कभी कभी ये देख कर बहुत अफसोस होता है कि दुनिया इतनी Double Standard हो गई है कि उसे अपने मतलब के आगे कुछ दिखाई नहीं देता। आप ने कुछ किया और वो दुनिया के मतलब का हैं तो आप उनके लिए Hero, और अगर वो उनके मतलब का नहीं है तो आप उनके लिए Zero।
कभी कभी ये भी होता है कि उन्हें आपका आगे बढ़ना हज़म नहीं होता फिर वो दूसरों के आगे आपकी बुराइयों की उल्टियां करने लगते है…।
अगर आप किसी से दो कदम आगे हो तो वो आपको नीचे गिरा कर आपके कंधे पर पैर रख कर आगे बढ़ना पसंद करते है बजाए इसके की वो फेयर तरीके से आगे बढ़े। और फिर वो दौर शुरू होता है कि इस गिरने गिराने की कश्मकश में इनसान इतना गिर जाता है कि अपनी छोटी सोच के कुएं से कभी बाहर नहीं आ पाता और उसकी सोच का दायरा कहां तक सिमट जाता है और उससे लोग किस तरह बचना चाहते है वो मैं आपको इस कविता के माध्यम से समझाना चाहूंगी।
लेकिन इससे पहले मैं आपको ये ज़रूर कहना चाहूंगी कि आगे बढ़ना अच्छा है, हर इनसान की चाहत होती है कि वो सफलता हासिल करे, उसकी मेहनत का उसे भरपूर फ़ल मिले, लेकिन दोस्तों हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हम उस सफलता को अपने दम पर हासिल करें ना कि किसी को नीचा दिखा कर।
दरअसल, किसी को धोखा देकर हम कुछ पल के लिए खुश हो सकते है लेकिन कही न कही के छोटा सा दिल जनता है कि हमने किसी के साथ गलत किया है और फिर ये छोटा सा दिल उस बोझ के तले दबता जाता है, हर पल, हर घड़ी। दिल तो आपका है न किसी और का थोड़े ही है तो फिर क्यों इसे खुद ही इतना परेशान करना।
हमेशा ध्यान रखें सफलता से बड़ी पूंजी सुकून है, जो किसी को खुश करके हासिल हो, किसी को दुखी या परेशान कर के कभी नहीं,
कोशिश कीजिएगा की कभी आपसे कोई ऐसी बात न कहे जो इन पंक्तियों में शामिल है:
जीने भी दे दुनिया हमें , अब यूं तो ना सता,
चंद सांसें ही तो ली है हमने रोज़, तू यूं हम पर ज़िन्दगी जीने का इल्ज़ाम ना लगा।।
चंद ख्वाहिशें मेरी पूरी हो जाए , तो तुझे ऐतराज़ क्यों है,
टूटे सपनों के टुकड़े ही तो जोड़ते है रोज़,
तू यूं हम पर सपने बुनने का इल्ज़ाम ना लगा।।
इस मायूस सी ज़िन्दगी में रंग भरना चाहे अगर,
तो कम से कम यूं मुंह तो ना फुला,
उन रंगों का कतरा कतरा सिर्फ मेरा है,
तू यूं हम पर रंग चुराने का इल्ज़ाम ना लगा।।
कुछ पल अगर खुद के लिए जी ले , तो ये गुनाह क्यों है,
ये मुस्कुराहटें मेरी, इनकी वजह भी मै हूं,
तू यूं किसी की वजह से मुस्कुराने का इल्ज़ाम ना लगा।।
कुछ कर दिखाने का जुनून है अगर , तो तुझे कोई मसला क्यों है,
कुछ बेचैनियां है जो रातों को सोने नहीं देती,
पर तू किसी की याद में जगने का इल्ज़ाम ना लगा।।
ज़िन्दगी मेरी है , मुझे अपने हिसाब से जीने दे,
राहों में मेरी यूं रोड़ा ना लगा,
जहां हूं मैं आज, सिर्फ अपनी मेहनत के दम पर हूं,
किसी के तलवे चाटने का तू मुझे पर इल्ज़ाम ना लगा।।