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Never ignore these 5 symptoms of kidney infection

Kidney इंफेक्शन के क्या हैं लक्षण-

क्या आपको मालूम है कि किडनी इंफेक्शन क्यों और कैसे होता है? आखिर इस इंफेक्शन के Symptom क्या हैं? बता दें कि किडनी संक्रमण मूत्राशय के संक्रमण से शुरू होता है और फिर एक या दोनों किडनी तक अपनी पहुंच बना लेता है। किडनी इंफेक्शन किसी भी व्यक्ति को हो सकता है लेकिन महिलाओं में किडनी इंफेक्शन सबसे आम है। जिनको भी किडनी में पथरी होती है उनमें भी किडनी इंफेक्शन खतरा अधिक रहता है। इसके कारण आपको फीवर आ सकता हैऔर ठंड लग सकता है। किडनी इंफेक्शन के कारण आपको यूरीन डिस्चार्ज करते समय जलन हो सकती है। किडनी इंफेक्शन का वक्त पर इलाज करवाना काफी अहम होता है, नहीं तो किडनी फेलियर होने का चांस बढ़ जाता है।

क्या हैं किडनी इंफेक्शन के संकेत

पेशाब करते समय जलन महसूस होना

Frequent urination at night can be a sign of serious illness, a look at the dangers

किडनी इंफेक्शन होने पर आपको पेशाब से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जब किडनी इंफेक्शन होता है, तो बार-बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है। इतना ही नहीं, इसकी वजह से पेशाब में जलन हो सकती है और पेशाब करते वक्त दर्द महसूस हो सकता है। जब किडनी इंफेक्शन शुरू होता है तो पेशाब में झाग आ सकता है और पेशाब में खून भी निकल सकता है। किडनी इंफेक्शन के कारण पेशाब में बदबू भी आ जाती है।

किडनी इंफेक्शन होने पर आपको पेशाब से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जब किडनी इंफेक्शन होता है, तो बार-बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है। इतना ही नहीं, इसकी वजह से पेशाब में जलन हो सकती है और पेशाब करते वक्त दर्द महसूस हो सकता है। जब किडनी इंफेक्शन शुरू होता है, तो पेशाब में झाग आ सकता है और पेशाब में खून भी निकल सकता है। किडनी इंफेक्शन के कारण पेशाब में बदबू भी आ जाती है।

अचानक से बुखार आना

एकाएक बुखार का आना और कंपकंपी फील होना भी किडनी इंफेक्शन का शुरुआती लक्षण हो सकता है। अगर आपको अचानक से बुखार आने के साथ ही, कंपकंपी भी महसूस हो तो एक बार किडनी का टेस्ट जरूर करवाएं। हालांकि, बुखार और कंपकंपी होना सिर्फ किडनी इंफेक्शन का संकेत नहीं होता है। इसलिए आपको एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह लेना चाहिए।

पीठ और कमर में दर्द होना

Never ignore these 5 symptoms of kidney infection

किडनी इंफेक्शन की वजह से कमर और पीठ में भी दर्द हो सकता है। जब किडनी इंफेक्शन शुरू होता है, तो पीठ के निचले हिस्से या कमर में दर्द हो सकता है। यह दर्द एक तरफ या दोनों तरफ महसूस हो सकता है। इसलिए अगर आपको कमर में दर्द की समस्या रहती है, तो इस संकेत को बिल्कुल नजरअंदाज न करें। यह संकेत किडनी इंफेक्शन का हो सकता है। इसलिए अगर आपको लंबे समय से कमर या पीठ में दर्द हो रहा है, तो एक बार केएफटी जरूर कराएं।

रह रहकर जी मिचलाना

किडनी में इंफेक्शन होने पर आपको उल्टी आना और जी मिचलाने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। हालांकि, कई अन्य कारणों से भी ऐसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए अगर आपको अचानक से उल्टी आ रही है या जी मिचलाने की समस्या हो रही है तो एक बार डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करें।

थकान और कमजोरी महसूस होना

किडनी में इंफेक्शन होने पर शरीर पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं कर पाता है। इसके कारण आपको थकान और कमजोरी का अनुभव हो सकता है। किडनी इंफेक्शन की वजह से आप अनहेल्दी महसूस कर सकते हैं। आपको हर समय बीमार वाली फिलिंग्स हो सकती है।

फोटो सौजन्य- गूगल

These home remedies can help reduce vaginal dryness in winter.

Vaginal Dryness:

सर्दियों में खासकर बहुत-सी महिलाओं को वेजाइनल ड्राइनेस की समस्या होती है। योनि में सूखापन बढ़ने से इरिटेशन महसूस होती है। वहीं, इससे महिलाओं को सेक्स के दौरान दर्द भी महसूस होता है। वेजाइनल ड्राइनेस की वजह से खुजली और तेज सेंसेशन या जलन जैसी परेशानियां भी महिलाओं को महसूस हो सकती हैं। वहीं, कुछ मामलों में सेक्स के बाद ब्लीडिंग की समस्या भी देखी जाती है। वेजाइनल ड्राइनेस एक तकलीफभर कंडीशन और सर्दियों में यह समस्या बार-बार होने की संभावना भी बढ़ जाती है। ऐसे में वेजाइनल हेल्थ को मेंटेन करने और खुद का ख्याल रखना महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है।

गायनोकॉलोजिस्ट के मुताबिक वेजाइनल ड्राइनेस की समस्या से बचाव को लेकर सलाह दी।

वेजाइनल ड्राइनेस के कारण क्या हैं?

 

हार्मोन्स का प्रभाव

These home remedies can help reduce vaginal dryness in winter.

शरीर में एस्ट्रोजन हॉर्मोन्स का लेवल कम हो जाने से वेजाइना में ड्राइनेस बढ़ सकती है। महिलाओं में प्रेगनेंसी, मेनोपॉज और बेस्टफीडिंग के दौरान एस्ट्रोजेन का स्तर कम हो सकता है।

दवाओं के साइड-इफेक्ट्स

डिप्रेशन और कैंसर के इलाज के दौरान दी जाने वाली दवाओं और एंटीहिस्टामाइन गोलियों (antihistamines tablet) के साइड-इफेक्ट्स के कारण भी वेजाइनल ड्राइनेस की समस्या हो सकती है।

ये हैं बीमारियां

किसी पुरानी ऑटोइम्यून बीमारी, सिंड्रोम और डायबिटीज जैसी बीमारियों के कारण भी वेजाइनल ड्राइनेस की समस्या हो सकती है।

लाइफस्टाइल से जुड़ी वजह

स्मोकिंग, स्ट्रेस और अनहेल्दी लाइफस्टाइल की वजह से भी इस तरह की समस्याए बढ़ सकती हैं।

वेजाइनल ड्राइनेस की समस्या से बचने के उपाय क्या हैं?

एक्सपर्ट के अनुसार, वेजाइनल ड्राइनेस और इंटीमेसी के दौरान होनेवाली तकलीफों को सही अप्रोच और कुछ सावधानियों की मदद से कम किया जा सकता है। हाइड्रेटेड रहकर, शरीर में हार्मोनल बैलेंस बनाकर, वॉटर बेस्ड लुब्रिकेंट्स का इस्तेमाल करने के अलावा सेक्स से पहले फोर प्ले की मदद लेने से ये समस्याए कम हो सकती हैं।

हालांकि, अगर इन सबके बाद भी आपको दर्द और योनि में सूखापन की समस्या बनी रहती है तो किसी स्पेशलिस्ट की सलाह लें।

वेजाइनल ड्राइनेस के घरेलू और नेचुरल उपचार (Home remedies for treating Vaginal Dryness problem)

दही का ऐसे करें सेवन

दही एक नेचुरल प्रोबायोटिक है। प्रोबायोटिक्स गट में हेल्दी बैक्टेरिया (Healthy bacteria in Gut) को बढ़ाने का काम करते हैं। इससे आपका डाइजेशन भी सुधरता है। प्रोबायोटिक्स वेजाइनल हेल्थ को भी बेहतर बनाते हैं। ये संक्रमण के रिस्क को कम करने के साथ-साथ ड्राइनेस की समस्या से भी बचाते हैं। वहीं, प्रोबायोटिक्स आपके ब्लैडर को भी हेल्दी रखते हैं।

दही के अलावा पनीर, अचार और किमची (Kimchi) का भी सेवन आप प्रोबायोटिक्स के लिए कर सकती हैंय़

विटामिन E रिच फूड्स खाएं 

शरीर को अगर सही मात्रा में विटामिन ई प्राप्त होता है तो इससे वेजाइनल लुब्रिकेशन भी बढ़ जाता है। इससे योनि में ड्राइनेस की समस्या कम होती है। विशेषकर मेनोपॉज के बाद महिलाओं में वेजाइनल ड्राइनेस की परेशानी बढ़ सकती है। ऐसे में महिलाएं अपनी डाइट में विटामिन ई रिच फूड्स जरूर शामिल करें।

एवोकाडो, फ्लैक्सीड्स और पम्पकिन सीड्स के अलावा अंडे, फिश और शकरकंद में विटामिन ई (Vit E) पाया जाता है।

 हमेशा हाइड्रेटेड रहें

वेजाइनल ड्राइनेस से बचने का एक सबसे आसान तरीका है हाइड्रेशन। अगर आप सही मात्रा में पानी पीती हैं तो इससे वेजाइनल ड्राइनेस से बचने में आसानी हो सकती है। इसीलिए, रोजाना 8-10 गिलास पानी जरूर पीएं। सर्दियों के मौसम में लिक्विड इंटेक बढ़ाने के लिए आप गर्म सूप, दाल का पानी, नारियल पानी और फल-सब्जियों के जूस भी पी सकती हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

Your child will sleep soundly as soon as he goes to bed

Sleep Benefits: बच्चों के फिजिकल और मेंटल डेवलपमेंट के मद्देनजर भरपूर नींद बहुत ही जरूरी है। जल्दी सोने और जल्दी उठने से बच्चों में अनुशासन आता है और वे स्वस्थ्य रहते हैं। इससे बच्चों की इम्यूनिटी भी बूस्ट होती है। बचपन से बच्चों का एक टाइम सेट करें, उसके मुताबिक ही बच्चों को जागना, सोना, पढ़ना, खेलना सिखाएं। हालांकि ज्यादतर माता-पिता इन बातों पर अपने बिजी शेड्यूल की वजह से ध्यान नहीं दे पाते हैं। पेरेंट्स खुद रात में देर से सोते हैं और बच्चे भी उन्हीं के साथ सोना पसंद करते हैं, ऐसे में उनका बेड टाइम भी लेट हो जाता है। पर साधारण से लगने वाली ये बात गंभीर है। इसलिए बच्चों को वक्त पर सोने और उठने की आदत डालें। कुछ तरीके आपके लिए बेहद कारगर हो सकते हैं-

लेट नाइट डिनर से बचें

अगर आप चाहते हैं कि बच्चा समय पर सो जाए तो आप लेट नाइट डिनर से बचें। रात 08 बजे से पहले आप डिनर कर लें। डिनर और बच्चों के सोने के समय में कम से कम 02 से 03 घंटे का गैप होना जरूरी। ऐसा करने से एसिड रिफ्लक्स और पाचन संबंधी अन्य समस्याएं नहीं होंगी।

स्क्रीन टाइम पर दें कम रखें

Your child will sleep soundly as soon as he goes to bed

आमतौर पर बच्चे माता-पिता के साथ देर तक टीवी या फिर मोबाइल देखते हैं। लेकिन यह पेरेंट्स की बड़ी भूल है। स्क्रीन की ब्लू लाइट बच्चों के साथ ही बड़ों की नींद में खराब करती है। इसलिए सोने से कम से कम 1 घंटे पहले बच्चे को स्क्रीन से दूर रखें।

चीनी और कैफीन की मात्रा कम दें

बच्चों को हमेशा चीनी और कैफीन से दूर रहना चाहिए पर ज्यादातर बच्चे सोने से पहले दूध पीते हैं, जिसमें कॉफी या फिर चॉकलेट पाउडर आदि भी डाला जाता है। लेकिन चीनी और कैफीन दोनों ही नींद के दुश्मन हैं। इससे बेड पर जाने से ठीक पहले बच्चों को दूध न दें। बच्चों को दूध देने का बेस्ट टाइम शाम 4 से 6 के बीच है। उसी समय उन्हें दूध दें।

सोने का रूटीन बनाएं

Your child will sleep soundly as soon as he goes to bed

सोने से कम से कम 30 मिनट पहले इसका एक रूटीन सेट करें। किताबें पढ़कर बच्चों को सुनाएं, कहानियां सुनाएं, लोरी गाएं। इनसे बच्चा मेंटली और फिजिकली सोने के लिए तैयार होगा। वहीं बच्चों को सुलाने से पहले उनके साथ खेलने या फिर हंसी मजाक करने जैसी एक्टिविटी न करें। इससे बच्चे का माइंड एक्टिव रहेगा और वो सोना ही नहीं चाहेगा।

रात में बनाएं सोने का माहौल

अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा गहरी और अच्छी नींद ले तो उसे अच्छा नींद का माहौल दें। कमरे को साफ करें, बेडशीट या तो चेंज करें या फिर उसे फिर से ठीक से बिछाएं, कमरे की रोशनी धीमी करें, पर्दे अच्छे से लगाएं। बच्चों को नाइट वियर जरूर पहनाएं। ये उनकी नाइट रूटीन का हिस्सा होने चाहिए। उन्हें नहलाकर या फिर हाथ मुंह वॉश करके क्रीम और पाउडर लगाएं। इससे वे रिलैक्स होंगे। इसी के साथ कमरे का टेंपरेचर बच्चों के अनुसार सेट करें। इससे बच्चे को पता चल जाएगा कि अब सोने का समय है और वे गहरी नींद सो पाएंगे। इतना ही नहीं उनकी नींद बीच-बीच में टूटेगी नहीं।

फोटो सौजन्य- गूगल

Bollywood's King Khan also posted an emotional post remembering Dharam ji

Dharmendra:

सिनेमा जगत के हीमैन का निधन हो गया। वह 12 नवंबर को ही अस्पताल से घर लौटे थे। धर्मेंद्र को 31 अक्टूबर को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसके बाद से घर पर ही उनका इलाज डॉक्टरों की देखरेख में चल रहा था। उनका सोमवार को मुंबई के विले पार्ले में अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके अंतिम दर्शन करने के लिए शोले के जय यानी अमिताभ बच्चन, संजय दत्त, शाहरुख खान, अक्षय कुमार, सलमान खान, आमिर खान, शबाना आजमी और अनिल कपूर समेत की दिग्गज सितारे पहुंचे। श्मशान घाट पर धर्मेंद्र की बेटी ईशा देओल और पोते करण देओल को काफी इमोशनल देखा गया।

Dharmendra's family has put an end to the rumours about his health after being on a ventilator

बॉलीवुड के किंग खान ने भी धरम जी को याद करते हुए पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा- ‘मेरे लिए आप सिर्फ एक महान कलाकार नहीं, एक पिता जैसे मार्गदर्शक थे।’

हेमा मालिनी की भी आंखें नम थीं। धर्मेंद्र और हेमा ने 1980 में शादी की थी और आखिर 45 साल बाद दोनों को साथ छूट गया। धर्मेंद्र का जन्म 8 दिसंबर, 1935 को पंजाब के साहनेवाल गांव में हुआ था। 65 साल के करियर में 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और वह हिंदी सिनेमा में सबसे ज्यादा हिट फिल्मों का रिकॉर्ड रखते हैं। धर्मेंद्र ने 1960 में ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से डेब्यू किया और साल 1960 के दशक में पॉपुलर हो गए। उनका आई मिलन की बेला, फूल और पत्थर और आए दिन बहार के.. ने उन्हें इस दशक में रातोंरात लोकप्रियता दिलाई। वहीं उन्हें हीमैन का दर्जा दिया गया, जो आज भी कायम है। उनकी फिल्में शोले से लेकर यमला पगला दीवाना तक सभी फिल्में फैंस की फेवरेट रही हैं। धर्मेंद्र ने शोले, धर्मवीर, चुपके-चुपके, मेरा गांव मेरा देश और ड्रीम गर्ल जैसी कई यादगार फिल्में दीं।

हाल ही में वो शाहिद कपूर-कृति सेनन की फिल्म ‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ में नजर आए थे। अब वो जल्द ही अगस्त्य नंदा की फिल्म ‘इक्कीस’ में दिखेंगे, जो इस साल 25 दिसंबर को रिलीज होगी। इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज हो चुका है, जिसमें धर्मेंद्र को शानदार अंदाज देखने को मिला।

 

Mental Health: Parents yelling at children has a serious impact on their minds

Mental Health:

कई पैरेंट्स छोटी-मोटी बात पर आपस में चिल्लाने लगते हैं या वह बच्चों पर गुस्सा करने लगते हैं, जो सभी को आम बात लगती है। दिनभर की थकान, काम का टेंशन और बच्चों की शरारतें सब मिलकर कभी-कभी पैरेंट्स को चिल्लाने पर मजबूर कर देते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि लगातार गुस्सा या चिल्लाने से बच्चों के दिमाग और भावनाओं पर गंभीर असर पड़ता है?

शायद आपको तुरंत इसका पता ना चले लेकिन घर पर बच्चों के साथ होने वाली कसकर चिल्लाने से छोटे व बड़े दोनों उम्र के बच्चों के दिमाग पर असर डालती है। साइकोलॉजिस्ट के मुताबिक गुस्से में चिल्लाने पर बच्चे का मस्तिष्क डर और तनाव की स्थिति में चला जाता है। उनके शरीर में कॉर्टिसोल नामक तनाव हार्मोन बढ़ जाता है। लंबे वक्त तक यह हार्मोन ज्यादा रहने से बच्चे में चिंता, अवसाद और सीखने की क्षमता में कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

बच्चों पर उनकी उम्र के हिसाब से प्रभाव

छोटे बच्चे का मस्तिष्क अभी विकसित हो रहा होता है, इसलिए चिल्लाना उन्हें बहुत डराता है और वे सहज रूप से सीख नहीं पाते। वहीं, किशोरावस्था में लगातार डांट और चिल्लाना उनके आत्म-सम्मान, कॉन्फिडेंस और सामाजिक व्यवहार को डिस्टर्ब कर सकता है।

चिल्लाने की जगह ये करें

Mental Health: Parents yelling at children has a serious impact on their minds

  • संयम बनाएं- गुस्से में फौरन चिल्लाने की बजाय पहले खुद शांत होना जरूरी।
  • सकारात्मक भाषा अपनाएं- बच्चों को डांटने की बजाय समझाने की कोशिश करें।
  • मिसाल के तौर पर- बच्चा होमवर्क नहीं करता? चिल्लाने की बजाय उसके साथ बैठकर कारण समझें और हल खोंजे।
  • प्रोत्साहन दें- छोटी छोटी अच्छी आदतों और प्रयासों को सराहें। इससे बच्चा ज्यादा आत्मविश्वासी बनता है।

माता-पिता के लिए खास टिप्स

खुद के तनाव को पहचाने- अगर आप तनाव में हैं, तो गुस्से को नियंत्रित करना मुश्किल होता है। शांत होने के तरीके अपनाएं-गहरी सांस लें, ध्यान करें, थोड़ी शारीरिक गतिविधि करें या थोड़ा समय अकेले बिताएं।

संवाद बनाएं, आदेश नहीं- बच्चों से बात करें, उन्हें समझाएं कि गलती सुधारने का मौका है।

चिल्लाने के नुकसान

  1. बच्चों में डर और असुरक्षा की भावना बढ़ती है।
  2. उनकी सोचने और सीखने की क्षमता पर असर पड़ता है।
  3. लंबे वक्त में भावनात्मक समस्याएं और आत्मविश्वास में कमी आ सकती है।
  4. सामाजिक जीवन और रिश्तों में भी असर दिखाई दे सकता है।

सबसे अहम बात

Mental Health: Parents yelling at children has a serious impact on their minds

डॉक्टर के अनुसार बच्चों के लिए प्यार और सुरक्षा की भावना सबसे अहम है। जब हम गुस्से में चिल्लाते हैं तो वे सिर्फ डर महसूस करते हैं और सीखने या सोचने की जगह बचने पर ध्यान देते हैं।
इसलिए हर बार गुस्सा आने पर एक गहरी सांस लें और बच्चों के साथ संवेदनशील, प्यार सा और सकारात्मक संवाद करें। चिल्लाना तात्कालिक राहत दे सकता है पर लंबे समय में यह बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास को प्रभावित करता है। संयम, समझदारी और मोहब्बत से बच्चों को समझाना उन्हें हेल्दी, खुशहाल और आत्मविश्वासी बनाता है।

हाइलाइट्स-

आपका बच्चों के साथ कैसा व्यावहार करते हैं,इसका बच्चे के दिमाग पर सीधा असर पड़ता है। चिल्लाने से बच्चे के मन में डर पैदा हो जाता है।
बच्चों पर चिल्लाने के बजाय प्यार से बात करें और कूल होकर समझाएं।

फोटो सौजन्य- गूगल

Dharmendra's family has put an end to the rumours about his health after being on a ventilator

Dharmendra Health: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र की तबीयत के मद्देनजर सोशल मीडिया पर कई तरह की खबरों के बीच, उनके परिवार और सनी देओल की टीम की ओर से आई आधिकारिक जानकारी सामने आई है।

देओल परिवार के अनुसार धर्मेंद्र की तबीयत फिलहाल स्थिर है और उनकी हालत में सुधार जारी है। आइये जानते हैं कि एक्टर धर्मेंद्र के साथ अस्पताल में कौन-कौन है और उनकी तबीयत में कितना सुधार है? 89 साल की उम्र में भी धर्मेंद्र अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के लिए जाने जाते हैं और डॉक्टरों ने उनकी हालत को स्थिर बताया है। धर्मेंद्र की देखभाल एक्सपर्ट डॉक्टर की टीम की निगरानी में की जा रही है। वहीं, उनके परिवार के सभी सदस्य हेमा मालिनी सनी देओल और बॉबी दओल अस्पताल में मौजूद हैं। धर्मेंद्र के फैंस और इंडस्ट्री के साथी सितारे लगातार उनके जल्द स्वस्थ होने की दुआ कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर #GetWellSoonDharmendra ट्रेंड कर रहा है और देशभर में दुआओं का सिलसिला जारी है।

परिवार ने झूठी खबरों का किया खंडन

धर्मेंद्र के परिवार ने अफवाहों पर पूरी तरह विराम लगा दिया है। सनी देओल की टीम ने कहा कि वे रिकवर कर रहे हैं और इलाज का असर हो रहा है। आइए हम सब उनके अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें। टीम ने यह भी बताया कि वह लगातार मीडिया से संपर्क में हैं और धर्मेंद्र की तबीयत पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने लोगों से किसी भी तरह की अफवाह पर रोक लगाने की अपील की है।

बता दें कि धर्मेंद्र की तबीयत को लेकर झूठी खबरें सोशल मीडिया पर रातोंरात फैल गई थीं। इन खबरों को देखकर कई नामी हस्तियों और राजनीतिक नेताओं ने भी श्रद्धांजलि संदेश साझा कर दिए, लेकिन कुछ ही घंटों में धर्मेंद्र के परिवार ने इन खबरों का खंडन किया और कहा कि अभिनेता का इलाज चल रहा है।

 

Heating food in a microwave can lead to serious diseases like cancer

Microwave में खाना गर्म करना सेहत के लिए नुकसानदायक

आज के टेक्नोलॉजी के इस युग में घरेलू जिंदगी में बहुत सारी सुविधाएं हो गई हैं। अब हर काम के लिए मशीनें हाजिर हैं। ऐसी ही एक मशीन है माइक्रोवेव, जिसे खाने को गर्म रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आजकल ज्यादातर घरों में माइक्रोवेव पाया जाता है पर क्या आप जानते हैं कि माइक्रोवेव में खाना गर्म करना हेल्थ के लिए भारी नुकसानदेह हो सकता है। बता दें कि माइक्रोवेव इलेक्ट्रिक होने के कारण इससे रेडिएशन निकलती है, जोकि खाने को रेडियोएक्टिव बना सकता है। माइक्रोवेव ऐसे में गर्म किए गए खाने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां होने की आशंका बनी रहती है।

माइक्रोवेव में खाना गर्म करते वक्त कभी भी ऐसी गलती ना करें

Heating food in a microwave can lead to serious diseases like cancer

वैसे माइक्रोवेव में खाना गर्म किया जा सकता है लेकिन सावधानी भी रखनी होगी। खाना सेहत को नुकसान ना पहुंचाए। रिसर्च में यह साफ हुआ है कि माइक्रोवेव से रेडिएशन केवल खाना गर्म करने को लेकर निकलता है। हालांकि, कुछ गलतियां करने से फिर भी बचना चाहिए।

माइक्रोवेव के बर्तन ही इस्तेमाल करें

अगर आप चाहते हैं कि माइक्रोवेल में खाना गर्म करने के बाद भी वह सेहत को नुकसान न पहुंचाए, तो इसके लिए माइक्रोवेव में उन बर्तनों का ही इस्तेमाल करें, तो इस मशीन के लिए बने होते हैं। प्लास्टिक के बर्तन गर्म होने पर हानिकारक केमिकल छोड़ सकते हैं। ऐसे में यह सेहत के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है।

नॉर्मल टेंपरेचर पर ही गर्म करें खाना

ऐसा तो सभी जानते हैं कि खाने को ज्यादा पकाने से पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। ऐसे में यदि सही तापमान और सही समय तक खाने को गर्म किया जाए, तो इससे खाने को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचता है। पौष्टिकता के लिहाज से यह सुरक्षित रहता है।

माइक्रोवेव में ज्यादा टाइम सेट कर खाना न करें गर्म

Heating food in a microwave can lead to serious diseases like cancer

माइक्रोवेव में खाने को ज्यादा समय तक भी गर्म नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह न सिर्फ खाने के टेस्ट को खराब करता है, बल्कि ओवन को भी खराब कर सकता है। दरअसल, ज्यादा देर तक खाना गर्म करने पर उसके पोषक तत्व भी खत्म हो जाते हैं।

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फॉयल पेपर में गर्म न करें खाना

बता दें कि ओवन में भूलकर भी एल्युमीनियन फॉयल पेपर नहीं रखना चाहिए। असल में, इससे माइक्रोवेव को तो नुकसान पहुंचता ही है, साथ ही सेहत के लिए भी यह सुरक्षित नहीं है। ऐसे में अगर आप ओवन में खाना गर्म कर रहे हैं, तो सिरेमिक या फिर कांच के बर्तनों का इस्तेमाल ही करें। माइक्रोवेव का सही से इस्तेमाल कर अपना और अपनों का ख्याल रखें।

फोटो सौजन्य- गूगल

Mental Health: Excessive stress has a direct connection with your memory

Mental Health: आजकल हर किसी की जिंदगी में बस भागदौड़ है और किसी ना किसी बात को लेकर तनाव है। लगातार टेंशन और स्ट्रेस में रहने के कारण कई तरह की समस्याएं हो सकती है। किसी को ऑफिस का स्ट्रेस है तो किसी को घर का, हर इन्सान किसी ना किसी बात से तनावग्रस्त है। तनाव की वजह से सिर्फ मानसिक समस्याएं ही नहीं, बल्कि कई तरह की फिजिकल समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। बता दें कि लंबे समय तक स्ट्रेस में रहना आपके दिमाग को प्रभावित कर सकता है।

डॉक्टर का कहना है कि जब आप टेंशन लेते हैं तो दिमाग से कॉर्टिसोल नाम का हार्मोन निकलता है जिसकी वजह से आपको अच्छा फील नहीं होता है। कभी कभी ऐसा होना नार्मल है लेकिन जब आप लंबे वक्त तक तनाव में रहते हैं तो दिमाग पर इसका विपरीत असर पड़ने लगता है। इसकी वजह से आपकी याददाश्त कमजोर होने लगती है और आप बातें भूलने लगते हैं।

तनाव दिमाग को कैसे प्रभावित करता है?

Mental Health: Excessive stress has a direct connection with your memory

  • ज्यादा तनाव लेने से दिमाग का एक हिस्सा, हिप्पोकैम्पस, सिकुड़ जाता है। यह दिमाग का वह भाग है जहां मेमोरी होती है और जो सीखने से जुड़ा हुआ है। ज़्यादा टेंशन लेने से हमारा दिमाग़ सिर्फ थकता नहीं है, बल्कि इससे हमारी सोचने की क्षमता में भी गिरावट आ जाती है। हम अपने अंदर की क्रिएटिविटी खो देते हैं, हमें फैसले लेने में घबराहट होती है।
  • ज्यादा तनाव सेरोटोनिन और डोपामाइन के स्तर को, बिगाड़ देता है, जो दिमाग के लिए जरूरी है। इस कारण, चिंता, अवसाद और अनिद्रा की परेशानी हो सकती है।
  • ज्यादा तनाव के कारण कोर्टिसोल का स्तर बढ़ने से दिमाग और शरीर की सूजन को बढ़ जाती है, जो समय के साथ बढ़ सकती है। अगर इसका इलाज न किया जाए, तो अल्जाइमर या पार्किंसंस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
  • ज्यादा तनाव से प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स प्रभावित होता है। इसकी वजह से व्यक्ति चिड़चिड़ा, मूड स्विंग्स, अकेलापन और ओवर सेंसिटिविटी महसूस करता है।

दिमाग को तनाव से ऐसे बचाएं- 

  1. टाइम मैनेजमेंट करें – कामों की लिस्ट बनाकर प्रायोरिटी सेट करें।
  2. बॉडी को मूव करें – रोज़ाना 20–30 मिनट वॉक या एक्सरसाइज स्ट्रेस को घटाती है।
  3. नींद जरूरी है- रात में 7-8 घंटे की अच्छी नींद जरूर लें।
  4. सांस पर ध्यान दें – गहरी सांस लेने से दिमाग तुरंत रिलैक्स होता है।
  5. डिजिटल डिटॉक्स – थोड़ी देर मोबाइल और सोशल मीडिया से दूर रहें।
  6. पॉजिटिव एक्टिविटी – म्यूजिक, पढ़ना, मेडिटेशन या हॉबी टेंशन घटाते हैं।
  7. लोगों से बात करें – अपनी फीलिंग्स शेयर करने से बोझ हल्का होता है।
Chhath Puja: On Chhath, the great festival of folk faith

CHHATH PUJA: देशभर में लोक आस्था का महापर्व छठ पूरे हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। सोमवार शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखांड समेत देश के कई हिस्सों में नदियों के घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।

Chhath Puja

दिल्ली में भी यमुना तट पर पारंपरिक गीतों और पूजा के बीच माहौल आस्थामय दिखा। इस अवसर पर ना सिर्फ आम लोगों के साथ ही नेतागण और भोजपुरी इंडस्‍ट्री के कलाकार भी भक्ति में लीन नजर आए। घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे और प्रशासन ने व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने के लिए विशेष टीम तैनात की थी। छठ पूजा की खासियत यह रही कि लोग सुबह से ही तैयारी में जुटे रहे और शाम होते ही सूर्य को अर्घ्‍य देने के लिए घाटों पर पहुंचे। सोमवार को इस पर्व के तीसरे दिन व्रती महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया।

Importance of 'Chhath', the great festival of folk faith, from bathing to Arghya

बिहार में छठ ना सिर्फ आस्था का पर्व है, बल्कि इस बार चुनावी मौसम ने इसमें राजनीति का रंग भी जोड़ दिया है। विधानसभा चुनाव के कारण कई उम्मीदवार घाटों पर पहुंच रहे हैं और श्रद्धालुओं से जनसंपर्क करते नजर आए।

फोटो सौजन्य- गूगल

Chhath Puja: Learn the significance and method of preparation of Kharna

Chhath Puja: महापर्व छठ का आगाज 25 अक्टूबर को हो चुका है। चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व का समापन 29 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर होगा। पहले दिन नाहय-खाय और आज यानी 26 अक्टूबर को छठ पर्व के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है। खरना का भी अपना विशेष महत्व है। छठ में सूर्य देवता के साथ ही छठी मैया की भी पूजा की जाती है। यह त्योहार बिहार का विशेष त्योहार है जिसे झारखंड, उत्तर प्रदेश में रहने वाले लोग बड़े ही आस्था के साथ मनाते हैं। खरना को लोहंडा भी कहा जाता है। खरना पर खास प्रसाद बनाया जाता है जिसका अपना अलग महत्व है। इसी खास प्रसाद को व्रती खाते हैं।

खरना पर प्रसाद में क्या बनता है?

Chhath Puja

खरना 26 अक्टूबर को है। इस दिन गुड़ वाली खीर और रोटी बनती है। यह खीर मिट्टी का नया चूल्हा बनाकर तैयार किया जाता है। वह भी आम की लकड़ी जलाकर बनाने की प्रथा है। दूसरी लकड़ी का इस्तेमाल इसमें वर्जित माना गया है। व्रती पूजा के बाद प्रसाद के तौर पर इसका ही सेवन करते हैं।

खरना प्रसाद का महत्व ?

खरना वाले दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं। शाम के समय जब मिट्टी का चूल्हा बनाया जाता है, तो उस पर गुड़ की खीर, रोटी बनाई जाती है। आप इसे पीतल या मिर्टी के बर्तन में बना सकते हैं। साथ ही गेहूं की रोटी या फिर पूड़ी बनाई जाती है। शाम में सूर्य देव को पूजा-आराधना करके इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं।

आम की लकड़ी ही क्यों किया जाता है इस्तेमाल?

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक आम का पेड़ छठी मइया को प्रिय है। आम की लकड़ी शुद्ध, सात्विक होता है। मान्यता है कि आम की लकड़ी पर पके भोजन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। साथ ही इसका धुआं वातावरण को शुद्ध करता है।

खरना का क्या है महत्व?

खरना छठ पर्व के दूसरे दिन पड़ता है और यहीं से 36 घंटे वाला निर्जला व्रत शुरू होता है। खीर और रोटी खाने के बाद व्रती अन्न और जल ग्रहण नहीं करते हैं। खरना के दिन बनने वाली गुड़ की खीर खाने से छठी मइया का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह सेहत, सुख-समृद्धि, संतान सुख भी देता है। व्रती जब सूर्य देव को अर्घ्य दे देते हैं तो इस प्रसाद का सेवन किया जाता है। उसके बाद ही घर के अन्य सदस्य भी इसे खाते हैं। यहां से शुरू होता है व्रती का 36 घंटे का निर्जला व्रत 27 अक्टूबर को संध्या अर्घ्य और 28 को उगते सूरज को अर्घ्य देकर पूजा का पारण होता है।

खरना प्रसाद गुड़ की खीर बनाने की विधि

इसके लिए मिट्टी या पीतल के बर्तन में दूध डालकर उबालें। इसमें चावल को तीन-चार बार साफ पानी से धोकर डालें। जब चावल पक जाए तो उसमें गुड़ डालकर पकाएं, आंच को कम ही रखें, आप इसमें थोड़ा सा शुद्ध घी भी मिला सकते हैं। अपना पसंदीदा ड्राई फ्रूट्स, इलाचयी पाउडर भी डाल दें।

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