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COVID CASES: भारत में फिर कोरोना की दस्तक, अगले 3 हफ्ते हैं ज्यादा अलर्ट रहते की जरूरत

COVID CASES: Corona knocks again in India

COVID CASES: भारत समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस ने एक बार फिर से पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। भारत में भी कोविड-19 के मामलों में लगातर बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। महाराष्ट्र में शुक्रवार को कोविड-19 के 45 केस सामने आए। इसमें सबसे अधिक मुंबई में 35, पुणे में 04, रायगढ़ में 02, कोल्हापुर में 02 और ठाणे तथा लातूर में एक नए मरीज मिले हैं। मुंबई में अब तक कोरोना के कुल मरीजों की तादाद 183 हो गई है। वहीं, महाराष्ट्र में पॉजिटिव मामले 210 तक पहुंच गए हैं।

कोरोना के ना केवल संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है, बल्कि अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। यानी लक्षण गंभीर हो रहे हैं। भारत में केरल, महाराष्ट्र सहित 257 से अधिक मामले सक्रिय हैं। जबकि मुंबई में दो लोगों की कोविड से मौत हो चुकी है। विशेषज्ञों ने अभी से सावधानी बरतने की सलाह दी है और अनुमान लगाया है कि अगले तीन सप्ताह और भी अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।

कोविड का नया वेरिएंट और ताज़ा आंकड़े 

सिंगापुर, थाईलैंड और हांगकांग में संक्रमितों की जांच के आंकड़ों में सामने आया है कि इस बार संक्रमण का कारण ओमिक्रोन का सब वेरिएंट JN.1 संक्रमण फैला रहा है। इससे कई एशियाई देशों में लोग हल्के से गंभीर लक्षणों के शिकार हो रहे हैं।

अप्रैल के आखिरी और मई के पहले सप्ताह में ही कोविड संक्रमितों की संख्या 14 हजार के पार पहुंच गई है। इनमें सर्वाधिक खराब हालात सिंगापुर और हांगकांग के हैं, जहां हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी गई है। जापान में भी सार्स कोविड के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।

भारत में COVID के सक्रिय मामले

COVID CASES: Corona knocks again in India

कोविड के प्रसार का तरीका पहले जैसा है, जिसने साल 2019 के अंत से मार्च-अप्रैल 2020 तक दुनिया भर में कहर बरपाया था। भारत के बड़े शहरों, जो अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं से सीधे जुड़े हैं, वहां सबसे ज्यादा कोविड के सक्रिय मामले देखे जा रहे हैं। इनमें केरल और मुंबई में सबसे ज्यादा लोग कोविड के सब वेरिएंट जेएन.1 से संक्रमित हुए हैं।

क्या इस वेरिएंट से घबराने की जरूरत है?

कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों और मुंबई में हुई 2 मौतों के बाद लोगों में डर का माहौल है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी तत्काल सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है कि एशिया के कई देशों में कोविड-19 के मामलों में स्पष्ट वृद्धि देखी जा रही है, जिससे स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है। बदलते हुए वायरस वेरिएंट और कम होती रोग प्रतिरोधक क्षमता इस मौजूदा लहर को बढ़ावा दे रही है। इस समय जब लोगों की आवाजाही और सेहत के प्रति लापरवाही भी बढ़ी है।

ओमिक्रॉन स्ट्रेन का नया सबवेरिएंट्स, JN.1 मौजूदा हेल्थ जोखिमों के लिए जिम्मेदार है। यह सबवेरिएंट अत्यधिक संक्रामक है और पहले की तुलना में बेहतर तरीके से रोग प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देने में कामयाब है।

विशेषज्ञ आगे कहते हैं कि हालांकि, यह अधिक घातक नहीं है। इसके तेज़ी से फैलने के कारण कुल मामलों की संख्या में वृद्धि हो रही है। जो लोग पहले से वैक्सीनेटेड हैं, उनमें लक्षण हल्के ही पाए जा रहे हैं।

बूस्टर डोज लेना हो सकता है बचाव का उपाय

विशेषज्ञ के मुताबिक रोग प्रतिरोधक क्षमता समय के साथ कम हो जाती है। इसलिए कई देशों ने बूस्टर डोज लेने की सलाह दी है। एशिया के अधिकांश लोगों ने एक साल से भी पहले अपनी वैक्सीन की खुराक ली थी। समय पर बूस्टर न मिलने के कारण प्रतिरक्षा क्षमता घट जाती है, जिससे बुज़ुर्गों और वे लोग जो अन्य किसी बीमारी से पहले ही ग्रस्त हैं, उनमें संक्रमण का जोखिम और ज्यादा बढ़ जाता है।

महामारी के समय के नियमों में ढील ने समस्या को और गंभीर बना दिया है। लोग अब सामान्य जीवन में लौट आए हैं, मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना और स्वच्छता जैसे उपायों को काफी हद तक छोड़ दिया गया है। सार्वजनिक समारोहों और अंतरराष्ट्रीय यात्रा के फिर से शुरू हो जाने से वायरस को फैलने का भरपूर मौका मिल गया है।

अगले तीन हफ्ते हैं बेहद संवेदनशील

मौजूदा लहर को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है और लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए ताकि संक्रमण से बचा जा सके। अगले तीन हफ्ते इन मामलों में तेजी देखी जा सकती है। फ्यूचर में किसी भी नए म्यूटेशन का समय रहते पता लगाने के लिए निगरानी जारी रखना लाभकारी हो सकता है। इसके अलावा, सतर्कता और जिम्मेदार व्यवहार वायरस को नियंत्रित रखने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

चढ़ते-उतरते मौसम भी इसमें भूमिका निभा रहे हैं। ज्यादातर लोग घरों के अंदर रहने लगे हैं, जहां वेंटिलेशन की कमी होती है और संक्रमण का खतरा अधिक होता है। अलावा इसके अब टेस्टिंग भी कम हो गई है, जिससे केसों की सही संख्या रिपोर्ट नहीं हो पा रही है। असली आंकड़े रिपोर्ट किए गए मामलों से कहीं अधिक हो सकते हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

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