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Author Archives: Zahid Abbas

These 6 habits can create tension in every relationship

Relations: हमारे जीवन की एक सच्चाई यह है कि उसे भी गुजर जाना है। लेकिन सबसे अधिक परेशानी लेकर आता है बुढ़ापा। ऐसा समय जब हम बीमारियों से भी घिरे रहते हैं और रिश्ते की डोर भी समय के साथ कमजोर होने लगती है। इसका बड़ा कारण कुछ आदतें होती हैं जो हमने अपने जीवन में वर्षों पहले से लगा रखी होती हैं। हम आपको कुछ ऐसी ही आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आप पहले से छोड़कर अपने उस समय के लिए अपने रिश्तों को और मजबूत कर लेंगे जब आपको उन रिश्तों की सबसे ज्यादा जरूरत होगी, यानी आप के बुढ़ापे में।

6 आदतें जिन्हें छोड़ना है रिश्ते की गारंटी

1. उम्मीद अधिक लगाना

पति-पत्नी के बीच संवाद जरूरी

साइकोलॉजिस्ट और रिलेशनशिप कंसल्टेंट के मुताबिक हम अक्सर रिश्तों में ज्यादा उम्मीदें रख लेते हैं, ये सोचकर कि अगर सामने वाला हमारी तरह नहीं सोचे या वही ना करे जो हम चाहते हैं, तो रिश्ता खराब हो जाएगा। लेकिन, ये आदत हमारे रिश्ते में बहुत तनाव पैदा कर सकती है। जब हम अपने साथी से ज्यादा उम्मीदें रखते हैं और उन्हें बदलने की कोशिश करते हैं, तो इसका उल्टा असर होता है। यह सिर्फ हमारे पार्टनर को असंतुष्ट करता है, बल्कि रिश्ते में भी दूरी आ सकती है।

ऐसे में उस वक्त के लिए अभी से तैयारी करें जब आप बैठकर केवल सोच सकेंगे कि क्या सोचा और क्या पाया। अगर आप अपनी उम्मीदों को थोड़ा कम करेंगे और अपने साथी की अच्छाइयों को मानेंगे, तो न सिर्फ रिश्ता मजबूत होगा, बल्कि आप दोनों के बीच प्यार और समझ भी बढ़ेगा और वो लंबे समय तक आपके साथ चलेगा।

2. छोटी छोटी बातों को नजरंदाज न करें

Study on Relationship

कभी-कभी हम रिश्तों में छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं, जैसे एक हल्की मुस्कान, एक अच्छा शब्द या बस एक छोटा सा इशारा। ट्यूटर चेज नाम की एक संस्था की रिपोर्ट कहती है कि स्वस्थ रिश्ता रहने के लिए पार्टनर्स के बीच गेस्चर्स का आदान प्रदान जरूरी है। ये छोटी बातें रिश्ते में बहुत मायने रखती हैं और इनसे रिश्ते में खुशियां और मजबूती आती है। अगर हम इनका ध्यान नहीं देते, तो ये छोटे-छोटे इशारे रिश्ते में दूरियां बना सकते हैं। और ये आप अगर अभी से नहीं करेंगे तो उस उम्र में जब आप को रिश्तों की जरूरत होगी, इसकी शुरुआत तब नहीं हो सकेगी और तब शुरुआत करने पर भी गेस्चर्स अपना काम करें, मुश्किल है।

3. दूसरों की गलतियों को बार-बार याद करना

Study on Relationship

उम्र बढ़ने के साथ अक्सर लोगों में यह आदत होती है और आपको अगर बुजुर्ग होने पर ऐसा नहीं बनना तो उसकी शुरुआत आज से करें ताकि आपकी आदतों में ये शामिल हो सके। हैप्पी फेमिली नाम की एक संस्था के लिए डॉक्टर जस्टिन कॉल्सन ने लिखा है कि यह पैटर्न बहुत आम तौर पर पाया गया है कि ऐसे रिश्ते जो टूटे या फिर कमजोर हुए हैं, उसमें दोनों तरफ से एक दूसरे की ग़लतियों को दोहराने का पैटर्न था।

यहां यह समझना है कि हर इन्सान से गलतियां होती हैं, और रिश्तों में यह सामान्य बात है कि कभी न कभी कोई न कोई गलती करेगा। लेकिन अगर आप हमेशा उन गलतियों को याद करेंगे और पुराने बातों को ताज़ा करेंगे, तो यह रिश्ते में तनाव ही बढ़ाएगा। उस उम्र में जब आपको रिश्ते की जरूरत होगी तो आपके इर्द गिर्द लोग आने से परहेज कर सकते हैं।

4. सुनने की आदत न होना

Sleep Separation: Separation of bedroom for a long time causes distance in relationships

हममें से कई लोग अपनी बातों को ज्यादा अहमियत देते हैं और सामने वाले की बातों को नजरअंदाज कर देते हैं। यही आदत रिश्तों में खटास पैदा करती है। रिश्ते तभी अच्छे होते हैं जब दोनों एक-दूसरे को सुनते और समझते हैं। लाइफ काउंसिलिंग इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट कहती है कि न सुनना, किसी भी रिश्ते के अंत की शुरुआत हो सकता है। तो अगर आप भी चाहते हैं कि आपका रिश्ता मजबूत हो, तो अब से पहले सामने वाले की बात पूरी तरह से सुनें।

जल्दी से प्रतिक्रिया देने के बजाय, उनकी बातों को समझने की कोशिश करें। जब आप अपने साथी की बातों को अहमियत देंगे, तो वह भी आपके विचारों की कद्र करेगा। इससे न सिर्फ आपका रिश्ता मजबूत होगा, बल्कि आप दोनों के बीच समझ और नज़दीकी भी बढ़ेगी। यह नजदीकी उस वक्त आपके ज्यादा काम की होगी जब आपको अपने साथी या किसी रिश्ते की जरूरत होगी और आपको प्यार चाहिए होगा।

5. वक्त नहीं है, मत बोलिए

Sleep Separation: Separation of bedroom for a long time causes distance in relationships

हम अक्सर यह बहाना बनाते हैं कि समय की कमी है, खासकर जब हम काम में व्यस्त होते हैं या और कोई जिम्मेदारियां होती हैं। लेकिन अगर हम यही सोचने लगें कि हमारे पास समय नहीं है, तो इससे रिश्तों में दूरी आ सकती है और फिर आप अकेलेपन का शिकार होने लगेंगे।

आप यह सोचिए कि उस वक्त जब आप अपनी उम्र के ऐसे पड़ाव पर हों जहां आप शारीरिक तौर पर भी कुछ कमजोर हों और आपको मानसिक मजबूती के लिए भी रिश्ते चाहिए हों। लेकिन न सुनने की आदत की वजह से आपने तो रिश्ते गंवा दिए हैं। फिर उस उम्र में आप मुश्किल में होंगे। इसलिए सबसे पहले वक्त की कमी का बहाना बना कर रिश्तों को टालना छोड़ दें।

6. नकारात्मक सोच रखना

Relation

एक रिपोर्ट कहती है कि अगर आप हमेशा हर चीज़ को नकारात्मक तरीके से देखते हैं, तो यह आपके रिश्तों में तनाव पैदा कर सकता है। जब हम हर बात में परेशानी ढूंढ़ते रहते हैं, तो रिश्ते में प्यार और समझ की कमी होने लगती है। एक्सपर्ट के मुताबिक उम्र के उस पड़ाव पर जब हम सीख लेते हैं कि हमें क्या नहीं करना, जहां हमारे पास रिश्तों में खुद को बदलने का वक्त होता है तो यह हमारे लिए लाइफटाइम का वरदान बन जाता है। पॉजिटिव सोच की उम्र के उस पड़ाव पर सबसे ज्यादा जरूरत होती है जब हम उम्र के उस पड़ाव पर हों जहां हमें शारीरिक तौर पर दिक्कत हो सकती है। और अगर ऐसे में हम नकारात्मक रहे तो रिश्ते भी प्रभावित होंगे और हम खुद किसी भी बीमारी या समस्या से लड़ नहीं सकते।

फोटो सौजन्य- गुगल

Actress Mamta Kulkarni became Mahamandaleshwar Shri Yamai Mamta Nand Giri

प्रयागराज: बॉलीवुड की सबसे बोल्ड अभिनेत्रियों में से एक Mamta Kulkarni अब अदाकारा से महामंडलेश्वर बन गईं हैं। महाकुंभ में पिंडदान और संगम में स्नान के बाद किन्नर अखाड़े की आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता का पट्टाभिषेक करते हुए उन्हें नए नाम से भी नवाजा। ममता कुलकर्णी अब यमाई ममता नंद गिरि बन चुकी हैं। ममता वैसे तो तकरीबन दो दशक से साध्वी जैसी ही जीवन जीने का दावा करती रही हैं।

Actress Mamta Kulkarni became Mahamandaleshwar Shri Yamai Mamta Nand Giri

उन्होंने महामंडलेश्वर बनने से ठीक पहले भी कहा कि इस उपाधि को पाने से पहले उनकी परीक्षा भी ली गई है। ममता का कहना है कि 23 वर्ष तक की गई तपस्या, साधना और ध्यान से संबंधित ढेर साले प्रश्न पूछे गए। हर प्रश्न का सही जवाब देने और कई तरह की परीक्षाओं में पास होने के बाद उन्हें यह उपाधि मिली है।

ममता एक दिन पहले ही महाकुंभ में पहुंची थीं। यहां आने से पहले उन्होंने अपना एक वीडियो भी इंस्टग्राम पर पोस्ट करते हुए कहा था कि वह महाकुंभ में मौनी अमावस्या के स्नान के लिए जाने वाली हैं। उससे पहले काशी विश्वनाथ और अयोध्या भी जाएंगी। पर काशी के बजाए वह प्रयागराज आ गईं। यहां किन्नर अखाड़े की आचार्य लक्ष्मी नारायण के पास पहुंचीं और उनसे सनातन धर्म को आगे बढ़ाने के लिए काम करने की इच्छा जताई।

आचार्य लक्ष्मी नारायण ने ममता की इच्छा को लेकर कहा कि वह हम लोगों से करीब डेढ़ साल से संपर्क में थीं। इससे पहले भी वह जूना अखाड़े में महामंडलेश्वर के साथ थीं। उनके गुरु के ब्रह्मलीन होने के बाद उन्हें दिशा नहीं मिल रही थी। इस पर उन्होंने इच्छा जाहिर की कि वह सनातन से पूर्ण रूप से जुड़ना चाहती हैं। इसके बाद आईं और कहा कि मुझे कुछ पद चाहिए, मुझे महामंडलेश्वर बनना है।

आचार्य ने कहा, ‘ममता वृंदावन के आश्रम के लिए आगे प्रचार प्रसार करना चाहती हैं। इस पर हमने उनके सामने इसके लिए कुछ शर्त रखी। उनसे कहा गया कि इसके लिए उन्हें संन्यास लेना होगा। पूरी दुनिया छोड़कर हमारी दुनिया में रहना होगा। यह भी छूट दी कि आपको बॉलीवुड या कहीं धार्मिक रोल मिलता है तो कर सकती हैं, हम किसी की कलाकारी में रोक नहीं लगाएंगे। जो भी सनातन के ध्वज में आएगा तो उसे आगे लेकर चलेंगे। कहा कि वह पूर्ण रूप से सनातन में शरणागत होकर आई हैं। जो भी बच्चा सनातन धर्म में आएगा, हम किन्नर अखाड़ा उसको अपनाएगा। यह भी कहा कि उन्हें आगे प्रवक्ता भी बनाया जाएगा, पूरा अखाड़ा बैठकर इस बारे में निर्णय लेगा।’

फोटो सौजन्य- गूगल

Excessive use of perfume for skin can cause big problems for you

सर्द मौसम में अक्सर लोग शरीर की दुर्गंध से निजात पाने को लेकर डियो और PERFUME का प्रयोग करने लगते हैं। लेकिन सोचे कि दुर्गंध दूर करने का दम भरने वाले ये प्रोडक्ट्स दिनभर तन पर लगाए रखने की वजह से किस तरह से आपके स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि इसे लगाने से दिनभर हम अच्छी फ्रेगरेंस को फील करते हैं। मगर बता दें कि इसका ज्यादा इस्तेमाल सिरदर्द, रैशेज, एलर्जी और कॉन्टैक्ट एक्जिमा समेत कई समस्याओं का कारण बनने लगता है। इसमें मौजूद रासायनिक तत्व शरीर को कई तरह से प्रभावित करने लगता है। आइये जानते हैं परफ्यूम से शरीर को होने वाले नुकसान के बारे में-

परफ्यूम का स्किन पर असर

रिपोर्ट के मुताबिक सुगंधित उत्पादों में थैलेट्स, एल्डीहाइड्स, पैराबेंस और एल्युमीनियम समेत कई कंपाउड पाए जाते हैं। इसके कारण स्किन एलर्जी, स्तन कैंसर, रिप्रोडक्टिव डिसऑर्डर, माइग्रेन और रेस्पीरेटरी समस्याओं का खतरा बना रहता है। स्किन केयर उत्पादों में मौजूद खुशबू में गेरानियोल, यूजेनॉल, सिट्रोनेलोल, फथलेट्स जैसे एलर्जेंस होते हैं। इनसे त्वचा की एलर्जी, हाइव्स, खुजली, रैशेज़, छींक और पिगमेंटेशन की समस्या बनी रहती है।

एक्सपर्ट बताती हैं कि परफ्यूम का इस्तेमाल भले ही खुशबू के लिए किया जाता है लेकिन इसमें मौजूद कुछ केमिकल्स आपकी त्वचा और सेहत पर हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक परफ्यूम में इस्तेमाल होने वाले सिंथेटिक सुगंधित तत्व और प्रिज़र्वेटिव्स से एलर्जी, जलन और रैशेज़ जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कई बार ये समस्याएं तुरंत दिखाई नहीं देतीं पर लंबे समय तक परफ्यूम के इस्तेमाल से त्वचा की संवेदनशीलता बढ़ सकती है।

परफ्यूम से स्किन को होने वाले नुकसान

1. रैशेज़ की समस्या

परफ्यूम में मौजूद केमिकल्स से त्वचा पर खुजली, लाल चकत्ते और सूजन की समस्या बढ़ने लगती है। इसमें मौजूद केमिकल्स से त्वचा की नमी कम होने लगती है और स्किन ग्लो में बदलाव आने लगता है। इससे स्किन डलनेस और इरिटेशन बढ़ जाती है। साथ ही त्वचा पर सूजन की समस्या भी बढ़ने लगती है ।

2. त्वचा का सूखापन

सर्द मौसम में अधिक मात्रा में पानी न पीना डिहाइड्रेशन को बढ़ाता है। लेकिन साथ ही परफ्यूम का अत्यधिक इस्तेमाल भी इस समस्या का कारण सिद्ध हो सकता है। दरअसल, परफ्यूम अल्कोहल बेस्ड होते हैं, जिससे त्वचा की नमी छिन जाती है और रूखापन बढ़ने लगता हैं। साथ ही त्वचा पर दाने नज़र आने लगते हैं।

3. एलर्जी का खतरा

इसके लगातार इस्तेमाल से आंखों में जलन, छींकना और खुजनी बढ़ने लगती है। दरअसल, परफ्यूम में इथेनॉल की उच्च मात्रा पाई जाती है, जो हर उम्र के लोगों के लिए खतरनाक साबित होती है। एनवायरमेंटल वर्किंग ग्रुप के रिसर्च के मुताबिक परफ्यूम में मौजूद 34 फीसदी इंग्रीडिएंटस में विषाक्तता यानी टॉक्सीसिटी पाई जाती है।

4. सन सेंसीटिविटी

सुबह परफ्यूम लगाने के बाद धूप में जाने से त्वचा में जलन और पिगमेंटेशन का भी खतरा बना रहता है। इससे स्किन पर यूवी रेज़ का प्रभाव नज़र आने लगता और सन टैनिंग की भी समस्या बनी रहती है। दरअसल, इसके इस्तेमाल से स्किन इरीटेशन, डिसकलरेशन और जलन की समस्या बनी रहती है और इस स्थिति को फोटो टॉक्सीसिटी भी कहा जाता है। वे लोग जिनकी त्वचा संवेदनशील है उन्हें इससे दूर रहने की जरूरत है।

5. सांस संबधी समस्याओं का जोखिम

परफ्यूम की तेज सुगंध कुछ लोगों में सांस की समस्या या सिरदर्द का कारण बनने लगती है। एक्सपर्ट के मुताबिक परफ्यूम का प्रयोग सीमित मात्रा में करें और त्वचा पर सीधे लगाने से बचें। अगर आपको एलर्जी की समस्या है, तो बिना खुशबू वाले उत्पादों का चयन करें। हेल्थ डायरेक्ट की रिर्पोट के अलुसार लगभग तीन में से हर एक व्यक्ति सुगंधित उत्पादों के संपर्क में आने पर स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त महसूस होता है। इससे अस्थमा अटैक, हे फीवर, सिरदर्द, माइग्रेन, चक्कर आना और सांस लेने में तकलीफ और कंजेशन बढ़ने लगती हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

Entry of HMPV virus in India

चीन के बाद अब भारत में भी HMPV वायरस की एंट्री हो चुकी है। एचएमपीवी यानी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस भारत में काफी तेज रफ्तार से फैल रहा है। भारत में एक ही दिन में 06 HMPV के मामले मिलने से गंभीर स्थिति बन गई है। इसके कारण खुद स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को बयान जारी करना पड़ा। उन्होंने देशवासियों से कहा- ‘सरकार की हर हालात पर नजर बनाए हुए है। फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है। भारत में अब तक एचएमपीवी वायरस के 06 मामले सामने आ चुके हैं।’ चीन में फैली नई बीमारी एचएमपीवी ने भारत की भी चिंता बढ़ा दी है। भारत में अब तक जितने भी केस मिले हैं सभी संक्रमित बच्चे हैं। आइये जानते हैं क्या है एचएमपीवी वायरस।

कुछ ही दिन पहले चीन से कई रिपोर्ट्स आईं है कि चीन में एक वायरस जिसे HMPV कहा जा रहा है, वो तेजी से फैल रहा है। बच्चे और बूढ़े ज्यादातर इसकी चपेट में हैं। फिर मलेशिया से भी कुछ ऐसी ही खबर आई। भारत में ज्यादातर लोग मलेशिया को टूरिस्ट स्पॉट के जैसा मानते हैं। वहां रह रही भारतीय आबादी भी बड़ी है। ऐसे में वहां से आने वाले लोगों में HMPV वायरस के इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा होगा। भारत में भी कुछ राज्यों में 06 HMPV वायरस के 06 मामले मिल चुके हैं। लेकिन कुछ टेस्ट हैं जिनकी मदद से हम पहचान सकते हैं कि हम HMPV वायरस के शिकार तो नहीं और फिर उसी के मद्देनजर अपना पूरा ख्याल रख सकते हैं।

क्या है HMPV वायरस?

HMPV वायरस का ही प्रकार है जो सर्दी, जुकाम और सांस में दिक्कत जैसी तकलीफें देता है। इसमें इजाफा या फैलने की गुंजाइश ठंड में ज्यादा होती है। ये वायरस खांसने और छींकने से ज्यादा फैलता है। आमतौर पर इसके लक्षण सर्दी जुकाम जैसे ही होते हैं लेकिन बच्चों या बुजुर्गों में ये निमोनिया या ब्रोन्काइटिस जैसे लक्षण भी दिखा सकता है।

भारत में पांव पसार रहा HMPV वायरस?

भारत में अब तक चार राज्यों में HMPV वायरस के 06 केस मिले हैं। ये सारे केस बच्चों में ही हैं और सभी बच्चों की उम्र 03 से 08 महीने के बीच में ही है। इस पर देश के स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का भी बयान आया है। उन्होंने कहा है कि HMPV वायरस कोई नया वायरस नहीं है। उनके अनुसार यह सभी उम्र के लोगों पर असर करता है। WHO अभी इसके असर को मॉनिटर कर रहा है। जैसे ही वह रिपोर्ट आएगी, भारत में उसी अनुसार एक्शन लिया जाएगा।

क्या कोरोना की तरह यह भी पूरी दुनिया में फैल सकता है?

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हमने इस सवाल का जवाब एक सीनियर डॉक्टर ने दिया और कहा कि HMPV वायरस और कोरोना में कुछ समानताएं जरूर हैं।

लक्षण– कोरोना और HMPV वायरस के लक्षणों में बहुत सी समानताएं हैं। जैसे खांसी,सर्दी या जुकाम और सांस लेने में तकलीफ।

पीड़ित– कोरोना की ही तरह HMPV वायरस भी सबसे ज्यादा जिन पर असर करता है वो बच्चे और बुजुर्ग।

बचाव– दोनों वायरस के बचाव के तरीकों में भी समानता ही है। साफ सफाई, इंफेक्टेड व्यक्ति से दूरी और मास्क पहनना, ये सब कोरोना के दौरान भी था और अभी भी जरूरी है। लेकिन डॉक्टर के मुताबिक HMPV वायरस में कोरोना जैसी फैलने की क्षमता नहीं है। साल 2001 में खोजे गए इस वायरस के कोई भी वैरिएन्ट के अब तक कोरोना जितने घातक असर नहीं देखे गए हैं। उन्होंने कहा कि ये कोई नया वायरस नहीं है जिससे हमें घबराने की जरूरत है। पिछले साल भी इसके चीन में फैलने की खबर आई थी। ब्रिटेन, फिनलैंड, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों में पहले भी इसके केस (HMPV cases) मिल चुके हैं।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की(ICMR) डायरेक्टर रह चुकीं सौम्या स्वामीनाथन के मुताबिक HMPV के मामले जरूर भारत में हैं लेकिन इस वायरस से बड़े खतरे जैसी कोई बात नहीं है। ये पुराना वायरस है जो आम तौर पर सांस से जुड़े हुए छोटे इंफेक्शन फैलाता है। बहुत आसानी से हम इससे खुद को बचा सकते हैं। वही सावधानी जो हम सर्दी जुकाम के दौरान लेते हैं। जैसे- मास्क पहनना, साफ-सफाई रखना और भीड़ से बचना। पर तकलीफ ज्यादा बढ़े तो डॉक्टर के पास जरूर जाएं।

एचएमपीवी वायरस के लिये टेस्ट

डॉक्टर के अनुसार अब तक इस वायरस को डिटेक्ट करने में सबसे सटीक टेस्ट साबित हुआ है आरटीपीसीआर। लेकिन अलावा इसके भी कुछ टेस्ट हैं जो काम आ सकते हैं, जैसे कोरोना के दौरान भी कई सारे टेस्ट प्रचलन में थे।

1. RT-PCR टेस्ट (Reverse Transcription Polymerase Chain Reaction)

HMPV वायरस को डिटेक्ट करने का यह सबसे आसान और भरोसेमंद तरीका है। इसमें नाक या गले के स्वाब से सैंपल लिया जाता है और लैब में वायरस की मौजूदगी का पता लगाया जाता है।

2. एंटीजन टेस्ट

इस टेस्ट में भी नाक या गले से सैंपल लिया जाता है। यह टेस्ट जल्दी परिणाम देता है, लेकिन RT-PCR से कम सटीक हो सकता है।

3. स्पर्म/ ब्लड टेस्ट

कुछ मामलों में, खून या म्यूकस सैंपल के जरिए भी वायरस की पहचान की जा सकती है। हालांकि आम तौर पर डॉक्टर इसका कम ही इस्तेमाल करते हैं।

HMPV संक्रमितों से कैसे करें अपना बचाव

1. लक्षण देखें

अगर किसी व्यक्ति को बुखार, खांसी, गले में खराश या सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और खुद को दूसरों से अलग रखें। यह वायरस हवा के जरिए फैल सकता है, इसलिए इसका जल्दी डायग्नोस किया जाना जरूरी है।

2. मास्क पहनें

कोई भी जो ऐसी जगह से आया हो जहां उसके HMPV केसेस (HMPV cases) ज्यादा रहे हों या इस वायरस से इंफेक्टेड होने का खतरा हो तो ऐसे व्यक्ति को मास्क जरूर लगाना चाहिए। खासकर पब्लिक प्लेसेस पर और आप भी अगर ऐसे व्यक्ति के नजदीक जा रहे हों तो मास्क के बगैर ना जाएं।

सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनना बहुत जरूरी है। यह वायरस के फैलने से बचाता है, खासकर तब जब व्यक्ति संक्रमित हो या लक्षण दिख रहे हों।

3. हाथों को धोएं

यात्रा के बाद और सार्वजनिक जगहों पर जाने के बाद हाथों को अच्छे से धोएं। यदि पानी और साबुन नहीं है तो हैंड सैनिटाइज़र जरूर अपने साथ रखिए और उसका इस्तेमाल करिए।

4. दूरी बनाए रखें

कोई भी व्यक्ति जिससे आपको संक्रमण का खतरा हो या वो ऐसी जगह से आया हो जहां संक्रमण फ़ाइल रहा हो, तो आप उससे कम से कम 6 फीट की दूरी बना कर रखिए। संक्रमित व्यक्ति से कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखें, ताकि वायरस से बचा जा सके।

5. घर में हवा पास होने दें

एयरटाइट जगहों पर वायरस के रुकने और पनपने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसे में घर को हवादार रखें ताकि हवा पास होती रहे और आप वायरस के खतरे से बच सकें।

फोटो सौजन्य- गूगल

Super Food

Immunity: जब मौसम सर्दियों का हो तो कभी जुकाम तो कभी स्किन प्रॉब्लम का खतरा बढ़ जाता है। अलावा इसके बुजुर्गों को जोड़ों में दर्द और हृदय में जकड़न के जोखिम को भी बढ़ा देती है। ऐसे में शरीर को हेल्दी रखने के लिए खानपान का ख्याल रखना जरूरी है। अगर आप भी मौसमी बीमारियों के कुप्रभावों से बचना चाहती हैं तो कुछ ऐसे सुपरफूड्स को आहार में जरूर शामिल करें जिससे शरीर में रोग से लड़ने की क्षमता को बढ़ाया जा सके। आइये जानते हैं कुछ खास सुपरफूड्स काम्बो के बारे में जिन्हें आहार में शामिल करके इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद मिलती है-

ज्यादातर आहार में फ्लेवर एड करने के लिए कई तरह के मसाले और टेस्ट मेकर्स को रेासपी में मिलाया जाता है जिससे कि आहार की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सके। मगर इसमें पोषण को बढ़ाने के लिए सुपरफूड्स को जोड़ने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगती है। इन सप्लीमेंट्स को मसालों, पत्तियों या फूड्स के तौर पर एड किया जा सकता है। इससे बॉडी को एंटीऑक्सीडेंटस और एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज़ की प्राप्ति होती है।

डायटीशियन बताती हैं कि इम्यून सिस्टम बूस्ट करने के लिए पौष्टिक आहार के सेवन से पहले गट हेल्थ को मज़बूत रखना जरूरी है। इसे शरीर में हेल्दी बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। शरीर की हेल्दी फंक्शनिंग की मदद से शरीर के वज़न को संतुलित रखा जा सकता है और एनर्जी का स्तर उचित बना रहता है।

इन सुपरफूड्स को मिलाकर इम्यून सिस्टम को करें मजबूत

1. दही और पालक

Super Food with Curd

दही के सेवन से जहां प्रोबायोटिक्ट की मात्रा प्राप्त होती है, तो वहीं पालक में मौजूद बीटा कैरोटीन और फाइटोन्यूट्रिएंट्स की मात्रा शरीर को फ्री रेडिकल्स के खतरे से बचाने में मदद करते है। विटामिन डी के मुख्य स्रोत दही को ब्लैंड करके उसमें कटी हुई पालक को डालकर खाने से न केवल गट हेल्थ मज़बूत होती है बल्कि आयरन और फोलेट की प्राप्ति होती है।

अलावा इसके पोषक तत्वों का एबजॉर्बशन भी बढ़ने लगता है। USDA के अनुसार आहार में 01 कप दही को शामिल करने से 28 फीसदी फासफोरस, 10 फीसदी मैग्नीशियम और 12 फीसदी पोटेशियम की प्राप्ति होती है। इसकी मदद से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।

2. हल्दी और काली मिर्च

Turmeric Powder with Daal

हल्दी में एंटी इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं। इसमें मौजूद एक्टिव कंपाउड संक्रमण के प्रभाव को कम करने में मदद करते है। इसके अलावा हल्दी मे पाई जाने वाली करक्यूमिन की मात्रा इंफ्लामेशन को कम करके हेल्दी ब्लड वेसल्स की फंक्शनिंग में मदद करती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा अलसरेटिव कोलाइटिस से राहत दिलाती है।

किसी भी रेसिपी में हल्दी के साथ काली मिर्च को मिलाकर खाने से शरीर को पिपरिन की प्राप्ति होती है, जिससे पोषक तत्वों का एबजॉर्बशन बढ़ने लगता है। खिचड़ी को तैयार करने के दौरान हल्दी के साथ काली मिर्च को मिलाकर खाने से शरीर को फायदा मिलता है।

3. टमाटर में मिलाएं अदरक

आहार में टेस्ट का तड़का जोड़ने के लिए अदरक का इस्तेमाल किया जाता है। इसके सेवन से शरीर में खांसी जुकाम का खतरा कम होने लगता है और पाचनतंत्र मज़बूत बनता है इसके सेवन से शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स की मात्रा बढ़ती है, जिससे इम्यून सिस्टम को बूस्ट किया जा सकता है। वहीं टमाटर में मौजूद लाइकोपिन कंपाउड से शरीर में हृदय रोगों और कैंसर के चातरे को कम किया जा सकता है। लाइकोपिन फैट सॉल्यूबल है, जिससे इसके एबजॉर्बशन में मदद मिलती है। टमाटर के सूप में अदरक के पेस्ट को एड करके सेवन करने से शरीर को पोषण की प्राप्ति होती है।

4. आंवला में शहद मिलाकर खाएं

मेडिसिनल प्रॉपर्टीज़ से भरपूर आंवला में विटामिन सी की उच्च मात्रा पाई जाती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंटस मौसमी संक्रमण के प्रभाव को कम करके शरीर को विटामिन और मिनरल प्रदान करते हैं। इसमें पाई जाने वाली एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज़ से बैक्टीरिया और पायरस के प्रभाव को कम किया जा सकता है। वही शहद को आंवला में मिलाकर खाने से डाइजेस्टिव सिस्टम बूस्ट होता है और विटामिन सी की प्राप्ति से एजिंग का प्रभाव कम होने लगता है। कटे हुए आंवला में शहद मिलाकर स्टोर कर लें। रोज़ाना एक चम्मच इस का सेवन करने से शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है, जिससे वेटलॉस में भी मदद मिलती है।

5. शकरकंदी और एवोकाडो

बीटा कैरोअीन से भरपूर शकरकंदी अक्सर सर्दियों में खाया जाने वाला सुपरफूड है। इससे आहार में स्वाद के साथ पोषण को जोड़ा जा सकता है। इसके सेवन से शरीर को विटामिन ए की प्राप्ति होती है। वहीं इसमें एवोकाडो को मिलाने से शरीर में फैटी एसिड की कमी को पूरा किया जा सकता है। इन दोनों को मिलाकर खाने से इम्यून सिस्टम को बूस्ट किया जा सकता है ।

6. पपीते में काली मिर्च को करें एड

विटमिन A और C से भरपूर पपीते का सेवन करने से डज्ञइजेशन समेत ओवरऑल हेल्थ को फायदा मिलता है। अलावा इसके फाइबर की उच्च मात्रा मेआबॉलिज्म को भी बूस्ट करने में मदद करता है। इसमें काली मिर्च को जोड़कर खाने से व्हाइट ब्लड सेल्स की मात्रा बढ़ने लगती है, जिससे शरीर में बैक्टीरिया और वायरस का प्रभाव कम होने लगता है।

फोटो सौजन्य- गूगल

Hot Water: Why is it important to drink hot water in winter

Hot Water: वैसे ये बात हर किसी को मालूम है कि शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए पानी बहुत जरूरी है। ज्यादातर लोग अपनी प्यास मिटाने के लिए ठंडा पानी लेना पसंद करते हैं लेकिन सर्दी शुरू होते ही लोग ठंडे से पानी पीने से परहेज करने लगते हैं। मगर असल सवाल ये कि क्या वाकई ठंडे पानी की तुलना में गर्म पानी हेल्थ को कोई फायदा पहुंताचा है। आइये जानते हैं एक्सपर्ट से कि क्यों गर्म पानी पीना जरूरी है और इससे शरीर की क्या बेनिफिट मिलते हैं।

जर्नल ऑफ फूड साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक गर्म पानी पीने के लिए तापमान को 130 से 160 डिग्री एफ तक रखें। इससे ज्यादा तापमान पर गर्म पानी पीने से जीभ और गले में छाले बनने लगते हैं। इसके पोषण को बढ़ाने के लिए नींबू का रस डालें और पीएं।

एक डायटीशियन बताती हैं कि पानी स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है और हेल्दी बॉडी फंक्शनिंग के लिए रोज़ाना पर्याप्त मात्रा में पानी पीना बहुत ज़रूरी है। हांलाकि कई लोग हर मौसम में ठंडा पानी पीना पसंद करते हैं लेकिन गर्म पानी पीने के शरीर को कई फ़ायदे मिलते हैं जिन्हें अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। सुबह उठने के बाद और सोने से पहले गर्म पानी पीने से शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है और पाचन को बढ़ावा मिलता है। साथ ही बैली फैट को कम करने में भी मदद मिलती है।

गुनगुना पानी पीने के फ़ायदे

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1. पाचन में फायदा

गर्म पानी डाइजेस्टिव ऑर्गन्स को उत्तेजित करता है। इससे पाचन तंत्र में रक्त के प्रवाह को बढ़ावा मिलता है, जिससे बेहतर पाचन और नियमित बॉवल मूवमेंट में मदद मिलती है। नियमित रूप से गर्म पानी पीने से शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थों को डिटॉक्स किया जा सकता है। इससे एसिडिटी और ब्लोटिंग से भी बचा जा सकता है।

2. वजन घटाने में अहम रोल

गर्म पानी पीने से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और पेट भरा हुआ महसूस होता है। इससे एपिटाइट को नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही शरीर में जमा चर्बी को बर्न करमे में भी मदद मिलती है। इससे सूजन और कब्ज की समस्या हल हो जाती है। इससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है, जिससे वेटगेन की समस्या हल हो जाती है।

3. ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाए

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सुबह उठकर खाली पेट गुनगुना पानी पीने से ना सिर्फ डाइजेशन बूस्ट होता है बल्कि शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन भी बढ़ने लगता है। इससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हल हो जाती है। साथ ही शरीर में एकत्रित होने वाले वसा से बनने वाले ब्ल्ड क्लॉटिंग से भी राहत मिलती है। इससे आर्टरीज़ और वेन्स एक्सपैंड हो जाती हैं, जिससे ब्लड का फ्लो उचित बना रहता है।

4. ठंड में बढ़ने वाली ठिठुरन कम हो जाती है

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक ठंड की स्थिति में शरीर में कपकपी बढ़ जाती है। मगर गर्म तरल पदार्थ पीने से कंपकंपी कम हो सकती है। शरीर को अंदरूनी गर्माहट मिलने लगती है और शरीर एक्टिव बना रहता है। बता दें कि इससे निर्जलीकरण का जोखिम भी कम हो जाता है। रिसर्च के अनुसार जहां पुरूष को दिनभर में 112 ओंस पानी की आवश्यकता होती है, तो वहीं महिलाओं को 78 आेंस पानी पीना चाहिए।

5. स्ट्रेस कम करने में मिलेगी मदद

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रोजाना गुनगुना पानी पीने से नर्वस सिस्टम हेल्दी रहता है। इससे ब्रेन फंक्शनिंग उचित बनी रहती है और मूड बूस्टिंग में मदद मिलती है। ब्रेन एक्टिव रहने से चीजों को याद रखने की क्षमता बढ़ जाती है और एकाग्रता को भी बढ़ाया जा सकता है। घूंट घूंट कर गर्म पानी पीना चाहिए।

6. नेज़न कंजेशन से राहत

एक कप गर्म पानी पीने से बार बार आने वाली खांसी और सांस लेने में होने वाली तकलीफ से बचा जा सकता है। नाक बंद रहने यानि साइनस से सिरदर्द का जोखिम बना रहता है। इसकी मदद से म्यूक्स को बनने से भी रोका जा सकता है, जिससे एयरवेज को क्लीयर रखने में मदद मिलती है।

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Increasing pollution in the air can be fatal for the heart

Pollution का बढ़ता खतरनाक स्तर सांस से जुड़ी समस्याओं के अलावा हार्ट डिजीज के खतरे को भी बढ़ा रहा है। हवा में मौजूद हानिकारक पार्टिकल्स सांस के जरिए शरीर के भीतर प्रवेश करने के बाद हृदय रोग, सांस की बीमारी और कैंसर सहित अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ा देता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक हर वर्ष पॉल्यूशन से 70 लाख लोगों की मौत होती है। खराब एयरक्वालिटी के कारण हृदय की ब्लड को पंप करने की क्षमता पर असर पड़ता है, जिससे हृदय रोगों का संकट काफी बढ़ जाता है। आइये जानते हैं एयर पॉल्यूशन किस तरह से बढ़ाता है हृदय रोगों का जोखिम-

पॉल्यूशन का हृदय पर असर

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की रिसर्च के मुताबिक वायु प्रदूषण एथेरोस्क्लेरोसिस की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे आर्टरीज़ की वॉल्स में प्लाक बनने लगता है। कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और वसा से प्लाक बनने लगता है, जो हृदय में रक्त के प्रवाह को बाधित कर देता है। इससे हृदय गति प्रभावित होती है और हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और अन्य हृदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है। प्रदूषण से हार्ट हेल्थ को नुकसान पहुंचने के अलावा डायबिटीज़ का खतरा भी बना रहता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हवा में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड हेल्थ रिस्क को बढ़ाती हैं। इसके अलावा हवा में घुले जहरीले कण फेफड़ों में पहुंचकर रक्त प्रवाह में प्रवेश करते हैं। इससे टिशूज़ और रेड ब्लड सेल्स को नुकसान का सामना करना पड़ता है। लंबे वक्त तक महीन पार्टिकुलेट मैटर के संपर्क में रहने से व्यक्ति को स्ट्रोक, हृदय रोग, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और कैंसर जैसी घातक बीमारियों का खतरा बना रहता है।

इस बारे में एक सीनियर डॉक्टर ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर हार्ट पर दिखता है। PM, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूषक जो गाड़ियों के धुएं फैक्ट्रियों और ईंधन जलाने से निकलते हैं, शरीर में जाकर दिल की सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं।

कैसे हृदय स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है प्रदूषण

Increasing pollution in the air can be fatal for the heart

1. हार्ट अटैक का जोखिम

ये प्रदूषक सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंचकर खून में मिल जाते हैं। ये नसों पर असर डालते हैं, जिससे सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ने लगता है। यह नसों में फैट जमा होने का कारण बनता है, जो दिल की बीमारियों और हार्ट अटैक की वजह बन सकता है। लंबे समय तक इन प्रदूषकों के संपर्क में रहने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

2. दिल की धड़कन का बढ़ना

नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड सेहत पर बुरा असर डालते हैं। नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, जो गाड़ियों और पावर प्लांट से निकलती है। फेफड़ों को कमजोर करती है और दिल पर अधिक दबाव बनाए रखती है। वहीं, कार्बन मोनोऑक्साइड खून में ऑक्सीजन पहुंचाने की क्षमता को कम कर देती है, जिससे दिल और शरीर के अन्य हिस्सों को सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। यह दिल की धड़कन को अनियमित कर सकता है और दिल की बीमारियों का कारण बन सकता है।

3. कोलेस्ट्रॉल का लेवल असंतुलित हो जाना

एक अध्ययन के मुताबिक लगातार धुएं और धूल मिट्टी के संपर्क में रहने से शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होने लगता है। प्रदूषण के कारण शरीर में हाई डेंसिटी लिपो प्रोटीन यानी गुड कोलेस्ट्रॉल में कमी आने लगती है। इससे हृदय संबंधी अनय समस्याओं के अलावा बैड कोलेस्ट्रॉल तेजी से बढ़ने लगता है।

4. ब्लड वेसल्स को करता है संकुचित

If you get such signs, then understand that heart problems have started

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार एयरबॉर्न पार्टिक्यूलेट मैटर से हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं। इससे ब्लड वेसल्स संकुचित होने लगती है और रक्त का प्रवाह असंतुलित हो जाता है। इसके अलावा ब्लडप्रेशर में वृद्धि, रक्त के थक्के जमना, कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज और स्ट्रोक का खतरा बना रहता हैं। बच्चे, बुजुर्ग और हार्ट के मरीज वायु प्रदूषण के असर से ज्यादा प्रभावित होते हैं।

इन सुझावों की मदद से समस्या को दूर किया जा सकता है

  • गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करना गले की सूजन को कम करता है और राहत देता है। दिन में दो बार गरारे करने से गले में मौजूद संक्रमण को दूर किया जा सकता है।
  • अदरक और शहद की चाय पीने से गले में आराम मिलता है और कफ साफ होता है। इससे फेफड़ों में बढ़ने वाले संक्रमण से बचाव होता है और म्यूक्स का उत्पादन कम होने लगता है।
  • इनडोर पॉल्यूशन से खुद को बचाव करनेअ के लिए घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और इनडोर प्लांटस भी लगाएं। अलावा इसके बाहर निकलते समय मास्क लगाना न भूलें।
  • अपने शरीर को निर्जलीकरण से बचाने का प्रयास करें। इससे गले में दर्द और खराश कम होती है। ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं ताकि गला और फेफड़े नम बने रहें और सेहत ठीक रहे।

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Keep the intimate area fresh and healthy

Intimate Area बॉडी का सबसे संवेदनशील पार्ट होता है। जिस तरह आप अपनी स्किन और बालों का केयर करती हैं, ठीक उसी प्रकार थोड़ा वक्त वेजाइना और एनस की देखभाल में भी देना चाहिए। अक्सर लोग नहाते हुए अपने इंटिमेट एरिया को साफ करते हैं, उसके बाद पूरे दिन इस पर कोई ध्यान नहीं देते हैं। इसलिए कई दफा यह अनकंफर्ट की वजह बन जाता है। इंटिमेट एरिया मतलब कि वेजाइना और एनस को डेली हजार तरह के कीटाणुओं का सामना करना पड़ता है।

इंटिमेट एरिया का ख्याल रखने से इरिटेशन, गीलापन और किसी तरह के संक्रमण से आप दूर रहेंगी, अन्यथा आप सामान्य डेली रूटीन की गतिविधियों को करने में सक्षम महसूस नहीं करेंगी। अनक्लीन इंटिमेट एरिया आपके मूड को इरिटेट कर देती है। ऐसी परिशानियों से बचने को लेकर अपनी इंटिमेट एरिया को फ्रेश रखना आवश्यक है।

गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट की एक सीनियर डायरेक्टर ने इंटिमेट एरिया को फ्रेश रखने के कुछ प्रभावी टिप्स सुझाएं हैं। आइये जानते हैं, फ्रेश और हेल्दी इंटिमेट एरिया मेंटेन करने के कुछ टिप्स-

जानें इंटिमेट एरिया में तरोताजा बनाए रखने के कुछ टिप्स

Keep the intimate area fresh and healthy

1. वेजाइना को दिन में 2-3 बार क्लीन करें

आमतौर पर महिलाएं सुबह नहाने के वक्त एक बार वेजाइना को क्लीन करती हैं, उसके बाद उन्हें अपनी इंटिमेट एरिया का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रहता। यह एक गलत प्रैक्टिस है, दिन में कम से कम 2 से 3 बार अपनी वेजाइना को क्लीन करें। इसके लिए आपको हल्के गुनगुने पानी से अपनी वेजाइना को क्लीन करना है, और टिश्यू या सॉफ्ट टॉवेल से उसे अच्छी तरह से ड्राई कर लें। इस तरह आपको अंदर से तरोताजा महसूस करने में मदद मिलेगी।

2. यूरिन पास करने बाद वेजाइना को रखें ड्राई

टॉयलेट इस्तेमाल करने के बाद सीधे पैंटी पहन लेने से वेजाइना में चिपचिपापन महसूस हो सकता है, साथ ही बार बार ऐसा करने से खुजली महसूस हो सकती है। इन परेशानियों को अवॉइड करने के लिए यूरिन पास करने के बाद टिशू पेपर से अपनी वेजाइना को ड्राई कर लें। आप चाहें तो पानी से क्लीन करने के बाद इसे ड्राई करें।

3. पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं

पूरे दिन में पर्याप्त मात्रा में पानी पीने का प्रयास करें, विशेष रूप से तब जब आपको प्यास का अनुभव हो रहा हो। जब बॉडी हाइड्रेशन मेंटेन रहता है, तो वेजाइना भी तरोताजा रहती है। डिहाइड्रेशन आपकी वेजाइना को चिपचिपा और स्मेली बना सकता है। यदि मुमकिन हो तो दिन में एक बार डिटॉक्स वॉटर जरूर पिएं, इससे आपका पाचन क्रिया संतुलित रहता है और आप अधिक फ्रेश महसूस करती हैं।

4. सही तरीके से करें वाइप

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स्टूल पास करने के बाद अपने एनस को टिशू की मदद से आगे से पीछे की ओर क्लीन करें। अगर आप पीछे से क्लीन करते हुए आगे की ओर आती हैं, तो इससे आपकी योनी में बैक्टीरिया का ग्रोथ बढ़ जाता है और आप संक्रमित हो सकती हैं।

5. दिन में एक बार जरूर क्लीन करें एनस

आजकल बहुत से लोग ऐसे हैं, जो स्टूल पास करने के बाद, टिशू पेपर या केवल पानी से अपने एनस को क्लीन करते हैं। पर सभी को नहाने के बाद पूरे दिन में कम से कम एक बार स्टूल पास करने के बाद अपने एनस को पानी से अच्छी तरह क्लीन करने के बाद उसे टिशू पेपर से पूरी तरह ट्राई करना चाहिए। इस प्रकार संक्रमण और खुजली का खतरा कम हो जाता है।

6. बीच-बीच में वॉक करती रहें

आप ऑफिस जाती हैं या घर पर रहती हैं, लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठी न रहे। एक से डेढ़ घंटे के अंतराल पर उठे और अपने पैरों को थोड़ा स्ट्रेच करें, ताकि वेजाइना को सांस लेने की जगह मिल सके। क्योंकि एक जगह पर पर दबाकर बैठे रहने से वेजाइना अनकंफरटेबल हो जाती है और हवा ट्रैप हो जाता है। जिसकी वजह से पसीना आता है और आपको अनकंफरटेबल महसूस हो सकता है।

7. कॉटन की पैंटी और हल्के कपड़े पहने

अपनी इंटिमेट एरिया को तरोताजा रखने के लिए हमेशा कॉटन की पैंटी और ढीले ढाले कपड़े पहनें, जिससे कि एनस और वेजाइनल एरिया में हवा पास होती रहे। यदि आपके कपड़े आपकी बॉडी से चिपके रहते हैं, तो अधिक पसीना आता है और वे उन्हीं एरिया में ट्रैप हो जाता है। जिसकी कारण इचिंग और अनकंफरटेबल महसूस हो सकता है। वहीं कई बार वेजाइना काफी चिपचिपी हो जाती है।

8. रात को पैंटी उतार कर सोएं

रात को पैंटी उतार कर सोने से आपकी वेजाइना रिलैक्स हो जाती है। पूरे दिन आपके इंटिमेट एरिया कपड़ों से ढके रहते हैं, इसलिए इन्हें सांस लेने की आजादी देना बहुत जरूरी है। पैंटी उतार कर सोने से सुबह उठने के बाद आपकी वेजाइना एकदम तरोजाताजा रहती है।

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Pre-Wedding Skin Care: मैरेज की डेट पलक झपकते ही सामने चली आती है लेकिन उससे पहले दुल्हन की खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए शुरू किए जाने वाले ट्रीटमेंट को सिलसिलेवार ढंग से ब्यूटी कैलेंडर में एड करना जरूरी है। जाहिर है स्किन को पैंपर करने के लिए प्री वेडिंग योजना का तैयार होना जरूरी है। दरअसल, वेडिंग के दरम्यान दुल्हन अक्सर शॉपिंग और नई जुड़ने वाले रिश्तों के मद्देनजर तनाव में रहती है जिसका असर चेहरे पर भी दिखने लगता है। ऐसे में लुक को परफेक्ट बनाने के लिए इस स्किन केयर रूटीन का ख्याल रखना जरूरी हो जाता है। यहां हम आपको होने वाली दुल्हनों के लिए एक प्री वेडिंग स्किन केयर रूटीन दे रहे हैं, ताकि आप अपने स्पेशल दिन पर और भी खूबसूरत नजर आएं।

ब्यूटी एक्सपर्ट बताती हैं कि प्री वेडिंग स्किन केयर रूटीन के लिए ग्लो को बनाए रखने के लिए क्लीजिंग जरूरी है। अलाव इसके स्किन पर बढ़ने वाले दाग धब्बों को कम करने और पोर्स टाइटनिंग के लिए मॉइश्चराइजे़शन से लेकर फेशियल मसाज करने से स्किन ग्लो बढ़ने लगता है। ऐसे में ऑयली स्किन पर बढ़ने वाले ब्लैकहेड्स से निपटने के लिए स्क्रब करना फायदेमंद है। साथ ही हैंड क्लीनिंग और फुट मसाज भी ब्यूटी रूटीन में अवश्य शामिल करें।

स्किन केयर रूटीन के लिए ये टिप्स को करें फॉलो

Pre wedding skin care means enhancing the beauty of the bride

1. पहले अपने स्किन टाइप को जाने

अगर आपकी स्किन ऑयली है और स्किन पोर्स लार्ज है, तो ऐेसे लोगों को ब्लैकहेड्स की समस्या बनी रहती है। ऐसे में क्रीमी बेस्ड प्रोडक्टस की जगह जेल बेस्ड प्रोडक्टस का इस्तेमाल करें। वे लोग जिनकी त्वचा रूखी या नॉर्मल है उन्हें क्रीम बेस्ड मॉइश्चराइज़र से लेकर लोशन का प्रयोग करना चाहिए।

2. स्किन कंडीशन्स का रखें ध्यान

Let us know why the skin becomes lifeless in summer and why does one feel tired

वे लोग जिनकी स्किन सेंसिटिव है या कुछ लोगों को सन बर्न या पोलन एलर्जी की समस्या बनी रहती है। उन्हें त्वचा रोग विशेषज्ञ से सलाह लेकर किसी भी प्रोडक्ट को अप्लाई करना चाहिए। इसके अलावा नॉन कॉमिडोजेनिक प्रोडक्टस को ही विकल्प के तौर पर चुनना चाहिए।

3. अपने खानपान का रखें ख्याल

प्री वेडिंग स्किन केयर रुटीन के लिए त्वचा पर फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से बचने के लिए एंटीऑक्सीडेंटस से भरपूर फल और सब्जियों का सेवन करें। इससे स्किन सेल्स को रिपेयर करने में मदद मिलती है। साथ ही फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से भी बचा जा सकता है। इसके अलावा फैट्स को अवॉइड करने के लिए प्रोसेस्ड फूड्स के सेवन से बचें।

4. स्किन क्लीजिंग ना करें आवॉइड

त्वचा का निखार बढ़ाने के लिए किसी भी प्रोडक्ट को अप्लाई करने से पहले चेहरे को क्लीन करना ज़रूरी है। अलावा इसके एलोवेरा जेल और ऑरेज पील पाउडर को दूध में मिलाकर नेचुरल फेस वॉश तैयार कर लें और उससे चेहरे पर मसाज करके क्लीन करें। इससे स्किन में पाई जाने वाली इम्प्यूरिटीज को दूर किया जा सकता है।

5. सनस्क्रीन का करें इस्तेमाल

यूवी रेज़ के प्रभाव से बचने के लिए और अर्ली एजिंग के प्रभाव को राकने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। इससे त्वचा का लचीलापन बढ़ने लगता है और त्वचा पर बनने वाले दाग धब्बों को कम किया जा सकता है। अलावा इसके स्किन टोन में भी बदलाव नज़र आता है। दिन में 02 से 03 बार सनस्क्रीन अवश्य प्रयोग करें।

6. बॉडी को हाइड्रेट रखें

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नियमित मात्रा में पानी पीने से शरीर में मौजूद टाक्सिक पदार्थ रिलीज़ हो जाते है और शरीर हाइड्रेट रहता है। प्री वेडिंग स्किन केयर रूटीन के लिए त्वचा की शाइन को बढाने के लिए दिन में 8 से 10 गिलास पानी पीएं और वॉटर कंटेट से भरपूर खाद्य पदार्थों का भी सेवन करें। साथ ही कैफीन से दूरी बनाकर रखें।

7. मेकअप रिमूव करना जरूरी

शादी से पहले कई कार्यक्रम की लंबी चौड़ी लिस्ट होती है। ऐसे में चेहरे पर मेकअप करने के अलावा उसे रिमूव करना भी आवश्यक है। अन्यथा स्किन डैमेज का खतरा बना रहता है। प्री वेडिंग स्किन केयर रूटीन के लिए त्वचा को क्लीन करने के लिए डीप क्लीजिंग की मदद लें।

8. ब्रीदिंग एक्सरसाइज़

शादी की वजह से बढ़ने वाले तनाव को रिलीज़ करने के लिए दिनभर में कुछ वक्त ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ के लिए निकालें। इससे हार्मोनस का संतुलन बढ़ने लगता है, जिससे चेहरे का ग्लो बना रहता है। इसे करने से शरीर दिनभर एनर्जी से भरपूर रहता है और सोच-फिक्र से राहत मिलती है।

Chhath Puja

Chhath Puja: नहाय खाय के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत हो गई है। चार दिवसीय लोक आस्था व सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय से होता है। इस दिन लौकी की सब्जी, चने की दाल और चावल खाने का महत्व है। इसको बनाने से लेकर खाने तक हर जगह शुद्धता और पवित्रता का खास ध्यान रखा जाता है। इस महापर्व का समापन समापन शुक्रवार 08 नवंबर को उगते सूर्य को अर्ध्य देकर किया जाता है।

बताता चलूं कि छठ पर्व एकमात्र ऐसा सुअवसर है जहां उगते सूर्य के साथ-साथ अस्त होते सूर्य की भी पूजा की जाती है। छठ पूजा सूर्य, प्रकृति, जल, वायु और उनकी बहन छठी मइया को समर्पित है। पार्वती का छठा रूप भगवान सूर्य की बहन छठी मैया को त्योहार की देवी के रूप में पूजा जाता है।

कब है नहाए खाय का शुभ मुहूर्त

Importance of 'Chhath', the great festival of folk faith, from bathing to Arghya

ज्योतिषविद ने बताया कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय खाय होता है। इस दिन व्रती गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करने के बाद सूर्य देव की पूजा करते हैं। इसके बाद सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन में चावल-दाल और लौकी की सब्जी ग्रहण करते हैं।

पंचांग गणना के अनुसार 05 नवंबर को नहाय खाय है। इस महापर्व के सभी मुहूर्त सूर्योदय और सूर्यास्त के टाइमिंग पर निर्भर करता है। पटना में आज 06 बजे सूर्योदय हुआ जबकि शाम 05:06 बजे सूर्यास्त होगा। इसी दौरान व्रती स्नान और ध्यान के बाद सूर्यदेव की पूजा करेंगे और फिर सात्विक भोजन ग्रहण करेंगे।

इसलिए खाते हैं सात्विक भोजन

नहाय खाय के दिन छठ का व्रत रखने वाले पुरुष या महिला सात्विक भोजन का सेवन करते हैं। पहले दिन खाने में ऐसी चीजों को शामिल किया जाता है जिससे व्रत वाले दिन भूख-प्यास कम लगे। नहाय खाय के दिन बिना प्याज, लहसुन के सब्जी बनाई जाती है। इस दिन लौकी और कद्दू की सब्जी बनाने का खास महत्व होता है। नहाय खाय में लौकी, चना की दाल को भात से खाया जाता है।

चार दिन चलने वाला महापर्व

छठ पूजा का आरंभ नहाय खाय से होता है। इसके बाद 06 नवंबर को खरना, 07 नवंबर को सायंकालीन अर्घ्यदान और 08 को प्रातःकालीन अर्घ्य के बाद पारण होगा। इसके साथ ही इस महापर्व का समापन भी होगा।

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