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Mental Health: Parents yelling at children has a serious impact on their minds

Mental Health:

कई पैरेंट्स छोटी-मोटी बात पर आपस में चिल्लाने लगते हैं या वह बच्चों पर गुस्सा करने लगते हैं, जो सभी को आम बात लगती है। दिनभर की थकान, काम का टेंशन और बच्चों की शरारतें सब मिलकर कभी-कभी पैरेंट्स को चिल्लाने पर मजबूर कर देते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि लगातार गुस्सा या चिल्लाने से बच्चों के दिमाग और भावनाओं पर गंभीर असर पड़ता है?

शायद आपको तुरंत इसका पता ना चले लेकिन घर पर बच्चों के साथ होने वाली कसकर चिल्लाने से छोटे व बड़े दोनों उम्र के बच्चों के दिमाग पर असर डालती है। साइकोलॉजिस्ट के मुताबिक गुस्से में चिल्लाने पर बच्चे का मस्तिष्क डर और तनाव की स्थिति में चला जाता है। उनके शरीर में कॉर्टिसोल नामक तनाव हार्मोन बढ़ जाता है। लंबे वक्त तक यह हार्मोन ज्यादा रहने से बच्चे में चिंता, अवसाद और सीखने की क्षमता में कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

बच्चों पर उनकी उम्र के हिसाब से प्रभाव

छोटे बच्चे का मस्तिष्क अभी विकसित हो रहा होता है, इसलिए चिल्लाना उन्हें बहुत डराता है और वे सहज रूप से सीख नहीं पाते। वहीं, किशोरावस्था में लगातार डांट और चिल्लाना उनके आत्म-सम्मान, कॉन्फिडेंस और सामाजिक व्यवहार को डिस्टर्ब कर सकता है।

चिल्लाने की जगह ये करें

Mental Health: Parents yelling at children has a serious impact on their minds

  • संयम बनाएं- गुस्से में फौरन चिल्लाने की बजाय पहले खुद शांत होना जरूरी।
  • सकारात्मक भाषा अपनाएं- बच्चों को डांटने की बजाय समझाने की कोशिश करें।
  • मिसाल के तौर पर- बच्चा होमवर्क नहीं करता? चिल्लाने की बजाय उसके साथ बैठकर कारण समझें और हल खोंजे।
  • प्रोत्साहन दें- छोटी छोटी अच्छी आदतों और प्रयासों को सराहें। इससे बच्चा ज्यादा आत्मविश्वासी बनता है।

माता-पिता के लिए खास टिप्स

खुद के तनाव को पहचाने- अगर आप तनाव में हैं, तो गुस्से को नियंत्रित करना मुश्किल होता है। शांत होने के तरीके अपनाएं-गहरी सांस लें, ध्यान करें, थोड़ी शारीरिक गतिविधि करें या थोड़ा समय अकेले बिताएं।

संवाद बनाएं, आदेश नहीं- बच्चों से बात करें, उन्हें समझाएं कि गलती सुधारने का मौका है।

चिल्लाने के नुकसान

  1. बच्चों में डर और असुरक्षा की भावना बढ़ती है।
  2. उनकी सोचने और सीखने की क्षमता पर असर पड़ता है।
  3. लंबे वक्त में भावनात्मक समस्याएं और आत्मविश्वास में कमी आ सकती है।
  4. सामाजिक जीवन और रिश्तों में भी असर दिखाई दे सकता है।

सबसे अहम बात

Mental Health: Parents yelling at children has a serious impact on their minds

डॉक्टर के अनुसार बच्चों के लिए प्यार और सुरक्षा की भावना सबसे अहम है। जब हम गुस्से में चिल्लाते हैं तो वे सिर्फ डर महसूस करते हैं और सीखने या सोचने की जगह बचने पर ध्यान देते हैं।
इसलिए हर बार गुस्सा आने पर एक गहरी सांस लें और बच्चों के साथ संवेदनशील, प्यार सा और सकारात्मक संवाद करें। चिल्लाना तात्कालिक राहत दे सकता है पर लंबे समय में यह बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास को प्रभावित करता है। संयम, समझदारी और मोहब्बत से बच्चों को समझाना उन्हें हेल्दी, खुशहाल और आत्मविश्वासी बनाता है।

हाइलाइट्स-

आपका बच्चों के साथ कैसा व्यावहार करते हैं,इसका बच्चे के दिमाग पर सीधा असर पड़ता है। चिल्लाने से बच्चे के मन में डर पैदा हो जाता है।
बच्चों पर चिल्लाने के बजाय प्यार से बात करें और कूल होकर समझाएं।

फोटो सौजन्य- गूगल

As soon as winter starts, diseases start in children

Winter: ठंड शुरू होते ही बच्चों को सर्दी में होने वाली नॉर्मल बीमारियों का डर बढ़ जाता है। सर्दी का मौसम, बच्चों में फ्लू और सांस की तकलीफ जैसी बीमारियों में इजाफा कर देता है। खासकर ठंड के मौसम में भीड़-भाड़ वाली प्लेस पर जाने पर होता है। बता दें कि जिन बच्चों का प्रतिरक्षा प्रणाली होती है उन्हें बीमारी का खतरा ज्यादा होता है। छोटे बच्चों की तबीयत खराब होने के जोखिम को कम से कम करने के लिए माता-पिता और केयर करने वालों को सतर्क करना चाहिए।

जानिए सर्दियों में बच्चों में होने वाली आम बीमारियां

1. ब्रोंकियोलाइटिस-

इस स्थिति में फेफड़ों के एयरवेज में सूजन हो जाती है, इससे कफ बनने लगता है और सांस संबंधी परेशानी होती है। खांसी, बुखार, नाक बहना और तेजी से सांस लेना सामान्य लक्षण हैं। लगभग सभी बच्चे दो साल की उम्र तक इस संक्रमण का अनुभव करते हैं। इनमें से ज्यादातर स्वाभाविक रूप से ठीक हो जाते हैं।

2. सर्दी-जुकाम

As soon as winter starts, diseases start in children

यह वायरस की वजह से होने वाली एक आम बीमारी है। इसमें आमतौर पर बुखार, खांसी, गले में खराश और नाक बहना जैसे लक्षण हो सकते हैं। छोटे बच्चों को अक्सर दो साल का होने से पहले ही बहुत सारी सर्दी लग जाती है। इसलिए छोटे बच्चों को कई अलग-अलग सर्दी के वायरस के खिलाफ सुरक्षित करने की जरूरत है। बहुत अधिक सर्दी होने का मतलब यह नहीं है कि बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है। इससे यह पता चलता है कि आसपास काफी सारे वायरस हैं। सर्दी आम तौर पर लगभग एक हफ्ते तक रहती है। यह दो हफ्ते तक भी बनी रह सकती है।

3. गले की समस्या

यह बैक्टीरिया के कारण होता है। यह 05 से 15 वर्ष की उम्र के बच्चों में होता है। बुखार, गले में दर्द, निगलने में कठिनाई और सिरदर्द जैसे लक्षण दिखते हैं। खांसी और नाक बहना आम तौर पर इसके साथ नहीं होते हैं। इसके साथ कभी-कभी लाल दाने भी हो सकते हैं। इसे स्कार्लेट फीवर के नाम से जाना जाता है। इसका इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से आसानी से और जल्दी किया जा सकता है।

4. आंतों का संक्रमण

आंतों का संक्रमण में दस्त, उल्टी, पेट दर्द, बुखार और शरीर में दर्द जैसे लक्षण होते हैं। ओआरएस के साथ डीहाइड्रेशन को रोकने के लिए प्रचुर मात्रा में तरल पदार्थ दिया जाना चाहिए। फलों का रस और ड्रिंक देने से बचें, क्योंकि ये दस्त को बदतर बना सकते हैं। पहले 6 महीनों के लिए अच्छे तरीके से स्तनपान, उचित तरीके से हाथ धोना और रोटावायरस के खिलाफ टीकाकरण गैस्ट्रोएंटेराइटिस की रोकथाम के लिए जरूरी हैं।

5. बैक्टीरियल या फंगस इन्फेक्शन

बंद नाक को खोलने के लिए नाक में सेलाइन ड्रॉप्स का उपयोग करना चाहिए। ह्यूमिडिफ़ायर बंद नाक खोलकर बच्चे के लिए आराम बढ़ा सकती है। ह्यूमिडिफ़ायर का उपयोग करने से पहले बैक्टीरिया या फंगस इन्फेक्शन से बचने के लिए उसे साफ करना और सुखाना महत्वपूर्ण है। बच्चों को जलने के संभावित जोखिम से बचाव के लिए गर्म पानी वाले वेपोराइज़र का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

सर्दी-जुकाम से बचाने के लिए फॉलो करें ये एक्सपर्ट टिप्स

As soon as winter starts, diseases start in children

अगर किसी शिशु को नाक बंद होने के कारण दूध पिलाने में परेशानी हो रही है, तो सेलाइन ड्रॉप्स के अलावा, नाक से बलगम को साफ करने के लिए रबर सक्शन बल्ब का उपयोग करें।
04 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए खांसी दबाने वाली दवाओं की सिफारिश नहीं की जाती है। 2 से 3 दिनों के लिए बंद नाक को खोलने वाली दवाएं नाक से स्राव को कम कर सकती हैं। बुखार के लिए एंटीपायरेटिक दवाएं दी जानी चाहिए।

एक साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए सोने से एक घंटे पहले गर्म पेय में आधा चम्मच शहद मिलाने से बच्चे रात में अच्छी तरह सोते हैं।
सर्दियों में बच्चों को कैसे सुरक्षित रखा जाए-

हर साल फ्लू वैक्सीन सहित टीकाकरण कराएं
भरपूर आराम करें और सोएं
यदि बच्चा ठीक महसूस नहीं कर रहा है, तो वायरस को फैलने से रोकने के लिए घर पर ही रहें।
बर्फीले तूफ़ान, बारिश में बच्चों को कभी भी बाहर न भेजें।बार-बार हाथ धोएं
स्वस्थ आहार लें और खूब पानी पियें
बच्चे को बड़े लोगों के व्यवहार का अनुकरण करना सिखाएं। बच्चों को अपनी ऊपरी बांहों या कोहनियों में खांसना या छींकना सिखाएं।
यह जरूरी है कि बच्चों को पूरे कपड़े पहनाएं।
बच्चे को बाहर निकलने पर अपनी आंखों और मुंह को छूने से बचने के लिए प्रोत्साहित करें।

कपड़े पहनाते समय रखें इन चीजों का ध्यान

छोटे बच्चों को हमेशा कपड़ों की एक्स्ट्रा लेयर पहनाएं, क्योंकि वे अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं।
सिर, गर्दन, पैर और हाथों को हमेशा ढककर रखें।
बच्चों को ज़्यादा गरम किए बिना गर्म रखने के लिए इंसुलेटेड और हवा आने जाने योग्य कपड़े चुनें।
सुनिश्चित करें कि बच्चे सिर और हाथों से गर्मी के नुकसान को रोकने के लिए टोपी और दस्ताने पहनें।
ठंड और गीली स्थितियों से बचाने के लिए पैरों को वाटरप्रूफ जूतों से गर्म रखें।
सुनिश्चित करें कि गर्माहट बनाए रखने और आसानी से चलने-फिरने के लिए कपड़े अच्छी तरह से फिट हों।
बढ़ जाता है डिहाइड्रेशन का खतरा।
ठंड के मौसम में डिहाइड्रेशन का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि यह प्यास की अनुभूति को बदल देता है। जब मौसम ठंडा होता है, तो बच्चों को उतनी प्यास नहीं लगती, इसलिए वे ज़्यादा नहीं पीते।
इसके लक्षण हो सकते हैं सूखे होंठ और जीभ, धंसी हुई आंखें, कम पेशाब आना। 8 साल से कम उम्र के बच्चों को 4 से 5 गिलास और 9 साल से ऊपर के बच्चों को कम से कम 6 गिलास पानी पीना चाहिए।

डिहाईड्रेशन को रोकने के लिए पूरे दिन नियमित रूप से एक भरी हुई पेय की बोतल अपने पास रखें। हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध, संतरा, स्ट्रॉबेरी और दही जैसे पानी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ को आहार में शामिल करना चाहिए। यदि बच्चों को सादा पानी पसंद नहीं है, तो उनमें खीरा, पुदीना की पत्तियां और नींबू रस शामिल करने से स्वाद बढ़ सकता है।

डॉक्टर से लें सलाह

• अगर सांस लेने में कठिनाई हो (तेजी से सांस लेना या सांस लेने में बहुत मेहनत करनी पड़ रही हो)
• अगर बच्चा खाना नहीं खा रहा है या उल्टी कर रहा है
• होंठ नीले दिखते हैं
• खांसी से बच्चे का दम घुटने लगे या उसे उल्टी हो रही है
• कान में दर्द होना

ठंड में बच्चे की सुरक्षा के लिए इन सुझावों को ध्यान में रखें और आवश्यकता लगे तो अपने डॉक्टर से सलाह लेने से परहेज ना करें।

फोटो सौजन्य- गूगल

Never use negative words for children

सुरेश की अंग्रेजी ज्यादा अच्छी नहीं थी, लेकिन वह उसे समझता है, लिखता भी है लेकिन उसका यह प्रदर्शन केवल घर पर होता है।
विद्यालय जाने पर उसका यह प्रदर्शन जीरो हो जाता है। ऐसा क्यों ? उसको समझने के लिए सुरेश के मां-पापा को एक मनोवैज्ञानिक की मदद लेनी पड़ी।

जिसने उन्हें बताया कि उन्हें सुरेश को ‘उसकी अंग्रेजी कमजोर है’ कहने के बजाय हर रोज यह कहना चाहिए कि ‘तुम्हारी अंग्रेजी तो बहुत अच्छी है।’ सुरेश के माता-पिता ने मनोवैज्ञानिक के कहे अनुसार ही किया और नतीजा यह सामने आया कि सुरेश के अंग्रेजी में बहुत अच्छे मार्क्स के आया।

आपको क्या लगता है कि क्या यह जादू है? नहीं जादू तो नहीं है, लेकिन जादू से कम भी नहीं है, दरअसल यह मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि अगर हम हमारे बच्चों को डांटते हैं या बुरा व्यवहार करते हैं तो बच्चा अपने लिए एक नेगेटिव इमेज बना लेता है। जो उसके सर्वमुखी प्रदर्शन पर असर डालता है तो चलिए जानते हैं कि आप किस तरह कुछ बातों का ध्यान रखकर अपने बच्चों के सामाजिक और नैतिक विकास में उसकी मदद कर सकते हैं-

बस आपको यह पांच बातें अपने बच्चों से रोज बोलनी है:

1. Wow,तुम बहुत अच्छे हो: हमेशा याद रखें कि अपने बच्चे के लिए कभी भी कोई भी नेगेटिव वर्ड यूज ना करें। अगर आपको उनकी किसी शरारत पर या किसी हरकत पर गुस्सा भी आए तब भी आप अपने गुस्से पर नियंत्रण रखते हुए उन्हें आराम से समझाएं और किसी अच्छे काम के लिए उनकी हमेशा तारीफ करें।

2. आई लव यू : जी हां, यह तीन मैजिकल वर्ल्ड आपके बच्चे के नैतिक और सामाजिक विकास पर बहुत ज्यादा असर डालते हैं। जब आप उन्हें एहसास कराते हैं कि वह आपके लिए बहुत खास है। आप उससे बहुत ज्यादा जुड़े हुए हैं तो वो अपने आप को खास समझते है। उन्हें हमेशा महसूस कराएं कि उनकी जिंदगी भर की कमाई पैसा नहीं है जो उन्होंने दिन रात मेहनत करके कमाया है बल्कि उनकी जिंदगी भर की कमाई उनके बच्चे है।

3. अच्छा फिर क्या हुआ: जी हां, जब भी आपके बच्चे आपसे कुछ शेयर करें तब आप उन्हें इस तरीके का एहसास कराएं कि इस समय सबसे इंपोर्टेंट चीज आपके लिए यही है कि आपका बच्चा आपसे कुछ शेयर कर रहा है और आप बहुत ध्यान से उसे सुन रही हैं तो जब भी वह आपसे कुछ शेयर करें। बीच में इन तीन वर्ड का यूज जरूर करें- हां अच्छा फिर क्या हुआ।

4. सॉरी और थैंक्यू: जैसा कि हम सब जानते हैं कि यह दो शब्द हमारी जिंदगी को बहुत आसान बना देते हैं ऐसा ही आप अपने बच्चे के साथ कर सकती हैं अगर कभी आप उसे डांट देती हैं या कुछ गलत व्यवहार कर देती हैं तो हमेशा उसे सॉरी कहें ताकि उसे यह एहसास हो कि आपको अपनी गलती का एहसास हुआ इसलिए आपने उन्हें सॉरी कहा और ऐसे ही आप अपने बच्चे क्या कोई अच्छा काम करने या आपकी मदद करने के बाद थैंक यू कहना ना भूलें।

5. इस पर तुम्हारा क्या विचार है : जी हां, वैसे तो घर के फैसले बड़े ही लिया करते हैं लेकिन कुछ चीजें घरों में ऐसी होती हैं जिस पर आपको अपने बच्चों का विचार भी जानना चाहिए या आप उसकी राय जानना चाहते हो। इसीलिए आप उन्हें एहसास कराएं कि घर के कुछ मामलों में उनकी राय भी जरूरी है इसलिए घर की छोटी-मोटी चीजों में उनकी राय जरूर लिया करें।

फोटो सौजन्य- गूगल