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Tag Archives: स्वास्थ्य

Government's alert on the havoc of heat

गर्मी का कहर दिनों दिन बढ़ रहा है और इसी वजह से दिल्ली का तापमान 48 डिग्री तक जा पहुंचा है। यहां कई इलाकों में हद से ज्यादा गर्मी बढ़ने से लू के कारण रेड अलर्ट घोषित किया गया है। चिलचिलाती गर्मी जहां निर्जलीकरण का कारण बनती है। वहीं, बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में तेज़ धूप और गर्मी के कारण सिरदर्द और डायरिया का जोखिम बढ़ रहा है। जानते हैं हीट एग्जॉर्शन के नुकसान और इससे बचने के उपाय।

सेहत के लिए नुकसानदेह है गर्मी का बढ़ना

अत्याधिक गर्मी के संपर्क में रहने से शरीर में हीट स्ट्रोक का खतरा बना रहता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक गर्मी का प्रभाव बढ़ने से पैरों में क्रैंप्स, चक्कर आना, सिरदर्द और डिज़िनेस बढ़ने लगती है। इंटरनल मेडिसिन एक्सपर्ट के मुताबिक हीट स्ट्रोक के कारण अक्सर बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को थकान महसूस होना, अत्यधिक पसीना और हीट क्रैप्स का सामना करना पड़ता है।

इस बारे में फिजीशियन बताती हैं कि तापमान बढ़ने के चलते शरीर का थर्मोरेग्यूलेशन असंतुलित होने लगता है। जिससे हीटस्ट्रोक की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में गर्भवती महिलाओं, हृदय रोगियों, बच्चों और बुजुर्गों को इस समस्या से बचने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

हीट एग्जॉर्शन से बचने के लिए शरीर में इलेक्‍ट्रोलाइटस की मात्रा को बनाए रखना ज़रूरी है। इससे शरीर हाइड्रेट रहता है।

जानते हैं हीट स्ट्रोक से बचने के कुछ खास उपाय

1. सिर को अच्छे से ढकें

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक धूप के संपर्क में आने से सिर, आंखों, स्किन, बालों और होठों पर बुरा असर नज़र आने लगता है। ऐसे में तेज़ गर्मी से बचने के लिए स्कार्फ, कैप, हैट और छाते का प्रयोग करें। अलावा इसके आंखों को प्रोटेक्ट करने के लिए काला चश्मा ज़रूर पहनें। साथ ही दोपहर के समय बाहर निकलने से भी बचना चाहिए।

2. बाहरी एक्टीविटी से बचें

Government's alert on the havoc of heat

लू से शरीर को बचाने के लिए आउटडोर खेलों से बचें। इससे शरीर में निर्जलीकरण का जोखिम कम हो जाता है। लगातार बढ़ते तापमान को देखते हुए इनडेर खेलों में हिस्सा लें और शरीर को ठंडा रखने की कोशिश करें। अन्यथा थकान, चक्कर आने और बेहोशी का सामना करना पड़ सकता है।

3. ठंडे शरबत का सेवन करें

आहार में नींबू पानी, नारियल पानी, बेल का शरबत और सत्तू जैसे नेचुरल ड्रिंक्स को अपने रूटीन में शामिल करें। इससे शरीर में इलेक्‍ट्रोलाइटस का नियमित स्तर बना रहता है। इसके अलावा मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन करनें इससे डाइजेशन बूसट करने में मदद मिलती है।

4. बाहर का खाना खाने से करें परहेज़

फ्रेस और घर का पका खाना खाने से शरीर नॉज़िया, सिरदर्द डायरिया के खतरे से बचा रहता है। ऐसे में मसालेदार और ऑयली खाना खाने की जगह हल्का खाना खाएं और घर का पका खाना आहार में शामिल करे। इसके अलावा किसी भी मील को स्किप करने से बचें। इससे शरीर में एनर्जी की कमी को सामना करना पड़ता है। साथ ही कमज़ोरी और थकान बढ़ने लगती है।

गर्मी में बुजुर्गों का इस प्रकार से रखें ख्याल

तेज़ धूप में बाहर निकलने से अक्सर बचें। इससे शरीर में थकान बढ़ने लगती है और शरीर का संतुलन खोने लगता है। इससे चक्कर आने की संभावना बनी रहती है।
बासी खाना खाने से बचें और घर का पका ताज़ा और हल्का खाना अपने आहार में शामिल करें।
ज्यादा मात्रा में चाय और कॉफी का सवेन करने से बचें। इससे शरीर में निर्जलीकरण का खतरा बना रहता है।
कमरे का तापमान गर्म न रहने दें। शरीर का ठंडा रखने के लिए एयर कंडीशनर, कूलर और पंखे के सामने बैठें।
हल्के रंगों और ब्रीथएबल फ्रब्रिक यानि कॉटन के कपड़े पहनें। इससे शरीर गर्मी के प्रकोप से दूर रहता है।

बच्चों का गर्मी में ऐसे रखें ख्याल

  • धूप में निकलने से बचें। इससे बच्चों में डिहाइड्रेशन का खतरा बना रहता है। घर से बाहर निकलने से पहने पानी की बोतल अपने साथ रखें।
  • गर्मी में लगातार खेलने से बच्चो में थकान बढ़ने लगती है। ऐसे में दिन में कुछ देर उनके आराम के लिए समय निकालें। इससे बच्चे के शरीर में एनर्जी बनी रहती है।
  • शाम के समय आउटडोर एक्टीविटीज़ के लिए जाएं। उस समय तापमान कम होने लगता है, जिससे शरीर में लू का खतरा कम हो जाता है।
  • प्रोसेस्ड फूड और शुगरी पेय पदार्थों का सेवन करने से बचें। इसकी जगह प्राकृतिक पेय पदार्थ पीएं और हेल्दी मील लें।

फोटो सौजन्य- गूगल

If you don't want to invite diseases then stop using sodium immediately

Sodium: शरीर को हेल्दी रखने के लिए संतुलित आहार का होना अहम है। इसके लिए सभी न्यूट्रिएंट्स का होना जरूरी है। किसी भी एक न्यूट्रिएंट की कमी या ज्यादा कई तरह के स्वास्थ्य प्रोब्लम्स को आमंत्रित करता है। ऐसा ही एक पोषक तत्व सोडियम है। सोडियम का इजाफा कई बीमारियों की वजह बन सकती है। यह हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का कारण भी बन सकता है। इसलिए हमें इसके इस्तेमाल पर पूरा ध्यान देन की जरूरत है।

कितना सोडियम हेल्द के लिए ठीक है, डॉक्टर से यह सलाह आवश्य लें-

  • 14 साल और उससे अधिक उम्र के व्यक्ति : प्रतिदिन 2,300 मिलीग्राम से ज़्यादा नहीं
  • 9 से 13 साल की आयु के बच्चे:                     प्रतिदिन 1,800 मिलीग्राम से ज़्यादा नहीं
  • 4 से 8 साल की आयु के बच्चे:                      प्रतिदिन 1,500 मिलीग्राम से ज़्यादा नहीं
  • 1 से 3 साल की आयु के बच्चे:                       प्रतिदिन 1,200 मिलीग्राम से ज़्यादा नहीं

जानें भोजन में सोडियम को कम करने के तरीके

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1. कम सोडियम वाले भोजन

हम जो सोडियम खाते हैं, उसका ज़्यादातर हिस्सा हमारे नमक के डिब्बे से नहीं आता। सोडियम लगभग सभी प्रोसेस्ड और तैयार खाद्य पदार्थों में होता है, जिन्हें हम खरीदते हैं। यहां तक कि ऐसे खाद्य पदार्थ भी, जिनका स्वाद नमकीन नहीं होता, उनमें भी सोडियम मौजूद होता है। जैसे ब्रेड या टॉर्टिला।
जब आप खरीदारी कर रही हैं, तो इन खाद्य पदार्थों को सीमित करें। जिनमें सोडियम की मात्रा ज़्यादा होती है, उन्हें एवॉइड करें। प्रोसेस्ड मीट, सॉसेज, पेपरोनी, सॉस, ड्रेसिंग, इंस्टेंट फ्लेवर्ड फ़ूड, जैसे फ्लेवर्ड चावल और नूडल्स खरीदना कम कर कर दें। उनके स्थान पर लो सोडियम वाले खाद्य पदार्थों की तलाश करें।

2. लेबल की जांच करें

खाद्य पदार्थों में सोडियम की मात्रा की जांच करने और विभिन्न विकल्पों की तुलना करने के लिए न्यूट्रिशन फैक्ट लेबल का उपयोग करें।”कम सोडियम” या “नमक नहीं मिलाया गया” लेबल वाले खाद्य पदार्थों की तलाश करें।

ध्यान रखें कि कुछ सोडियम वाले खाद्य पदार्थों पर ये लेबल भी नहीं होते हैं। इसलिए सुनिश्चित करने के लिए न्यूट्रिशन फैक्ट लेबल की जांच करनी होगी। सोडियम की जांच करने के लिए पोषण तथ्य लेबल का उपयोग करना सीखें।

3. हेल्दी विकल्प चुनें

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अधिक सोडियम वाले खाद्य पदार्थों को स्वस्थ विकल्पों से बदलें। नमकीन प्रेट्ज़ेल या चिप्स की बजाय बिना नमक वाले नट्स खाएं।
डेली मीट या सॉसेज खरीदने की बजाय ताज़ा चिकन, लीन मीट या सी फ़ूड पकाने का प्रयास करें। ताज़ी सब्जियां, सॉस के बिना फ्रोजेन सब्जी या कम सोडियम वाली डिब्बाबंद सब्जियां खाएं।

4. घर का खाना ज़्यादा खाएं

अपना भोजन खुद बनाना सोडियम कम खाने का एक बढ़िया तरीका है। आप अपने भोजन में क्या डालती हैं, इस पर आपका नियंत्रण होता है। खाना बनाते वक्त कुछ बातों को ध्यान में रख सकती हैं।

अगर कैन फ़ूड का उपयोग करती हैं, तो खाने या पकाने से पहले उन्हें धो लें। इससे नमक की कुछ मात्रा निकल जाएगी। ऐसे मसाले और स्प्रेड चुनें, जो बिना नमक वाले हों या जिनमें सोडियम कम हो। अगर आप नियमित स्प्रेड का उपयोग करती हैं, तो कम इस्तेमाल करें। अपने भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए नमक की जगह अदरक या लहसुन जैसी अलग-अलग हर्ब और मसाले काम में लाएं।

5. बाहर खाने पर लो सोडियम फूड का चुनाव

अगर किसी रेस्तरां में खाना खाने आई हैं, तो पूछें कि मेनू में कोई कम सोडियम वाला व्यंजन है या नहीं। जब आप ऑर्डर करें, तो उनसे बोले कि वे आपके खाने में नमक ना डालें। ड्रेसिंग और सॉस अलग से लें ताकि आप ज़रूरत के हिसाब से ही नमक डालें।

6. आहार में अधिक पोटैशियम शामिल करें

हाई सोडियम वाले खाद्य पदार्थों की जगह हाई पोटेशियम वाले खाद्य पदार्थ लें। पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थ खाने से ब्लड प्रेशर कम करने में मदद मिल सकती है।

पोटैशियम के अच्छे स्रोतों में शामिल हैं-

आलू
खरबूजा
केला
बीन्स
दूध
दही

फोटो सौजन्य- गूगल

Because not everyone is big hearted.

Women’s Health: महिलाओं की जिंदगी में उम्र का हर दौर एक नया बदलाव के साथ आता है जो उन्हें मानसिक रूप से प्रभावित करता है। शारीरिक रूप से भी कई बदलाव देखने को मिलते हैं। देखा जाए तो बचपन से किशोरावस्था की ओर बढ़ रही बच्ची बहुत कुछ फिजिकली बदलाव बर्दाश्त करती हैं। उसी तरह जब शरीर 35 की उम्र पार करता है तब भी बहुत से चेंजेज दिखाई देने लगते हैं। ये चेंजेज उन्हें मानसिक तो प्रभावित करते ही हैं उनकी शादीशुदा जीवन पर भी असर पड़ता है। अगर इस उम्र की देहलीज को पार आपको भी लगता है कि आप कुछ बदल रही हैं तो उसकी वजह कुछ और नहीं आपकी उम्र ही है। बताते चलें कि किस किस तरह से ये उम्र चेंजेज लेकर आता है।

35 की उम्र के बाद होने वाले बदलाव

पेल्विक स्वास्थ्य पर पड़ता है असर

आपकी उम्र 35 पार और 40 के नजदीक पहुंचते पहुंचते मैरेज लाइफ पर कुछ असर दिखने लगता है क्योंकि इस समय तक फिजिकल रिलेशन बनाने की इच्छा पहले जैसी नहीं रह जाती। प्राइवेट पार्ट में भी बहुत से चेंजेज दिखने लगते हैं। सबसे पहला चेंजेज यौन इच्छा में कमी आना ही होता है। अलावा इसके वजाइना में ज्यादा ड्राइनेस और कई बार खुजली भी होने लगती है। वजाइना के अपीयरेंस में भी बदलाव आने लगता है। मेनोपॉज के दौरान अलग-अलग अनुभव होते हैं। कुछ महिलाओं को ड्राईनेस तो कुछ को इन्फ्लेमेशन की शिकायत हो सकती है। बता दें कि इस उम्र में यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन (UTI) जैसी प्रॉब्लम भीबढ़ सकती है।

अन्य शारीरिक बदलाव

These foods play an important role in controlling hormones

अलावा इसके ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना। स्किन पहले से ज्यादा ड्राई रहना, ऑस्टियोपोरोसिस, बालों के टेक्सचर में अंतर और रिंकल आने लगते हैं। और भी बहुत से हार्मोनल चेंजेज भी होते हैं।

मानसिक बदलाव की समस्या

शारीरिक रूप से ना सिर्फ बल्कि मानसिक रूप से भी कई तरह के चैंजेज का सामना करना पड़ता है। कई महिलाएं इस उम्र में डिप्रेशन के करीब पहुंच जाती हैं। कई महिलाओं में एंग्जाइटी बढ़ जाती है। सबसे अधिक रात में नींद उचटने लगती है और साथ में इनसोमनिया की शिकायत बढ़ जाती है।

Make your kitchen smarter and healthier with these easy ways

महिलाएं अक्सर घर की सफाई में अपने दिन का आधा समय बिता देती हैं और पूरे घर को चमकाना उनका पहला मोटिव होता है । वैसे तो घर का हर हिस्सा साफ हो यह ध्यान रखना चाहिए क्योंकि घर की साफ सफाई से घर के सदस्यों का स्वास्थ्य जुड़ा हुआ है।

घर की किचन या रसोई हमारे घर का सबसे अहम हिस्सा होता है। किचन में किसी भी प्रकार की गंदगी या रसोई का अव्यवस्थित होने का सीधा असर घर के सदस्यों के स्वास्थ्य पर पड़ता है।
किचन को सामान्यतः हम बहुत अधिक उपयोग करते हैं इसलिए उसकी नियमित सफाई बहुत जरूरी सी हो जाती है आपकी रसोई साफ होगी तो आपका खाना बनाने का भी मन करेगा और आपके अपने भी स्वस्थ रहेंगे तो चलिए कुछ ऐसे टिप्स जानते हैं जिनसे आप किचन को चमका कर रख सकती हैं।।

1. सिंक में कभी भी गंदे बर्तन ना छोड़ें: जी हां, हमारी दादी-नानी हमेशा हमें यही समझती रही हैं कि कभी भी सिंक में झूठे बर्तन नहीं छोड़ना चाहिए यह एक परंपरा ही नहीं बल्कि साइंटिफिक रीजन है। जिससे हमारे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है । गंदे बर्तन सिंक में पड़े होने से उनमें बैक्टीरिया पनपते हैं जिससे हमारे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और हम बीमार भी पड़ सकते हैं।

2 सिंक की सफाई भी बहुत जरूरी है: यह नहीं कि आपने सिर्फ सिंक में पड़े गंदे बर्तनों को साफ कर दिया और आपकी ड्यूटी खत्म। आपको सिंक की सफाई भी करना बहुत जरूरी है ।आप नियमित रूप से उसे साफ करें। उसके पाइप को साफ करें और नाली को भी साफ रखें।

3. गीले बर्तन कभी भी रैक में ना रखे: कई बार हम बर्तन धोने के तुरंत बाद उनको रैक में लगा देते हैं जिससे रैक में नमी हो जाती है। और नमी के कारण वहां पर कीड़े या बैक्टीरिया पनप सकते हैं। जिससे आपको स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है इसलिए कोशिश करें कि बर्तन को सूखने के बाद ही रैक में सजाएं।।

4. अपने चूल्हे की भी नियमित सफाई करें: हम खाना पकाते वक्त नियमित रूप से चूल्हे का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए हमें उसकी सफाई का भी नियमित तौर पर ध्यान रखना चाहिए क्योंकि वह बहुत ज्यादा जरूरी है।

5. किचन स्लैब की सफाई : किचन स्लैब पर हम अपने बर्तन खाने का सामान और कंटेनर जिनमें हमारे खाद्य पदार्थ भरे होते हैं, रखते हैं इसलिए बहुत जरूरी हो जाता है कि हम नियमित तौर से अपने किचन स्लैब की सफाई करें क्योंकि अगर किचन स्लैब गंदा होगा तो वह हमारे खाद्य पदार्थों को भी गंदा करेगा।

6. किचन में रखे कंटेनर की सफाई पर ध्यान दें : जी हां, किचन में कंटेनर्स उपलब्ध होते हैं जिनमें हम अपने कच्चे खाद्य पदार्थों या सूखे खाद्य पदार्थों को रखते हैं इसलिए यह जरूरी होता है कि आप नियमित तौर पर या नियमित अंतराल में उनको साफ करती रहें क्योंकि उनकी सफाई ही यह सुनिश्चित करेगी कि आपके खाद्य पदार्थ साफ और सुरक्षित हैं।।

7. गैर जरूरी सामानों को किचन में स्टोर ना करें : कई बार हम घर का सामान लाते हैं और कई गैर जरूरी सामान को हम किचन में रख देते हैं। जहां उनका स्थान नहीं होता। जी हां, आप अपने किचन को गैर जरूरी सामान से ना भरे।

8. फ्रिज की सफाई का भी पूरा ख्याल रखें: आपके बहुत सारे खाद्य पदार्थों को आपका फ्रीज खराब होने से बचा लेता है। लेकिन अगर आप इसकी सफाई का ध्यान नहीं रखेंगी तो आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जिससे आप पर आर्थिक बोझ बढ़ जायेगा।

can have a negative effect on your health

अपनी पूरी जिंदगी में बहुत सी गलतियां करते हैं। कुछ हमारे स्वास्थ्य (Health) से जुड़ी होती हैं, कुछ हमारी दिनचर्या से जुड़ी होती है और कुछ हमारे रिश्तों से जुड़ी होती हैं। कुछ गलतियों का कोई रिवर्स गियर नहीं है यानी कि समय बीत जाने पर या समय रहते भी हम उन्हें सुधार नहीं सकते लेकिन कुछ गलतियां ऐसी होती हैं जिन्हें सही समय रहते सुधारा जा सकता है और इसमें से सबसे महत्वपूर्ण उन गलतियों को सुधारना है जो हमारे स्वास्थ्य से जुड़ी हैं।

इस भागमभाग भरी जिंदगी में हमारे पास खुद के लिए भी समय नहीं है। सबसे आगे रहने की इस होड़ ने हमारे स्वास्थ्य को कहीं पीछे छोड़ दिया है और फिर एक के बाद एक बीमारी जब हमें परेशान करने लगती हैं तो हमें समझ आता है कि उस समय अगर अपने लिए थोड़ा समय निकाला होता तो आज हमें डॉक्टरों के पास जाकर अपना कीमती समय गवाना ना पड़ता।

कुछ गलतियों को हमें समय रहते सुधार लेना चाहिए वरना इसका खामियाजा न सिर्फ हमें बल्कि हमारे अपनों को भी भुगतना पड़ता है।

तो चलिए जानते हैं स्वास्थ्य से जुड़ी ऐसी कौन सी गलतियां हैं जो आपको बिना समय गवाएं सुधार लेनी जरूरी है-

1. पानी पीना भूल जाना: जी हां, दोस्तों कामकाजी होने के कारण तथा काम को जल्द से जल्द निपटाने की चाह में हम अक्सर खाना समय पर खाना और पानी पीना भूल जाते हैं, लेकिन चिकित्सकों की मानें तो हमें रोजाना 08 से 10 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। पानी की कमी के कारण आपको बहुत सी बीमारियां घेर सकती हैं। पानी ना पीने से आपको डिहाईड्रेशन हो सकता है, आपकी त्वचा ड्राई होने लगती है और आपको झुर्रियां होने लगती हैं।

2. नींद पूरी ना लेना:

can have a negative effect on your health

दोस्तों, कई लोग काम की वजह से अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते लेकिन एक रिसर्च में पाया गया है कि नींद पूरी ना होने से आपको स्ट्रेस, हार्ट से जुड़ी दिक्कत और बलड प्रेसर की समस्या हो सकती है। इसलिए रोजाना 07 से 08 घंटे की नींद पूरी लेनी चाहिए।

3. सुबह के नाश्ते को नजरअंदाज करना: सुबह दफ्तर जल्दी पहुंचने की भाग दौड़ में हम अक्सर नाश्ते को नजरअंदाज कर देते हैं। जो हमारे स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। सुबह का नाश्ता ना करने से दिनभर थकान, कमजोरी महसूस होती है और शरीर पर बुरा असर भी डालती है।

4. लगातार एक ही पोजीशन में बैठे रहना: कई बार हम एक ही पोजीशन में बैठकर अपने प्रोजेक्ट या किसी जरूरी फाइल पर काम कर रहे होते हैं । हमें इसकी सुधि नहीं रहती कि हमने घंटों एक ही जगह बैठ कर बिता दिया है। ऐसे में खाना ठीक तरह से पच नहीं पाता। जिससे मोटापा बढ़ने लगता है। इसीलिए हमें अपने काम के बीच बीच में 10 से 15 मिनट का ब्रेक लेकर टहलना चाहिए।

5. मल्टीटास्किंग: जी हां, मल्टीटास्किंग का अर्थ है कि एक ही समय पर बहुत सारे कार्य को करना। हमसे से कई लोग मल्टीटास्किंग में माहिर होते हैं। खास तौर पर महिलाएं ऐसा करती हैं लेकिन पुरुष हो या महिला यह सभी के लिए घातक है मल्टीटास्किंग में एनर्जी तो लगती है, साथ ही इस स्ट्रेस भी बढ़ता है। जिसकी वजह से ब्रेन से संबंधित बीमारी या फिर दिल से संबंधित दिक्कतें महसूस हो सकती है।

फाइल फोटो- गूगल