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Author Archives: Zahid Abbas

Mental Health: Excessive stress has a direct connection with your memory

Mental Health: आजकल हर किसी की जिंदगी में बस भागदौड़ है और किसी ना किसी बात को लेकर तनाव है। लगातार टेंशन और स्ट्रेस में रहने के कारण कई तरह की समस्याएं हो सकती है। किसी को ऑफिस का स्ट्रेस है तो किसी को घर का, हर इन्सान किसी ना किसी बात से तनावग्रस्त है। तनाव की वजह से सिर्फ मानसिक समस्याएं ही नहीं, बल्कि कई तरह की फिजिकल समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। बता दें कि लंबे समय तक स्ट्रेस में रहना आपके दिमाग को प्रभावित कर सकता है।

डॉक्टर का कहना है कि जब आप टेंशन लेते हैं तो दिमाग से कॉर्टिसोल नाम का हार्मोन निकलता है जिसकी वजह से आपको अच्छा फील नहीं होता है। कभी कभी ऐसा होना नार्मल है लेकिन जब आप लंबे वक्त तक तनाव में रहते हैं तो दिमाग पर इसका विपरीत असर पड़ने लगता है। इसकी वजह से आपकी याददाश्त कमजोर होने लगती है और आप बातें भूलने लगते हैं।

तनाव दिमाग को कैसे प्रभावित करता है?

Mental Health: Excessive stress has a direct connection with your memory

  • ज्यादा तनाव लेने से दिमाग का एक हिस्सा, हिप्पोकैम्पस, सिकुड़ जाता है। यह दिमाग का वह भाग है जहां मेमोरी होती है और जो सीखने से जुड़ा हुआ है। ज़्यादा टेंशन लेने से हमारा दिमाग़ सिर्फ थकता नहीं है, बल्कि इससे हमारी सोचने की क्षमता में भी गिरावट आ जाती है। हम अपने अंदर की क्रिएटिविटी खो देते हैं, हमें फैसले लेने में घबराहट होती है।
  • ज्यादा तनाव सेरोटोनिन और डोपामाइन के स्तर को, बिगाड़ देता है, जो दिमाग के लिए जरूरी है। इस कारण, चिंता, अवसाद और अनिद्रा की परेशानी हो सकती है।
  • ज्यादा तनाव के कारण कोर्टिसोल का स्तर बढ़ने से दिमाग और शरीर की सूजन को बढ़ जाती है, जो समय के साथ बढ़ सकती है। अगर इसका इलाज न किया जाए, तो अल्जाइमर या पार्किंसंस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
  • ज्यादा तनाव से प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स प्रभावित होता है। इसकी वजह से व्यक्ति चिड़चिड़ा, मूड स्विंग्स, अकेलापन और ओवर सेंसिटिविटी महसूस करता है।

दिमाग को तनाव से ऐसे बचाएं- 

  1. टाइम मैनेजमेंट करें – कामों की लिस्ट बनाकर प्रायोरिटी सेट करें।
  2. बॉडी को मूव करें – रोज़ाना 20–30 मिनट वॉक या एक्सरसाइज स्ट्रेस को घटाती है।
  3. नींद जरूरी है- रात में 7-8 घंटे की अच्छी नींद जरूर लें।
  4. सांस पर ध्यान दें – गहरी सांस लेने से दिमाग तुरंत रिलैक्स होता है।
  5. डिजिटल डिटॉक्स – थोड़ी देर मोबाइल और सोशल मीडिया से दूर रहें।
  6. पॉजिटिव एक्टिविटी – म्यूजिक, पढ़ना, मेडिटेशन या हॉबी टेंशन घटाते हैं।
  7. लोगों से बात करें – अपनी फीलिंग्स शेयर करने से बोझ हल्का होता है।
Chhath Puja: On Chhath, the great festival of folk faith

CHHATH PUJA: देशभर में लोक आस्था का महापर्व छठ पूरे हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। सोमवार शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखांड समेत देश के कई हिस्सों में नदियों के घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।

Chhath Puja

दिल्ली में भी यमुना तट पर पारंपरिक गीतों और पूजा के बीच माहौल आस्थामय दिखा। इस अवसर पर ना सिर्फ आम लोगों के साथ ही नेतागण और भोजपुरी इंडस्‍ट्री के कलाकार भी भक्ति में लीन नजर आए। घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे और प्रशासन ने व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने के लिए विशेष टीम तैनात की थी। छठ पूजा की खासियत यह रही कि लोग सुबह से ही तैयारी में जुटे रहे और शाम होते ही सूर्य को अर्घ्‍य देने के लिए घाटों पर पहुंचे। सोमवार को इस पर्व के तीसरे दिन व्रती महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया।

Importance of 'Chhath', the great festival of folk faith, from bathing to Arghya

बिहार में छठ ना सिर्फ आस्था का पर्व है, बल्कि इस बार चुनावी मौसम ने इसमें राजनीति का रंग भी जोड़ दिया है। विधानसभा चुनाव के कारण कई उम्मीदवार घाटों पर पहुंच रहे हैं और श्रद्धालुओं से जनसंपर्क करते नजर आए।

फोटो सौजन्य- गूगल

Chhath Puja: Learn the significance and method of preparation of Kharna

Chhath Puja: महापर्व छठ का आगाज 25 अक्टूबर को हो चुका है। चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व का समापन 29 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर होगा। पहले दिन नाहय-खाय और आज यानी 26 अक्टूबर को छठ पर्व के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है। खरना का भी अपना विशेष महत्व है। छठ में सूर्य देवता के साथ ही छठी मैया की भी पूजा की जाती है। यह त्योहार बिहार का विशेष त्योहार है जिसे झारखंड, उत्तर प्रदेश में रहने वाले लोग बड़े ही आस्था के साथ मनाते हैं। खरना को लोहंडा भी कहा जाता है। खरना पर खास प्रसाद बनाया जाता है जिसका अपना अलग महत्व है। इसी खास प्रसाद को व्रती खाते हैं।

खरना पर प्रसाद में क्या बनता है?

Chhath Puja

खरना 26 अक्टूबर को है। इस दिन गुड़ वाली खीर और रोटी बनती है। यह खीर मिट्टी का नया चूल्हा बनाकर तैयार किया जाता है। वह भी आम की लकड़ी जलाकर बनाने की प्रथा है। दूसरी लकड़ी का इस्तेमाल इसमें वर्जित माना गया है। व्रती पूजा के बाद प्रसाद के तौर पर इसका ही सेवन करते हैं।

खरना प्रसाद का महत्व ?

खरना वाले दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं। शाम के समय जब मिट्टी का चूल्हा बनाया जाता है, तो उस पर गुड़ की खीर, रोटी बनाई जाती है। आप इसे पीतल या मिर्टी के बर्तन में बना सकते हैं। साथ ही गेहूं की रोटी या फिर पूड़ी बनाई जाती है। शाम में सूर्य देव को पूजा-आराधना करके इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं।

आम की लकड़ी ही क्यों किया जाता है इस्तेमाल?

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक आम का पेड़ छठी मइया को प्रिय है। आम की लकड़ी शुद्ध, सात्विक होता है। मान्यता है कि आम की लकड़ी पर पके भोजन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। साथ ही इसका धुआं वातावरण को शुद्ध करता है।

खरना का क्या है महत्व?

खरना छठ पर्व के दूसरे दिन पड़ता है और यहीं से 36 घंटे वाला निर्जला व्रत शुरू होता है। खीर और रोटी खाने के बाद व्रती अन्न और जल ग्रहण नहीं करते हैं। खरना के दिन बनने वाली गुड़ की खीर खाने से छठी मइया का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह सेहत, सुख-समृद्धि, संतान सुख भी देता है। व्रती जब सूर्य देव को अर्घ्य दे देते हैं तो इस प्रसाद का सेवन किया जाता है। उसके बाद ही घर के अन्य सदस्य भी इसे खाते हैं। यहां से शुरू होता है व्रती का 36 घंटे का निर्जला व्रत 27 अक्टूबर को संध्या अर्घ्य और 28 को उगते सूरज को अर्घ्य देकर पूजा का पारण होता है।

खरना प्रसाद गुड़ की खीर बनाने की विधि

इसके लिए मिट्टी या पीतल के बर्तन में दूध डालकर उबालें। इसमें चावल को तीन-चार बार साफ पानी से धोकर डालें। जब चावल पक जाए तो उसमें गुड़ डालकर पकाएं, आंच को कम ही रखें, आप इसमें थोड़ा सा शुद्ध घी भी मिला सकते हैं। अपना पसंदीदा ड्राई फ्रूट्स, इलाचयी पाउडर भी डाल दें।

फोटो सौजन्य- गूगल

How to worship and where to light lamps on Narak Chaturdashi

Narak Chaturdashi: सनातन परंपरा में कार्तिक मास के कृष्णापक्ष की चतुर्दशी तिथि को छोटी दीपावली या फिर नरक चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी और हनुमान पूजा के नाम के तौर पर मनाते हैं। यह पर्व दिवाली से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है। हिंदू मान्यता के मुताबिक नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध करके 16,000 महिलाओं को उसकी कैद से मुक्त कराया था। इस दिन सुबह के समय शरीर में उबटन लगाकर अभ्यंग स्नान की भी परंपरा है।

नरक चतुर्दशी को हनुमान पूजा के नाम से भी जाना जाता है, इसलिए इस दिन हनुमान जी की विधि विधान से पूजा की जाती है। छोटी दीपावली या फिर नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय यम देवता के लिए विशेष रूप से दीया जलाया जाता है। आइये जानते हैं कि आज किस समय और किस दिशा में दीया जलाने से हमें पुण्यफल की प्राप्ति होती है।

छोटी दिवाली पर कहां जलाए दीया

हिंदू मान्यता के मुताबिक आज के दिन यम देवता के लिए विशेष रूप से दीया जलाया जाता है। मान्यता है कि आज के दिन यम देवता के लिए दीया जलाने से नरक में जाने से मुक्ति मिलती है। हिंदू मान्यता के मुताबिक आज प्रदोषकाल में यम देवता के लिए दीया जलाने के साथ 14 दीया जलाना शुभ माना गया है। जिसे घर के विभिन्न स्थानों जैसे आंगन, बालकनी, छत, दरवाजे के बाहर आदि जगह पर रखना चाहिए। छोटी दिवाली के दिन सरसों के तेल का दीया जलाना चाहिए।

नरक चतुर्दशी पर दीया जलाने का मुहूर्त

How to worship and where to light lamps on Narak Chaturdashi

पंचांग के अनुसार आज नरक चतुर्दशी या फिर कहें छोटी दिवाली पर गोधूलि मुहूर्त 5 बजकर 47 मिनट से लेकर 6 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। अलावा इसके आप सायाह्न संध्या के समय यानि सायंकाल 5 बजकर 47 से 7 बजकर 03 मिनट तक बजे के बीच का समय भी दीपदान के लिए उचित रहेगा।

छोटी दिवाली के लिए ये है महाउपाय

छोटी दिवाली के दिन गाय के गोबर से बनाए हुए दीये जलाने की परंपरा है। मान्यता है कि इस उपाय को करने से यम की यातना से मुक्ति मिलती है। आज यम देवता के लिए उनके मंत्र का जप करते हुए चार बाती वाला दीया प्रदोषकाल में जलाना चाहिए। मान्यता है कि इस उपाय को करने से व्यक्ति को यम और प्रेत बाधा का भय नहीं रहता है। दिवाली के पंचपर्व में यम देवता का पूजा विशेष रूप से होता है। गौरतलब है कि दिवाली के पांच पर्वों में न सिर्फ नरक चतुर्दशी बल्कि भैया दूज का पर्व भी यम देवता और यमुना माता से जुड़ा हुआ है।

छोटी दिवाली में दीये का महत्व

हिंदू मान्यता के अनुसार बड़ी दिवाली के मुकाबले आज घरों में जो दीपमालिकाएं बनाई जाती हैं, वो कुछ छोटी होती हैं। मान्यता है कि छोटी दिवाली के दिन जलाए जाने वाले दीये नकारात्मकता को दूर करके सकारात्मकता लाते हैं। छोटी दिवाली पर जलाए जाने वाले ये दीये इस पर्व की पवित्रता के प्रतीक हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

Follow these 3 special measures to make your breasts attractive

Women in 40: अनुभव और थकान से भरी एक ऐसी उम्र जब आप बहुत कुछ समझ चुकी होती हैं। लेकिन करने को अब भी बहुत कुछ शेष होता है। घर और बाहर की दुनिया की कई चुनौतियों को आप ने पार कर लिया है, मगर कामयाबी के कई सितारे अभी आपके कंधों पर सजने बाकी होते हैं। इस उम्र तक आते अधिकतर महिलाएं अपनी सेहत को सबसे निचले लेवल पर ला चुकी होती है। जबकि यह वही उम्र है जब आपको अपनी सेहत का सबसे अधिक ख्याल रखने की आवश्यकता होती है।

वजन, उम्र और पोजिशन कुछ ऐसी हो जाती है कि शारीरिक रूप से एक्टिव रहने का वक्त भी कम होता चला जाता है। जिसके कारण आप अपनी उम्र के पुरषों से ज्यादा बीमारियों के गिरफ्त में होते हो। अगर इन जोखिमों से बचकर, सफलता के साथ आगे बढ़ना है तो आपको खुद को शारीरिक रूप से सक्रिय रखने पर ध्यान देना होगा।

एक सीनियर साइकोलॉजिस्ट और साइकोथेरेपिस्ट के मुताबिक देखने में भले ही यह सामान्य लगे लेकिन यह उम्र आपके मन के स्तर पर बहुत सारे बदलाव लेकर आती है और यह सब हॉर्मोन में हो रहे बदलाव की वजह से होता है। जो आपकी स्किन, पीरियड, मूड और वेट सभी कुछ प्रभावित करते हैं। इसलिए इस समय आपको अपना और ज्यादा ख्याल रखना जरूरी होता है।

महिलाओं में 40 की उम्र में होने वाली सबसे आम समस्याएं

1. हॉर्मोनल असंतुलन

ये उम्र उन हॉर्मोन में बदलाव की उम्र है, जो अभी तक आपके रिप्रोडक्टिव हेल्थ और बाहरी खूबसूरती के लिए जिम्मेदार थे। अनियमित माहवारी और त्वचा पर उग आने वाले बाल बताते हैं कि आपके हॉर्मोन असंतुलित हो रहे हैं। इस समय एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हॉर्मोन में गिरावट आने लगती है।

2. हेयर फॉल और स्किन में बदलाव

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एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन आपकी प्रजनन क्षमता के साथ-साथ आपके लुक को भी प्रभावित करते हैं। इनमें बाल पहले से हल्के और पतले होने लगते हैं, जबकि त्वचा में लोच और कसाव की कमी दिखाई देने लगती है। बालों का सफेद होना और त्वचा पर झुर्रियां उम्र के इसी पड़ाव पर नजर आने लगती है।

3. पाचन संबंधी समस्याएं

40 की उम्र की महिलाओं का पाचन तत्र पहले से धीमा हो जाता है, जिससे उन्हें पाचन संबंधी समस्याएं बहुत ज्यादा परेशान करने लगती हैं। अक्सर आपने महसूस किया होगा कि पहले आप जिन चीजों को बड़े दिलचस्पी के साथ खाती थीं, अब वही आपके पेट पर बोझ की तरह रहती है। अगर परहेज न किया जाए, तो गैस, एसिडिटी और बदहजमी जैसी समस्याएं इस समय ज्यादा होने लगती हैं।

4. वजन में इजाफा होना

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मेटाबॉलिज्म धीमा होने और हॉर्मोन असंतुलन होने की वजह से महिलाओं को इस उम्र में पेट के पास चर्बी बढ़ने लगती है। इस समय वजन बढ़ना जितना आसान होता है, उसे नियंत्रित करना उतना ही मुश्किल हो जाता है।

5. कमजोर होने लगती हैं हड्डियां

हालांकि 30 के बाद से ही महिलाओं की बोन डेंसिटी कम होने लगती है, इसलिए उन्हें केल्शियम पर ध्यान देने की सलाह दी जाती है। मगर 40 की उम्र पार करते एस्ट्रोजन की कमी के कारण ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। इसलिए केल्शियम के साथ-साथ आपको विटामिन-D का लेवल भी चेक करते रहने की जरूरत होती है।

6 मूड स्विंग्स

हॉर्मोन सिर्फ आपकी प्रजनन क्षमता को ही नहीं, बल्कि आपके मूड को भी प्रभावित करते हैं। हॉर्मोनल असंतुलन के कारण इस समय आपको ज्यादा गुस्सा आ सकता है। ज्यादातर महिलाओं के परिवार में यह शिकायत आती है कि वे बहुत चिड़चिड़ी और गुस्सैल हो गई हैं। यह पेरिमेनोपॉज का भी एक संकेत हो सकता है। जब आपको हॉट फ्लैश और मूड स्विंग्स का सामना करना पड़ता है।

इस उम्र में कैसे रहा जाए फिट और हेल्दी

डॉक्टर के अनुसार 40 की उम्र में सक्रिय रहने के लिए तनाव को संतुलित करना, अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखना और सकारात्मक जीवनशैली अपनाने का दृष्टिकोण रखना आवश्यक है। तनाव ऊर्जा को समाप्त करने वाले प्रमुख कारणों में से एक है, इसलिए इसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित रहना बेहद जरूरी है।

1. टेंशन देने वाले कारकों की पहचान करें

सबसे पहले, अपने जीवन में मौजूद तनाव के कारणों की पहचान करें, यानी यह जानें कि तनाव व्यवसायिक, व्यक्तिगत, वित्तीय या सामाजिक जीवन से आ रहा है। तनाव प्रबंधन पर सक्रिय रूप से काम करें और जरूरत पड़ने पर किसी जानकार से मार्गदर्शन लें। जितनी जल्दी कोई व्यक्ति अपने तनाव को पहचानकर किसी विशेषज्ञ से सलाह लेता है, उतने ही ज्यादा अवसर होते हैं कि वह अपने 40 के दशक में सक्रिय और ऊर्जावान रह सके। इसके साथ ही, उचित नींद लेना भी जरूरी है। अच्छी गुणवत्ता वाली नींद हमारे शरीर और दिमाग को ऊर्जावान बनाने के लिए जरूरी होती है।

2. खूब सारा पानी पीएं

हाइड्रेशन भी एक महत्वपूर्ण कारक है। पर्याप्त मात्रा में तरल पेय पीना और आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार लेना बहुत जरूरी है। इसके अतिरिक्त, संगीत सुनना, किताबें पढ़ना या रचनात्मक गतिविधियों में शामिल होना मन और संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है।

3. चाय-कॉफी कम कर दें

हो सकता है कि सुबह की पहली कॉफी या चाय आपको दिन के लिए तैयार करती हो, मगर यह आपको डिहाइड्रेट भी करती है। इसलिए इन्हें कम करने और धीरे-धीरे छोड़ने की ओर ध्यान दें। साथ ही, निकोटीन, शराब या किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों से दूर रहना अत्यंत आवश्यक है।

4. हर रोज़ एक्सरसाइज करें

यह आपके लिए सबसे जरूरी एक्टिविटी है। डांस, जुंबा, एरोबिक्स, साइकलिंग, कार्डियो जो भी आपको पसंद है, उसकी मदद से खुद को एक्टिव रखें। हर दिन कम से कम 45 मिनट और सप्ताह में पांच दिन आपका फिजिकल एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है। इससे मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है, वजन नियंत्रित रहता है और आपका मूड भी अच्छा रहता है और आप कम बीमार पड़ती हैं।

डॉक्टर का कहना है कि साल में कम से कम एक बार संपूर्ण स्वास्थ्य जांच कराना चाहिए। ये सुझाव किसी भी व्यक्ति को उनके 40 के दशक में सक्रिय और ऊर्जावान बनाए रखने में मदद पहुंचा सकता है।

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Prostate Cancer: 8 important questions related to prostate cancer in men

Prostate Cancer: पुरुषों के पेट में प्रोस्टेट एक छोटी ग्लैंड मात्र है जिसका आकार एक अखरोट जैसा होता है यह ग्लैंड सिर्फ पुरुषों में पाई जाती है। प्रोस्टेट कैंसर एक तरह का कैंसर है जो प्रोस्टेट ग्लैंड में होता है। मालूम हो कि यह कैंसर तब शुरू होता है जब प्रोस्टेट ग्रंथि में कोशिकाएं अनियंत्रित होने लगती है। एक अध्ययन के अनुसार, प्रोस्टेट ग्लैंड से बढ़कर शरीर के अन्य भागों में जाने लगता है तब यूरीन संबंधी परेशानियां नजर आने लगती है।

60 फीसदी मामले इस बीमारी के 65 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में होते हैं। हर 14 लोगों में से एक बुजुर्ग को इस बीमारी से दोचार होना पड़ता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर, कैंसर से होने वाली मौतों का दूसरा मुख्य कारण है। जबकि प्रोस्टेट से भारत भी बचा हुआ नहीं है। यही वजह है कि इस बीमारी से संबंधित अक्सर लोगों के दिमाग में काफी प्रश्न होते हैं, हम आपको ऐसे ही कुछ सवालों के बारे में बताएंगे-

1. क्या है प्रोस्टेट कैंसर?

प्रोस्टेट कैंसर एक तरह का कैंसर है जो पुरुषों की प्रोस्टेट ग्लैंड में उत्पन्न होता है। यह छोटी सी ग्लैंड अखरोट के आकार का होता है पर बुजुर्ग पुरुषों में यह बहुत बड़ा हो सकता है। प्रोस्टेट कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है। हालांकि, कई प्रोस्टेट कैंसर अधिक आक्रामक होते हैं और प्रोस्टेट ग्लैंड के बाहर फैल सकते हैं, जोकि घातक हो सकता है।

2. प्रोस्टेट कैंसर के कारण ?

Prostate Cancer: 8 important questions related to prostate cancer in men

प्रोस्टेट कैंसर के लिए बढ़ती उम्र एक प्रमुख वजह होता है। भारत में, व्यक्ति की आयु 50 वर्ष होने के बाद ये बीमारी विकसित होने का जोखिम तेज़ी से बढ़ने लग जाता है। अलावा इसके अन्य जोखिम वाले कारणों में बहुत अधिक धूम्रपान करने की आदत, खराब खान-पान और ओबिसिटी है।

3. कैसे फैलता है प्रोस्टेट कैंसर?

प्रोस्टेट कैंसर के फैलने के तेज़ी के ऊपर इसको 2 मूल प्रकार में रखा गया है-

  • एग्रेसिव (Aggressive) या आक्रामक: ये बहुत तेजी से बढ़ता है।
  • नॉन-एग्रेसिव (non-aggressive): ये धीमी गति से बढ़ता है।

4. कैंसर के लक्षण ?

प्रोस्टेट कैंसर के ये लक्षण हो सकते हैं: पेशाब करने में परेशानी, पेशाब करते वक्त दर्द या जलन होना, हाई ब्लड प्रेशर, पेशाब में खून, एक बार में कम या ज्यादा बार जाना।

5. प्रोस्टेट कैंसर के स्क्रीनिंग टेस्ट क्या होते हैं?

प्रोस्टेट कैंसर के स्क्रीनिंग के लिए प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन (PSA) टेस्ट और डिजिटल रेक्टल एग्जाम (DRE) की टेस्ट की जाती है।

6. प्रोस्टेट कैंसर को रोका जा सकता है?

प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करने के लिए आपको स्वस्थ और पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए, इसमें टमाटर, फूलगोभी, हरी पत्तेदार सब्जियां, ओमेगा -3 फैटी एसिड (फैट वाली मछलियां और नट्स) और सोया से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए।

7. किस तरह की लाइफस्टाइल अपनाकर प्रोस्टेट कैंसर से बचा जा सकते है?

लाइफस्टाइल में स्वस्थ रूप से कुछ परिवर्तन करके जैसे वजन कम करना, स्वस्थ आहार लेना, नियमित एक्सरसाइज करना, एक्टिव रहना, धूप से बचना और तंबाकू और शराब का सेवन कम करने जैसे उपायों से प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करने में मदद हो सकती हैं।

8. प्रोस्टेट कैंसर का इलाज दर्दनाक होता है?

प्रोस्टेट कैंसर की पहचान अगर शुरुआत में हो जाती है तो इसके प्रबंधन में सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती। इसका उपचार रेडियो थेरेपी और कीमो से की जाती है। इसलिए इसके इलाज में कोई दर्द नहीं होता।

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importance of Milad-Un-Nabi in Islam

Milad-Un-Nabi: इस्लाम में दो ईद को सबसे अहम त्योहार माना जाता है एक है ईद उल फित्र और दूसरा है ईद उल अजहा। वैसे तो ये दोनों त्योहार पूरे मुस्लिम समाज में बड़े ही अकीदत और धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं, मिलाद उन नबी का त्योहार इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल की 12वीं तारीख को मनाया जाता है, जो पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्म दिवस के रूप में जाना जाता है।

ईद-ए-मिलाद उन नबी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व काफी बड़ा है। इसे पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्म और उनके जीवन की महान उपलब्धियों को याद करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन मुसलमान उनके बताए रास्ते और आदर्शों पर चलने का संकल्प लेते हैं और उनकी तमाम जिंदगी की सीख से प्रेरणा लेते हैं। इस्लामी इतिहास में यह दिन एकता, सद्भाव और आध्यात्मिक जागरूकता के रूप में मनाते हैं। मिलाद-उन-नबी पूरे दुनिया के मुसलमानों को एकजुट रखने की कड़ी है।

importance of Milad-Un-Nabi in Islam

ईद मिलाद-उन-नबी का इतिहास इस्लाम धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्म से जुड़ा हुआ है। हजरत मोहम्मद साहब का जन्म 570 ईस्वी में मक्का में हुआ था। बता दें कि सुन्नी मुसलमान 12 रबी-उल-अव्वल को ईद-ए-मिलाद उन नबी मनाते हैं जबकि शिया मुसलमान उसे 17 रबी-उल-अव्वल को मनाते हैं। यह दिन न सिर्फ पैगंबर मोहम्मद के जन्म का प्रतीक है, बल्कि उनकी इंतकाल (निधन) के शोक में भी इस दिन को याद किया जाता है। इस दिन रात भर प्राथनाएं होती हैं और जगह-जगह जुलूस भी निकाले जाते हैं। घरों और मस्जिदों में कुरान पढ़ी जाती है।

पैगंबर साहब के जन्म से पहले ही उनके पिता का निधन हो चुका था। जब वह 06 वर्ष के थे तो उनकी मां की भी मृत्यु हो गई। मां के निधन के बाद पैगंबर मोहम्मद अपने चाचा अबू तालिब और दादा अबू मुतालिब के साथ रहने लगे। इनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम बीबी आमिना था। अल्लाह ने सबसे पहले पैगंबर हजरत मोहम्मद को ही पवित्र कुरान अता की थी। इसके बाद ही पैगंबर साहब ने पवित्र कुरान का संदेश दुनिया के हर कोने तक पहुंचाया।

Lose Weight: Now you don't need to sweat to lose weight

Lose Weight: वजन कम करना महज एक्सरसाइज और डाइट का मामला भर नहीं है बल्कि इसका असल संबंध आपके पाचन तंत्र से भी होता है। गट हेल्थ विशेषज्ञ का मानना है कि अगर आप अपने पाचन तंत्र का ध्यान रखेंगे तो फैट तेजी से बर्न कर पाएंगे। गट हेल्थ का मतलब हमारे पाचन तंत्र, खासकर आंतों का सही तरीके से काम करना। बता दें कि हमारे गट में ट्रिलियन्स की संख्या में गुड और बैड बैक्टीरिया मौजूद होते हैं, जिन्हें मिलाकर गट माइक्रोबायोम कहा जाता है। जब इन बैक्टीरिया का संतुलन सही रहता है तो पाचन, इम्यून सिस्टम, मेटाबॉलिज्म और मानसिक स्वास्थ्य भी फिट रहता है। खराब गट के कारण गैस, सूजन, कब्ज, स्किन की समस्या और वजन बढ़ने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। आइये जानते हैं वो रोजाना के हैबिट्स जो आपको हेल्दी गट और फैट लॉस में मददगार साबित होगी।

फाइबर फुड्स से करें दिन की शुरुआत

If the liver is happy then your health will also smile

सुबह के नाश्ते में फाइबर युक्त चीजें जैसे ओट्स, चिया सीड्स या ताजे फल शामिल करें। ये न सिर्फ लंबे वक्त पेट भरा रखते हैं, बल्कि गट में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देकर पाचन को सुधारते हैं और मेटाबॉलिज्म को सक्रिय बनाते हैं, जिससे फैट तेजी से बर्न होता है। अगर आप वेट कंट्रोल रखना चाहते हैं, तो अपनी डाइट में फाइबर फूड्स को ब्रेकफास्ट से ही शामिल करने की आदत डाल लें। ऐसा करना आपकी पाचन क्रिया को भी हेल्दी बनाए रखने में मदद करेगा।

प्रोबायोटिक फूड

आपको अपनी खाने में प्रोबायोटिक्स शामिल करने की जरूरत है। दही, छाछ, अचार जैसे फूड्स प्रोबायोटिक्स से भरपूर होते हैं, जो गट बैलेंस को सुधारते हैं। ये फूड्स पेट की सूजन कम करते हैं और फैट स्टोरेज को रोकते हैं। शरीर के बढ़ते वजन को कंट्रोल करने के लिए भी अपनी डाइट में प्रोबायोटिक्स से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करना जरूरी है।

कम से कम 30 मिनट खुद को रखें एक्टिव

Never forget to warm up before going for a morning walk

हर दिन चलना, योग करना या हल्का कार्डियो करना गट मूवमेंट को बेहतर बनाता है। इससे पाचन क्रिया तेज होती है, शरीर में सूजन कम होती है और मेटाबॉलिज्म एक्टिव रहता है। नियमित फिजिकल एक्टिविटी फैट बर्निंग प्रोसेस को तेज करने में सहायक होती है और ऊर्जा भी बढ़ाती है। ऐसा सिर्फ वजन कम करने के लिए ही नहीं बल्कि आपके अंदरूनी स्वास्थ्य को सही बनाए रखने के लिए भी बेहद जरूरी है।

मीठे और प्रोसेस्ड फूड से रहें दूर

शुगर और जंक फूड्स का ज्यादा सेवन गट में बैड बैक्टीरिया को बढ़ाता है, जिससे गट बैलेंस बिगड़ जाता है। इससे सूजन, गैस, कब्ज जैसी समस्याएं होती हैं और मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ता है। नतीजतन, फैट बर्न करना मुश्किल हो जाता है और वजन घटाने की प्रक्रिया रुक जाती है। साथ ही बाहर के प्रोसेस्ड फूड्स व ज्यादा चीनी वाले फूड्स स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य खई बीमारियों की वजह भी बन सकते हैं।

पर्याप्त नींद के फायदे

Your sleeping position reveals your personality

नींद की कमी और ज्यादा तनाव गट हेल्थ को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे पाचन और फैट बर्निंग प्रोसेस धीमी हो जाती है। डेली 7-8 घंटे की गहरी नींद और मेडिटेशन जैसी तकनीकों से हार्मोन बैलेंस रहता है, मेटाबॉलिज्म सुधरता है और वजन घटाना बेहद आसान होता है।

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Relation: Due to anger, the relationship with the partner is deteriorating

Relationship: बढ़ते वर्क लोड के कारण आजकल किसी के पास अपनी हेल्थ का ध्यान रखने का भी वक्त नहीं है। यह बढ़ता वर्क लोड का तनाव ना सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है बल्कि इससे लगातार हमारी मानसिक स्थिति भी बिगड़ती जा रही है। मालूम हो कि आजकल लोगों में चिड़चिड़ापन रहने लगा है, जिससे व्यक्ति के आपसी रिलेशन बिगड़ने लगते हैं। अगर आपके पार्टनर को भी चिड़चिड़ापन रहने लगा है और हर बात पर गुस्सा आ रहा है तो आपको भी कुछ बातों पर अमल करना होगा। खासकर जिन लोगों को लगता है कि उन्हें गुस्सा आ रहा है तो इससे आपके रिश्ते के लिए खतरा बढ़ सकता है।

हालांकि, आप कुछ साधारण से तरीकों को फॉलो करते हुए अपने पार्टनर के गुस्से को शांत रख सकते हैं और अपने नाजुक पड़ते रिश्ते को फिर से मजबूत बना सकते हैं। इस लेख में हम आप को बताएंगे कैसे पार्टनर को बार-बार आने वाले गुस्से को प्यार में बदल सकते हैं।

ज्यादा इमोशनल न बनें

कुछ लोगों को बात-बात पर इमोशनल होने की आदत होती है और उनकी इस आदत से कई बार दूसरे लोग परेशान रहने लगते हैं। अगर आप भी हमेशा जरूरत से अधिक बार इमोशनल हो जाते हैं, तो आपके पार्टनर को गुस्सा आने के पीछे एक यह कारण भी हो सकता है। अपने इमोशन जाहिर करना जरूरी है पर बार-बार उनके बारे में बात करना गलत हो सकता है।

हर समय सवाल करने से बचें

Relation: Due to anger, the relationship with the partner is deteriorating

अगर आपका पार्टनर गुस्से में है, तो उस दौरान बार-बार सवाल पूछना भी गुस्से को बढ़ा सकता है। अगर आपके मन में कोई भी सवाल है, तो उसे पूछने के लिए अपने पार्टनर के गुस्से को शांत होने का इंतजार करें। गुस्से में आपका पार्टनर आपको सही जवाब नहीं देगा और उल्टा बार-बार सवाल पूछने से उनका गुस्सा भी शांत नहीं होगा। इसलिए गुस्से को शांत होने का इंतजार लाजमी है।

उसकी बात को ध्यान से सुनें

मिस-कम्यूनिकेशन भी बार-बार गुस्सा आने की वजह बन सकता है। अगर आपके पार्टनर को लगता है कि आप उनकी बात को सुन नहीं रहे हैं, तो यह भी उनका गुस्सा बढ़ने का कारण हो सकता है। इसलिए हमेशा जब आपका पार्टनर गुस्सा तो तो उसकी बात को ध्यान से सुन लेना चाहिए। अगर आप ऐसा करेंगे तो आपके गुस्से के दौरान आपका पार्टनर भी आपकी बात को सुनने की कोशिश करेगा।

भूल कर भी पुराने झगड़े की बात ना छेड़ें

Sleep Separation: Separation of bedroom for a long time causes distance in relationships

रिश्तों के बीच थोड़ी बहुत कहा सुनी हो सकती है, लेकिन बात अक्सर तब बढ़ने लगती है जब आप किसी पुरानी बात को छेड़ देते हैं या किसी पुराने झगड़े को बीच में ले आते हैं। ऐसा करना गुस्से में आग में घी का काम करता है। इस बात का ख्याल रखें कि गुस्से के दौरान अपने पार्टनर के आगे कोई भी पुरानी बात न छेड़ें।

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Vastu Tips: These 3 things kept in the kitchen cause financial crunch

Vastu Tips: हिंदू पारंपरिक मान्यताओं के मुताबिक, घर की रसोई में मां अन्नापूर्णा का वास होता है। बता दें कि किचन से घर की समृद्धि भी तय होती है। कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन्हें रसोई में रखने से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है और घर में धन की कमी बनी रहती है। अगर आप भी आर्थिक तंगी से परेशान हैं तो फौरन रसोई से कुछ चीजों को हटा दें।

अगर आपके घर में भी हमेशा आर्थिक तंगी बनी रहती हैं तो वास्तु के मुताबिक आपकी रसोई में रखी कुछ चीजें इसकी वजह से हो सकती हैं। ये सिर्फ आपके हेल्थ पर असर नहीं डालता है बल्कि इसका सीधा असर परिवार की आर्थिक हालात पर भी पड़ता है। ऐसी चीजें नकारात्मक ऊर्जा को दावत देती है।

इन चीजों को आज ही किचन से हटा दें

Vastu Tips: These 3 things kept in the kitchen cause financial crunch

आइये समझते हैं इन चीजों के बारे में जिन्हें आज ही रसोई से हटाने से आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है। साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा का भी प्रवाह होगा, जिससे मां लक्ष्मी का भी आगमन होगा।

1. जली या दरार वाली बर्तन

रसोई में जले हुए तवे, पतीले या टूटे-फुटे हुए बर्तन नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। ये घर की सुख-शांति और समृद्धि में बाधा डालते हैं। इन्हें फौरन रसोई से बाहर कर देना चाहिए।

2. सड़ा-गला या बासी खाना

Vastu Tips: These 3 things kept in the kitchen cause financial crunch

रसोई में बासी या खराब भोजन रखना बहुत अशुभ माना जाता है। इससे न सिर्फ हेल्थ खराब होती है, बल्कि आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ सकता है। किचन को हमेशा साफ-सुधरा रखना चाहिए और जूते चप्पल पहनकर किचन में नहीं जाना चाहिए।

3. खाली पड़े पुराने डिब्बे

रसोई में नमक, आटा या चावल जैसी चीजों को फैला हुआ या खुला छोड़ना दरिद्रता की निशानी माना गया है। वास्तु के मुताबिक, इससे घर में पैसे की तंगी बनी रहती है। खाली बर्तन या जार रसोई में रखना भी आर्थिक तंगी का प्रतीक माना जाता है। खाली डिब्बों को हटाकर उन्हें अनाज से भर कर रखना शुभ माना जाता है।

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