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Apart from PHYSICAL RELATION

PHYSICAL RELATION: जीवन में जिस तरह प्यार जरूरी है वैसे ही अपने पार्टनर के साथ रिश्ते में गर्माहट के लिए सेक्स भी अहम है। अगर आपका पार्टनर रिश्ते को मजबूती देना चाहता है तो वह एक कदम आगे बढ़ते हुए फिजिकल भी होना पसंद करेगा, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सेक्स को तरजीह नहीं देते! क्या आप भी अभी अपने रिश्ते में सेक्स के लिए आमादा नहीं हैं? या फिजिकल रिलेशन से कुछ दिन परहेज रखना चाहती हैं? लेकिन पूरी तरह से फिजिकल इंटिमेसी में गैप नहीं लाना चाहती हैं तो इसमें कुछ जरूरी गतिविधियां आपको मदद पहुंचा सकती हैं।

कई ऐसी रोमांटिक गतिविधियां हैं, जो इंटरकोर्स के बिना भी आप दोनों के बीच फिजिकल इंटिमेसी को बनाए रखने में आपकी मदद कर सकती है। अगर आप इन गतिविधियों से वाकिफ नहीं हैं, तो अधिक परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, हम आपको इसकी जानकारी देंगे। प्राइमस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की गायनेकोलॉजी और ऑबस्टेशन डिपार्टमेंट की कंसल्टेंट डॉ रश्मि बालियान ने बिना सेक्सुअल इंटरकोर्स के फिजिकल इंटिमेसी मेंटेन रखने के कुछ खास तरीके बताए हैं। तो चलिए जानते हैं इस बारे में अधिक विस्तार से..

जानें बिना इंटरकोर्स के दौरान फिजिकली करीब होने के तरीके

1. एक-दूसरे को ऐसे करें कडल

Apart from PHYSICAL RELATION

हाथ पकड़ें, गले लगें या बिस्तर पर एक-दूसरे के करीब बैठें। बिना किसी और चीज़ के एक-दूसरे को छूने और करीब होने का आनंद लें। जब आप सोने जाएं, तो अपने पार्टनर के साथ लिपटकर एक-दूसरे को करीब से महसूस करने की कोशिश करें। कडल करने से न केवल इंटिमेसी बढ़ती है, बल्कि स्ट्रेस रिलीज करने में भी मदद मिलती है। रोजाना पार्टनर के साथ काम से लौटने के बाद कडल करें।

2. KISS करने का बदले तरीका

Apart from PHYSICAL RELATION

अगर आप बिना सेक्स किए इंटिमेट होना चाहती हैं, तो एक-दूसरे को किस करना एक अच्छा आईडिया है। अलग-अलग तरह से चूमे, अगर आपको समझ नहीं आ रहा है, तो अपने पार्टनर से उनकी किस से जुड़ी डिजायर पूछें और उसके अनुरूप उन्हें किस करें। आप फ्रेंच किस, लेपर्ड किस या स्पाइडरमैन किस भी आज़मा सकती हैं। इस तरीके का प्रयोग करें, इससे आपको इंटिमेसी बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

3. बॉडी मसाज है बढ़िया विकल्प

Apart from PHYSICAL RELATION

एसेंशियल फ्रैगनेंस वाले ऑयल या लोशन का उपयोग करके, बारी-बारी से एक-दूसरे के शरीर की मालिश करें। आप एक-दूसरे के शरीर के कितने हिस्से की मालिश करते हैं, यह आपकी सीमाओं पर निर्भर करता है, अगर आप इससे ज़्यादा मालिश करने के लिए तैयार नहीं हैं, तो आप सिर्फ़ एक-दूसरे की गर्दन और पीठ की मालिश कर सकती हैं। कुछ सुगंधित मोमबत्तियां जलाएं और सुकून भरा संगीत बजाकर मूड सेट करें।

अपने पार्टनर को अच्छा महसूस कराने के लिए आपको प्रोफेशनल मसाज सीखने की जरूरत नहीं है। केवल मालिश के दौरान पार्टनर से पूछती रहें, उन्हें कैसा लग रहा है? या आप किस तरह की मालिश एंजॉय करना चाहते हैं, या आपके किस अंग को ज्यादा आराम की जरूरत है। इस तरह आराम भी मिलता है, तनाव कम होता है साथ ही आप दोनों एक दूसरे के करीब आते हैं।

4. एक-दूसरे को डूबकर करें स्पर्श

Take care of these 5 things for better climax on bed

पार्टनर के शरीर के उन हिस्सों को स्पर्श करें और चूमें जो आमतौर पर सेक्स के दौरान ध्यान आकर्षित नहीं करते हैं, जैसे उनके पैर, पेट या पीठ। अपने पार्टनर के शरीर को एक्सप्लोर करने का आनंद लेने के लिए समय निकाले। ये आप दोनों को फिजिकल इंटिमेसी मेंटेन करने में मदद करती है, साथ ही आप रोमांस के लिए सिर्फ सेक्स पर निर्भर नहीं रहती। अगर आप बिना नेकेड हुए बॉडी एक्सप्लोर करना चाहती हैं, तो शरीर के नजर आने वाले पार्ट्स जैसे की हाथ, पैर, गर्दन, चेहरा आदि को चूमे और उनका आनंदमय स्पर्श करें।

5. बाउंड्री में रहकर करें रोमांस

Some Natural Ways To Spice Up Your Sex Life

नियम बनाने से न केवल आपको अपनी सीमाओं का पालन करने में मदद मिलेगी, बल्कि यह चीज़ों को और भी सेक्सी बना देगा। आपको अपनी बाउंड्री में रहकर रोमांस करना होता है, और मन होने पर भी आगे बढ़ने से खुदको रोकना है। ये नॉटी और सेक्सी रोमांस आप दोनों के बीच इंटिमेसी बढ़ाने में मदद करेगा। ऐसे नियम बनाएं, जिनसे आप और आपके पार्टनर दोनों सहज हों, इसके बाद इसे एंजॉय करें।

फोटो सौजन्य- गूगल

The water coming out of the taps of houses is giving rise to CANCER

CANCER: आज बुजुर्गों की बात बिल्कुल सच हो गई कि एक दिन वो भी आएगा जब हमें पानी को छान (फिल्टर) कर पीना पड़ेगा। उन्होंने जो कहा वह आज सच साबित हो चुका है और फिल्टर का पानी हमारे स्वस्थ जीवन के लिए काफी जरूरी है, वजह कई सारे हैं जिनके कारण अब ग्राउंड वाटर भी हमारे पीने लायक नहीं रहा पर क्या आप को मालूम है कि इससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी तक हो जाने का खतरा है? ऐसे जानलेवा खतरों से बचने के लिए हम कौन सा तरीका इस्तेमाल कर सकते हैं।

टैप के पानी से CANCER का खतरा!

जर्नल ऑफ एक्सपोजर साइंस एण्ड इन्वायरमेन्टल एपिडेमोलोजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक हमारे घरों में टैप से गिरने वाले पानी में ऐसे परमानेंट एलीमेंट्स पाए जाते हैं जो कैंसर के लिए एक बड़ी वजह हैं। रिपोर्ट एक स्टडी के आधार पर है और उसके नतीजों के अनुसार, ऐसे लोग जो टैप वाटर को पीने में या खाना बनाने में इस्तेमाल करते हैं, उनमें कैंसर का खतरा 33 फीसदी तक बढ़ जाता है। रिपोर्ट में आगे है कि दुनिया भर की लगभग 45 फीसदी आबादी इसकी जद में है। कैंसर के ये खतरा वाकई बड़ा भी है फिर भी इसके बगैर हमारा काम एक दिन भी नहीं चल सकता।

टेप के पानी में कैंसर पैदा करने वाले एलीमेंट्स

The water coming out of the taps of houses is giving rise to CANCER

1.आर्सेनिक (Arsenic)

आर्सेनिक एक खतरनाक केमिकल एलीमेंट है जो प्राकृतिक रूप से जमीन के अंदर पाया जाता है। अगर टैप के पानी में आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा हो तो ये कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है। वैसे तो आर्सेनिक कुदरती जल सोर्स में ही पाया जाता है लेकिन ये स्टोर किये गए पानी में भी जन्म ले सकता है, खासकर तब जब पानी की सफाई का इंतेजाम न हो।

3.क्लोरीन (Chlorine)

कैंसर हॉस्पिटल के अनुसार, क्लोरीन का इस्तेमाल पानी को साफ करने के लिए किया जाता है। लेकिन पानी में ज्यादा क्लोरीन के होने से कुछ नुकसान देने वाले केमिकल एलीमेंट्स बन सकते हैं, जिन्हें डिसिन्फेक्टन बायप्रोडक्ट्स (DBPs)कहा जाता है। इनमें से कुछ केमिकल्स जैसे डायक्लोरोसाइनोफिन (Dichloramine) और ट्राइहैलोमिथेन (Trihalomethanes) कैंसर को बढ़ावा दे सकते हैं।

4.लेड (Lead)

लेड एक मेटल है जो पुराने पाइपलाइन और हमारे घर के नलों में हो सकती है। लिड अगर पानी में ज्यादा मात्रा में तो ये हमारे शरीर में जमा होने लगता है। इसकी वजह से पहले ट्यूमर और बाद में कैंसर तक के भी खतरे देखे जाते हैं।

क्या पानी से बढ़ रहा है कैंसर का खतरा

The water coming out of the taps of houses is giving rise to CANCER

1.लॉंगटाइम एक्सपोजर

डॉक्टर कहते हैं कि इन खतरों के बावजूद ये कहना भी सही है कि टैप के पानी से कैंसर का खतरा तब ही ज्यादा होगा जब हम इसे ज्यादा इस्तेमाल में लाएं। ज्यादा से मेरा मतलब लंबे समय तक। अगर पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड, या लिड जैसी चीजें हैं और हम उन्हें लगातार पीते हैं तो ये धीरे-धीरे शरीर में जमा होने लगते हैं और इस वजह से शरीर में कैंसर जन्म लेता है।

2. केमिकल रिएक्शन का शरीर पर असर

ये आप जानते होंगे कि पानी को साफ करने के लिए भी कुछ केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। कई बार तो ये तरीका सही होता है लेकिन जब बिना जाने कि पानी के अंदर कौन से नुकसानदायक एलीमेंट्स हैं, किसी केमिकल के जरिए उसे साफ करने की कोशिश की जाती है तो केमिकल रिएक्शन होने के चांस होते हैं। ये केमिकल रिएक्शन शरीर में असर छोड़ते है और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों तक भी पहुंचा सकते हैं।

बचाव के उपाय

1. पानी का टेस्ट करवाएं

सबसे पहला कदम है, पानी की क्वालिटी टेस्ट करना। आप लोकल अथॉरिटी से बोल कर अपने घर आ रहे पानी की क्वालिटी के बारे में पूछ सकते हैं। पानी का टेस्ट करने की भी रिक्वेस्ट डाल सकते हैं ताकि आपको पता लगे कि आपके पानी में कौन से एलीमेंट्स ऐसे हैं जो नुकसान दे रहे हैं। कई बार अगर ये काम लोग प्राइवेटली भी कराते हैं।

2. फिल्टर का इस्तेमाल करें

अगर आपके पानी में आर्सेनिक, लेड, फ्लोराइड या अन्य हानिकारक एलीमेंट्स हैं तो एक अच्छा पानी फिल्टर लगवाना बेहद जरूरी है। आजकल बाजार में कई प्रकार के वाटर फिल्टर्स उपलब्ध हैं जो इन खतरनाक तत्वों को पानी से निकाल सकते हैं। ऐसे फिल्टर्स का चुनाव करें जो इन तत्वों को आसानी से और पूरे तरीके से हटाने में सक्षम हों।

3. पानी उबाल कर पियें

अगर आपके इलाके के पानी में आर्सेनिक या लिड की समस्या है तो पानी उबालने से वह कुछ हद तक सुरक्षित हो सकता है क्योंकि पानी को उबालने से बैक्टीरिया और वायरस खत्म हो जाते हैं। हालांकि, ये सही है कि उबालने से पूरी तरह पानी के एलीमेंट्स हट जाएं इसकी गारंटी नहीं है लेकिन यह जरूर है कि उबालने से पानी कुछ हद तक साफ जरूर हो सकता है।

4. नई पाइप का इस्तेमाल

अगर आपके घर में पुराने पाइप हैं तो उसे बदल देना चाहिए। पाइप जितना पुराना होगा, उसमें लेड जैसे खतरनाक एलीमेंट्स के होने का खतरा उतना ही होगा। अलावा इसके अपको इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि आपके घर पानी जिस सोर्स से आ रहा हो, उसकी पाइपलाइन भी बहुत पुरानी न हो। अगर ऐसा है तो पानी गरम कर के या फ़िल्टर कर के ही पियें।

5. पानी के श्रोत का रखें ध्यान

आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आप जो पानी पी रहे हैं या खाना बनाने में इस्तेमाल कर रहे हैं, वो कहां से आ रहा है। अगर वो किसी सुरक्षित जगह से नहीं आ रहा जो साफ है तो फिल्टर्ड मिनरल वाटर का इस्तेमाल करें।

why Valentine Day is celebrated?

VALENTINE DAY: मोहब्बत का पर्व यानी वेलेंटाइन वीक अभी चल रहा है। पूरी दुनिया में हर वर्ष फरवरी महीने में एक हफ्ते प्रेमी-प्रेमिकाओं के नाम कर दिया जाता है। इस हफ्ते को वेलेंटाइन वीक कहते हैं। जिसका हर एक दिन आशिकों को एक दूसरे के करीब लाता है। वेलेंटाइन वीक की शुरुआत 07 फरवरी से होती है, जो 14 फरवरी को वेलेंटाइन पर खत्म होती है। इस बीच रोज डे से लेकर प्रपोड डे और प्रोमिस डे समेत कई ऐसे दिनों को सेलिब्रेट किया जाता है जो कपल को एक दूसरे के और नजदीक लाता है। पर क्या आप जानते हैं कि वेलेंटाइन डे क्यों मनाया जाता है? वेलेंटाइन हफ्ते का हर दिन क्यों स्पेशल है? जानते हैं क्यों और कैसे वेलेंटाइ न डे मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई?

वैलेंटाइन डे की शुरुआत संत वैलेंटाइन के सम्मान में हुई थी, जिन्होंने प्रेम और विवाह के लिए संघर्ष किया था। वैलेंटाइन डे को 06 दिन पहले से मनाया जाता है, ताकि वैलेंटाइन डे पर लव परवान चढ़ें। वैलेंटाइन डे से पहले 07 फरवरी से 14 फरवरी तक वैलेंटाइन वीक मनाया जाता है। इस पूरे हफ्ते में अलग-अलग दिनों का विशेष महत्व होता है, जो प्रेम को अलग-अलग तरीकों से व्यक्त करने का अवसर देते हैं।

वैलेंटाइन वीक का हर दिन है कुछ खास

रोज़ डे (ROSE DAY)

7 फरवरी को रोज डे मनाते हैं । इस दिन प्यार और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए गुलाब का आदान-प्रदान किया जाता है। जिसमें लाल गुलाब प्रेम, पीला गुलाब मित्रता, सफेद गुलाब शांति और गुलाबी गुलाब आभार दर्शाता है।

प्रपोज डे (PROPOSE DAY)

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दूसरे दिन यानी 8 फरवरी को प्रपोज डे मनाया जाता है। यह दिन उन लोगों के लिए खास होता है जो अपने प्रियजन को अपने प्यार का इज़हार करना चाहते हैं। इस दिन शादी के लिए भी प्रपोज किया जाता है।

चॉकलेट डे (CHOCOLATE DAY)

प्यार में मिठास घोलने के लिए चॉकलेट डे मनाया जाता है और अपने प्रिय को चॉकलेट दी जाती है। इसका वजह है कि चॉकलेट खुशी और स्नेह का प्रतीक मानी जाती है।

टेडी डे (TEDDY DAY)

10 फरवरी को टेडी डे मनाते हैं। इस दिन टेडी बियर गिफ्ट किया जाता है, जो मासूमियत और प्यारे एहसास का प्रतीक है। खासकर लड़कियों को यह दिन बहुत पसंद आता है।

प्रॉमिस डे (PROMISE DAY)

11 फरवरी को प्रॉमिस डे मनाया जाता है। इस दिन प्रेमी एक-दूसरे से सच्चे प्रेम, ईमानदारी और विश्वास की कसमें खाते हैं। रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए यह दिन बेहद खास होता है।

हग डे (HUG DAY)

वैलेंटाइन डे के छठे दिन हग डे मनाया जाता है। हग डे पर एक प्यार भरी झप्पी (गले लगाना) प्यार, समर्थन और सुरक्षा का अहसास कराती है। यह दिन दिखाता है कि एक स्नेह भरी झप्पी से हर दर्द मिट सकता है।

किस डे (KISS DAY)

13 फरवरी को किस डे मनाया जाता है। यह दिन प्यार और गहरे रिश्ते की निशानी माना जाता है। एक किस स्नेह, प्रेम और आत्मीयता को दर्शाती है।

वेलेंटाइन डे (VALENTINE’S DAY)

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14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाया जाता है। यह दिन इश्क का होता है। इस दिन प्रेमी एक-दूसरे के लिए खास गिफ्ट, फूल और प्यार भरे संदेश देते हैं। कई लोग इस दिन डेट पर जाते हैं, तो कुछ शादी या रिश्ते को मजबूत करने का वादा करते हैं।

क्यों मनाया जाता है वैलेंटाइन डे?

यह दिन संत वैलेंटाइन की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने तीसरी शताब्दी में रोम में प्रेम और विवाह को लेकर में आवाज बुलंद की थी। उस समय सम्राट क्लॉडियस द्वितीय ने सैनिकों के विवाह पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन संत वैलेंटाइन ने सेक्रेट तरीके से प्रेमी जोड़ों का विवाह कराया। जब राजा को यह पता चला, तो उन्होंने संत वेलेंटाइन को 14 फरवरी को मृत्युदंड दे दिया। उनकी याद में यह दिन प्यार की पहचान, इश्क के इजहार का दिन बन गया।

These 6 habits can create tension in every relationship

Relations: हमारे जीवन की एक सच्चाई यह है कि उसे भी गुजर जाना है। लेकिन सबसे अधिक परेशानी लेकर आता है बुढ़ापा। ऐसा समय जब हम बीमारियों से भी घिरे रहते हैं और रिश्ते की डोर भी समय के साथ कमजोर होने लगती है। इसका बड़ा कारण कुछ आदतें होती हैं जो हमने अपने जीवन में वर्षों पहले से लगा रखी होती हैं। हम आपको कुछ ऐसी ही आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आप पहले से छोड़कर अपने उस समय के लिए अपने रिश्तों को और मजबूत कर लेंगे जब आपको उन रिश्तों की सबसे ज्यादा जरूरत होगी, यानी आप के बुढ़ापे में।

6 आदतें जिन्हें छोड़ना है रिश्ते की गारंटी

1. उम्मीद अधिक लगाना

पति-पत्नी के बीच संवाद जरूरी

साइकोलॉजिस्ट और रिलेशनशिप कंसल्टेंट के मुताबिक हम अक्सर रिश्तों में ज्यादा उम्मीदें रख लेते हैं, ये सोचकर कि अगर सामने वाला हमारी तरह नहीं सोचे या वही ना करे जो हम चाहते हैं, तो रिश्ता खराब हो जाएगा। लेकिन, ये आदत हमारे रिश्ते में बहुत तनाव पैदा कर सकती है। जब हम अपने साथी से ज्यादा उम्मीदें रखते हैं और उन्हें बदलने की कोशिश करते हैं, तो इसका उल्टा असर होता है। यह सिर्फ हमारे पार्टनर को असंतुष्ट करता है, बल्कि रिश्ते में भी दूरी आ सकती है।

ऐसे में उस वक्त के लिए अभी से तैयारी करें जब आप बैठकर केवल सोच सकेंगे कि क्या सोचा और क्या पाया। अगर आप अपनी उम्मीदों को थोड़ा कम करेंगे और अपने साथी की अच्छाइयों को मानेंगे, तो न सिर्फ रिश्ता मजबूत होगा, बल्कि आप दोनों के बीच प्यार और समझ भी बढ़ेगा और वो लंबे समय तक आपके साथ चलेगा।

2. छोटी छोटी बातों को नजरंदाज न करें

Study on Relationship

कभी-कभी हम रिश्तों में छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं, जैसे एक हल्की मुस्कान, एक अच्छा शब्द या बस एक छोटा सा इशारा। ट्यूटर चेज नाम की एक संस्था की रिपोर्ट कहती है कि स्वस्थ रिश्ता रहने के लिए पार्टनर्स के बीच गेस्चर्स का आदान प्रदान जरूरी है। ये छोटी बातें रिश्ते में बहुत मायने रखती हैं और इनसे रिश्ते में खुशियां और मजबूती आती है। अगर हम इनका ध्यान नहीं देते, तो ये छोटे-छोटे इशारे रिश्ते में दूरियां बना सकते हैं। और ये आप अगर अभी से नहीं करेंगे तो उस उम्र में जब आप को रिश्तों की जरूरत होगी, इसकी शुरुआत तब नहीं हो सकेगी और तब शुरुआत करने पर भी गेस्चर्स अपना काम करें, मुश्किल है।

3. दूसरों की गलतियों को बार-बार याद करना

Study on Relationship

उम्र बढ़ने के साथ अक्सर लोगों में यह आदत होती है और आपको अगर बुजुर्ग होने पर ऐसा नहीं बनना तो उसकी शुरुआत आज से करें ताकि आपकी आदतों में ये शामिल हो सके। हैप्पी फेमिली नाम की एक संस्था के लिए डॉक्टर जस्टिन कॉल्सन ने लिखा है कि यह पैटर्न बहुत आम तौर पर पाया गया है कि ऐसे रिश्ते जो टूटे या फिर कमजोर हुए हैं, उसमें दोनों तरफ से एक दूसरे की ग़लतियों को दोहराने का पैटर्न था।

यहां यह समझना है कि हर इन्सान से गलतियां होती हैं, और रिश्तों में यह सामान्य बात है कि कभी न कभी कोई न कोई गलती करेगा। लेकिन अगर आप हमेशा उन गलतियों को याद करेंगे और पुराने बातों को ताज़ा करेंगे, तो यह रिश्ते में तनाव ही बढ़ाएगा। उस उम्र में जब आपको रिश्ते की जरूरत होगी तो आपके इर्द गिर्द लोग आने से परहेज कर सकते हैं।

4. सुनने की आदत न होना

Sleep Separation: Separation of bedroom for a long time causes distance in relationships

हममें से कई लोग अपनी बातों को ज्यादा अहमियत देते हैं और सामने वाले की बातों को नजरअंदाज कर देते हैं। यही आदत रिश्तों में खटास पैदा करती है। रिश्ते तभी अच्छे होते हैं जब दोनों एक-दूसरे को सुनते और समझते हैं। लाइफ काउंसिलिंग इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट कहती है कि न सुनना, किसी भी रिश्ते के अंत की शुरुआत हो सकता है। तो अगर आप भी चाहते हैं कि आपका रिश्ता मजबूत हो, तो अब से पहले सामने वाले की बात पूरी तरह से सुनें।

जल्दी से प्रतिक्रिया देने के बजाय, उनकी बातों को समझने की कोशिश करें। जब आप अपने साथी की बातों को अहमियत देंगे, तो वह भी आपके विचारों की कद्र करेगा। इससे न सिर्फ आपका रिश्ता मजबूत होगा, बल्कि आप दोनों के बीच समझ और नज़दीकी भी बढ़ेगी। यह नजदीकी उस वक्त आपके ज्यादा काम की होगी जब आपको अपने साथी या किसी रिश्ते की जरूरत होगी और आपको प्यार चाहिए होगा।

5. वक्त नहीं है, मत बोलिए

Sleep Separation: Separation of bedroom for a long time causes distance in relationships

हम अक्सर यह बहाना बनाते हैं कि समय की कमी है, खासकर जब हम काम में व्यस्त होते हैं या और कोई जिम्मेदारियां होती हैं। लेकिन अगर हम यही सोचने लगें कि हमारे पास समय नहीं है, तो इससे रिश्तों में दूरी आ सकती है और फिर आप अकेलेपन का शिकार होने लगेंगे।

आप यह सोचिए कि उस वक्त जब आप अपनी उम्र के ऐसे पड़ाव पर हों जहां आप शारीरिक तौर पर भी कुछ कमजोर हों और आपको मानसिक मजबूती के लिए भी रिश्ते चाहिए हों। लेकिन न सुनने की आदत की वजह से आपने तो रिश्ते गंवा दिए हैं। फिर उस उम्र में आप मुश्किल में होंगे। इसलिए सबसे पहले वक्त की कमी का बहाना बना कर रिश्तों को टालना छोड़ दें।

6. नकारात्मक सोच रखना

Relation

एक रिपोर्ट कहती है कि अगर आप हमेशा हर चीज़ को नकारात्मक तरीके से देखते हैं, तो यह आपके रिश्तों में तनाव पैदा कर सकता है। जब हम हर बात में परेशानी ढूंढ़ते रहते हैं, तो रिश्ते में प्यार और समझ की कमी होने लगती है। एक्सपर्ट के मुताबिक उम्र के उस पड़ाव पर जब हम सीख लेते हैं कि हमें क्या नहीं करना, जहां हमारे पास रिश्तों में खुद को बदलने का वक्त होता है तो यह हमारे लिए लाइफटाइम का वरदान बन जाता है। पॉजिटिव सोच की उम्र के उस पड़ाव पर सबसे ज्यादा जरूरत होती है जब हम उम्र के उस पड़ाव पर हों जहां हमें शारीरिक तौर पर दिक्कत हो सकती है। और अगर ऐसे में हम नकारात्मक रहे तो रिश्ते भी प्रभावित होंगे और हम खुद किसी भी बीमारी या समस्या से लड़ नहीं सकते।

फोटो सौजन्य- गुगल

When there is a delay in periods, apart from pregnancy

PERIODS: किशोर अवस्था के मद्देनजर गर्भावस्था तक महिलाओं के जिंदगी में शारीरिक और मानसिक तौर पर बहुत कुछ चलता रहता है। पीरियड्स भी इन्हीं प्रक्रियाओं में से एक है। किसी को एक से ज्यादा पीरियड्स भी होते हैं तो किसी को 07, ये हर महिलाओं की उनकी शरीरिक बनावट की वजह से बदलते रहते हैं। कुछ महिलाओं के पीरियड्स अनियमित होते हैं। वहीं, कुछ को पीरियड्स जल्दी होने की समस्या से दो चार होना पड़ता है।

अगर एक बार पीरियड्स थोड़ा जल्दी हो जाएं तो यह चिंता की बात नहीं है लेकिन यह लगातार हो रहा है तो यह आपके लिए स्वास्थ्य को लेकर अलर्ट रहने का वक्त है। आपका पीरियड्स आपकी वर्तमान पीरियड्स के पहले दिन से शुरू होता है। इसकी समाप्ति अगले पीरियड्स के पहले दिन होती है। औसतन, एक चक्र 21 से 39 दिनों के बीच होता है। इसलिए आपके द्वारा ब्लीड किए जाने वाले दिनों की संख्या भी अलग-अलग होती है।

अगर आपकी पीरियड्स साइकिल या चक्र 21 दिनों की है, तो यह एक चिंताजनक बात है और आपको इस बदलाव को नज़रंदाज़ नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये आपके शारीरिक स्वास्‍थ्‍य के बारे में बहुत कुछ बताता है।

यहां हैं जल्‍दी पीरियड्स आने के लिए 9 अहम वजह

1. प्रीमेनोपॉज़

जैसा कि नाम से पता चलता है, यह रजोनिवृत्ति से पहले के पीरियड्स हैं। आम तौर पर ये मध्य-चालीसवें या बाद के वर्षों में शुरू होता है। ज्यादातर मामलों में चार साल तक चलता है। इस समय के दौरान, हार्मोन के स्तर में भारी उतार-चढ़ाव देखा जाता है। जिससे हर महीने ओव्यूलेशन नहीं हो सकता। इससे अनियमित या पीरियड 18 दिन या 21 दिन पर भी हो सकते हैं।

2. इंटेंस एक्सरसाइज

आप सोच सकती हैं कि जिम में व्यायाम करना आपके शरीर की मदद कर रहा है। पर, हर चीज में संतुलन की जरूरत होती है। बहुत जोरदार व्यायाम आपके पीरियड्स को रोक सकता है। यह एक ऐसी स्थिति है, जो एथलीटों में सबसे अधिक देखी जाती है।

यहां तक ​​कि अगर पीरियड्स बंद नहीं होते हैं, तो यह जल्दी पीरियड्स होने का कारण बनता है। उचित ऊर्जा के बिना, आपका शरीर सामान्य तरीके से ओव्यूलेट करने के लिए पर्याप्त मात्रा में हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाएगा।

3. वजन में उतार-चढ़ाव

ज्यादातर केस में, आपके पीरियड में कोई भी बदलाव आपके वजन से जुड़ा होता है। चाहे, तेजी से वजन घट रहा हो या बढ़ रहा हो, आपके हार्मोन पर प्रभाव डाल सकता है। जब ऐसा होता है, तो आपके पीरियड्स प्रभावित हो जाते हैं। जिससे आपको समय से पहले ही माहवारी (Early periods) हो सकती है।

4. तनाव का स्तर आपके हार्मोन पर डाल सकता है प्रभाव

How can you take care of your wife or girlfriend during periods?

तनाव के बारे में बात किये बिना कोई भी सूची कैसे पूरी हो सकती है?आपके तनाव का स्तर आपके हार्मोन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। जिससे अनियमित पीरियड्स हो सकते हैं। कारण कोई भी हो, खुद को तनाव मुक्त करने के तरीके खोजें।

5. हार्मोनल बर्थ कंट्रोल

गर्भनिरोधक गोलियों में मौजूद हार्मोन, ओव्यूलेशन और आपके पीरियड्स पर सीधा प्रभाव डालते हैं। यदि आप नियमित रूप से गर्भनिरोधक गोलियां लेती हैं, तो आपकी अगले पीरियड का समय इस बात पर निर्भर करेगा कि आपके चक्र के दौरान आपने गोलियां लेना कब शुरू किया था।

इसके अलावा, अंतर्गर्भाशयी उपकरणों जैसे विकल्प भी मासिक धर्म चक्र अनियमितताओं का कारण बन सकते हैं, लेकिन केवल शुरुआती दो से तीन महीनों में।

6. पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम)

पीरियड्स जल्दी होने के लिए एक और कारण पीसीओएस या पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम है, जो प्रत्येक 10 महिलाओं में 01 को प्रभावित करता है। असल में, यह बहुत सी महिलाओं में अनियंत्रित हो जाता है। जब तक कि वे बेबी प्‍लान नहीं करते। PCOS के कुछ सबसे सामान्य लक्षणों में अनियमित पीरियड्स, मिस्ड पीरियड्स, मुंहासे, वजन बढ़ना और शरीर पर अत्यधिक हेयर ग्रोथ शामिल हैं।

7. एंडोमेट्रियोसिस

यह मासिक धर्म विकार तब होता है जब ऊतक जो आपके गर्भाशय को लाइन करता है वह गर्भाशय के बाहर बढ़ने लगता है। इस स्थिति में, महिलाएं केवल अनियमित पीरियड्स से नहीं गुजरती हैं, बल्कि मासिक धर्म में गंभीर ऐंठन, पीठ के निचले हिस्से में दर्द और सेक्स के दौरान दर्द का अनुभव करती हैं।

8. अनियंत्रित मधुमेह

जब मधुमेह का समय पर निदान नहीं किया जाता है, तो रक्त शर्करा का स्तर सामान्य से बहुत अधिक होता है। साल 2011 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि टाइप 02 मधुमेह वाली महिलाओं में अनियमित पीरियड्स थे।

9. थायराइड की बीमारी

यह माना जाता है कि आठ में से एक महिला को अपने जीवनकाल में थायरॉयड की समस्या होगी। जब थायरॉयड ग्रंथि ठीक से काम नहीं करती है, तो आपका चयापचय और मासिक धर्म चक्र अनियंत्रित हो जाता है। ज्यादातर मामलों में, पीरियड्स सामान्य से काफी हल्के होते हैं और जल्दी आते हैं। अप्रत्याशित रूप से वजन बढ़ना या कम होना भी इसका एक कारण है।

फोटो सौजन्य- गूगल

Actress Mamta Kulkarni became Mahamandaleshwar Shri Yamai Mamta Nand Giri

प्रयागराज: बॉलीवुड की सबसे बोल्ड अभिनेत्रियों में से एक Mamta Kulkarni अब अदाकारा से महामंडलेश्वर बन गईं हैं। महाकुंभ में पिंडदान और संगम में स्नान के बाद किन्नर अखाड़े की आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता का पट्टाभिषेक करते हुए उन्हें नए नाम से भी नवाजा। ममता कुलकर्णी अब यमाई ममता नंद गिरि बन चुकी हैं। ममता वैसे तो तकरीबन दो दशक से साध्वी जैसी ही जीवन जीने का दावा करती रही हैं।

Actress Mamta Kulkarni became Mahamandaleshwar Shri Yamai Mamta Nand Giri

उन्होंने महामंडलेश्वर बनने से ठीक पहले भी कहा कि इस उपाधि को पाने से पहले उनकी परीक्षा भी ली गई है। ममता का कहना है कि 23 वर्ष तक की गई तपस्या, साधना और ध्यान से संबंधित ढेर साले प्रश्न पूछे गए। हर प्रश्न का सही जवाब देने और कई तरह की परीक्षाओं में पास होने के बाद उन्हें यह उपाधि मिली है।

ममता एक दिन पहले ही महाकुंभ में पहुंची थीं। यहां आने से पहले उन्होंने अपना एक वीडियो भी इंस्टग्राम पर पोस्ट करते हुए कहा था कि वह महाकुंभ में मौनी अमावस्या के स्नान के लिए जाने वाली हैं। उससे पहले काशी विश्वनाथ और अयोध्या भी जाएंगी। पर काशी के बजाए वह प्रयागराज आ गईं। यहां किन्नर अखाड़े की आचार्य लक्ष्मी नारायण के पास पहुंचीं और उनसे सनातन धर्म को आगे बढ़ाने के लिए काम करने की इच्छा जताई।

आचार्य लक्ष्मी नारायण ने ममता की इच्छा को लेकर कहा कि वह हम लोगों से करीब डेढ़ साल से संपर्क में थीं। इससे पहले भी वह जूना अखाड़े में महामंडलेश्वर के साथ थीं। उनके गुरु के ब्रह्मलीन होने के बाद उन्हें दिशा नहीं मिल रही थी। इस पर उन्होंने इच्छा जाहिर की कि वह सनातन से पूर्ण रूप से जुड़ना चाहती हैं। इसके बाद आईं और कहा कि मुझे कुछ पद चाहिए, मुझे महामंडलेश्वर बनना है।

आचार्य ने कहा, ‘ममता वृंदावन के आश्रम के लिए आगे प्रचार प्रसार करना चाहती हैं। इस पर हमने उनके सामने इसके लिए कुछ शर्त रखी। उनसे कहा गया कि इसके लिए उन्हें संन्यास लेना होगा। पूरी दुनिया छोड़कर हमारी दुनिया में रहना होगा। यह भी छूट दी कि आपको बॉलीवुड या कहीं धार्मिक रोल मिलता है तो कर सकती हैं, हम किसी की कलाकारी में रोक नहीं लगाएंगे। जो भी सनातन के ध्वज में आएगा तो उसे आगे लेकर चलेंगे। कहा कि वह पूर्ण रूप से सनातन में शरणागत होकर आई हैं। जो भी बच्चा सनातन धर्म में आएगा, हम किन्नर अखाड़ा उसको अपनाएगा। यह भी कहा कि उन्हें आगे प्रवक्ता भी बनाया जाएगा, पूरा अखाड़ा बैठकर इस बारे में निर्णय लेगा।’

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Excessive use of perfume for skin can cause big problems for you

सर्द मौसम में अक्सर लोग शरीर की दुर्गंध से निजात पाने को लेकर डियो और PERFUME का प्रयोग करने लगते हैं। लेकिन सोचे कि दुर्गंध दूर करने का दम भरने वाले ये प्रोडक्ट्स दिनभर तन पर लगाए रखने की वजह से किस तरह से आपके स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि इसे लगाने से दिनभर हम अच्छी फ्रेगरेंस को फील करते हैं। मगर बता दें कि इसका ज्यादा इस्तेमाल सिरदर्द, रैशेज, एलर्जी और कॉन्टैक्ट एक्जिमा समेत कई समस्याओं का कारण बनने लगता है। इसमें मौजूद रासायनिक तत्व शरीर को कई तरह से प्रभावित करने लगता है। आइये जानते हैं परफ्यूम से शरीर को होने वाले नुकसान के बारे में-

परफ्यूम का स्किन पर असर

रिपोर्ट के मुताबिक सुगंधित उत्पादों में थैलेट्स, एल्डीहाइड्स, पैराबेंस और एल्युमीनियम समेत कई कंपाउड पाए जाते हैं। इसके कारण स्किन एलर्जी, स्तन कैंसर, रिप्रोडक्टिव डिसऑर्डर, माइग्रेन और रेस्पीरेटरी समस्याओं का खतरा बना रहता है। स्किन केयर उत्पादों में मौजूद खुशबू में गेरानियोल, यूजेनॉल, सिट्रोनेलोल, फथलेट्स जैसे एलर्जेंस होते हैं। इनसे त्वचा की एलर्जी, हाइव्स, खुजली, रैशेज़, छींक और पिगमेंटेशन की समस्या बनी रहती है।

एक्सपर्ट बताती हैं कि परफ्यूम का इस्तेमाल भले ही खुशबू के लिए किया जाता है लेकिन इसमें मौजूद कुछ केमिकल्स आपकी त्वचा और सेहत पर हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक परफ्यूम में इस्तेमाल होने वाले सिंथेटिक सुगंधित तत्व और प्रिज़र्वेटिव्स से एलर्जी, जलन और रैशेज़ जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कई बार ये समस्याएं तुरंत दिखाई नहीं देतीं पर लंबे समय तक परफ्यूम के इस्तेमाल से त्वचा की संवेदनशीलता बढ़ सकती है।

परफ्यूम से स्किन को होने वाले नुकसान

1. रैशेज़ की समस्या

परफ्यूम में मौजूद केमिकल्स से त्वचा पर खुजली, लाल चकत्ते और सूजन की समस्या बढ़ने लगती है। इसमें मौजूद केमिकल्स से त्वचा की नमी कम होने लगती है और स्किन ग्लो में बदलाव आने लगता है। इससे स्किन डलनेस और इरिटेशन बढ़ जाती है। साथ ही त्वचा पर सूजन की समस्या भी बढ़ने लगती है ।

2. त्वचा का सूखापन

सर्द मौसम में अधिक मात्रा में पानी न पीना डिहाइड्रेशन को बढ़ाता है। लेकिन साथ ही परफ्यूम का अत्यधिक इस्तेमाल भी इस समस्या का कारण सिद्ध हो सकता है। दरअसल, परफ्यूम अल्कोहल बेस्ड होते हैं, जिससे त्वचा की नमी छिन जाती है और रूखापन बढ़ने लगता हैं। साथ ही त्वचा पर दाने नज़र आने लगते हैं।

3. एलर्जी का खतरा

इसके लगातार इस्तेमाल से आंखों में जलन, छींकना और खुजनी बढ़ने लगती है। दरअसल, परफ्यूम में इथेनॉल की उच्च मात्रा पाई जाती है, जो हर उम्र के लोगों के लिए खतरनाक साबित होती है। एनवायरमेंटल वर्किंग ग्रुप के रिसर्च के मुताबिक परफ्यूम में मौजूद 34 फीसदी इंग्रीडिएंटस में विषाक्तता यानी टॉक्सीसिटी पाई जाती है।

4. सन सेंसीटिविटी

सुबह परफ्यूम लगाने के बाद धूप में जाने से त्वचा में जलन और पिगमेंटेशन का भी खतरा बना रहता है। इससे स्किन पर यूवी रेज़ का प्रभाव नज़र आने लगता और सन टैनिंग की भी समस्या बनी रहती है। दरअसल, इसके इस्तेमाल से स्किन इरीटेशन, डिसकलरेशन और जलन की समस्या बनी रहती है और इस स्थिति को फोटो टॉक्सीसिटी भी कहा जाता है। वे लोग जिनकी त्वचा संवेदनशील है उन्हें इससे दूर रहने की जरूरत है।

5. सांस संबधी समस्याओं का जोखिम

परफ्यूम की तेज सुगंध कुछ लोगों में सांस की समस्या या सिरदर्द का कारण बनने लगती है। एक्सपर्ट के मुताबिक परफ्यूम का प्रयोग सीमित मात्रा में करें और त्वचा पर सीधे लगाने से बचें। अगर आपको एलर्जी की समस्या है, तो बिना खुशबू वाले उत्पादों का चयन करें। हेल्थ डायरेक्ट की रिर्पोट के अलुसार लगभग तीन में से हर एक व्यक्ति सुगंधित उत्पादों के संपर्क में आने पर स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त महसूस होता है। इससे अस्थमा अटैक, हे फीवर, सिरदर्द, माइग्रेन, चक्कर आना और सांस लेने में तकलीफ और कंजेशन बढ़ने लगती हैं।

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Entry of HMPV virus in India

चीन के बाद अब भारत में भी HMPV वायरस की एंट्री हो चुकी है। एचएमपीवी यानी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस भारत में काफी तेज रफ्तार से फैल रहा है। भारत में एक ही दिन में 06 HMPV के मामले मिलने से गंभीर स्थिति बन गई है। इसके कारण खुद स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को बयान जारी करना पड़ा। उन्होंने देशवासियों से कहा- ‘सरकार की हर हालात पर नजर बनाए हुए है। फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है। भारत में अब तक एचएमपीवी वायरस के 06 मामले सामने आ चुके हैं।’ चीन में फैली नई बीमारी एचएमपीवी ने भारत की भी चिंता बढ़ा दी है। भारत में अब तक जितने भी केस मिले हैं सभी संक्रमित बच्चे हैं। आइये जानते हैं क्या है एचएमपीवी वायरस।

कुछ ही दिन पहले चीन से कई रिपोर्ट्स आईं है कि चीन में एक वायरस जिसे HMPV कहा जा रहा है, वो तेजी से फैल रहा है। बच्चे और बूढ़े ज्यादातर इसकी चपेट में हैं। फिर मलेशिया से भी कुछ ऐसी ही खबर आई। भारत में ज्यादातर लोग मलेशिया को टूरिस्ट स्पॉट के जैसा मानते हैं। वहां रह रही भारतीय आबादी भी बड़ी है। ऐसे में वहां से आने वाले लोगों में HMPV वायरस के इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा होगा। भारत में भी कुछ राज्यों में 06 HMPV वायरस के 06 मामले मिल चुके हैं। लेकिन कुछ टेस्ट हैं जिनकी मदद से हम पहचान सकते हैं कि हम HMPV वायरस के शिकार तो नहीं और फिर उसी के मद्देनजर अपना पूरा ख्याल रख सकते हैं।

क्या है HMPV वायरस?

HMPV वायरस का ही प्रकार है जो सर्दी, जुकाम और सांस में दिक्कत जैसी तकलीफें देता है। इसमें इजाफा या फैलने की गुंजाइश ठंड में ज्यादा होती है। ये वायरस खांसने और छींकने से ज्यादा फैलता है। आमतौर पर इसके लक्षण सर्दी जुकाम जैसे ही होते हैं लेकिन बच्चों या बुजुर्गों में ये निमोनिया या ब्रोन्काइटिस जैसे लक्षण भी दिखा सकता है।

भारत में पांव पसार रहा HMPV वायरस?

भारत में अब तक चार राज्यों में HMPV वायरस के 06 केस मिले हैं। ये सारे केस बच्चों में ही हैं और सभी बच्चों की उम्र 03 से 08 महीने के बीच में ही है। इस पर देश के स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का भी बयान आया है। उन्होंने कहा है कि HMPV वायरस कोई नया वायरस नहीं है। उनके अनुसार यह सभी उम्र के लोगों पर असर करता है। WHO अभी इसके असर को मॉनिटर कर रहा है। जैसे ही वह रिपोर्ट आएगी, भारत में उसी अनुसार एक्शन लिया जाएगा।

क्या कोरोना की तरह यह भी पूरी दुनिया में फैल सकता है?

5 Ayurvedic herbs have remedies and properties to avoid H3N2 virus

हमने इस सवाल का जवाब एक सीनियर डॉक्टर ने दिया और कहा कि HMPV वायरस और कोरोना में कुछ समानताएं जरूर हैं।

लक्षण– कोरोना और HMPV वायरस के लक्षणों में बहुत सी समानताएं हैं। जैसे खांसी,सर्दी या जुकाम और सांस लेने में तकलीफ।

पीड़ित– कोरोना की ही तरह HMPV वायरस भी सबसे ज्यादा जिन पर असर करता है वो बच्चे और बुजुर्ग।

बचाव– दोनों वायरस के बचाव के तरीकों में भी समानता ही है। साफ सफाई, इंफेक्टेड व्यक्ति से दूरी और मास्क पहनना, ये सब कोरोना के दौरान भी था और अभी भी जरूरी है। लेकिन डॉक्टर के मुताबिक HMPV वायरस में कोरोना जैसी फैलने की क्षमता नहीं है। साल 2001 में खोजे गए इस वायरस के कोई भी वैरिएन्ट के अब तक कोरोना जितने घातक असर नहीं देखे गए हैं। उन्होंने कहा कि ये कोई नया वायरस नहीं है जिससे हमें घबराने की जरूरत है। पिछले साल भी इसके चीन में फैलने की खबर आई थी। ब्रिटेन, फिनलैंड, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों में पहले भी इसके केस (HMPV cases) मिल चुके हैं।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की(ICMR) डायरेक्टर रह चुकीं सौम्या स्वामीनाथन के मुताबिक HMPV के मामले जरूर भारत में हैं लेकिन इस वायरस से बड़े खतरे जैसी कोई बात नहीं है। ये पुराना वायरस है जो आम तौर पर सांस से जुड़े हुए छोटे इंफेक्शन फैलाता है। बहुत आसानी से हम इससे खुद को बचा सकते हैं। वही सावधानी जो हम सर्दी जुकाम के दौरान लेते हैं। जैसे- मास्क पहनना, साफ-सफाई रखना और भीड़ से बचना। पर तकलीफ ज्यादा बढ़े तो डॉक्टर के पास जरूर जाएं।

एचएमपीवी वायरस के लिये टेस्ट

डॉक्टर के अनुसार अब तक इस वायरस को डिटेक्ट करने में सबसे सटीक टेस्ट साबित हुआ है आरटीपीसीआर। लेकिन अलावा इसके भी कुछ टेस्ट हैं जो काम आ सकते हैं, जैसे कोरोना के दौरान भी कई सारे टेस्ट प्रचलन में थे।

1. RT-PCR टेस्ट (Reverse Transcription Polymerase Chain Reaction)

HMPV वायरस को डिटेक्ट करने का यह सबसे आसान और भरोसेमंद तरीका है। इसमें नाक या गले के स्वाब से सैंपल लिया जाता है और लैब में वायरस की मौजूदगी का पता लगाया जाता है।

2. एंटीजन टेस्ट

इस टेस्ट में भी नाक या गले से सैंपल लिया जाता है। यह टेस्ट जल्दी परिणाम देता है, लेकिन RT-PCR से कम सटीक हो सकता है।

3. स्पर्म/ ब्लड टेस्ट

कुछ मामलों में, खून या म्यूकस सैंपल के जरिए भी वायरस की पहचान की जा सकती है। हालांकि आम तौर पर डॉक्टर इसका कम ही इस्तेमाल करते हैं।

HMPV संक्रमितों से कैसे करें अपना बचाव

1. लक्षण देखें

अगर किसी व्यक्ति को बुखार, खांसी, गले में खराश या सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और खुद को दूसरों से अलग रखें। यह वायरस हवा के जरिए फैल सकता है, इसलिए इसका जल्दी डायग्नोस किया जाना जरूरी है।

2. मास्क पहनें

कोई भी जो ऐसी जगह से आया हो जहां उसके HMPV केसेस (HMPV cases) ज्यादा रहे हों या इस वायरस से इंफेक्टेड होने का खतरा हो तो ऐसे व्यक्ति को मास्क जरूर लगाना चाहिए। खासकर पब्लिक प्लेसेस पर और आप भी अगर ऐसे व्यक्ति के नजदीक जा रहे हों तो मास्क के बगैर ना जाएं।

सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनना बहुत जरूरी है। यह वायरस के फैलने से बचाता है, खासकर तब जब व्यक्ति संक्रमित हो या लक्षण दिख रहे हों।

3. हाथों को धोएं

यात्रा के बाद और सार्वजनिक जगहों पर जाने के बाद हाथों को अच्छे से धोएं। यदि पानी और साबुन नहीं है तो हैंड सैनिटाइज़र जरूर अपने साथ रखिए और उसका इस्तेमाल करिए।

4. दूरी बनाए रखें

कोई भी व्यक्ति जिससे आपको संक्रमण का खतरा हो या वो ऐसी जगह से आया हो जहां संक्रमण फ़ाइल रहा हो, तो आप उससे कम से कम 6 फीट की दूरी बना कर रखिए। संक्रमित व्यक्ति से कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखें, ताकि वायरस से बचा जा सके।

5. घर में हवा पास होने दें

एयरटाइट जगहों पर वायरस के रुकने और पनपने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसे में घर को हवादार रखें ताकि हवा पास होती रहे और आप वायरस के खतरे से बच सकें।

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First Time Sex

SEX ना तो अब टैबू रह गया है और ना ही शादीशुदा जीवन का पार्ट रहा गया। लेकिन यह आपकी सेहत से जुड़ा मामला आवश्य है। अब भी लोग इस पर बात नहीं कर पाते। यही कारण है कि इसके बारे में बहुत सारी भ्रांतियां प्रचारित है। अधिकतर किशोर और युवा पहली बार सेक्स इंटरनेट पर यह सर्च करते हैं कि पहली बार सेक्स के बाद क्या होता है?

क्या बदलाव हो सकते हैं पहली बार सेक्स के बाद-

यदि आपने हाल ही में पहली बार सेक्स किया है या सेक्स करने का प्लान कर रही हैं, तो हम बता दें कि आपके शरीर में यही बदलाव आने वाले हैं। हम जानते हैं कि इन बदलावों से जुड़े कई सवाल हैं आपके दिमाग में, इसलिए आपकी जिज्ञासा का निदान करेंगे।

हालांकि हर व्यक्ति में सेक्स के बाद अलग बदलाव आ सकते हैं, पर यह प्रमुख जानकारी आपको जरूर होनी चाहिए-

1. आपको दर्द हो सकता है

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सेक्स के दौरान दर्द होना सामान्य है। इसके पीछे कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं, लेकिन वे सभी कारण पूरी तरह सामान्य होते हैं। आपका हाइमेन खिंचने के कारण दर्द हो सकता है, लुब्रिकेशन की कमी से दर्द हो सकता है या वेजाइनिस्मस यानी पेल्विक मसल्स के टाइट होने के कारण दर्द हो सकता है। आपके दर्द का कारण एंग्जायटी भी हो सकती है। सेक्स से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं भी हो सकती हैं या पुराना कोई ट्रॉमा हो सकता है।

कई बार शुरुआत में सेक्स के दौरान ऑर्गेज्‍म होने पर यूटेरस में क्रेम्प्स होने लगते हैं। सेक्स के दौरान ऑक्सिटोसिन निकलता है, जिससे यूटेरस में कॉन्ट्रेक्शन के कारण दर्द होने की सम्भावना होती है।

2. स्पॉटिंग हो सकती है 

आपको सेक्स के बाद खून आ सकता है, आपको सेक्स के बाद खून न आए यह भी सम्भव है। दोनों ही स्थिति सामान्य हैं। अगर आपको पहली बार सेक्स के बाद खून आता है, तो इसका कारण होता है हाइमेन। हाइमेन एक पतली सी त्वचा की झिल्ली होती है, जो सेक्स करने पर खिंच जाती है और खून निकल सकता है।

हाइमेन आसानी से खिंच सकती है और इसके टूटने का एकमात्र कारण सेक्स ही नहीं है। स्पोर्ट्स के कारण भी हाइमेन टूट जाता है। यहां तक कि टैम्पॉन्स के प्रयोग से भी हाइमेन टूट सकता है। हाइमेन का आपकी वर्जिनिटी से कोई लेना देना नहीं है।

उसके अलावा भी आपको कई बार स्पॉटिंग नजर आ सकती है। इस स्पॉटिंग का कारण है सेक्स के कारण सर्विक्स में सूजन। अगर आप रफ सेक्स करती हैं, तो स्पॉटिंग की सम्भावना अधिक होती है। यह खून सुर्ख लाल रंग का होता है।

3. पेशाब के दौरान जलन होती है

अगर आपको सेक्स के बाद बाथरूम जाने पर जलन महसूस हो रही है, तो यह नार्मल है। वेजाइना और यूरेथ्रा काफी पास में ही होते हैं इसलिए वेजाइना पर पड़े दबाव का दर्द यूरेथ्रा में भी होता है। लेकिन अगर यह दर्द दो-तीन दिन से ज्यादा रहे, तो डॉक्टर की आवश्य सलाह लें।

4. वेजाइना में खुजली हो सकती है

हल्की खुजली सामान्य है, लेकिन अगर आपको बहुत अधिक खुजली हो रही है जिसे कंट्रोल नहीं कर पा रहीं, तो यह कॉन्डम से एलर्जी के कारण हो सकता है। अगर आपने लुब्रिकेंट का इस्तेमाल किया है तो वह भी एलर्जी का कारण हो सकता है।

5. आपको UTI हो सकता है

Do we have to face the risk of UTI after sex?

सेक्स के दौरान आपके ऐनस के पास मौजूद बैक्टीरिया आपकी वेजाइना और यूरेथ्रा तक पहुंच सकते हैं। इससे दर्दनाक UTI हो सकता है। कई बार खुजली और जलन के लिए यही जिम्मेदार होता है।

6. निपल्स और क्लिटोरिस का साइज बदल सकता है

आपके निप्पल्स में कई सारी नसें आकर खत्म होती हैं, जिसके कारण आपके उत्तेजित होने पर निप्पल्स में बदलाव आ जाता है। इससे आपके ब्रेस्ट के टिश्यू फूल जाते हैं और ब्रेस्ट बड़े लगने लग सकते हैं। यही नहीं सेक्सुअली उत्तेजित होने पर आपके निप्पल्स टाइट हो जाते हैं। उसी तरह क्लाइटोरिस में भी बहुत सी नसें खत्म होती हैं, जिससे क्लाइटोरिस का साइज बढ़ जाता है। हालांकि सेक्स के बाद यह नॉर्मल साइज में लौट जाती है।

7. हैप्पी हॉर्मोन्स निकलते हैं

First Time Sex

जब आप सेक्स करने लगती हैं, तो शरीर में ब्लड फ्लो बढ़ जाता है। यही नहीं, उत्तेजित होने पर निप्पल, ऐरीओला और क्लाइटोरिस की मांसपेशियों में टेंशन आ जाती है। सेक्स के दौरान आपको ऑर्गेज्म की प्राप्ति होती है। इस सब का कारण है दिमाग में ऑक्सिटोसिन का बढ़ा हुआ स्तर जो सेक्स के कारण बढ़ता है।

8. वेजाइना की इलास्टिसिटी

आपकी वेजाइना की मांसपेशियां बहुत इलास्टिक होती हैं और यह इलास्टिसिटी बदलती रहती है। आपकी वेजाइना सेक्स के बाद काफी हद तक खुल जाती है, जो कि बिल्कुल सामान्य है। तो लेडीज, सेक्स करने से पहले ही जान लें सेक्स के बाद या दौरान आपके शरीर में क्या बदलाव आएंगे ताकि आप खुद को मानसिक रूप से तैयार कर सकें।

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