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Author Archives: Zahid Abbas

COVID CASES: Corona knocks again in India

COVID CASES: भारत समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस ने एक बार फिर से पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। भारत में भी कोविड-19 के मामलों में लगातर बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। महाराष्ट्र में शुक्रवार को कोविड-19 के 45 केस सामने आए। इसमें सबसे अधिक मुंबई में 35, पुणे में 04, रायगढ़ में 02, कोल्हापुर में 02 और ठाणे तथा लातूर में एक नए मरीज मिले हैं। मुंबई में अब तक कोरोना के कुल मरीजों की तादाद 183 हो गई है। वहीं, महाराष्ट्र में पॉजिटिव मामले 210 तक पहुंच गए हैं।

कोरोना के ना केवल संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है, बल्कि अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। यानी लक्षण गंभीर हो रहे हैं। भारत में केरल, महाराष्ट्र सहित 257 से अधिक मामले सक्रिय हैं। जबकि मुंबई में दो लोगों की कोविड से मौत हो चुकी है। विशेषज्ञों ने अभी से सावधानी बरतने की सलाह दी है और अनुमान लगाया है कि अगले तीन सप्ताह और भी अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।

कोविड का नया वेरिएंट और ताज़ा आंकड़े 

सिंगापुर, थाईलैंड और हांगकांग में संक्रमितों की जांच के आंकड़ों में सामने आया है कि इस बार संक्रमण का कारण ओमिक्रोन का सब वेरिएंट JN.1 संक्रमण फैला रहा है। इससे कई एशियाई देशों में लोग हल्के से गंभीर लक्षणों के शिकार हो रहे हैं।

अप्रैल के आखिरी और मई के पहले सप्ताह में ही कोविड संक्रमितों की संख्या 14 हजार के पार पहुंच गई है। इनमें सर्वाधिक खराब हालात सिंगापुर और हांगकांग के हैं, जहां हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी गई है। जापान में भी सार्स कोविड के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।

भारत में COVID के सक्रिय मामले

COVID CASES: Corona knocks again in India

कोविड के प्रसार का तरीका पहले जैसा है, जिसने साल 2019 के अंत से मार्च-अप्रैल 2020 तक दुनिया भर में कहर बरपाया था। भारत के बड़े शहरों, जो अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं से सीधे जुड़े हैं, वहां सबसे ज्यादा कोविड के सक्रिय मामले देखे जा रहे हैं। इनमें केरल और मुंबई में सबसे ज्यादा लोग कोविड के सब वेरिएंट जेएन.1 से संक्रमित हुए हैं।

क्या इस वेरिएंट से घबराने की जरूरत है?

कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों और मुंबई में हुई 2 मौतों के बाद लोगों में डर का माहौल है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी तत्काल सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है कि एशिया के कई देशों में कोविड-19 के मामलों में स्पष्ट वृद्धि देखी जा रही है, जिससे स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है। बदलते हुए वायरस वेरिएंट और कम होती रोग प्रतिरोधक क्षमता इस मौजूदा लहर को बढ़ावा दे रही है। इस समय जब लोगों की आवाजाही और सेहत के प्रति लापरवाही भी बढ़ी है।

ओमिक्रॉन स्ट्रेन का नया सबवेरिएंट्स, JN.1 मौजूदा हेल्थ जोखिमों के लिए जिम्मेदार है। यह सबवेरिएंट अत्यधिक संक्रामक है और पहले की तुलना में बेहतर तरीके से रोग प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देने में कामयाब है।

विशेषज्ञ आगे कहते हैं कि हालांकि, यह अधिक घातक नहीं है। इसके तेज़ी से फैलने के कारण कुल मामलों की संख्या में वृद्धि हो रही है। जो लोग पहले से वैक्सीनेटेड हैं, उनमें लक्षण हल्के ही पाए जा रहे हैं।

बूस्टर डोज लेना हो सकता है बचाव का उपाय

विशेषज्ञ के मुताबिक रोग प्रतिरोधक क्षमता समय के साथ कम हो जाती है। इसलिए कई देशों ने बूस्टर डोज लेने की सलाह दी है। एशिया के अधिकांश लोगों ने एक साल से भी पहले अपनी वैक्सीन की खुराक ली थी। समय पर बूस्टर न मिलने के कारण प्रतिरक्षा क्षमता घट जाती है, जिससे बुज़ुर्गों और वे लोग जो अन्य किसी बीमारी से पहले ही ग्रस्त हैं, उनमें संक्रमण का जोखिम और ज्यादा बढ़ जाता है।

महामारी के समय के नियमों में ढील ने समस्या को और गंभीर बना दिया है। लोग अब सामान्य जीवन में लौट आए हैं, मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना और स्वच्छता जैसे उपायों को काफी हद तक छोड़ दिया गया है। सार्वजनिक समारोहों और अंतरराष्ट्रीय यात्रा के फिर से शुरू हो जाने से वायरस को फैलने का भरपूर मौका मिल गया है।

अगले तीन हफ्ते हैं बेहद संवेदनशील

मौजूदा लहर को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है और लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए ताकि संक्रमण से बचा जा सके। अगले तीन हफ्ते इन मामलों में तेजी देखी जा सकती है। फ्यूचर में किसी भी नए म्यूटेशन का समय रहते पता लगाने के लिए निगरानी जारी रखना लाभकारी हो सकता है। इसके अलावा, सतर्कता और जिम्मेदार व्यवहार वायरस को नियंत्रित रखने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

चढ़ते-उतरते मौसम भी इसमें भूमिका निभा रहे हैं। ज्यादातर लोग घरों के अंदर रहने लगे हैं, जहां वेंटिलेशन की कमी होती है और संक्रमण का खतरा अधिक होता है। अलावा इसके अब टेस्टिंग भी कम हो गई है, जिससे केसों की सही संख्या रिपोर्ट नहीं हो पा रही है। असली आंकड़े रिपोर्ट किए गए मामलों से कहीं अधिक हो सकते हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

BEL SHARBAT: Bel Sharbat works as a heat protection

BEL SHARBAT: गर्मी के मौसम में तरह-तरह की स्पेशल फूड्स फेमस है उनमें से एक है बेल। पूरे देश में गर्मी के मौसम में बेल का शरबत लोग जमकर पीते हैं ताकि शरीर गर्मी से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार रहे बेल एक बेहद फायदेमंद और कूलिंग फ्रूट है, जो विशेष रूप से गर्मी के मौसम में फायदेमंद माना जाता है। आप आसानी से घर बेल का शरबत तैयार कर सकती हैं। इनमें कई अहम पोषक तत्वों की गुणवत्ता और प्रॉपर्टीज पाई जाती है, जो सेहत के लिए भिन्न रूपों में फायदेमंद साबित हो सकती है। अगर आपने अभी तक इस उम्दा फल का आजमाया नहीं है तो इस गर्मी इसे जरूर आजमाएं।

आपके लिए हम इसकी काफी आसान रेसिपी लेकर आए हैं, जिसे आप 10 मिनट में तैयार कर सकती हैं। यह रिफ्रेशिंग ड्रिंक आपको पूरे दिन फ्रेश रखने का काम करता है, एनर्जेटिक और हाइड्रेटेड रहने में मदद करता है। इस तरह आप गर्मी से निजात पाते हैं। आइये जानते हैं बेल का शरबत तैयार करने की रेसिपी-

बेल शरबत की रेसिपी

BEL SHARBAT: Bel Sharbat works as a heat protection

बेल शरबत बनाने के लिए जरूरी समान

1 बड़ा बेल
4 बड़ा चम्मच चीनी (जरूरत अनुसार)
1 लीटर पानी
पुदीने की पत्तियां
बर्फ के टुकड़े
एक चुटकी नमक

इस तरह तैयार करें बेल का शरबत

  • बेल को बेलन से तोड़ें और फिर चम्मच की मदद से गूदा निकाल लें।
  • अपनी उंगलियों का उपयोग करें और गूदे को मसलें, फिर इनमें से सारे बीज निकाल लें।
  • बीज काफी कड़वे होते हैं, इसलिए सुनिश्चित करें कि कोई भी बीज जूस में न छुटे, अन्यथा मुंह का स्वाद बिगड़ सकता है।
  • गुदे में ठंडा पानी डालें और इसे वापस से अच्छी तरह से मसलें।
  • अब इसे छननी में डालें और लकड़ी के चम्मच का उपयोग करके छलनी पर दबाएं।
  • इसमें से जितना हो सके उतना गूदा निकालें, बड़े रेशों को छोड़ दें।
  • अगर आपको ज्यादा मिठास चाहिए तो चीनी डालें, या मिठास के लिए शहद जैसे हेल्दी विकल्प भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
  • एक बड़े कंटेनर में बर्फ के टुकड़े, कुचले हुए पुदीने के पत्ते डालें और ऊपर से शर्बत डालें।
  • अच्छी तरह मिलाएं और ठंडा शराब सर्व करें।
  • आप चाहें तो एक चुटकी नमक भी मिला कर सकती हैं, ये पूरी तरह से वैकल्पिक है।

 

जानें बेल का शरबत पीने के क्या है फायदे

1. पाचन में करता है सुधार

बेल जैसे सुपरफूड में डाइट्री फाइबर और पेक्टिन की मात्रा मौजूद होती है, जो मल त्याग को बढ़ावा देने और स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देने में आपको मदद करती है। यह एक प्राकृतिक रेचक के रूप में कार्य करता है, जिससे कब्ज की स्थिति उत्पन्न नहीं होती, वहीं यह समग्र पाचन स्वास्थ्य में सुधार करता है।

2. शरीर को रखता है ठंडा

बेल आपके शरीर को अंदर से ठंडा रखने में मदद करता है, और गर्मी से संबंधित सभी समस्याओं से राहत प्रदान करता है। इसकी कूलिंग प्रॉपर्टीज शरीर की गर्मी कम करती है और आपको तरोताजा महसूस करने में मदद करती है। यह गर्मी से होने वाली परेशानी से राहत पाने का एक प्रभावी विकल्प है।

3. इम्यूनिटी को करता है बुस्ट

बेल विटामिन-C और A के साथ-साथ अन्य एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। ये पोषक तत्व व्हाइट ब्लड सेल्स के उत्पादन को उत्तेजित करते हैं और शरीर को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से लड़ने के लिए तैयार करते हैं। इस तरह शरीर संक्रमण तथा बीमारियों के चपेट में नहीं आती।

4. ब्लड शुगर मैनेजमेंट में अहम रोल अदा करता है

बेल के रस में फेरुलिक एसिड और रुटिन जैसे कंपाउंड पाए जाते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करती है। ये कंपाउंड इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करते हैं और रक्त शर्करा के स्तर को कम करते हैं। डायबिटीज के मरीज भी बेल शरबत का आनंद ले सकते हैं, पर उन्हें इसमें चीनी जैसे मिठास के विकल्प को नहीं मिलना चाहिए।

5. हाइड्रेशन रखता है मेंटेन

बेल का जूस प्राकृतिक रूप से प्यास बुझाने में भी मददगार साबित होता है। ये शरीर को गर्म मौसम में पूरी तरह से हाइड्रेटेड रखता है, जिससे डिहाइड्रेशन के लक्षणों से राहत मिलती है। डिहाईड्रेशन थकान, कमजोरी और चक्कर आने जैसे परेशानी पैदा कर सकता है।

6. ऊर्जा शक्ति को रखें बरकरार

गर्मी में अत्यधिक पसीना निकलने की वजह से शरीर जल्दी थक जाती है, ऐसे में हर दिन बेल का जूस पीने से आपके शरीर में ऊर्जा शक्ति का संचार बना रहता है और आप लंबे समय तक एनर्जेटिक रहती हैं। फल में मौजूद पोषक तत्वों का अद्भुत संयोजन ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने और गर्मियों में सुस्ती को कम करने में मदद करता है।

7. हेल्दी स्किन के लिए फायदेमंद होता है

इस सुपरफूड में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन्स की गुणवत्ता पाई जाती है जो त्वचा को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाती है और कोलेजन के उत्पादन को बढ़ावा देती है। इस प्रकार स्किन इलास्टिसिटी में सुधार होता है और प्रीमेच्योर एजिंग का खतरा कम हो जाता है।

8. बॉडी को डिटॉक्सीफाई करता है

इस कूलिंग शरबत में बॉडी टॉक्सिंस को बाहर निकालने की क्षमता होती है। यह एक प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर के रूप में कार्य करता है। इसकी उच्च फाइबर सामग्री पाचन तंत्र के माध्यम से टॉक्सिक उत्पादों को खत्म करने में सहायता करती है। इस प्रकार पाचन क्रिया, त्वचा स्वस्थ सहित समग्र सेहत को बढ़ावा मिलता है।

फोटो सौजन्य- गूगल

Does having sex during pregnancy really make normal delivery easier?

Pregnancy में सेक्स कितना सही है? ये बहस काफी पुरानी है। घर के बड़े-बुजुर्ग प्रेगनेंसी में सेक्स को सख्ती से मना करते हैं जबकि डॉक्टर इसे पूरी तरह सुरक्षित मानते हैं। ज्यादातर स्त्री रोग विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर प्रेगनेंसी में कोई दिक्कत नहीं है, तो सेक्स करने में कोई बुराई नहीं है। बल्कि यह प्रेगनेंसी में आपके मू़ड और रिश्ते को बेहतर बनाए रखने में मददगार साबित हो सकता है। स्त्री रोग एक्पर्ट इसे नॉर्मल डिलीवरी के लिए भी फायदेमंद मानती हैं। क्या वाकई प्रेगनेंसी में सेक्स नॉर्मल डिलीवरी में महत्वपूर्ण रोल अदा करता है? आइये समझते हैं इसे विस्तार से-

प्रेगनेंसी में सेक्स पर जानें विशेषज्ञ की राय

These symptoms of pregnancy start appearing only 3 to 4 days after conceiving, pregnancy is confirmed even before the period is missed

विशेषज्ञ ने प्रेगनेंसी में सेक्स करने पर जोर दिया है। वे इसे नॉर्मल डिलीवरी के लिए मददगार मानती है। अपनी पोस्ट में उन्होंने घरों में काम करने वाली उन महिलाओं का जिक्र करते हुए बताया है कि कैसे इन महिलाओं में ज्यादातर की नॉर्मल डिलीवरी होती है। जबकि शहरी-कामकाजी महिलाओं में सी सेक्शन के मामले अधिक देखने को मिलते हैं।

इसके लिए वे उनके गर्भावस्था के पूरे 09 महीने शारीरिक रूप से सक्रिय होने को सबसे बड़ा कारण बताती हैं। एक्सपर्ट की माने तो जो महिलाएं अपनी गर्भावस्था में शारीरिक रूप से सक्रिय रहती हैं, उनके लिए नॉर्मल डिलीवरी आसान हो जाती है। जबकि फिजिकली एक्टिव ना रहने वाली महिलाओं में सी सेक्शन डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है।

इंडियन टॉयलेट सीट का इस्तेमाल है फायदेमंद

गांव की औरतों का उदाहरण देते हुए डॉ अरुणा कालरा कहती हैं, कि इंडियन स्टाइल की टॉयलेट सीट का इस्तेमाल करते हुए आप स्क्वाट पॉजीशन में बैठते हैं, जिससे पेल्विक मसल्स को संकुचित होने और फैलने में मदद मिलती है। यह मुद्रा शरीर के इस हिस्से के लिए एक स्वभाविक व्यायाम है।

सेक्स कैसे करता है नॉर्मल डिलीवरी में योगदान

फिजिकली एक्टिव रहने और इंडियन टॉयलेट सीट के प्रयोग के अलावा प्रेगनेंसी में किया गया सेक्स भी नॉर्मल डिलीवरी को आसान बना देता है। डॉक्टर के मुताबिक पुरुषों के सीमन में एक प्रोस्टाग्लैंडीन नाम का तत्व होता है। जो नॉर्मल डिलीवरी में मदद करता है। डॉक्टर का कहना है कि अगर आप प्रेगनेंसी में सेक्स करने से डरती हैं, तो 9वां महीना शुरू होने के बाद सेक्स करना जरूर शुरू करें ताकि वेजाइनल मसल्स मजबूत हो सकें और योनि प्रसव आसानी से हो सके।

एक्सपर्ट के मुताबिक वे इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में सेक्स करना नॉर्मल वेजाइनल डिलीवरी को आसान बना देता है। यह गर्भाशय के निचले हिस्से की मांसपेशियों को नर्म और लचीला बनाता है, ऑक्सीटॉसिन रिलीज करवाता है और आप दोनों को फीलगुड भी करवाता है। अब घबराने की जरूरत नहीं, अपनी डॉक्टर से सलाह लें और गर्भावस्था में सेक्स को पूरी तरह से एनजॉय करें।

Those men who are interested in BABY PLAN

अगर आप BABY PLAN करना चाहते हैं और कंसीव करने का मन बना रहे हैं तो अपने साथ-साथ अपने पार्टनर की फर्टिलिटी का भी जरूर ध्यान रखें। जब कभी हम फर्टिलिटी की बात करते हैं तो पहले फीमेल फर्टिलिटी की ही बात करते हैं लेकिन अक्सर मेल फर्टिलिटी को दरकिनार कर देते हैं। यह समझना बहुत जरूरी है कि कंसीव करने के लिए एग और स्पर्म दोनों फर्टाइल होने जरूरी होते हैं। मेल फर्टिलिटी से संबंधित जानकारी पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी होनी चाहिए। क्योंकि अपने पार्टनर को सही गाइड करने में कोई बुराई नहीं।

एक सीनियर गाइनेकोलॉजिस्ट और रोबोटिक सर्जन ने मेल फर्टिलिटी बूस्ट करने को लेकर कुछ अहम टिप्स दिए हैं। आइये इस बारे में पूरे विस्तार से जानते हैं-

जानें पुरुषों के हेल्दी फर्टिलिटी से जुड़े कुछ टिप्स

Those men who are interested in BABY PLAN

1. टाइट और सिंथेटिक अंडरगारमेंट्स से नुकसान

कुछ अध्यन के मुताबिक टाइट अंडर गारमेंट्स या पैंट पहनने वाले पुरुषों का स्पर्म काउंट सामान्य पुरुषों की तुलना में कम होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि टाइट अंडरगारमेंट हवा को पास होने से रोकते हैं, जिसकी वजह से अंदर का तापमान बढ़ जाता है। स्क्रोटल टेंपरेचर बढ़ने की वजह से स्पर्म काउंट पर नकारात्मक असर पड़ता है। इसलिए अगर आपके पार्टनर टाइट और सिंथेटिक अंडरगारमेंट्स पहनते हैं, तो इन्हें आज ही कॉटन अंडरगारमेंट से बदले ताकि उनके टेस्टीकल्स एक हेल्दी एनवायरमेंट में रह सकें।

2. स्कोमिंग का कुप्रभाव

जो लोग अत्याधिक स्मोकिंग करते हैं उन पुरुषों की फर्टिलिटी यानी कि स्पर्म काउंट और क्वालिटी दोनों समय के साथ कम होते जाता है। सिगरेट का धुआं ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचता है, इसके अलावा डीएनए डैमेज का कारण बन सकता है। ब्लड वेसल्स के नुकसान की वजह से ब्लड फ्लो कम हो जाता है, जिसकी वजह से इरेक्टाइल डिस्फंक्शन जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कुछ मामलों में पुरुषों के स्पर्म असामान्य शेप में आ जाते हैं, जिसकी वजह से फर्टिलाइजेशन की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है। वहीं सिगरेट के धुएं में मौजूद टॉक्सिंस डीएनए डैमेज का कारण बन सकते हैं, ऐसे में मिसकैरेज, बर्थ डिफेक्ट जैसे गंभीर समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

3. सॉना-जकूजी बाथ प्लानिंग के 6 महीने पहले से न लें

Those men who are interested in BABY PLAN

सॉना और जकूजी बाथ को लंबे समय से अलग-अलग कल्चर में प्रैक्टिस किया जा रहा है। इसे शरीर को रिलैक्स करने के लिए और कई सेहत संबंधी फायदे प्रदान करने के लिए जाना जाता है। पर असल में स्पर्म काउंट और मेल फर्टिलिटी पर इसका नकारात्मक असर हो सकता है, यह स्पर्म की मात्रा और गुणवत्ता दोनों को प्रभावित कर सकता है। टेस्टिकल्स शरीर के बाहर इसलिए होते हैं, क्योंकि उन्हें बॉडी के कोर टेंपरेचर से कम टेंपरेचर में रहने की आवश्यकता होती है, ताकि हेल्दी स्पर्म प्रोडक्शन मेंटेन रखा जा सके। इस तरह लंबे समय तक गर्म वातावरण में समय बिताने की वजह से स्पर्म काउंट और मोटिलिटी कम हो जाती है, और एब्नार्मल स्पर्म बढ़ जाता है। जिसकी वजह से कंसीव करने में परेशानी आती है। इसलिए बेबी प्लैनिंग के 06 महीने पहले से सॉना और जकूजी बाथ लेना बंद कर दें।

4. गोद में लैपटॉप और अगली जेब में मोबाइल न रखें

जिस प्रकार सॉना और जकूजी बाथ में टेस्टिकल्स को अधिक तापमान में रहना पड़ता है, जिसकी वजह से स्पर्म क्वालिटी पर नकारात्मक असर पड़ता है। ठीक उसी प्रकार गोद में लैपटॉप रखकर इस्तेमाल करने से या अपने मोबाइल फोन को अपने फ्रंट पॉकेट में रखने की वजह से स्क्रोटल टेंपरेचर बढ़ जाता है, जो स्पर्म प्रॉडक्शन और क्वालिटी को डिस्टर्ब कर सकता है। हालांकि, प्राइमरी कंसर्न हिट है, परंतु लैपटॉप द्वारा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड जेनरेट होता है, जिसकी वजह से स्पर्म क्वालिटी संबंधी समस्याएं आ सकती हैं। इसलिए हमेशा डेस्क पर रखकर लैपटॉप चलाएं।

5. खानपान का रखें ध्यान

इन सभी के अलावा मेल फर्टिलिटी को बनाए रखने के लिए खान-पान पर ध्यान देना भी जरूरी है। पर्याप्त मात्रा में विटामिन-C युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जो एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है, और शरीर पर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के प्रभाव को कम कर देता है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस स्पर्म काउंट को प्रभावित कर सकता है।

अलवा इसके पर्याप्त मात्रा में विटामिन-D लेने की सलाह दी जाती है, जो टेस्टोस्टरॉन लेवल को मेंटेन रखने में मदद करते हैं। साथ ही साथ कम से कम तनाव लें और शरीर को पर्याप्त आराम दें। इतना ही नहीं नियमित रूप से एक्सरसाइज करना भी निहायत ही जरूरी है, ताकि पूरी तरह स्वस्थ रहा जा सके।

फोटो सौजन्य- गूगल

Heavy stress of relationship is derailing life

Relationship Stress: भारत में तनाव भरी जिंदगी का ग्राफ इतना बढ़ चुका है कि इसका साइड इफेक्ट देखा जाए तो यहां हर दिन लगभग 140 महिलाएं और लड़कियां अपने पार्टनर या घरेलू सदस्य के हाथों मार दी जाती हैं। एक असंतुलन और अन्याय को पारंपरिक मर्यादा से सजाए हुए रखने वाला यह रिश्ता महिलाओं के लिए तनाव भरा साबित हो जाता है।

भयावह है घरेलू हिंसा के आंकड़े

यूएन वीमेन एंड यूएन ऑफिस ऑफ ड्रग्स एंड क्राइम के आंकड़े बताते हैं कि घर महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक है। यहां उनकी जान का कोई मोल नहीं है। पुरुषों के मुकाबले अपने जीवनसाथी और यौन साथी के हाथों मारी जाने वाली महिलाओं की तादाद दुनिया भर में 10 गुना से भी अधिक है। भारत से लेकर अमेरिका और यूरोप तक में ये आंकड़े लगभग एक जैसे ही हैं।

साल 2022 में जहां 48,800 महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हुईं, वहीं वर्ष 2023 में यह आंकड़े बढ़कर 51,100 तक पहुंच गए। वर्ष 2024 और 2025 के आंकड़े अभी आने बाकी हैं लेकिन अंदाजा लगाया जा सकता है। बिग फैट इंडियन वेडिंग जितनी खूबसूरत अलबम में लगती हैं, उनकी हकीकत उतनी ही स्याह है।

सेल्फ केयर बनाम परिवार की मर्यादा

Heavy stress of relationship is derailing life

एक सीनियर साइकेट्रिस्ट और साइकोथेरेपिस्ट कहती हैं कि कई संस्कृतियों में, जिनमें भारतीय संस्कृति भी शामिल है, महिलाओं को यह सोचने के लिए प्रेरित किया गया है कि उनके लिए त्याग, बलिदान और दूसरों की देखभाल अपनी देखभाल से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

एक स्वस्थ संबंध जीवन में अतिरिक्त तनाव का कारण नहीं बनना चाहिए। पर कभी-कभी ऐसा होता है कि संबंध खराब हो जातें हैं और यह किसी महिला के मानसिक स्वास्थ्य, आत्मसम्मान और कार्यक्षमता को बुरी तरह से प्रभावित करता है।

महिलाओं को बार-बार यह याद दिलाया जाता है कि अगर रिश्ता बिगड़ रहा है, तो इसमें उनकी ही गलती है। यह आत्म-दोष अक्सर इनकार की भावना को जन्म देता है, जिससे भावनात्मक रूप से थकान होता है और इस विषाक्त चक्र से बाहर निकलना बहुत कठिन हो जाता है।

रिलेशनशिप में तनाव पैदा करने वाले सामान्य कारण

Heavy stress of relationship is derailing life

सीनियर साइकेट्रिस्ट के मुताबिक रिलेशनशिप में तनाव के कई कारण हो सकते हैं। मगर उन सभी के मूल में संवाद की कमी और वह अन्यायपूर्ण मानसिकता है, जिसमें स्त्री के लिए जिम्मेदारियां और पुरुष के लिए अधिकारों को न्यायसंगत माना गया है। पारिवारिक ढांचा बदल रहा है। वे अपने साथी पुरुष की ही तरह शिक्षित और स्किल्ड हैं। मगर ‘मर्यादा की मानसिकता’ बदल नहीं पा रही है। स्त्रियां बाहर निकल कर काम कर रहीं हैं, पैसा कमा रही हैं, उनका फोकस बदल रहा है। मगर ‘घर’ अब भी उनसे घूघंट वाली बहू सा उम्मीद लगाए बैठा है। वास्तविकता और अपेक्षा के बीच की खाई रिश्तों को तनावपूर्ण बना रहा है।

इनमें संवाद की कमी, घरेलू जिम्मेदारियों में साझेदारी, बहुत ज्यादा साथ रहना या बहुत कम साथ रह पाना, परिवार के बाकी सदस्यों की दखलंदाजी, खर्च, बहस, पूर्वाग्रह, बेवफाई, सेक्स जैसे मुद्दे हैं जो रिश्तों में तनाव की वजह बनते हैं। हर तनाव हिंसा तक नहीं पहुंचता लेकिन दोनों ही पार्टनर्स के जीवन में जहर घोलने लगता है। जिसका असर काम पर पड़ना भी स्वाभाविक है।

जब कोई रिश्ता जोड़-तोड़ भरा, भावनात्मक रूप से प्रताड़ित करने वाला, आत्मकेंद्रित, नियंत्रित करने वाला या विषाक्त होता है, तो यह लंबे समय तक चलने वाले तनाव और चिंता का कारण बन सकता है, जिससे अवसाद भी हो सकता है। आखिर में, इसका प्रभाव ऑफिस में प्रदर्शन और रोजमर्रा की गतिविधियों पर भी दिखाई देने लगता है।

हो सकता है रिलेशनशिप स्ट्रेस से बाहर निकलने का उपाय ?

डिस्ट्रक्शन किसी के लिए भी फायदे का सौदा नहीं है। आप टॉक्सिक हैं या आपका पार्टनर, उसके नुकसान दोनों को ही उठाने पड़ेंगे। इसलिए बेहतर है कि समाधान के रास्ते खोजने पर काम किया जाए।

सीनियर साइकेट्रिस्ट कहती हैं कि तनाव से बाहर निकलना और अपनी शक्ति को फिर से हासिल करने का पहला कदम है- इस विषाक्तता को पहचानना, तनाव के स्रोतों को समझना और यह स्वीकार करना कि यह उनकी गलती नहीं है।

जहर भरे रिश्तों से निपटने के लिए भावनात्मक बुद्धिमत्ता विकसित करना, सीमाएं तय करना और प्रोफेशनल सहायता लेना बहुत जरूरी है। चूंकि ऐसे आत्मकेंद्रित या टॉक्सिक लोग शायद ही कभी थेरेपी में जाते है। इसलिए महिलाओं को अपनी मानसिक क्षमता को सुधारने के लिए थेरेपी और मनोवैज्ञानिक तरीकों पर ध्यान देना चाहिए।

दिल से नहीं दिमाग पर करें यकीन

किसी भी फैसले, किसी भी बहस में भावनात्मक रूप से प्रतिक्रिया देने के बजाय तर्कसंगत रूप से सोचना तनाव को कम करने में मदद करता है। दिल की बजाए दिमाग को ड्राइविंग सीट पर रखें ताकि जीवन को बेहतर बनाया जा सके। सही वक्त पर लिया गया प्रोफेशनल इंटरवेंशन महिलाओं को सशक्त बनाने, उनके जीवन पर उनका अपना नियंत्रण रखने, प्रोडक्टिविटी बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में काफी मदद कर सकता है।

फोटो सौजन्य- गूगल

SKIN CARE: Applying this face pack twice a week will control aging

Skin Care: कुछ महिलाओं की स्किन महज 25 से 35 की उम्र में ही ढीली और लटकी सी नजर आने लगती है। त्वचा पर झुर्रियां आ जाती हैं। महीन रेखाएं दिखने लगती हैं। त्वचा से जुड़ी ये सारी समस्याएं जिनसे लोग बेहद परेशान हैं और जरूरी इलाज की खोज में रहते हैं। स्किन जब ढीली हो जाती है तो देखने पर साफ मालूम चलता है कि आपकी स्किन अब लूज हो चुकी है। काफी लोगों में ये प्रोब्लम्स देखने को मिलती है। आजकल कुछ कॉलेज जाने वाली लड़कियां भी लूज त्वचा की समस्या को ठीक कराने को लेकर कई सारे महंगे स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं। इन प्रोडक्ट्स से दूसरे साइड इफेक्ट्स होने की आशंका बढ़ जाती है। इन परिस्थितियों में आपको अपनी स्किन के केयर के लिए कुछ प्राकृतिक उपायों को ट्राई करने चाहिए। आप फिटकरी का भी इस्तेमाल करके स्किन को कम उम्र में बूढ़ा लगने से बचा सकते हैं। आइये जानते हैं फिटकरी का कैसे करें इस्तेमाल-

त्वचा पर फिटकरी का इस्तेमाल करने के टिप्स

SKIN CARE: Applying this face pack twice a week will control aging

आप एक फिटकरी का टुकड़ा लें। इसे थोड़ा सा कूट कर पाउडर की तरह बना लें।अब इसे तवे पर डालें और गर्म करें। जब ये गर्म होने लगेगा तो फिटकरी से पानी निकलेगा। फिटकरी इस पानी में अपने सारे गुण छोड़ देती है। इसे अच्छी तरह से सुखा दें। इसे दोबारा से कूटना है और इसका पाउडर तैयार कर लेना है।

चेहरे पर लगाए घर पर तैयार किया हुआ फेस पैक

SKIN CARE: Applying this face pack twice a week will control aging

अब एक बाउल में दो छोटा चम्मच चावल का आटा लें। आधा छोटा चम्मच फिटकरी का पाउडर, 01 चम्मच एलोवेरा जेल, आधा छोटा चम्मच कॉफी, आधा चम्मच गुलाब जल डालें। इस मिश्रण को अच्छी तरह से मिला लें। अब आप इस पेस्ट को अपने चेहरे पर अच्छी तरह से अप्लाई करें। आप इसे गर्दन, हाथों, पैरों सभी जगह लगा सकते हैं। सिर्फ 15 मिनट इसे लगाकर छोड़ दें। उसके बाद पानी से चेहरे को अच्छी तरह से साफ कर लें। इसे आप हफ्ते में दो बार इस्तेमाल कर सकते हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

Don't let your skin turn colorless in the colors of Holi

HOLI के अवसर पर चेहरे पर गुलाल और हाथों में पिचकारी ना हो तो फिर मजा ही क्या? लेकिन रंगों के इस खास त्योहार का लुत्फ उठाने के चक्कर में अपने त्वचा पर पड़ने वाले प्रभाव को भूल जाते हैं। आसमान में उड़ता गुलाल जहां वातावरण को मदमस्त बनाता है तो वहीं चेहरे के बढ़ते रफनेस का भी कारण होता है। ऐसे में स्किन को इन बैड इफेक्ट से बचने के लिए कुछ स्किन केयर टिप्स को जरूर फॉलो करना जरूरी है। इससे स्किन का लचीलापन बना रहता है और त्वचा क्लीन वा क्लीयर दिखने लगती है। जानते हैं स्किन के ग्लो को बरकरार रखने के लिए होली से पहले इन टिप्स को करें फॉलो-

स्किन पर रंगों का प्रभाव

इस बारे में स्किन केयर विशेषज्ञ का कहना है कि पारंपरिक तरीके से खेली जाने वाली होली में फूलों और उससे तैयार रंगों से होली खेली जाती थी। मगर आधुनिकता के इस दौर में सिंथेटिक पिगमेंट का इस्तेमाल त्वचा को नुकसान पहुंचा रहा है। इससे स्किन और आंखों पर जलन और बालों का रूखापन बढ़ने लगता है। इसके अलावा लंबे समय तक धूप में होली खेलने से स्किन टैनिंग और टैक्सचर प्रभावित होने का जोखिम बढ़ जाता है। कुछ आसान प्री होली टिप्स से स्किन को रंगों के नुकसान से बचाया जा सकता है।

इन प्री होली स्किन केयर टिप्स को करें फॉलो

1. स्किन को हाइड्रेट रखें

रंगों के त्योहार होली में तेज़ धूप चेहरे को नुकसान पहुंचाती है और निर्जलीकरण का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए पानी अवश्य पीएं। इसके अलावा हेल्दी पेय पदार्थों का भी सेवन करें। इससे पसीने के कारण होने वाले फ्लूइड लॉस से बचा जा सकता है।

2. ठंडे पानी से चेहरे को धोएं

ओपन पोर्स की समस्या के कारण रंग स्किन की लेयर्स में पहुंचकर इंफेक्शन और सूजन का कारण साबित होता है। इसके अलावा मुहांसों का भी खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में पोर्स को संकुचित करने याबंद करने के लिए ठंडे पानी में चेहरे को डिप करें या फिर बर्फ को चेहरे पर रगड़ें। इससे ओपन पोर्स से बचा जा सकता है

3. बादाम का तेल करें इस्तेमाल

Don't let your skin turn colorless in the colors of Holi

 

स्किन को फ्री रेडिकल्स और हार्मफुल केमिकल से बचाने के लिए प्रोटेक्टिव लेयर की आवश्यकता होती है। इसके लिए बादाम के तेल की लेयर को चेहरे पर अप्लाई कर लें। इससे स्किन पर दाग धब्बों की समस्या हल हो जाती है। साथ ही चेहरे पर रंग चिपकने के खतरे से भी बचा जा सकता है। होली खेलने से पहले बादाम के तेल को नारियल के तेल में मिलाकर चेहरे, गर्दन और बाजूओं पर अप्लाई करें।

4. पेट्रोलियम जेली लगाएं

पेट्रोलियम जेली की एक परत लगाने से आपकी त्वचा हाइड्रेटेड और सुरक्षित रहती है। इससे त्वचा पर रंगों का प्रभाव कम हो जाता है, जिसके चलते त्वचा पर जलन और खुरदरापन कम होने लगता है। इससे होंठ, गर्दन, कान और आंखों के नीचे की त्वचा सुरक्षित रखने में मदद मिलती है। इन जगहों से रंग को निकालना बेहद मुश्किल हो जाता है।

5. बाजूओं को ढककर रखें

पूरी आस्तीन के कपड़े पहनने से आपके शरीर को अधिक मात्रा में रंग के संपर्क में आने से बचाया जा सकता है। इसके अलावा बालों को दुपट्टे, बंदाना या स्कार्फ से कवर कर लें। दरअसल, रंग के संपर्क में आने से त्वचा पर केमिकल का प्रभाव बढ़ जाता है, जिससे स्किन की शुष्कता बढ़ने लगती है।

6. सनस्क्रीन करें इस्तेमाल

Excessive use of sunscreen is harmful, do not forget to do it before sleeping at night

तेज़ धूप से स्किन को बचाने के लिए नियमित रूप से सनस्क्रीन इस्तेमाल करें। इससे त्वचा पर टैनिंग का खतरा कम होने लगता है और स्किन सेल्स बूस्ट होते हैं। सन प्रोटेक्शन फैक्टर यानि एसपीएफ का अवश्य ध्यान रखें और उसकी वेल्यू 50 रखने से एज़िग के प्रभाव से भी मुक्ति मिल जाती है। इससे त्वचा पर रंगों के प्रभाव से भी बचा जा सकता है।

7. ऑर्गेनिक कलर लगाएं

ऑर्गेनिक और केमिकल फ्री रंग त्वचा को जलन से बचाने और स्वस्थ त्वचा बनाए रखने में मदद करते हैं। ये पक्के और केमिकल युक्त रंगों के समान कई दिनों तक त्वचा पर नहीं ठहरते है। इससे स्किन मुलायम रहती है।

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RAMZAN is the month of self-control and self-restraint

RAMZAN: रमजान इस्लाम धर्म का पवित्र महीना है। इस्लामिक कैलेंडर के इस नौवें महीने में मुसलमान रोजे यानी उपवास रखते हैं। इस दौरान कुरान पढ़ते हैं। पांच बार की नमाज अदा करते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं।

बता दें कि चांद नज़र आने के साथ ही रमजान का पाक महीना शुरू हो गया है। मुस्लिम समुदाय के लोग आज पहला रोजा रख रहे हैं और कुरआन, नमाज व तरावीह का एहतमाम करते हैं। रमजान इस्लामिक कैलेंडर का 9वां महीना है, जिसे बेहद खास माना जाता है। मान्यता है कि इसी महीने 610 ईस्वी में मोहम्मद साहब को लेयलत उल-कद्र की रात पवित्र कुरआन शरीफ का ज्ञान प्राप्त हुआ था, इसलिए इस महीने में रोजा रखने की परंपरा है। यह महीना इबादत, ध्यान और दान-पुण्य के किए जाना जाता है। 30 दिन के रमज़ान के अंत में ईद-उल-फितर मनाया जाता है।

RAMZAN is the month of self-control and self-restraint

बरकत का महीना माह-ए-रमजान के पूरे महीने मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं। रोजा रखने वाले व्यक्तियों की अल्लाह द्वारा उसके सभी गुनाहों की माफी दी जाती है। इसलिए हर एक मुसलमान के लिए रमजान का महीना साल का सबसे विशेष माह होता है। इस्लाम धर्म की मान्यताओं के मुताबिक रमजान का महीना खुद पर नियंत्रण और शांत रखने का महीना होता है। गरीबों के दुख-दर्द को समझने के लिए रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय द्वारा रोजा रखने की परंपरा है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार रमजान के महीने में रोजा रखकर दुनिया में रह रहे गरीबों के दुख-दर्द को महसूस किया जाता है। रोजा आत्म संयम व आत्म सुधार का प्रतीक रोजे के दौरान संयम का तात्पर्य है कि आंख, नाक, कान, जुबान को नियंत्रण में रखा जाना क्योंकि रोजे के दौरान बुरा नहीं सुनना, बुरा नहीं देखना और ना ही बुरा बोलना जाता है। इस तरह से रमजान के रोजे मुस्लिम समुदाय को उनकी धार्मिक श्रद्धा के साथ-साथ बुरी आदतों को छोड़ने के अलावा आत्म संयम रखना सिखाते हैं। इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि गर्मी में रोजेदारों के पाप धूप की अग्नि में जल जाते हैं तथा मन पवित्र हो जाता है। सारे बुरे विचार रोजे के दौरान मन से दूर हो जाते हैं।

आज रखा गया पहला रोजा

RAMZAN is the month of self-control and self-restraint

अकीदतमंदों ने रविवार को पहला रोजा रखा है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, रमजान नौंवा महीना होता है। रोजा रखने के साथ रात में तरावीह की नमाज पढ़ी जाती है। पांच वक्त की नमाज के साथ कुरान की तिलावत करते हैं।

तीन भागों में बंटा रमजान

रमजान का यह महीना तीन भागों में बंटा होता है यानी एक से लेकर 10 दिनों तक रहमत का अशरा होता है, तो 11 से लेकर 20 तक बरकत का और 21 से लेकर 30 रोजे तक मगफिरत होता है। पवित्र रमजान माह में इबादत का काफी महत्व होता है। यही वजह है कि लोग इबादत के साथ-साथ जकात भी निकालते हैं। जकात का अर्थ होता है जमा पूंजी का दो अथवा ढाई प्रतिशत जरूरतमंदों में दान करना।

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Apart from PHYSICAL RELATION

PHYSICAL RELATION: जीवन में जिस तरह प्यार जरूरी है वैसे ही अपने पार्टनर के साथ रिश्ते में गर्माहट के लिए सेक्स भी अहम है। अगर आपका पार्टनर रिश्ते को मजबूती देना चाहता है तो वह एक कदम आगे बढ़ते हुए फिजिकल भी होना पसंद करेगा, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सेक्स को तरजीह नहीं देते! क्या आप भी अभी अपने रिश्ते में सेक्स के लिए आमादा नहीं हैं? या फिजिकल रिलेशन से कुछ दिन परहेज रखना चाहती हैं? लेकिन पूरी तरह से फिजिकल इंटिमेसी में गैप नहीं लाना चाहती हैं तो इसमें कुछ जरूरी गतिविधियां आपको मदद पहुंचा सकती हैं।

कई ऐसी रोमांटिक गतिविधियां हैं, जो इंटरकोर्स के बिना भी आप दोनों के बीच फिजिकल इंटिमेसी को बनाए रखने में आपकी मदद कर सकती है। अगर आप इन गतिविधियों से वाकिफ नहीं हैं, तो अधिक परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, हम आपको इसकी जानकारी देंगे। प्राइमस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की गायनेकोलॉजी और ऑबस्टेशन डिपार्टमेंट की कंसल्टेंट डॉ रश्मि बालियान ने बिना सेक्सुअल इंटरकोर्स के फिजिकल इंटिमेसी मेंटेन रखने के कुछ खास तरीके बताए हैं। तो चलिए जानते हैं इस बारे में अधिक विस्तार से..

जानें बिना इंटरकोर्स के दौरान फिजिकली करीब होने के तरीके

1. एक-दूसरे को ऐसे करें कडल

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हाथ पकड़ें, गले लगें या बिस्तर पर एक-दूसरे के करीब बैठें। बिना किसी और चीज़ के एक-दूसरे को छूने और करीब होने का आनंद लें। जब आप सोने जाएं, तो अपने पार्टनर के साथ लिपटकर एक-दूसरे को करीब से महसूस करने की कोशिश करें। कडल करने से न केवल इंटिमेसी बढ़ती है, बल्कि स्ट्रेस रिलीज करने में भी मदद मिलती है। रोजाना पार्टनर के साथ काम से लौटने के बाद कडल करें।

2. KISS करने का बदले तरीका

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अगर आप बिना सेक्स किए इंटिमेट होना चाहती हैं, तो एक-दूसरे को किस करना एक अच्छा आईडिया है। अलग-अलग तरह से चूमे, अगर आपको समझ नहीं आ रहा है, तो अपने पार्टनर से उनकी किस से जुड़ी डिजायर पूछें और उसके अनुरूप उन्हें किस करें। आप फ्रेंच किस, लेपर्ड किस या स्पाइडरमैन किस भी आज़मा सकती हैं। इस तरीके का प्रयोग करें, इससे आपको इंटिमेसी बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

3. बॉडी मसाज है बढ़िया विकल्प

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एसेंशियल फ्रैगनेंस वाले ऑयल या लोशन का उपयोग करके, बारी-बारी से एक-दूसरे के शरीर की मालिश करें। आप एक-दूसरे के शरीर के कितने हिस्से की मालिश करते हैं, यह आपकी सीमाओं पर निर्भर करता है, अगर आप इससे ज़्यादा मालिश करने के लिए तैयार नहीं हैं, तो आप सिर्फ़ एक-दूसरे की गर्दन और पीठ की मालिश कर सकती हैं। कुछ सुगंधित मोमबत्तियां जलाएं और सुकून भरा संगीत बजाकर मूड सेट करें।

अपने पार्टनर को अच्छा महसूस कराने के लिए आपको प्रोफेशनल मसाज सीखने की जरूरत नहीं है। केवल मालिश के दौरान पार्टनर से पूछती रहें, उन्हें कैसा लग रहा है? या आप किस तरह की मालिश एंजॉय करना चाहते हैं, या आपके किस अंग को ज्यादा आराम की जरूरत है। इस तरह आराम भी मिलता है, तनाव कम होता है साथ ही आप दोनों एक दूसरे के करीब आते हैं।

4. एक-दूसरे को डूबकर करें स्पर्श

Take care of these 5 things for better climax on bed

पार्टनर के शरीर के उन हिस्सों को स्पर्श करें और चूमें जो आमतौर पर सेक्स के दौरान ध्यान आकर्षित नहीं करते हैं, जैसे उनके पैर, पेट या पीठ। अपने पार्टनर के शरीर को एक्सप्लोर करने का आनंद लेने के लिए समय निकाले। ये आप दोनों को फिजिकल इंटिमेसी मेंटेन करने में मदद करती है, साथ ही आप रोमांस के लिए सिर्फ सेक्स पर निर्भर नहीं रहती। अगर आप बिना नेकेड हुए बॉडी एक्सप्लोर करना चाहती हैं, तो शरीर के नजर आने वाले पार्ट्स जैसे की हाथ, पैर, गर्दन, चेहरा आदि को चूमे और उनका आनंदमय स्पर्श करें।

5. बाउंड्री में रहकर करें रोमांस

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नियम बनाने से न केवल आपको अपनी सीमाओं का पालन करने में मदद मिलेगी, बल्कि यह चीज़ों को और भी सेक्सी बना देगा। आपको अपनी बाउंड्री में रहकर रोमांस करना होता है, और मन होने पर भी आगे बढ़ने से खुदको रोकना है। ये नॉटी और सेक्सी रोमांस आप दोनों के बीच इंटिमेसी बढ़ाने में मदद करेगा। ऐसे नियम बनाएं, जिनसे आप और आपके पार्टनर दोनों सहज हों, इसके बाद इसे एंजॉय करें।

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why Valentine Day is celebrated?

VALENTINE DAY: मोहब्बत का पर्व यानी वेलेंटाइन वीक अभी चल रहा है। पूरी दुनिया में हर वर्ष फरवरी महीने में एक हफ्ते प्रेमी-प्रेमिकाओं के नाम कर दिया जाता है। इस हफ्ते को वेलेंटाइन वीक कहते हैं। जिसका हर एक दिन आशिकों को एक दूसरे के करीब लाता है। वेलेंटाइन वीक की शुरुआत 07 फरवरी से होती है, जो 14 फरवरी को वेलेंटाइन पर खत्म होती है। इस बीच रोज डे से लेकर प्रपोड डे और प्रोमिस डे समेत कई ऐसे दिनों को सेलिब्रेट किया जाता है जो कपल को एक दूसरे के और नजदीक लाता है। पर क्या आप जानते हैं कि वेलेंटाइन डे क्यों मनाया जाता है? वेलेंटाइन हफ्ते का हर दिन क्यों स्पेशल है? जानते हैं क्यों और कैसे वेलेंटाइ न डे मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई?

वैलेंटाइन डे की शुरुआत संत वैलेंटाइन के सम्मान में हुई थी, जिन्होंने प्रेम और विवाह के लिए संघर्ष किया था। वैलेंटाइन डे को 06 दिन पहले से मनाया जाता है, ताकि वैलेंटाइन डे पर लव परवान चढ़ें। वैलेंटाइन डे से पहले 07 फरवरी से 14 फरवरी तक वैलेंटाइन वीक मनाया जाता है। इस पूरे हफ्ते में अलग-अलग दिनों का विशेष महत्व होता है, जो प्रेम को अलग-अलग तरीकों से व्यक्त करने का अवसर देते हैं।

वैलेंटाइन वीक का हर दिन है कुछ खास

रोज़ डे (ROSE DAY)

7 फरवरी को रोज डे मनाते हैं । इस दिन प्यार और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए गुलाब का आदान-प्रदान किया जाता है। जिसमें लाल गुलाब प्रेम, पीला गुलाब मित्रता, सफेद गुलाब शांति और गुलाबी गुलाब आभार दर्शाता है।

प्रपोज डे (PROPOSE DAY)

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दूसरे दिन यानी 8 फरवरी को प्रपोज डे मनाया जाता है। यह दिन उन लोगों के लिए खास होता है जो अपने प्रियजन को अपने प्यार का इज़हार करना चाहते हैं। इस दिन शादी के लिए भी प्रपोज किया जाता है।

चॉकलेट डे (CHOCOLATE DAY)

प्यार में मिठास घोलने के लिए चॉकलेट डे मनाया जाता है और अपने प्रिय को चॉकलेट दी जाती है। इसका वजह है कि चॉकलेट खुशी और स्नेह का प्रतीक मानी जाती है।

टेडी डे (TEDDY DAY)

10 फरवरी को टेडी डे मनाते हैं। इस दिन टेडी बियर गिफ्ट किया जाता है, जो मासूमियत और प्यारे एहसास का प्रतीक है। खासकर लड़कियों को यह दिन बहुत पसंद आता है।

प्रॉमिस डे (PROMISE DAY)

11 फरवरी को प्रॉमिस डे मनाया जाता है। इस दिन प्रेमी एक-दूसरे से सच्चे प्रेम, ईमानदारी और विश्वास की कसमें खाते हैं। रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए यह दिन बेहद खास होता है।

हग डे (HUG DAY)

वैलेंटाइन डे के छठे दिन हग डे मनाया जाता है। हग डे पर एक प्यार भरी झप्पी (गले लगाना) प्यार, समर्थन और सुरक्षा का अहसास कराती है। यह दिन दिखाता है कि एक स्नेह भरी झप्पी से हर दर्द मिट सकता है।

किस डे (KISS DAY)

13 फरवरी को किस डे मनाया जाता है। यह दिन प्यार और गहरे रिश्ते की निशानी माना जाता है। एक किस स्नेह, प्रेम और आत्मीयता को दर्शाती है।

वेलेंटाइन डे (VALENTINE’S DAY)

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14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाया जाता है। यह दिन इश्क का होता है। इस दिन प्रेमी एक-दूसरे के लिए खास गिफ्ट, फूल और प्यार भरे संदेश देते हैं। कई लोग इस दिन डेट पर जाते हैं, तो कुछ शादी या रिश्ते को मजबूत करने का वादा करते हैं।

क्यों मनाया जाता है वैलेंटाइन डे?

यह दिन संत वैलेंटाइन की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने तीसरी शताब्दी में रोम में प्रेम और विवाह को लेकर में आवाज बुलंद की थी। उस समय सम्राट क्लॉडियस द्वितीय ने सैनिकों के विवाह पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन संत वैलेंटाइन ने सेक्रेट तरीके से प्रेमी जोड़ों का विवाह कराया। जब राजा को यह पता चला, तो उन्होंने संत वेलेंटाइन को 14 फरवरी को मृत्युदंड दे दिया। उनकी याद में यह दिन प्यार की पहचान, इश्क के इजहार का दिन बन गया।