Search
  • Noida, Uttar Pradesh,Email- masakalii.lifestyle@gmail.com
  • Mon - Sat 10.00 - 22.00

Monthly Archives: September 2025

How can you take care of your wife or girlfriend during periods?

Period के समय महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव देखने के मिलते हैं। यूट्रस कॉन्ट्रैक्ट के कारण जहां जांघों और कमर में दर्द बना रहता है। वहीं, हार्मोनल बदलाव मूड स्विंग की समस्या को बढ़ा देते हैं। ऐसे में अपने खानपान का ध्यान रखने के अलावा शरीर को गर्माहट प्रदान करने के लिए चाय का सेवन करती हैं। हालांकि इससे मांसपेशियों में उठने वाले दर्द कम होने लगता है। लेकिन कई बार चाय का सेवन हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकता है। आइये जानते हैं पीरियड के दौरान चाय पीना हेल्थ के लिए कितना फायदेमंद है?

डायटीशियन के अनुसार पीरियड साइकल के दौरान महिलाओं को चाय का सेवन करने से पेट के निचले हिस्से में होने वाले दर्द से राहत मि्यालती है। असल में शरीर का तापमान को बैलेंस रखने वाली चाय से मसल्स कान्ट्रेक्शन को कम किया जा सकता है। मगर ज्यादा मात्रा में इसका सेवन करने से पेट में एसिडिटी, ब्लोटिंग और अपच का सामना करना पड़ता है। अलावा इसके ड्यूरिटिक प्रभाव होने के कारण फ्रीक्वेंट यूरिनेशन का भी सामना करना पड़ता है।

ज्यादा चाय किस तरह हेल्थ को पहुंचाता है नुकसान

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अध्ययन के मुताबिक पीरियड के दौरान चाय पीने से कैटेचिन और टैनिक एसिड की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है जो आयरन के एबजॉर्बशन को कम करता है। इस तरह आयरन के अवशोषण में रुकावट डालने का कार्य करते हैं। ऐसे में ज्यादा चाय पीने से बचना चाहिए।

पीरियड में चाय पीने से क्या होता है-

1. यूरीन के लिए बार बार जाना

चाय में कैफीन की उच्च मात्रा पाई जाती है, जिससे उसका प्रभाव डयूरिटक होने लगता है और बॉडी में वॉटर एक्सक्रीशन की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसके कारण फ्रीक्वेंट यूरिनेशन का सामना करना पड़ता है, जो पीरियड के दौरान परेशानी का सबब बनती है।

2. नींद में कमी आना

When there is a delay in periods, apart from pregnancy

चाय का सेवन करने से ब्रेन एक्टिव हो जाता है, जिससे अनिद्रा की समस्या बढ़ने लगती है। पीरियड साइकल के दौरान महिलाओं को क्रैम्प की शिकायत बढ़ जाती है। ऐसे में शरीर को आराम पहुंचाने के लिए हेल्दी नैप्स और भरपूर नींद की जरूरत होती है। ज्यादा चाय का सेवन नींद में बाधा उत्पन्न करने लगता है।

3. ब्लोटिंग को बढ़ाती है चाय

अधिक मात्रा में चाय का सेवन करने से गट मोटिलिटी का सामना करना पड़ता है। इसके कारण पेट फूलने लगता है और असुविधा बढ़ने लगती है। इससे वॉटर रिटेंशन का भी सामना करना पड़ता है। पीरियड के दौरान चाय पीने से ब्लोटिंग और अपच का सामना करना पड़ता है।

4. पीरियड हो सकते हैं हैवी

Say goodbye to heavy bleeding by adopting these tips during periods

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक कैफीन से शरीर में एस्ट्रोजन का उत्पादन बढ़ने लगता है। इससे हार्मोन असंतुलन बढ़ने लगता है। इससे प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम, हैवी पीरियड और ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम बढ़ने लगता है। दरअसल, कैफीन एरोमाटेज एंजाइम को बाधित करने लगता है, जो एंड्रोजन को एस्ट्रोजन में परिवर्तित करने का काम करता है।

5. शरीर में पानी की कमी

ब्लीडिंग के कारण शरीर में फ्लूइड का लेवल कम होने लगता है। ऐसे में चाय का सेवन करने से यूरिनेशन बढ़ जाता है। इसके वजह से पानी की कमी शरीर में बढ़ने लगती है, जिसके कारण घबराहट, सिरदर्द और थकान का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में चाय को पानी या फिर लेमन व ग्रीन टी से रिप्लेस कर सकते हैं।

Prostate Cancer: 8 important questions related to prostate cancer in men

Prostate Cancer: पुरुषों के पेट में प्रोस्टेट एक छोटी ग्लैंड मात्र है जिसका आकार एक अखरोट जैसा होता है यह ग्लैंड सिर्फ पुरुषों में पाई जाती है। प्रोस्टेट कैंसर एक तरह का कैंसर है जो प्रोस्टेट ग्लैंड में होता है। मालूम हो कि यह कैंसर तब शुरू होता है जब प्रोस्टेट ग्रंथि में कोशिकाएं अनियंत्रित होने लगती है। एक अध्ययन के अनुसार, प्रोस्टेट ग्लैंड से बढ़कर शरीर के अन्य भागों में जाने लगता है तब यूरीन संबंधी परेशानियां नजर आने लगती है।

60 फीसदी मामले इस बीमारी के 65 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में होते हैं। हर 14 लोगों में से एक बुजुर्ग को इस बीमारी से दोचार होना पड़ता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर, कैंसर से होने वाली मौतों का दूसरा मुख्य कारण है। जबकि प्रोस्टेट से भारत भी बचा हुआ नहीं है। यही वजह है कि इस बीमारी से संबंधित अक्सर लोगों के दिमाग में काफी प्रश्न होते हैं, हम आपको ऐसे ही कुछ सवालों के बारे में बताएंगे-

1. क्या है प्रोस्टेट कैंसर?

प्रोस्टेट कैंसर एक तरह का कैंसर है जो पुरुषों की प्रोस्टेट ग्लैंड में उत्पन्न होता है। यह छोटी सी ग्लैंड अखरोट के आकार का होता है पर बुजुर्ग पुरुषों में यह बहुत बड़ा हो सकता है। प्रोस्टेट कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है। हालांकि, कई प्रोस्टेट कैंसर अधिक आक्रामक होते हैं और प्रोस्टेट ग्लैंड के बाहर फैल सकते हैं, जोकि घातक हो सकता है।

2. प्रोस्टेट कैंसर के कारण ?

Prostate Cancer: 8 important questions related to prostate cancer in men

प्रोस्टेट कैंसर के लिए बढ़ती उम्र एक प्रमुख वजह होता है। भारत में, व्यक्ति की आयु 50 वर्ष होने के बाद ये बीमारी विकसित होने का जोखिम तेज़ी से बढ़ने लग जाता है। अलावा इसके अन्य जोखिम वाले कारणों में बहुत अधिक धूम्रपान करने की आदत, खराब खान-पान और ओबिसिटी है।

3. कैसे फैलता है प्रोस्टेट कैंसर?

प्रोस्टेट कैंसर के फैलने के तेज़ी के ऊपर इसको 2 मूल प्रकार में रखा गया है-

  • एग्रेसिव (Aggressive) या आक्रामक: ये बहुत तेजी से बढ़ता है।
  • नॉन-एग्रेसिव (non-aggressive): ये धीमी गति से बढ़ता है।

4. कैंसर के लक्षण ?

प्रोस्टेट कैंसर के ये लक्षण हो सकते हैं: पेशाब करने में परेशानी, पेशाब करते वक्त दर्द या जलन होना, हाई ब्लड प्रेशर, पेशाब में खून, एक बार में कम या ज्यादा बार जाना।

5. प्रोस्टेट कैंसर के स्क्रीनिंग टेस्ट क्या होते हैं?

प्रोस्टेट कैंसर के स्क्रीनिंग के लिए प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन (PSA) टेस्ट और डिजिटल रेक्टल एग्जाम (DRE) की टेस्ट की जाती है।

6. प्रोस्टेट कैंसर को रोका जा सकता है?

प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करने के लिए आपको स्वस्थ और पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए, इसमें टमाटर, फूलगोभी, हरी पत्तेदार सब्जियां, ओमेगा -3 फैटी एसिड (फैट वाली मछलियां और नट्स) और सोया से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए।

7. किस तरह की लाइफस्टाइल अपनाकर प्रोस्टेट कैंसर से बचा जा सकते है?

लाइफस्टाइल में स्वस्थ रूप से कुछ परिवर्तन करके जैसे वजन कम करना, स्वस्थ आहार लेना, नियमित एक्सरसाइज करना, एक्टिव रहना, धूप से बचना और तंबाकू और शराब का सेवन कम करने जैसे उपायों से प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करने में मदद हो सकती हैं।

8. प्रोस्टेट कैंसर का इलाज दर्दनाक होता है?

प्रोस्टेट कैंसर की पहचान अगर शुरुआत में हो जाती है तो इसके प्रबंधन में सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती। इसका उपचार रेडियो थेरेपी और कीमो से की जाती है। इसलिए इसके इलाज में कोई दर्द नहीं होता।

फोटो सौजन्य- गूगल

Daily Skin Care: These 4 unique skin care tips

Daily Skin Care: रोजाना स्किन की देखरेख करना गुड हैबिट है। आपकी त्वचा भी डल है तो इसके पीछे बहुत सी वजह हो सकती है। जिनमें से आपका खराब लाइफस्टाइल, उल्टा सीधा खाना और खराब स्किन केयर शामिल है। हमारे शरीर की तरह ही हमारी त्वचा को भी देखभाल की जरूरत होती है और इसके लिए आपको रोजाना स्किन केयर रूटीन का पालन करना होगा। अपनी डल और डेमेज स्किन के लिए नीचे दिए गए टिप्स का करें पालन-

सबसे पहले चुनें एक अच्छे क्लींजर को

Pre wedding skin care means enhancing the beauty of the bride

आपकी त्वचा से हर तरह की गंदगी को निकालने के लिए एक अच्छे से फेसवॉश की जरूरत होती है। इसके लिए आप अपनी त्वचा टाइप के हिसाब से अच्छी गुणवत्ता वाला फेसवॉश बाजार से ले लें।

एक अच्छे मॉइश्चराइजर का करें इस्तेमाल

अगर आपकी स्किन ऑयली है और आप सोचती हैं कि आपको किसी मॉइश्चराइजर की जरूरत नहीं है तो आप बिल्कुल गलत हैं। हर किसी को स्किन को मॉइश्चराइजर की आवश्यकता होती है। अगर आप की ऑयली स्किन है तो आपको कोई ऑयल फ्री मॉइश्चराइजर इस्तेमाल करना चाहिए और अगर ड्राई स्किन है तो किसी साधारण से मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करें।

सनस्क्रीन लगाना है जरूरी

Excessive use of sunscreen is harmful, do not forget to do it before sleeping at night

अगर आप कहीं बाहर निकल रही हैं तो सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना आवश्यक है। यह आपकी स्किन को सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाता है और यदि आप घर बाहर नहीं भी निकल रही हैं तो भी आपको कम से कम एसपीएफ 30 या उससे कम का सनस्क्रीन जरूर लगाना चाहिए। बता दें कि आपको इसका प्रयोग हर चार घंटों के अंतराल पर री-अप्लाई करते रहना चाहिए। अगर आप इसका प्रयोग नहीं करती हैं तो आपकी स्किन बहुत डेमेज हो सकती है।

नाइट क्रीम का इस्तेमाल करें

नाइट क्रीम का इस्तेमाल वैसे तो अक्सर करते रहना फायदेमंद होता है। लेकिन अगर आपकी स्किन ज्यादा सेंसिटिव है तो आपको एक बार अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। कई बार कुछ नाइट क्रीम ज्यादा गाढ़े होते हैं और उससे आपकी स्किन में एक्ने व पिंपल्स हो सकती हैं। इसलिए अपने डर्मेटॉलजिस्ट की सलाह जरूर लेनी चाहिए। अगर आप इन्हीं सिंपल बातों को इग्नोर कर देते हैं तो आपकी स्किन धीरे धीरे डल व डेमेज होनी शुरू हो सकती है।

फोटो सौजन्य- गूगल

Consuming fenugreek in coconut oil will solve 5 hair problems

Coconut Oil and Methee Seeds: लंबे काले बालों के लिए नियमित सिर की तेल मालिश करना फायदेमंद माना जाता है। इसी तरह बालों में प्राकृतिक और आयुर्वेदिक हर्ब्स से तैयार तेल लगाने के भी कई फायदे होते हैं। ऐसे ही एक विधि है नारियल तेल के साथ मेथी का सीड्स। यह मिश्रण बालों में जादुई अंतर लाता है और बालों और सिर के स्किन को पोषण प्रदान करता है। सबसे खास बात यह है कि मेथी और नारियल तेल बालों में लगाने से हेयर में ग्रोथ देखने को मिलता है। आइये जानते हैं कैसे बालों के लिए कैसे तैयार करें ये खास तेल?

आयुर्वेदिक तेल को ऐसे करें तैयार

नारियल तेल के 100 ml के साथ 02 चम्मच मेथी दाना और मुट्ठीभर करी पत्ते 10-15 मिनट के लिए उबालें। फिर इस ऑयल को उतारकर ठंडा कर लें। ठंडा होने के बाद ऑयल को छान लें और किसी बोतल में भर दें। शैम्पू करने से पहले सिर की अच्छे से मालिश करने के लिए इस तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।

बालों का रूखापन होता है दूर

Consuming fenugreek in coconut oil will solve 5 hair problems

रूखे बालों की ड्राइनेस कम करने के लिए आप नारियल तेल और मेथी दानों से तैयार यह तेल लगा सकते हैं। इससे आपके सिर की त्वचा को भी पोषण मिलता है। पोषण मिलने से बाल सॉफ्ट और मुलायम बनते हैं और हेयर स्ट्रेंथ में भी इजाफा होता है।

ऐसे बढ़ाएं अपने बालों का ग्रोथ

नारियल तेल में लॉरिक एसिड होता है जो हेयर के रूट को मजबूत करने का काम करता है। इसी प्रकार मेथी में पाए जाने वाले प्रोटीन और निकोटिनिक एसिड जैसे तत्व बालों की ग्रोथ बढ़ाते हैं। इससे बालों की लंबाई बढ़ती है।

बालों को व्हाइट होने से बचाए

वक्त से पहले सफेद होते बालों की समस्या से राहत पाने के लिए आप बालों में नारियल तेल और मेथी के सीड्स से तैयार इस हर्बल ऑयल को इस्तेमाल कर सकते हैं। ये बालों की स्ट्रेंथ बढ़ाने के साथ बालों को वक्त से पहले व्हाइट होने से रोकता है।

नारियल तेल और मेथी डैंड्रफ कंट्रोल में होता है मददगार

मेथी बालों में डैंड्रफ को दूर करने में काफी कारगर साबित होता है। अलावा इसके मेथी के सीड्स बालों में शाइनिंग लाने का काम करते हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

importance of Milad-Un-Nabi in Islam

Milad-Un-Nabi: इस्लाम में दो ईद को सबसे अहम त्योहार माना जाता है एक है ईद उल फित्र और दूसरा है ईद उल अजहा। वैसे तो ये दोनों त्योहार पूरे मुस्लिम समाज में बड़े ही अकीदत और धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं, मिलाद उन नबी का त्योहार इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल की 12वीं तारीख को मनाया जाता है, जो पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्म दिवस के रूप में जाना जाता है।

ईद-ए-मिलाद उन नबी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व काफी बड़ा है। इसे पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्म और उनके जीवन की महान उपलब्धियों को याद करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन मुसलमान उनके बताए रास्ते और आदर्शों पर चलने का संकल्प लेते हैं और उनकी तमाम जिंदगी की सीख से प्रेरणा लेते हैं। इस्लामी इतिहास में यह दिन एकता, सद्भाव और आध्यात्मिक जागरूकता के रूप में मनाते हैं। मिलाद-उन-नबी पूरे दुनिया के मुसलमानों को एकजुट रखने की कड़ी है।

importance of Milad-Un-Nabi in Islam

ईद मिलाद-उन-नबी का इतिहास इस्लाम धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्म से जुड़ा हुआ है। हजरत मोहम्मद साहब का जन्म 570 ईस्वी में मक्का में हुआ था। बता दें कि सुन्नी मुसलमान 12 रबी-उल-अव्वल को ईद-ए-मिलाद उन नबी मनाते हैं जबकि शिया मुसलमान उसे 17 रबी-उल-अव्वल को मनाते हैं। यह दिन न सिर्फ पैगंबर मोहम्मद के जन्म का प्रतीक है, बल्कि उनकी इंतकाल (निधन) के शोक में भी इस दिन को याद किया जाता है। इस दिन रात भर प्राथनाएं होती हैं और जगह-जगह जुलूस भी निकाले जाते हैं। घरों और मस्जिदों में कुरान पढ़ी जाती है।

पैगंबर साहब के जन्म से पहले ही उनके पिता का निधन हो चुका था। जब वह 06 वर्ष के थे तो उनकी मां की भी मृत्यु हो गई। मां के निधन के बाद पैगंबर मोहम्मद अपने चाचा अबू तालिब और दादा अबू मुतालिब के साथ रहने लगे। इनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम बीबी आमिना था। अल्लाह ने सबसे पहले पैगंबर हजरत मोहम्मद को ही पवित्र कुरान अता की थी। इसके बाद ही पैगंबर साहब ने पवित्र कुरान का संदेश दुनिया के हर कोने तक पहुंचाया।