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Author Archives: Zahid Abbas

Increasing pollution in the air can be fatal for the heart

Pollution का बढ़ता खतरनाक स्तर सांस से जुड़ी समस्याओं के अलावा हार्ट डिजीज के खतरे को भी बढ़ा रहा है। हवा में मौजूद हानिकारक पार्टिकल्स सांस के जरिए शरीर के भीतर प्रवेश करने के बाद हृदय रोग, सांस की बीमारी और कैंसर सहित अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ा देता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक हर वर्ष पॉल्यूशन से 70 लाख लोगों की मौत होती है। खराब एयरक्वालिटी के कारण हृदय की ब्लड को पंप करने की क्षमता पर असर पड़ता है, जिससे हृदय रोगों का संकट काफी बढ़ जाता है। आइये जानते हैं एयर पॉल्यूशन किस तरह से बढ़ाता है हृदय रोगों का जोखिम-

पॉल्यूशन का हृदय पर असर

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की रिसर्च के मुताबिक वायु प्रदूषण एथेरोस्क्लेरोसिस की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे आर्टरीज़ की वॉल्स में प्लाक बनने लगता है। कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और वसा से प्लाक बनने लगता है, जो हृदय में रक्त के प्रवाह को बाधित कर देता है। इससे हृदय गति प्रभावित होती है और हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और अन्य हृदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है। प्रदूषण से हार्ट हेल्थ को नुकसान पहुंचने के अलावा डायबिटीज़ का खतरा भी बना रहता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हवा में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड हेल्थ रिस्क को बढ़ाती हैं। इसके अलावा हवा में घुले जहरीले कण फेफड़ों में पहुंचकर रक्त प्रवाह में प्रवेश करते हैं। इससे टिशूज़ और रेड ब्लड सेल्स को नुकसान का सामना करना पड़ता है। लंबे वक्त तक महीन पार्टिकुलेट मैटर के संपर्क में रहने से व्यक्ति को स्ट्रोक, हृदय रोग, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और कैंसर जैसी घातक बीमारियों का खतरा बना रहता है।

इस बारे में एक सीनियर डॉक्टर ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर हार्ट पर दिखता है। PM, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूषक जो गाड़ियों के धुएं फैक्ट्रियों और ईंधन जलाने से निकलते हैं, शरीर में जाकर दिल की सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं।

कैसे हृदय स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है प्रदूषण

Increasing pollution in the air can be fatal for the heart

1. हार्ट अटैक का जोखिम

ये प्रदूषक सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंचकर खून में मिल जाते हैं। ये नसों पर असर डालते हैं, जिससे सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ने लगता है। यह नसों में फैट जमा होने का कारण बनता है, जो दिल की बीमारियों और हार्ट अटैक की वजह बन सकता है। लंबे समय तक इन प्रदूषकों के संपर्क में रहने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

2. दिल की धड़कन का बढ़ना

नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड सेहत पर बुरा असर डालते हैं। नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, जो गाड़ियों और पावर प्लांट से निकलती है। फेफड़ों को कमजोर करती है और दिल पर अधिक दबाव बनाए रखती है। वहीं, कार्बन मोनोऑक्साइड खून में ऑक्सीजन पहुंचाने की क्षमता को कम कर देती है, जिससे दिल और शरीर के अन्य हिस्सों को सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। यह दिल की धड़कन को अनियमित कर सकता है और दिल की बीमारियों का कारण बन सकता है।

3. कोलेस्ट्रॉल का लेवल असंतुलित हो जाना

एक अध्ययन के मुताबिक लगातार धुएं और धूल मिट्टी के संपर्क में रहने से शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होने लगता है। प्रदूषण के कारण शरीर में हाई डेंसिटी लिपो प्रोटीन यानी गुड कोलेस्ट्रॉल में कमी आने लगती है। इससे हृदय संबंधी अनय समस्याओं के अलावा बैड कोलेस्ट्रॉल तेजी से बढ़ने लगता है।

4. ब्लड वेसल्स को करता है संकुचित

If you get such signs, then understand that heart problems have started

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार एयरबॉर्न पार्टिक्यूलेट मैटर से हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं। इससे ब्लड वेसल्स संकुचित होने लगती है और रक्त का प्रवाह असंतुलित हो जाता है। इसके अलावा ब्लडप्रेशर में वृद्धि, रक्त के थक्के जमना, कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज और स्ट्रोक का खतरा बना रहता हैं। बच्चे, बुजुर्ग और हार्ट के मरीज वायु प्रदूषण के असर से ज्यादा प्रभावित होते हैं।

इन सुझावों की मदद से समस्या को दूर किया जा सकता है

  • गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करना गले की सूजन को कम करता है और राहत देता है। दिन में दो बार गरारे करने से गले में मौजूद संक्रमण को दूर किया जा सकता है।
  • अदरक और शहद की चाय पीने से गले में आराम मिलता है और कफ साफ होता है। इससे फेफड़ों में बढ़ने वाले संक्रमण से बचाव होता है और म्यूक्स का उत्पादन कम होने लगता है।
  • इनडोर पॉल्यूशन से खुद को बचाव करनेअ के लिए घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और इनडोर प्लांटस भी लगाएं। अलावा इसके बाहर निकलते समय मास्क लगाना न भूलें।
  • अपने शरीर को निर्जलीकरण से बचाने का प्रयास करें। इससे गले में दर्द और खराश कम होती है। ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं ताकि गला और फेफड़े नम बने रहें और सेहत ठीक रहे।

फोटो सौजन्य- गूगल

Keep the intimate area fresh and healthy

Intimate Area बॉडी का सबसे संवेदनशील पार्ट होता है। जिस तरह आप अपनी स्किन और बालों का केयर करती हैं, ठीक उसी प्रकार थोड़ा वक्त वेजाइना और एनस की देखभाल में भी देना चाहिए। अक्सर लोग नहाते हुए अपने इंटिमेट एरिया को साफ करते हैं, उसके बाद पूरे दिन इस पर कोई ध्यान नहीं देते हैं। इसलिए कई दफा यह अनकंफर्ट की वजह बन जाता है। इंटिमेट एरिया मतलब कि वेजाइना और एनस को डेली हजार तरह के कीटाणुओं का सामना करना पड़ता है।

इंटिमेट एरिया का ख्याल रखने से इरिटेशन, गीलापन और किसी तरह के संक्रमण से आप दूर रहेंगी, अन्यथा आप सामान्य डेली रूटीन की गतिविधियों को करने में सक्षम महसूस नहीं करेंगी। अनक्लीन इंटिमेट एरिया आपके मूड को इरिटेट कर देती है। ऐसी परिशानियों से बचने को लेकर अपनी इंटिमेट एरिया को फ्रेश रखना आवश्यक है।

गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट की एक सीनियर डायरेक्टर ने इंटिमेट एरिया को फ्रेश रखने के कुछ प्रभावी टिप्स सुझाएं हैं। आइये जानते हैं, फ्रेश और हेल्दी इंटिमेट एरिया मेंटेन करने के कुछ टिप्स-

जानें इंटिमेट एरिया में तरोताजा बनाए रखने के कुछ टिप्स

Keep the intimate area fresh and healthy

1. वेजाइना को दिन में 2-3 बार क्लीन करें

आमतौर पर महिलाएं सुबह नहाने के वक्त एक बार वेजाइना को क्लीन करती हैं, उसके बाद उन्हें अपनी इंटिमेट एरिया का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रहता। यह एक गलत प्रैक्टिस है, दिन में कम से कम 2 से 3 बार अपनी वेजाइना को क्लीन करें। इसके लिए आपको हल्के गुनगुने पानी से अपनी वेजाइना को क्लीन करना है, और टिश्यू या सॉफ्ट टॉवेल से उसे अच्छी तरह से ड्राई कर लें। इस तरह आपको अंदर से तरोताजा महसूस करने में मदद मिलेगी।

2. यूरिन पास करने बाद वेजाइना को रखें ड्राई

टॉयलेट इस्तेमाल करने के बाद सीधे पैंटी पहन लेने से वेजाइना में चिपचिपापन महसूस हो सकता है, साथ ही बार बार ऐसा करने से खुजली महसूस हो सकती है। इन परेशानियों को अवॉइड करने के लिए यूरिन पास करने के बाद टिशू पेपर से अपनी वेजाइना को ड्राई कर लें। आप चाहें तो पानी से क्लीन करने के बाद इसे ड्राई करें।

3. पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं

पूरे दिन में पर्याप्त मात्रा में पानी पीने का प्रयास करें, विशेष रूप से तब जब आपको प्यास का अनुभव हो रहा हो। जब बॉडी हाइड्रेशन मेंटेन रहता है, तो वेजाइना भी तरोताजा रहती है। डिहाइड्रेशन आपकी वेजाइना को चिपचिपा और स्मेली बना सकता है। यदि मुमकिन हो तो दिन में एक बार डिटॉक्स वॉटर जरूर पिएं, इससे आपका पाचन क्रिया संतुलित रहता है और आप अधिक फ्रेश महसूस करती हैं।

4. सही तरीके से करें वाइप

Keep the intimate area fresh and healthy

स्टूल पास करने के बाद अपने एनस को टिशू की मदद से आगे से पीछे की ओर क्लीन करें। अगर आप पीछे से क्लीन करते हुए आगे की ओर आती हैं, तो इससे आपकी योनी में बैक्टीरिया का ग्रोथ बढ़ जाता है और आप संक्रमित हो सकती हैं।

5. दिन में एक बार जरूर क्लीन करें एनस

आजकल बहुत से लोग ऐसे हैं, जो स्टूल पास करने के बाद, टिशू पेपर या केवल पानी से अपने एनस को क्लीन करते हैं। पर सभी को नहाने के बाद पूरे दिन में कम से कम एक बार स्टूल पास करने के बाद अपने एनस को पानी से अच्छी तरह क्लीन करने के बाद उसे टिशू पेपर से पूरी तरह ट्राई करना चाहिए। इस प्रकार संक्रमण और खुजली का खतरा कम हो जाता है।

6. बीच-बीच में वॉक करती रहें

आप ऑफिस जाती हैं या घर पर रहती हैं, लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठी न रहे। एक से डेढ़ घंटे के अंतराल पर उठे और अपने पैरों को थोड़ा स्ट्रेच करें, ताकि वेजाइना को सांस लेने की जगह मिल सके। क्योंकि एक जगह पर पर दबाकर बैठे रहने से वेजाइना अनकंफरटेबल हो जाती है और हवा ट्रैप हो जाता है। जिसकी वजह से पसीना आता है और आपको अनकंफरटेबल महसूस हो सकता है।

7. कॉटन की पैंटी और हल्के कपड़े पहने

अपनी इंटिमेट एरिया को तरोताजा रखने के लिए हमेशा कॉटन की पैंटी और ढीले ढाले कपड़े पहनें, जिससे कि एनस और वेजाइनल एरिया में हवा पास होती रहे। यदि आपके कपड़े आपकी बॉडी से चिपके रहते हैं, तो अधिक पसीना आता है और वे उन्हीं एरिया में ट्रैप हो जाता है। जिसकी कारण इचिंग और अनकंफरटेबल महसूस हो सकता है। वहीं कई बार वेजाइना काफी चिपचिपी हो जाती है।

8. रात को पैंटी उतार कर सोएं

रात को पैंटी उतार कर सोने से आपकी वेजाइना रिलैक्स हो जाती है। पूरे दिन आपके इंटिमेट एरिया कपड़ों से ढके रहते हैं, इसलिए इन्हें सांस लेने की आजादी देना बहुत जरूरी है। पैंटी उतार कर सोने से सुबह उठने के बाद आपकी वेजाइना एकदम तरोजाताजा रहती है।

फोटो सौजन्य- गूगल

Pre-Wedding Skin Care: मैरेज की डेट पलक झपकते ही सामने चली आती है लेकिन उससे पहले दुल्हन की खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए शुरू किए जाने वाले ट्रीटमेंट को सिलसिलेवार ढंग से ब्यूटी कैलेंडर में एड करना जरूरी है। जाहिर है स्किन को पैंपर करने के लिए प्री वेडिंग योजना का तैयार होना जरूरी है। दरअसल, वेडिंग के दरम्यान दुल्हन अक्सर शॉपिंग और नई जुड़ने वाले रिश्तों के मद्देनजर तनाव में रहती है जिसका असर चेहरे पर भी दिखने लगता है। ऐसे में लुक को परफेक्ट बनाने के लिए इस स्किन केयर रूटीन का ख्याल रखना जरूरी हो जाता है। यहां हम आपको होने वाली दुल्हनों के लिए एक प्री वेडिंग स्किन केयर रूटीन दे रहे हैं, ताकि आप अपने स्पेशल दिन पर और भी खूबसूरत नजर आएं।

ब्यूटी एक्सपर्ट बताती हैं कि प्री वेडिंग स्किन केयर रूटीन के लिए ग्लो को बनाए रखने के लिए क्लीजिंग जरूरी है। अलाव इसके स्किन पर बढ़ने वाले दाग धब्बों को कम करने और पोर्स टाइटनिंग के लिए मॉइश्चराइजे़शन से लेकर फेशियल मसाज करने से स्किन ग्लो बढ़ने लगता है। ऐसे में ऑयली स्किन पर बढ़ने वाले ब्लैकहेड्स से निपटने के लिए स्क्रब करना फायदेमंद है। साथ ही हैंड क्लीनिंग और फुट मसाज भी ब्यूटी रूटीन में अवश्य शामिल करें।

स्किन केयर रूटीन के लिए ये टिप्स को करें फॉलो

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1. पहले अपने स्किन टाइप को जाने

अगर आपकी स्किन ऑयली है और स्किन पोर्स लार्ज है, तो ऐेसे लोगों को ब्लैकहेड्स की समस्या बनी रहती है। ऐसे में क्रीमी बेस्ड प्रोडक्टस की जगह जेल बेस्ड प्रोडक्टस का इस्तेमाल करें। वे लोग जिनकी त्वचा रूखी या नॉर्मल है उन्हें क्रीम बेस्ड मॉइश्चराइज़र से लेकर लोशन का प्रयोग करना चाहिए।

2. स्किन कंडीशन्स का रखें ध्यान

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वे लोग जिनकी स्किन सेंसिटिव है या कुछ लोगों को सन बर्न या पोलन एलर्जी की समस्या बनी रहती है। उन्हें त्वचा रोग विशेषज्ञ से सलाह लेकर किसी भी प्रोडक्ट को अप्लाई करना चाहिए। इसके अलावा नॉन कॉमिडोजेनिक प्रोडक्टस को ही विकल्प के तौर पर चुनना चाहिए।

3. अपने खानपान का रखें ख्याल

प्री वेडिंग स्किन केयर रुटीन के लिए त्वचा पर फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से बचने के लिए एंटीऑक्सीडेंटस से भरपूर फल और सब्जियों का सेवन करें। इससे स्किन सेल्स को रिपेयर करने में मदद मिलती है। साथ ही फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से भी बचा जा सकता है। इसके अलावा फैट्स को अवॉइड करने के लिए प्रोसेस्ड फूड्स के सेवन से बचें।

4. स्किन क्लीजिंग ना करें आवॉइड

त्वचा का निखार बढ़ाने के लिए किसी भी प्रोडक्ट को अप्लाई करने से पहले चेहरे को क्लीन करना ज़रूरी है। अलावा इसके एलोवेरा जेल और ऑरेज पील पाउडर को दूध में मिलाकर नेचुरल फेस वॉश तैयार कर लें और उससे चेहरे पर मसाज करके क्लीन करें। इससे स्किन में पाई जाने वाली इम्प्यूरिटीज को दूर किया जा सकता है।

5. सनस्क्रीन का करें इस्तेमाल

यूवी रेज़ के प्रभाव से बचने के लिए और अर्ली एजिंग के प्रभाव को राकने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। इससे त्वचा का लचीलापन बढ़ने लगता है और त्वचा पर बनने वाले दाग धब्बों को कम किया जा सकता है। अलावा इसके स्किन टोन में भी बदलाव नज़र आता है। दिन में 02 से 03 बार सनस्क्रीन अवश्य प्रयोग करें।

6. बॉडी को हाइड्रेट रखें

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नियमित मात्रा में पानी पीने से शरीर में मौजूद टाक्सिक पदार्थ रिलीज़ हो जाते है और शरीर हाइड्रेट रहता है। प्री वेडिंग स्किन केयर रूटीन के लिए त्वचा की शाइन को बढाने के लिए दिन में 8 से 10 गिलास पानी पीएं और वॉटर कंटेट से भरपूर खाद्य पदार्थों का भी सेवन करें। साथ ही कैफीन से दूरी बनाकर रखें।

7. मेकअप रिमूव करना जरूरी

शादी से पहले कई कार्यक्रम की लंबी चौड़ी लिस्ट होती है। ऐसे में चेहरे पर मेकअप करने के अलावा उसे रिमूव करना भी आवश्यक है। अन्यथा स्किन डैमेज का खतरा बना रहता है। प्री वेडिंग स्किन केयर रूटीन के लिए त्वचा को क्लीन करने के लिए डीप क्लीजिंग की मदद लें।

8. ब्रीदिंग एक्सरसाइज़

शादी की वजह से बढ़ने वाले तनाव को रिलीज़ करने के लिए दिनभर में कुछ वक्त ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ के लिए निकालें। इससे हार्मोनस का संतुलन बढ़ने लगता है, जिससे चेहरे का ग्लो बना रहता है। इसे करने से शरीर दिनभर एनर्जी से भरपूर रहता है और सोच-फिक्र से राहत मिलती है।

Chhath Puja

Chhath Puja: नहाय खाय के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत हो गई है। चार दिवसीय लोक आस्था व सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय से होता है। इस दिन लौकी की सब्जी, चने की दाल और चावल खाने का महत्व है। इसको बनाने से लेकर खाने तक हर जगह शुद्धता और पवित्रता का खास ध्यान रखा जाता है। इस महापर्व का समापन समापन शुक्रवार 08 नवंबर को उगते सूर्य को अर्ध्य देकर किया जाता है।

बताता चलूं कि छठ पर्व एकमात्र ऐसा सुअवसर है जहां उगते सूर्य के साथ-साथ अस्त होते सूर्य की भी पूजा की जाती है। छठ पूजा सूर्य, प्रकृति, जल, वायु और उनकी बहन छठी मइया को समर्पित है। पार्वती का छठा रूप भगवान सूर्य की बहन छठी मैया को त्योहार की देवी के रूप में पूजा जाता है।

कब है नहाए खाय का शुभ मुहूर्त

Importance of 'Chhath', the great festival of folk faith, from bathing to Arghya

ज्योतिषविद ने बताया कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय खाय होता है। इस दिन व्रती गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करने के बाद सूर्य देव की पूजा करते हैं। इसके बाद सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन में चावल-दाल और लौकी की सब्जी ग्रहण करते हैं।

पंचांग गणना के अनुसार 05 नवंबर को नहाय खाय है। इस महापर्व के सभी मुहूर्त सूर्योदय और सूर्यास्त के टाइमिंग पर निर्भर करता है। पटना में आज 06 बजे सूर्योदय हुआ जबकि शाम 05:06 बजे सूर्यास्त होगा। इसी दौरान व्रती स्नान और ध्यान के बाद सूर्यदेव की पूजा करेंगे और फिर सात्विक भोजन ग्रहण करेंगे।

इसलिए खाते हैं सात्विक भोजन

नहाय खाय के दिन छठ का व्रत रखने वाले पुरुष या महिला सात्विक भोजन का सेवन करते हैं। पहले दिन खाने में ऐसी चीजों को शामिल किया जाता है जिससे व्रत वाले दिन भूख-प्यास कम लगे। नहाय खाय के दिन बिना प्याज, लहसुन के सब्जी बनाई जाती है। इस दिन लौकी और कद्दू की सब्जी बनाने का खास महत्व होता है। नहाय खाय में लौकी, चना की दाल को भात से खाया जाता है।

चार दिन चलने वाला महापर्व

छठ पूजा का आरंभ नहाय खाय से होता है। इसके बाद 06 नवंबर को खरना, 07 नवंबर को सायंकालीन अर्घ्यदान और 08 को प्रातःकालीन अर्घ्य के बाद पारण होगा। इसके साथ ही इस महापर्व का समापन भी होगा।

फोटो सौजन्य- गूगल

Dhanteras: Know the auspicious time of shopping on Dhanteras

Dhanteras: धनतेरस का त्योहार हिंदू धर्म में बहुत ही शुभ माना जाता है। हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। धनतेरस के त्योहार को धन त्रयोदशी और भगवान धन्वंतरि की जयंती के मौके पर भी मनाई जाती है। हिंदू धर्म में धन, संपदा, सुख-समृद्धि और आरोग्यता के इस त्योहार का खास महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस पर्व पर भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। धनतेरस से 05 दिवसीय दीपावली पर्व की शुरुआत हो जाती है।

धनतेरस पर पूजा और खरीदारी का खास महत्व होता है। धनतेरस पर खरीदारी, निवेश और किसी नए कार्य की शुरुआत को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस बार धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग का संयोग बन रहा है। ऐसी मान्यता है धनतेरस पर खरीदारी और नए कार्य करने से इसमें तीन गुना फल की प्राप्ति होती है। धनतेरस पर मुख्य रूप से बर्तन, सोना-चांदी और वाहन की खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस तिथि पर देवताओं के वैध भगवान धन्वंतरि की प्रागट्य हुआ था। आइए जानते हैं धनतेरस की तिथि, पूजा विधि और खरीदारी का शुभ मुहूर्त आदि।

धनतेरस तिथि और शुभ मुहूर्त

धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि का पूजन और बर्तन की खरीदारी करना विशेष लाभकारी कहा गया है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रगट हुए थे। जिस कारण से हर साल धनतेरस को धन्वंतरि जयंती के नाम से मनाया जाता है। धनतेरस पर बर्तन खरीदने की प्रथा काफी पुरानी है।

  • त्रयोदशी तिथि आरंभ- 29 अक्तूबर सुबह 10:31 मिनट से
  • त्रयोदशी तिथि समाप्त- 30 अक्तूबर दोपहर 01:15 तक

धनतेरस पर खरीदारी का शुभ योग

Dhanteras: Know the auspicious time of shopping on Dhanteras

धनतेरस पांच दिनों तक चलने वाले दीपोत्सव का पहला पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक धनतेरस पर पूजा और बर्तन खरीदने पर कभी भी धन का भंडार खाली नहीं रहता है। धनतेरस के दिन धन और समृद्धि प्रदान करने वाली देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विधान होता है। इस दिन जो भी व्यक्ति धन की देवी मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और धन्वंतरि की पूजा करता है उसके जीवन में कभी भी धन, वैभव, सुख और समृद्धि की कमी नहीं होती है। धनतेरस पर सोने के आभूषण, चांदी के सिक्के, बर्तन, कार, मोटरसाइकिल, इलेक्ट्रानिक चीजें और नए कपड़े शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए खरीदे जाते हैं।

धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त

  • पहला मुहूर्त- सुबह 06:31 से अगले दिन सुबह 10: 31 मिनट तक
  • दूसरा मुहूर्त (अभिजीत मुहूर्त)- सुबह 11:42 दोपहर 12: 27 मिनट तक
  • तीसरा मुहूर्त- शाम 06:36 से रात 8:32 मिनट तक

धनतेरस पर पूजा विधि और नियम

Dhanteras: Know the auspicious time of shopping on Dhanteras

धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की 16 क्रियायों से पूजा करने का विशेष महत्व होता है। जिसे षोडशोपचार पूजा विधि कहते हैं। इस दिन सोने-चांदी के सिक्के, आभूषण और बर्तन की खरीदारी की जाती है और शाम को मुख्य द्वार और आंगन में दीपक जलाए जाते हैं। धनतेरस पर दीपक जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। अलावा इसके धनतेरस की शाम को यमदेवता के लिए दीपदान किया जाता है।

धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त

शाम 06: 30 से 08: 12 मिनट तक
प्रदोषकाल मुहूर्त
शाम 05: 37 से 08:12 मिनट तक
वृषभ काल मुहूर्त
06: 30 से लेकर 08: 26 मिनट तक

कौन है भगवान धन्वंतरि-

समुद्र मंथन से 14 प्रमुख रत्नों की उत्पत्ति हुई जिनमें चौदहवें रत्न के रूप में स्वयं भगवान धन्वन्तरि प्रकट हुए जो अपने हाथों में अमृत कलश लिए हुए थे। भगवान विष्णु ने इन्हें देवताओं का वैद्य और वनस्पतियों तथा औषधियों का स्वामी नियुक्त किया। इन्हीं के वरदान स्वरूप सभी वृक्षों-वनस्पतियों में रोगनाशक शक्ति का प्रादुर्भाव हुआ। भगवान धन्वन्तरि आरोग्य और औषधियों के देव हैं।

धनतेरस पर किस चीज की करें खरीदारी

धनतेरस के दिन सोना-चांदी के अलावा बर्तन, वाहन और कुबेर यंत्र खरीदना शुभ होता है।
इसके अलावा झाड़ू खरीदना भी अच्छा माना जाता है। मान्यता यह है इस दिन झाड़ू खरीदने से मां लक्ष्मी मेहरबान रहती हैं।
धनतेरस पर साबुत धनिया जरूर घर ले आएं।
धनतेरस पर गोमती चक्र भी खरीद सकते हैं। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

धनतेरस पर किस चीज की खरीदारी ना करें

धनतेरस लोहा या लोहे से बनी वस्तुएं घर लाना शुभ नहीं माना जाता है।
धनतेरस पर एल्युमिनियम या स्टील की वस्तुएं न खरीदें।
धनतेरस के शुभ अवसर पर शीशे या कांच की बनी चीजें भी बिल्कुल नहीं खरीदनी चाहिए।
ज्योतिष के अनुसार धनतेरस के दिन चीनी मिट्टी या बोन चाइना की कोई भी वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए।

धनतेरस पर करें ये उपाय

धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी, कुबेर, यमराज और भगवान गणेश जी की पूजा करें।
धनतेरस के दिन घर और बाहर 13 दीपक जलाने से बीमारियों को दूर किया जा सकता है।
दान करना पुण्य कर्म है। धनतेरस के दिन दान करने का विशेष महत्व होता है।
धनतेरस पर पशुओं की पूजा करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

Hormonal balance may deteriorate in teenagers

शरीर में हार्मोन का घटना-बढ़ना किसी भी उम्र में महिलाओं को प्रभावित कर सकता है। यहां तक की Teenagers लड़कियों में भी हार्मोनल इंबैलेंस हो सकता है। अमुमन टीनएज में लोगों को हार्मोन से जुड़ी ज्यादा जानकारी नहीं होती, इसलिए लड़कियां हार्मोनल इंबैलेंस के लक्षण को नहीं समझ पाती हैं। ऐसे में सभी माताओं को मालूम होना चाहिए कि आखिर कौन से लक्षण हार्मोनल इंबैलेंस की ओर इशारा करते हैं।

हार्मोनल इंबैलेंस सभी को अलग-अलग रूपों में प्रभावित कर सकता है, इस स्थिति में नजर आने वाले लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि कौन से हार्मोंस और ग्लैंड सही से कार्य नहीं कर रहे। हार्मोनल इंबैलेंस के लक्षण से जुड़ी जानकारी सभी को होनी चाहिए, ताकि उन्हें समय रहते समझा जा सके और उनके लिए ट्रीटमेंट लिया जा सके। तो चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ लक्षण जो हार्मोनल इंबैलेंस के दौरान टीनेजर लड़कियों में दिखाई देते हैं।

टीनएजर लड़कियों में इन हार्मोंस का बिगड़ सकता है बैलेंस

Hormonal balance may deteriorate in teenagers

1. प्रोजेस्टेरोन

यह हार्मोन ओवरी द्वारा निर्मित होता है और ओव्यूलेशन के दौरान इसका उत्पादन बढ़ जाता है। कम प्रोजेस्टेरोन सिरदर्द, एंजायटी और अनियमित पीरियड्स की वजह बन सकता है। प्रोजेस्टेरोन एस्ट्रोजन को संतुलित करने में भी अहम भूमिका निभाता है, इसलिए जब प्रोजेस्टेरोन कम होता है, तो प्रमुख एस्ट्रोजन अपनी तरह की कई समस्याएं पैदा कर सकता है।

2. एस्ट्रोजन

एस्ट्रोजन असंतुलन एक युवा लड़की के जीवन के कई पहलू को प्रभावित कर सकता है। बहुत ज्यादा एस्ट्रोजन के कारण आपका वजन बढ़ सकता है, आपकी सेक्स ड्राइव कम हो सकती है, स्तन कोमल हो सकते हैं, मूड स्विंग और PMS हो सकता है। बहुत कम एस्ट्रोजन के कारण हॉट फ्लैश, बार-बार यूटीआई, थकान, शरीर में दर्द और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है।

3. कोर्टिसोल

कोर्टिसोल को आमतौर पर ‘स्ट्रेस हार्मोन’ कहा जाता है। अतिरिक्त कोर्टिसोल यंग लड़कियों में वेट गेन, एंजायटी और डिप्रेशन का कारण बन सकता है। कम कोर्टिसोल एडिसन रोग, थकान और वजन घटाने का कारण बनता है।

4. थायराइड हार्मोन

हाइपरथायरायडिज्म, या बहुत अधिक थायराइड हार्मोन अन्य लक्षणों के अलावा एंजाइटी, वेट लॉस, रैपिड हार्टबीट, अनियमित पीरियड्स और थकान का कारण बन सकते हैं। हाइपोथायरायड, या कम थायरॉयड हार्मोन का स्तर भी थकान, वजन बढ़ना, अवसाद, शुष्क त्वचा और बाल के साथ अनियमित पीरियड्स का कारण बन सकता है।

5. टेस्टोस्टेरोन

टीनएजर लड़कियों में भी टेस्टोस्टेरोन होता है और यह पीसीओएस के कारणों में से एक है, पर यह अन्य स्वास्थ्य समस्याओं जैसे चेहरे पर काले बाल आना और एक्ने की समस्या पैदा कर सकता है।

टीनएजर लड़कियों में हार्मोनल इंबैलेंस में ये समान लक्षण नजर आ सकते हैं-

  • हैवी, इरेगुलर और पेनफुल पीरियड
  • ऑस्टियोपोरोसिस
  • हॉट फ्लैश और रात को पसीना आना
  • वेजाइनल ड्राइनेस
  • ब्रेस्ट में दर्द महसूस होना
  • कब्ज की समस्या
  • पीरियड्स के पहले पिंपल्स आना

कुछ अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं

  • डिप्रेशन
  • किसी भी कार्य को करने में मन न लगना
  • ध्यान केंद्रित करने में परेशानी आना
  • हर समय थकान का अनुभव होना
  • सेल्फ डाउट

जानें टीनएजर लड़कियों में हार्मोनल बैलेंस बनाए रखने के क्या हैं टिप्स

Hormonal balance may deteriorate in teenagers

1. पर्याप्त प्रोटीन लें : प्रोटीन अमीनो एसिड प्रदान करते हैं, इस पोषक तत्व को आपका शरीर खुद नहीं बना सकता है। वहीं ये पेप्टाइड हार्मोन बनाने के लिए आवश्यक होते हैं। ये हार्मोन कई शारीरिक प्रक्रियाओं को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिसमें ग्रोथ, एनर्जी मेटाबॉलिज्म, भूख, तनाव और बहुत कुछ शामिल है।

2. एक्सरसाइज करने से मिलेगी मदद : रोजाना उचित समय के लिए शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने से आपके हार्मोनल स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह हार्मोन रिसेप्टर सेंसटिविटी को बढ़ाता है, पोषक तत्वों और हार्मोन संकेतों के वितरण में मदद करता है।

3. सीमित मात्रा में चीनी लें : अतिरिक्त चीनी का सेवन कम करने से हार्मोन को संतुलित करने में मदद मिल सकती है। अधिक चीनी लेने से इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ावा मिलता है, और फ्रुक्टोज का सेवन आंत के माइक्रोबायोम को असंतुलित कर देता है, जिससे अंततः हार्मोनल असंतुलन हो सकता है।

4. स्ट्रेस मैनेज करें : स्ट्रेस कई तरह से आपकी बॉडी हार्मोंस को नुकसान पहुंचा सकता है। नियमित तनाव को कम करने का प्रयास करें और स्ट्रेस मैनेजमेंट टेक्निक पर ध्यान दें।

5. वेट मैनेजमेंट पर ध्यान दें : वजन बढ़ना सीधे तौर पर हार्मोनल असंतुलन से जुड़ा होता है। मोटापा महिलाओं में ओव्यूलेशन की कमी से संबंधित होता है। अपनी डाइट में सीमित कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थ लें, इससे हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद मिल सकती है।

6. गट हेल्थ पर ध्यान दें: आपका पेट कई मेटाबोलाइट्स बनाता है, जो हार्मोनल हेल्थ को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए फाइबर से भरपूर खान पान और प्रयाप्त मात्रा में पानी पिएं, इससे आंतों की सेहत बरकरार रहती है।

7. पर्याप्त नींद लें : ज्यादातर बच्चे रात को देर से सोते हैं, जिसकी वजह से उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती। नींद हार्मोनल असंतुलन में एक महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। रात को 7 से 8 घंटे की नींद लें, इस तरह आपको हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी।

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After all, when did the worship of Maa Durga start in Bengal?

Durga Puja: पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा विश्व विख्यात है। हर वर्ष पूरी दुनिया कई देशों से लोग बंगाल की दुर्गा पूजा का दर्शन करने आते हैं। आज वहां भव्य मंडप, रोशनी से चकाचौंध मां दुर्गा की प्रतिमा होती है पर क्या आप जानते हैं कि बंगाल की यह भव्य दुर्गापूजा कब शुरू हुई ? किसने पहली बार दुर्गा पूजा की थी? आखिर दुर्गा पूजा करने का कारण क्या था? सनातन धर्मानुसार इतने देवताओं के होने के बाद 10 भुजा वाली मां दुर्गा की पूजा क्यों? ऐसे ही कई सवाल लोगों के मन में उठते हैं तो चलिए बताते हैं बंगाल की दुर्गा पूजा का शानदार इतिहास।

इतिहास के पन्नों पर बंगाल के दुर्गा पूजा के पीछे की रोचक कहानी-

Durga Puja

बंगाल के इतिहास के पन्नों को पलटें तो हमें मालूम चलता है कि लगभग 16वीं शताब्दी के आखिर में 1576 ई में पहली बार दुर्गापूजा हुई थी। उस समय बंगाल अविभाजित था जो वर्तमान समय में बांग्लादेश है। इसी बांग्लादेश के ताहिरपुर में एक राजा कंसनारायण हुआ करते थे। कहा जाता है कि 1576 ई में राजा कंस नारायण ने अपने गांव में देवी दुर्गा की पूजा की शुरुआत की थी। कुछ और विद्वानों के मुताबिक मनुसंहिता के टीकाकार कुलुकभट्ट के पिता उदयनारायण ने सबसे पहले दुर्गा पूजा की शुरुआत की। उसके बाद उनके पोते कंसनारायण ने की थी। इधर कोलकाता में दुर्गापूजा पहली बार 1610 ईस्वी में कलकत्ता में बड़िशा (बेहला साखेर का बाजार क्षेत्र) के राय चौधरी परिवार के आठचाला मंडप में आयोजित की गई थी। तब कोलकाता शहर नहीं था। तब कोलकाता एक गांव था जिसका नाम था ‘कोलिकाता’।

अश्वमेघ यज्ञ का विकल्प बनी दुर्गा पूजा

Durga Puja

विवेकानंद विश्वविद्यालय में संस्कृत और दर्शन के प्रोफेसर राकेश दास ने बताया कि राजा कंसनारायण ने अपनी प्रजा की समृद्धि के लिए और अपने राज्य विस्तार के लिए अश्वमेघ यज्ञ की कामना की थी। उन्होंने यह इस बात की चर्चा अपने कुल पुरोहितों से की। ऐसा कहा जाता है कि अश्वमेघ यज्ञ की बात सुनकर राजा कंस नारायण के पुरोहितों ने कहा कि अश्वमेघ यज्ञ कलियुग में नहीं किया जा सकता। इसे भगवान राम ने सतयुग में किया था पर अब कलियुग करने का कोई फल नहीं है।

इस काल में अश्वमेघ यज्ञ की जगह दुर्गापूजा की जा सकती है। तब पुरोहितों ने उन्हें दुर्गापूजा महात्मय बारे में बताया। पुरोहितों ने बताया कि कलियुग में शक्ति की देवी महिषासुरमर्दिनी मां दुर्गा की पूजा करें। मां दुर्गा सभी को सुख समृद्धि, ज्ञान और शाक्ति सब प्रदान करती हैं। इसी के बाद राजा कंसनारायण ने धूमधाम से मां दुर्गा की पूजा की। तब से आज तक बंगाल में दुर्गापूजा का सिलसिला चल पड़ा।

देवी भागवतपुराण में है दुर्गापूजा का उल्लेख

इतिहास के अनुसार राजा कंसनारायण की पूजा के पहले दुर्गापूजा की व्याख्या देवी भागवतपुराण और दुर्गा सप्तशती में मिलती है। दुर्गा सप्तशती और देवी भागवतपुराण में शरद ऋतु में होने वाली दुर्गापूजा का वर्णन है। देवी भागवतपुराण में इसका भी जिक्र है कि भगवान श्रीराम ने लंका जाने से पहले शक्ति के लिए देवी मां दुर्गा की पूजा की थी। देवी भागवत पुराण की रचना की तिथि पर विद्वानों में मतभेद है। कुछ विद्वानों का कहना है कि यह एक प्राचीन पुराण है और 6वीं शताब्दी ईस्वीं से पहले रचा गया था। कुछ के मुताबिक इस पुस्तक की रचना 9वीं और 14वीं शताब्दी के मध्य ईस्वीं बीच हुई थी।

Govinda in Hospital: How Govinda got shot

Govinda Case: हिंदी सिनेमा के लोकप्रिय स्टार गोविंदा को गोली लगने के मामले में पुलिस ने अपनी जांच पूरी कर ली है। डीसीपी दीक्षित गेदाम ने स्पष्ट कर दिया है कि ये मामला सिर्फ एक हादसा है। बता दें कि कहीं कोई साजिश नजर नहीं आ रही है। हालांकि, अभी तक गोविंदा का बयान दर्ज नहीं किया जा सका है, क्योंकि अभी वो अस्पताल में हैं।

पुलिस के मुताबिक जिस गन से गोली चली थी वो गोविंदा की अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर है। जांच में मालूम चला है कि यह सिर्फ एक हादसा है, इसलिए अभी तक कोई केस दर्ज नहीं किया गया है। महाराष्ट्र पुलिस ने महज अपनी डायरी में इस हादसे को एक रिपोर्ट के तहत लिया है।

मालूम हो कि गोविंदा को मंगलवार की सुबह 4 बजकर, 45 मिनट पर गोली लग गई थी, जिसके बाद उन्हें फौरन क्रिटीकेयर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बताया गया कि गोविंदा कोलकाता जाने के लिए निकल रहे थे, इससे पहले उन्होंने अपनी रिवॉल्वर को साफ करने के लिए निकाला ताकि इसके बाद अलमारी में सुरक्षित रख सकें लेकिन रिवॉल्वर उनके हाथ से गिर गई और मिस-फायर हो गया।

गोविंदा ने दिया था हेल्थ अपडेट

इस पूरे मामले में गोविंदा के पैर में गोली लगी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां डॉक्टरों ने तुरंत सर्जरी कर उनके पैर से गोली निकाली। इसके बाद एक्टर को आईसीयू में अंडर-ऑब्जर्वेशन रखा गया था। हालांकि गोविंदा ने खुद एक ऑडियो जारी कर ये क्लियर किया था ये गोली उन्हें गलती से लगी है, बाबा के आशीर्वाद से सब ठीक है। उनके पैर से गोली को निकाल लिया गया है और अब उनकी हालत में सुधार है।

पुलिस ने नहीं लिया गोविंदा का बयान

गोविंदा के मैनेजर शशि सिन्हा ने बताया था कि मुंबई पुलिस ने गोविंदा की बेटी टीना का बयान दर्ज किया है लेकिन गोविंदा का बयान अभी तक दर्ज नहीं हुआ है। गोविंदा की सेहत में सुधार के बाद उनका बयान दर्ज किया जाएगा। बीती शाम मुंबई पुलिस के अधिकारी अस्पताल में पहुंचे थे। उन्होंने गोविंदा से बातचीत की। उनके साथ हुई घटना के बारे में जानकारी ली पर अभी तक ऑफिशियली एक्टर का बयान दर्ज नहीं किया गया है।

गोविंदा की पत्नी सुनीता ने क्या बताया?

पत्नी सुनीता आहुजा ने बताया कि उनकी तबीयत पहले से बेहतर है। उन्हें नार्मल वॉर्ड में शिफ्ट किया जाएगा। वो कल यानी मंगलवार से बेहतर हैं। गुरुवार को उन्हें डिसचार्ज कर दिया जाएगा। आप सभी के, फैंस की दुआ से गोविंदा बिल्कुल ठीक हैं। हर जगह उनके सेहत को लेकर पूजा प्रार्थना चल रही है। उनकी बहुत ज्यादा फैन फॉलोइंग है। सबके आर्शीवाद से उनकी तबीयत बेहतर हुई है। मैं फैंस से आग्रह करती हूं कि वो जरा भी पैनिक ना हों। कुछ महीनों बाद वह फिर से डांस फ्लोर पर होंगे।

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Heart Blockage: Abnormal changes in the body mean the risk of heart blockage

Heart Blockage: गलत खाने-पीने की आदतें शरीर में कोलेस्ट्रोल के लेवल को काफी बढ़ा देती हैं। इससे आर्टरीज में प्लाक जैसे पदार्थ जमा होने लगते हैं, जो हार्ट में ब्लड के दबाव को कम कर देता है। इससे शरीर को हार्ट संबंधी प्रोब्लम्स का सामना करना पड़ता है। गलत खानपान के अलावा नींद की कमी और दिनों दिन बढ़ रहा स्ट्रेस भी हार्ट ब्लॉकेज की वजह बनने लगता है। आर्टरीज में बढ़ने वाली ब्लॉकेज को कम करने के लिए कुछ खास बातों का ख्याल रखना जरूरी है लेकिन उससे पहले जानते हैं शरीर में दिखने वाले वो साइन जो हार्ट ब्लॉकेज की ओर इशारा करते हैं।

कैसे होता है हार्ट ब्लॉकेज

If you get such signs, then understand that heart problems have started

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक जब प्लाक रूपी चिपचिपा पदार्थ हार्ट को ब्लड पहुंचाने वाली आर्टरीज में जमा हो जाता है तो उस स्थिति को हार्ट ब्लॉकेज कहा जाता है। ये प्लाक अनहेल्दी फैट्स, कॉलेस्ट्रॉल, सेलुलर वेस्ट प्रॉडक्ट्स, कैल्शियम और फाइब्रिन नाम के क्लॉटिंग सबस्टांस से बना होता है। इस बारे में बातचीत करते हुए इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट का कहना है कि कोरोनरी आर्टरीज में ब्लॉकेज के कारण ब्लड पूरी तरह से हार्ट तक नहीं पहुंच पाता है। शरीर में किसी भी तरह का असामान्य बदलाव महसूस होने पर फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज यानी सीएडी हार्ट डिजीज का सबसे आम वजह है। जब हार्ट में ब्लड की आपूर्ति करने वाली आर्टरीज़ समय के साथ संकुचित होने लगती हैं और बल्ड सप्लाई में बाधा आने लगती है। ये रुकावटें फैट्स के निर्माण के कारण बढ़ने लगती हैं। आर्टरीज़ में ब्लॉकेज से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बना रहता है। इस्केमिक स्ट्रोक उस समस्या को कहते हैं, जब रक्त वाहिका में रूकावट आती है जो ब्रेन को ब्लड और ऑक्सीजन की सप्लाई करती है।

आइये जानते हैं हार्ट ब्लॉकेज़ के क्या हैं संकेत-

1. थकान और कमज़ोरी का अनुभव

नेशनल हार्ट, लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट के मुताबिक आर्टरीज़ में ब्लॉकेज के कारण ब्लड फ्लो की अनियमितता बढ़ने लगती है। इससे ऑक्सीजन का प्रवाह भी प्रभावित होने लगता है। ऐसे में सिरदर्द, थकान और काम करने में असमर्थता का सामना करना पड़ता है। किसी कार्य को करने के दौरान ये थकान तेज़ी से बढ़ने लगती है।

2. सीने में दर्द या एंजाइना

WHO warning: Long working hours increase the risk of heart disease and heart attack

सीने में उठने वाला दर्द और किसी भी प्रकार की असुविधा धमनियों में जमने वाले प्लॉक का संकेत देती हैं। ये दर्द छाती से होता हुआ बाहों के नीचे, गर्दन या जबड़े तक पहुंच जाता हैं। इसके कारण सीने में जकड़न महसूस होने लगती है। ये समस्या कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक बनी रहती है। ऐसे में स्वैटिंग और सांस फूलने का सामना करना पड़ता है।

3. सांस लेने में दिक्कत

हार्वर्ड हेल्थ के मुताबिक सीढ़िया चढ़ने या कोई अन्य कार्य करने के दौरान सांस फूलने की समस्या का सामना करना पड़ता है। ये समस्या हृदय रोग को दर्शाती है। इससे एंजाइना, हार्ट अटैक और हार्टफेलियर का खतरा बढ़ने लगता है। दरअसल, जब हार्ट को ब्लड पंप करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन की प्राप्ति नहीं होती है, तो उस समय सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में शरीर तेज़ी से सांस लेने का प्रयास करता है।

4. पैरों के निचले हिस्से में सूजन

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिसर्च के अनुसार टांगों के निचले हिस्से में सूजन दिल की समस्या का एक मुख्य संकेत है। शरीर में रक्त का प्रवाह धीमा होने से पैरों की नसों में वापिस लौटने लगता है। इससे टिशूज़ में तरल पदार्थ का निर्माण होने लगता है। हार्ट डिजीज से ग्रस्त होने पर पैरों के अलावा पेट में भी सूजन हो सकती है, जिससे वेटगेन का सामना पड़ता है।

5. खांसी का बढ़ना

जब हृदय ब्लड को पूरी तरह से पंप नहीं कर पाता है, तो ऐसे में बॉडी में खासतौर से फेफड़ों में फ्लूइड बनने लगता है, जो म्यूकस की शक्ल में शरीर से बाहर निकलता है। इस तरह के म्यूकस का रंग गहरा होता है। इसके चलते बार-बार खांसी का सामना करना पड़ता है।

हार्ट ब्लॉकेज से बचने के लिए इन सुझावों का करें पालन

1. स्वस्थ आहार लें

आहार में विटामिन, मिनरल और फाइबर की भरपूर मात्रा लें। इससे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित बनाए रखने में मदद मिलती है। इसके अलावा नट्स और सीड्स का सेवन भी फायदा पहुंचाते हैं। साथ ही मछली का सेवन करने से शरीर को ओमेगा-3 फैटी एसिड की प्राप्ति होती है। इससे ब्लॉकेज को रेगुलेट किया जा सकता है।

2. स्मोकिंग करने से बचें

नियमित रूप से स्मोकिंग करने से ब्लड वेसल्स डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है और प्लाक बिल्डअप होने लगता है। ऐसे में शरीर में ब्लड का प्रवाह प्रभावित होता है। हृदय रोगों से बचने के लिए स्मोकिंग से दूरी बनाकर रखें।

3. रेगुलर एक्सरसाइज़ करें

किसी फिटनेस एक्सपर्ट की मदद से हृदय रोगों से बचने के लिए व्यायाम के अलावा मेडिटेशन करें। इससे शरीर में बढ़ने वाले तनाव और वसा को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। दिनभर में कुछ देर वॉक करने से शरीर को फायदा मिलता है और ब्लॉकेज से राहत मिलती है।

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Importance of Eid Milad-Un-Nabi in Islam and its history

Eid Milad-Un-Nabi को ईद-ए-मिलाद के नाम से भी जाना जाता है। इस्लाम धर्म में ईद मिलाद-उन-नबी का पर्व पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिन के मौके पर मनाया जाता है। ईद मिलाद-उन-नबी इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी अल-अव्वल की 12वीं तारीख को मनाया जाने वाला एक खास इस्लामिक त्योहार है। इस मौके पर मुस्लिम समुदाय में विशेष दुआ, समारोह और जश्न मनाते हैं। मुस्लिम समाज के लोग मस्जिदों में जाकर प्रार्थना करते हैं और हजरत मोहम्मद साहब द्वारा दी गई शिक्षा और उपदेशों को याद करते हैं। इस बार मिलाद-उन-नबी 15 सितंबर से लेकर 16 सितंबर यानी आज शाम तक मनाया जाएगा।

ईद मिलाद-उन-नबी का ये है महत्व

Importance of Eid Milad-Un-Nabi in Islam and its history

ईद मिलाद-उन-नबी का महत्व इस्लामिक धर्म में बहुत अधिक है। यह त्योहार पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन के अवसर के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें इस्लामिक धर्म का आखिरी नबी माना जाता है। यह पर्व इस्लामिक लोगों को एकता के सूत्र में बांधता है और उन्हें पैगंबर द्वारा दिए गए पैगाम को याद करने का अवसर प्रदान करता है। अलावा इसके यह त्योहार मुस्लिम लोगों को समाज सेवा के लिए प्रेरित करता है और गरीबों, जरूरतमंदों की मदद करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

इस दिन रात भर प्राथनाएं होती हैं और जगह-जगह जुलूस भी निकाले जाते हैं। घरों और मस्जिदों में कुरान पढ़ी जाती है। इस दिन गरीबों को दान भी किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि ईद मिलाद-उन-नबी के दिन दान और जकात करने से अल्लाह खुश होते हैं।

जानें मिलाद-उन-नबी का इतिहास

Importance of Eid Milad-Un-Nabi in Islam and its history

ईद मिलाद-उन-नबी का इतिहास इस्लामिक धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्म से जुड़ा हुआ है। हजरत मोहम्मद साहब का जन्म 570 ईस्वी में मक्का में हुआ था। बता दें कि सुन्नी लोग पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्म को रबी अल-अव्वल की 12वीं तारीख को मनाते हैं जबकि, शिया समुदाय इस त्योहार को 17वें दिन मनाते हैं। यह दिन न सिर्फ पैगंबर मोहम्मद के जन्म का प्रतीक है, बल्कि उनकी मृत्यु के शोक में भी इस दिन को याद किया जाता है।

पैगंबर साहब के जन्म से पहले ही उनके पिता का निधन हो चुका था। जब वह 06 वर्ष के थे तो उनकी मां की भी मृत्यु हो गई। मां के निधन के बाद पैगंबर मोहम्मद अपने चाचा अबू तालिब और दादा अबू मुतालिब के साथ रहने लगे। इनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम बीबी आमिना था। अल्लाह ने सबसे पहले पैगंबर हजरत मोहम्मद को ही पवित्र कुरान अता की थी। इसके बाद ही पैगंबर साहब ने पवित्र कुरान का संदेश दुनिया के हर कोने तक पहुंचाया।

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