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Category Archives: Health

blow job or oral sex
Sex Education के प्रति लोगों में बढ़ते रुझान के कारण लोग इंटरनेट पर और ज्यादा सर्च करने लगे हैं। सेक्स वर्ल्ड में सबसे ज्यादा जो शब्द प्रचलन में है वह है ब्लो जॉब (Blow Job)। जो ओरल सेक्स से जुड़ा होता है। सुरक्षित सेक्स के लिए कुछ सही तरीकों का समझना जरूरी होता है।
इंटरनेट से हासिल आधा-अधूरा कंटेंट उन्हें जानकारी कम कन्फ्यूजन ज्यादा दे देता है। हेल्थ शॉट्स ने हमेशा से सेक्स एडुकेशन (Sex Education) और सेफ सेक्स का समर्थन किया है। इसलिए आज हेल्थ शॉट्स के इस लेख में हम ब्लो जॉब के बारे में काफी कुछ बताने जा रहे हैं।
ब्लो जॉब आखिर है क्या? 
सेक्स को एक्साइटिंग बनाने के लिए कपल्स कई ट्रिक्स ट्राई करते हैं। ब्लो जॉब ओरल सेक्स को कहा जाता है। जो पेनिट्रेटिव सेक्स से बिल्कुल अलग होगा है। इसमें पार्टनर के प्राइवेट पार्ट और अन्य उत्तेजक अंगों को जीभ से लिक किया जाता है और कुछ देर तक सहलाया जाता है। इससे शारीरिक उत्तेजना बढ़ने लगती है। जो सेक्स के लिए एक्साइटमेंट को चरम तक पहुंचाने में हेल्प करता है।
संबंध बनाते समय स्पाइस और उत्तेजना को बढ़ाने के लिए ब्लो जॉब यानी ओरल सेक्स को शामिल किया जाता है। यह आपको एक-दूसरे के प्रति सहज बनाता है और दोनों पार्टनर को संतुष्टि प्रदान करता है। यह फोर प्ले का महत्वपूर्ण हिस्सा है। जिसमें मुंह के द्वारा पार्टनर के शरीर के सभी संवेदनशील हिस्सों को उत्तेजित किया जाता है। जननांगों को चूमने की इस प्रक्रिया के दौरान पूरी तरह से केयरफ्री होना नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसलिए पेनिट्रेटिव सेक्स की तरह यहां भी आपको सेफ्टी टिप्स का पालन करना जरूरी है।
ज्यादातर जोड़े ओरल सेक्स के लिए करते हैं इन पोज़िशंस को ट्राई
1. चेयर ब्लो जॉब
चेयर सिटिंग ब्लो जॉब को एक्साइटिंग बना सकती है। इसके लिए किसी सोफे या कुर्सी पर पार्टनर को बैठाकर आप ब्लो जॉब का आनंद उठा सकते हैं।
2. स्वीट 16
ओरल सेक्स के लिए ये पोज़िशन आपके प्लेजर को बढ़ा सकती है। इसके लिए आप पार्टनर के लोअर एब्डोमन पर बैठकर पेनिस को मॉउथ में लेकर ब्लो जॉब को एक्साइटिंग बना सकती है।
3. पोजिशन 69
7 common life mistakes that can ruin your sex life
इस पोज़िशन में एक ही समय में दोनों लोग प्लेजर प्राप्त कर सकते हैं। जहां आपका पार्टनर ओरल सेक्स का आनंद ले सकता है। वहीं आप भी पार्टनर को सेम टाइम में संतुष्ट कर सकते हैं।
4. ब्लो जॉब के दौरान भी सेफ्टी है जरूरी
प्लेजर के लिए पार्टनर को ब्लो जॉब देते हुए इरोजेनस स्पॉटस उत्तेजित होने लगते हैं और आप दोनों ही इंटिमेसी का आनंद ले पाते हैं। ब्लो जॉब से जहां आनंद की प्राप्ति होती है, वहीं इसमें की गई जरा सी भी लापरवाही स्वास्थ्य जोखिमों का भी कारण बन सकती है। इसलिए ओरल सेक्स के दौरान कुछ खास बातों का ख्याल रखना ज़रूरी है।
वे सेफ्टी Tips जो ब्लो जॉब को सेफ बना सकती हैं
1 कंडोम का करें इस्तेमाल
ओरल, एनल या फिर वेजाइनल सेक्स के दौरान कण्डोम को इग्नोर करना परेशानी का कारण बनने लगता है। इससे पेनिस की फोरस्किन के नीचे स्मेग्मा नाम का तत्व पाया जाता है। जहां बहुत से बैक्टीरिया जमा हो जाते हैं। उन्हें मुंह में लेने से बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। जो संक्रमण के जोखिम को बढ़ा देता है।

2. Oral हाइजीन का रखें ध्यान

यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया हेल्थ सेंटर के मुताबिक मसूढ़ों में सूजन, गम ब्लीडिंग और मुंह में होने वाले छालों के संपर्क में आने से संक्रमण का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। ऐसे में मौखिक स्वच्छता को मेंटेन रखने के लिए फलॉसिंग और नियमित ब्रश करना ज़रूरी है। ओरल सेक्स से पहले और बाद में ब्रश और माउथ वॉश का इस्तेमाल जरूर करें।

3. डेंटल डैम करें प्रयोग

डेंटल डैम यानी माउथ कंडोम जो ओरल सेक्स को प्रोटेक्टिव बनाने में मदद करता है। लैटेक्स से बनी इस चौकोर पतली शीट को वेजाइना या पेनिस के उपर रखा जाता है। इससे आप डायरेक्टिली जननांगों के संपर्क में आने से बच जाते हैं।
4. सर्दी-जुकाम है तो Blow Job से बचें
अगर आप खांसी जुकाम और नाक बहने की समस्या से ग्रसित हैं तो ओरल सेक्स को लेकर आपका केयरफ्री नेचर चिंता का विषय साबित हो सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया हेल्थ सेंटर के मुताबिक गले खराब के दौरान खराश और इंटिमेट पार्ट्स पर होने वाले जख्म भी STI की आशंका को बढ़ाने लगता है।
फोटो सौजन्य- गूगल
Health Tips

Health Tips: प्रसिद्ध उपन्यासकार हैरियट स्टोव ने कहा था कि एक महिला का स्वास्थ्य उसकी पूंजी है लेकिन महिलाएं अक्सर अपने हेल्थ की परवाह नहीं करती हैं। वक्त की कमी, घर या ऑफिस से संबंधित प्रेसर, जागरूकता की कमी और यौन-स्वास्थ्य के बारे में बात करने में झिझक रखाना, ये ऐसे कारक हैं जो इसमें प्रमुख योगदान करते हैं। पर नॉर्मल हेल्थ समस्याओं को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। खासकर जब आपकी योनि या ब्रेस्ट में नजर आ रहे हों। अक्सर महिलाओं की आम शिकायतें होती हैं, जिन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है पर यह कुछ ज्यादा गंभीर होने का संकेत हो सकता है।

वो 6 समस्याएं जिन्हें महिलाओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए

1. सेक्स के समय दर्द

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महिलाएं अक्सर सेक्स के दौरान दर्द के बारे में बात करने से हिचकिचाती हैं। हालांकि, दर्दनाक सेक्स एंडोमेट्रियोसिस का लक्षण भी हो सकता है। एक ऐसी स्थिति जिसमें गर्भाशय की अंदरूनी लेयर गर्भाशय के बाहर जमा हो जाती है। यह PID ​​​​(पेल्विक सूजन की बीमारी) की वजह से भी हो सकता है, जो अक्सर वेजाइनल डिस्चार्ज के साथ रिप्रोडक्टिव ऑर्गन का संक्रमण होता है। अपर्याप्त लुब्रिकेशन और ड्राई वेजाइना के कारण भी सेक्स के दौरान पेन हो सकता है।

2. असामान्य या अनियमित पीरियड

मासिक धर्म हर 21-35 दिनों में नियमित रूप से होना चाहिए। भारी प्रवाह, मध्य-चक्र रक्तस्राव या स्पॉटिंग, लंबे समय तक पीरियड साइकिल, यह थायराइड, PCOD या फाइब्रॉएड जैसे हार्मोनल रोगों के कारण हो सकता है, जो गर्भाशय के सौम्य ट्यूमर हैं। सेक्स के बाद रक्तस्राव या रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्राव को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यह ओवेरियन कैंसर का संकेत हो सकता है और इसकी जांच कराना जरूरी होता है।

3. स्तन में परिवर्तन

If there is pain in the breast just before periods

स्तनों में गांठ फाइब्रोएडीनोमा जैसी हानिरहित स्थितियों के कारण हो सकती है। हालांकि, ब्रेस्ट में गांठ होना भी ब्रेस्ट कैंसर का संकेत हो सकता है। जागरूकता की कमी की वजह से महिलाओं में स्तन कैंसर अक्सर उन्नत चरणों में पाया जाता है। स्तनों में गांठ जो स्तन के बाकी टिश्यू से सख्त और अलग लगती हैं या निप्पल से स्राव को चैक किया जाना चाहिए। महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर की जांच के लिए नियमित चेकअप करवाना चाहिए। ब्रेस्ट में किसी भी परिवर्तन का शीघ्र पता लगाने के लिए ब्रेस्ट सेल्फ टेस्टिंग के तरीकों के बारे में भी पता होना चाहिए।

4. वजन का एकाएक घटना और बढ़ना

अचानक वजन कम होना खुशी की बात हो सकती है पर अचानक वजन कम होना टीबी के साथ-साथ कैंसर या थायरॉयड विकारों का भी संकेत हो सकता है और इसका मूल्यांकन किया जाना चाहिए। अचानक वजन बढ़ना पीसीओडी या थायराइड की समस्या के कारण हो सकता है और अगर इसका पता चल जाए तो इसे बहुत अच्छी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है।

5. थकान महसूस होना

बहुत सी महिलाएं हर समय थकान महसूस करती हैं। बार-बार थकान एनीमिया, थायराइड विकार, सूक्ष्म पोषक तत्वों और विटामिन डी की कमी के कारण हो सकती है और इसकी जांच होनी चाहिए। पूरी रात की नींद के बाद भी थकान महसूस होना भी तनाव, चिंता, डिप्रेशन या ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया का कारण हो सकता है। इसलिए इसे कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

6. ब्लोटिंग फील करना

ज्यादातर महिलाएं विशेष रूप से मासिक धर्म से पहले फूला हुआ या गैसी महसूस करती हैं। यह अधिक सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। हालांकि, अगर ब्लोटिंग महसूस करना बहुत बार होता है, तो इसे चैक करवाना चाहिए। यह इरिटेबल बावल सिंड्रोम, एंडोमेट्रियोसिस या यहां तक ​​कि ओवरियन कैंसर का संकेत हो सकता है।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा ने कहा कि समुदाय और देश और अंततः दुनिया उतनी ही मजबूत है जितनी उनकी महिलाओं का स्वास्थ्य। इसलिए देश और दुनिया की बेहतरी के लिए हमें अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना ही होगा।

फोटो सौजन्य- गूगल

Feeding

Pregnancy: एक अध्ययन के अनुसार शाकाहारी भोजन करने वाली महिलाओं के दूध में मांसाहारी महिलाओं की तुलना में कम कीटनाशक पाए गए। यूपी में पिछले दिनों 111 नवजात बच्चों की मौत हो गई और इन नवजात की मौत की वजह गर्भवती महिलाओं के दूध में पाए जाने वाले कीटनाशक को बताया गया। लखनऊ के क्वीन मैरी अस्पताल के अध्ययन के मुताबिक यह दावा किया गया है कि महाराजगंज में हुई इन मौत के लिए महिलाओं के दूध में पाए जाने वाले कीटनाशक हैं। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि मां के दूध तक कीटनाशक कैसे पहुंचे।

अस्पताल ने इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए कुछ गर्भवती महिलाओं का परीक्षण किया। इस स्टडी में 130 शाकाहारी और मांसाहारी प्रेग्नेंट महिलाओं को शामिल किया गया था। यह शोध डॉक्टरों की एक टीम द्वारा किया गया था। इस शोध को एनवायरमेंटल रिसर्च जनरल में पब्लिश किया गया है। इस रिसर्च में कहा गया है कि शाकाहारी भोजन करने वाली महिलाओं के दूध में मांसाहारी महिलाओं की तुलना में कम कीटनाशक पाए गए पर कीटनाशक दोनों ही महिलाओं में पाए गए।

केमिकल फार्मिंग है कीटनाशक होने की वजह

Breast Feeding

 

अध्ययन के अनुसार मांसाहारी खाने से दूर रहने वाली महिलाओं के स्तन के दूध में कम कीटनाशक पाए गए हैं। शोध में यह भी कहा गया है कि दूध में कीटनाशक होने की वजह केमिकल फार्मिंग है। दरअसल, हरी सब्जियों या तमाम फसलों को उगाने के लिए तरह-तरह के कीटनाशकों और रसायनों का प्रयोग किया जाता है। जानवरों को भी सप्लीमेंट्स और केमिकल्स के इंजेक्शन्स दिए जाते हैं, जिसकी वजह से मांसाहारी भोजन करने वाली महिलाओं के दूध में कीटनाशक उत्पन्न हो जाते हैं।

मांसाहारी भोजन करने वाली महिलाओं के दूध में मौजूद कीटनाशक शाकाहारी महिलाओं की तुलना में तीन गुना ज्यादा थे। इस शोध में कहा गया है कि मां के दूध के जरिए बच्चे में भी कीटनाशक आराम से पहुंच सकते हैं। स्तन के दूध में मौजूद कीटनाशकों ने मासूम शिशुओं को गंभीर नुकसान पहुंचाया, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई।

बहरहाल, इस अध्ययन से स्पष्ट हो गया है कि प्रेग्नेंसी में ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियों का ही सेवन करना चाहिए ताकि नवजात बच्चों में कीटनाशक मां के दूध के जरिए ना पहुंच सके।

If there is pain in the breast just before periods

पीरियड्स (Periods) के ठीक पहले स्तन में दर्द और असहजता महसूस हो रही है तो कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा। लड़कियों और महिलाओं को पीरियड्स के पहले शरीर में यह दिक्कतें शुरू होती हैं। फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट की वजह, संकेतों और लक्षणों को जानने से आपको अपने हालात को सही ढंग से प्रबंधित करने में सहायता मिल सकती है।

If there is pain in the breast just before periods

यह समझना जरूरी है कि फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट कोई बीमारी या एक तरह का स्तन कैंसर नहीं है। यह एक नॉन कैंसरस स्थिति है। यह स्थिति है जो इसका अनुभव करने वाली हर महिला में अलग-अलग तरह से लक्षण दिखती है। हालांकि, सामान्य तौर पर यह महिला के पीरियड्स साइकल के नैचुरल के कारण शरीर में होने वाले हार्मोनल चेंजेज के कारण होता है। चूंकि पूरे साइकल में हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव होता है, इससे ब्रेस्ट में सूजन और कोमलता हो सकती है और साथ ही गांठ या सिस्ट भी होने लगते हैं।

Breast Feeding

फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं पर आमतौर पर एक या दोनों ब्रेस्ट में दर्द या कोमलता शामिल होती है। खासकर आपके मासिक धर्म से ठीक पहले स्तन भारी या सूजे हुए महसूस हो सकते हैं और छूने पर या ब्रा पहनने पर भी उनमें कठोरता महसूस हो सकती है। वे गांठदार भी हो सकते हैं या उनमें छोटे सिस्ट भी हो सकते हैं। जो बारीकी से देखने पर दिखाई दे सकते हैं। कुछ मसलों में जब आप गांठें छूते हैं तो वे आपकी स्किन के नीचे घूम सकती हैं।

फ़ाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट का सटीक वजह का अब तक पता नहीं चला है लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह महिला के शरीर में हार्मोनल चेंजेज से संबंधित है। हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन को यौवन, गर्भावस्था या पेरिमेनोपॉज़ जैसे हार्मोनल उतार-चढ़ाव की अवधि के दौरान स्तनों में सिस्ट के विकास को ट्रिगर करने के लिए जाना जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे- तनाव, ज्यादा कैफीन पीना और धूम्रपान शामिल हैं।

If there is pain in the breast just before periods

अगर आपको लगता है कि आपको फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट हो गया है तो आपको इनके लक्षणों और चिंताओं के बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात करना चाहिए। किसी गांठ या सिस्ट के साथ-साथ अन्य स्तन से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं की जांच के लिए एक ट्रेनिंग कर सकते हैं।

फ़ाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट खतरनाक या लाइफ थ्रेटिंग के लिए खतरा नहीं है, यह असुविधाजनक लक्षण पैदा कर सकता है जो रोजमर्रा की जिंदगी में हस्तक्षेप कर सकता है। आपके चिकित्सक लक्षणों को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव जैसे तनाव के स्तर को कम करने या कैफीन की मात्रा कम करने की पैरवी करते हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

benefits of feeding in silver utensils for small children

चांदी (Silver) के बर्तनों के मद्देनजर मान्यता है कि इसमें छोटे बच्चों को खाना खिलाया जाए तो उनका विकास काफी अच्छे तरीके से होता है। इससे उनके मस्तिष्क का विकास सही तरीके से होता है। इसके बावजूद कुछ महिलाएं पेशोपेश में होती हैं कि ये सच है या सिर्फ पुरानी मान्यता। आइये जानते हैं कि चांदी के बर्तन में शिशु को खाना खिलाने के फायदे हैं या नुकसान और इसे कैसे उपयोग में लाना चाहिए।

सबसे पहले हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि छोटे बच्चों को चांदी के बर्तन में खिलाना सही है या गलत।

चांदी के बर्तन का इस्तेमाल छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित है या नहीं?

दूसरे बर्तनों की तुलना में चांदी के बर्तन में भोजन करना सुरक्षित माना जा सकता है। चांदी में कई औषधीय गुण माने गए हैं। साथ ही चांदी से बने बर्तन जल्दी गंदे नहीं होते। इसलिए माना जाता है कि चांदी के बर्तन इस्तेमाल करने से भोजन और पौष्टिक हो जाता है। जब शिशु ठोस पदार्थ का सेवन शुरू करे, तो उसे चांदी के बर्तन में खिलाया जा सकता है। बस इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि बर्तन में चांदी के अलावा और किसी धातु का इस्तेमाल ना किया गया हो। इसके साथ ही एंटी बैक्टीरियल गुण के कारण चांदी के बर्तन में रखे खाद्य पदार्थ और पानी में सेहत खराब करने वाले बैक्टीरिया नहीं पैदा होते हैं।

शिशु को चांदी के बर्तन में खिलाने के फायदे

वर्षों से छोटे बच्चे को चांदी के बर्तनों में खिलाना शुभ माना गया है। इसलिए शिशु को उपहार स्वरूप चांदी के बर्तन भेंट किए जाते हैं। आइए, जानते हैं कि चांदी के बर्तन किस तरह छोटे बच्चों के लिए फायदेमंद है।

एंटी-माइक्रोबियल प्रभाव: प्लास्टिक या दूसरे धातु के बर्तन में खाना रखने से खाद्य पदार्थ में विषैले जीवाणु पैदा होने की आशंका होती है। वहीं, चांदी में एंटी-माइक्रोबियल गुण पाया जाता है। इसकी पुष्टि वैज्ञानिक शोध में भी होती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि चांदी बैक्टीरिया, फंगस व किसी भी तरह के वायरस को पनपने नहीं देता। यही कारण कि प्राचीन समय में चांदी का इस्तेमाल औषधी की तरह किया जाता था। इसलिए, चांदी के बर्तन में रखा खाना लंबे समय तक खराब नहीं होता।

रखरखाव में आसान: ऐसा माना जाता है कि अन्य बर्तन के मुकाबले चांदी के बर्तन को साफ करना आसान है। इसे किसी भी अच्छे डिश वॉशर व गर्म पानी से धोकर रखा जा सकता है। साथ ही इसे कुछ देर गर्म पानी में डालकर रखा जा सकता है। उसके बाद बाहर निकालकर सूखने के बाद इस्तेमाल किया जा सकता है।

नॉन टॉक्सिक: विभिन्न रिसर्च में कहा गया है कि चांदी के बर्तन में हानिकारक जीवाणु न के बराबर होते हैं। शरीर के नुकसान पहुंचाने वाले मरकरी और लीड के मुकाबले चांदी बच्चों के लिए ज्यादा फायदेमंद है। अगर गलती से चांदी का थोड़ा-सा अंश खाने के साथ शरीर में चला भी जाए, तो उससे नुकसान होने की आशंका कम ही होती है। इसके पीछे मुख्य कारण यह माना गया है कि शरीर के टिश्यू चांदी को आसानी से अवशोषित नहीं कर पाते हैं (3)।

केमिकल रहित: शिशु के लिए इस्तेमाल होने वाले बर्तनों में बीपीए और फ्थालेट जैसे हानिकारक केमिकल पाए जाते हैं। ये केमिकल शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास को कई तरह से प्रभावित करते हैं। वहीं, बच्चों के लिए चांदी से बर्तन इन दोनों केमिकल से फ्री होते हैं।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए : दरअसल चांदी के बर्तन में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं। दूसरे धातुओं के बर्तन में खाना गर्म करने से उसके हानिकारक तत्व खाने में मिल जाते हैं, जो बच्चों की सेहत के लिए यह सही नहीं है। चांदी के बर्तन के साथ ऐसा नहीं होता है।

दवा के साथ रिएक्शन नहीं : दवाएं किसी भी बर्तन के साथ बहुत तेजी के साथ रिएक्शन करती हैं। चांदी के बर्तन के साथ ऐसा नहीं होता है। इसलिए दवा देने के लिए चांदी का बर्तन अच्छा हो सकता है।

घबराने की समस्या दूर करे : चांदी की तासीर ठंडी मानी गई है। इसलिए, चांदी के बर्तन में भोजन करने से शरीर का तापमान संतुलित रह सकता है। साथ ही मन शांत होता है और बेचैनी व घबराहट कुछ हद तक कम हो सकती है।

याद्दाश्त बढ़ाने में सहायक : कहा जाता है कि चांदी के बर्तन में बच्चों को खाना खिलाना से उनके मानसिक विकास में मदद मिलती है। यह दिमाग को शांत रखकर याददाश्त को बढ़ाने में मदद कर सकता है। साथ ही आंखें भी स्वस्थ रह सकती हैं।

आइए अब जानते हैं कि बाजार में बच्चों के लिए किस-किस प्रकार के चांदी के बर्तन उपलब्ध हैं।

बाजार में बच्चों के लिए खाने-पीने व दवा खिलाने समेत हर जरूरत के लिए चांदी के बर्तन मिल जाएंगे। यहां हम कुछ ऐसे ही बर्तनों के बारे में बताने जा रहे हैं।

केमिकल रहित: शिशु के लिए इस्तेमाल होने वाले बर्तनों में बीपीए और फ्थालेट जैसे हानिकारक केमिकल पाए जाते हैं। ये केमिकल शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास को कई तरह से प्रभावित करते हैं। वहीं, बच्चों के लिए चांदी से बर्तन इन दोनों केमिकल से फ्री होते हैं।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए: दरअसल चांदी के बर्तन में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं। दूसरे धातुओं के बर्तन में खाना गर्म करने से उसके हानिकारक तत्व खाने में मिल जाते हैं, जो बच्चों की सेहत के लिए यह सही नहीं है। चांदी के बर्तन के साथ ऐसा नहीं होता है।

दवा के साथ रिएक्शन नहीं : दवाएं किसी भी बर्तन के साथ बहुत तेजी के साथ रिएक्शन करती हैं। चांदी के बर्तन के साथ ऐसा नहीं होता है। इसलिए दवा देने के लिए चांदी का बर्तन अच्छा होता है।

चांदी की थाली : खाना सर्व करने के लिए चांदी की थाली बाजार में मिल जाएंगी। कांच या प्लास्टिक की प्लेट की जगह इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

benefits of feeding in silver utensils for small children

चांदी की कटोरी : ठंडे और गर्म दोनों तरह के खानों के लिए चांदी की कटोरी बेहतर विकल्प हो सकती है। कई आकार में ये बाजार में मिल जाएंगे। बच्चे की जरूरत के हिसाब से इसका चुनाव किया जा सकता है।

चांदी की चम्मच : बच्चों को कुछ भी खिलाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल चम्मच का होता है। स्टेनलेश स्टील या प्लास्टिक के चम्मच की जगह चांदी का चम्मच बेहतर विकल्प हो सकता है। बाजार में कई डिजाइन में ये मिल सकते हैं।

चांदी का बना गिलास: पानी, जूस, दूध या दूसरे तरल खाद्य पदार्थ देने के लिए चांदी का गिलास सबसे अच्छा है। बाजार में छोटे से लेकर बड़े साइज तक में यह मिलता है।

बोंदला या संकू : बच्चा छोटा है, तो उसे दवा और दूध देने के लिए चांदी का बोंदला या संकू खरीद सकती हैं। यह छोटी कटोरी की तरह होता है, लेकिन किनारे पर शंख की तरह बना होता है। छोटे बच्चों को दवा और दूध देने में इससे आसानी होती है।

चांदी के बर्तन उपयोग करने के टिप्स

छोटे बच्चों के लिए चांदी के बर्तन काफी गुणकारी होते हैं। यह कई तरह से छोटे बच्चों को फायदा पहुंचाते हैं। यहां हम जानते हैं कि चांदी के बर्तन छोटे बच्चों के लिए इस्तेमाल करने के टिप्स।

चांदी के बर्तन में पानी दें : बच्चे का शरीर हमेशा गरम रहता है, तो चांदी के बर्तन में उसके पीने का पानी रखिए। उस पानी को ही हमेशा पिलाएं। इससे बच्चे का तापमान सामान्य हो सकता है।

खाना चांदी के बर्तन में रखें : अगर बच्चे का खाना बच गया है, तो उसे चांदी के बर्तन में रखकर फ्रिज में स्टोर करें। चांदी के बर्तन में बैक्टीरियल इंफेक्शन होने की आशंका कम ही होती है।

benefits of feeding in silver utensils for small children

चांदी के बर्तन में खाना करें गर्म : कुछ गर्म करके बच्चे को खिलाना हो तो चांदी के बर्तन में ही गर्म करें। दूसरे बर्तनों के हानिकारक पदार्थ गर्म करते समय खाने में मिल जाते हैं, लेकिन चांदी के साथ ऐसा नहीं होता है।

पित्त दोष से बचाए : चांदी के गिलास में पानी पीने और बर्तनों में खाना खाने से सर्दी-जुकाम से काफी हद तक बचा जा सकता है। पित्त दोष में भी कहा जाता है कि चांदी के बर्तन में खाना और पानी पीना लाभदायक होता है।

चिड़चिड़ापन दूर करे : बच्चा ज्यादा चिड़चिड़ा हो गया है, तो उसे चांदी के बर्तन में खाना खिलाएं और पानी पिलाएं। कहा जाता है कि ऐसा करने से दिमाग शांत होता है और चिड़चिड़ापन दूर होता है।

चांदी के बर्तन में खाना देते समय बरती जाने वाली सावधानियां

शिशु के लिए चांदी के बर्तन इस्तेमाल करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं।

चांदी के बर्तन में अंडा नुकसानदेह : चांदी के बर्तन में कभी भी अंडा नहीं देना चाहिए। अंडे के पीले भाग में सल्फर होता है। चांदी से क्रिया करके यह काले रंग का सिल्वर सल्फाइड बनाता है, जो शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

पित्त दोष से बचाए : चांदी के गिलास में पानी पीने और बर्तनों में खाना खाने से सर्दी-जुकाम से काफी हद तक बचा जा सकता है। पित्त दोष में भी कहा जाता है कि चांदी के बर्तन में खाना और पानी पीना लाभदायक होता है।

चिड़चिड़ापन दूर करे : बच्चा ज्यादा चिड़चिड़ा हो गया है, तो उसे चांदी के बर्तन में खाना खिलाएं और पानी पिलाएं। कहा जाता है कि ऐसा करने से दिमाग शांत होता है और चिड़चिड़ापन दूर होता है।

छोटे बच्चों को चांदी के बर्तन में खाना देते समय बरती जाने वाली सावधानियां

शिशु के लिए चांदी के बर्तन इस्तेमाल करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं।

अंडा न दें : चांदी के बर्तन में कभी भी अंडा नहीं देना चाहिए। अंडे के पीले भाग में सल्फर होता है। चांदी से रिक्शन कर के यह काले रंग का सिल्वर सल्फाइड बनाता है, जो शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

कुछ लोगों को हम अक्सर देखते हैं कि वह हर दिन सुबह उठकर जूस पीना पसंद करते हैं लेकिन ऐसा करना अमूमन हेल्थ के लिए सही नहीं होता। ऐसे बहुत से और विकल्प हैं जिन्हें फॉलो कर अपनी दिन की हेल्दी शुरुआत कर सकते हैं।

लोग जानकारी के कमी की वजह से सुबह खाली पेट कुछ ऐसा खा लेते हैं जिसके कारण उनकी पूरी दिनचर्या प्रभावित हो सकती है। अगर आप सुबह का पहला खाना हेल्दी रखते हैं, तो यह आपके पूरे दिन के खाद्य पदार्थों को पचाने में मदद करता है।

सुबह हेल्दी खाने से वेट लॉस, हेल्दी डाइजेशन से लेकर सेहत संबंधी कई अन्य समस्याओं को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। आज हेल्थ शॉट्स के साथ जानेंगे की सुबह खाली पेट आप किन खाद्य पदार्थों को खा सकते हैं और किन खाद्य पदार्थों को खाना आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकता है।

न्यूट्रीशनिस्ट और वेलनेस कंसलटेंट ने बताया है कि किन खाद्य पदार्थों को सुबह खाली पेट नहीं खाना चाहिए साथ ही जानेंगे सुबह किन खाद्य पदार्थों का सेवन हमारे लिए फायदेमंद हो सकता है।

कभी भी खाली पेट न करें इन खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल

1. चीनी और राइस सिरप

ज्यादातर लोग इसे खाली पेट लेते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि यह फैट बर्न करने में मदद करता है। हालांकि Honey में चीनी की तुलना में ज्यादा कैलोरी और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी अधिक होता है। बिना किसी मिलावट के शुद्ध शहद मिलना बेहद मुश्किल है और ज्यादातर लोग शहद के नाम पर चीनी और राइस सिरप का सेवन करते हैं। यह आपके रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा देता है जिसके परिणामस्वरूप पूरे दिन अधिक खाने की इच्छा होती रहती है। यदि आपके पास रॉ हनी है तब ही इसे अपनी मॉर्निंग डाइट में शामिल करें।

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2. खट्टे फल

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अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में फल बहुत जल्दी पच जाते हैं। इससे हमें एक घंटे के अंदर ही भूख लग जाती है। वहीं खाली पेट खट्टे फल खाने से एसिडिटी हो सकती है। खट्टे फल में कई महत्वपूर्ण विटामिन, मिनरल्स और फाइबर मौजूद होते हैं। परंतु फिर भी इनसे खाली पेट परहेज रखने की सलाह दी जाती है। संतरा, कीवी, अनानास जैसे फलों के सेवन से इनमें मौजूद फाइबर और फ्रुक्टोज की मात्रा आपके मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देती है, जिसकी वजह से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती है।

3. चाय और कॉफी

खाली पेट चाय या कॉफी का सेवन पेट में एसिड पैदा करता है और यह आपके पेट को असंतुलित कर सकता है और पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है। इसके सेवन से ब्लोटिंग, कॉन्स्टिपेशन, हार्टबर्न जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसलिए सुबह चाय और कॉफी पीने से पहले कुछ खा लेना चाहिए और कोशिश करें कि चाय और कॉफी को अवॉयड कर सकें।

4. ब्रेकफास्ट में मीठे की जगह लें नमकीन

नमकीन नाश्ता आपके रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने के लिए उपयुक्त होता है। यह उन लोगों के लिए बिल्कुल सही है जो अपनी फिटनेस पर ध्यान देते हैं। प्रोटीन और फैट बेस्ड मॉर्निंग मील पूरे दिन की भूख को कम करने में मदद करता है। ऐसे में आप ओवरईटिंग नहीं करती।

मीठा नाश्ता आपके ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा देता है या इसे तेजी से कम कर सकता है, जिससे आपको अधिक भूख लग सकती है, विशेष रूप से कार्ब्स की क्रेविंग्स होगी और ऊर्जा शक्ति में भी गिरावट देखने को मिलती है।

5. मसालेदार भोजन

सुबह खाली पेट मसालेदार भोजन करने से आपके पेट मे जलन का अनुभव हो सकता है। साथ ही साथ यह पाचन संबंधी विभिन्न प्रकार की समस्याओं का कारण बनती है, खासकर हार्टबर्न और पेट दर्द। वहीं आप पूरे दिन असहज महसूस कर सकती हैं।

Apart from PHYSICAL RELATION

Sex संबधों में सक्रियता न होना intimacy की कमी को दर्शाता हैं। सेक्स लाइफ को मज़ेदार बनाने के लिए दोनों लोगों का प्रयासरत होना ज़रूरी है। जानते हैं, वो टिप्स जो सेक्सुअल लाइफ को हेल्दी बनाकर रखती हैं।

छोटे छोटे लम्हों में भी खुशी की तलाश कर लेना रिश्ते में खुशहाली को बढ़ा देता है। शुरूआत में हर कपल के बीच सेक्सुअल रिलेशनशिप एक स्पार्क से आरंभ होता है लेकिन बदलते हालात और जिम्मेदारियां हमारे लाइफ में से खुशी और सेक्स ड्राइव को कम करने लगती है। सेक्स लाइफ को हैप्पी और हेल्दी बनाने के लिए दोनों लोगों का प्रयासरत होना ज़रूरी है। लिबिडो बूस्टिंग (Libido boosting) के लिए यूं तो कई प्रोडक्टस और सप्लीमेंटस मौजूद हैं। मगर अलावा इसके कुछ ऐसी बातों का जानना ज़रूरी है, जो हमारी सेक्स लाइफ को खुशहाल बनाने में मददगार होती है।

NCBI के एक रिसर्च में पाया गया है कि यौन संबधों का प्रभाव हमारी सेहत पर भी दिखने लगता है। वे महिलाएं, जो सेक्सुअल रिलेशनशिप (Sexual relationship) में खुशी का अनुभव नहीं करती है। वे हाइपरटेंशन का शिकार हो जाती हैं। दूसरी ओर पुरूष तनाव और एंगजाइटी से ग्रस्त रहते हैं। रिसर्च में पाया गया है कि ओवरऑल लाइफ की क्वालिटी को निखारने के लिए सेक्स बेहद ज़रूरी है।

Sex life

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक सेक्सुअल हेल्थ और यौन संबधों के लिए पॉजिटिव और रिस्पेक्टफुल अप्रोच की आवश्यकता होती है। अलावा इसके जबरदस्ती, भेदभाव और हिंसा से मुक्त हेल्दी रिलेशन बिल्ड करना चाहिए। सेक्सुअल हेल्थ मेंटेन करने के लिए सभी लोगों को सेक्सुअल राइटस की रिस्पेक्ट, संरक्षण और पूर्ति की जानी चाहिए।

जानते हैं, वो खास आदतें, जो सेक्सुअल लाइफ को हेल्दी बना सकती हैं।

1. सेक्स परफार्मेंस से ज्यादा साथ पर फोकस करना

बहुत से हैप्पी कपल्स सेक्स के दौरान सिर्फ सैटिसफेक्शन पर ध्यान नहीं देते हैं। एक दूसरे का साथ ही उनके लिए काफी होता है। उनका फोकस एक दूसरे के साथ वक्त बिताना होता है। हांलाकि सेक्स में ऑर्गेज्म को पीक तक ले जाना बेहद ज़रूरी है। हर बार इस मानसिक दबाव में सेक्स करने से आप सेक्सुअल लाइफ को एंजॉय नहीं कर पाते हैं। हैप्पी कपल्स सेक्स परफार्मेंस से ज्यादा उस समय का आनंद उठाने पर ध्यान देते हैं। इससे उनका रिश्ता मजबूत और हेल्दी होने लगता है।

इसे ट्राई करे:
2. पार्टनर को गंभीरता से लेना

जब आप अपने साथी को सेक्स के दौरान और सेक्स के बाद समय देते हैं, तो एक दूसरे में अंडरस्टैंडिंग बढ़ने लगती है। दरअसल, एक दूसरे के प्रति आर्कषण खत्म होने के बाद अधिकतर कंपल्स असंतुष्ट नज़र आने लगते हैं। उन्हें एक दूसरे की पसंद नापसंद का अब ख्याल नहीं रहता है। दूसरी ओर वो कपल्स जो एक दूसरे को प्यार करने के अलावा अच्छे दोस्त भी है, वो फीलीग्स का खास ख्याल रखते हैं। फोर प्ले से लेकर आफ्टर प्ले तक हर बात का ख्याल रखने के अलावा यौन संबधों के दौरान रोमांस भी बरकरार रहता है।

3. सेक्स लाइफ को समय देना

Some Natural Ways To Spice Up Your Sex Life

बहुत से कपल्स शादी के कुछ सालों बाद सेक्स लाइफ को लेकर सीरियस नहीं रहते हैं। उनकी सेक्सुअल लाइफ धीरे धीरे बोरिंग होने लगती है और एक समय के बाद उस पर विराम लग जाता है। इससे दोनों लोगों का जीवन तनावपूर्ण और थकान भरा होने लगता है। दिनों दिन मन मुटाव और झगड़े बढ़ने लगते हैं। कुछ कपल जो शादी के सालों बाद भी खुशहाल नज़र आते हैं, वे अपनी सेक्सुअल लाइफ को पूर्ण रूप से मेंटेन रखते हैं। वे दूसरे के लिए वक्त निकालते हैं। हांलाकि, वो कामेच्छा से ज्यादा तनाव से दूर रहने के लिए सेक्स को प्रायोरिटी देने लगते हैं।

4. बोझ नहीं है सेक्स

वे लोग जो शादी के सालों बाद सेक्स के चार्म को एंजॉय नहीं कर पाते हैं। उनके लिए यौन संबध सिर्फ एक टास्क के समान होता है। वे अब उसमें खुशी नहीं तलाश पाते हैं। इसका प्रभाव उनके रिश्ते पर दिखने लगता है। धीरे धीरे वो सेक्स को बोझ मानने लगते है। अपने रिश्ते में खुशहाली को बनाए रखन के लिए सेक्स को महज़ एक काम न समझें। उस समय के दौरान खुशी को तलाशें और पार्टनर को भी खुश रखने का प्रयास करें। इस बात को जान लें कि एक दूसरे को खुश रखने से आपके संबध मज़बूत होंगे।

5. बातों की चाशनी

पार्टनर से वार्तालाप करना हेल्दी रिलेशन मेंटेन करने के लिए बेहद ज़रूरी है। एक दूसरे से बातचीत करके आप अपनी समस्याओं को सुलझा सकते हैं। साथ ही सेक्सुअल लाइफ में आने वाने अप्स एंड डाउंस को आसानी से मिलकर हल कर सकते हैं। संवाद बहुत सारी समस्याओं का समाधान हो सकता है। सेक्स को साइलेंट अफेयर बनाने की बजाए एक-दूसरे के साथ संवाद बनाएं।

सुबह सवेरे टहलने से लेकर ये तमाम व्यायाम आपकी मेंटल हेल्थ को बनाए रखने का काम करती है। जानते हैं वो एक्सरसाइज़ जो आपको मेंटल तौर पर रखती है फिट और फाइन।

तन और मन को हेल्दी रखने के लिए खान पान के अलावा व्यायाम भी बेहद ज़रूरी है। नियमित व्यायाम हमारे माइंड को डिप्रेशन और एंग्जाइटी से दूर रखता है। डब्ल्यूएचओ (World Health Organization) की रिपोर्ट के मुताबिक विश्वभर में साल 2016 में सुसाइड के 7,93,000 मामले सामने आए। दरअसल, दिनभर काम में व्यस्त रहने की वजह से मांइड हर समय एक दबाव में रहता है। जब मस्तिस्क उस प्रेशर को झेलने में सक्षम नहीं होता है, तो लोग मेंटल तौर पर अस्वस्थ्य होने लगते हैं। ऐसे में मार्निंग वॉक से लेकर ये तमाम एक्सरसाइज़ आपकी मेंटल हेल्थ को बनाए रखने का काम करती है। जानते हैं वो एक्सरसाइज़ जो आपको मेंटल तौर पर रखती है फिट एंड फाइन।

इन एक्सरसाइज़ को रूटीन में करें शामिल और मेंटल हेल्थ को करें इंप्रूव

1. योग का अभ्यास

Yoga

योग हमारे मन को शांति का अहसास कराता है। ध्यान लगाने से हम सभी दुश्चिंताओं से मुक्त होने लगते हैं। इससे हमारे माइंड में सेरोटोनिन का लेवल बढ़ने लगता हैं। इससे मांइड रिलैक्स होने लगता है और हम खुशहाली का अनुभव करने लगते हैं। योग करने से शरीर में हल्कापन महसूस होने लगता है। मूड बूस्टर के तौर पर काम करने वाला योग हमें क्रोध और तनाव रहित रखता है। इस बारे में डिवाइन सोल योग के डायरेक्टर डॉ. अमित खन्ना के मुताबिक योग मुद्राओं की मदद से तनावग्रस्त जीवन से मुक्ति मिल जाती है और हमारा माइंड फ्रेश फील करता है। सुबह उठकर कुछ देर ध्यान करने के अलावा कुछ खास योग मुद्राएं आपको फिट एंड फाइन रखने का काम करती है। इसके लिए सुखासन, अधो मुख श्वानासन, उर्ध्व मुख श्वानासन और बालासन बेहद फायदेमंद योग हैं।

2. बॉक्सिंग से माइंड रिलैक्स रहता है

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक बॉक्सिंग हमारे शरीर में कोर्टिसोल के स्तर को कम करके शरीर को तनाव मुक्त रखने में सहायक है। इसकी मदद से बॉडी एग्रेशन अपने आप कम हो जाता है। आपका माइंड रिलैक्स और हेल्दी फील करता है। दरअसल, हर बार पंचिंग बैग पर मुक्केबाज़ी करने से आपका माइंड एंडोर्फिन का प्रोडक्शन बढ़ाने लगता है। इससे न्यूरोट्रांसमीटर से पॉजिटिव थिकिंग का विकास होता है। इसके अलावा पंचिंग मांसपेशियों के तनाव को दूर करने में मदद करता है। आप जैसे जैसे पंच मारते हैं आपका ध्यान एक जगह पर केंद्रित होने लगता है। इससे आपकी एकाग्रता में बढ़ोतरी होने लगती है। बॉक्सिग को रूटीन में शामिल करने से मानसिक स्वास्थ्य के अलावा कैलोरी बर्न करने में भी मदद मिलती है। इसे रोज़ाना करने से सैगी आर्म्स और बैली फैट की समस्या हल हो जाती है।

3. पिलेट्स शरीर को ऐसे करता है बूस्ट

पिलेट्स एक ऐसी एक्सरसाइज़ जो माइंड और बॉडी दोनों को रिलैक्स और बूस्ट करती है। इसकी मदद से शरीर में फ्लैक्सिबिलिटी और मज़बूती दोनों ही बढ़ने लगते हैं। पिलेट्स एक्सरसाइज़ करने से समस्त शरीर की मांसपेशियों में खिंचाव का अनुभव होता है। इससे शरीर में होने वाले दर्द से भी मुक्ति मिल जाती है। पिलेट्स का संबध शारीरिक फिटनेस के साथ मानसिक फिटनेस से भी है। इसे करने से शरीर में एंडोमॉर्फिन यानी प्रोटीन न्यूरोट्रांसमीटर बढ़ने लगते हैं। इससे हम सकारात्मक रहते है और मेंटल स्ट्रेस दूर होने लगता है।

इनहे इस्तेमाल करे:

दो प्रकार के पिलेट्स

मैट बेस्ड पिलेट्स

इस व्यायाम को ज़मीन पर लेटकर किया जाता है। इससे शरीर की मांसपेशियों में होने वाली ऐंठन से मुक्ति मिलती है। इसे नियमित तौर पर करने से शरीर हेल्दी रहता है और शारीरिक शक्ति का विकास होता है।

इक्विपमेंट्स बेस्ड पिलेट्स

कुछ पिलेट्स एक्सरसाइज़ उपकरणों की मदद से की जाती है। बॉल, चेयर, एंकल वेट और स्लाइडिंग डिस्क की मदद से पिलेट्स एक्सरसाइज़ करते है। इससे बॉडी में स्टेमिना बिल्ड होता है और तनाव से शरीर मुक्त हो जाता है।

मेंटल हेल्थ इंप्रूव करने के लिए इन बातों का रखें ध्यान

8 से 10 घंटे की पूरी नींद लें। इससे शरीर में हैप्पी हार्मोस रिलीज़ होते हैं और माइंड रिलैक्स रहता है।

दोस्तों के साथ आउटडोर एक्टीविटीज़ के लिए जाएं।

सेल्फ हैप्पीनेस के लिए पसंदीदा एक्टीविटीज़ को करने में समय बिताएं।

खान पान का पूरा ख्याल रखें। इससे शरीरिक और मेंटल हेल्थ दोनों की हेल्दी होने लगते हैं।

Sexual intimacy helps in recovering from loneliness and depression

फोरप्ले (Fore Play) के दौरान अपने पार्टनर के नर्व एंडिंग यानी की वासनोत्तेजक क्षेत्र पर आइस क्यूब्स का स्पर्श देने से उन्हें ठंडक और आराम पहुंचेगा। साथ ही यह उत्तेजना को भी बढ़ावा दे सकता है।

गर्मी में अक्सर लोगों की सेक्स फ्रीक्वेंसी कम हो जाती है। बढ़ता तापमान लो लिबिडो का कारण हो सकता है। यदि आप इस गर्म मौसम में अपनी इंटिमेसी को एन्जॉय करना चाहती हैं तो समर सेक्स टिप्स को ध्यान में रखें साथ ही कुछ नया ट्राई कर सकती हैं। अपने सेक्सुअल एक्टिविटी में आईसी ट्रिक्स को शामिल करना एक अच्छा आईडिया रहेगा। आइस क्यूब्स की कूलिंग इफ़ेक्ट (Icy Tricks for Summer Sex) आपकी इंटिमेसी को ज्यादा मजेदार बना देंगी।

Some Natural Ways To Spice Up Your Sex Life

फोरप्ले के दौरान अपने पार्टनर के नर्व एंडिंग यानी की वासनोत्तेजक क्षेत्र पर आइस क्यूब्स का स्पर्श देने से उन्हें ठंडक और आराम पहुंचेगा। साथ ही यह उत्तेजना को भी बढ़ावा दे सकता है। दोनों पार्टनर एक दूसरे को इसका आनंद दे सकते हैं। तो चलिए जानते हैं ऐसेही कुछ खास आईसी ट्रिक्स जो आपके समर सेक्स को एक्सिटिंग बना देगी। आप बेफिक्र होकर इसे अपनी इंटिमेसी का हिस्सा बना सकती हैं।

हेल्थ शॉट्स ने सेक्सुअल एक्टिविटी और फोरप्ले के दौरान आइस के इस्तेमाल को लेकर ऑरा क्लिनिक, गुड़गांव की डायरेक्टर एवं क्लाउड नाइन हॉस्पिटल, गुड़गांव की सीनियर कंसलटेंट डॉ रितु सेठी से सलाह ली। उन्होंने आइस के इस्तेमाल को पूरी तरह से सुरक्षित बताया है। जिस प्रकार सेक्स के दौरान हाइजीन पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है, ठीक उसी प्रकार आइस का प्रयोग करते वक़्त भी हाइजीन का ध्यान रखना जरुरी है।

सेक्स सेशन को और भी मजेदार बना सकते हैं ये 4 आईसी ट्रिक्स (Icy Tricks)

1. आईसी किस

हम सभी Sex या फिर किसी भी प्रकार की रोमांटिक गतिविधियों की शुरुआत किस के साथ करते हैं। तो क्यों न शुरुआत को अधिक सेंसेशनल बनाया जाए। तो क्यों न इस गर्मी अपने किस को आईसी किस में बदला जाए। इसके लिए आपको हल्के पिघले हुए आइस क्यूब को अपने होठों में दबाना है और उसके बाद अपने पार्टनर को किस करना है। मुंह की गर्माहट और बर्फ की ठंडक पुरे स्पाइन को शिवर करती है और यह उत्तेजना को भी बढ़ा देती है।

2. रबिंग गेम

Fore Play शुरू करने से पहले अपने फ्रीजर से कुछ आइस क्यूब्स निकाल कर उन्हें अपने बेड के बगल में रख लें। फिर अपने पार्टनर को कहें की वे बर्फ के एक टुकड़े को लेकर धीरे-धीरे आपकी त्वचा पर रगड़ें।

होठों को बर्फ के टुकड़ों से छुएं साथ ही पेट के निचला हिस्से, निप्पल, आर्मपिट, क्लिटोरी, जांघों के बिच और अन्य वासनोत्तेजक क्षेत्रों (इरोजेनस स्पॉट) पर बर्फ के टुकड़ों का स्पर्श दें। क्लिटोरी पर पिघलते बर्फ का पानी डालने से उत्तेजित होना आसान हो जाता है इसके अलावा यह काफी रिलैक्सिंग हो सकता है।

इरोजेनस स्पॉट पर जाएं। इससे पुरुषों को भी उत्तेजित होने में मदद मिलती है।

3. पआईसी ओरल सेक्स ट्राई करें

आ Icy ओरल सेक्स भी ट्राई कर सकती हैं। पार्टनर को मुंह में एक आइस क्यूब रखने को कहें और अपने सामान्य ओरल सेक्स को अधिक एक्साइटिंग बनाएं। ऐसा करने से एक ही समय में आइस क्यूब की ठंडक और सांसों की गर्मी महसूस होगी। यह कामोत्तेजना को बढ़ावा देता है।

ओरल सेक्स के दौरान आनंद को बढ़ाने के लिए अपने पार्टनर को नाक का इस्तेमाल करने के लिए कह सकती हैं। यह योनि को ठंडक पहुॅचाता है और आपको रिलैक्स रहने में मदद करता है। ठीक इसी प्रकार महिला पार्टनर भी अपने मुंह में आइस क्यूब रखकर ब्लो जॉब दे सकती हैं जिससे की पुरुषों को भी आराम मिलता है।

4. Sex Toys को दें आईसी इफेक्ट

अगर आप सेक्स टॉय का इस्तेमाल करती हैं तो अपने Sex Toys को ठंडा कर के इस्तेमाल कर सकती हैं। खासकर गर्मी में ठंडे टॉयज का इस्तेमाल करना आपको केवल प्लेजर ही नहीं बल्कि आपके वेजाइना को पर्याप्त ठंडक भी प्रदान करता है। पार्टनर के साथ सेक्स करते हुए यदि टॉयज का इस्तेमाल करती हैं तो अपने पार्टनर से इन्हे ठंडा करने को कह सकती हैं। हालांकि, इन्हे इस्तेमाल करने से पहले अपने हाथ पर रख कर देख लें ताकि आपको आइस बर्न से न जुजरना पड़े।

अपने स्टेनलेस स्टील और रबर टॉयज को अच्छे से क्लीन कर लें और साफ़ पानी में आइस क्यूब्स डाल दें, फिर टॉयज को पानी में डालें और जब ये ठंडा हो जाएं तो इन्हे इस्तेमाल करें।

Breast Feeding

अक्सर लड़कियां अपने ब्रेस्ट साइज को लेकर फ़िकरमंद रहती हैं। फिर चाहे वे छोटे हों, बड़े या बहुत बड़े। एक्सपर्ट मानते हैं कि हर ब्रेस्ट साइज सुंदर है, बशर्ते कि वे स्वस्थ हों।

महिलाएं अपने ब्रेस्ट के आकार को लेकर अक्सर असहज महसूस करती हैं। कुछ महिलाएं इसे बढ़ाना चाहती हैं, तो कुछ घटाना। असल में ब्रेस्ट साइज का कोई पैमाना सही नहीं है। आकार से ज्यादा जरूरी है ब्रेस्ट हेल्थ पर ध्यान देना। आपके ब्रेस्ट की जो भी साइज़ है, उसके साथ सहज रहना जरूरी है। कई योगासन हैं जो ब्रेस्ट को होने वाली बीमारियों के जोखिम को दूर रखकर स्वस्थ रखती हैं। यहां ब्रेस्ट हेल्थ के लिए ऐसे ही कुछ योगासनों के बारे में जानें डॉक्टर से-

ब्रेस्ट हेल्थ के लिए फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना आवश्यक

डॉ. स्मृति अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में कहती हैं, ‘ब्रेस्ट साइज़ बढ़ाने या घटाने के स्थान पर आप यह सोचें आपके अंग कितने स्वस्थ हैं? आपका ब्लड कितना साफ रहता है? अपने गट हेल्थ पर ध्यान दें। अपने मंकी माइंड (Monkey mind) पर कंट्रोल करें। मानसिक स्वास्थ्य (Mental health) पर काम कर मानसिक रूप से स्थिर बनें। अपने शरीर से प्यार करें। जिस दिन शारीरिक रूप से किसी और की तरह दिखना बंद कर देंगी, उस दिन आपका अपना शरीर और ब्रेस्ट साइज़ भी सर्वश्रेष्ठ लगने लगेगा।’

डॉक्टर के बताये योगासन, जो ब्रेस्ट हेल्थ के लिए सभी महिलाओं के लिए जरूरी हैं 

1. भुजंगासन (Bhujangasana or Cobra pose)

भुजंगासन दर्द दूर करने के लिए कंधों और गर्दन को खोलता है। पेट को टोन करता है। पूरी पीठ और कंधों को मजबूत बनाता है। ब्रेस्ट को सही आकार में लाता है। ब्लड फ्लो में सुधार लाकर थकान और तनाव कम करता है।

कैसे करें भुजंगासन (How to do Bhujangasana)

पेट के बल लेट जाएं। कंधों और हथेलियों को अपनी जगह रखते हुए सांस लें।
सिर, छाती और पेट को उठाएं।

कोहनी पर झुके हुए हाथ धीरे-धीरे गर्दन की ओर झुकाएं। ऊपर की ओर देखें।
पेट के बल लेट जाएं। कंधों और हथेलियों को अपनी जगह रखते हुए सांस लें।
सिर, छाती और पेट को उठाएं।

2. सेतुबंधासन (setubandhasana or Bridge Pose)

Yoga for women

सेतु बंधासन करते समय गर्दन, ब्रेस्ट, फ्लेक्सर मांसपेशियों और जांघों के पिछले हिस्से की मांसपेशियों में खिंचाव होता है। यह इन मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद कर सकता है। यह हिप्स की मांसपेशियों को मजबूत करने में भी मदद कर सकता है।

कैसे करें सेतुबंधासना (how to do setu bandhasana)

पीठ के बल लेट कर दोनों घुटनों को मोड़ें।
पैरों को हिप्स की चौड़ाई पर फर्श पर सपाट रखें।
पैरों को फर्श पर दबाएं। सांस लें और हिप्स को ऊपर उठाएं।
रीढ़ को फर्श से ऊपर उठाएं।
चेस्ट को ऊपर उठाने के लिए बाहों और कंधों को नीचे दबाएं।
सांस लें और 4-8 सांसों तक रोकें।
ऊपर जाते समय सांस लें और नीचे आते समय सांस छोड़ें। सरवाइकल पेन हो तो अधिक नहीं करें।

3 उष्ट्रासन (Ustrasana or Camel Pose)

उष्ट्रासन चेस्ट, पेट और क्वाड्रिसेप्स की मांसपेशियों को मजबूत करता है। ग्लूट्स और हैमस्ट्रिंग (जांघ के पीछे) की मांसपेशियों को टोन करता है। उष्ट्रासन बैकबेंड में गर्दन को खींचते हुए सर्वाइकल स्ट्रेस को कम कर सकता है। यह कंधों, बाहों, पीठ और पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करने में (yoga asanas for breast health) भी मदद कर सकता है।

कैसे करें उष्ट्रासन (how to do Ustrasana)

Yoga for women

घुटनोंसीधा के बल खड़ी हो जाएं। जांघों को पूरी तरह सीधा रखें।
पीछे की दिशा में झुकें।
हिप्स को आगे की दिशा में धकेलें।

सिर और बैक बोन को बिना तनाव के जितना हो सके पीछे की ओर झुकाएं।
शरीर और पीठ की मांसपेशियों को आराम दें।
सेंटर में रहते हुए सांस लें। साइड की तरफ रहते हुए सांस छोड़ें और फिर नॉर्मल सांस लें। सरवाइकल दर्द और पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने पर एक हाथ से करें।