Search
  • Noida, Uttar Pradesh,Email- masakalii.lifestyle@gmail.com
  • Mon - Sat 10.00 - 22.00

Category Archives: Lifestyle

ख्वाहिशें

आज हम कुछ ऐसी परिस्थितियों पर बात करने जा रहे है जो हमारे ऊपर इस कदर हावी हो जाती है कि हम उनकी ऊंगली पकड़े सब पीछे छोड़ उनके साथ हो लेते है। वैसे सच कहूं तो हमारे सामने कोई दूसरा विकल्प नहीं होता इसलिए हम कुछ नहीं कर पाते।

तो मैं आपका ज्यादा समय ना लेते हुए आपको उलझनों में न डालते हुए शुरू करती हूं तो चलिए…

भागमभाग के इस दौड़ में हम उस ज़िन्दगी से बहुत दूर निकल आए है  जिसे कभी हमने भरपूर जिया होता है हर लम्हें को पास से छू कर देखा होता है, शोर के साथ अपनी आवाज़ मिलाकर दिल के तार छेड़े होते है, खामोशियों के साथ अपनी अलग ही कोडिंग की होती है।

हवा के झोंके के साथ बहना सीखा होता है, कड़ी धूप में भी अपनी मस्ती के साथ छांव का अहसास किया होता है, रात भर आखों से गुम हुई नींद को छत पर बैठकर तारों से बातें करते हुए आवाज़ लगाई होती है…हर पल को कुछ इस तरह से जिया होता है जैसे वो हमारी ज़िन्दगी का आखिरी पल हो।

लेकिन कहते है ना “जब सिर पर जिम्मेदारियां बढ़ जाती है तो ख्वाहिशें खुदकुशी कर लेती है” बस कुछ यही होता है जब ज़िन्दगी अपनी रफ्तार से आगे बढ़ रही होती है और हम उसी रफ्तार से पीछे छूट रहे होते है…पर फिर भी कभी कभी उस पीछे छूटी ज़िन्दगी को दिल बिल्कुल वैसे ही दोबारा अपनी मुट्ठी में दबाना चाहता है जैसे वो अपनी मां का दिया हुए एक रुपये का सिक्का ये समझ कर दबा लेता है कि ये सिर्फ उसका है और इसपर सिर्फ उसका हक है…फिर कितनी कोशिश करनी होती है उसे समझने के लिए देखिए:-

बहुत समझाया मैंने ख्वाहिशों को फिर भी मुंह उठाए चली आती है।

वो ज़िन्दगी रहती ही नहीं अब उस पते पर आकर वो जिसकी डोर बेल  बजाती है।।

समझती नहीं वो की समझदारी आते ही, मासूमियत अपनी सीट छोड़े जाती है, लफ्ज़ जब तक समझ आते है ठीक से, तब तक बातें बेअसर हो जाती है। समझती ही नहीं वो की अब वो सुकून भरी रात कहां आती है।

जब तक उस लम्हें तक पहुंचते है हम, तब तक ज़िन्दगी दोबारा रफ्तार भरे जाती है। बहुत समझाया मैंने ख्वाहिशों को फिर भी मुंह उठाए चली आती हैं, वो ज़िंदगी रहती ही नहीं अब उस पते पर, आकर वो जिसकी डोर बेल बजाती है।

समझती नहीं वो की सर्दियों की वो गरम धूप अब मेरी ठिठुरन और बढ़ाती है, जब तक ज़िम्मेदारियों से फारिक़ होते है हम, तब तक वो भी अपने घर लौट जाती है।

कैसे समझाऊं इसे कि ये बारिश मेरे कपड़ों की बजाए, अब मेरी रूह को भिगोती है, नहीं समझती वो कि ज़िन्दगी अब एक साबुन सी हो गई है जितना जीने कि कोशिश करो उतना घिसती चली जाती है।

आती है अब भी वो पुरानी यादें, और मेरे कंधे पर सिर रखकर अपना मन हल्का किए जाती है,

जो कुछ छूट गया है पीछे उन सब की लिस्ट मुझे थमा जाती है,

कैसे समझाऊं उसे कि इन सब बातों को दिल पर ना ले,

ये ज़िन्दगी है यूंही कट जाती है,

कभी हम ख्वाहिशों को छोड़ देते है और कभी ख्वाहिशें हमें छोड़ जाती है..।

बहुत समझाया मैंने ख्वाहिशों को फिर भी मुंह उठाए चली आती हैं,

वो ज़िंदगी रहती ही नहीं अब उस पते पर, आकर वो जिसकी डोर बेल बजाती है।

पति-पत्नी का प्यार

उनकी सब बातें सुनती हूं लेकिन वह मेरी बातों को अनसुना कर देते हैं। प्यार तो करते हैं लेकिन गिफ्ट कभी-कभी देते हैं। ये कुछ ऐसी शिकायतें हैं जो महिलाओं को अक्सर अपने पार्टनर से होती है। मुमकिन है कि आपके पति आपके दोस्त के पति की तरह सोशल नेटवर्किंग को तवज्जो कम देते हों और फेसबुक और इंस्टा पर प्यार की बिगुल बजाते ना दिखें तो घबराएं नहीं.. क्योंकि ऐसी बहुत सी बातें हैं जो आपके पति को आपके बारे में पसंद हैं और इस बारे में आप अंजान हों।

बिना डिमांड ख्वाहिश को समझना

पति पर भरोसा

कॉफी टेबल पर पड़ी गर्म चाय की प्याली हो या गीली टावेल बेड पर… आप पहले तो थोड़ा बड़बड़येंगी पर फिर खुद ही टावेल बाहर डालेंगी और बिना उनकी डिमांड के फ्रेश चाय बना देंगी। अब आपकी इस खास अदा पर आपके पति नजदीक आने का बहाना ढूंढ़ेंगे। दिन भर में ऐसे और भी कई काम हैं जो आप बिना कहें करती हैं और आपके पति मन ही मन खुद को भाग्यशाली मानते हैं।

तारीफ के ‘वो’ दो लफ्ज़

अरे वाह! आज तो बड़े स्मार्ट लग रहे हो.. अगर आप भी यूं ही अपने पतिदेव की थोड़ी-बहुत तारीफ कर देती है तो आपके पति को आपकी यह बात काफी पसंद है। जी हां, पुरुष भले ही तारीफ सुनने पर महिलाओं की तरह अपनी खुशी जाहिर ना करते हों लेकिन कॉम्पलीमेंट किसे पसंद नहीं।

चाहे कितनी भी हो जिम्मेदारियां नहीं भूलती तारीख

पति के लिए तोहफा

महिलाएं चाहें कितनी प्रोफेशनल क्यों ना हों, कितनी भी एडवांस क्यों ना हों लेकिन शादी की सालगिरह से लेकर आपकी वो पहली मुलाकात ना भूलती हैं और ना भूलने देती हैं। आपके पार्टनर भले ही इन तारीखों को खुद याद ना रखते हों पर आपका इन तारीखों को महत्व देना, याद रखना और सेलिब्रेट करना उन्हें काफी पसंद है।

..आपका गुस्सा लाज़मी है लेकिन

गुस्से में पत्नी

आपके हसबैंड डिनर पर समय पर नहीं पहुंच पाएं, आपका बर्थडे पर गिफ्ट नहीं लाए तो आपका गुस्सा मुनासिब है लेकिन बावजूद इसके सुबह नाश्ते पर आपका उनका इंतजार करना, काफी पसंद हैं उन्हें। आप खफा तो होती है पर आपका प्यार कम नहीं होता और इसी बात से आपकी इज्जत उनके दिल में और बढ़ जाती है।

आप हैं स्पेशल और परफेक्ट मॉम

परफेक्ट मॉम

मां बच्चे के लिए रोल मॉडल से कम नहीं होतीं। मां के साथ बच्चे अपना ज्यादातर समय भी बिताते हैं। आज के समय में भले ही महिलाएं और पुरुष दोनों की अपनी प्रोफेशनल लाइफ हो और दोनों व्यस्त रहते हों पर महिलाओं को अपनी व्यस्तता के बीच भी बच्चों के लिए समय निकालने में महारत होती है। अपने बच्चों पर ध्यान देने से लेकर उन्हें पढ़ाना-लिखाना जो शायद आपके पति आपसे ना कहें लेकिन मन ही मन वह खुश भी होते हैं और आपको इस होम बैलेंस के लिए मानते भी हैं।

फेवरेट खाना बनाना

फेवरेट खाना

कोई मौका नहीं चाहिए महिलाओं को अपने परिवार के लिए उनकी फेवरेट डिश बनाने के लिए। बारिश हो तो पकौड़े तल दिए, बच्चों की डिमांड से पहले चॉकलेट केक बेक कर दिया…हर जगह यही कहानी है…। विश्वास कीजिए दफ्तर में लंच बॉक्स खोलते समय जब उनकी पसंदीदा डिश उनके सामने होती है तो वह खुद को बड़ा लकी मानते हैं और दोस्तों के सामने खुद को खुशनसीब दिखाने का यह मौका नहीं गंवाते।

हर चीज का हल है आपके पास

बात चाहे घर की हो या बच्चे के स्कूल से जुड़ी, कमीज ना मिलने से लेकर बच्चों के लिए होमवर्क तक, आपका प्रॉब्लम्स का चुटकियों में हल कर देना और आपके मैनेजरियल स्किल्स… यही बातें तो हैं जो उन्हें भरोसा देती हैं कि हां- मैं हूं ना।

तसल्ली से सुनना और समझना जरूरी

पति की बातों को ध्यान से सुनना

जिस तरह महिलाएं चाहती हैं कि उन्हें कोई अनसुना ना करे वैसे ही जब आप अपने पति की किसी परेशानी को तसल्ली से सुनती और समझती हैं तो उन्हें आपकी यह आदत ना सिर्फ पसंद आती है बल्कि आप पर उनका विश्वास और प्यार भी बढ़ जाता है।

आपके आत्मविश्वास के कायल हैं

मीटिंग में आपका खुद को आत्मविश्वास के साथ प्रेजेंट करना हो या फिर डिनर पार्टी में उनके दोस्तों से घुलना-मिलना हो, आपका खुद पर विश्वास और खुद को प्रेजेंटेबल रखना कहीं ना कहीं उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है।

आपका उनपर भरोसा दिखाना 

पति-पत्नी का प्यार

प्रोफेशनल जिंदगी में अगर कोई दिक्कत है या फिर कोई और बात से आप परेशान हैं तो आपका अपने पार्टनर से अपनी परेशानी डिस्कस करना जरूरी है पर शायद आप यह नहीं जानती होंगी कि आप जब अपनी परेशानी उनसे डिस्कस करती हैं तो उन्हें अच्छा लगता है, यह सोचकर कि आपने उन पर भरोसा किया।

अगर पति-पत्नी के रिश्ते की डोर विश्वास और प्यार भरी ना हो तो जल्द ही टूट जाती है…।

पति-पत्नी की आपसी समझ
पति-पत्नी का रिश्ता बड़ा ही खास और जिंदगी के एहसास से जुड़ा होता है। कभी ये एहसास मीठा तो कभी कढ़वाहट से भरा होता है
आज हम बात करने वाले है उस छोटे बच्चे के बारे में जिसे हम समझाते तो बहुत है लेकिन अक्सर उसकी जिद के आगे हमें अपने घुटने टेकने पड़ते है
पिता है तो सपने है

हैलो दोस्तों कैसे है आप? मैं आपकी होस्ट और दोस्त आज फिर आपके लिए कुछ जिंदगी से जुड़ा हुआ, कुछ रोज की परेशानियों से अलग और दिल को सुकून देने वाला विषय लेकर आई हूं।

जी हां, वैसे तो दुनिया का हर रिश्ता अजीज़ और प्यारा होता है, हर रिश्ते की अपनी एक गरिमा, अपनी एक जगह होती है। लेकिन दोस्तों, कुछ रिश्ते ऐसे होते है जो कभी ये बयां नहीं करते कि हम उनके लिए कितने महत्वपूर्ण है, वो कहते है ना कि हर अहसास को बयां नहीं किया जाता। आज मैं उसी अहसास से भरे हुए रिश्ते को लेकर आई हूं आपके लिए, जो आपसे कभी ये नहीं कहते की आप में उनकी जान बसती है, लेकिन वो पूरी दुनिया को आप पर लूटा सकते है वो भी बिना किसी उम्मीद के, बिना किसी स्वार्थ के !

जी हां, अब तक आप समझ चुके होंगे की मैं किस रिश्ते की बात कर रही हूं। जी बिलकुल मैं बात कर रही हूं एक पिता और उनके बच्चे रिश्ते के बारे में, तो आइए कुछ देर के लिए डूब जाए इस प्यार भरे रिश्ते के अहसास में, दो चार गोते मार ले इनकी समुद्र सी गहराई में….

पिता पर लिख पाऊं, ऐसे अल्फाज़ कहां से लाऊं

कैसी मुश्किल है देखिए…बहुत समय से सोच रही थी कि पिता के लिए कुछ लिखूं लेकिन आज कलम लेकर बैठी हूं तो वो भी उनके सम्मान में झुकी हुई है, मानों मुझे याद दिला रही हो कि यही वो व्यक्ति है जिसने मुझे इसे पकड़ कर लिखना सिखाया है।।
समझ ही नहीं आ रहा की कहां से वो शब्द लाऊं जिनसे हमारी ज़िन्दगी में पिता की भूमिका को दर्शाया जा सके ।। बहुत मुश्किल है उन भावनाओं को शब्द देना जो एक पिता के दिल में उसके बच्चे के लिए होती है,

“पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने है
पिता है तो बाज़ार के सब खिलौने अपने है।”

बहुत बार सुनी होंगी आपने ये खूबसूरत पंक्तियां..
लेकिन क्या असल ज़िन्दगी में हम इन पंक्तियों का महत्त्व समझ पाते है।। हम और आप ना जाने कितनी ही बार इस बात पर आपनी मोहर लगा देते है कि जितना एक बच्चे के लिए उसकी मां कर सकती है उतना कोई नहीं कर सकता लेकिन ये कहकर हम पिता कि हमारी ज़िन्दगी में जो अहम भूमिका है उसे अनदेखा नहीं कर सकते ।

यकीन मानिए जो हर मोड़ पर हमारी उंगली थामकर खड़े होते है, जो अपने कंधे पर ज़िम्मेदारियों का बोझ चुपचाप उठा लेते है और बिना उफ्फ तक किए हमारे लिए वो सब करते है जिसमें हमारी खुशियां हो वो सिर्फ और सिर्फ पिता ही होते है।।बच्चे जो सपने देखते है उनमें रंग भरने का काम भी पिता ही करते है।।

पिता के लिए सब कुछ यहां लिख पाना मेरे लिए बहुत मुश्किल है लेकिन चंद पंक्तियां है मेरे पास उनके लिए उम्मीद करती हूं आपको पसंद आएगी….

क्यों एक बच्चे की परवरिश का सारा श्रेय उसकी मां को दिया जाता है,
एक पिता भी तो खुद को जलाकर बच्चों को रोशनी देता है।
जब पैदा होता है बच्चा तो मिठाईयां तो वो भी बांटता है,
उतनी ही ममता से वो भी उसे गले लगता है
जब रोता है बच्चा तो वो भी तो सारी रात सो नहीं पाता है
फिर क्यों एक बच्चे की परवरिश का सारा श्रेय उसकी मां को दिया जाता है।।
बच्चे की एक मुस्कुराहट पर वो भी तो अपना हर ग़म भूल जाता है
उसकी ख्वाहिश को पूरा करने में अपनी चाहतों को दाव पर लगाता है
जब चलना सीखता है बच्चा तो वो भी तो अपनी उंगली के सहारे से उसे कदम बढ़ाना सिखाता है
फिर क्यों एक बच्चे की परवरिश का सारा श्रेय उसकी मां को दिया जाता है।।
जब किसी मोड़ पर डगमगाते है बच्चे तो आगे का रास्ता भी वहीं दिखाता है
उनकी कामयाबी देख वो भी तो बच्चो कि तरह ताली बजाता है
बच्चो की खुशी की खातिर ही वो अपनी पूरी जिंदगी लगा देता है
फिर क्यों एक बच्चे की परवरिश का सारा श्रेय उसकी मां को दिया जाता है।।
दोनों में बस फ़र्क इतना है कि मां की ममता दिखाई दे जाती है..और पिता अपना प्यार दिखा नहीं पाता है,
शायद इसलिए एक बच्चे की परवरिश का सारा श्रेय उसकी मां को दिया जाता है।।

फोटो सौजन्य गूगल

परिवार के साथ वक्त बिताने का मौका
कोरोना संक्रमण से बचने के लिए अभी फिलहाल जो एक तरीका है वो यही है कि लॉकडाउन हो जाओ यानी अपने घर में बंद रहें, सुरक्षित रहें लेकिन जो लोग पूरे दिन बाहर काम करते हैं
भारतीय शादी के रिवाज

बैग… जी हां, वही बैग जो मां ने शादी के समय ये कहते हुए मेरे ज़रूरी सामान से भर दिया था कि उस घर जाते ही तुम्हें इसकी जरूरत पड़ेगी….तेरा सारा ज़रूरी सामान इसमें रख दिया है।

उस वक्त लगा जैसे मां ने मेरी सारी दुनिया समेट कर उस बैग में रख दी हो, क्योंकि जब दूसरे घर जाऊंगी तो मां नहीं होगी वहां, यही सूटकेस होगा जो मां ने मेरी विदाई के वक्त मेरे साथ गाड़ी में रख दिया था।

बड़ा मुश्किल था उस सुहाने सपनों की दुनिया से इस हकीकत की दुनिया में आना। पर मां अक्सर कहा करती है कि ‘एक दिन हर लड़की को जाना होता है अपने घर’ तो मैने भी हां में सिर हिला दिया। फिर तो बस समय जैसे पंख लगा कर उड़ गया था…

लेकिन जब दूसरे घर जाकर देखा तो उस सूटकेस में मेरी जरूरत का तो सारा सामान था लेकिन मेरी जिंदगी तो वही उसी घर में छूट गई थी। मैंने मां पर भरोसा कर लिया था कि उन्हें पता है कि मेरे लिए ज़रूरी क्या है तो उन्होंने रख दिया होगा। पर नहीं उसमें तो वो था ही नहीं जो मेरे लिए वाकई ज़रूरी था।

मेरी वो बचपन वाली शरारतें, वो खिलखिलाकर हंसना, पापा के साथ मस्ती, भाई बहनों को परेशान करना, वो ‘तोरी की सब्जी नहीं खानी’ वाले नखरे, वो आलू के पराठे खाने की जिद, वो चोट लगने पर मां के सीने से चिपक जाना, वो मां के डांटने पर उनकी शिकायत पापा से करना,  आइस क्रीम खाने की जिद , वो चांद को देखकर उसे पा लेने का जुनून, रात को मां से चिपक कर वो सुकून भरी नींद, नींद में बुरा सपना देखने पर मां का वो पुचकार कर वापिस सुला देना, वो हर जन्मदिन पर मां का नए कपड़े लाकर देना, वो नारियल तेल की मालिश , वो बारिश में ना भीगने की हिदायत, वो सड़क पार करते हुए मां का मेरा हाथ कस के पकड़ लेना, वो दुकान पर रखा बड़ा सा टेडी बियर लेने की जिद करना…..और न जाने क्या क्या..! सब तो वही छूट गया मां। वो हसीन यादें तो तुम मेरे इस सूटकेस में रखना ही भूल गईं।

शादी में मां-बेटी

हालांकि इस बैग में वो सामान है ही नहीं जो मेरे लिए ज़रूरी हैं लेकिन फिर भी ये बहुत भारी लगता है मां।

आज जब भी इसे लेकर तुमसे मिलने आती हूं ये तब भी भारी होता है…और जब तुमसे मिलकर वापिस आती हूं ये तब भी भारी होता है…इसके अंदर कुछ हो न हो मां, लेकिन तुमसे मिलकर वापिस आते वक्त जब मन भारी होता है, तो इस बैग का वजन दोगुना हो जाता है। कभी कभी ये बोझ मै उठा ही नहीं पाती।

मां मेरा सारा ज़रूरी सामान मुझे वापिस कर दो और बदले में ये बैग तुम भले ही वापिस ले लो। मेरे कंधे और दिल अभी भी बच्चों से ही है मां, इस बैग को उठा पाना मेरी बस का हैं ही नहीं। मैं अभी भी तो तुम्हारी वही छोटी बच्ची हूं जिसके जिद करने पर भी दुकान से लाया भारी सामान तुम उठाने नहीं देती थी…

तो आज क्या हो गया… क्यों मुझे बड़ा बना देने की जिद करने लगी हो तुम ….

देखो मां मैं कह देती हूं…तुम मुझसे मेरा ज़रूरी सामान नहीं छिन सकती…

मेरा ज़रूरी सामान मेरे मां-पापा का प्यार है…और वो घर है.. हां मैं उन्हें सूटकेस में तो नहीं ला सकती.. लेकिन तुम्हें बताए बिना मैं चुपके से इन्हें दिल में रख लाई हूं…मुझे माफ करना मेरी प्यारी मां.. लेकिन यही सामान मेरी जिंदगी है…।

फोटो सौजन्य- Pinterest

दोस्ती के रिश्ते

हां, सच ही तो है…”कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते, 

                      कुछ रिश्ते सिर्फ नाम के ही होते है।”

इन दो पंक्तियों में रिश्तों की पूरी व्याख्या कर दी गई है। और वाकई जिंदगी में हर पड़ाव एक सा नहीं होता और न ही स्थितियां एक सी होती है, हां लेकिन जिंदगी का हर पड़ाव हमारी ऊंगली पकड़ कर हमें किसी ऐसे रास्ते की तरफ़ मोड़ देता है, जहां से हमें सामने का रास्ता साफ देखने में आसानी हो जाती है। इन दो तरह के रिश्तों से हम बहुत कुछ सीख जाते है… गिरकर संभलना… रो कर हंसना… हार कर जीतना…और बिखर कर सिमटना।

ये दो तरह के रिश्ते हमें बहुत सारे अहसास एक साथ करवा देते है …तो देखिए फिर कि अक्सर क्या क्या करते है ये हमारे लिए:-

कुछ हमें देने के लिए अपना सब दांव पर लगा देते है,
कुछ हमारा भी लेने की फिराक में रहते है,

कुछ हमारी सफलता के गुब्बारे में रोज हवा भरते है,
कुछ उसी गुब्बारे में पिन चुभने की कोशिश में लगे रहते है,

जी सही समझा, मेरा यकीन मानिए कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते और कुछ रिश्ते सिर्फ नाम के ही होते है।

कुछ हमारे लिए चट्टान से खड़े होते है, तो कुछ हम पर हथौड़ा चलाने के लिए तैयार रहते है।

कुछ की दुआओं में सिर्फ हमारा नाम होता है, कुछ हमारी बर्बादी का कलमा रोज पढ़ते है।

यकीनन, कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते, और कुछ रिश्ते सिर्फ नाम के ही होते है।।

तुम्हारे पास ज्यादा है मुझसे, ये शिकायतें वो तमाम करते है।

उनके सामने हम कुछ भी नहीं, इसका जिक्र भी वो सरेआम करते है।

गिर जाए उनके कदमों में किसी दिन, ये दुआ वो सुबह शाम करते है।

लेकिन कुछ है अपनों से भी अपने जो बिन बोले ही हमारा ख्याल रखते है..

यकीनन, कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते और कुछ रिश्ते सिर्फ नाम के ही होते है।।

उपर लिखी हर एक पंक्ति आपको आज के समय से रूबरू करवाएगी, पर दोस्तो जिंदगी बहुत छोटी है, मैं मानती हूं कि इसमें आपको दोनों तरह के लोग मिलेंगे और ऐसा भी हो सकता है “जो रिश्ते सिर्फ नाम के ही होते है” ऐसे लोग आपको ज्यादा मिले लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है, कि आपका “कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते” वाली कैटेगरी से भी विश्वास उठ जाए।

बल्कि मैं तो कहूंगी की आप सिर्फ उन रिश्तों पर ध्यान दें जो आपकी सफलता के गुब्बारे में हवा भरते है… पिन चुभने वालों से आपको कुछ हासिल नहीं होगा…!

रिश्तों को निभाने के भी कुछ नियम होते है..कुछ जरूरत होती है..कुछ कायदे होते है…।

और अगर आपने इन सब को निभा लिया तो यकीनन आप दुनिया के सबसे खुशकिस्मत इंसान होंगे:-

1. रिश्तों में कुछ भी एकतरफा नहीं होता, दोनो तरफ़ से बराबर भावना होगी तभी अपनापन पनपेगा।

2. रिश्तों में कभी भी किसी को भी नीचा दिखाने की कोशिश मत करें। 

3. रिश्तों में कभी भी किसी की हैसियत देख कर अच्छे आचार व्यवहार की नियत मत रखो, बल्कि सभी का सम्मान करें।

4. रिश्तों में स्वार्थ भाव रखना सही नहीं।

5. रिश्तों में कभी भी गलत को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।

6. रिश्तों में एक दूसरे के मुश्किल वक्त में साथ खड़ा होना चाहिए।

7. रिश्तों में कभी भी कोई भी फ़ैसला थोपना नहीं चाहिए.. हर हालात से निपटने के लिए एक दूसरे से सलाह कर लेनी चाहिए।

8. रिश्तों में एक दूसरे को वक्त देना भूत ज़रूरी है।

9. रिश्तों में मिठास बढ़ाने के लिए अगर आपको कुछ समझौता भी करना पड़ जाए तो पीछे न हटें।

10. और हां याद रखिए “सॉरी” और “थैंक्यू” जैसे शब्दों का इस्तेमाल आपको रिश्तों में रंग भरने का काम बहुत आसानी से कर सकते है।

तो दोस्तों आज के लिए बस इतना ही.. फिर मिलेंगे किसी अन्य विषय के साथ .. तब तक अपना और अपनों का ख्याल रखिए, हंसते और हंसाते रहिए।

फोटो सौजन्य- गूगल

हैलो दोस्तों, कैसे है आप…आशा करती हूं कि इस कोरोना काल में आप अपना और अपनो का ख्याल रख रहे होगें।।

दोस्तों जिंदगी के किसी न किसी मोड़ पर हमें ये अहसास हो ही जाता है कि हमारे अपने, हमारे लिए कितनी जरूरी होते है…उनके बिना हमारा अस्तित्व ही नहीं होता और हमें हमारी पहचान करने वाली होती है हमारी मां….
वो कहते हैं ना की मां हर रिश्ता निभा सकती है..लेकिन मां वाला प्यारा रिश्ता कोई नहीं निभा सकता। उनकी जगह कोई ले ही नहीं सकता।
तो आज मैं आप लोगो के लिए लाई हूं एक बेटी के कुछ एहसास जिसकी शादी हो गई है, और उसका घर भी बदल गया है…लेकिन अगर कुछ नहीं बदला तो वो है उसका उसकी मां से रिश्ता…उनके बीच के अनकहे अल्फाज़…उनके बीच की वो गरमाइश जो कभी ठंडी नहीं पड़ सकती।
तो आइए जुड़ जाए उन प्यारे एहसासों के साथ….
“वैसे तो हवा रोज ही चलती है लेकिन आज वो मेरी मां के घर की ओर से आ रही थी। महकती हुई सी वो बार बार मेरे बालों को ठीक वैसे ही सहला रही थी जैसे मां अपने हाथों से सहलाया करती थी। हर झोंके में उनका स्पर्श मुझे महसूस हो रहा था। कभी बहुत ज़ोर से तो कभी धीरे से चल रहा था ठीक वैसे जैसे मां कभी गुस्से से और कभी प्यार से मुझे समझाती थी।
हर एक झोंका खाली न आते हुए वो कढ़ाई में बनते पकौड़ों की खुशबू अपने साथ ला रहा था। बहुत सारी यादें लिए हर झोंके मुझे अपनी और खींच रहा था। इस हवा से बहुत पुराना सा रिश्ता है हमारा, शायद तब से जब मां मुझे सीने से लगाए लोरी सुनाकर सुलाया करती थी। वो धीरे धीरे मुझे थपथपाते हुए इस हवा के साथ साथ टहल रही होती है। और मैं भी सपनों की दुनिया में झांकते हुए नींद के आगोश में चली जाती थी। वो बचपन वाली नींद बहुत प्यारी और बेपरवाह होती थी और जब मां के सीने से चिपके होते थे तो लगता था मानो सारी दुनिया अपनी ही है। लेकिन जैसे जैसे बड़े होते गए समझ आने लगा कि सारी दुनिया नही सिर्फ़ मां अपनी है। बहुत अच्छा लग रहा था सब कुछ बिल्कुल वैसा जैसा मां की गोदी में लगता था। लेकिन अचानक से ऐसा लगा जैसे मां की गोदी से किसी ने झटके से नीचे उतार दिया हो। ऐसा लगा जैसे किसी ने उस बेपरवाह सी नींद में आए हुए सपने को तोड़ दिया हो।इस बार झोंके ने जब आकर छुआ तो उसमे कुछ नमी सी थी, थोड़ा भीगा हुआ सा था वो। फिर मुझे भी एक पल नहीं लगा ये समझने में की इस हवा के झोंके ने मेरी मां को मेरी भी तो याद दिला दी होगी ना। जब उसे छुआ होगा तो उसे भी तो लगा होगा जैसें मैं बचपन की तरह दौड़ कर उसे लिपट गई हूं , मेरी शरारतें, मेरी अटखेलियां, वो सारी बातें, वो सारे पल याद आ गए होंगे जो हमने साथ बिताए है। आज मां से थोड़ी दूर हूं लेकिन हर पल, हर लम्हा उन्हें उन्हीं की तरह याद करती हूं।।
बस आज थोड़ा ज्यादा कर रही हूं, इन शादी की रस्मों ने मुझे उनसे दूर कर दिया हो, पर वो हमारे रिश्ते में दूरियां कभी नहीं ला सकती। हम एक दूसरे से उतने ही करीब रहेंगे। ऐसे ही एक दूसरे को महसूस भी करते रहेंगे, कभी हवा से, कभी बारिश से और कभी जून की तेज तपिश से..और कभी एक दूसरे को कस के गले लगा के।।
वो कहते है ना….
 मां है तो जन्नत है अपने पास,
और मां नहीं तो जन्नत भी बेकार है अपने पास।