफ्यूम से स्किन को होने वाले नुकसान

1. रैशेज़ की समस्या

परफ्यूम में मौजूद केमिकल्स से त्वचा पर खुजली, लाल चकत्ते और सूजन की समस्या बढ़ने लगती है। इसमें मौजूद केमिकल्स से त्वचा की नमी कम होने लगती है और स्किन ग्लो में बदलाव आने लगता है। इससे स्किन डलनेस और इरिटेशन बढ़ जाती है। साथ ही त्वचा पर सूजन की समस्या भी बढ़ने लगती है ।

2. त्वचा का सूखापन

सर्द मौसम में अधिक मात्रा में पानी न पीना डिहाइड्रेशन को बढ़ाता है। लेकिन साथ ही परफ्यूम का अत्यधिक इस्तेमाल भी इस समस्या का कारण सिद्ध हो सकता है। दरअसल, परफ्यूम अल्कोहल बेस्ड होते हैं, जिससे त्वचा की नमी छिन जाती है और रूखापन बढ़ने लगता हैं। साथ ही त्वचा पर दाने नज़र आने लगते हैं।

3. एलर्जी का खतरा

इसके लगातार इस्तेमाल से आंखों में जलन, छींकना और खुजनी बढ़ने लगती है। दरअसल, परफ्यूम में इथेनॉल की उच्च मात्रा पाई जाती है, जो हर उम्र के लोगों के लिए खतरनाक साबित होती है। एनवायरमेंटल वर्किंग ग्रुप के रिसर्च के मुताबिक परफ्यूम में मौजूद 34 फीसदी इंग्रीडिएंटस में विषाक्तता यानी टॉक्सीसिटी पाई जाती है।

4. सन सेंसीटिविटी

सुबह परफ्यूम लगाने के बाद धूप में जाने से त्वचा में जलन और पिगमेंटेशन का भी खतरा बना रहता है। इससे स्किन पर यूवी रेज़ का प्रभाव नज़र आने लगता और सन टैनिंग की भी समस्या बनी रहती है। दरअसल, इसके इस्तेमाल से स्किन इरीटेशन, डिसकलरेशन और जलन की समस्या बनी रहती है और इस स्थिति को फोटो टॉक्सीसिटी भी कहा जाता है। वे लोग जिनकी त्वचा संवेदनशील है उन्हें इससे दूर रहने की जरूरत है।

5. सांस संबधी समस्याओं का जोखिम

परफ्यूम की तेज सुगंध कुछ लोगों में सांस की समस्या या सिरदर्द का कारण बनने लगती है। एक्सपर्ट के मुताबिक परफ्यूम का प्रयोग सीमित मात्रा में करें और त्वचा पर सीधे लगाने से बचें। अगर आपको एलर्जी की समस्या है, तो बिना खुशबू वाले उत्पादों का चयन करें। हेल्थ डायरेक्ट की रिर्पोट के अलुसार लगभग तीन में से हर एक व्यक्ति सुगंधित उत्पादों के संपर्क में आने पर स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त महसूस होता है। इससे अस्थमा अटैक, हे फीवर, सिरदर्द, माइग्रेन, चक्कर आना और सांस लेने में तकलीफ और कंजेशन बढ़ने लगती हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

Entry of HMPV virus in India

चीन के बाद अब भारत में भी HMPV वायरस की एंट्री हो चुकी है। एचएमपीवी यानी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस भारत में काफी तेज रफ्तार से फैल रहा है। भारत में एक ही दिन में 06 HMPV के मामले मिलने से गंभीर स्थिति बन गई है। इसके कारण खुद स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को बयान जारी करना पड़ा। उन्होंने देशवासियों से कहा- ‘सरकार की हर हालात पर नजर बनाए हुए है। फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है। भारत में अब तक एचएमपीवी वायरस के 06 मामले सामने आ चुके हैं।’ चीन में फैली नई बीमारी एचएमपीवी ने भारत की भी चिंता बढ़ा दी है। भारत में अब तक जितने भी केस मिले हैं सभी संक्रमित बच्चे हैं। आइये जानते हैं क्या है एचएमपीवी वायरस।

कुछ ही दिन पहले चीन से कई रिपोर्ट्स आईं है कि चीन में एक वायरस जिसे HMPV कहा जा रहा है, वो तेजी से फैल रहा है। बच्चे और बूढ़े ज्यादातर इसकी चपेट में हैं। फिर मलेशिया से भी कुछ ऐसी ही खबर आई। भारत में ज्यादातर लोग मलेशिया को टूरिस्ट स्पॉट के जैसा मानते हैं। वहां रह रही भारतीय आबादी भी बड़ी है। ऐसे में वहां से आने वाले लोगों में HMPV वायरस के इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा होगा। भारत में भी कुछ राज्यों में 06 HMPV वायरस के 06 मामले मिल चुके हैं। लेकिन कुछ टेस्ट हैं जिनकी मदद से हम पहचान सकते हैं कि हम HMPV वायरस के शिकार तो नहीं और फिर उसी के मद्देनजर अपना पूरा ख्याल रख सकते हैं।

क्या है HMPV वायरस?

HMPV वायरस का ही प्रकार है जो सर्दी, जुकाम और सांस में दिक्कत जैसी तकलीफें देता है। इसमें इजाफा या फैलने की गुंजाइश ठंड में ज्यादा होती है। ये वायरस खांसने और छींकने से ज्यादा फैलता है। आमतौर पर इसके लक्षण सर्दी जुकाम जैसे ही होते हैं लेकिन बच्चों या बुजुर्गों में ये निमोनिया या ब्रोन्काइटिस जैसे लक्षण भी दिखा सकता है।

भारत में पांव पसार रहा HMPV वायरस?

भारत में अब तक चार राज्यों में HMPV वायरस के 06 केस मिले हैं। ये सारे केस बच्चों में ही हैं और सभी बच्चों की उम्र 03 से 08 महीने के बीच में ही है। इस पर देश के स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का भी बयान आया है। उन्होंने कहा है कि HMPV वायरस कोई नया वायरस नहीं है। उनके अनुसार यह सभी उम्र के लोगों पर असर करता है। WHO अभी इसके असर को मॉनिटर कर रहा है। जैसे ही वह रिपोर्ट आएगी, भारत में उसी अनुसार एक्शन लिया जाएगा।

क्या कोरोना की तरह यह भी पूरी दुनिया में फैल सकता है?

5 Ayurvedic herbs have remedies and properties to avoid H3N2 virus

हमने इस सवाल का जवाब एक सीनियर डॉक्टर ने दिया और कहा कि HMPV वायरस और कोरोना में कुछ समानताएं जरूर हैं।

लक्षण– कोरोना और HMPV वायरस के लक्षणों में बहुत सी समानताएं हैं। जैसे खांसी,सर्दी या जुकाम और सांस लेने में तकलीफ।

पीड़ित– कोरोना की ही तरह HMPV वायरस भी सबसे ज्यादा जिन पर असर करता है वो बच्चे और बुजुर्ग।

बचाव– दोनों वायरस के बचाव के तरीकों में भी समानता ही है। साफ सफाई, इंफेक्टेड व्यक्ति से दूरी और मास्क पहनना, ये सब कोरोना के दौरान भी था और अभी भी जरूरी है। लेकिन डॉक्टर के मुताबिक HMPV वायरस में कोरोना जैसी फैलने की क्षमता नहीं है। साल 2001 में खोजे गए इस वायरस के कोई भी वैरिएन्ट के अब तक कोरोना जितने घातक असर नहीं देखे गए हैं। उन्होंने कहा कि ये कोई नया वायरस नहीं है जिससे हमें घबराने की जरूरत है। पिछले साल भी इसके चीन में फैलने की खबर आई थी। ब्रिटेन, फिनलैंड, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों में पहले भी इसके केस (HMPV cases) मिल चुके हैं।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की(ICMR) डायरेक्टर रह चुकीं सौम्या स्वामीनाथन के मुताबिक HMPV के मामले जरूर भारत में हैं लेकिन इस वायरस से बड़े खतरे जैसी कोई बात नहीं है। ये पुराना वायरस है जो आम तौर पर सांस से जुड़े हुए छोटे इंफेक्शन फैलाता है। बहुत आसानी से हम इससे खुद को बचा सकते हैं। वही सावधानी जो हम सर्दी जुकाम के दौरान लेते हैं। जैसे- मास्क पहनना, साफ-सफाई रखना और भीड़ से बचना। पर तकलीफ ज्यादा बढ़े तो डॉक्टर के पास जरूर जाएं।

एचएमपीवी वायरस के लिये टेस्ट

डॉक्टर के अनुसार अब तक इस वायरस को डिटेक्ट करने में सबसे सटीक टेस्ट साबित हुआ है आरटीपीसीआर। लेकिन अलावा इसके भी कुछ टेस्ट हैं जो काम आ सकते हैं, जैसे कोरोना के दौरान भी कई सारे टेस्ट प्रचलन में थे।

1. RT-PCR टेस्ट (Reverse Transcription Polymerase Chain Reaction)

HMPV वायरस को डिटेक्ट करने का यह सबसे आसान और भरोसेमंद तरीका है। इसमें नाक या गले के स्वाब से सैंपल लिया जाता है और लैब में वायरस की मौजूदगी का पता लगाया जाता है।

2. एंटीजन टेस्ट

इस टेस्ट में भी नाक या गले से सैंपल लिया जाता है। यह टेस्ट जल्दी परिणाम देता है, लेकिन RT-PCR से कम सटीक हो सकता है।

3. स्पर्म/ ब्लड टेस्ट

कुछ मामलों में, खून या म्यूकस सैंपल के जरिए भी वायरस की पहचान की जा सकती है। हालांकि आम तौर पर डॉक्टर इसका कम ही इस्तेमाल करते हैं।

HMPV संक्रमितों से कैसे करें अपना बचाव

1. लक्षण देखें

अगर किसी व्यक्ति को बुखार, खांसी, गले में खराश या सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और खुद को दूसरों से अलग रखें। यह वायरस हवा के जरिए फैल सकता है, इसलिए इसका जल्दी डायग्नोस किया जाना जरूरी है।

2. मास्क पहनें

कोई भी जो ऐसी जगह से आया हो जहां उसके HMPV केसेस (HMPV cases) ज्यादा रहे हों या इस वायरस से इंफेक्टेड होने का खतरा हो तो ऐसे व्यक्ति को मास्क जरूर लगाना चाहिए। खासकर पब्लिक प्लेसेस पर और आप भी अगर ऐसे व्यक्ति के नजदीक जा रहे हों तो मास्क के बगैर ना जाएं।

सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनना बहुत जरूरी है। यह वायरस के फैलने से बचाता है, खासकर तब जब व्यक्ति संक्रमित हो या लक्षण दिख रहे हों।

3. हाथों को धोएं

यात्रा के बाद और सार्वजनिक जगहों पर जाने के बाद हाथों को अच्छे से धोएं। यदि पानी और साबुन नहीं है तो हैंड सैनिटाइज़र जरूर अपने साथ रखिए और उसका इस्तेमाल करिए।

4. दूरी बनाए रखें

कोई भी व्यक्ति जिससे आपको संक्रमण का खतरा हो या वो ऐसी जगह से आया हो जहां संक्रमण फ़ाइल रहा हो, तो आप उससे कम से कम 6 फीट की दूरी बना कर रखिए। संक्रमित व्यक्ति से कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखें, ताकि वायरस से बचा जा सके।

5. घर में हवा पास होने दें

एयरटाइट जगहों पर वायरस के रुकने और पनपने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसे में घर को हवादार रखें ताकि हवा पास होती रहे और आप वायरस के खतरे से बच सकें।

फोटो सौजन्य- गूगल

First Time Sex

SEX ना तो अब टैबू रह गया है और ना ही शादीशुदा जीवन का पार्ट रहा गया। लेकिन यह आपकी सेहत से जुड़ा मामला आवश्य है। अब भी लोग इस पर बात नहीं कर पाते। यही कारण है कि इसके बारे में बहुत सारी भ्रांतियां प्रचारित है। अधिकतर किशोर और युवा पहली बार सेक्स इंटरनेट पर यह सर्च करते हैं कि पहली बार सेक्स के बाद क्या होता है?

क्या बदलाव हो सकते हैं पहली बार सेक्स के बाद-

यदि आपने हाल ही में पहली बार सेक्स किया है या सेक्स करने का प्लान कर रही हैं, तो हम बता दें कि आपके शरीर में यही बदलाव आने वाले हैं। हम जानते हैं कि इन बदलावों से जुड़े कई सवाल हैं आपके दिमाग में, इसलिए आपकी जिज्ञासा का निदान करेंगे।

हालांकि हर व्यक्ति में सेक्स के बाद अलग बदलाव आ सकते हैं, पर यह प्रमुख जानकारी आपको जरूर होनी चाहिए-

1. आपको दर्द हो सकता है

unbearable pain in lower back during periods

सेक्स के दौरान दर्द होना सामान्य है। इसके पीछे कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं, लेकिन वे सभी कारण पूरी तरह सामान्य होते हैं। आपका हाइमेन खिंचने के कारण दर्द हो सकता है, लुब्रिकेशन की कमी से दर्द हो सकता है या वेजाइनिस्मस यानी पेल्विक मसल्स के टाइट होने के कारण दर्द हो सकता है। आपके दर्द का कारण एंग्जायटी भी हो सकती है। सेक्स से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं भी हो सकती हैं या पुराना कोई ट्रॉमा हो सकता है।

कई बार शुरुआत में सेक्स के दौरान ऑर्गेज्‍म होने पर यूटेरस में क्रेम्प्स होने लगते हैं। सेक्स के दौरान ऑक्सिटोसिन निकलता है, जिससे यूटेरस में कॉन्ट्रेक्शन के कारण दर्द होने की सम्भावना होती है।

2. स्पॉटिंग हो सकती है 

आपको सेक्स के बाद खून आ सकता है, आपको सेक्स के बाद खून न आए यह भी सम्भव है। दोनों ही स्थिति सामान्य हैं। अगर आपको पहली बार सेक्स के बाद खून आता है, तो इसका कारण होता है हाइमेन। हाइमेन एक पतली सी त्वचा की झिल्ली होती है, जो सेक्स करने पर खिंच जाती है और खून निकल सकता है।

हाइमेन आसानी से खिंच सकती है और इसके टूटने का एकमात्र कारण सेक्स ही नहीं है। स्पोर्ट्स के कारण भी हाइमेन टूट जाता है। यहां तक कि टैम्पॉन्स के प्रयोग से भी हाइमेन टूट सकता है। हाइमेन का आपकी वर्जिनिटी से कोई लेना देना नहीं है।

उसके अलावा भी आपको कई बार स्पॉटिंग नजर आ सकती है। इस स्पॉटिंग का कारण है सेक्स के कारण सर्विक्स में सूजन। अगर आप रफ सेक्स करती हैं, तो स्पॉटिंग की सम्भावना अधिक होती है। यह खून सुर्ख लाल रंग का होता है।

3. पेशाब के दौरान जलन होती है

अगर आपको सेक्स के बाद बाथरूम जाने पर जलन महसूस हो रही है, तो यह नार्मल है। वेजाइना और यूरेथ्रा काफी पास में ही होते हैं इसलिए वेजाइना पर पड़े दबाव का दर्द यूरेथ्रा में भी होता है। लेकिन अगर यह दर्द दो-तीन दिन से ज्यादा रहे, तो डॉक्टर की आवश्य सलाह लें।

4. वेजाइना में खुजली हो सकती है

हल्की खुजली सामान्य है, लेकिन अगर आपको बहुत अधिक खुजली हो रही है जिसे कंट्रोल नहीं कर पा रहीं, तो यह कॉन्डम से एलर्जी के कारण हो सकता है। अगर आपने लुब्रिकेंट का इस्तेमाल किया है तो वह भी एलर्जी का कारण हो सकता है।

5. आपको UTI हो सकता है

Do we have to face the risk of UTI after sex?

सेक्स के दौरान आपके ऐनस के पास मौजूद बैक्टीरिया आपकी वेजाइना और यूरेथ्रा तक पहुंच सकते हैं। इससे दर्दनाक UTI हो सकता है। कई बार खुजली और जलन के लिए यही जिम्मेदार होता है।

6. निपल्स और क्लिटोरिस का साइज बदल सकता है

आपके निप्पल्स में कई सारी नसें आकर खत्म होती हैं, जिसके कारण आपके उत्तेजित होने पर निप्पल्स में बदलाव आ जाता है। इससे आपके ब्रेस्ट के टिश्यू फूल जाते हैं और ब्रेस्ट बड़े लगने लग सकते हैं। यही नहीं सेक्सुअली उत्तेजित होने पर आपके निप्पल्स टाइट हो जाते हैं। उसी तरह क्लाइटोरिस में भी बहुत सी नसें खत्म होती हैं, जिससे क्लाइटोरिस का साइज बढ़ जाता है। हालांकि सेक्स के बाद यह नॉर्मल साइज में लौट जाती है।

7. हैप्पी हॉर्मोन्स निकलते हैं

First Time Sex

जब आप सेक्स करने लगती हैं, तो शरीर में ब्लड फ्लो बढ़ जाता है। यही नहीं, उत्तेजित होने पर निप्पल, ऐरीओला और क्लाइटोरिस की मांसपेशियों में टेंशन आ जाती है। सेक्स के दौरान आपको ऑर्गेज्म की प्राप्ति होती है। इस सब का कारण है दिमाग में ऑक्सिटोसिन का बढ़ा हुआ स्तर जो सेक्स के कारण बढ़ता है।

8. वेजाइना की इलास्टिसिटी

आपकी वेजाइना की मांसपेशियां बहुत इलास्टिक होती हैं और यह इलास्टिसिटी बदलती रहती है। आपकी वेजाइना सेक्स के बाद काफी हद तक खुल जाती है, जो कि बिल्कुल सामान्य है। तो लेडीज, सेक्स करने से पहले ही जान लें सेक्स के बाद या दौरान आपके शरीर में क्या बदलाव आएंगे ताकि आप खुद को मानसिक रूप से तैयार कर सकें।

फोटो सौजन्य- गूगल

When there is a delay in periods, apart from pregnancy

Period शुरू होने में अगर देरी होती है तो अधिकतर मामले में प्रेगनेंसी को जिम्मेदार ठहराया जाता है। बता दें कि वजन में बहुत ज्यादा बदलाव, हार्मोनल अनियमितताएं और मेनोपॉज की तरफ बढ़ता साइकल भी इसके कारणों में से एक हो सकता है। अगर एक या दो महीने से ज्यादा पीरियड में देरी की समस्या होती है तो यह एमेनोरिया का प्रॉब्लम हो सकता है। यदि यह समस्या अक्सर हो रही है तो गायनेकोलोजिस्ट से मिलना जरूरी है। फिलहाल एक एक्सपर्ट से जानते हैं कि किन वजहों से पीरियड में देरी हो सकती है।

पीरियड में देरी बढ़ा देती है चिंता

जिस दिन पीरियड शुरू होती है और अगली माहवारी के पहले दिन तक को एक पीरियड साइकल कहा जाता है। सामान्य पीरियड साइकल लगभग 28 दिनों का होता है। हालांकि एक सामान्य चक्र 38 दिनों तक का भी हो सकता है। अगर आपकी पीरियड साइकल इससे ज्यादा लंबा है या सामान्य से अधिक लंबा है तो इसे पीरियड में देरी माना जाता है। लगातार पीरियड में देरी होने पर महिलाएं अपना प्रेगनेंसी टेस्ट करती हैं। पर अगर आप प्रेगनेंट नहीं हैं, तब पीरियड में देरी होने के और भी कई कारण हो सकते हैं।

प्रेगनेंसी के अलावा पीरियड मिस होने के कारण

How can you take care of your wife or girlfriend during periods?

1. थायराइड में गड़बड़ी

गायनेकोलोजिस्ट बताती हैं कि थायराइड पीरियड साइकल को नियंत्रित करने में मदद करता है। बहुत अधिक या बहुत कम थायराइड हार्मोन पीरियड साइकल को बहुत हल्का, भारी या अनियमित बना सकता है। थायराइड डिजीज के कारण मासिक धर्म कई महीनों या उससे अधिक समय तक रुक सकते हैं, इस स्थिति को एमेनोरिया कहा जाता है।

2. हाई प्रोलैक्टिन लेवल

डॉ. रिद्धिमा शेट्टी बताती हैं, ‘ब्रेन के पिटउइटेरी ग्लैंड से सीक्रेट होता है प्रोलैक्टिन हॉर्मोन। प्रोलैक्टिन हार्मोन स्तनपान, ब्रेस्ट टिश्यू के विकास और दूध उत्पादन के लिए जिम्मेदार होते हैं। ब्लड में प्रोलैक्टिन का सामान्य से अधिक स्तर पीरियड में देरी कर सकता है। 50-100 एनजी/एमएल के बीच हाई प्रोलैक्टिन लेवल अनियमित अनियमित पीरियड और इनफर्टिलिटी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। कुछ दवा, इन्फेक्शन यहां तक कि स्ट्रेस भी प्रोलैक्टिन हॉर्मोन के सीक्रेशन को बढ़ावा देता है।’

3. हीमोग्लोबिन का लेवल गिरना

Say goodbye to heavy bleeding by adopting these tips during periods

विशेषज्ञ के मुताबिक हीमोग्लोबिन का लो लेवल एंडोमीट्रियल ग्रोथ को प्रभावित कर सकता है। इससे पीरियड शुरू होने में देरी हो सकती है। लो हीमोग्लोबिन के कारण शरीर में आयरन कम हो जाता है, जो पीरियड्स को प्रभावित कर सकता है। इसके कारण एनीमिया हो जाता है, जो मासिक धर्म चक्र में देरी या अनियमितताओं का कारण बन सकता है। यदि लगातार दो से ज्यादा पीरियड साइकिल में देरी या अनियमित पीरियड का अनुभव हो रहा है, तो समस्या को समझने के लिए डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है।

4. अत्यधिक मोटापा या पोषण की कमी

अधिक वजन या मोटापा मासिक धर्म चक्र को प्रभावित कर सकता है। यदि वजन अधिक है, तो शरीर अतिरिक्त मात्रा में एस्ट्रोजन का उत्पादन करने लग सकता है। यह महिलाओं में प्रजनन प्रणाली को नियंत्रित करने वाले हार्मोनों में से एक है। एस्ट्रोजन की अधिकता सीधे तौर पर पीरियड को प्रभावित कर सकती है। यह उसे रोकने का कारण भी बन सकती है। पोषक तत्वों की कमी भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। क्योंकि शरीर में बहुत अधिक बदलाव आने पर इस साइकल पर नेगेटिव इफेक्ट पड़ता है।

5. फीवर और इन्फेक्शन

किसी तरह का संक्रमण मासिक धर्म को सीधे तौर पर प्रभावित नहीं कर सकता है। लेकिन इसके कारण होने वाला फीवर, यूटीआई के कारण पीरियड डिले हो सकता है। UTI के कारण शरीर पर पड़ने वाला तनाव पीरियड को प्रभावित कर सकता है। साथ ही यदि आपकी स्ट्रेसफुल लाइफस्टाइल है, तो तनाव कोर्टिसोल प्रोडक्शन बढ़ा देते हैं। इससे पीरियड में देरी हो जाती है।

क्या करें जब एक-दो महीने से पीरियड न आए?

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पीरियड में सप्ताह भर की देरी होना सामान्य है। पर अगर आपके पीरियड पंद्रह से बीस दिन बाद भी नहीं आए हैं, तब यह जरूरी है कि आप अपना प्रेगनेंसी टेस्ट करें। कुछ महिलाओं को 01 महीने बाद भी पीरियड नहीं आता। जबकि कुछ जानना चाहती हैं कि 02 महीने बाद भी पीरियड न आए तो क्या करें?

एक्सपर्ट के अनुसार पर अगर आप यौन सक्रिय हैं तो बेहतर है कि आप अपना प्रेगनेंसी टेस्ट करवाएं। लेकिन अगर आप सेक्सुअली एक्टिव नहीं हैं, तो आपको जबरन पीरियड लाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। कई बार तनाव और खानपान सही नहीं होने के कारण भी पीरियड में एक-दो महीने की देरी हो जाती है। यह स्थिति नॉर्मल नहीं है। इसलिए जरूरी है कि आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। किसी भी तरह के घरेलू उपाय अपनाकर जबरन पीरियड लाने का प्रयास करना आपके लिए खतरनाक हो सकता है। इसलिए ऐसा न करें।

फोटो सौजन्य- गूगल

Super Food

Immunity: जब मौसम सर्दियों का हो तो कभी जुकाम तो कभी स्किन प्रॉब्लम का खतरा बढ़ जाता है। अलावा इसके बुजुर्गों को जोड़ों में दर्द और हृदय में जकड़न के जोखिम को भी बढ़ा देती है। ऐसे में शरीर को हेल्दी रखने के लिए खानपान का ख्याल रखना जरूरी है। अगर आप भी मौसमी बीमारियों के कुप्रभावों से बचना चाहती हैं तो कुछ ऐसे सुपरफूड्स को आहार में जरूर शामिल करें जिससे शरीर में रोग से लड़ने की क्षमता को बढ़ाया जा सके। आइये जानते हैं कुछ खास सुपरफूड्स काम्बो के बारे में जिन्हें आहार में शामिल करके इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद मिलती है-

ज्यादातर आहार में फ्लेवर एड करने के लिए कई तरह के मसाले और टेस्ट मेकर्स को रेासपी में मिलाया जाता है जिससे कि आहार की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सके। मगर इसमें पोषण को बढ़ाने के लिए सुपरफूड्स को जोड़ने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगती है। इन सप्लीमेंट्स को मसालों, पत्तियों या फूड्स के तौर पर एड किया जा सकता है। इससे बॉडी को एंटीऑक्सीडेंटस और एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज़ की प्राप्ति होती है।

डायटीशियन बताती हैं कि इम्यून सिस्टम बूस्ट करने के लिए पौष्टिक आहार के सेवन से पहले गट हेल्थ को मज़बूत रखना जरूरी है। इसे शरीर में हेल्दी बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। शरीर की हेल्दी फंक्शनिंग की मदद से शरीर के वज़न को संतुलित रखा जा सकता है और एनर्जी का स्तर उचित बना रहता है।

इन सुपरफूड्स को मिलाकर इम्यून सिस्टम को करें मजबूत

1. दही और पालक

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दही के सेवन से जहां प्रोबायोटिक्ट की मात्रा प्राप्त होती है, तो वहीं पालक में मौजूद बीटा कैरोटीन और फाइटोन्यूट्रिएंट्स की मात्रा शरीर को फ्री रेडिकल्स के खतरे से बचाने में मदद करते है। विटामिन डी के मुख्य स्रोत दही को ब्लैंड करके उसमें कटी हुई पालक को डालकर खाने से न केवल गट हेल्थ मज़बूत होती है बल्कि आयरन और फोलेट की प्राप्ति होती है।

अलावा इसके पोषक तत्वों का एबजॉर्बशन भी बढ़ने लगता है। USDA के अनुसार आहार में 01 कप दही को शामिल करने से 28 फीसदी फासफोरस, 10 फीसदी मैग्नीशियम और 12 फीसदी पोटेशियम की प्राप्ति होती है। इसकी मदद से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।

2. हल्दी और काली मिर्च

Turmeric Powder with Daal

हल्दी में एंटी इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं। इसमें मौजूद एक्टिव कंपाउड संक्रमण के प्रभाव को कम करने में मदद करते है। इसके अलावा हल्दी मे पाई जाने वाली करक्यूमिन की मात्रा इंफ्लामेशन को कम करके हेल्दी ब्लड वेसल्स की फंक्शनिंग में मदद करती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा अलसरेटिव कोलाइटिस से राहत दिलाती है।

किसी भी रेसिपी में हल्दी के साथ काली मिर्च को मिलाकर खाने से शरीर को पिपरिन की प्राप्ति होती है, जिससे पोषक तत्वों का एबजॉर्बशन बढ़ने लगता है। खिचड़ी को तैयार करने के दौरान हल्दी के साथ काली मिर्च को मिलाकर खाने से शरीर को फायदा मिलता है।

3. टमाटर में मिलाएं अदरक

आहार में टेस्ट का तड़का जोड़ने के लिए अदरक का इस्तेमाल किया जाता है। इसके सेवन से शरीर में खांसी जुकाम का खतरा कम होने लगता है और पाचनतंत्र मज़बूत बनता है इसके सेवन से शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स की मात्रा बढ़ती है, जिससे इम्यून सिस्टम को बूस्ट किया जा सकता है। वहीं टमाटर में मौजूद लाइकोपिन कंपाउड से शरीर में हृदय रोगों और कैंसर के चातरे को कम किया जा सकता है। लाइकोपिन फैट सॉल्यूबल है, जिससे इसके एबजॉर्बशन में मदद मिलती है। टमाटर के सूप में अदरक के पेस्ट को एड करके सेवन करने से शरीर को पोषण की प्राप्ति होती है।

4. आंवला में शहद मिलाकर खाएं

मेडिसिनल प्रॉपर्टीज़ से भरपूर आंवला में विटामिन सी की उच्च मात्रा पाई जाती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंटस मौसमी संक्रमण के प्रभाव को कम करके शरीर को विटामिन और मिनरल प्रदान करते हैं। इसमें पाई जाने वाली एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज़ से बैक्टीरिया और पायरस के प्रभाव को कम किया जा सकता है। वही शहद को आंवला में मिलाकर खाने से डाइजेस्टिव सिस्टम बूस्ट होता है और विटामिन सी की प्राप्ति से एजिंग का प्रभाव कम होने लगता है। कटे हुए आंवला में शहद मिलाकर स्टोर कर लें। रोज़ाना एक चम्मच इस का सेवन करने से शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है, जिससे वेटलॉस में भी मदद मिलती है।

5. शकरकंदी और एवोकाडो

बीटा कैरोअीन से भरपूर शकरकंदी अक्सर सर्दियों में खाया जाने वाला सुपरफूड है। इससे आहार में स्वाद के साथ पोषण को जोड़ा जा सकता है। इसके सेवन से शरीर को विटामिन ए की प्राप्ति होती है। वहीं इसमें एवोकाडो को मिलाने से शरीर में फैटी एसिड की कमी को पूरा किया जा सकता है। इन दोनों को मिलाकर खाने से इम्यून सिस्टम को बूस्ट किया जा सकता है ।

6. पपीते में काली मिर्च को करें एड

विटमिन A और C से भरपूर पपीते का सेवन करने से डज्ञइजेशन समेत ओवरऑल हेल्थ को फायदा मिलता है। अलावा इसके फाइबर की उच्च मात्रा मेआबॉलिज्म को भी बूस्ट करने में मदद करता है। इसमें काली मिर्च को जोड़कर खाने से व्हाइट ब्लड सेल्स की मात्रा बढ़ने लगती है, जिससे शरीर में बैक्टीरिया और वायरस का प्रभाव कम होने लगता है।

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Hot Water: Why is it important to drink hot water in winter

Hot Water: वैसे ये बात हर किसी को मालूम है कि शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए पानी बहुत जरूरी है। ज्यादातर लोग अपनी प्यास मिटाने के लिए ठंडा पानी लेना पसंद करते हैं लेकिन सर्दी शुरू होते ही लोग ठंडे से पानी पीने से परहेज करने लगते हैं। मगर असल सवाल ये कि क्या वाकई ठंडे पानी की तुलना में गर्म पानी हेल्थ को कोई फायदा पहुंताचा है। आइये जानते हैं एक्सपर्ट से कि क्यों गर्म पानी पीना जरूरी है और इससे शरीर की क्या बेनिफिट मिलते हैं।

जर्नल ऑफ फूड साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक गर्म पानी पीने के लिए तापमान को 130 से 160 डिग्री एफ तक रखें। इससे ज्यादा तापमान पर गर्म पानी पीने से जीभ और गले में छाले बनने लगते हैं। इसके पोषण को बढ़ाने के लिए नींबू का रस डालें और पीएं।

एक डायटीशियन बताती हैं कि पानी स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है और हेल्दी बॉडी फंक्शनिंग के लिए रोज़ाना पर्याप्त मात्रा में पानी पीना बहुत ज़रूरी है। हांलाकि कई लोग हर मौसम में ठंडा पानी पीना पसंद करते हैं लेकिन गर्म पानी पीने के शरीर को कई फ़ायदे मिलते हैं जिन्हें अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। सुबह उठने के बाद और सोने से पहले गर्म पानी पीने से शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है और पाचन को बढ़ावा मिलता है। साथ ही बैली फैट को कम करने में भी मदद मिलती है।

गुनगुना पानी पीने के फ़ायदे

Hot water

1. पाचन में फायदा

गर्म पानी डाइजेस्टिव ऑर्गन्स को उत्तेजित करता है। इससे पाचन तंत्र में रक्त के प्रवाह को बढ़ावा मिलता है, जिससे बेहतर पाचन और नियमित बॉवल मूवमेंट में मदद मिलती है। नियमित रूप से गर्म पानी पीने से शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थों को डिटॉक्स किया जा सकता है। इससे एसिडिटी और ब्लोटिंग से भी बचा जा सकता है।

2. वजन घटाने में अहम रोल

गर्म पानी पीने से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और पेट भरा हुआ महसूस होता है। इससे एपिटाइट को नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही शरीर में जमा चर्बी को बर्न करमे में भी मदद मिलती है। इससे सूजन और कब्ज की समस्या हल हो जाती है। इससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है, जिससे वेटगेन की समस्या हल हो जाती है।

3. ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाए

Hot water

सुबह उठकर खाली पेट गुनगुना पानी पीने से ना सिर्फ डाइजेशन बूस्ट होता है बल्कि शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन भी बढ़ने लगता है। इससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हल हो जाती है। साथ ही शरीर में एकत्रित होने वाले वसा से बनने वाले ब्ल्ड क्लॉटिंग से भी राहत मिलती है। इससे आर्टरीज़ और वेन्स एक्सपैंड हो जाती हैं, जिससे ब्लड का फ्लो उचित बना रहता है।

4. ठंड में बढ़ने वाली ठिठुरन कम हो जाती है

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक ठंड की स्थिति में शरीर में कपकपी बढ़ जाती है। मगर गर्म तरल पदार्थ पीने से कंपकंपी कम हो सकती है। शरीर को अंदरूनी गर्माहट मिलने लगती है और शरीर एक्टिव बना रहता है। बता दें कि इससे निर्जलीकरण का जोखिम भी कम हो जाता है। रिसर्च के अनुसार जहां पुरूष को दिनभर में 112 ओंस पानी की आवश्यकता होती है, तो वहीं महिलाओं को 78 आेंस पानी पीना चाहिए।

5. स्ट्रेस कम करने में मिलेगी मदद

Hot water

रोजाना गुनगुना पानी पीने से नर्वस सिस्टम हेल्दी रहता है। इससे ब्रेन फंक्शनिंग उचित बनी रहती है और मूड बूस्टिंग में मदद मिलती है। ब्रेन एक्टिव रहने से चीजों को याद रखने की क्षमता बढ़ जाती है और एकाग्रता को भी बढ़ाया जा सकता है। घूंट घूंट कर गर्म पानी पीना चाहिए।

6. नेज़न कंजेशन से राहत

एक कप गर्म पानी पीने से बार बार आने वाली खांसी और सांस लेने में होने वाली तकलीफ से बचा जा सकता है। नाक बंद रहने यानि साइनस से सिरदर्द का जोखिम बना रहता है। इसकी मदद से म्यूक्स को बनने से भी रोका जा सकता है, जिससे एयरवेज को क्लीयर रखने में मदद मिलती है।

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If you are troubled by white hair then do this special exercise daily

Hair Loss से छुटकारा पाने के लिए अक्सर कई तरह के नुस्खे और शैम्पू का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन फॉलिकल्स की मजबूती के मद्देनजर सबसे जरूरी अंदरूनी ताकत का मिलना है। दरअसल, बॉडी में पोषक की कमी बालों के झड़ने का अहम कारण बनता है। इसके स्कैल्प का रूखापन भी बढ़ने लगता है और हेयरथिनिंग का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में बालों को प्रोटीन और बीटा कैरोटीन समेत कई पोषक तत्वों की जरूरत होती है, जो विटामिन्स के सेवन से शरीर को हासिल होते है। आइये जानते हैं किन विटामिन्स की कमी से बढ़ने लगती हेयरफॉल की समस्या और उससे बचने के लिए किन टिप्स की लें सकते हैं सहायता-

इन VITAMINS की कमी से बढ़ती है बाल झड़ने की समस्या

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1. विटामिन B, बायोटिन और फॉलिक एसिड

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक विटामिन-B12 का सेवन करने से स्कैल्प पर सेल डिविज़न में मदद मिलती है। बायोटिन एक प्रकार का विटामिन बी है जो शरीर में मौजूद फूड को ऊर्जा में बदलने और सेल कम्यूनिकेशन में मदद करता है। ऐसे में बालों का झड़ना बायोटिन की कमी को दर्शाता है। ऐसे में विटामिन बी से भरपूर फूड्स को आहार में शामिल करके इस समस्या को हल किया जा सकता है।

2. विटामिन- D

इस विटामिन को सनशाइन विटामिन भी कहा जाता है। इसके सेवन से बालों का रोम चक्र प्रभावित होता है और इससे हेयरलॉस से राहत मिलती है। इससे बालों के फॉलिकल्स को मज़बूती मिलती है, जिससे हेयर नरिशमेंट बढ़ जाता है। शरीर में इसकी मात्रा को बढ़ाने के लिए धूप प्रदान करने के अलावा दूध, दही, पनीर, मछली, अंडे और संतरे का सेवन करने से फायदा मिलता है।

3. विटामिन- C की कमी

शरीर में विटामिन- C की कमी आयरन के अवशोषण को कम कर देती है। इसके कारण खून की कमी हेयरलॉस का कारण साबित होता है। अलावा इसके विटामिन- C की कमी के चलते कोलेजन का स्तर कम होता है, जिससे स्कैल्प का रूखापन बढ़ने लगता है और शुष्कता बढ़ जाती है। इसके लिए आहार में ब्रोकली, बैरीज़ और खट्टे फलों को शामिल करें।

4. विटामिन- E

विटामिन- E की गिनती फैट सॉल्यूबल विटामिन में की जाती है। इससे त्वचा, बालों और नाखूनों का स्वासथ्य उचित बना रहता है। इसमें मौजूद सूजनरोधी गुण ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करते हैं। इसके सेवन से एलोपीसिया का जोखिम कम हेने लगता है।

बालों की ग्रोथ के लिए इन फूड्स को करें आहार में शामिल

With regular hair massage our hair can become beautiful and healthy

1. पालक से मिलती है विटामिन और आयरन की मात्रा

आहार में पालक को शामिल करने से शरीर को शरीर को फोलेट, आयरन, विटामिन ए और सी की भी प्राप्ति होती है। यूएसडीए के अनुसार 1 कप पालक का सेवन करने से 20 फीसदी विटामिन ए की प्राप्ति होती है। इससे ब्लड सेल्स को ऑक्सीजन मिलती है, जिससे बालों का टूटना और झड़ना कम होने लगता है।

2. शकरकंदी है बीटा कैरोटीन से भरपूर

विटामिन- A की कमी हेयरलॉस का कारण बनने लगती है। ऐसे में विटामिन- A से भरपूर शकरकंदी को आहार में शामिल करने से बालों को बीटा कैरोटीन की प्राप्ति होती है, जिससे सीबम प्रोडक्टशन बढ़ने लगता है। इससे हेयरलॉस की समस्या हल हो जाती है।

3. एवोकाडो से होगी विटामिन-E की प्राप्ति

स्कैल्प के नरिशमेंट के लिए विटामिन-C और E बेहद कारगर साबित होते है। इससे स्कैल्प पर बढ़ने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव को कम किया जा सकता है। एवोकाडो का सेवन करने से शरीर को हेल्दी फैट्स की प्राप्ति होती है, जिससे बालों की मज़बूती बढ़ने लगती है।

4. बैरीज़ से मिलते हैं एंटीऑक्सीडेंटस

इसमें मौजूद विटामिन-C से कोलेजन का प्रोडक्शन बढ़ने लगता है। इससे बालों को रूखापन दूर होता है और मज़बूती बढ़ जाती है। आहार में बैरीज़ को एड करने से शरीर में आयरन का एबजॉर्बशन बढ़ने लगता है। इससे हेयरलॉस से बचा जा सकता है।

Sexual intimacy helps in recovering from loneliness and depression

Reproductive Organ में अगर किसी तरह की कोई खराबी नहीं होती फिर भी प्रेगनेंसी में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। Conceive का प्लान करने के बावजूद हसबैंड और वाइफ दोनों को निराश होना पड़ता है। जिन्हें प्रेगनेंसी में दिक्कत होती है, उन्हें फ्रेंड्स सलाह देते हैं कि इंटरकोर्स के बाद कुछ देर तक बिस्तर पर ही लेटे रहें। क्या यह वाकई कारगर है? क्या है कोई साइंटिफिक वजह है? हम यहां एक्सपर्ट के जरिए जानेंगे प्रेगनेंसी के इस खास तरीके का पूरा सच।

SEX के बाद लेटने से कंसीव करना आसान हो जाता है?

एक्सपर्ट के मुताबिक जब प्रेगनेंसी किन्हीं कारणों से लेट होने लगती है, तो डॉक्टर भी सेक्स के बाद 15- 20 मिनट तक बेड पर लेटे रहने की सलाह देते हैं। दरअसल, सेक्स के बाद स्पर्म का बाहर निकलना सामान्य है। ऐसा ग्रेविटी के कारण होता है। सेक्स के बाद स्पर्म का बाहर निकलने से गर्भधारण की संभावना कम नहीं होती। हालांकि खड़े होने या बाथरूम जाने से गुरुत्वाकर्षण शुक्राणु को गर्भाशय ग्रीवा से खींच कर दूर ले जा सकता है। इसलिए इस मामले में ज्यादातर डॉक्टर सलाह देते हैं कि सेक्स के बाद कम से कम 05 मिनट तक लेटे रहें। इससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।

कंसीव करने के लिए SEX के बाद कितनी देर तक लेटे रहना चाहिए और कैसे?

Some Natural Ways To Spice Up Your Sex Life

एक्सपर्ट इस बात की सलाह देते हैं कि अगर आप कंसीव करना चाहती हैं, तो सेक्स के बाद अपने हिप्स के नीचे एक तकिया लगा लें। इससे सीमेन को गर्भाशय की ओर ले जाने में ग्रेवेटी की मदद मिलती है। इस अवस्था में 10–15 मिनट रहने की सलाह दी जाती है। यह अवधि स्पर्म के लिए पर्याप्त होती है।

इस विधि के अलावा विशेषज्ञ पैर ऊपर करने की भी सलाह देते हैं। पैरों को एक साथ उठाकर दीवार से लगा दें। इस अवस्था में आराम करें। इस विधि में भी गुरुत्वाकर्षण को स्पर्म की मदद करने का अवसर मिलता है। यह भी एक असरदार तरीका है।

कितनी देर में गर्भाशय तक पहुंचता है स्पर्म

यदि स्पर्म के मूवमेंट की बात की जाए, तो स्पर्म को फैलोपियन ट्यूब के भीतर अपने गंतव्य तक पहुंचने में 2 मिनट से भी कम समय लग सकता है। अक्सर शुक्राणु अंडाशय से एग जारी होने तक धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करते हैं। ये शरीर में लगभग पांच दिनों तक जीवित रह सकते हैं। इसका मतलब हुआ कि गर्भाधान वास्तव में सेक्स के कई दिनों बाद भी हो सकता है।

ओवुलेशन के दौरान कैसे ऐग मिलता है स्पर्म से

जो महिलाएं अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान से गुजरती हैं, उनमें स्पर्म की बड़ी संख्या को गर्भाशय के नजदीक छोड़ दिया जाता है। इससे ओव्यूलेशन के दौरान एक अंडा स्पर्म से मिलकर जायगोट बना लेता है। इसमें भी ग्रेविटी के रूल को ही फ़ॉलो किया जाता है।

SEX के बाद यूरीन पास करें या नहीं!

एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई कि 15 मिनट तक लेटने से गर्भधारण की दर 27 फीसदी तक बढ़ जाती है। जबकि इंटरकोर्स के तुरंत बाद उठने वाले लोगों में प्रेगनेंसी की दर 18 फीसदी थी।

अगर आप प्रेगनेंट नहीं होना चाहतीं और सेक्स के दौरान स्पर्म अंदर चला गया है, तो डॉक्टर आपको तुरंत यूरीन पास करने की सलाह देते हैं। यही कारण है कि प्रेगनेंसी को रोकने के तरीके के रूप में सेक्स के बाद यूरीन पास करने की सलाह दी जाती है। सेक्स के बाद पेशाब करने से यूटेरिन ट्रैक्ट इन्फेक्शन से बचाव हो सकता है।

इसके कारण सेक्सुअली ट्रांसमिट होने वाले कुछ संक्रमण को रोकने में भी मदद मिल सकती है। ग्रेविटी फ़ोर्स की वजह से सीमेन वेजाइना के अंदर नहीं जा सकते हैं। लेकिन सभी को यह बात जान लेनी चाहिए कि यूरीन एक छोटे से छेद से निकलता है, जिसे यूरेथरा कहा जाता है। सेक्स के बाद यूरीन करने से योनि से शुक्राणु नहीं निकल पाते हैं।

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Increasing pollution in the air can be fatal for the heart

Pollution का बढ़ता खतरनाक स्तर सांस से जुड़ी समस्याओं के अलावा हार्ट डिजीज के खतरे को भी बढ़ा रहा है। हवा में मौजूद हानिकारक पार्टिकल्स सांस के जरिए शरीर के भीतर प्रवेश करने के बाद हृदय रोग, सांस की बीमारी और कैंसर सहित अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ा देता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक हर वर्ष पॉल्यूशन से 70 लाख लोगों की मौत होती है। खराब एयरक्वालिटी के कारण हृदय की ब्लड को पंप करने की क्षमता पर असर पड़ता है, जिससे हृदय रोगों का संकट काफी बढ़ जाता है। आइये जानते हैं एयर पॉल्यूशन किस तरह से बढ़ाता है हृदय रोगों का जोखिम-

पॉल्यूशन का हृदय पर असर

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की रिसर्च के मुताबिक वायु प्रदूषण एथेरोस्क्लेरोसिस की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे आर्टरीज़ की वॉल्स में प्लाक बनने लगता है। कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और वसा से प्लाक बनने लगता है, जो हृदय में रक्त के प्रवाह को बाधित कर देता है। इससे हृदय गति प्रभावित होती है और हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और अन्य हृदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है। प्रदूषण से हार्ट हेल्थ को नुकसान पहुंचने के अलावा डायबिटीज़ का खतरा भी बना रहता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हवा में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड हेल्थ रिस्क को बढ़ाती हैं। इसके अलावा हवा में घुले जहरीले कण फेफड़ों में पहुंचकर रक्त प्रवाह में प्रवेश करते हैं। इससे टिशूज़ और रेड ब्लड सेल्स को नुकसान का सामना करना पड़ता है। लंबे वक्त तक महीन पार्टिकुलेट मैटर के संपर्क में रहने से व्यक्ति को स्ट्रोक, हृदय रोग, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और कैंसर जैसी घातक बीमारियों का खतरा बना रहता है।

इस बारे में एक सीनियर डॉक्टर ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर हार्ट पर दिखता है। PM, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूषक जो गाड़ियों के धुएं फैक्ट्रियों और ईंधन जलाने से निकलते हैं, शरीर में जाकर दिल की सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं।

कैसे हृदय स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है प्रदूषण

Increasing pollution in the air can be fatal for the heart

1. हार्ट अटैक का जोखिम

ये प्रदूषक सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंचकर खून में मिल जाते हैं। ये नसों पर असर डालते हैं, जिससे सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ने लगता है। यह नसों में फैट जमा होने का कारण बनता है, जो दिल की बीमारियों और हार्ट अटैक की वजह बन सकता है। लंबे समय तक इन प्रदूषकों के संपर्क में रहने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

2. दिल की धड़कन का बढ़ना

नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड सेहत पर बुरा असर डालते हैं। नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, जो गाड़ियों और पावर प्लांट से निकलती है। फेफड़ों को कमजोर करती है और दिल पर अधिक दबाव बनाए रखती है। वहीं, कार्बन मोनोऑक्साइड खून में ऑक्सीजन पहुंचाने की क्षमता को कम कर देती है, जिससे दिल और शरीर के अन्य हिस्सों को सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। यह दिल की धड़कन को अनियमित कर सकता है और दिल की बीमारियों का कारण बन सकता है।

3. कोलेस्ट्रॉल का लेवल असंतुलित हो जाना

एक अध्ययन के मुताबिक लगातार धुएं और धूल मिट्टी के संपर्क में रहने से शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होने लगता है। प्रदूषण के कारण शरीर में हाई डेंसिटी लिपो प्रोटीन यानी गुड कोलेस्ट्रॉल में कमी आने लगती है। इससे हृदय संबंधी अनय समस्याओं के अलावा बैड कोलेस्ट्रॉल तेजी से बढ़ने लगता है।

4. ब्लड वेसल्स को करता है संकुचित

If you get such signs, then understand that heart problems have started

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार एयरबॉर्न पार्टिक्यूलेट मैटर से हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं। इससे ब्लड वेसल्स संकुचित होने लगती है और रक्त का प्रवाह असंतुलित हो जाता है। इसके अलावा ब्लडप्रेशर में वृद्धि, रक्त के थक्के जमना, कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज और स्ट्रोक का खतरा बना रहता हैं। बच्चे, बुजुर्ग और हार्ट के मरीज वायु प्रदूषण के असर से ज्यादा प्रभावित होते हैं।

इन सुझावों की मदद से समस्या को दूर किया जा सकता है

  • गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करना गले की सूजन को कम करता है और राहत देता है। दिन में दो बार गरारे करने से गले में मौजूद संक्रमण को दूर किया जा सकता है।
  • अदरक और शहद की चाय पीने से गले में आराम मिलता है और कफ साफ होता है। इससे फेफड़ों में बढ़ने वाले संक्रमण से बचाव होता है और म्यूक्स का उत्पादन कम होने लगता है।
  • इनडोर पॉल्यूशन से खुद को बचाव करनेअ के लिए घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और इनडोर प्लांटस भी लगाएं। अलावा इसके बाहर निकलते समय मास्क लगाना न भूलें।
  • अपने शरीर को निर्जलीकरण से बचाने का प्रयास करें। इससे गले में दर्द और खराश कम होती है। ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं ताकि गला और फेफड़े नम बने रहें और सेहत ठीक रहे।

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Keep the intimate area fresh and healthy

Intimate Area बॉडी का सबसे संवेदनशील पार्ट होता है। जिस तरह आप अपनी स्किन और बालों का केयर करती हैं, ठीक उसी प्रकार थोड़ा वक्त वेजाइना और एनस की देखभाल में भी देना चाहिए। अक्सर लोग नहाते हुए अपने इंटिमेट एरिया को साफ करते हैं, उसके बाद पूरे दिन इस पर कोई ध्यान नहीं देते हैं। इसलिए कई दफा यह अनकंफर्ट की वजह बन जाता है। इंटिमेट एरिया मतलब कि वेजाइना और एनस को डेली हजार तरह के कीटाणुओं का सामना करना पड़ता है।

इंटिमेट एरिया का ख्याल रखने से इरिटेशन, गीलापन और किसी तरह के संक्रमण से आप दूर रहेंगी, अन्यथा आप सामान्य डेली रूटीन की गतिविधियों को करने में सक्षम महसूस नहीं करेंगी। अनक्लीन इंटिमेट एरिया आपके मूड को इरिटेट कर देती है। ऐसी परिशानियों से बचने को लेकर अपनी इंटिमेट एरिया को फ्रेश रखना आवश्यक है।

गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट की एक सीनियर डायरेक्टर ने इंटिमेट एरिया को फ्रेश रखने के कुछ प्रभावी टिप्स सुझाएं हैं। आइये जानते हैं, फ्रेश और हेल्दी इंटिमेट एरिया मेंटेन करने के कुछ टिप्स-

जानें इंटिमेट एरिया में तरोताजा बनाए रखने के कुछ टिप्स

Keep the intimate area fresh and healthy

1. वेजाइना को दिन में 2-3 बार क्लीन करें

आमतौर पर महिलाएं सुबह नहाने के वक्त एक बार वेजाइना को क्लीन करती हैं, उसके बाद उन्हें अपनी इंटिमेट एरिया का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रहता। यह एक गलत प्रैक्टिस है, दिन में कम से कम 2 से 3 बार अपनी वेजाइना को क्लीन करें। इसके लिए आपको हल्के गुनगुने पानी से अपनी वेजाइना को क्लीन करना है, और टिश्यू या सॉफ्ट टॉवेल से उसे अच्छी तरह से ड्राई कर लें। इस तरह आपको अंदर से तरोताजा महसूस करने में मदद मिलेगी।

2. यूरिन पास करने बाद वेजाइना को रखें ड्राई

टॉयलेट इस्तेमाल करने के बाद सीधे पैंटी पहन लेने से वेजाइना में चिपचिपापन महसूस हो सकता है, साथ ही बार बार ऐसा करने से खुजली महसूस हो सकती है। इन परेशानियों को अवॉइड करने के लिए यूरिन पास करने के बाद टिशू पेपर से अपनी वेजाइना को ड्राई कर लें। आप चाहें तो पानी से क्लीन करने के बाद इसे ड्राई करें।

3. पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं

पूरे दिन में पर्याप्त मात्रा में पानी पीने का प्रयास करें, विशेष रूप से तब जब आपको प्यास का अनुभव हो रहा हो। जब बॉडी हाइड्रेशन मेंटेन रहता है, तो वेजाइना भी तरोताजा रहती है। डिहाइड्रेशन आपकी वेजाइना को चिपचिपा और स्मेली बना सकता है। यदि मुमकिन हो तो दिन में एक बार डिटॉक्स वॉटर जरूर पिएं, इससे आपका पाचन क्रिया संतुलित रहता है और आप अधिक फ्रेश महसूस करती हैं।

4. सही तरीके से करें वाइप

Keep the intimate area fresh and healthy

स्टूल पास करने के बाद अपने एनस को टिशू की मदद से आगे से पीछे की ओर क्लीन करें। अगर आप पीछे से क्लीन करते हुए आगे की ओर आती हैं, तो इससे आपकी योनी में बैक्टीरिया का ग्रोथ बढ़ जाता है और आप संक्रमित हो सकती हैं।

5. दिन में एक बार जरूर क्लीन करें एनस

आजकल बहुत से लोग ऐसे हैं, जो स्टूल पास करने के बाद, टिशू पेपर या केवल पानी से अपने एनस को क्लीन करते हैं। पर सभी को नहाने के बाद पूरे दिन में कम से कम एक बार स्टूल पास करने के बाद अपने एनस को पानी से अच्छी तरह क्लीन करने के बाद उसे टिशू पेपर से पूरी तरह ट्राई करना चाहिए। इस प्रकार संक्रमण और खुजली का खतरा कम हो जाता है।

6. बीच-बीच में वॉक करती रहें

आप ऑफिस जाती हैं या घर पर रहती हैं, लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठी न रहे। एक से डेढ़ घंटे के अंतराल पर उठे और अपने पैरों को थोड़ा स्ट्रेच करें, ताकि वेजाइना को सांस लेने की जगह मिल सके। क्योंकि एक जगह पर पर दबाकर बैठे रहने से वेजाइना अनकंफरटेबल हो जाती है और हवा ट्रैप हो जाता है। जिसकी वजह से पसीना आता है और आपको अनकंफरटेबल महसूस हो सकता है।

7. कॉटन की पैंटी और हल्के कपड़े पहने

अपनी इंटिमेट एरिया को तरोताजा रखने के लिए हमेशा कॉटन की पैंटी और ढीले ढाले कपड़े पहनें, जिससे कि एनस और वेजाइनल एरिया में हवा पास होती रहे। यदि आपके कपड़े आपकी बॉडी से चिपके रहते हैं, तो अधिक पसीना आता है और वे उन्हीं एरिया में ट्रैप हो जाता है। जिसकी कारण इचिंग और अनकंफरटेबल महसूस हो सकता है। वहीं कई बार वेजाइना काफी चिपचिपी हो जाती है।

8. रात को पैंटी उतार कर सोएं

रात को पैंटी उतार कर सोने से आपकी वेजाइना रिलैक्स हो जाती है। पूरे दिन आपके इंटिमेट एरिया कपड़ों से ढके रहते हैं, इसलिए इन्हें सांस लेने की आजादी देना बहुत जरूरी है। पैंटी उतार कर सोने से सुबह उठने के बाद आपकी वेजाइना एकदम तरोजाताजा रहती है।

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