Search
  • Noida, Uttar Pradesh,Email- masakalii.lifestyle@gmail.com
  • Mon - Sat 10.00 - 22.00

Tag Archives: ब्रेस्ट

Follow these 3 special measures to make your breasts attractive

Attractive Breast: किस लड़की की चाहत नहीं होती- सुडौल और आकर्षक ब्रेस्ट। कई लड़कियों को ब्रेस्ट का मनचाहा आकार नेचुरली मिल जाता है, पर कुछ लड़कियों को ब्रेस्ट का मनचाहा आकार नहीं मिल पाता है। ब्रेस्ट का छोटा होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। खराब खानपान, शरीर में न्यूट्रिएंट इलिमेंट्स की कमी या जेनेटिक के कारण से ब्रेस्ट का साइज छोटा रह जाता है।

छोटे ब्रेस्ट का आकार लड़कियों या महिलाओं के आत्मबल स्तर को गिरा सकता है। इसलिए हर लड़की स्तनों का आकार बढ़ाने के लिए तरह-तरह के उपाय इस्तेमाल करती हैं। कोई इंजेक्शन लगवाता है तो कोई सर्जरी की मदद लेतीं हैं। लेकिन आप चाहे तो नेचुरल तरीकों से भी ब्रेस्ट का आकार बढ़ा सकती हैं। एक्सपर्ट से जानते हैं ब्रेस्ट साइज बढ़ाने के लिए क्या हैं घरेलू उपाय-

ये है ब्रेस्ट साइज बढ़ाने के टिप्स

1. रोजाना एक्ससरसाइज करें

Follow these 3 special measures to make your breasts attractive

ब्रेस्ट साइज का आकार बढ़ाने के लिए आपको डेली एक्सरसाइज और योगभ्यास करना चाहिए। एक्सरसाइज करने से ब्रेस्ट के नजदीक की मांसपेशियों का विकास तेजी से होता है। इससे स्तनों के आकार को भी बढ़ावा मिलता है। स्तनों का आकार बढ़ाने के लिए आपको रोजाना 30 मिनट एक्सरसाइज अपने रूटीन में शामिल करना होगा। इससे स्तनों के आस-पास की मांसपेशियां टोन भी होती हैं। स्तनों के साइज बढ़ाने के लिए आप पुश-अप, डंबल चेस्ट प्रेस और वॉल प्रेस जैसी एक्सरसाइज अपना सकती हैं।

2. फाइटोएस्ट्रोजन से भरे फूड्स खाएं

Follow these 3 special measures to make your breasts attractive

फाइटोएस्ट्रोजन स्तनों के आकार को बढ़ावा देता है। फाइटोएस्ट्रोजन ब्रेस्ट टिश्यू को बढ़ाने में मदद करते हैं। अगर आप स्तनों के साइज बढ़ाना चाहते हैं, तो अपनी डाइट में फाइटोएस्ट्रोजन जरूर शामिल करें। आपको बता दें कि अलसी के बीज, सोयाबीन, तिल के बीज, टोफू, मूंगफली, अखरोट आदि में फाइटोस्ट्रोजन पाया जाता है। इन फूड्स को खाने से स्तनों के साइज बढ़ाने में मदद मिल सकती है। ब्रेस्ट साइज बढ़ाने के लिए मेथी के दाने भी बेहद उपयोगी साबित होते हैं। आपको अपनी डाइट में डेयरी प्रोडक्ट्स, नट्स, सीड्स और दाल जरूर शामिल करने चाहिए।

3. मसाज टैक्निक है कारगर

With regular hair massage our hair can become beautiful and healthy

अगर आपके स्तनों का आकार छोटा है, तो आपको मसाज टैक्निक भी जरूर अपनानी चाहिए। मसाज करने से ब्रेस्ट साइज को बढ़ावा मिल सकता है। अगर आप कुछ महीनों तक रोज सुबह-शाम स्तनों की मालिश करेंगे, तो इससे मांसपेशियों का विकास तेजी से होता है। ब्रेस्ट साइज बढ़ाने के लिए आप नारियल तेल, जैतून के तेल या बादाम के तेल से मालिश कर सकते हैं। इसके लिए आप कोई भी तेल लें और इसे गुनगुना कर लें। अब तेल को स्तनों पर लगाएं और फिर सर्कुलर मोशन में मसाज करें। आप रोज रात को स्तनों की मसाज कर सकते हैं। इससे आपको काफी फर्क देखने को मिलेगा।

If there is pain in the breast just before periods

पीरियड्स (Periods) के ठीक पहले स्तन में दर्द और असहजता महसूस हो रही है तो कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा। लड़कियों और महिलाओं को पीरियड्स के पहले शरीर में यह दिक्कतें शुरू होती हैं। फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट की वजह, संकेतों और लक्षणों को जानने से आपको अपने हालात को सही ढंग से प्रबंधित करने में सहायता मिल सकती है।

If there is pain in the breast just before periods

यह समझना जरूरी है कि फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट कोई बीमारी या एक तरह का स्तन कैंसर नहीं है। यह एक नॉन कैंसरस स्थिति है। यह स्थिति है जो इसका अनुभव करने वाली हर महिला में अलग-अलग तरह से लक्षण दिखती है। हालांकि, सामान्य तौर पर यह महिला के पीरियड्स साइकल के नैचुरल के कारण शरीर में होने वाले हार्मोनल चेंजेज के कारण होता है। चूंकि पूरे साइकल में हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव होता है, इससे ब्रेस्ट में सूजन और कोमलता हो सकती है और साथ ही गांठ या सिस्ट भी होने लगते हैं।

Breast Feeding

फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं पर आमतौर पर एक या दोनों ब्रेस्ट में दर्द या कोमलता शामिल होती है। खासकर आपके मासिक धर्म से ठीक पहले स्तन भारी या सूजे हुए महसूस हो सकते हैं और छूने पर या ब्रा पहनने पर भी उनमें कठोरता महसूस हो सकती है। वे गांठदार भी हो सकते हैं या उनमें छोटे सिस्ट भी हो सकते हैं। जो बारीकी से देखने पर दिखाई दे सकते हैं। कुछ मसलों में जब आप गांठें छूते हैं तो वे आपकी स्किन के नीचे घूम सकती हैं।

फ़ाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट का सटीक वजह का अब तक पता नहीं चला है लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह महिला के शरीर में हार्मोनल चेंजेज से संबंधित है। हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन को यौवन, गर्भावस्था या पेरिमेनोपॉज़ जैसे हार्मोनल उतार-चढ़ाव की अवधि के दौरान स्तनों में सिस्ट के विकास को ट्रिगर करने के लिए जाना जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे- तनाव, ज्यादा कैफीन पीना और धूम्रपान शामिल हैं।

If there is pain in the breast just before periods

अगर आपको लगता है कि आपको फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट हो गया है तो आपको इनके लक्षणों और चिंताओं के बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात करना चाहिए। किसी गांठ या सिस्ट के साथ-साथ अन्य स्तन से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं की जांच के लिए एक ट्रेनिंग कर सकते हैं।

फ़ाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट खतरनाक या लाइफ थ्रेटिंग के लिए खतरा नहीं है, यह असुविधाजनक लक्षण पैदा कर सकता है जो रोजमर्रा की जिंदगी में हस्तक्षेप कर सकता है। आपके चिकित्सक लक्षणों को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव जैसे तनाव के स्तर को कम करने या कैफीन की मात्रा कम करने की पैरवी करते हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

Breast Feeding

अक्सर लड़कियां अपने ब्रेस्ट साइज को लेकर फ़िकरमंद रहती हैं। फिर चाहे वे छोटे हों, बड़े या बहुत बड़े। एक्सपर्ट मानते हैं कि हर ब्रेस्ट साइज सुंदर है, बशर्ते कि वे स्वस्थ हों।

महिलाएं अपने ब्रेस्ट के आकार को लेकर अक्सर असहज महसूस करती हैं। कुछ महिलाएं इसे बढ़ाना चाहती हैं, तो कुछ घटाना। असल में ब्रेस्ट साइज का कोई पैमाना सही नहीं है। आकार से ज्यादा जरूरी है ब्रेस्ट हेल्थ पर ध्यान देना। आपके ब्रेस्ट की जो भी साइज़ है, उसके साथ सहज रहना जरूरी है। कई योगासन हैं जो ब्रेस्ट को होने वाली बीमारियों के जोखिम को दूर रखकर स्वस्थ रखती हैं। यहां ब्रेस्ट हेल्थ के लिए ऐसे ही कुछ योगासनों के बारे में जानें डॉक्टर से-

ब्रेस्ट हेल्थ के लिए फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना आवश्यक

डॉ. स्मृति अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में कहती हैं, ‘ब्रेस्ट साइज़ बढ़ाने या घटाने के स्थान पर आप यह सोचें आपके अंग कितने स्वस्थ हैं? आपका ब्लड कितना साफ रहता है? अपने गट हेल्थ पर ध्यान दें। अपने मंकी माइंड (Monkey mind) पर कंट्रोल करें। मानसिक स्वास्थ्य (Mental health) पर काम कर मानसिक रूप से स्थिर बनें। अपने शरीर से प्यार करें। जिस दिन शारीरिक रूप से किसी और की तरह दिखना बंद कर देंगी, उस दिन आपका अपना शरीर और ब्रेस्ट साइज़ भी सर्वश्रेष्ठ लगने लगेगा।’

डॉक्टर के बताये योगासन, जो ब्रेस्ट हेल्थ के लिए सभी महिलाओं के लिए जरूरी हैं 

1. भुजंगासन (Bhujangasana or Cobra pose)

भुजंगासन दर्द दूर करने के लिए कंधों और गर्दन को खोलता है। पेट को टोन करता है। पूरी पीठ और कंधों को मजबूत बनाता है। ब्रेस्ट को सही आकार में लाता है। ब्लड फ्लो में सुधार लाकर थकान और तनाव कम करता है।

कैसे करें भुजंगासन (How to do Bhujangasana)

पेट के बल लेट जाएं। कंधों और हथेलियों को अपनी जगह रखते हुए सांस लें।
सिर, छाती और पेट को उठाएं।

कोहनी पर झुके हुए हाथ धीरे-धीरे गर्दन की ओर झुकाएं। ऊपर की ओर देखें।
पेट के बल लेट जाएं। कंधों और हथेलियों को अपनी जगह रखते हुए सांस लें।
सिर, छाती और पेट को उठाएं।

2. सेतुबंधासन (setubandhasana or Bridge Pose)

Yoga for women

सेतु बंधासन करते समय गर्दन, ब्रेस्ट, फ्लेक्सर मांसपेशियों और जांघों के पिछले हिस्से की मांसपेशियों में खिंचाव होता है। यह इन मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद कर सकता है। यह हिप्स की मांसपेशियों को मजबूत करने में भी मदद कर सकता है।

कैसे करें सेतुबंधासना (how to do setu bandhasana)

पीठ के बल लेट कर दोनों घुटनों को मोड़ें।
पैरों को हिप्स की चौड़ाई पर फर्श पर सपाट रखें।
पैरों को फर्श पर दबाएं। सांस लें और हिप्स को ऊपर उठाएं।
रीढ़ को फर्श से ऊपर उठाएं।
चेस्ट को ऊपर उठाने के लिए बाहों और कंधों को नीचे दबाएं।
सांस लें और 4-8 सांसों तक रोकें।
ऊपर जाते समय सांस लें और नीचे आते समय सांस छोड़ें। सरवाइकल पेन हो तो अधिक नहीं करें।

3 उष्ट्रासन (Ustrasana or Camel Pose)

उष्ट्रासन चेस्ट, पेट और क्वाड्रिसेप्स की मांसपेशियों को मजबूत करता है। ग्लूट्स और हैमस्ट्रिंग (जांघ के पीछे) की मांसपेशियों को टोन करता है। उष्ट्रासन बैकबेंड में गर्दन को खींचते हुए सर्वाइकल स्ट्रेस को कम कर सकता है। यह कंधों, बाहों, पीठ और पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करने में (yoga asanas for breast health) भी मदद कर सकता है।

कैसे करें उष्ट्रासन (how to do Ustrasana)

Yoga for women

घुटनोंसीधा के बल खड़ी हो जाएं। जांघों को पूरी तरह सीधा रखें।
पीछे की दिशा में झुकें।
हिप्स को आगे की दिशा में धकेलें।

सिर और बैक बोन को बिना तनाव के जितना हो सके पीछे की ओर झुकाएं।
शरीर और पीठ की मांसपेशियों को आराम दें।
सेंटर में रहते हुए सांस लें। साइड की तरफ रहते हुए सांस छोड़ें और फिर नॉर्मल सांस लें। सरवाइकल दर्द और पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने पर एक हाथ से करें।