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Category Archives: Health

If you don't want to invite diseases then stop using sodium immediately

Sodium: शरीर को हेल्दी रखने के लिए संतुलित आहार का होना अहम है। इसके लिए सभी न्यूट्रिएंट्स का होना जरूरी है। किसी भी एक न्यूट्रिएंट की कमी या ज्यादा कई तरह के स्वास्थ्य प्रोब्लम्स को आमंत्रित करता है। ऐसा ही एक पोषक तत्व सोडियम है। सोडियम का इजाफा कई बीमारियों की वजह बन सकती है। यह हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का कारण भी बन सकता है। इसलिए हमें इसके इस्तेमाल पर पूरा ध्यान देन की जरूरत है।

कितना सोडियम हेल्द के लिए ठीक है, डॉक्टर से यह सलाह आवश्य लें-

  • 14 साल और उससे अधिक उम्र के व्यक्ति : प्रतिदिन 2,300 मिलीग्राम से ज़्यादा नहीं
  • 9 से 13 साल की आयु के बच्चे:                     प्रतिदिन 1,800 मिलीग्राम से ज़्यादा नहीं
  • 4 से 8 साल की आयु के बच्चे:                      प्रतिदिन 1,500 मिलीग्राम से ज़्यादा नहीं
  • 1 से 3 साल की आयु के बच्चे:                       प्रतिदिन 1,200 मिलीग्राम से ज़्यादा नहीं

जानें भोजन में सोडियम को कम करने के तरीके

If you don't want to invite diseases then stop using sodium immediately

1. कम सोडियम वाले भोजन

हम जो सोडियम खाते हैं, उसका ज़्यादातर हिस्सा हमारे नमक के डिब्बे से नहीं आता। सोडियम लगभग सभी प्रोसेस्ड और तैयार खाद्य पदार्थों में होता है, जिन्हें हम खरीदते हैं। यहां तक कि ऐसे खाद्य पदार्थ भी, जिनका स्वाद नमकीन नहीं होता, उनमें भी सोडियम मौजूद होता है। जैसे ब्रेड या टॉर्टिला।
जब आप खरीदारी कर रही हैं, तो इन खाद्य पदार्थों को सीमित करें। जिनमें सोडियम की मात्रा ज़्यादा होती है, उन्हें एवॉइड करें। प्रोसेस्ड मीट, सॉसेज, पेपरोनी, सॉस, ड्रेसिंग, इंस्टेंट फ्लेवर्ड फ़ूड, जैसे फ्लेवर्ड चावल और नूडल्स खरीदना कम कर कर दें। उनके स्थान पर लो सोडियम वाले खाद्य पदार्थों की तलाश करें।

2. लेबल की जांच करें

खाद्य पदार्थों में सोडियम की मात्रा की जांच करने और विभिन्न विकल्पों की तुलना करने के लिए न्यूट्रिशन फैक्ट लेबल का उपयोग करें।”कम सोडियम” या “नमक नहीं मिलाया गया” लेबल वाले खाद्य पदार्थों की तलाश करें।

ध्यान रखें कि कुछ सोडियम वाले खाद्य पदार्थों पर ये लेबल भी नहीं होते हैं। इसलिए सुनिश्चित करने के लिए न्यूट्रिशन फैक्ट लेबल की जांच करनी होगी। सोडियम की जांच करने के लिए पोषण तथ्य लेबल का उपयोग करना सीखें।

3. हेल्दी विकल्प चुनें

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अधिक सोडियम वाले खाद्य पदार्थों को स्वस्थ विकल्पों से बदलें। नमकीन प्रेट्ज़ेल या चिप्स की बजाय बिना नमक वाले नट्स खाएं।
डेली मीट या सॉसेज खरीदने की बजाय ताज़ा चिकन, लीन मीट या सी फ़ूड पकाने का प्रयास करें। ताज़ी सब्जियां, सॉस के बिना फ्रोजेन सब्जी या कम सोडियम वाली डिब्बाबंद सब्जियां खाएं।

4. घर का खाना ज़्यादा खाएं

अपना भोजन खुद बनाना सोडियम कम खाने का एक बढ़िया तरीका है। आप अपने भोजन में क्या डालती हैं, इस पर आपका नियंत्रण होता है। खाना बनाते वक्त कुछ बातों को ध्यान में रख सकती हैं।

अगर कैन फ़ूड का उपयोग करती हैं, तो खाने या पकाने से पहले उन्हें धो लें। इससे नमक की कुछ मात्रा निकल जाएगी। ऐसे मसाले और स्प्रेड चुनें, जो बिना नमक वाले हों या जिनमें सोडियम कम हो। अगर आप नियमित स्प्रेड का उपयोग करती हैं, तो कम इस्तेमाल करें। अपने भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए नमक की जगह अदरक या लहसुन जैसी अलग-अलग हर्ब और मसाले काम में लाएं।

5. बाहर खाने पर लो सोडियम फूड का चुनाव

अगर किसी रेस्तरां में खाना खाने आई हैं, तो पूछें कि मेनू में कोई कम सोडियम वाला व्यंजन है या नहीं। जब आप ऑर्डर करें, तो उनसे बोले कि वे आपके खाने में नमक ना डालें। ड्रेसिंग और सॉस अलग से लें ताकि आप ज़रूरत के हिसाब से ही नमक डालें।

6. आहार में अधिक पोटैशियम शामिल करें

हाई सोडियम वाले खाद्य पदार्थों की जगह हाई पोटेशियम वाले खाद्य पदार्थ लें। पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थ खाने से ब्लड प्रेशर कम करने में मदद मिल सकती है।

पोटैशियम के अच्छे स्रोतों में शामिल हैं-

आलू
खरबूजा
केला
बीन्स
दूध
दही

फोटो सौजन्य- गूगल

Fertility Rate: If you want to plan a baby

Fertility Rate (फर्टिलिटी रेट) में कमी आना कई वजहों से आ सकती है। कुछ माइक्रो न्यूट्रिएंट फर्टिलिटी रेट बढ़ा सकते हैं। ऐसे कई खाद्य पदार्थ हैं जो माइक्रो न्यूट्रिएंट से भरपूर होने के साथ-साथ फर्टिलिटी रेट में भी इजाफा कर सकते हैं।

आखिर आजकल क्यों ज्यादा हो रही है इमफर्टिलिटी

Fertility Rate: If you want to plan a baby

लोगों में बदलती जीवनशैली, स्मोकिंग और नशा का सेवन, मोटापा, अनियमित पीरियड्स, लो सपर्म काउंट जैसे कई कारण इमफर्टिलिटी के लिए जिम्मेदार हैं। कुछ माइक्रोन्यूट्रिएंट फर्टिलिटी रेट बढ़ा सकते हैं। ऐसे कई खाद्य पदार्थ हैं, जो माइक्रो न्यूट्रिएंट से भरपूर होते हैं और फर्टिलिटी रेट भी बढ़ा सकते हैं।

एग क्वालिटी बढ़ाता है फोलेट

फोलेट को विटामिन B-9 के रूप में भी जाना जाता है। यह शरीर को रेड ब्लड सेल्स बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फोलेट लेवल अंडे की गुणवत्ता, परिपक्वता, निषेचन और प्रत्यारोपण के लिए अहम है। फोलेट की कमी गर्भधारण की क्षमता को प्रभावित कर सकती है। फोलेट स्वाभाविक रूप से बीन्स, नट और सीड्स, अंडे, ताजा पत्तेदार साग, चुकंदर, संतरे, नींबू और अंगूर जैसे खट्टे फल, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, ब्रोकोली, केल और एवोकाडो जैसे खाद्य पदार्थों में भी पाया जाता है।

ओव्यूलेशन में अहम भूमिका निभाता है जिंक

जिंक ओव्यूलेशन और पीरियड में महत्वपूर्ण रोल अदा करता है। यह स्पर्म क्वालिटी और स्पर्म मोबिलिटी में सुधार करने में मदद करता है। यह सूजन बढ़ाने वाले एजेंटों के खिलाफ कार्य करता है। हार्मोनबैलेंसर के रूप में जिंक टेस्टोस्टेरोन और प्रोजेस्टेरोन को संतुलित करता है। यह महिला और पुरुष दोनों के यौन स्वास्थ्य को मजबूती देता है। रेड मीट जिंक का एक बढ़िया सोर्स है। कद्दू के बीज, हैम्प सीड्स, तिल के बीज और अलसी के बीज में भारी मात्रा में जिंक पाया जाता है। डेयरी प्रोडक्ट्स, सब्जियां, नट्स, डार्क चॉकलेट भी इसके स्रोत हैं।

फीटस डेवलपमेंट में मदद करता है Vit- A

पर्याप्त विटामिन- A का स्तर अंडे की गुणवत्ता और भ्रूण के विकास में मदद करता है। यह स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखने, विकास और प्रजनन स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। इसकी कमीसे फर्टिलाइज़ेशन नहीं हो पाता है और फीटस में विकृति आ सकती है। अच्छे स्रोत प्रदान करने वाले खाद्य पदार्थों में बीफ़ लिवर, कॉड लिवर आयल, शकरकंद, गाजर और कई अन्य फल और सब्जियां शामिल हैं।

ल्यूटियल फेज के लिए सेलेनियम

Fertility Rate: If you want to plan a baby

फर्टिलिटी के लिए सेलेनियम एक एसेंशियल ट्रेस मिनरल है, जिसका उपयोग प्रोटीन बनाने के लिए किया जाता है। यह एक एंटीऑक्सीडेंट भी है, जो प्रजनन क्षमता में भूमिका निभा सकता है। सेलेनियम ल्यूटियल फेज में अहम भूमिका निभाता है। ल्यूटियल फेज की कमी से अपर्याप्त प्रोजेस्टेरोन सीक्रेशन और लो एंडोमेट्रियम हो सकता है। जिन खाद्य पदार्थों में सेलेनियम होता है, उनमें ब्राजील नट्स, सी फूड्स, पोल्ट्री, ब्राउन राइस और होल व्हीट ब्रेड भी शामिल हैं।

प्रजनन क्षमता बढ़ा सकता है Vit- D

विटामिन-D रिसेप्टर्स पूरे प्रजनन टीशू में वितरित होते हैं। प्रजनन क्षमता में विटामिन-D की अहम भूमिका होती है। विटामिन-D ट्रीटमेंट से टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ सकता है। इससे फर्टिलिटी रेट भी बढ़ सकती है। सूर्य की किरण के अलावा, विटामिन-D गाय के दूध, सोया मिल्क, संतरे के रस में भी पाया जाता है।

फोटो सौजन्य- गूगल

Prepare yourself before becoming a mother

Pregnancy: अगर आप प्रेग्रेंट हैं और बार-बार उल्टियां आ रही है? आपके वजन में भी कमी आ रही है? हो सकता है कि आप मॉर्निंग सिकनेस की शिकार हैं। अब आपके दिमाग में यह सवाल लाज़मी है कि आपको तो यह समस्या दिन के किसी भी पहर में हो जाती है। तो क्या ऐसा होना मुमकिन है। यह समस्या किसी भी वक्त आपकी परेशानी का सबब बन सकती है।यहां सवाल है पैदा होता है कि भला यह समस्या होती कब है? इसे लेकर डॉक्टर का कहना है कि प्रेग्रेनेंसी के दौरान एक महिला के बॉडी में हार्मोन का बदलाव या असंतुलन होना आम बात है।

खासतौर पर एस्ट्रोजन हार्मोन का बढ़ना, जिसका नतीजा हो सकती है मॉर्निंग सिकनेस। यह समस्या 16 से 20 हफ्तों में खत्म हो जाती है। अध्ययन बताते हैं कि लगभग 75 फीसदी गर्भवती महिलाएं इससे जूझती हैं। यह समस्या तनाव, अधिक काम करने, कुछ खाद्य पदार्थो को खाने आदि के कारण भी हो सकती है। यह समस्या इनके अलावा ब्लड शुगर के कम स्तर के कारण भी हो सकती है। थायरॉइड और लिवर से जुड़ी बीमारियां भी इसका कारण बन सकती हैं। लिहाजा, बेहतर होगा कि आप अपनी इस समस्या का कारण जानें और उसके हिसाब से इससे निपटने की रणनीति तय करें। जरुरत होने पर मेडिकल परामर्श लें।

क्या है लक्ष्ण

सबसे पहले तो यह समझ लेना होगा कि आखिर है क्या मॉर्निंग सिकनेस? दिन में कई बार उल्टी होना, शरीर में पानी की कमी होना (जिसका अंदाजा पेशाब के रंग से लगता है), खड़े होने पर चक्कर आना, वजन कम होना, किसी तरह की खास महक, खाने-पीने की चीजों के स्वाद के प्रति संवेदनशील हो जाना और उसके कारण उल्टी होना, बुखार, बार-बार सिर दर्द, धड़कन का तेज होना आदि मॉर्निंग सिकनेस के लक्षण हैं।

इन बातों का रखें ध्यान

If you are troubled by vomiting during pregnancy then don't panic

कुछ बातों का ख्याल रखकर मॉर्निंग सिकनेस को काफी हद तक नियंत्रित रखा जा सकता है। इस बाबत आहार सलाहाकार के मुताबिक रात के खाने और सुबह के नाश्ते के बीच का अंतराल लंबा हो जाता है। ऐसे में यह समस्या और बढ़ सकती है। लिहाजा, इस बात का ख्याल रखें। इसके लिए आपको अपने रात के खाने को देर से करने की जरूरत नहीं है बल्कि आप उसे जितना जल्दी और हल्का लेंगी, उतना ही अच्छा होगा। मुमकिन हो तो सोने के कुछ देर पहले दूध को अपनी खुराक में जगह दें। उसमें आप पिसे हुए मेवे भी मिला सकती हैं। सुबह उठते ही काम में जुटने से बचें।

डॉक्टर के अनुसार समस्या के दौरान खुद को समझें यानी आपको किन चीजों से परेशानी हो रही है, उस पर जरूर गौर करें। साथ ही इस सोच से दूर रहे कि आपको दो लोगों के हिस्से की खुराक लेनी है। अपने पोषण में बढ़ोतरी करें खुराक में नहीं। ज्यादा खाना भी शरीर में भारीपन और थकान का कारण बन सकता है। नीबू पानी का सेवन करें। नारियल पानी पोटैशियम का अच्छा स्रोत है। इसे भी खुराक में शामिल करें। एकमुश्त खाने की जगह आपको 2-2 घंटे के अंतराल में कम-कम मात्रा में कुछ-न-कुछ खाना चाहिए। ये छोटे-छोटे ब्रेक न सिर्फ आपको जलन से बचाएंगे बल्कि गैस से भी निजात मिलेगी।

भारी खाने के बाद 30 मिनट तक बलबलगम चबाना आपके पाचन को सुधारने में सहायक रहता है। इससे लार ग्रंथियां उत्तेजित होती हैं और लार अधिक बनती है, जो कि पेट के एसिड कम करने का काम करता है। अदरक का सेवन करें। यह शुगर स्तर को भी नियंत्रित रखेगी। अदरक सुबह की थकान से भी निजात देती है। हल्दी जलन कम करने में तो कारगर है ही, साथ ही यह दर्द कम करती है। यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करती है। वहीं, कालीमिर्च में यह क्रोमियम सर्वोत्तम श्रोत है। यह ब्लड शुगर को ठीक रखती है। इसे रोज 30 एमसीजी खाना चाहिए। इलाइची खाने से आपका जी नहीं मिचलाएगा।

कब होती है समस्या?

आमतौर पर महिलाओं का मॉर्निंग सिकनेस की यह समस्या गर्भावस्था के दौरान हो सकती है। अलावा इसके यह समय शरीर में ब्लड शुगर के स्तर में कमी आने पर भी होती है। थायरॉइड और लिवर से जुड़ी बीमारियां भी मॉर्निंग सिकनेस की वजह बन सकती हैं। समस्या होने पर अपने डॉक्टर से राय जरूर लें।

फोटो सौजन्य- गूगल

can have a negative effect on your health

Magnesium: पूरे शरीर के लिए पोषक तत्व बेहद जरूरी होता है। ये पोषक तत्व विटामिन, मिनरल के रूप में मौजूद होते हैं। मिनरल के रूप में मैग्नीशियम हेल्थ के लिए अहम है। ये हमारे शरीर में दिल-दिमाग और दूसरे अंगों के लिए जरूरी होते हैं। अगर इसकी कमी हो जाती है तो कई तरह के स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ सकता है, साथ-साथ शरीर में इसकी मात्रा का इजाफा सही नहीं होता। इसलिए सही मात्रा में मैग्नीशियम का इस्तेमाल सबसे ज्यादा आवश्यक है।

सबसे पहले जाने मैग्नीशियम के बारे में-

जानकारी की कमी के कारण हम मैग्नीशियम के महत्व को समझ नहीं पाते हैं। 07 एसेंशियल मिनरल में से एक है मैग्नीशियम। यह शरीर के फंक्शन में मदद करता है और बेहतर हेल्थ बनाए रखने में अहम रोल निभाता है। मैग्नीशियम की कमी से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। मैग्नीशियम 300 से ज्यादा एंजाइम की एक्चिविटी में मौजूद होता है। यह हमारे शरीर में बायोलॉजिकल केमिकल एंजाइम्स को संतुलित करने में सहायता करता है।

यहां हैं मैग्नीशियम से पहुंचने वाले फायदे

1. दिल और दिमाग के लिए फायदेमंद

WHO warning: Long working hours increase the risk of heart disease and heart attack

हर्ट मसल्स सहित मैग्नीशियम नर्व और मसल्स फंक्शन को रेगुलेट करने में मदद करता है। मैग्नीशियम हृदय को स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है। यह ब्लड प्रेशर को रेगुलेट करने और कोलेस्ट्रॉल प्रोडक्शन में शामिल होता है।

2. बोन हेल्थ के लिए है खास

स्केलेटल फंक्शन के लिए मैग्नीशियम जरूरी है। यह बोन स्ट्रक्चर (bone structure) और उम्र बढ़ने के साथ बोन डेंसिटी बनाये रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

3. ब्लड शुगर बैलेंस करने में मदद

यह एसिड और प्रोटीन के पाचन को बनाए रखता है और ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद करता है।

4. अच्छी नींद में मददगार

good sleep

मैग्नीशियम कुछ न्यूरोट्रांसमीटर की गहराई तक जाकर आरामदेह नींद लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह नर्वस सिस्टम को शांत करता है और ब्रेन को आरामदायक स्थिति में लाने में मदद करता है।

5. स्ट्रेस का प्रबंधन

शरीर मेंस्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल लेवल को कम करने में मदद करता है जिससे कि स्ट्रेस लेवल मेंटेन रहता है।

शरीर को कितनी चाहिए मैग्नीशियम-

शरीर में मैग्नीशियम का उत्पादन नहीं होता है। इसलिए इसे बाहरी तत्वों से मिलना चाहिए। यह या तो खाये जाने वाले भोजन से मिलना चाहिए या सप्लीमेंट से।

  • 19-51 वर्ष की महिलाओं के लिए- 310-320 एलपीजी प्रति दिन
  • 19-51 वर्ष की आयु पुरुषों के लिए – 400-420 एलपीजी प्रति दिन
  • गर्भवती महिलाओं के लिए – 350-360 एलपीजी प्रति दिन
  • 51 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को अपने लिंग के अनुसार हाई सीमा का लक्ष्य रखना चाहिए

मैग्नीशियम लेवल के लिए खाद्य पदार्थ

ऐसे कई खाद्य पदार्थ हैं, जिनहीं भोजन में शामिल करने से ज्यादा मैग्नीशियम लेवल पाया जा सकता है। सबसे अधिक मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थ में शामिल हैं:

ब्राज़ील नट्स – 250 मिली ग्राम आधा कप साबुत
पालक – 157 मिली ग्राम
कद्दू के बीज – 150 मिली ग्राम
ब्लैक बीन्स – 120 मिली ग्राम
बादाम – 80 मिली ग्राम
काजू – 72 मिली ग्राम

डार्क चॉकलेट – 64 मिली ग्राम
एवोकाडो – 58 मिली ग्राम
टोफू – 53 मिली ग्राम
सैल्मन – 53 मिली ग्राम
केला – 37 मिली ग्राम
रास्पबेरी/ब्लैकबेरी – 28 मिली ग्राम

ज्यादा मैग्नीशियम लेना है नुकसानदायक

बहुत ज्यादा मैग्नीशियम मतली, दस्त, उल्टी और पेट में ऐंठन की वजह बन सकता है। गंभीर मामलों में यह सांस लेने में परेशानी, तेज़ या अनियमित दिल की धड़कन, ट्रॉमा और कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकता है। याद रखना जरूरी है कि ना सिर्फ मैग्नीशियम की कमी, बल्कि मैग्नीशियम की अधिक मात्रा भी शरीर के लिए हानिकारक है।

फोटो सौजन्य- गूगल

4 fitness exercises in your routine to burn armpit fat

Armpit Fat: गर्मी के मौसम में ज्यादातर लोग स्लीवलेस लिबास पहनना पसंद करते हैं लेकिन आर्मपिट पर नजर आने वाला फैट उनकी समस्या की वजह बनने लगता है। शरीर में जमा होने वाले कैलोरीज बाहों और आर्मपिट पर जमा फैट्स का कारण होते हैं। इससे राहत पाने के लिए लोग कई तरह की हाई इंटैंसिटी एक्सरसाइज करने लगते हैं। जानिए आर्मपिट फैट से जुड़ी समस्या के निदान के लिए कुछ जरूरी 4 एक्सरसाइज के बारे में-

इस बारे में जिम सर्टिफाइड फिटनेस ट्रेनर बताते हैं कि आर्मपिट में उम्र के साथ बढ़ने वाले फैटस और स्टिफनेस को दूर करने के लिए एक्सरसाइज़ बहुत ज़रूरी है। उम्र के साथ आर्मपिट के नज़दीक की स्किन लटकने लगती है। इस समस्या को दूर करने के लिए दिनभर में जब भी समय मिले तो आर्म सर्कल और बाहों की स्ट्रेचिंग समेत कुछ आसान एक्सरसाइज़ से बाजूओं और बगल में बढ़ने वाले फैट्स को बर्न करने में काफी मदद मिलती है। साथ ही चेस्ट और कंधों के मसल्स को भी मज़बूती मिलती है।

जानें आर्मपिट फैट बर्न करने के लिए एक्सरसाइज़

आर्म सर्कल एक्सरसाइज

4 fitness exercises in your routine to burn armpit fat

बाहों पर जमी चर्बी को दूर करने के लिए एक्सरसाइज़ बेहद फायदेमंद है। इससे बाहों की मांसपेशियों को मज़बूती मिलती है और बाहों में बढ़ने वाला दर्द भी कम होने लगता है।

जानें कैसे करें-

इसके लिए बैड पर बैठ जाएं और दोनों टांगों को जमीन पर टिका लें। अब अपनी दोनों बाजूओं को कोहनी से मोड़ लें और बाजूओं को आगे से पीछे की ओर लेकर जाएं और राउंड शेप में घुमाएं। आर्म सर्कल को तीन सेट में 15 से 20 बार करें।

माउनटेन क्लाइंबर्स एक्सरसाइज

4 fitness exercises in your routine to burn armpit fat

बदन की मांसपेशियों को मज़बूती प्रदान करने के लिए एक्सरसाइज़ बेहद आवश्यक है। इससे पेट की चर्बी के अलावा बाजूओं पर जमा फैट्स से भी मुक्ति मिल जाती है। नियमित तौर पर माउनटेन क्लाइंबर्स का एक्सरसाइज बाजूओं को मज़बूत बनाता है।

जानें कैसे करें-

इस एक्सरसाइज़ को करने के लिए मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं और दोनों बाजूओं को जमीन पर टिका लें। अब शरीर को ऊपर की ओर उठाएं और पैरों को सीधा कर लें। पैरों और बाजूओं के मध्य शोल्डर्स से अधिक दूरी बनाकर रखें। अब दाईं टांग को आगे करें और बाएं घुटने को मोड़ते हुए चेस्ट के पास लेकर आएं। फिर बाई टांग से भी आसन दोहराएं।

ऐसे करें पुश अप्स

कंधों और बाहों में बढ़ने वाली स्टिफनेस को दूर करने के लिए पुश अप्स बेहद फायदेमंद साबित होते हैं। इससे बाजूओं के दर्द से राहत मिलती है और अतिरिक्त चर्बी की समस्या भी दूर होने लगती है। इसके अनियमित अभ्यास से शरीर के पोश्चर में सुधार आने लगता है। रोज़ाना पुश अप्स एक्सरसाइज करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन नियमित बना रहता है।

जानें कैसे करें-

पेट के बल मैट पर लेट जाएं। अब दोनों हाथों को मज़बूती से जमीन पर टिका लें। इसके बाद पैरों को सीधा कर लें और दोनों बाजूओं को कंधे की चौड़ाई से ज्यादा फैलाएं। इससे पुश अप्स करने में आसानी होती है। पुश अप्स को दो सेट में 15 से 20 बार दिन में तीन बार दोहराएं। इससे बाजूओं और गर्दन पर बढ़ने वाली हंप की समस्या से राहत मिल जाती है।

जंपिग जैक्स एक्सरसाइज

शरीर की मांसपेशियों में बढ़ने वाली ऐंठन को दूर करने के लिए जंपिग जैक्स बेहद कारगर एक्सरसाइज़ है। इसे करने से कंधों, बाहों और टांगों में बढ़ने वाले फैट्स को बर्न करने में मदद मिलती है। शरीर स्वस्थ रहता है और स्टेमिना बूस्ट होने लगता है।

जानें कैसे करें-

जंपिग जैक्स के लिए दोनों पैरों के मध्य गैप मेंटेप कर लें और एकदम सीधे खड़े हो जाएं। अब टांगों और बाजूओं को खोलें और फिर एक साथ ले आएं। इस दौरान सांस पर ध्यान अवश्य केंद्रित करें। 02 से 03 सेट्स में 15 बार जंपिग जैक्स को दोहराने से वेटलॉस में मदद मिलती है।

फोटो सौजन्य- गूगल

Because not everyone is big hearted.

Women’s Health: महिलाओं की जिंदगी में उम्र का हर दौर एक नया बदलाव के साथ आता है जो उन्हें मानसिक रूप से प्रभावित करता है। शारीरिक रूप से भी कई बदलाव देखने को मिलते हैं। देखा जाए तो बचपन से किशोरावस्था की ओर बढ़ रही बच्ची बहुत कुछ फिजिकली बदलाव बर्दाश्त करती हैं। उसी तरह जब शरीर 35 की उम्र पार करता है तब भी बहुत से चेंजेज दिखाई देने लगते हैं। ये चेंजेज उन्हें मानसिक तो प्रभावित करते ही हैं उनकी शादीशुदा जीवन पर भी असर पड़ता है। अगर इस उम्र की देहलीज को पार आपको भी लगता है कि आप कुछ बदल रही हैं तो उसकी वजह कुछ और नहीं आपकी उम्र ही है। बताते चलें कि किस किस तरह से ये उम्र चेंजेज लेकर आता है।

35 की उम्र के बाद होने वाले बदलाव

पेल्विक स्वास्थ्य पर पड़ता है असर

आपकी उम्र 35 पार और 40 के नजदीक पहुंचते पहुंचते मैरेज लाइफ पर कुछ असर दिखने लगता है क्योंकि इस समय तक फिजिकल रिलेशन बनाने की इच्छा पहले जैसी नहीं रह जाती। प्राइवेट पार्ट में भी बहुत से चेंजेज दिखने लगते हैं। सबसे पहला चेंजेज यौन इच्छा में कमी आना ही होता है। अलावा इसके वजाइना में ज्यादा ड्राइनेस और कई बार खुजली भी होने लगती है। वजाइना के अपीयरेंस में भी बदलाव आने लगता है। मेनोपॉज के दौरान अलग-अलग अनुभव होते हैं। कुछ महिलाओं को ड्राईनेस तो कुछ को इन्फ्लेमेशन की शिकायत हो सकती है। बता दें कि इस उम्र में यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन (UTI) जैसी प्रॉब्लम भीबढ़ सकती है।

अन्य शारीरिक बदलाव

These foods play an important role in controlling hormones

अलावा इसके ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना। स्किन पहले से ज्यादा ड्राई रहना, ऑस्टियोपोरोसिस, बालों के टेक्सचर में अंतर और रिंकल आने लगते हैं। और भी बहुत से हार्मोनल चेंजेज भी होते हैं।

मानसिक बदलाव की समस्या

शारीरिक रूप से ना सिर्फ बल्कि मानसिक रूप से भी कई तरह के चैंजेज का सामना करना पड़ता है। कई महिलाएं इस उम्र में डिप्रेशन के करीब पहुंच जाती हैं। कई महिलाओं में एंग्जाइटी बढ़ जाती है। सबसे अधिक रात में नींद उचटने लगती है और साथ में इनसोमनिया की शिकायत बढ़ जाती है।

Paleo Diet: Makes your diet nutritious

Paleo Diet: आजकल कई स्वादिष्ट डाइट हैं जिसे लोग फॉलो करते हैं, जैसे कि कीटो डाइट, वीगन डाइट, इंटरमिटेंट फास्टिंग और मेडिटेरियन डाइट आदि। अधिकतर लोग वजन कम या बढ़ाने के लिए नए-नए किस्म की डाइट टेस्ट करते हैं, जिनमें कुछ डाइट तो ऐसी भी हैं जो वेट कंट्रोल करने के साथ आपको हार्ट अटैक और डायबिटीज से बचाती हैं। इन्हीं में एक डाइट है पैलियो डाइट। चलिए जानते हैं इस डाइट के पैटर्न और लोग क्यों करते हैं इसे फॉलो।

जानें Paleo Diet के बारे में-

कुछ अस्पतालों के डॉक्टर्स के मुताबिक पैलियो डाइट हमारे आहार के प्राचीन तरीके पर आधारित है। इसलिए यह कई खाद्य पदार्थों को प्रतिबंधित करता है। जैसे अनाज, दालें, डेयरी और एक्सट्रा चीनी, जो मॉडर्न डाइट में बेहद कॉमन हैं। इस डाइट का असल फायदा आपके ब्लड शुगर लेवल और ब्लड के लिपिड स्तर को कंट्रोल करने में नजर देता है।

यह खास डाइट आज के समय की नहीं है, बल्कि बहुत पूराने समय की मानी जाती है। पूराने समय में लोग इस डाइट का पालन करते थे। पैलियो डाइट, पैलियोलिथिक या पुराने पाषाण युग के दौरान रहने वाले मनुष्यों के डाइट पैटर्न का एक आधुनिक रूप है, जो लगभग 2.5 मिलियन साल पहले था। पुरापाषाण युग के दौरान, मनुष्य जो आहार लेते थे उनमें जड़ वाली सब्जियां, सीड्स, नट्स, प्लांट्स और कुछ जंगली और समुद्री चीजें शामिल होती थीं।

आइये जानते हैं पैलियो डाइट के फायदे के बारे में-

Blood Sugar के स्तर को नियंत्रित करना

Paleo Diet: Makes your diet nutritious

पैलियो डाइट उन खाद्य पदार्थों को प्रतिबंधित करता है जो ब्ल्ड शुगर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, जैसे कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड स्नैक खाद्य पदार्थ और शर्करा युक्त पेय पदार्थ। जो लोग हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित है और पैलियो डाइट को अपनाते है उन्हे ब्लड शुगर के स्तर में कमी महसूस होती हुई नजर आती है।

वजन घटाने में कारगर

अक्सर लोग फैट लॉस के लिए पैलियो डाइट को आजमाते हैं। इस डाइट में शरीर के हेल्दी वजन को बनाए रखने के लिए सभी खाद्य पदार्थ होते है, जैसे सब्जियां, बीन्स और मेवे। पैलियो डाइट का पालन करने वाले लोग भोजन के बाद अधिक संतुष्ट महसूस कर सकते हैं, जो अधिक खाने से आपको बचा सकता है और वजन घटाने को प्रोत्साहित कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पैलियो डाइट में फाइबर और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं, ये 02 पोषक तत्व हैं जो खाने के बाद आपका पेट भरा हुआ महसूस करने में मदद करते हैं।

हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मददगार

Paleo Diet: Makes your diet nutritious

उच्च रक्तचाप और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स जैसे ब्लड लिपिड स्तर होने से हार्ट की समस्या होने का खतरा विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है। कुछ रिसर्च में पाया गया है कि जो लोग पैलियो डाइट का पालन करते हैं, वे ट्राइग्लिसराइड और ब्लड प्रेशर के स्तर जैसी हार्ट से जुड़ी बिमारियों की समस्या से निपटने में ज्यादा सफल रहते है।

कम करता है सूजन

पैलियो डाइट शरीर में सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों, चीनी और रिफाइंड अनाज से परहेज करने से, जो कई बार लोगों में सूजन का कारण बन सकते है, व्यक्तियों को सूजन से संबंधित परेशानियों को कम करने में मददगार हो सकते है।

जंक के सेवन को कम करने में मददगार

जब आप पैलियो डाइट पर रहते हैं तो जंक फूड को आप एक साइज के बैग में डाल देते है, और इसका मतलब यह है कि आप अपना पैसा सिर्फ उस खाने पर खर्च कर रहे हैं जो आपके लिए स्वस्थ है, न कि आपके लिए खराब है। यह आपके खाने के बजट के लिए भी बहुत अच्छा है, क्योंकि जितना पैसा आप जंक फूड खरीदने में खर्च करते है उतने पैसे में आप आराम से ये अच्छा और हेल्दी फूड से आपना स्वास्थ्य बना सकते है।

फोटो सौजन्य- गूगल

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