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Category Archives: Lifestyle

If there is pain in the breast just before periods

पीरियड्स (Periods) के ठीक पहले स्तन में दर्द और असहजता महसूस हो रही है तो कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा। लड़कियों और महिलाओं को पीरियड्स के पहले शरीर में यह दिक्कतें शुरू होती हैं। फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट की वजह, संकेतों और लक्षणों को जानने से आपको अपने हालात को सही ढंग से प्रबंधित करने में सहायता मिल सकती है।

If there is pain in the breast just before periods

यह समझना जरूरी है कि फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट कोई बीमारी या एक तरह का स्तन कैंसर नहीं है। यह एक नॉन कैंसरस स्थिति है। यह स्थिति है जो इसका अनुभव करने वाली हर महिला में अलग-अलग तरह से लक्षण दिखती है। हालांकि, सामान्य तौर पर यह महिला के पीरियड्स साइकल के नैचुरल के कारण शरीर में होने वाले हार्मोनल चेंजेज के कारण होता है। चूंकि पूरे साइकल में हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव होता है, इससे ब्रेस्ट में सूजन और कोमलता हो सकती है और साथ ही गांठ या सिस्ट भी होने लगते हैं।

Breast Feeding

फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं पर आमतौर पर एक या दोनों ब्रेस्ट में दर्द या कोमलता शामिल होती है। खासकर आपके मासिक धर्म से ठीक पहले स्तन भारी या सूजे हुए महसूस हो सकते हैं और छूने पर या ब्रा पहनने पर भी उनमें कठोरता महसूस हो सकती है। वे गांठदार भी हो सकते हैं या उनमें छोटे सिस्ट भी हो सकते हैं। जो बारीकी से देखने पर दिखाई दे सकते हैं। कुछ मसलों में जब आप गांठें छूते हैं तो वे आपकी स्किन के नीचे घूम सकती हैं।

फ़ाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट का सटीक वजह का अब तक पता नहीं चला है लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह महिला के शरीर में हार्मोनल चेंजेज से संबंधित है। हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन को यौवन, गर्भावस्था या पेरिमेनोपॉज़ जैसे हार्मोनल उतार-चढ़ाव की अवधि के दौरान स्तनों में सिस्ट के विकास को ट्रिगर करने के लिए जाना जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे- तनाव, ज्यादा कैफीन पीना और धूम्रपान शामिल हैं।

If there is pain in the breast just before periods

अगर आपको लगता है कि आपको फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट हो गया है तो आपको इनके लक्षणों और चिंताओं के बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात करना चाहिए। किसी गांठ या सिस्ट के साथ-साथ अन्य स्तन से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं की जांच के लिए एक ट्रेनिंग कर सकते हैं।

फ़ाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट खतरनाक या लाइफ थ्रेटिंग के लिए खतरा नहीं है, यह असुविधाजनक लक्षण पैदा कर सकता है जो रोजमर्रा की जिंदगी में हस्तक्षेप कर सकता है। आपके चिकित्सक लक्षणों को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव जैसे तनाव के स्तर को कम करने या कैफीन की मात्रा कम करने की पैरवी करते हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

आपसी रिश्तों की गहराई को परखने के लिए Intimacy का अहम रोल होता हैै। इंटिमेसी का मतलब सिर्फ फिजिकल इंटिमेसी ही नहीं है, बल्कि यह अलग भी हो सकती है। अब जब समय और समाज बदल रहा है, तब महिलाएं और पुरुष दोनों ही रिश्ते में जुड़ाव के अलग-अलग वजह को भी समझने लगे हैं।

रिलेशन को समझने और परखने के लिए और दूसरे को समझने के लिए एक-दूसरे के साथ जुड़ना बहुत जरूरी होता है। इंटिमेसी एक ऐसी जरूरत है जो किसी भी रिलेशन को और मजबूत बना सकती है। असल मे इंटिमेसी ही एक-दूसरे की चाहत, इच्छाओं, जरूरतों को ज्यादा बेहतर तरीके से समझने में मदद करती है।

डॉक्टरों का कहना है कि इंटिमेसी किसी भी रिश्ते का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह दो लोगों के बीच गहरे, भावनात्मक संबंध को दर्शाता है। यह शारीरिक निकटता से परे है और इसमें बंधन और विश्वास के अलग-अलग आयाम शामिल हैं।

8 तरह की इंटिमेसी हो सकती है किसी भी रिश्ते की मजबूती और लंबे चलने की वजह

1.इमोशनल इंटिमेसी

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डॉक्टरों के मुताबिक इस तरह की इंटिमेसी में एक-दूसरे की भावनाओं, विचारों और कमजोरियों को साझा करना और समझना शामिल है। बिना किसी फैसले के भावनाओं को व्यक्त करने के लिए खुले संचार, सहानुभूति और एक सुरझित स्थान की आवश्यकता होती है।

2. फिजिकल इंटिमेसी

फिजिकल इंटिमेसी में पार्टनर में शारीरिक नजदीकियां और निकटता शामिल है। इसमें गले लगाना, हाथ पकड़ना, किस और सैक्सुअल इंटिमेसी जैसी गतिविधियां शामिल है।

3. बौद्धिक इंटिमेसी

बौद्धिक इंटिमेसी विचारों, आइडिया और बौद्धिक उत्तेजना के आदान-प्रदान पर निर्मित होती है। इसमें गहन बातचीत में शामिल होना, हितों पर चर्चा करना और एक-दूसरे की बौद्धिक गतिविधियों का सम्मान करना निहित है।

4. आध्यात्मिक इंटिमेसी

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आध्यात्मिक इंटिमेसी (Spiritual Intimacy) का संबंध आध्यात्मिक या दार्शनिक स्तर पर जुड़ने से है। इसमें विश्वास, वैल्यू और मकसद की भावना को शेयर करना शामिल है। इस तरह की अंतरंगता को साझा आध्यात्मिक प्रथाओं, ध्यान या आध्यात्मिकता के बारे में सार्थक चर्चाओं में शामिल होने के माध्यम से पोषित किया जा सकता है।

5. मनोरंजक इंटिमेसी

मनोरंजन इंटिमेसी में गतिविधियों और शौक को एक साथ शामिल करना शामिल है। इसमें साझा फिलिंग्स भी निहित है। जैसे- खेल खेलना, साहसिक यात्रा पर जाना, फिल्में देखना या सामान्य रुचियों को अपनाना। आनंददायक गतिविधियों में शामिल होने से संबंध मजबूत हो सकते हैं और साझा यादें बन सकती हैं। फिजिकल टच इंसानों के बीच भावनात्मक संबंध को मजबूत कर सकता है।

6. रचनात्मक इंटिमेसी 

रचनात्मक इंटिमेसी में एक-दूसरे की रचनात्मकता को व्यक्त करना और उसकी सराहना करना शामिल है। यह एक साथ कलात्मक प्रयासों में शामिल होने के माध्यम से हो सकता है, जैसे- पेंटिंग, लेखन, खाना बनाना या संगीत बनाना। एक-दूसरे की रचनात्मक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करना और समर्थन करना बंधन को मजबूत कर सकता है।

7. विश्वास की इंटिमेसी 

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डॉक्टरों के मुताबिक विश्वास की इंटिमेसी आपसी विश्वास, ईमानदारी और विश्वसनीयता पर बनी होती है। इसमें एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील होना, वादे निभाना और गोपनीयता बनाए रखना शामिल है। विश्वास भावनात्मक सुरक्षा के लिए आधार प्रदान करता है और जुड़ाव की गहरी भावना को बढ़ावा देता है।

8. अनुभवात्मक इंटिमेसी 

अनुभवात्मक इंटिमेसी जीवन के खास अनुभवों और माइलस्टोन को शेयर करने के बारे में है। इसमे अहम घटनाओं के दौरान एक-दूसरे के लिए उपस्थित रहना, चुनौतियों के माध्यम से एक-दूसरे का समर्थन करना और उपलब्धियों का एक साथ जश्न मनाना निहित है। लाइफ के उतार-चढ़ाव को शेयर करने से भावनात्मक संबंध गहरा हो सकता है।

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आप सभी जानते हैं कि किसी के साथ रिलेशन में आना काफी आसान होता है पर उस रिश्ते को जिंदगी भर शिद्दत से निभाना बहुत ही मुश्किल होता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि पुराने जमाने के लोगों में रिश्ते को लेकर गंभीरता होती थी। वह अपने रिलेशन को बचाने के लिए हर जरूरी प्रयास करते थे।

हैरानी और दुख की बात यह है कि आजकल इंसानों के लिए रिलेशन भी किसी खेल से कम नहीं है। बल्कि दुनिया में सब ऐसे नहीं हैं। लेकिन कई कपल्स ऐसे हैं जो आज भी ऐसे रिश्ते में जी रहे हैं, जहां उनका पार्टनर उन्हें मानसिक तौर पर खूब हानि पहुंचा रहा है। पर इसके बावजूद वह उस रिश्ते को निभाने का पूरा प्रयास में जुटे हैं।

नए जमाने की बात करूं तो ऐसे रिश्तों को ‘Toxic Relationship’ के नाम से जाना जाता है। इस लेख में आप जानेंगे कि क्या साइन हैं कि जिससे आप जान सकते हैं कि आपका रिश्ता टॉक्सिक है।

टॉक्सिक रिलेशनशिप के साइन (Toxic Relationship Signs)

1. हमेशा बुराई करना

आपका पार्टनर लगातार आपको नीचा दिखाता है, आपकी उपस्थिति, क्षमताओं या निर्णयों की आलोचना करता है और आपके आत्मसम्मान को लगातार कम करने की कोशिश करता है।

2. कंट्रोल और चालाकी करना

आपका पार्टनर आपके कामों को कंट्रोल करने की कोशिश करता है, आपको दोस्तों और परिवार से अलग करते है। आपको क्या पसंद है वह भी वही तय करता है या फिर आप पर हद से ज्यादा हक बनाए रखने के लिए गिल्ट-ट्रिपिंग जैसी चालाकियों को आपके साथ करता है।

3. विश्वास न करना

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आपका पार्टनर कम विश्वास करने लगता है। जलन और रोजाना नए आरोप लगता है। बिना बताए आपका पार्टनर आपका फोन, ईमेल और बाकी सोशल मीडिया हैंडेल चेक करता हो। उसे आपके हर अगले कदम पर एक शक बना रहता है।

4. इमोशनल और फिजिकल एब्यूज

रिलेशनशिप में मार-पिटाई होना यह बिल्कुल साफ करता है कि आप एक टॉक्सिक रिश्ते में है लेकिन, इमोशनल एब्यूज भी यह दिखाता है कि रिश्ता खत्म होने का कगार पर पहुंच चुका है। इसमें पार्टनर को लगातार नीचा दिखाना, अपमान करना, धमकी देना, ऐसे बर्ताव जिससे आपको दुख पहुंचता हो।

5. दूसरों संग बर्ताव

इस बात पर ध्यान दें कि आपका साथी दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करता है, जैसे कि दोस्त, परिवार या उसके साथ काम करने वाले। यदि वे लगातार दूसरों को नीचा दिखाते हैं, उनका अनादर करते हैं या उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं। तो यह संकेत हैं कि उनका बर्ताव टॉक्सिक है।

6. छोटी छोटी बातों पर झगड़ा

गुस्से में पत्नी

अगर आपका पार्टनर हर किसी बात को लेकर लड़ाई करता है। छोटी सी छोटी बात को बहुत बड़ा बना देता। तो इससे यह साबित होता है कि वह न तो खुद खुश रह सकता है और न वो आपको रख सकता है।

7. गलत इमेज बनाना

अगर आपका पार्टनर अपने परिवार और दोस्तों के बीच आपकी गलत इमेज बनाता है। साथ ही यह दिखाता है कि आपको न तो रिश्ते की कदर है न उसकी। तो आपको इस बारे में जरूर सोचना चाहिए।

8. फैसले की घड़ी

इन तमाम बिंदुओं में कही बातें अगर आपके और आपके पार्टनर से मिलती-जुलती हैं तो आपको या तो आराम से रिश्ते में सुधार को लेकर बात करनी चाहिए है या फिर सब कुछ भूलकर जिंदगी में आगे बढ़ जाएं।

फोटो सौजन्य- गूगल

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Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य ने भी अपनी नीतामाला में वैवाहिक जीवन को खुशहालl बनाने के लिए बहुत कुछ लिखा है। कई बार ऐसा होता है कि महिलाएं अपने पति से संतुष्ट नहीं होती हैं और पति को इस बात की भनक भी नहीं होती।

चाणक्य नीति के बारे में आज हर कोई जानता है। चाणक्य को महान ऐसे ही नहीं कहा गया है। उनकी कही बातें आज भी लोग अपने जीवन में उतारते हैं। ऐसे करने वाले हमेशा सुखमय जीवन व्यतीत करते हैं। सुखी जीवन के लिए आचार्य चाणक्य नीति की बातें बेहद जरूरी हैं। आज भागमभाग में हम कई ऐसी बाते भूल जाते हैं जो बेहद जरूरी होती हैं और उनके बिना हम अपनों को न चाहते हुए भी ठेस पहुंचा देते हैं।

ऐसे में चाणक्य नीति को फॉलो करना जरूरी हो जाता है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में शादीशुदा जीवन को सुखमय बनाने के लिए भी कई बातें लिखी हैं। कई बार ऐसा होता है कि औरतें अपने पति से संतुष्ट नहीं होती और पति को इस बारे में पता नहीं चल पाता। आइये बताते हैं पत्नियां जब असंतुष्ट होती हैं तो उनका क्या इशारा होता है-

चाणक्य नीति में महिलाओं के ऐसे इशारों के बारे में बताया गया है जो वे असंतुष्ट होने पर करती हैं। इन इशारों को भांप कर कोई भी पति अपनी पत्नी को संतुष्ट कर सकता है। पत्नी की नाराजगी को दूर करने के लिए चाणक्य नीति की इन बातों का जरूर ध्यान देना चाहिए।

बात ज्यादा ना करना

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पत्नियों को बातूनी भी कहा जाता है जब पत्नी बहुत खुश होती है तो अपने पति बहुत ज्यादा बात करती है कभी तो पति को कहना पड़ता है कि बस करो कितना बोल रही हो। अगर आपकी पत्नी भी बहुत बातें करती है और अचानक शांत हो जाए तो समझ जाइये कि वह असंतुष्ट है।

यानी आपकी किसी बात से वह नाराज है। कम बात करना पत्नियों के असंतुष्टि बारे में इशारा करता है। ये संकेत मिलते ही आप अपनी पत्नी से बात करिये और जानिये कि वह किस बात से परेशान है। ऐसा करने से वह बात आप से शेयर करेगी और फिर पहले की तरह हो जाएगी।

पति को कभी नाराज नहीं करना चाहती पत्नियां

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यह सब जानते हैं कि पत्नियों के लिए पति कितनी अहमियत रखते हैं। पत्नी अपने पति को कभी नाराज नहीं करना चाहती. ऐसे में अगर पत्नी आपसे झुंझलाने लगे यानी बात पर झगड़ा करे और गुस्सा करे तो समझ जाइये कि वो किसी न किसी बात को लेकर असंतुष्ट है। इस इशारे को ध्यान में रखकर आपका अगला कदम पत्नी को खुश करने के लिए होना चाहिए।

बस अपने बारे में सोचना

पत्नियों के बारे में कहा गया है कि वे अपने पति के हर जरूरत का ख्याल रखती हैं। अगर आपकी पत्नी अचानक आपसे दूरी बना ले या आपको लगे कि वो सिर्फ अपने बारे में सोच रही है और आपका ख्याल नहीं रख रही है तो आपको समझ लेना चाहिए कि वह किस न किसी बात से असंतुष्ट है।

हो सकता है कि वह आपकी किसी बात से नाराज हो, आपको इसे ध्यान में रखते हुए पत्नी से तसल्ली से बात करनी चाहिए। उसकी समस्या को समझकर उसकी परेशानी को दूर करना चाहिए। ऐसा करने आपकी पत्नी को संतुष्टि मिलेगी और वह फिर पहले की तरह आपसे करीब हो जायेगी।

जन्म के बाद से ही शिशु के विकास का चरण शुरू हो जाता है। वह धीरे-धीरे खुद से क्रॉल करने से लेकर, बैठना, चलना, ताली बजाना और बोलना सीखने लगता है। बच्चे के विकासात्मक का यह तरण हर पेरेंट्स के लिए काफी आनंद भरा भी होता है।

शिशु किस उम्र में बोलना शुरू करते है?

आमतौर पर बच्चे 4 महीने की उम्र में तुतला कर बोलना शुरू कर देते हैं। आमातौर पर वे अपने आस-पास सुनाई देनी वाली आवाजों की नकल कर सकते हैं और इस दौरान वे इसे अपनी तोतली भाषा में पा..पा या फिर मम्मा बोलने का प्रयास भी करते हैं। वहीं, एक्सपर्ट के मुताबिक बच्चे में गर्भ से ही भाषा का संचार होने लगता है, इसलिए मां को गर्भावस्था के दौरान से ही शिशु से बात करनी चाहिए। ऐसा भी माना जाता है कि बच्चे को किसी शब्द को बोलना शुरू करने से पहले उसे कम से कम 100 बार सुनने की जरूरत होती है।

कब और कैसे बोलना सिखते है छोटे बच्चे

खासकर छोटे बच्चे 12 से 18 महीने की उम्र के बीच अपना पहला शब्द बोलना शुरू कर देते हैं। रिसर्च से यह पता चलता है कि बच्चों में जन्म से लेकर 05 साल तक भाषा सीखने का गुण विकसित होता रहता है।

यहां हम जानेंगे कि किस उम्र में बच्चे क्या बोलते हैं-

जन्म का शुरुआती तीन माह: इस उम्र में शिशु परिचित आवाज की ओर देखता है और तेज आवाज से डर जाता है। वह माता-पिता के साथ ही अपने आस-पास रहने वाले लोगों की आवाज भी पहचानने लगता है।

3 से 6 माह : इस दौरान बच्चा सुनी हुई आवाज पर उत्साह दिखाता है। ध्यान आकर्षित करने के लिए आवाज निकालना, खेल के दौरान हंसना और बड़बड़ाना जैसी आदतों का विकास शुरू हो जाता है।

6 से 12 महीना : इस उम्र में बच्चा अलग-अलग आवाज, जैसे-फोन का रिंग, दरवाजे की घंटी जैसी आवाजें पहचानने लगता है। साथ ही पापा, मामा, नो-नो, दादा-बाबा जैसे आसान शब्दों का इस्तेमाल भी करना शुरू कर देता है।

12 से 15 महीने : इस उम्र के बच्चे अक्सर संगीत की तरफ अधिक ध्यान दे सकते हैं। सॉफ्ट म्युजिक व लोरी की तरफ उनका ध्यान अधिक आकर्षित हो सकता है।

15 से 18 महीने : इस उम्र में बच्चा छोटी-छोटी बातों के प्रति इशारों को आसानी से समधना शुरू कर सकता है। उदाहरण के लिए, पास आने, सोने, चुप होने, बैठने या जूते पहने जैसे निर्देशों को वह आसानी से समझ सकता है और उन्हें बोलने की नकल भी कर सकता है।

18 महीने से 2 वर्ष : इस उम्र में बच्चे लगभग अधितकर निर्देशों को समझना शुरू कर देते हैं। वह 2 से 3 शब्दों को एक साथ बोलना भी शुरू कर सकता है।

2 से 3 साल : बच्चे इस उम्र में सुनने और बात करने का कौशल विकसित कर लेते हैं। चित्र के साथ कहानियों को समझने लगते हैं। इस दौरान 4 से 5 शब्दों को जोड़कर बोल सकते हैं। बच्चा बातचीत भी शुरू कर सकता है।

3 से 4 साल : इस दौरान बच्चा 6 शब्दों के वाक्य का उपयोग भी कर सकता है।

4 से 5 : इस उम्र तक के बच्चे आसानी से अपने घर में बोली जानी वाली भाषा का उपयोग करना सीख चुके होते हैं। साथ ही उन्हें किसी अन्य भाषा की ट्रेनिंग देना भी इस उम्र से शुरू किया जा सकता है।

ऐसे सिखाएं छोटे बच्चे को बात करना-

Talking kid

छोटे बच्चे को बात करना सिखाने के कई तरीके हैं। अगर उन तरीकों का सही से इस्तेमाल किया जाए, तो बच्चा आसानी से साफ-साफ बोलना शुरू कर सकता है। यहां हम ऐसे ही कुछ टिप्स दे रहे हैं, तो आपके बच्चे को बोलना सिखाने में मदद करेंगे।

बच्चे से इशारों में बात करना – पेरेंट्स अपने शिशु से इशारों में बात करना शुरू कर सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर पेरेंट्स चाहते हैं कि बच्चा खुद से भूख को बता सके, तो इसके लिए उसे दूख पिलाते समय या भोजन कराते समय उसे बताएं कि क्या वह इसी को मांग रहा है। इससे बच्चा यह समझ सकता है कि भूख लगने पर उसे किसी तरफ इशारा करना या उसे किस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करना है।

लोरी सुनाना- बच्चे को सुलाते समय उसे लोरी सुना सकती हैं। लोरी सुनने से बच्चा आसानी से भाषा सीखने के लिए प्रेरित हो सकता है। अगर वह बार-बार एक ही लोरी सुनेगा, तो वह भी उसे बोलने की नकल शुरू कर सकता है, इससे वह जल्द ही बोलना आरंभ कर सकता है।

कहानी सुनाना – पेरेंट्स बच्चों के कहानी सुनाने के जरिए भी बोलना सिखा सकते हैं। इसके लिए वे बच्चे को चित्रों के जरिए कोई कहानी सुना सकते हैं और उसी कहानी को दिन में 2 से 3 बार रिपीट भी कर सकते हैं।

बच्चे को प्रोत्साहित करना – शिशु के साथ खेलते हुए जब भी किसी भाषा का प्रयोग करें, तो उसे तीन से चार बार दोहराएं। ऐसा करने से बच्चे को वह शब्द बोलने के लिए प्रोत्साहन मिल सकता है।

बच्चे को बता कर कार्य करें- मिसाल के तौर पर अगर बच्चे को नहला रही हैं या उसे खाना खिला रही हैं, तो उसे इस बारे में बताएं। ऐसा करने से बच्चा नई-नई बातों के बारे में सीखेगा और उनके बारे में जानेगा।

बच्चे की नकल करें- अगर बच्चा अपनी तोतली आवाज में कुछ बोलता है, तो पेरेंट्स भी उसकी नकल कर सकते हैं। इससे बच्चे को खुशी मिलेगी और वह फिर से उसी आवाज को दोहराने की कोशिश कर सकता है।

जब शिशु बोलना सीख रहा है, उस समय इन बातों का ख्याल बहुत जरूरी होता है।

Apart from PHYSICAL RELATION

Sex संबधों में सक्रियता न होना intimacy की कमी को दर्शाता हैं। सेक्स लाइफ को मज़ेदार बनाने के लिए दोनों लोगों का प्रयासरत होना ज़रूरी है। जानते हैं, वो टिप्स जो सेक्सुअल लाइफ को हेल्दी बनाकर रखती हैं।

छोटे छोटे लम्हों में भी खुशी की तलाश कर लेना रिश्ते में खुशहाली को बढ़ा देता है। शुरूआत में हर कपल के बीच सेक्सुअल रिलेशनशिप एक स्पार्क से आरंभ होता है लेकिन बदलते हालात और जिम्मेदारियां हमारे लाइफ में से खुशी और सेक्स ड्राइव को कम करने लगती है। सेक्स लाइफ को हैप्पी और हेल्दी बनाने के लिए दोनों लोगों का प्रयासरत होना ज़रूरी है। लिबिडो बूस्टिंग (Libido boosting) के लिए यूं तो कई प्रोडक्टस और सप्लीमेंटस मौजूद हैं। मगर अलावा इसके कुछ ऐसी बातों का जानना ज़रूरी है, जो हमारी सेक्स लाइफ को खुशहाल बनाने में मददगार होती है।

NCBI के एक रिसर्च में पाया गया है कि यौन संबधों का प्रभाव हमारी सेहत पर भी दिखने लगता है। वे महिलाएं, जो सेक्सुअल रिलेशनशिप (Sexual relationship) में खुशी का अनुभव नहीं करती है। वे हाइपरटेंशन का शिकार हो जाती हैं। दूसरी ओर पुरूष तनाव और एंगजाइटी से ग्रस्त रहते हैं। रिसर्च में पाया गया है कि ओवरऑल लाइफ की क्वालिटी को निखारने के लिए सेक्स बेहद ज़रूरी है।

Sex life

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक सेक्सुअल हेल्थ और यौन संबधों के लिए पॉजिटिव और रिस्पेक्टफुल अप्रोच की आवश्यकता होती है। अलावा इसके जबरदस्ती, भेदभाव और हिंसा से मुक्त हेल्दी रिलेशन बिल्ड करना चाहिए। सेक्सुअल हेल्थ मेंटेन करने के लिए सभी लोगों को सेक्सुअल राइटस की रिस्पेक्ट, संरक्षण और पूर्ति की जानी चाहिए।

जानते हैं, वो खास आदतें, जो सेक्सुअल लाइफ को हेल्दी बना सकती हैं।

1. सेक्स परफार्मेंस से ज्यादा साथ पर फोकस करना

बहुत से हैप्पी कपल्स सेक्स के दौरान सिर्फ सैटिसफेक्शन पर ध्यान नहीं देते हैं। एक दूसरे का साथ ही उनके लिए काफी होता है। उनका फोकस एक दूसरे के साथ वक्त बिताना होता है। हांलाकि सेक्स में ऑर्गेज्म को पीक तक ले जाना बेहद ज़रूरी है। हर बार इस मानसिक दबाव में सेक्स करने से आप सेक्सुअल लाइफ को एंजॉय नहीं कर पाते हैं। हैप्पी कपल्स सेक्स परफार्मेंस से ज्यादा उस समय का आनंद उठाने पर ध्यान देते हैं। इससे उनका रिश्ता मजबूत और हेल्दी होने लगता है।

इसे ट्राई करे:
2. पार्टनर को गंभीरता से लेना

जब आप अपने साथी को सेक्स के दौरान और सेक्स के बाद समय देते हैं, तो एक दूसरे में अंडरस्टैंडिंग बढ़ने लगती है। दरअसल, एक दूसरे के प्रति आर्कषण खत्म होने के बाद अधिकतर कंपल्स असंतुष्ट नज़र आने लगते हैं। उन्हें एक दूसरे की पसंद नापसंद का अब ख्याल नहीं रहता है। दूसरी ओर वो कपल्स जो एक दूसरे को प्यार करने के अलावा अच्छे दोस्त भी है, वो फीलीग्स का खास ख्याल रखते हैं। फोर प्ले से लेकर आफ्टर प्ले तक हर बात का ख्याल रखने के अलावा यौन संबधों के दौरान रोमांस भी बरकरार रहता है।

3. सेक्स लाइफ को समय देना

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बहुत से कपल्स शादी के कुछ सालों बाद सेक्स लाइफ को लेकर सीरियस नहीं रहते हैं। उनकी सेक्सुअल लाइफ धीरे धीरे बोरिंग होने लगती है और एक समय के बाद उस पर विराम लग जाता है। इससे दोनों लोगों का जीवन तनावपूर्ण और थकान भरा होने लगता है। दिनों दिन मन मुटाव और झगड़े बढ़ने लगते हैं। कुछ कपल जो शादी के सालों बाद भी खुशहाल नज़र आते हैं, वे अपनी सेक्सुअल लाइफ को पूर्ण रूप से मेंटेन रखते हैं। वे दूसरे के लिए वक्त निकालते हैं। हांलाकि, वो कामेच्छा से ज्यादा तनाव से दूर रहने के लिए सेक्स को प्रायोरिटी देने लगते हैं।

4. बोझ नहीं है सेक्स

वे लोग जो शादी के सालों बाद सेक्स के चार्म को एंजॉय नहीं कर पाते हैं। उनके लिए यौन संबध सिर्फ एक टास्क के समान होता है। वे अब उसमें खुशी नहीं तलाश पाते हैं। इसका प्रभाव उनके रिश्ते पर दिखने लगता है। धीरे धीरे वो सेक्स को बोझ मानने लगते है। अपने रिश्ते में खुशहाली को बनाए रखन के लिए सेक्स को महज़ एक काम न समझें। उस समय के दौरान खुशी को तलाशें और पार्टनर को भी खुश रखने का प्रयास करें। इस बात को जान लें कि एक दूसरे को खुश रखने से आपके संबध मज़बूत होंगे।

5. बातों की चाशनी

पार्टनर से वार्तालाप करना हेल्दी रिलेशन मेंटेन करने के लिए बेहद ज़रूरी है। एक दूसरे से बातचीत करके आप अपनी समस्याओं को सुलझा सकते हैं। साथ ही सेक्सुअल लाइफ में आने वाने अप्स एंड डाउंस को आसानी से मिलकर हल कर सकते हैं। संवाद बहुत सारी समस्याओं का समाधान हो सकता है। सेक्स को साइलेंट अफेयर बनाने की बजाए एक-दूसरे के साथ संवाद बनाएं।

Happy Mothers डे: मां, जब छोटी थी ना मां ,तब समझ नहीं पाई कि तुम मेरी परवरिश में अपने आप को भूले बैठी हो। मेरे लिए तुम रात भर जाग जाती थी, मुझे खिलाने के चक्कर में ना जाने तुम खुद कितनी बार बिना खाए सो जाती थी।

बहुत हसीन दौर था वो, जब मैं तुम्हारे लिए और तुम सिर्फ मेरे लिए होती थी। एक अलग ही दुनिया थी वो,  जिंदगी की हकीकतों से परे एक सपनों की दुनिया जैसी। उस दौर में मुझे कभी किसी चीज से डर नहीं लगा, क्योंकि जानती थी कि तुम हो मेरे साथ मुझे खरोच भी नहीं आने दोगी। मुझे कभी नहीं समझ आया कि मुझे क्या पसंद है और क्या नापसंद , बस यह पता था कि मुझसे बेहतर तुम मुझे जानती हो तो मुझे सिर्फ वही दोगी जो मेरे लिए अच्छा है।

समय हमेशा एक जैसा क्यों नहीं रह सकता मां , पता है तुम्हारी उंगली पकड़ते ही मैं शेरनी बन जाती थी,  लगता था जैसे अब मेरा मुकाबला कोई नहीं कर सकता 7वें आसमान पर होती थी।

उस दौर में हर दिन अपने आप में बहुत अलग था । दुनिया सिर्फ इतनी ही थी जिसमें मैं और तुम होते थे। तुमने अपने प्यार के साथ साथ मुझे जिंदगी की तल्ख हकीकतों का आइना भी दिखाना चाहा, पर उस समय सुनकर भी अनसुना कर देती थी मैं, पता नहीं क्यों हमेशा यह लगता था कि मां मुझे यह सब क्यों सिखाना चाहती है यहीं तो हूं मैं, मां के पास और जब मां सब संभाल लेती हैं, तो आगे भी संभाल लेगी।

Mother's Day

ना जानती थी कि कुछ रातों के सवेरे थोड़ी जल्दी हो जाते हैं।

ना जानती थी कि तुमसे एक पल दूर रहना मुमकिन न था लेकिन अब इस आजमाइश से भी गुजरना पड़ेगा ।

पता है अब मुझे बहुत डर लगता है जब अकेले कदम बढ़ाती हूं, तो लगता है कि अगर लड़खड़ा गई तो मां नहीं होगी मेरी उंगली पकड़ने को।  अब बहुत ध्यान से तवे  के पास जाती हूं मां,  क्योंकि पता है अगर हाथ जला तो मां वो ठंडी फुंके मारने के लिए नहीं होगी । तुम्हारे बिना तो आइसक्रीम खाते वक्त भी इस ठंडक का अहसास नहीं होता, जो तुम्हारे मेरे सिर पर हाथ रखने से होता था।

कभी कभी सोचती थी कि मां इतना संतोष, इतना धैर्य कहा से लाती है कि वो कभी भी कोई फर्माइश नहीं करती, न जाने कितने ही त्यौहार एक ही साड़ी में बीता दिए। कभी उन चीजों को खाने की इच्छा ज़ाहिर नहीं करती को उन्हें अच्छी लगती है। लेकिन मां, मुझे अब जाकर समझ आया है की तुम मेरी फरमाइशो के तले दबी हुई थी, इसलिए कभी अपने बारे में नहीं सोचा।

मुझे त्यौहार पर कपड़े दिलाने के चक्कर में खुद नई साड़ी को दरकिनार कर दिया।

कुछ चीज़ें वक्त रहते क्यों समझ नहीं आती मां।

मैं नहीं जानती कि मैं एक अच्छी बेटी बन पाई या नहीं, लेकिन तुम्हें ये जानकर खुशी होगी कि अब अगर मैं अपने आप को तुम्हारी वाली परिस्थितियों से घिरा पाती हूं, तो ठीक वैसे ही उनसे दो चार होती हूं, जैसे तुम होती थी।

जो सबक मुझे किताबों में नहीं सिखाए, वो तुमने हंसते खेलते सीखा दिए मां।

शुकिया मां, मुझे इस दुनिया में लाने के लिए।

शुकिया मां, मुझे जिंदगी की तल्ख़ हकीकतों से निपटने को लेकर सबक सिखाने के लिए।

शकिया मां, मुझे इस काबिल बनाने के लिए कि मैं समझ पाऊं कि मां और भगवान में कोई फर्क नही है।

हैप्पी मदर’स डे मां, लव यू सो मच।
भगवान तुम्हें मेरी उम्र भी लगा दे।

Relationship

ऑफिस (Office) में सहकर्मियों के साथ आपका रिश्ता सहज और दोस्तों जैसा बन जाता है। भले ही पर्सनल लाइफ और प्रोफेशनल लाइफ को अलग रखा जाए, लेकिन दफ्तर के कुछ सहकर्मी निजी जीवन का भी हिस्सा बनने लगते हैं। ऑफिस में सहकर्मियों के साथ अधिक समय व्यय करने के कारण उनके बीच कुछ लगाव या आकर्षण होना संभव है। हालांकि, दफ्तर की कुछ मर्यादाएं होती हैं, ऐसे में अपनी पसंद को जाहिर करना थोड़ा कठिन हो जाता है। सहकर्मी इशारों में अपने दिल की बात आपको बताने की कोशिश कर सकता है, हालांकि साथी उनके इशारों को समझ नहीं पाते। ऐसे में सहकर्मी के दिल में छुपी भावनाओं को बेहतर तरीके से समझने के लिए कुछ संकेतों पर ध्यान दें। इन इशारों से जानें कि सहकर्मी आपको पसंद करता है।

हर छोटी डिटेल्स को रखे याद

दफ्तर में साथ काम करने वाला साथी अगर आपकी छोटी-छोटी डिटेल्स या कही गई बातों को याद रखता है तो समझना चाहिए कि उनके जीवन में वह आपको बहुत अहमियत देते हैं। बातों ही बातों में आपने अपनी किसी पसंद या नापसंद का जिक्र किया हो और उन्हें ये बात याद रहे तो समझ जाएं कि वह आपके लिए खास महसूस करते हैं।

आपके जीवन में Interest

सहकर्मी अगर आपको पसंद करता है, तो वह आपके जीवन और परिवार के बारे में दिलचस्पी लेने लगते हैं। खासकर सहकर्मी को आपकी लव लाइफ के बारे में जानना चाहते हैं। उन्हें ये जानने की उत्सुकता रहती है कि आप अकेले हैं या रिलेशनशिप में।

चाहते हैं कि आप उन्हें नोटिस करें

Study on Relationship

अगर सहकर्मी आपके लिए कुछ खास महसूस करता है तो वह आपके साथ वक्त बिताने का मौका तलाशता है। ग्रुप में लंच पर या कहीं बाहर जाने पर ही साथी सहकर्मी आपके आसपास ही रहना चाहते हैं। वह आपके साथ अकेले समय बिताना पसंद करते हैं और चाहते हैं कि आप उन्हें नोटिस करें।

हेल्प के लिए हमेशा रहें तैयार रहना

किसी परेशानी के वक्त दोस्त हमेशा मदद के लिए आगे आ जाते हैं लेकिन जब दफ्तर में कोई सहकर्मी हमेशा ही आपकी मदद के लिए तैयार रहे और साथ ही अपने कार्य क्षेत्र से बाहर आकर वह आपका फेवर करे तो समझ जाएं कि उनके दिल में आपके लिए खास जगह है। वह अन्य साथियों से पहले आपकी मदद करना चाहते हैं। वह आपके काम, या अन्य बातों की तारीफ करने से भी नहीं चूकते हैं।

नई दिल्ली: रमजान का पवित्र महीना पूरा होने के बाद आज देशभर में हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया ईद(Eid-Ul-Fitra) का त्योहार। आज सुबह लोगों ने ईदगाहों और बड़ी मस्जिदों में ईद की नमाज अदा की। ईद-उल-फित्र के मौके पर देशभर में मस्जिदों में नमाज अदा करने वालों की भारी भीड़ उमड़ी। दिल्ली की ऐतिहासिक शाहजहानी जामा मस्जिद में बड़ी संख्या में मुसलमानों ने ईद की नमाज अदा कर एक-दूसरे को गले लगाकर मुबारकबाद और बधाई दी।

मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार है ईद

ईद-उल-फित्र का पर्व रमजान महीने के आखिरी दिन मनाया जाता है। ईद का पर्व अल्लाह के जरिए मुसलमानों को दिए गए उपहार के तौर पर मनाया जाता है। इसे मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के 10वें महीने शव्वाल के पहले दिन इसे मनाया जाता है। ईद के त्योहार के साथ ही रोजे और इबादत का महीना समाप्त हो जाता है। ईद खुशी बांटने और एक-दूसरे की परवाह करने के साथ-साथ ही भाईचारे की भावना से एक साथ मनाने का भी पर्व है। ईद की नमाज अदा करने से पहले मुसलमान गरीबों को फितरा अदा करते हैं, ताकि वह भी ईद की खुशियों में बराबर से शरीक हो सकें।

राष्ट्रपति ने दी देशवासियों को बधाई

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ईद-उल-फित्र के अवसर पर सभी देशवासियों को बधाई दी। राष्ट्रपति ने अपने ट्वीट में लिखा कि प्रेम और करुणा का पर्व ईद हमें दूसरों की मदद करने का संदेश देता है। हमें इस मुबारक मौके पर समाज में भाईचारा और आपसी सौहार्द को बढ़ाने की राह पर आगे बढ़ने का संकल्प लेना चाहिए।

पीएम मोदी ने की अच्छे स्वास्थ्य की कामना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईद-उल-फित्र के मौके पर देश को बधाई दी और लोगों के स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना की। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा, “ईद-उल-फितर की बधाई। हमारे समाज में सद्भाव और करुणा की भावना को आगे बढ़ाया जाए। मैं सभी के बेहतर स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना करता हूं। ईद मुबारक!”

गार्ड ऑफ चेंज समारोह का नहीं होगा आयोजन

ईद के कारण 22 अप्रैल को राष्ट्रपति भवन में चेंज ऑफ गार्ड समारोह नहीं होगा। यह है सैन्य परंपरा है, जो राष्ट्रपति भवन में हर सप्ताह आयोजित की जाती है। राष्ट्रपति ऑफिस ने कहा कि ईद के कारण राजपत्रित अवकाश के कारण इस शनिवार (22 अप्रैल, 2023) राष्ट्रपति भवन में चेंज ऑफ गार्ड समारोह आयोजित नहीं किया जाएगा।

Good Friday is not celebrated for happiness but as the sacrifice of Jesus

शुक्रवार यानी 07 अप्रैल को गुड फ्राइडे (Good Friday) मनाया जाएगा। हम जानते हैं कि भारत में सभी पर्व-त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं। पर गुड फ्राइडे एक ऐसा पर्व है जिसे प्रभु यीशु के बलिदान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसलिए इसे ब्लैक फ्राइडे भी कहा जाता है और इस दिन लोग प्रभु यीशु के पवित्र बलिदान की याद में शोक जताते हैं।

गुड फ्राइडे के दिन ही प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था। इसलिए लोग इस दिन को शोक दिवस के रूप में मनाते हैं। यही वजह है कि आम दिनों की तरह गुड फ्राइडे पर चर्च में घंटी ना बजाकर लकड़ी के खटखटे बजाए जाते हैं तथा क्रॉस चुनकर प्रभु यीशु को याद करते हैं।

ब्लैक फ्राइडे, ग्रेट फ्राइडे और Holy Friday नामों से जाना जाता है

मालूम हो कि गुड फ्राइडे को ब्लैक फ्राइडे, ग्रेट फ्राइडे और Holy Friday जैसे नामों से भी पुकारा जाता है। यहूदी शासकों ने यीशु को कई शारीरिक और मानसिक यातनाएं दीं। कहा जाता है कि जिस दिन प्रभु यीशु को लकड़ी से क्रॉस बने हुए सूली पर लटकाया गया था उस दिन शुक्रवार था। सूली पर लटकाए जाने और यातनाएं देने के बावजूद भी यीशु ने अपने आखिरी लफ्जों में कहा- ‘हे ईश्वर इन्हें क्षमा करें, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं। हे फादर! मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों में सौंपता हूं।’ मुत्यु के पहले भी यीशु के मुख से आखिरी बार क्षमा और भलाई भरे संदेश ही निकले थे।

जानें सूली पर आखिर क्यों चढ़ाया गया?

Jesus Christ

ईसाई धर्म के पवित्र ग्रंथ बाइबल के मुताबिक प्रभु यीशु ने मानव जाति के कल्याण के लिए प्रेम, ज्ञान और अंहिसा का संदेश देते थे। ऐसे में जीजस क्राइस्ट यानी ईसा मसीह के प्रति लोगों का लगाव बढ़ता जा रहा था। यीशु की बढ़ती लोकप्रियता से यहूदियों को परेशानी होने लगी और उन्हें ऐसा लगाने लगा कि यीशु की लोकप्रियता की वजह से कहीं उनकी बनी बनाई सत्ता उनसे न छिन जाए। इसलिए यहूदियों ने यीशु को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया और इसके बाद उन्हे सूली पर चढ़ा दिया गया। मानव जाति के भलाई के लिए यीशु ने अपने जीवन का बलिदान दे दिया।

ये है गुड फ्राइडे का महत्व

गुड फ्राइडे से पहले ईसाई धर्म के लोग पूरे 40 दिनों तक उपवास रखते हैं। वहीं, कुछ लोग सिर्फ गुड फ्राइडे के दिन ही उपवास रखते हैं। इसे ही लेंट कहा जाता है। गुड फ्राइडे के दिन चर्च को रौशन किया जाता है और खास प्रार्थना होती है। इस दिन लोग काले रंग के लिबास पहनकर चर्च जाते हैं, शोक जताते हैं और यीशु से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। गुड फ्राइडे के बाद आने वाले रविवार के दिन ईस्टर पर्व मनाया जाता है।