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Author Archives: Nafisa Khan

Follow these 3 special measures to make your breasts attractive

Attractive Breast: किस लड़की की चाहत नहीं होती- सुडौल और आकर्षक ब्रेस्ट। कई लड़कियों को ब्रेस्ट का मनचाहा आकार नेचुरली मिल जाता है, पर कुछ लड़कियों को ब्रेस्ट का मनचाहा आकार नहीं मिल पाता है। ब्रेस्ट का छोटा होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। खराब खानपान, शरीर में न्यूट्रिएंट इलिमेंट्स की कमी या जेनेटिक के कारण से ब्रेस्ट का साइज छोटा रह जाता है।

छोटे ब्रेस्ट का आकार लड़कियों या महिलाओं के आत्मबल स्तर को गिरा सकता है। इसलिए हर लड़की स्तनों का आकार बढ़ाने के लिए तरह-तरह के उपाय इस्तेमाल करती हैं। कोई इंजेक्शन लगवाता है तो कोई सर्जरी की मदद लेतीं हैं। लेकिन आप चाहे तो नेचुरल तरीकों से भी ब्रेस्ट का आकार बढ़ा सकती हैं। एक्सपर्ट से जानते हैं ब्रेस्ट साइज बढ़ाने के लिए क्या हैं घरेलू उपाय-

ये है ब्रेस्ट साइज बढ़ाने के टिप्स

1. रोजाना एक्ससरसाइज करें

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ब्रेस्ट साइज का आकार बढ़ाने के लिए आपको डेली एक्सरसाइज और योगभ्यास करना चाहिए। एक्सरसाइज करने से ब्रेस्ट के नजदीक की मांसपेशियों का विकास तेजी से होता है। इससे स्तनों के आकार को भी बढ़ावा मिलता है। स्तनों का आकार बढ़ाने के लिए आपको रोजाना 30 मिनट एक्सरसाइज अपने रूटीन में शामिल करना होगा। इससे स्तनों के आस-पास की मांसपेशियां टोन भी होती हैं। स्तनों के साइज बढ़ाने के लिए आप पुश-अप, डंबल चेस्ट प्रेस और वॉल प्रेस जैसी एक्सरसाइज अपना सकती हैं।

2. फाइटोएस्ट्रोजन से भरे फूड्स खाएं

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फाइटोएस्ट्रोजन स्तनों के आकार को बढ़ावा देता है। फाइटोएस्ट्रोजन ब्रेस्ट टिश्यू को बढ़ाने में मदद करते हैं। अगर आप स्तनों के साइज बढ़ाना चाहते हैं, तो अपनी डाइट में फाइटोएस्ट्रोजन जरूर शामिल करें। आपको बता दें कि अलसी के बीज, सोयाबीन, तिल के बीज, टोफू, मूंगफली, अखरोट आदि में फाइटोस्ट्रोजन पाया जाता है। इन फूड्स को खाने से स्तनों के साइज बढ़ाने में मदद मिल सकती है। ब्रेस्ट साइज बढ़ाने के लिए मेथी के दाने भी बेहद उपयोगी साबित होते हैं। आपको अपनी डाइट में डेयरी प्रोडक्ट्स, नट्स, सीड्स और दाल जरूर शामिल करने चाहिए।

3. मसाज टैक्निक है कारगर

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अगर आपके स्तनों का आकार छोटा है, तो आपको मसाज टैक्निक भी जरूर अपनानी चाहिए। मसाज करने से ब्रेस्ट साइज को बढ़ावा मिल सकता है। अगर आप कुछ महीनों तक रोज सुबह-शाम स्तनों की मालिश करेंगे, तो इससे मांसपेशियों का विकास तेजी से होता है। ब्रेस्ट साइज बढ़ाने के लिए आप नारियल तेल, जैतून के तेल या बादाम के तेल से मालिश कर सकते हैं। इसके लिए आप कोई भी तेल लें और इसे गुनगुना कर लें। अब तेल को स्तनों पर लगाएं और फिर सर्कुलर मोशन में मसाज करें। आप रोज रात को स्तनों की मसाज कर सकते हैं। इससे आपको काफी फर्क देखने को मिलेगा।

If you are a 'Newly Mom' then take care of yourself like this

Newly Mom: प्रेग्नेंसी शुरू होते ही शरीर में कई तरह के हार्मोनल चेंजिंग दिखने लगते हैं और 09 महीने के फेज के बाद जब डिलीवरी होती है तो मां को सबसे अधिक खुशी का एहसास होता है पर इसके बाद कई सरह के स्ट्रेस भी सामने आते हैं जैसे कि चिड़चिढ़ापन, उदासी, चिंता, बच्चे के साथ जुड़ाव में कमी जैसा प्रॉब्लम होने लगता है। डिलीवरी के बाद शरीर कमजोर हो जाता है और तनाव का कुप्रभाव भी सेहत पर नजर आता है।

प्रेग्नेंसी के बाद पहले जैसा हेल्दी और फिट बनने के लिए अपने रूटीन के साथ ही खानपान का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। वरना कुछ प्रॉब्लम लाइफटाइम परेशानी खड़ा कर सकती है जैसे वजन कंट्रोल न किया जाए तो कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है साथ ही शरीर में दर्द और कमजोरी लंबे वक्त तक बनी रह सकती है। विशेषज्ञ से जानेंगे कि कैसे डाइट को सही तरीकों से लेकर योगा या वर्कआउट करने तक कैसे अपने स्वास्थ्य को ठीक रख सकती हैं।

नई मां की फिजिकल हेल्थ के साथ ही मेंटल हेल्थ भी दुरुस्त रहना बहुत जरूरी होता है, तभी वह अपने बच्चे को भी पूरी तरह से देखभाल कर पाएंगी और बच्चा हेल्दी रहता है। बाद वाली परेशानियों से बचने के लिए सबसे जरूरी होता है फैमिली का इमोशनल सपोर्ट। अलावा इसके भी एक्सपर्ट ने कई छोटी-छोटी ट्रिक बताई हैं और डाइट, वर्कआउट की डिटेल भी दी है ताकि डिलीवरी के बाद मां खुद को स्वस्थ रख सके।

एक्सपर्ट लाइफस्टाइल डिजीज जैसे डायबिटीज, पीसीओडी, थायराइड, ओबेसिटी आदि से लोगों को नेचुरली रिवर्स करने में मदद करती हैं और यह भी बताती हैं कि कैसे आप टेस्टी खाना खाकर भी स्लिम और फिट रह सकते हैं।

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मेंटल हेल्थ दुरुस्त रखने के टिप्स

  • एक्सपर्ट कहती हैं कि नई मां बनी हैं तो रोजाना कुछ देर लाइट वॉक करें और नंगे पैर घास पर चलें।
  • मेंटल हेल्थ को सुधारने के लिए ब्रीदिंग टेक्निक जैसे कपालभाति प्राणायाम और अनुलोम विलोम करना सही रहता है।
  • एक्सपर्ट का कहना है कि कोई भी स्ट्रेस जो आपको परेशान कर रहा हो, उसके बारे में बात करें।
  • स्ट्रेस कम ना हो तो जरूरत के हिसाब से थेरेपिस्ट या काउंसलर से बात करनी है तो वो बिल्कुल नॉर्मल है। जरूर बात करें, स्ट्रेस को कैसे डील करें?

भरपूर नींद लेना है जरूरी

good sleep

एक्सपर्ट के मुताबिक सबसे जरूरी है नई माएं अच्छी नींद लें, क्योंकि नींद न सिर्फ शारीरिक तौर पर आराम देती है, बल्कि मेंटली भी रिलैक्स दिलाने में मदद करती है। इसके लिए स्लीप स्नैचिंग तकनीक का सहारा लेना चाहिए यानी जब बेबी सो रहा हो या फिर फैमिली में किसी और के पास हो तो उस दौरान आप भी पावर नैप लें।

ब्रेस्टफीडिंग करवाना है फायदेमंद

Breast feeding

एक्सपर्ट कहती हैं कि बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग जरूर कराएं. ये मां और शिशु दोनों के लिए फायदेमंद होती है। वजन घटाने के लिए पेशेंस रखें, क्योंकि ग्रेचुअल वेट लॉस और ग्रेजुअल फैट लॉस करना ही सेफ रहता है और यही सही तकनीक है पोस्टपार्टम वेट को कम करने की।

कब कर सकते हैं फिजिकल एक्टिविटी

एक्सपर्ट का कहना है कि नॉर्मल डिलीवरी हुई है तो 06 हफ्ते के बाद फिजिकल एक्टिविटी कर सकती हैं और अगर सी-सेक्शन हुआ है तो डॉक्टर्स की एडवाइस के बाद ही किसी तरह का वर्कआउट या योग करना शुरू करें। बाद के दौरान फिटनेस के लिए आप ब्रीदिंग, लाइट वॉक, लाइट स्ट्रेचिंग, योगा को रूटीन में एड कर सकते हैं. ज्यादा जल्दबाजी न करें, अपनी बॉडी को हील होने दें तभी शरीर सही तरह से फंक्शन कर पाएगा।

ये चीजें करें अवॉइड

नई माएं एमटी कैलोरी बिल्कुल न लें, जैसे बिस्किट, शुगरी ड्रिंक्स को अवॉइड करना चाहिए. एक्सपर्ट कहती हैं कि बहुत सारे लोग वेट लॉस के चक्कर में चाय-कॉफी ज्यादा लेते हैं, लेकिन वह यह भूल जाते हैं कि ये बॉडी को एसिडिक कर सकते हैं और कैफीन से शरीर को नकली किक मिलती है। इंस्टेंट एनर्जी के चक्कर में इनको पीने से बचें। चाय-कॉफी पी भी रहे हैं तो शुगर मत मिलाएं और दिन में एक या दो बार ही लीजिए।

हाइड्रेट रहना है लाभदायक

एक्सपर्ट के अनुसार हाइड्रेशन को बनाए रखें, सादा पानी पीने के अलावा जीरा वाटर, धनिया वाटर, कोकोनट वाटर, सौंफ का पानी आदि पीएं, क्योंकि इन मसालों में कैल्शियम से अलावा भी कई मिनरल्स होते हैं। घर का सिंपल खाना खाइए। ये आपके लिए पोस्टपार्टम को डील करने के लिए बेस्ट है।

डाइट का ध्यान कैसे रखें

एक्सपर्ट का कहना है कि डिलीवरी के बाद वेट कंट्रोल करना हो तो किसी भी फैट डाइट को फॉलो नहीं करना चाहिए पर वजन कम करने के चक्कर में कोई भी ट्रेंडी डाइट फॉलो करना शुरू न करें। न्यूट्रिशनल डाइट लें, जिसमें कैलोरी भी कम हो और पोषक तत्व भी अच्छी मात्रा में हो, साथ ही रेगुलर लाइट वॉक कीजिए।

नई माएं लें ऐसा खाना

एक्सपर्ट के मुताबिक डिलीवरी के बाद आयरन और कैल्शियम रिच फूड खाएं, जैसे रागी, ड्राई फ्रूट्स और हरी सब्जियां और फल। वह कहती हैं कि मैं तो आपको कहूंगी बादाम, अखरोट, पंपकिन सीड्स, सूरजमुखी के बीज, गोंद आदि को नट्स, सीड्स और ड्राई फ्रूट्स को मिलाकर लड्डू बना लें। दो लड्डू रोज आप दूध के साथ लें. इससे कई न्यूट्रिएंट्स की कमी पूरी हो जाती है और कमजोरी नहीं लगती। डिलीवरी के बाद खाने में अंडा, दाल, नट्स शामिल करें जो प्रोटीन की पूर्ति करेंगे।

फोटो सौजन्य- गूगल

If you are troubled by white hair

Hair Care: बालों में लगातार केमिकल का प्रयोग और धूप के प्रभाव सफेद बालों की समस्या की वजह बनती है। बालों के जड़ों में मौजूद मेलिनिन बालों को रंग देने में सहायता प्रदान करता है। लेकिन जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती है। इसकी मात्रा कम हो जाती है और बालों का रंग सफेद होने लगता है। असल में बढ़ता तनाव, विटामिन की कमी और धूम्रपान इसके असल कारण हैं। अगर आप भी सफेद बालों से परेशान हैं तो वक्त से पहले जानें सफेद बालों का कारण और उसके निदान।

आखिर क्यों समय से पहले बढ़ने लगती है बालों की समस्या-

स्किन एक्सपर्ट बताती हैं कि उम्र काफी हद तक सफ़ेद बाल का एक मुख्य कारण हैं। अलावा इसके हेयर केयर की कमी और पोषक तत्वों का घटता स्तर इस समस्या का कारण साबित होता है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ ट्राइकोलॉजी के मुताबिक आनुवंशिकी के साथ साथ विटामिन की कमी जैसे अन्य कारक भी समय से पहले सफ़ेद बालों का कारण बन सकते हैं।

सफेद बालों की समस्या के लिए बताए गए टिप्स का करें पालन

If you are troubled by white hair

1. कम करें केमिकल्स का इस्तेमाल

सफेद बालों को रोकने के लिए बालों पर केमिकल युक्त शैम्पू, स्प्रे और अलग अलग प्रकार के ट्रीटमेंट से बचें। बालों की मज़बूती को बढ़ाने के लिए सल्फेट्स, पैराबेंस और फ़थलेट्स जैसे हार्श केमिकल्स का इस्तेमाल न करें। इससे बालों के स्ट्रैंड और जड़ों की कमज़ोरी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में बालों की क्लीजिंग के लिए माइल्ड शैम्पू या होमेमेड हेयर मास्क का इस्तेमाल करें। इससे स्कैल्प का रूखापन कम होता है, जिससे सफेद बालों की समस्या हल होती है।

2. यूवी रेज़ के असर से बचें

धूप की किरणों से बालों के टैक्सचर को नुकसान का सामना करना पड़ता है। ऐसे में गर्मी के दिनों में बालों को ढ़ककर रखें और स्ट्रेटनर व कर्लर का इस्तेमाल न करें। हीटिंग उत्पादों का उपयोग करते समय बालों की सुरक्षा के लिए क्रीम का उपयोग करें। इससे बालों की नरिशमेंट में मदद मिलती है और बालों का टूटना व झड़ना कम हो जाता है।

3. जरूर करें स्कैल्प मसाज

If you are troubled by white hair

बालों की मज़बूती को बढ़ाने क लिए हेयर ऑयलिंग आवश्यक है। इससे बालों का झड़ना कम होने लगता है और सफेद बालों की समस्या से बचा जा सकता है। इसके लिए कड़ी पत्ता, मेथीदाना और गुड़हल के फूलों को नारियल के तेल में पकाकर छान लें और बालों पर अप्लाई करें। इससे बालों का टूटना कम होने लगता है।

4. स्ट्रेस मैनेजमेंट है आवश्यक

दिनों दिन बढ़ता तनाव नींद की कमी, कमज़ोर याददाश्त औरसफे बालों की समस्या का कारण बनने लगता है। ऐसे में स्ट्रेस को दूर करने के लिए नियमित रूप से योग और मेडिटेशन का अभ्यास करें। योग की मदद से ब्रेन में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ने लगता है, जिससे बालों की जड़े मज़बूत बनती हैं और सफेद बालों से बचने में मदद मिलती है।

5. हेयर क्लीजिंग है अहम

बालों को हफ्ता में 02 से 03 बार धोएं। इससे बालों की स्वच्छता बनी रहती है, जिससे फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से बचा जा सकता है। साथ ही डीप क्लीजिंग में भी मदद मिलती है, जिससे स्कैल्प पर बढ़ने वाली फंगस, इंफेक्शन और सफेद बालों की समस्या कम हो जाती है। इसके लिए केमिकल रहित प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें

6. स्वस्थ आहार का सेवन करें

स्वस्थ आहार हमारे शरीर और स्कैल्प को पोषण प्रदान करते हैं। आहार में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स को शामिल करें, जो बालों के बॉन्ड को मज़बूत बनाते हैं। इससे बालों का झड़ना और पतलापन कम होने लगता हैं। बालों की मज़बूती बढ़ जाती है और दो मुंह बालों की समस्या से भी बचा जा सकता है। वे लोग जिन्हें कम उम्र में सफेद बालों का सामना करना पड़ता है। उनके बाल स्ट्रोंग व हेल्दी बन जाते हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

If you are planning to be physical with someone close to your heart

Physical Relation: आज हम आपको एक ऐसे विषय पर बात करने जा रही हूं जो मेट्रो सिटीज में काफी तेजी से फैल रही है। पहले हम एक दूसरे को पसंद करते हैं, फिर प्यार और अंत में प्यार फिजिकल रिलेशन तक जा पहुंचता है। क्या आपको किसी को डेट करते हुए महीने हो गए हैं और अब आप रिश्ते में फिजिकल एंटिमेसी के लिए पूरी तरह तैयार हैं, तो इसमें जल्दबाजी ना करें। ऐसे में यह देखना अहम है कि क्या आपके पार्टनर आपके साथ लांग टर्म रिलेशनशिप को बनाना चाहते हैं? अब आप सोच रही होंगी इन बातों का अनुमान कैसे लगया जाए।

परेशान होने की जरूरत नहीं हम आपको बताएंगे ऐसे कौन से साइन हैं जो आपको अपने रिश्ते में एक कदम आगे बढ़ने की ओर इशारा करते हैं। मतलब आप अपने पार्टनर के साथ इमोशनल इंटिमेसी के साथ शारीरिक रूप से भी इंटिमेट हो सकती हैं। यहां बताई गई 07 बातों पर फोकस करें और देखें कि आपको अपने रिश्ते को आगे लेकर जाना है या अभी और वक्त देना है।

ये संकेत बताते हैं आप अपने रिश्ते में फिजिकल इंटिमेसी के लिए हैं तैयार

If you are planning to be physical with someone close to your heart

1. जिसे आप डेट कर रही हैं, क्या वे आपको वाकई पसंद है

आपको उन्हें अपने अच्छे दोस्तों से मिलवाने में सहजता होगी। देखें कि क्या आप उनके साथ समय बिताना चाहती हैं और उस दौरान आपको कैसा महसूस होता है। अगर आप उस दौरान अंदर से सवाल करती हैं, तो यह एक अच्छा संकेत है। आप अपने रिश्ते को आगे बढ़ाने पर विचार कर सकती हैं।

2. क्या वे आपकी बाउंड्री का सम्मान करते हैं

देखें कि जब आप अपने रिश्ते में किसी बात को लेकर एक बाउंड्री सेट करती हैं, तो क्या आपके पार्टनर उसका समर्थन करते हैं? अगर हां, तो ये आपके रिश्ते में एक प्लस प्वाइंट है। अगर कोई लगातार आपको कुछ ऐसा करने के लिए फोर्स कर रहा है, जिसे आप बिल्कुल भी पसंद नहीं करती तो यह स्टॉप साइन हो सकता है।

3. क्या आप दोनों सेक्स के बारे में खुलकर बात करते हैं

जब भी सेक्स का विषय आता है, तो क्या आप अपनी भावनाओं, विचारों और प्राथमिकताओं पर चर्चा करते हैं। अगर ऐसा है, और आपका पार्टनर आपके विचारों को सुनता, समझता और प्राथमिकता देता है, तो यह एक हेल्दी साइन हो सकता है। आप उनके साथ फिजिकली इंटिमेट होने के बारे में विचार कर सकती हैं।

4. क्या आप उनके साथ कंफर्टेबल महसूस करती हैं

जब भी आपका पार्टनर आपके आस-पास होता है, तो पेट में बटरफ्लाई महसूस होना बेहद सामान्य है। पर ध्यान ये देना है, कि आप उनके साथ कितना कंफर्टेबल रहती हैं। क्या आपको उनके आस-पास रहने पर सहज महसूस होता है? क्या आप उनके साथ पूरी तरह सुरक्षित महसूस करती हैं? यदि हां, तो आप अपने रिश्ते में एक कदम आगे बढ़ने यानी कि शारीरिक रूप से इंटिमेट होने पर विचार कर सकती हैं।

5. आप स्पर्श करने से ज़्यादा बात करते हैं

संबंध महसूस करने के दो तरीके हैं– शारीरिक और भावनात्मक। अगर आप बात करने से ज़्यादा एक दूसरे को चूमते हैं या गले मिलते हैं, तो यह एक सकारात्मक संकेत नहीं है। भले ही आप 20 बेहतरीन डेट पर गए हों, यदि बातचीत उस तरह से नहीं हो रही है, जैसा आप चाहते हैं, तो सेक्स करने से आपकी संचार समस्याएं ठीक नहीं हो सकती हैं। वहीं, यदि आप एक दूसरे से खुलकर बातचीत कर अपने विचार शेयर करती हैं, तो आप अपने रिश्ते में आगे बढ़ने पर विचार कर सकती हैं।

6. आपके पार्टनर परिवार और दोस्तों से परिचय करवाते हैं

उसके सबसे करीबी दोस्त कौन हैं? क्या उनकी मां या बहन आपको पसंद करती है, और आप उसे? यदि कोई पुरुष आपके साथ रहने के बारे में वास्तव में गंभीर है, तो वह बिना किसी सवाल के आपको अपने करीबी दोस्तों और परिवार से मिलवाता है। अगर वह आपके साथ अपना जीवन साझा करने को लेकर भ्रमित है, तो आपको उनके साथ इंटिमेट होने से पहले सोचना चाहिए।

7. क्या वे आपको खुश रखते हैं?

आखिरी लेकिन सबसे महत्वपूर्ण ये है, की क्या वे आपको पूरी तरह से खुश रखता है, और आप दोनों एक साथ अच्छा समय बिताते हैं! लेकिन यदि आपको अभी भी इसपर संदेह है, तो शारीरिक संबंध बनाने के बारे में विचार करें। वहीं अगर आप उनके होने से खुश रहती हैं, और बेहतर महसूस करती हैं, तो आप अपने मन की सुने और बेझिझक आगे बढ़ें।

फोटो सौजन्य- गूगल

Vaginal Infection: Do not ignore the problem of burning and itching in the vagina

Vaginal Infection: भारत जैसे देशों में महिलाओं के स्वास्थ्य पर काफी कम बातें होती हैं। कभी-कभी वीमेन से जुड़ी छोटी-छोटी दिक्कतों को नजरअंदाज करना महिलाओं के लिए भारी पर जाता है। लेडीज में वेजाइनल इन्फेक्शन एक ऐसी ही समस्या है। आज हम बताएंगे कि आखिर क्यों होता है वेजाइनल इन्फेक्शन और क्या हैं इससे बचने के तरीके-

जानें क्या है वेजाइनल इन्फेक्शन-

वेजाइनल इन्फेक्शन वेजाइनल में हुए संक्रमण को कहते हैं। ये इन्फेक्शन बैक्टीरिया, फंगस, या वायरस के कारण हो सकता है। दरअसल, वेजाइना में बैक्टीरिया और फंगस में एक बैलेंस होता है पर जब यही बैलेंस बिगड़ता है तो इनफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है। भले ही ये इन्फेक्शन मामूली लगे लेकिन कई बार और बड़ी बीमारियों को जन्म दे देता है।

वेजाइनल इन्फेक्शन के लक्षण

Vaginal Infection: Do not ignore the problem of burning and itching in the vagina

1. यूरिन डिस्चार्ज में दर्द-

यूरिन डिस्चार्ज करते हुए दर्द या जलन होना या वेजाइना से बदबू आना।

2. खुजली और जलन –

वेजाइना और उसके आसपास खुजली और जलन होने लगे तो इनफेक्शन के ही लक्षण हैं।

3. लालिमा और सूजन-

वेजाइना के आसपास की त्वचा लाल और सूज सकती है।

4. सेक्स के दौरान दर्द-

पेशाब के दौरान जलन या दर्द और सेक्स के दौरान दर्द।

5. अनियमित पीरियड्स

पीरियड्स की साइकिल अनियमित हो सकती है। एक्सपर्ट ने वैजाइनल इंफेक्शन को दो भागों में बांटा है।

1. नॉन सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन

2. सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन

इन्हें और कई भागों में बांटा जा सकता है-

1. बैक्टीरियल वेजिनोसिस :

यह तब होता है जब वेजाइना में अच्छे और नुकसानदायक बैक्टीरिया का बैलेंस बिगड़ जाता है। ये नॉन सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन है।

2. फंगल इन्फेक्शन :

यह कैंडीडा नामक फंगस के कारण होता है। ये संक्रमण तब बढ़ता है जब फंगस का स्तर नॉर्मल से अधिक हो जाता है। इसमें आपकी वैजाइना लाल।हो जाती है। डायबिटीज के पेशेंट्स को इसका ख़तरा अधिक होता है।

3. ट्राइकोमोनायसिस:

ये सेक्सुअली ट्रांसमिट हुआ इनफेक्शन है जो Trichomonas vaginalis नाम की बैक्टीरिया से फैलता है। सेक्स के दौरान कॉन्डोम ना इस्तेमाल करना, एक से अधिक पार्टनर्स के साथ सेक्स करना- ये इस इन्फेक्शन के प्रमुख कारण हैं।

4. हार्मोनल बदलाव:

पीरियड्स, प्रेग्नेन्सी या मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, इस बदलाव से भी वेजाइनल इन्फेक्शन हो सकता है। पीरियड्स के दौरान अगर आप अपने पैड्स तीन चार बार नहीं बदलते तो ये इन्फेक्शन कॉमन है।

5. वेजाइनल सफाई में गलत तरीका अपनाना:

वेजाइना को अंदर से साफ करने के लिए डूशिंग या कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल इनफेक्शन का कारण बन सकता है। ये भी नॉन सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन है।

वेजाइनल इन्फेक्शन से कैसे बचें-

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  • वेजाइना को हल्के गुनगुने पानी से धोएं। बाहरी हिस्से की सफाई करें, लेकिन अंदरूनी हिस्से को जबरन रगड़ने की ज़रूरत नहीं।
  • सूती अंडरवियर का इस्तेमाल करें और तंग कपड़ों से बचें, जो पसीना रोक दे।
  • पीरियड्स के दौरान हर 4-6 घंटे में पैड या टैम्पोन बदलें। अक्सर ग्रामीण इलाकों में लोग इसे सीरियसली नहीं लेते जिस वजह से इंफेक्शन बढ़ जाता है।
  • सेफ सेक्स करें। सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करें। सेक्स के लिए एक से अधिक पार्टनर से बचें।
  • वेजाइना के पास परफ्यूम, डिओडोरेंट या किसी साबुन का इस्तेमाल न करें।
  • दही और प्रोबायोटिक्स युक्त खाना खाएं। चीनी कम से कम खाएं ।
  • तनाव कम लीजिए। ज्यादा तनाव लेने से शरीर में हार्मोन्स का बैलेंस बिगड़ सकता है जो इनफेक्शन को बढ़ाता है।

वेजाइनल इंफेक्शन इन स्थितियों में हो सकता है गंभीर (When seek to a Doctor in vaginal infection)
अगर आपको ये समस्याएं महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करिए-

1. वेजाइना से लगातार डिस्चार्ज।
2. खुजली या जलन जो घरेलू उपाय से ठीक न हो।
3. बुखार, पेट के निचले हिस्से में दर्द या थकावट।
4. सेक्स के दौरान दर्द।
5. बार-बार वेजाइनल इन्फेक्शन होना।

एक्सपर्ट के मुताबिक इंफेक्शन को लोग अनदेखा या अनसीरियसली ले लेते हैं जिसकी वजह से यह बड़ी समस्या का रूप ले लेती है। उनका कहना था कि ये जो हम इन्फर्टिलिटी को बड़ी समस्या के तौर पर देख रहे हैं, यह इन्हीं छोटी-छोटी बातों को इग्नोर करने का नतीज़ा है।

घरेलू उपाय जो कर सकते हैं मदद:

1. दही (Yogurt)

दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं।

2. लहसुन (Garlic):

लहसुन एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुणों से भरपूर होता है। इसे अपने खाने में शामिल करें।

3. गर्म पानी (Hot Water)

हल्के गर्म पानी में थोड़ा नमक मिलाकर वेजाइना को धोने से राहत मिलती है।

4. टी ट्री ऑयल (Tea Tree Oil)

टी ट्री ऑयल में एंटी-फंगल गुण होते हैं। इसे नारियल तेल में मिलाकर लगाया जा सकता है।

वो गलतियां जिससे होता है वेजाइनल इन्फेक्शन

1. गीले अंडरवियर पहनना।
2. साबुन या अन्य सस्ते कॉस्मेटिक का वैजाइना पर इस्तेमाल।
3. पब्लिक टॉयलेट का गलत इस्तेमाल।
4. यौन संबंध बनाते समय सुरक्षा का ध्यान न रखना। कॉन्डोम को अवॉयड करना
5. शरीर की साफ-सफाई पर ध्यान न देना।
6.टाइट कपड़े जो वैजाइना को भी एयर टाइट बना देते हैं।

A Strong relationship needs regular sex

REGULAR SEX: बॉडी को स्वस्थ और फिट रखने के लिए लोग ज्यादातर जिम और फैंसी डाइट का हेल्प लेते हैं लेकिन रिलेशन में सेक्सुअल इंटिमेसी दिनों दिन बढ़ते टेंशन के अलावा कई समस्याओं को दूर भगाने का सबसे मजेदार विकल्प है। दिनभर के कामकाज के बाद नियमित रूप से तनाव का सामना करना पड़ता है, जो मूड स्विंग की वजह बनता है। ऐसे में सेफ सेक्स को रूटीन में शामिल करके शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य पर इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। वे महिलाएं जो अक्सर सेक्स को एंजॉय करती हैं, वे हमेशा अपने पार्टनर के साथ जुड़ाव की गहरी भावना का अनुभव करती हैं, जिससे रिश्ता हेल्दी और खुशहाल बन जाता है और कुल मिलाकर उनकी जिंदगी ज्यादा संतुलित हो जाती है।

ये हैं रेगुलर सेक्स से शरीर को मिलने वाले फायदे

विशेषज्ञ का कहना हैं कि नियमित सेक्स कई तरह से आपकी मदद कर सकता है। हालांकि सेक्स के विषय पर अभी भी लोग खुलकर बात करना पसंद नहीं करते हैं। यौन संबंध से मेंटल हेल्थ और शरीर को सक्रिय रखने में मदद मिलती है। खासकर उम्र बढ़ने के साथ नियमित सेक्सुअल एक्टीविटीज़ में शामिल होने से शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य दोनों पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है।

क्या सेक्स सेहत को प्रभावित करता है?

अमेरिकन सेक्सुअल हेल्थ एसोसिएशन के मुताबिक नियमित सेक्स शरीर को फायदा पहुंचाता है। ये पुरुषों और महिलाओं के लिए कार्डियोवेस्कुलर एक्सरसाइज के तौर पर फायदा पहुंचाता है। अलावा इसके इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने, हृ्दय रोगों से राहत, कैलोरीज स्टोरेज की रोकथाम और मांसपेशी की मजबूती को बढ़ाने में मदद करता है।

नियमित सेक्स करने से सेहत को मिलते हैं ये 8 फायदे-

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1. इमोशनल बॉडिंग मजबूत होती है

अक्सर उम्र के साथ पति-पत्नी के रिश्ते में खिंचाव बढ़ने लगता है। ऐसे में नियमित सेक्स इमोशनल इंटिमेसी और कपल्स के बीच गहरे संबंध को बढ़ाता है। ऑक्सीटोसिन को लव हार्मोन कहा जाता है, जो सेक्स और शारीरिक स्पर्श के दौरान रिलीज़ होता है। ये हार्मोन भावनात्मक बंधंन को मजबूत करने में मदद करता है और भागीदारों के बीच विश्वास और स्नेह बढ़ाता है। इससे अधिक सटिस्फेक्शन और स्टेबल रिलेशन बनते हैं। जर्नल सेज चॉइस की रिपोर्ट के मुताबिक रेगुलर सेक्सुअल एक्टीविटी फिज़िकल और इमोशनल हेल्थ को प्रभावित करती है।

2. अच्छी आती है नींद

इससे शरीर में ऑक्सीटोसिन यानी लव हार्मोन की मात्रा बढ़ने लगती है और सेक्स के दौरान एंडोर्फिन रिलीज होता है। इन दोनों हार्मोन के मिलने से नींद की गुणवत्ता में सुधार आने लगता है। इससे शरीर को अधिक आराम महसूस होता है और ऊर्जा का स्तर भी बढ़ने लगता है।

3. इम्यून सिस्टम बेहतर होता है

NIH की रिपोर्ट के अनुसार वे लोग जो फ्रीक्वेंट सेक्स करते थे यानी सप्ताह में एक से दो बार या उससे अधिक बार, उनके स्लाइवा में अधिक इम्युनोग्लोबुलिन एआईजीए पाया जाता है। आईजीए एक प्रकार की एंटीबॉडी है जो बीमारियों को रोकने में महत्वपूर्ण साबित होती है और हयूमन पेपिलोमावायरस या एचपीवी के खिलाफ रक्षा कवच के रूप में कार्य करता है। इससे महिलाएं बीमारियों और संक्रमणों से लड़ने के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो जाती हैं। रिपोर्ट के अनुसार जैसे-जैसे यौन गतिविधियां बढ़ती है, वैसे ही रोग प्रतिरोधक क्षमता संक्रमण से निपटने में ज्यादा सक्षम हो जाती है।

4. हृदय संबंधी समस्याएं कम होती हैं

यौन संबंध को नियमित रखने से हृदय गति, ब्लड सर्कुलेशन और ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ने लगता है, जो समग्र हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है। नियमित सेक्स महिलाओं में हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में भी कारगर है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक नियमित यौन गतिविधि हृदय रोग वाले पुरुषों और महिलाओं के लिए रोगी के साथ-साथ साथी के जीवन की गुणवत्ता को भी बढ़ाता है।

5. तनाव कम होता है

A Strong relationship needs regular sex

इससे जिंदगी में दिनों-दिन बढ़ने वाले तनाव को कम किया जा सकता है और सकारात्मक मनोदशा को बढ़ावा देने की क्षमता में सुधार आने लगता है। दरअसल, सेक्स के दौरान शरीर एंडोर्फिन जारी करता है, जिससे व्यक्ति खुशी का अनुभव करता है। ये रसायन तनाव और चिंता से निपटने में मदद करते हैं जिससे महिलाएँ अधिक आराम और संतुष्ट महसूस करती हैं। नियमित सेक्स करने से भावनात्मक कल्याण और खुशी का एक चक्र बन सकता है। जर्नल ऑफ़ फ़ैमिली साइकोलॉजी के शोध में पाया गया कि दैनिक जीवन में जिन प्रतिभागियों ने यौन गतिविधि कम होने की बात कही, उनमें सेक्स की कमी पाई गई।

6. मज़बूत होती हैं पेल्विक मसल्स

इंटिमेसी जहां सेक्सुअल हेल्थ के लिए महत्वपूर्ण है, तो इससे पेल्विक फ्लोर मसल्स की भी मज़बूती बढ़ जाती है। इससे यूटर्स और ब्लैण्डर को भी हेल्दी रखा जा सकता है। सेक्सुअल एंक्टीविटी से जहां आपसी प्यार और अंडरस्टैडिंग बढ़ने लगती है, तो वहीं लोअर बॉडी के मसल्स को मज़बूती मिलती है और स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम कम हो जाता है। इससे वेजाइना से संबधी बीमारियों का जोखिम कम होने लगता है।

7. पेट की चर्बी में आती है कमी

प्लोस वन के रिसर्च के अनुसार पुरुष सेक्स के दौरान प्रति मिनट लगभग 4.2 कैलोरी जलाते हैं, जबकि महिलाएं प्रति मिनट 3.1 कैलोरी बर्न करती हैं। सेक्स से शरीर में कैलोरी स्टोरेज से बचा जा सकता है और शरीर स्वस्थ रहता है। कैलोरी बर्न होना सेक्स सेशन की स्पीड, समय और पोज़िशन पर निर्भर करता है।

8. प्राकृतिक पेन किलर है

सेक्स के दौरान एंडोर्फिन का स्राव न केवल तनाव को कम करने में मदद करता है बल्कि यह एक नेचुरल दर्द निवारक के रूप में भी काम कर सकता है। विशेषज्ञ के अनुसार कुछ महिलाओं को यौन गतिविधि में शामिल होने के बाद सिरदर्द, मासिक धर्म में ऐंठन और शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द से अस्थायी राहत महसूस होता है।

फोटो सौजन्य- गूगल

Never forget to warm up before going for a morning walk

Morning Walk: शरीर को पूरे दिन एक्टिव और हेल्दी बनाए रखने के लिए ज्यादातर लोग दिन की शुरूआत मॉर्निंग वॉक से करते हैं। पर्यावरण के नजदीक कुछ देर रहने से पक्षियों की चहचहाहट, ठंडी हवाओं और हरियाली को खुली आंखों से महसूस किया जाता है। इससे बॉडी और माइंड एक्टिव रहता है। हालांकि गर्मी के दिनों में देरी से वॉक के लिए निकलने के कारण पसीना आना, बार-बार गला सूखना और थकान का सामना करना पड़ता है। ऐसे में नियमित वक्त पर वॉक पर जाना बेनिफिशियल साबित होता है। सुबह की सैर पर निकलने से पहले रखें कुछ बातों का खास ध्यान-

एक हेल्थ रिपोर्ट के मुताबिक पैदल चलना सभी उम्र के लोगों के लिए व्यायाम का एक बेहतरीन तरीका है। इसके लिए पैदल चलने की क्रिया को धीरे धीरे शुरू करें। समय के साथ इसकी आदत हो जाने पर रास्ते की लंबाई और चलने की गति बढ़ाते जाएं।

इस बारे में फिटनेस एक्सपर्ट बताते हैं कि शरीर को संतुलित रखने और मांसपेशियों की ऐंठन से बचने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें। इससे शरीर का लचीलापन बढ़ने लगता है और शारीरिक अंगों में बढ़ने वाली थकान से भी बचा जा सकता है। नियमित रूप से इसका अभ्यास शरीर में जमा कैलोरीज को भी बर्न करने में मदद करता है।

मॉर्निंग वॉक पर जाने से पहले रखें इन बातों का ध्यान

Never forget to warm up before going for a morning walk

1. वॉर्मअप होना ना भूलें

वॉक करने से पहले शरीर को एक्टिव करने के लिए वॉर्मअप सेशन बहुत आवश्यक है। इससे शरीर का तापमान उचित बना रहता है और शरीर में लचीलापन रहता है। इसके अलावा कोर मसल्स मज़बूत बनते हैं, जिससे चोटिल होने का खतरा भी कम होने लगता है। वॉक से पहले 15 मिनट का वॉर्मअप मांसपेयियों सेशन बेहद ज़रूरी है। एक रिपोर्ट के अनुसार वॉर्मअप की मदद से मांसपेशियों में बढ़ने वाले खिंचाव को कम किया जा सकता है और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में मदद मिलती है।

2. बॉडी को हमेशा हाइड्रेट रखें

Never forget to warm up before going for a morning walk

टहलने से कुछ देर पहले पानी पीने से बार-बार प्यास लगने की समस्या हल होने लगती है। साथ ही कार्यप्रणाली में सुधार आने लगता है, जिससे होने वाली थकान से बचा जा सकता है। इससे शरीर के तापमान को नियंत्रित करने, जोड़ों की मोबिलिटी को बढ़ाने और पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद मिलती है। इससे शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह उचित बना रहता है।

3. कपड़े और जूतों का ख्याल रखें

गर्मी में वॉक पर जाने के दौरान अधिक टाइट कपड़े पहनने से बचें। इसके अलावा फुल स्लीव्स और कैप को भी अवॉइड करें। इससे गर्मी का स्तर बढ़ने लगता है। ऐसे में हल्के रंग के और खुले कपड़े पहनें। इसके अलावा स्पोर्टस शूज पहनकर ही वॉक पर निकलें। इससे थकान कम होने लगती है और गिरने का जोखिम भी कम हो जाता है।

4. धीमी गति से करें शुरूआत

तेज़ी से चलना जहां एक तरफ आपके समय को तो बचाता है। मगर उससे शारीरिक थकान बढ़ जाती है और बार बार पसीना आने लगता है। ऐसे में शुरूआत धीमी गति से करें और फिर स्टेमिना बिल्ड होने के बाद समय सीमा को बढ़ा दें। इससे स्वास्थ्य को भी फायदा मिलता है।

5. सही तकनीक का करें प्रयोग

आराम से धीरे और बाहों को हिलाते हुए चलें। इसके अलावा वॉक के दौरान शरीर को एकदम सीधा कर लें और लंबे लंबे फुट स्टेप्स लेने से बचें। शुरूआत 20 मिनट की वॉक से कर लें और सप्ताह में 2 से 3 बार ही वॉक के लिए जाएं।

6. खुद को कूल कर लें

आप हमेशा लॉन्ग और फास्ट सैर करने के बाद शांत हो जाएं। शरीर को एक्टिव रखने के लिए टहलने के बाद कुछ स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें। इससे बॉडी में बढ़ने वाली पेन और थकान कम होने लगती है। इसके बाद बॉडी को कुछ देर रिलैक्स होने के लिए छोड़ दें, जिससे शरीर की एनर्जी दोबारा बूस्ट हो सके।

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Natural Cooking

Natural Cooking: आज के इस आधुनिकता भरी दुनिया में किचन में स्टील, नॉन स्टिक और कुकर जैसे बर्तन आम हो गए हैं। लेकिन एक बार फिर आयुर्वेद और विज्ञान पारंपरिक मिट्टी के बर्तनों की ओर लौटने की सलाह दे रहा है। मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने और खाना खाने के फायदे हेल्थ के साथ-साथ परंपरा की दृष्टि से भी काफी अहम हैं।

मिट्टी के बर्तन में पकाने के फायदे

आयुर्वेद के मुताबिक खाने को धीमी आंच में पकाना ही सबसे बेहतर तरीका है। मिट्टी के बर्तनों में खाना धीरे-धीरे पकता है जिससे इसमें मौजूद सभी जरूरी न्यूट्रियंस सुरक्षित रहते हैं, जबकि कुकर में तेज भाप और दबाव की वजह से ऐसा नहीं होता है। कुकर में खाना बनने के दौरान 87 प्रतिशत तक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। पर मिट्टी के बर्तनों में ये 100 प्रतिशत तक सुरक्षित रहते हैं। साथ ही भोजन में मौजूद सभी प्रोटीन शरीर को खतरनाक बीमारियों से सुरक्षित रखते हैं।

खाने का टेस्ट में इजाफा करता है मिट्टी का बर्तन

Natural Cooking

मिट्टी के बर्तन भारत में पारंपरिक रूप से सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं। मिट्टी के बर्तन अन्य धातुओं के बर्तनों की तुलना में आज भी काफी सस्ते होते हैं। विभिन्न रूपों, डिजाइनों और रंगों में ये बर्तन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही जगह पर आसानी से मिल जाते हैं। मिट्टी के बर्तनों में पकाया हुआ खाना वी सिर्फ स्वास्थ्यवर्धक होता है, बल्कि इसका टेस्ट भी लाजवाब होता है। सौंधी सी खुशबू और मसालों का मेल एक ऐसा खास जायका तैयार करता है जिसे कोई भी भूल नहीं सकता। ये खाने को खास बना देता है, या खाने के स्वाद को दो गुना कर देता है।

आज के दौर में मिट्टी के बर्तन केवल सेहत के लिहाज से ही नहीं, बल्कि सजावट और पारंपरिकता के लिए भी पसंद किए जा रहे हैं। खूबसूरत कलाकारी से सजे ये बर्तन किचन और डाइनिंग टेबल को एक देसी और आकर्षक रूप देते हैं। सुबह की चाय कुल्हड़ में हो या ठंडा पानी मटकी में, इसका अनुभव अलग ही होता है।

सेहत के लिए है फायदेमंद

एक इंसान को हर दिन 18 तरह के सूक्ष्म पोषक तत्वों की जरूरत होती है। ये पोषक तत्व मुख्य रूप से मिट्टी से प्राप्त होते हैं। दूसरी तरफ, एल्युमीनियम के बर्तनों में पकाया गया खाना इन पोषक तत्वों को नष्ट कर देता है. इतना ही नहीं, यह टीबी, डायबिटीज, अस्थमा और पैरालिसिस जैसी कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बन जाता है। कांसे और पीतल के बर्तन में भी खाना बनाने से कुछ पोषक तत्व नष्ट होते हैं। लेकिन सबसे सुरक्षित और लाभदायक मिट्टी के बर्तन ही होते हैं।

आज के आधुनिक दौर में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल माइक्रोवेब में भी किया जाता है जिससे इन्हें पारंपरिक और आधुनिक दोनों तरह के किचन में प्रयोग करना आसान हो जाता है। हालांकि इनका सीधा तेज ताप में इस्तेमाल ना करने की सलाह जी जाती है, क्योंकि इनकी हीट सहन करने की क्षमता अन्य धातुओं सेथोड़ा कम होती है। मिट्टी के बर्तनों में अगर दही भी जमाते हैं तो इनका स्वाद काफी बढ़ जाता है। गर्म दूध भी जब मिट्टी की हांडी में डाला जाता है तो उसमें एक अलग ही सौंधापन आ जाता है।

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How diabetes weakens bones and joints

DIABETES: आजकल भागदौड़ वाली जीवनशैली के कारण सेहत संबंधी प्रॉब्लम्स भी तेजी से बढ़ रही है। ब्लड प्रेशर से लेकर डायबिटीज तक जैसी गंभीर समस्याएं भी अब आम हो गई हैं। डायबिटीज अब ऐसी समस्या बन चुकी है जो कम उम्र के लोगों को भी तेजी से दबोच लेती है। बता दें कि यह ऐसी बीमारी है जो किसी को एक बार घेर ले तो फिर धीरे-धीरे शरीर को कमजोर करने लगती है। जिससे शरीर को दूसरी बीमारियां तेजी से घेरती हैं। शरीर में शुगर लेवल बढ़ने पर इसे नियंत्रित कर पाना भी मुश्किल हो जाता है। डायबिटीज ब्लड शुगर को तो बढ़ावा ही है, साथ ही साथ बोन और ज्वाइंट्स को भी कमजोर करने लगता है। जिससे ऑस्टियोपोरोसिस यानी हड्डियों के पतले होने, घिसने और अर्थराइटिस की समस्या में इजाफा हो सकता है। इससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और फ्रैक्चर और ज्वाइंट्स पेन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। जानते हैं डायबिटीज हड्डियों और ज्वाइंट्स को कैसे नुकसान पहुंचाता है-

विशेषज्ञ बताते हैं कि, मधुमेह न केवल ब्लड शुगर को बढ़ाता है, बल्कि यह हड्डियों और जोड़ों को भी कमजोर कर सकता है। जब शरीर में शुगर लेवल लंबे समय तक बढ़ा रहता है, तो यह हड्डियों में कैल्शियम की मात्रा को कम कर सकता है, जिससे वे कमजोर हो जाती हैं। इससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। अलावा इसके डायबिटीज के कारण जोड़ों में सूजन आ सकती है, जिससे दर्द और जकड़न फील होती है।

कई मामलों में, हाई ब्लड शुगर शरीर के टिशूज़ और कार्टिलेज को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे गठिया जैसी समस्याएं पनप सकती हैं। डायबिटीज से प्रभावित नसों और रक्त वाहिकाओं के कारण हड्डियों और जोड़ों में सही मात्रा में पोषण नहीं पहुंच पाता, जिससे ठीक होने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और छोटी चोटें भी जल्दी ठीक नहीं होतीं। लंबे समय तक अनकंट्रोल शुगर रहने से बोन मिनरल डेंसिटी कम हो जाती है, जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है, खासकर रीढ़, कूल्हों और घुटनों में।

डायबिटीज से ग्रस्त लोगों को अपनी हड्डियों और जोड़ों की देखभाल के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए, कैल्शियम और विटामिन-D युक्त आहार लेना चाहिए और शुगर लेवल को कंट्रोल में रखना चाहिए। अगर हड्डियों या जोड़ों में लगातार दर्द या जकड़न हो रही हो, तो इसे नजरअंदाज भूलकर भी ना करें और तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें। सही खान-पान, नियमित व्यायाम और ब्लड शुगर को नियंत्रित रखकर हड्डियों को मजबूत रखा जा सकता है और जोड़ों की समस्याओं से निजात पाया जा सकता है।

हड्डियों और ज्वाइंट्स को कैसे प्रभावित करती है DIABETES?

How diabetes weakens bones and joints

डायबिटीज अब एक आम समस्या बन चुकी है, जिसकी सबसे बड़ा कारण है अनियमित लाइफस्टाइल और खान-पान। डायबिटीज हड्डियों और ज्वाइंट्स की सेहत को भी काफी प्रभावित करती है। आइये जानते हैं कि डायबिटीज हड्डियों और ज्वाइंट्स में किस तरह की समस्याएं उत्पन्न कर सकती है।

1. हड्डियों को बनाता है कमजोर

डायबिटीज हड्डियों के बनने और टूटने के बीच के संतुलन को बिगाड़ देती है, जिससे धीरे-धीरे हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है। इससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और आगे चलकर फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।

2. Joints Pain और अकड़न की समस्या

ब्लड शुगर यानी हाइपरग्लाइसेमिया से लंबे वक्त तक परेशान होने के कारण जोड़ों में सूजन की समस्या पैदा हो जाती है, जिससे जोड़ों में दर्द, अकड़न की शिकायत होने लगती है। इसलिए, व्यक्ति को अपने सामान्य दैनिक कार्य करने में भी कठिनाई होने लगती है।

3. घाव का देरी से भरना

डायबिटीज के कारण जिस तरह सामान्य बीमीरियों से उबरने में भी समय लग जाता है, उसी तरह चोटों के भरने में भी देरी होती है। डायबिटीज के चलते शरीर में ब्लड फ्लो प्रॉपर नहीं रहता, जिसके चलते फ्रैक्चर और जोड़ों की चोटों के ठीक होने में देरी होती है।

4. बढ़ जाता है ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा 

डायबिटीज के मरीजों में ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा ज्यादा होता है। खासतौर पर घुटनों में। इससे वजन बढ़ता है, सूजन होती है और जॉइंट्स को नुकसान पहुंचता है, जिससे जोड़ों में टूट-फूट की समस्या हो सकती है।

5. लिगामेंट इंजरी

ब्लड में ग्लूकोज के बढ़ने से लिगामेंट कमजोर होने लगता है, जिससे डायबिटिक व्यक्ति में ऐसी लिगामेंट इंजर की आशंका ज्यादा हो जाती है, जिसके लिए तत्काल उपचार की जरूरत होती है।

6. फ्रोजन शोल्डर

डायबिटीज के चलते एडहेसिव कैप्सूलाइटिस या फ्रोजन शोल्डर की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिसके कारण कंधे के जोड़ में असहनीय दर्द और अकड़न की समस्या पैदा हो जाती है।

डायबिटीज के मरीज इस तरह रखें हड्डियों की सेहत का ध्यान

How diabetes weakens bones and joints

डायबिटीज के पेशेंट्स को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है, क्योंकि ये स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याओं का खतरा भी बढ़ा देती है। तो चलिए जानते हैं कि डायबिटीज के मरीजों को अपनी हड्डियों और जॉइंट्स कैसे ख्याल रखना चाहिए।

1. कैल्शियम-विटामिन युक्त भोजन का सेवन

अपनी हड्डियों और जॉइंट्स की सेहत का ख्याल रखने के लिए डायबिटीज के मरीजों को अपने खानपान का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए। ऐसे किसी भी खाद्य से दूर रहना चाहिए जो ग्लूकोज की मात्रा को तेजी से बढ़ाता है। डायबिटीज के मरीजों को कैल्शियम और विटामिन से भरपूर खाद्य का सेवन करना चाहिए।

2. ये चीजें करें डाइट में शामिल

डायबिटीज के मरीजों को अपनी डाइट में डेयरी प्रोडक्ट्स, मेवे, हरी पत्तेदार सब्जियां और अगर आप नॉन-वेजीटेरियन (Non-Vegetarian) हैं तो मछली का सेवन जरूर करना चाहिए। इससे बोन हेल्थ इंप्रूव होती है और हड्डियों और जॉइंट्स के दर्द में राहत मिलती है।

3. इन चीजों से रहें दूर

डायबिटीज के मरीजों को भूलकर भी चीनी और कार्बोहाइड्रेट से युक्त खाद्यों का सेवन नहीं करना चाहिए। क्रेविंग होने पर इसके अल्टरनेट तलाशें, लेकिन चीनी और कार्बोहाइड्रेट से दूर ही रहें।

4. रूटीन में बढ़ाएं फिजिकल एक्टिविटी

डायबिटीज के मरीजों में वजन तेजी से बढ़ने लगता है, जिससे हड्डियों और जॉइंट्स भी प्रभावित होते हैं। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को अपने रूटीन में पैदल चलना, फिजिकल एक्टिविटी और योग को शामिल करना चाहिए। इससे वजन बढ़ने का खतरा दूर होता है और बोन हेल्थ इंप्रूव होती है।

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On International Women's Day, gift trendy jewellery

International Women’s Day: अंतराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 08 मार्च को मनाया जाता है। महिलाओं के लिए यह दिन बहुत ही स्पेशल होता है क्योंकि उन्होंने ही हमारी जिंदगी को खास होने का एहसास कराया है। उनमें सबसे ऊपर हैं मां फिर बहन, पत्नी, बेटी और दोस्त, उनके प्रति प्यार और सम्मान जाहिर करने के मकसद से इससे अच्छा दिन कोई हो नहीं सकता। अगर आप अपनी जिंदगी में महिलाओं के लिए कुछ खास करने का सोच रहे हैं तो उन्हें ज्वेलरी तोहफे में दें। शायद ही कोई ऐसी महिला होगी, जिसे ज्वेलरी पसंद न हो। इसी के कारण आज हम आपको यहां ज्वेलरी के कुछ विकल्प देने जा रहे हैं, ताकि आप भी कुछ ट्रेंडी खरीद कर महिला दिवस को सेलिब्रेट कर सकें।

पर्सनलाइज्ड नेम ज्वेलरी

On International Women's Day, gift trendy jewellery

अपनी जिंदगी की सबसे स्पेशल महिला को अगर आप कुछ यूनिक और इमोशनल गिफ्ट देना चाहते हैं, तो नेम पेंडेंट या कस्टमाइज्ड ब्रेसलेट बेस्ट ऑप्शन है। इसमें उनके नाम, जन्मतिथि, या कोई खास मैसेज लिखवा सकते हैं।

मिनिमलिस्ट ज्वेलरी

International Women's Day

हर दिन पहनने के लिए आप सिंपल ज्वेलरी का चयन आप तोहफे के रूप में कर सकते हैं। इसके लिए आप डेलिकेट गोल्ड या सिल्वर चेन खरीद सकते हैं। अगर बजट कम है तो स्मॉल हूप इयररिंग्स तोहफे में दें।

स्टेटमेंट ज्वेलरी

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ये ज्वेलरी उन महिलाओं को काफी पसंद आती है जो रॉयल लुक कैरी करती हैं। इसके लिए चंकी गोल्ड चेन नेकलेस परफेक्ट विकल्प है। कुछ हैवी लेना है तो मल्टी लेयर नेकलेस ले सकते हैं।

ब्रेसलेट हैं बढ़िया विकल्प

International Women's Day

कुछ ऐसा तोहफा देना है जिसे रोजाना पहना जा सके तो चार्म ब्रेसलेट अच्छा विकल्प है। ऐसे ब्रेसलेट में छोटे-छोटे प्यारे चार्म्स (हार्ट, स्टार या नेम) लगे होने चाहिए। ये नहीं तो सोने या चांदी का कड़ा भी आप खरीद सकते हैं।

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