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Author Archives: Zahid Abbas

Topless in front of everyone, made videos

जकार्ता: इस साल हुए मिस यूनिवर्स इंडोनेशिया कॉम्पिटिशन के मद्देनजर एक हैरान करने वाली खबर मीडिया में आई है। कॉम्पिटिशन में हिस्सा लेने वाली कंटेस्टेंट्स ने ऑर्गेनाइजर्स पर संगीन आरोप लगाया है। कंटेस्टेंट्स ने आयोजकों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए पुलिस में कंप्लेन की है। पुलिस ने शिकायत मिलने की पुष्टि करते हुए कहा है कि कंटेस्टेंट्स ने एक रिपोर्ट दर्ज कराई है जिसकी जांच की जाएगी।

‘5 को एक अलग-अलग कमरे में ले गए’

इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में 29 जुलाई से 03 अगस्त के बीच यह सौंदर्य प्रतियोगिता आयोजित कराई गई थी। इसमें शामिल लड़कियों का आरोप है कि आयोजकों ने उनमें से 05 को एक अलग-अलग कमरे में ले गए, जहां पांच पुरुषों सहित करीब 20 लोग पहले से मौजूद थे। वहां उन्हें शारीरिक जांच के लिए अपने अंडरवियर उतारने के लिए कहा। इस दौरान उन लोगों ने उनके फोटो लिए और वीडियो बनाए।

कंटेस्टेंट्स की खींची गई टॉपलेस तस्वीरें

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार इस प्रतियोगियों की वकील मेलिसा एंगग्रेनी ने कहा कि पांचों प्रतियोगियों की टॉपलेस तस्वीरें खींची गईं, जबकि इस तरह की जांच की कोई जरूरत नहीं थी। वहीं शिकायतकर्ताओं में शामिल एक लड़की ने न्यूज चैनल कोम्पास टीवी द्वारा प्रसारित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उसे अनुचित तरीके से पोज देने के लिए कहा गया था, जिसमें उसके पैर खोलना भी शामिल था. उन्होंने कहा- ‘मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मुझे घूरा जा रहा है, मैं बेहद कन्फ्यूज और असहज थी’।

आयोजकों ने नहीं दिया कोई जवाब

रॉयटर्स के मुताबिक उसने मिस यूनिवर्स इंडोनेशिया पेजेंट आयोजित करने वाली कंपनी पीटी कैपेला स्वास्तिका कार्या और कंपनी के संस्थापक पोपी कैपेला से उनके सोशल मीडिया अकाउंट के जरिये संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

दुनिया के सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया में धार्मिक समूहों ने अतीत में सौंदर्य प्रतियोगिताओं पर आपत्ति जताई है। ऐसे में यह घटना सामने आने के बाद पूरा मामला गहराता नजर आ रहा है।

If there is pain in the breast just before periods

पीरियड्स (Periods) के ठीक पहले स्तन में दर्द और असहजता महसूस हो रही है तो कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा। लड़कियों और महिलाओं को पीरियड्स के पहले शरीर में यह दिक्कतें शुरू होती हैं। फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट की वजह, संकेतों और लक्षणों को जानने से आपको अपने हालात को सही ढंग से प्रबंधित करने में सहायता मिल सकती है।

If there is pain in the breast just before periods

यह समझना जरूरी है कि फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट कोई बीमारी या एक तरह का स्तन कैंसर नहीं है। यह एक नॉन कैंसरस स्थिति है। यह स्थिति है जो इसका अनुभव करने वाली हर महिला में अलग-अलग तरह से लक्षण दिखती है। हालांकि, सामान्य तौर पर यह महिला के पीरियड्स साइकल के नैचुरल के कारण शरीर में होने वाले हार्मोनल चेंजेज के कारण होता है। चूंकि पूरे साइकल में हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव होता है, इससे ब्रेस्ट में सूजन और कोमलता हो सकती है और साथ ही गांठ या सिस्ट भी होने लगते हैं।

Breast Feeding

फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं पर आमतौर पर एक या दोनों ब्रेस्ट में दर्द या कोमलता शामिल होती है। खासकर आपके मासिक धर्म से ठीक पहले स्तन भारी या सूजे हुए महसूस हो सकते हैं और छूने पर या ब्रा पहनने पर भी उनमें कठोरता महसूस हो सकती है। वे गांठदार भी हो सकते हैं या उनमें छोटे सिस्ट भी हो सकते हैं। जो बारीकी से देखने पर दिखाई दे सकते हैं। कुछ मसलों में जब आप गांठें छूते हैं तो वे आपकी स्किन के नीचे घूम सकती हैं।

फ़ाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट का सटीक वजह का अब तक पता नहीं चला है लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह महिला के शरीर में हार्मोनल चेंजेज से संबंधित है। हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन को यौवन, गर्भावस्था या पेरिमेनोपॉज़ जैसे हार्मोनल उतार-चढ़ाव की अवधि के दौरान स्तनों में सिस्ट के विकास को ट्रिगर करने के लिए जाना जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे- तनाव, ज्यादा कैफीन पीना और धूम्रपान शामिल हैं।

If there is pain in the breast just before periods

अगर आपको लगता है कि आपको फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट हो गया है तो आपको इनके लक्षणों और चिंताओं के बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात करना चाहिए। किसी गांठ या सिस्ट के साथ-साथ अन्य स्तन से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं की जांच के लिए एक ट्रेनिंग कर सकते हैं।

फ़ाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट खतरनाक या लाइफ थ्रेटिंग के लिए खतरा नहीं है, यह असुविधाजनक लक्षण पैदा कर सकता है जो रोजमर्रा की जिंदगी में हस्तक्षेप कर सकता है। आपके चिकित्सक लक्षणों को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव जैसे तनाव के स्तर को कम करने या कैफीन की मात्रा कम करने की पैरवी करते हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

benefits of feeding in silver utensils for small children

चांदी (Silver) के बर्तनों के मद्देनजर मान्यता है कि इसमें छोटे बच्चों को खाना खिलाया जाए तो उनका विकास काफी अच्छे तरीके से होता है। इससे उनके मस्तिष्क का विकास सही तरीके से होता है। इसके बावजूद कुछ महिलाएं पेशोपेश में होती हैं कि ये सच है या सिर्फ पुरानी मान्यता। आइये जानते हैं कि चांदी के बर्तन में शिशु को खाना खिलाने के फायदे हैं या नुकसान और इसे कैसे उपयोग में लाना चाहिए।

सबसे पहले हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि छोटे बच्चों को चांदी के बर्तन में खिलाना सही है या गलत।

चांदी के बर्तन का इस्तेमाल छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित है या नहीं?

दूसरे बर्तनों की तुलना में चांदी के बर्तन में भोजन करना सुरक्षित माना जा सकता है। चांदी में कई औषधीय गुण माने गए हैं। साथ ही चांदी से बने बर्तन जल्दी गंदे नहीं होते। इसलिए माना जाता है कि चांदी के बर्तन इस्तेमाल करने से भोजन और पौष्टिक हो जाता है। जब शिशु ठोस पदार्थ का सेवन शुरू करे, तो उसे चांदी के बर्तन में खिलाया जा सकता है। बस इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि बर्तन में चांदी के अलावा और किसी धातु का इस्तेमाल ना किया गया हो। इसके साथ ही एंटी बैक्टीरियल गुण के कारण चांदी के बर्तन में रखे खाद्य पदार्थ और पानी में सेहत खराब करने वाले बैक्टीरिया नहीं पैदा होते हैं।

शिशु को चांदी के बर्तन में खिलाने के फायदे

वर्षों से छोटे बच्चे को चांदी के बर्तनों में खिलाना शुभ माना गया है। इसलिए शिशु को उपहार स्वरूप चांदी के बर्तन भेंट किए जाते हैं। आइए, जानते हैं कि चांदी के बर्तन किस तरह छोटे बच्चों के लिए फायदेमंद है।

एंटी-माइक्रोबियल प्रभाव: प्लास्टिक या दूसरे धातु के बर्तन में खाना रखने से खाद्य पदार्थ में विषैले जीवाणु पैदा होने की आशंका होती है। वहीं, चांदी में एंटी-माइक्रोबियल गुण पाया जाता है। इसकी पुष्टि वैज्ञानिक शोध में भी होती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि चांदी बैक्टीरिया, फंगस व किसी भी तरह के वायरस को पनपने नहीं देता। यही कारण कि प्राचीन समय में चांदी का इस्तेमाल औषधी की तरह किया जाता था। इसलिए, चांदी के बर्तन में रखा खाना लंबे समय तक खराब नहीं होता।

रखरखाव में आसान: ऐसा माना जाता है कि अन्य बर्तन के मुकाबले चांदी के बर्तन को साफ करना आसान है। इसे किसी भी अच्छे डिश वॉशर व गर्म पानी से धोकर रखा जा सकता है। साथ ही इसे कुछ देर गर्म पानी में डालकर रखा जा सकता है। उसके बाद बाहर निकालकर सूखने के बाद इस्तेमाल किया जा सकता है।

नॉन टॉक्सिक: विभिन्न रिसर्च में कहा गया है कि चांदी के बर्तन में हानिकारक जीवाणु न के बराबर होते हैं। शरीर के नुकसान पहुंचाने वाले मरकरी और लीड के मुकाबले चांदी बच्चों के लिए ज्यादा फायदेमंद है। अगर गलती से चांदी का थोड़ा-सा अंश खाने के साथ शरीर में चला भी जाए, तो उससे नुकसान होने की आशंका कम ही होती है। इसके पीछे मुख्य कारण यह माना गया है कि शरीर के टिश्यू चांदी को आसानी से अवशोषित नहीं कर पाते हैं (3)।

केमिकल रहित: शिशु के लिए इस्तेमाल होने वाले बर्तनों में बीपीए और फ्थालेट जैसे हानिकारक केमिकल पाए जाते हैं। ये केमिकल शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास को कई तरह से प्रभावित करते हैं। वहीं, बच्चों के लिए चांदी से बर्तन इन दोनों केमिकल से फ्री होते हैं।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए : दरअसल चांदी के बर्तन में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं। दूसरे धातुओं के बर्तन में खाना गर्म करने से उसके हानिकारक तत्व खाने में मिल जाते हैं, जो बच्चों की सेहत के लिए यह सही नहीं है। चांदी के बर्तन के साथ ऐसा नहीं होता है।

दवा के साथ रिएक्शन नहीं : दवाएं किसी भी बर्तन के साथ बहुत तेजी के साथ रिएक्शन करती हैं। चांदी के बर्तन के साथ ऐसा नहीं होता है। इसलिए दवा देने के लिए चांदी का बर्तन अच्छा हो सकता है।

घबराने की समस्या दूर करे : चांदी की तासीर ठंडी मानी गई है। इसलिए, चांदी के बर्तन में भोजन करने से शरीर का तापमान संतुलित रह सकता है। साथ ही मन शांत होता है और बेचैनी व घबराहट कुछ हद तक कम हो सकती है।

याद्दाश्त बढ़ाने में सहायक : कहा जाता है कि चांदी के बर्तन में बच्चों को खाना खिलाना से उनके मानसिक विकास में मदद मिलती है। यह दिमाग को शांत रखकर याददाश्त को बढ़ाने में मदद कर सकता है। साथ ही आंखें भी स्वस्थ रह सकती हैं।

आइए अब जानते हैं कि बाजार में बच्चों के लिए किस-किस प्रकार के चांदी के बर्तन उपलब्ध हैं।

बाजार में बच्चों के लिए खाने-पीने व दवा खिलाने समेत हर जरूरत के लिए चांदी के बर्तन मिल जाएंगे। यहां हम कुछ ऐसे ही बर्तनों के बारे में बताने जा रहे हैं।

केमिकल रहित: शिशु के लिए इस्तेमाल होने वाले बर्तनों में बीपीए और फ्थालेट जैसे हानिकारक केमिकल पाए जाते हैं। ये केमिकल शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास को कई तरह से प्रभावित करते हैं। वहीं, बच्चों के लिए चांदी से बर्तन इन दोनों केमिकल से फ्री होते हैं।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए: दरअसल चांदी के बर्तन में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं। दूसरे धातुओं के बर्तन में खाना गर्म करने से उसके हानिकारक तत्व खाने में मिल जाते हैं, जो बच्चों की सेहत के लिए यह सही नहीं है। चांदी के बर्तन के साथ ऐसा नहीं होता है।

दवा के साथ रिएक्शन नहीं : दवाएं किसी भी बर्तन के साथ बहुत तेजी के साथ रिएक्शन करती हैं। चांदी के बर्तन के साथ ऐसा नहीं होता है। इसलिए दवा देने के लिए चांदी का बर्तन अच्छा होता है।

चांदी की थाली : खाना सर्व करने के लिए चांदी की थाली बाजार में मिल जाएंगी। कांच या प्लास्टिक की प्लेट की जगह इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

benefits of feeding in silver utensils for small children

चांदी की कटोरी : ठंडे और गर्म दोनों तरह के खानों के लिए चांदी की कटोरी बेहतर विकल्प हो सकती है। कई आकार में ये बाजार में मिल जाएंगे। बच्चे की जरूरत के हिसाब से इसका चुनाव किया जा सकता है।

चांदी की चम्मच : बच्चों को कुछ भी खिलाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल चम्मच का होता है। स्टेनलेश स्टील या प्लास्टिक के चम्मच की जगह चांदी का चम्मच बेहतर विकल्प हो सकता है। बाजार में कई डिजाइन में ये मिल सकते हैं।

चांदी का बना गिलास: पानी, जूस, दूध या दूसरे तरल खाद्य पदार्थ देने के लिए चांदी का गिलास सबसे अच्छा है। बाजार में छोटे से लेकर बड़े साइज तक में यह मिलता है।

बोंदला या संकू : बच्चा छोटा है, तो उसे दवा और दूध देने के लिए चांदी का बोंदला या संकू खरीद सकती हैं। यह छोटी कटोरी की तरह होता है, लेकिन किनारे पर शंख की तरह बना होता है। छोटे बच्चों को दवा और दूध देने में इससे आसानी होती है।

चांदी के बर्तन उपयोग करने के टिप्स

छोटे बच्चों के लिए चांदी के बर्तन काफी गुणकारी होते हैं। यह कई तरह से छोटे बच्चों को फायदा पहुंचाते हैं। यहां हम जानते हैं कि चांदी के बर्तन छोटे बच्चों के लिए इस्तेमाल करने के टिप्स।

चांदी के बर्तन में पानी दें : बच्चे का शरीर हमेशा गरम रहता है, तो चांदी के बर्तन में उसके पीने का पानी रखिए। उस पानी को ही हमेशा पिलाएं। इससे बच्चे का तापमान सामान्य हो सकता है।

खाना चांदी के बर्तन में रखें : अगर बच्चे का खाना बच गया है, तो उसे चांदी के बर्तन में रखकर फ्रिज में स्टोर करें। चांदी के बर्तन में बैक्टीरियल इंफेक्शन होने की आशंका कम ही होती है।

benefits of feeding in silver utensils for small children

चांदी के बर्तन में खाना करें गर्म : कुछ गर्म करके बच्चे को खिलाना हो तो चांदी के बर्तन में ही गर्म करें। दूसरे बर्तनों के हानिकारक पदार्थ गर्म करते समय खाने में मिल जाते हैं, लेकिन चांदी के साथ ऐसा नहीं होता है।

पित्त दोष से बचाए : चांदी के गिलास में पानी पीने और बर्तनों में खाना खाने से सर्दी-जुकाम से काफी हद तक बचा जा सकता है। पित्त दोष में भी कहा जाता है कि चांदी के बर्तन में खाना और पानी पीना लाभदायक होता है।

चिड़चिड़ापन दूर करे : बच्चा ज्यादा चिड़चिड़ा हो गया है, तो उसे चांदी के बर्तन में खाना खिलाएं और पानी पिलाएं। कहा जाता है कि ऐसा करने से दिमाग शांत होता है और चिड़चिड़ापन दूर होता है।

चांदी के बर्तन में खाना देते समय बरती जाने वाली सावधानियां

शिशु के लिए चांदी के बर्तन इस्तेमाल करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं।

चांदी के बर्तन में अंडा नुकसानदेह : चांदी के बर्तन में कभी भी अंडा नहीं देना चाहिए। अंडे के पीले भाग में सल्फर होता है। चांदी से क्रिया करके यह काले रंग का सिल्वर सल्फाइड बनाता है, जो शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

पित्त दोष से बचाए : चांदी के गिलास में पानी पीने और बर्तनों में खाना खाने से सर्दी-जुकाम से काफी हद तक बचा जा सकता है। पित्त दोष में भी कहा जाता है कि चांदी के बर्तन में खाना और पानी पीना लाभदायक होता है।

चिड़चिड़ापन दूर करे : बच्चा ज्यादा चिड़चिड़ा हो गया है, तो उसे चांदी के बर्तन में खाना खिलाएं और पानी पिलाएं। कहा जाता है कि ऐसा करने से दिमाग शांत होता है और चिड़चिड़ापन दूर होता है।

छोटे बच्चों को चांदी के बर्तन में खाना देते समय बरती जाने वाली सावधानियां

शिशु के लिए चांदी के बर्तन इस्तेमाल करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं।

अंडा न दें : चांदी के बर्तन में कभी भी अंडा नहीं देना चाहिए। अंडे के पीले भाग में सल्फर होता है। चांदी से रिक्शन कर के यह काले रंग का सिल्वर सल्फाइड बनाता है, जो शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

कुछ लोगों को हम अक्सर देखते हैं कि वह हर दिन सुबह उठकर जूस पीना पसंद करते हैं लेकिन ऐसा करना अमूमन हेल्थ के लिए सही नहीं होता। ऐसे बहुत से और विकल्प हैं जिन्हें फॉलो कर अपनी दिन की हेल्दी शुरुआत कर सकते हैं।

लोग जानकारी के कमी की वजह से सुबह खाली पेट कुछ ऐसा खा लेते हैं जिसके कारण उनकी पूरी दिनचर्या प्रभावित हो सकती है। अगर आप सुबह का पहला खाना हेल्दी रखते हैं, तो यह आपके पूरे दिन के खाद्य पदार्थों को पचाने में मदद करता है।

सुबह हेल्दी खाने से वेट लॉस, हेल्दी डाइजेशन से लेकर सेहत संबंधी कई अन्य समस्याओं को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। आज हेल्थ शॉट्स के साथ जानेंगे की सुबह खाली पेट आप किन खाद्य पदार्थों को खा सकते हैं और किन खाद्य पदार्थों को खाना आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकता है।

न्यूट्रीशनिस्ट और वेलनेस कंसलटेंट ने बताया है कि किन खाद्य पदार्थों को सुबह खाली पेट नहीं खाना चाहिए साथ ही जानेंगे सुबह किन खाद्य पदार्थों का सेवन हमारे लिए फायदेमंद हो सकता है।

कभी भी खाली पेट न करें इन खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल

1. चीनी और राइस सिरप

ज्यादातर लोग इसे खाली पेट लेते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि यह फैट बर्न करने में मदद करता है। हालांकि Honey में चीनी की तुलना में ज्यादा कैलोरी और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी अधिक होता है। बिना किसी मिलावट के शुद्ध शहद मिलना बेहद मुश्किल है और ज्यादातर लोग शहद के नाम पर चीनी और राइस सिरप का सेवन करते हैं। यह आपके रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा देता है जिसके परिणामस्वरूप पूरे दिन अधिक खाने की इच्छा होती रहती है। यदि आपके पास रॉ हनी है तब ही इसे अपनी मॉर्निंग डाइट में शामिल करें।

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2. खट्टे फल

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अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में फल बहुत जल्दी पच जाते हैं। इससे हमें एक घंटे के अंदर ही भूख लग जाती है। वहीं खाली पेट खट्टे फल खाने से एसिडिटी हो सकती है। खट्टे फल में कई महत्वपूर्ण विटामिन, मिनरल्स और फाइबर मौजूद होते हैं। परंतु फिर भी इनसे खाली पेट परहेज रखने की सलाह दी जाती है। संतरा, कीवी, अनानास जैसे फलों के सेवन से इनमें मौजूद फाइबर और फ्रुक्टोज की मात्रा आपके मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देती है, जिसकी वजह से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती है।

3. चाय और कॉफी

खाली पेट चाय या कॉफी का सेवन पेट में एसिड पैदा करता है और यह आपके पेट को असंतुलित कर सकता है और पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है। इसके सेवन से ब्लोटिंग, कॉन्स्टिपेशन, हार्टबर्न जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसलिए सुबह चाय और कॉफी पीने से पहले कुछ खा लेना चाहिए और कोशिश करें कि चाय और कॉफी को अवॉयड कर सकें।

4. ब्रेकफास्ट में मीठे की जगह लें नमकीन

नमकीन नाश्ता आपके रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने के लिए उपयुक्त होता है। यह उन लोगों के लिए बिल्कुल सही है जो अपनी फिटनेस पर ध्यान देते हैं। प्रोटीन और फैट बेस्ड मॉर्निंग मील पूरे दिन की भूख को कम करने में मदद करता है। ऐसे में आप ओवरईटिंग नहीं करती।

मीठा नाश्ता आपके ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा देता है या इसे तेजी से कम कर सकता है, जिससे आपको अधिक भूख लग सकती है, विशेष रूप से कार्ब्स की क्रेविंग्स होगी और ऊर्जा शक्ति में भी गिरावट देखने को मिलती है।

5. मसालेदार भोजन

सुबह खाली पेट मसालेदार भोजन करने से आपके पेट मे जलन का अनुभव हो सकता है। साथ ही साथ यह पाचन संबंधी विभिन्न प्रकार की समस्याओं का कारण बनती है, खासकर हार्टबर्न और पेट दर्द। वहीं आप पूरे दिन असहज महसूस कर सकती हैं।

आपसी रिश्तों की गहराई को परखने के लिए Intimacy का अहम रोल होता हैै। इंटिमेसी का मतलब सिर्फ फिजिकल इंटिमेसी ही नहीं है, बल्कि यह अलग भी हो सकती है। अब जब समय और समाज बदल रहा है, तब महिलाएं और पुरुष दोनों ही रिश्ते में जुड़ाव के अलग-अलग वजह को भी समझने लगे हैं।

रिलेशन को समझने और परखने के लिए और दूसरे को समझने के लिए एक-दूसरे के साथ जुड़ना बहुत जरूरी होता है। इंटिमेसी एक ऐसी जरूरत है जो किसी भी रिलेशन को और मजबूत बना सकती है। असल मे इंटिमेसी ही एक-दूसरे की चाहत, इच्छाओं, जरूरतों को ज्यादा बेहतर तरीके से समझने में मदद करती है।

डॉक्टरों का कहना है कि इंटिमेसी किसी भी रिश्ते का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह दो लोगों के बीच गहरे, भावनात्मक संबंध को दर्शाता है। यह शारीरिक निकटता से परे है और इसमें बंधन और विश्वास के अलग-अलग आयाम शामिल हैं।

8 तरह की इंटिमेसी हो सकती है किसी भी रिश्ते की मजबूती और लंबे चलने की वजह

1.इमोशनल इंटिमेसी

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डॉक्टरों के मुताबिक इस तरह की इंटिमेसी में एक-दूसरे की भावनाओं, विचारों और कमजोरियों को साझा करना और समझना शामिल है। बिना किसी फैसले के भावनाओं को व्यक्त करने के लिए खुले संचार, सहानुभूति और एक सुरझित स्थान की आवश्यकता होती है।

2. फिजिकल इंटिमेसी

फिजिकल इंटिमेसी में पार्टनर में शारीरिक नजदीकियां और निकटता शामिल है। इसमें गले लगाना, हाथ पकड़ना, किस और सैक्सुअल इंटिमेसी जैसी गतिविधियां शामिल है।

3. बौद्धिक इंटिमेसी

बौद्धिक इंटिमेसी विचारों, आइडिया और बौद्धिक उत्तेजना के आदान-प्रदान पर निर्मित होती है। इसमें गहन बातचीत में शामिल होना, हितों पर चर्चा करना और एक-दूसरे की बौद्धिक गतिविधियों का सम्मान करना निहित है।

4. आध्यात्मिक इंटिमेसी

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आध्यात्मिक इंटिमेसी (Spiritual Intimacy) का संबंध आध्यात्मिक या दार्शनिक स्तर पर जुड़ने से है। इसमें विश्वास, वैल्यू और मकसद की भावना को शेयर करना शामिल है। इस तरह की अंतरंगता को साझा आध्यात्मिक प्रथाओं, ध्यान या आध्यात्मिकता के बारे में सार्थक चर्चाओं में शामिल होने के माध्यम से पोषित किया जा सकता है।

5. मनोरंजक इंटिमेसी

मनोरंजन इंटिमेसी में गतिविधियों और शौक को एक साथ शामिल करना शामिल है। इसमें साझा फिलिंग्स भी निहित है। जैसे- खेल खेलना, साहसिक यात्रा पर जाना, फिल्में देखना या सामान्य रुचियों को अपनाना। आनंददायक गतिविधियों में शामिल होने से संबंध मजबूत हो सकते हैं और साझा यादें बन सकती हैं। फिजिकल टच इंसानों के बीच भावनात्मक संबंध को मजबूत कर सकता है।

6. रचनात्मक इंटिमेसी 

रचनात्मक इंटिमेसी में एक-दूसरे की रचनात्मकता को व्यक्त करना और उसकी सराहना करना शामिल है। यह एक साथ कलात्मक प्रयासों में शामिल होने के माध्यम से हो सकता है, जैसे- पेंटिंग, लेखन, खाना बनाना या संगीत बनाना। एक-दूसरे की रचनात्मक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करना और समर्थन करना बंधन को मजबूत कर सकता है।

7. विश्वास की इंटिमेसी 

If you don't like something between two different minded people

डॉक्टरों के मुताबिक विश्वास की इंटिमेसी आपसी विश्वास, ईमानदारी और विश्वसनीयता पर बनी होती है। इसमें एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील होना, वादे निभाना और गोपनीयता बनाए रखना शामिल है। विश्वास भावनात्मक सुरक्षा के लिए आधार प्रदान करता है और जुड़ाव की गहरी भावना को बढ़ावा देता है।

8. अनुभवात्मक इंटिमेसी 

अनुभवात्मक इंटिमेसी जीवन के खास अनुभवों और माइलस्टोन को शेयर करने के बारे में है। इसमे अहम घटनाओं के दौरान एक-दूसरे के लिए उपस्थित रहना, चुनौतियों के माध्यम से एक-दूसरे का समर्थन करना और उपलब्धियों का एक साथ जश्न मनाना निहित है। लाइफ के उतार-चढ़ाव को शेयर करने से भावनात्मक संबंध गहरा हो सकता है।

Sometimes even a small difference between husband and wife is important

आप सभी जानते हैं कि किसी के साथ रिलेशन में आना काफी आसान होता है पर उस रिश्ते को जिंदगी भर शिद्दत से निभाना बहुत ही मुश्किल होता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि पुराने जमाने के लोगों में रिश्ते को लेकर गंभीरता होती थी। वह अपने रिलेशन को बचाने के लिए हर जरूरी प्रयास करते थे।

हैरानी और दुख की बात यह है कि आजकल इंसानों के लिए रिलेशन भी किसी खेल से कम नहीं है। बल्कि दुनिया में सब ऐसे नहीं हैं। लेकिन कई कपल्स ऐसे हैं जो आज भी ऐसे रिश्ते में जी रहे हैं, जहां उनका पार्टनर उन्हें मानसिक तौर पर खूब हानि पहुंचा रहा है। पर इसके बावजूद वह उस रिश्ते को निभाने का पूरा प्रयास में जुटे हैं।

नए जमाने की बात करूं तो ऐसे रिश्तों को ‘Toxic Relationship’ के नाम से जाना जाता है। इस लेख में आप जानेंगे कि क्या साइन हैं कि जिससे आप जान सकते हैं कि आपका रिश्ता टॉक्सिक है।

टॉक्सिक रिलेशनशिप के साइन (Toxic Relationship Signs)

1. हमेशा बुराई करना

आपका पार्टनर लगातार आपको नीचा दिखाता है, आपकी उपस्थिति, क्षमताओं या निर्णयों की आलोचना करता है और आपके आत्मसम्मान को लगातार कम करने की कोशिश करता है।

2. कंट्रोल और चालाकी करना

आपका पार्टनर आपके कामों को कंट्रोल करने की कोशिश करता है, आपको दोस्तों और परिवार से अलग करते है। आपको क्या पसंद है वह भी वही तय करता है या फिर आप पर हद से ज्यादा हक बनाए रखने के लिए गिल्ट-ट्रिपिंग जैसी चालाकियों को आपके साथ करता है।

3. विश्वास न करना

मिसिंग कम्यूनिकेशन

आपका पार्टनर कम विश्वास करने लगता है। जलन और रोजाना नए आरोप लगता है। बिना बताए आपका पार्टनर आपका फोन, ईमेल और बाकी सोशल मीडिया हैंडेल चेक करता हो। उसे आपके हर अगले कदम पर एक शक बना रहता है।

4. इमोशनल और फिजिकल एब्यूज

रिलेशनशिप में मार-पिटाई होना यह बिल्कुल साफ करता है कि आप एक टॉक्सिक रिश्ते में है लेकिन, इमोशनल एब्यूज भी यह दिखाता है कि रिश्ता खत्म होने का कगार पर पहुंच चुका है। इसमें पार्टनर को लगातार नीचा दिखाना, अपमान करना, धमकी देना, ऐसे बर्ताव जिससे आपको दुख पहुंचता हो।

5. दूसरों संग बर्ताव

इस बात पर ध्यान दें कि आपका साथी दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करता है, जैसे कि दोस्त, परिवार या उसके साथ काम करने वाले। यदि वे लगातार दूसरों को नीचा दिखाते हैं, उनका अनादर करते हैं या उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं। तो यह संकेत हैं कि उनका बर्ताव टॉक्सिक है।

6. छोटी छोटी बातों पर झगड़ा

गुस्से में पत्नी

अगर आपका पार्टनर हर किसी बात को लेकर लड़ाई करता है। छोटी सी छोटी बात को बहुत बड़ा बना देता। तो इससे यह साबित होता है कि वह न तो खुद खुश रह सकता है और न वो आपको रख सकता है।

7. गलत इमेज बनाना

अगर आपका पार्टनर अपने परिवार और दोस्तों के बीच आपकी गलत इमेज बनाता है। साथ ही यह दिखाता है कि आपको न तो रिश्ते की कदर है न उसकी। तो आपको इस बारे में जरूर सोचना चाहिए।

8. फैसले की घड़ी

इन तमाम बिंदुओं में कही बातें अगर आपके और आपके पार्टनर से मिलती-जुलती हैं तो आपको या तो आराम से रिश्ते में सुधार को लेकर बात करनी चाहिए है या फिर सब कुछ भूलकर जिंदगी में आगे बढ़ जाएं।

फोटो सौजन्य- गूगल

Tiku Weds Sheru

मुंबई: सिनेमा जगत में कई बार स्ट्रगलिंग और जूनियर कलाकार की लाइफ पर फिल्में बनाई जा चुकी है। उनकी लाइफ की मुसीबतों को हमने कई बार बड़ें पर्दें पर देखा है। ऐसे में जब नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म ‘टीकू वेड्स शेरू’ का ट्रेलर आया तो सभी के मन में प्रश्न था कि आखिर इसमें नया क्या है? यहां देखें फिल्म से जुड़ी रिव्यू-

ये है फिल्म की कहानी

ये कहानी है शिराज अफगानी उर्फ शेरू (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) की, जो फिल्म इंडस्ट्री का जूनियर कलाकार है। शेरू खुद को बड़ा स्टार के तौर पर देखना चाहता है पर उनके सितारे उसका साथ नहीं दे रहे, क्योंकि वो एक जूनियर कलाकार है तो उसकी कोई खास इज्जत भी नहीं है। उसे जब कहा जाए तो बैठ जाता है और जब कहा जाए तो खड़ा हो जाता है। अगर वह कहना ना माने तो फौरन उस डांट सुनने को मिल जाती है या फिर प्रोजेक्ट से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। एक कलाकार के तौर पर शेरू आसानी से रिप्लेस हो सकता है। इंडस्ट्री से खास सफलता ना मिलने के कारण से वो साइड में ड्रग्स और लड़कियों का धंधा शुरू कर देता है।

Tiku Weds Sheru

वहीं, टीकू(अवनीत कौर), जो भोपाल की तेज-तर्रार और बिगड़ैल लड़की है। टीकू अपने टॉक्सिक घर को छोड़कर बड़ी सुपरस्टार बनना चाहती है। उसे मौका मिलता है शेरू के साथ, जो फिल्म फाइनैन्सर होने का झूठ उसके परिवार से बोलता है। दोनों की शादी होती है और शेरू को दहेज में पैसे मिलते हैं। इन पैसों से वो अपने पीछे पड़े गुंडों का लोन चुकाकर छुटकारा पाता है। इसके बाद शुरू होती है शेरू और टीकू की प्रेम कहानी। दोनों की इस कहानी में तूफान तब आता है जब टीकू के सामने इंडस्ट्री का काला सच आ जाता है और शेरू को ड्रग्स बेचने के मामले में जेल की हवा खानी पड़ती है।

डायरेक्टर साई कबीर की इस फिल्म में ना तो अच्छा फ्लो है और ना ही इसके सीन्स अच्छे से बंधे हुए हैं। दो स्ट्रगल करने वालो की लव स्टोरी तक ठीक है लेकिन इसके आगे यह फिल्म खुद जुझती हुई नजर आती है। फिल्म का स्क्रीनप्ले इसके साथ न्याय नहीं करता। इस फिल्म से आपको कुछ भी नया नहीं मिलता, जो आपने पहले ऐसी कहानियों में ना देखा होगा।

नवाजुद्दीन ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपने किरदार को अच्छे से निभाया है। अपने चमकीले कपड़ों और बिंदास अंदाज के साथ नवाज शेरू के किरदार में एकदम सही फिट बैठे हैं। उनकी डायलॉग डिलीवरी के भी क्या कहने। फिल्म में वो एक डायलॉग बोलते हैं- हम जब मिलते हैं दिल से मिलते हैं, वरना ख्वाब में भी मुश्किल से मिलते हैं। नवाज के मुंह से ये डायलॉग सुनकर अच्छा लगता है। फिल्म में अपने रोल को उन्होंने सही अंदाज में निभाया है।

अवनीत कौर का डेब्यू बहुत ही अच्छा रहा। उनकी बढ़िया परफॉर्मेंस बताती है कि इंडस्ट्री को एक और अच्छा आर्टिस्ट मिल गया है। एक तेज तर्रार लड़की के रूप में अवनीत का काम बेजोड़ है और एक टूटी हुई महिला के रूप में भी वो अपने आप को अच्छे से संभालती हैं। फिल्म के कुछ सीन्स में अवनीत शाइन करती हैं, उन्हें रोता देख आपके दिल में भी दर्द होता है। दोनों एक्टर्स ने काम जरूर अच्छा किया है पर उनकी जोड़ी और रोमांस फिर भी कोई खास छाप छोड़ने में कामयाब नहीं हो पाता है लेकिन हां, इन दोनों की अच्छी परफॉरमेंस पर एक बार इस फिल्म को जरूर देखा जा सकता है।

फोटो सौजन्य- गूगल

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Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य ने भी अपनी नीतामाला में वैवाहिक जीवन को खुशहालl बनाने के लिए बहुत कुछ लिखा है। कई बार ऐसा होता है कि महिलाएं अपने पति से संतुष्ट नहीं होती हैं और पति को इस बात की भनक भी नहीं होती।

चाणक्य नीति के बारे में आज हर कोई जानता है। चाणक्य को महान ऐसे ही नहीं कहा गया है। उनकी कही बातें आज भी लोग अपने जीवन में उतारते हैं। ऐसे करने वाले हमेशा सुखमय जीवन व्यतीत करते हैं। सुखी जीवन के लिए आचार्य चाणक्य नीति की बातें बेहद जरूरी हैं। आज भागमभाग में हम कई ऐसी बाते भूल जाते हैं जो बेहद जरूरी होती हैं और उनके बिना हम अपनों को न चाहते हुए भी ठेस पहुंचा देते हैं।

ऐसे में चाणक्य नीति को फॉलो करना जरूरी हो जाता है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में शादीशुदा जीवन को सुखमय बनाने के लिए भी कई बातें लिखी हैं। कई बार ऐसा होता है कि औरतें अपने पति से संतुष्ट नहीं होती और पति को इस बारे में पता नहीं चल पाता। आइये बताते हैं पत्नियां जब असंतुष्ट होती हैं तो उनका क्या इशारा होता है-

चाणक्य नीति में महिलाओं के ऐसे इशारों के बारे में बताया गया है जो वे असंतुष्ट होने पर करती हैं। इन इशारों को भांप कर कोई भी पति अपनी पत्नी को संतुष्ट कर सकता है। पत्नी की नाराजगी को दूर करने के लिए चाणक्य नीति की इन बातों का जरूर ध्यान देना चाहिए।

बात ज्यादा ना करना

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पत्नियों को बातूनी भी कहा जाता है जब पत्नी बहुत खुश होती है तो अपने पति बहुत ज्यादा बात करती है कभी तो पति को कहना पड़ता है कि बस करो कितना बोल रही हो। अगर आपकी पत्नी भी बहुत बातें करती है और अचानक शांत हो जाए तो समझ जाइये कि वह असंतुष्ट है।

यानी आपकी किसी बात से वह नाराज है। कम बात करना पत्नियों के असंतुष्टि बारे में इशारा करता है। ये संकेत मिलते ही आप अपनी पत्नी से बात करिये और जानिये कि वह किस बात से परेशान है। ऐसा करने से वह बात आप से शेयर करेगी और फिर पहले की तरह हो जाएगी।

पति को कभी नाराज नहीं करना चाहती पत्नियां

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यह सब जानते हैं कि पत्नियों के लिए पति कितनी अहमियत रखते हैं। पत्नी अपने पति को कभी नाराज नहीं करना चाहती. ऐसे में अगर पत्नी आपसे झुंझलाने लगे यानी बात पर झगड़ा करे और गुस्सा करे तो समझ जाइये कि वो किसी न किसी बात को लेकर असंतुष्ट है। इस इशारे को ध्यान में रखकर आपका अगला कदम पत्नी को खुश करने के लिए होना चाहिए।

बस अपने बारे में सोचना

पत्नियों के बारे में कहा गया है कि वे अपने पति के हर जरूरत का ख्याल रखती हैं। अगर आपकी पत्नी अचानक आपसे दूरी बना ले या आपको लगे कि वो सिर्फ अपने बारे में सोच रही है और आपका ख्याल नहीं रख रही है तो आपको समझ लेना चाहिए कि वह किस न किसी बात से असंतुष्ट है।

हो सकता है कि वह आपकी किसी बात से नाराज हो, आपको इसे ध्यान में रखते हुए पत्नी से तसल्ली से बात करनी चाहिए। उसकी समस्या को समझकर उसकी परेशानी को दूर करना चाहिए। ऐसा करने आपकी पत्नी को संतुष्टि मिलेगी और वह फिर पहले की तरह आपसे करीब हो जायेगी।

जन्म के बाद से ही शिशु के विकास का चरण शुरू हो जाता है। वह धीरे-धीरे खुद से क्रॉल करने से लेकर, बैठना, चलना, ताली बजाना और बोलना सीखने लगता है। बच्चे के विकासात्मक का यह तरण हर पेरेंट्स के लिए काफी आनंद भरा भी होता है।

शिशु किस उम्र में बोलना शुरू करते है?

आमतौर पर बच्चे 4 महीने की उम्र में तुतला कर बोलना शुरू कर देते हैं। आमातौर पर वे अपने आस-पास सुनाई देनी वाली आवाजों की नकल कर सकते हैं और इस दौरान वे इसे अपनी तोतली भाषा में पा..पा या फिर मम्मा बोलने का प्रयास भी करते हैं। वहीं, एक्सपर्ट के मुताबिक बच्चे में गर्भ से ही भाषा का संचार होने लगता है, इसलिए मां को गर्भावस्था के दौरान से ही शिशु से बात करनी चाहिए। ऐसा भी माना जाता है कि बच्चे को किसी शब्द को बोलना शुरू करने से पहले उसे कम से कम 100 बार सुनने की जरूरत होती है।

कब और कैसे बोलना सिखते है छोटे बच्चे

खासकर छोटे बच्चे 12 से 18 महीने की उम्र के बीच अपना पहला शब्द बोलना शुरू कर देते हैं। रिसर्च से यह पता चलता है कि बच्चों में जन्म से लेकर 05 साल तक भाषा सीखने का गुण विकसित होता रहता है।

यहां हम जानेंगे कि किस उम्र में बच्चे क्या बोलते हैं-

जन्म का शुरुआती तीन माह: इस उम्र में शिशु परिचित आवाज की ओर देखता है और तेज आवाज से डर जाता है। वह माता-पिता के साथ ही अपने आस-पास रहने वाले लोगों की आवाज भी पहचानने लगता है।

3 से 6 माह : इस दौरान बच्चा सुनी हुई आवाज पर उत्साह दिखाता है। ध्यान आकर्षित करने के लिए आवाज निकालना, खेल के दौरान हंसना और बड़बड़ाना जैसी आदतों का विकास शुरू हो जाता है।

6 से 12 महीना : इस उम्र में बच्चा अलग-अलग आवाज, जैसे-फोन का रिंग, दरवाजे की घंटी जैसी आवाजें पहचानने लगता है। साथ ही पापा, मामा, नो-नो, दादा-बाबा जैसे आसान शब्दों का इस्तेमाल भी करना शुरू कर देता है।

12 से 15 महीने : इस उम्र के बच्चे अक्सर संगीत की तरफ अधिक ध्यान दे सकते हैं। सॉफ्ट म्युजिक व लोरी की तरफ उनका ध्यान अधिक आकर्षित हो सकता है।

15 से 18 महीने : इस उम्र में बच्चा छोटी-छोटी बातों के प्रति इशारों को आसानी से समधना शुरू कर सकता है। उदाहरण के लिए, पास आने, सोने, चुप होने, बैठने या जूते पहने जैसे निर्देशों को वह आसानी से समझ सकता है और उन्हें बोलने की नकल भी कर सकता है।

18 महीने से 2 वर्ष : इस उम्र में बच्चे लगभग अधितकर निर्देशों को समझना शुरू कर देते हैं। वह 2 से 3 शब्दों को एक साथ बोलना भी शुरू कर सकता है।

2 से 3 साल : बच्चे इस उम्र में सुनने और बात करने का कौशल विकसित कर लेते हैं। चित्र के साथ कहानियों को समझने लगते हैं। इस दौरान 4 से 5 शब्दों को जोड़कर बोल सकते हैं। बच्चा बातचीत भी शुरू कर सकता है।

3 से 4 साल : इस दौरान बच्चा 6 शब्दों के वाक्य का उपयोग भी कर सकता है।

4 से 5 : इस उम्र तक के बच्चे आसानी से अपने घर में बोली जानी वाली भाषा का उपयोग करना सीख चुके होते हैं। साथ ही उन्हें किसी अन्य भाषा की ट्रेनिंग देना भी इस उम्र से शुरू किया जा सकता है।

ऐसे सिखाएं छोटे बच्चे को बात करना-

Talking kid

छोटे बच्चे को बात करना सिखाने के कई तरीके हैं। अगर उन तरीकों का सही से इस्तेमाल किया जाए, तो बच्चा आसानी से साफ-साफ बोलना शुरू कर सकता है। यहां हम ऐसे ही कुछ टिप्स दे रहे हैं, तो आपके बच्चे को बोलना सिखाने में मदद करेंगे।

बच्चे से इशारों में बात करना – पेरेंट्स अपने शिशु से इशारों में बात करना शुरू कर सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर पेरेंट्स चाहते हैं कि बच्चा खुद से भूख को बता सके, तो इसके लिए उसे दूख पिलाते समय या भोजन कराते समय उसे बताएं कि क्या वह इसी को मांग रहा है। इससे बच्चा यह समझ सकता है कि भूख लगने पर उसे किसी तरफ इशारा करना या उसे किस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करना है।

लोरी सुनाना- बच्चे को सुलाते समय उसे लोरी सुना सकती हैं। लोरी सुनने से बच्चा आसानी से भाषा सीखने के लिए प्रेरित हो सकता है। अगर वह बार-बार एक ही लोरी सुनेगा, तो वह भी उसे बोलने की नकल शुरू कर सकता है, इससे वह जल्द ही बोलना आरंभ कर सकता है।

कहानी सुनाना – पेरेंट्स बच्चों के कहानी सुनाने के जरिए भी बोलना सिखा सकते हैं। इसके लिए वे बच्चे को चित्रों के जरिए कोई कहानी सुना सकते हैं और उसी कहानी को दिन में 2 से 3 बार रिपीट भी कर सकते हैं।

बच्चे को प्रोत्साहित करना – शिशु के साथ खेलते हुए जब भी किसी भाषा का प्रयोग करें, तो उसे तीन से चार बार दोहराएं। ऐसा करने से बच्चे को वह शब्द बोलने के लिए प्रोत्साहन मिल सकता है।

बच्चे को बता कर कार्य करें- मिसाल के तौर पर अगर बच्चे को नहला रही हैं या उसे खाना खिला रही हैं, तो उसे इस बारे में बताएं। ऐसा करने से बच्चा नई-नई बातों के बारे में सीखेगा और उनके बारे में जानेगा।

बच्चे की नकल करें- अगर बच्चा अपनी तोतली आवाज में कुछ बोलता है, तो पेरेंट्स भी उसकी नकल कर सकते हैं। इससे बच्चे को खुशी मिलेगी और वह फिर से उसी आवाज को दोहराने की कोशिश कर सकता है।

जब शिशु बोलना सीख रहा है, उस समय इन बातों का ख्याल बहुत जरूरी होता है।

Apart from PHYSICAL RELATION

Sex संबधों में सक्रियता न होना intimacy की कमी को दर्शाता हैं। सेक्स लाइफ को मज़ेदार बनाने के लिए दोनों लोगों का प्रयासरत होना ज़रूरी है। जानते हैं, वो टिप्स जो सेक्सुअल लाइफ को हेल्दी बनाकर रखती हैं।

छोटे छोटे लम्हों में भी खुशी की तलाश कर लेना रिश्ते में खुशहाली को बढ़ा देता है। शुरूआत में हर कपल के बीच सेक्सुअल रिलेशनशिप एक स्पार्क से आरंभ होता है लेकिन बदलते हालात और जिम्मेदारियां हमारे लाइफ में से खुशी और सेक्स ड्राइव को कम करने लगती है। सेक्स लाइफ को हैप्पी और हेल्दी बनाने के लिए दोनों लोगों का प्रयासरत होना ज़रूरी है। लिबिडो बूस्टिंग (Libido boosting) के लिए यूं तो कई प्रोडक्टस और सप्लीमेंटस मौजूद हैं। मगर अलावा इसके कुछ ऐसी बातों का जानना ज़रूरी है, जो हमारी सेक्स लाइफ को खुशहाल बनाने में मददगार होती है।

NCBI के एक रिसर्च में पाया गया है कि यौन संबधों का प्रभाव हमारी सेहत पर भी दिखने लगता है। वे महिलाएं, जो सेक्सुअल रिलेशनशिप (Sexual relationship) में खुशी का अनुभव नहीं करती है। वे हाइपरटेंशन का शिकार हो जाती हैं। दूसरी ओर पुरूष तनाव और एंगजाइटी से ग्रस्त रहते हैं। रिसर्च में पाया गया है कि ओवरऑल लाइफ की क्वालिटी को निखारने के लिए सेक्स बेहद ज़रूरी है।

Sex life

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक सेक्सुअल हेल्थ और यौन संबधों के लिए पॉजिटिव और रिस्पेक्टफुल अप्रोच की आवश्यकता होती है। अलावा इसके जबरदस्ती, भेदभाव और हिंसा से मुक्त हेल्दी रिलेशन बिल्ड करना चाहिए। सेक्सुअल हेल्थ मेंटेन करने के लिए सभी लोगों को सेक्सुअल राइटस की रिस्पेक्ट, संरक्षण और पूर्ति की जानी चाहिए।

जानते हैं, वो खास आदतें, जो सेक्सुअल लाइफ को हेल्दी बना सकती हैं।

1. सेक्स परफार्मेंस से ज्यादा साथ पर फोकस करना

बहुत से हैप्पी कपल्स सेक्स के दौरान सिर्फ सैटिसफेक्शन पर ध्यान नहीं देते हैं। एक दूसरे का साथ ही उनके लिए काफी होता है। उनका फोकस एक दूसरे के साथ वक्त बिताना होता है। हांलाकि सेक्स में ऑर्गेज्म को पीक तक ले जाना बेहद ज़रूरी है। हर बार इस मानसिक दबाव में सेक्स करने से आप सेक्सुअल लाइफ को एंजॉय नहीं कर पाते हैं। हैप्पी कपल्स सेक्स परफार्मेंस से ज्यादा उस समय का आनंद उठाने पर ध्यान देते हैं। इससे उनका रिश्ता मजबूत और हेल्दी होने लगता है।

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2. पार्टनर को गंभीरता से लेना

जब आप अपने साथी को सेक्स के दौरान और सेक्स के बाद समय देते हैं, तो एक दूसरे में अंडरस्टैंडिंग बढ़ने लगती है। दरअसल, एक दूसरे के प्रति आर्कषण खत्म होने के बाद अधिकतर कंपल्स असंतुष्ट नज़र आने लगते हैं। उन्हें एक दूसरे की पसंद नापसंद का अब ख्याल नहीं रहता है। दूसरी ओर वो कपल्स जो एक दूसरे को प्यार करने के अलावा अच्छे दोस्त भी है, वो फीलीग्स का खास ख्याल रखते हैं। फोर प्ले से लेकर आफ्टर प्ले तक हर बात का ख्याल रखने के अलावा यौन संबधों के दौरान रोमांस भी बरकरार रहता है।

3. सेक्स लाइफ को समय देना

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बहुत से कपल्स शादी के कुछ सालों बाद सेक्स लाइफ को लेकर सीरियस नहीं रहते हैं। उनकी सेक्सुअल लाइफ धीरे धीरे बोरिंग होने लगती है और एक समय के बाद उस पर विराम लग जाता है। इससे दोनों लोगों का जीवन तनावपूर्ण और थकान भरा होने लगता है। दिनों दिन मन मुटाव और झगड़े बढ़ने लगते हैं। कुछ कपल जो शादी के सालों बाद भी खुशहाल नज़र आते हैं, वे अपनी सेक्सुअल लाइफ को पूर्ण रूप से मेंटेन रखते हैं। वे दूसरे के लिए वक्त निकालते हैं। हांलाकि, वो कामेच्छा से ज्यादा तनाव से दूर रहने के लिए सेक्स को प्रायोरिटी देने लगते हैं।

4. बोझ नहीं है सेक्स

वे लोग जो शादी के सालों बाद सेक्स के चार्म को एंजॉय नहीं कर पाते हैं। उनके लिए यौन संबध सिर्फ एक टास्क के समान होता है। वे अब उसमें खुशी नहीं तलाश पाते हैं। इसका प्रभाव उनके रिश्ते पर दिखने लगता है। धीरे धीरे वो सेक्स को बोझ मानने लगते है। अपने रिश्ते में खुशहाली को बनाए रखन के लिए सेक्स को महज़ एक काम न समझें। उस समय के दौरान खुशी को तलाशें और पार्टनर को भी खुश रखने का प्रयास करें। इस बात को जान लें कि एक दूसरे को खुश रखने से आपके संबध मज़बूत होंगे।

5. बातों की चाशनी

पार्टनर से वार्तालाप करना हेल्दी रिलेशन मेंटेन करने के लिए बेहद ज़रूरी है। एक दूसरे से बातचीत करके आप अपनी समस्याओं को सुलझा सकते हैं। साथ ही सेक्सुअल लाइफ में आने वाने अप्स एंड डाउंस को आसानी से मिलकर हल कर सकते हैं। संवाद बहुत सारी समस्याओं का समाधान हो सकता है। सेक्स को साइलेंट अफेयर बनाने की बजाए एक-दूसरे के साथ संवाद बनाएं।