CHHATH PUJA: देशभर में लोक आस्था का महापर्व छठ पूरे हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। सोमवार शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखांड समेत देश के कई हिस्सों में नदियों के घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।
दिल्ली में भी यमुना तट पर पारंपरिक गीतों और पूजा के बीच माहौल आस्थामय दिखा। इस अवसर पर ना सिर्फ आम लोगों के साथ ही नेतागण और भोजपुरी इंडस्ट्री के कलाकार भी भक्ति में लीन नजर आए। घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे और प्रशासन ने व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने के लिए विशेष टीम तैनात की थी। छठ पूजा की खासियत यह रही कि लोग सुबह से ही तैयारी में जुटे रहे और शाम होते ही सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाटों पर पहुंचे। सोमवार को इस पर्व के तीसरे दिन व्रती महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया।
बिहार में छठ ना सिर्फ आस्था का पर्व है, बल्कि इस बार चुनावी मौसम ने इसमें राजनीति का रंग भी जोड़ दिया है। विधानसभा चुनाव के कारण कई उम्मीदवार घाटों पर पहुंच रहे हैं और श्रद्धालुओं से जनसंपर्क करते नजर आए।
फोटो सौजन्य- गूगल
Chhath Puja: महापर्व छठ का आगाज 25 अक्टूबर को हो चुका है। चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व का समापन 29 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर होगा। पहले दिन नाहय-खाय और आज यानी 26 अक्टूबर को छठ पर्व के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है। खरना का भी अपना विशेष महत्व है। छठ में सूर्य देवता के साथ ही छठी मैया की भी पूजा की जाती है। यह त्योहार बिहार का विशेष त्योहार है जिसे झारखंड, उत्तर प्रदेश में रहने वाले लोग बड़े ही आस्था के साथ मनाते हैं। खरना को लोहंडा भी कहा जाता है। खरना पर खास प्रसाद बनाया जाता है जिसका अपना अलग महत्व है। इसी खास प्रसाद को व्रती खाते हैं।
खरना पर प्रसाद में क्या बनता है?
खरना 26 अक्टूबर को है। इस दिन गुड़ वाली खीर और रोटी बनती है। यह खीर मिट्टी का नया चूल्हा बनाकर तैयार किया जाता है। वह भी आम की लकड़ी जलाकर बनाने की प्रथा है। दूसरी लकड़ी का इस्तेमाल इसमें वर्जित माना गया है। व्रती पूजा के बाद प्रसाद के तौर पर इसका ही सेवन करते हैं।
खरना प्रसाद का महत्व ?
खरना वाले दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं। शाम के समय जब मिट्टी का चूल्हा बनाया जाता है, तो उस पर गुड़ की खीर, रोटी बनाई जाती है। आप इसे पीतल या मिर्टी के बर्तन में बना सकते हैं। साथ ही गेहूं की रोटी या फिर पूड़ी बनाई जाती है। शाम में सूर्य देव को पूजा-आराधना करके इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं।
आम की लकड़ी ही क्यों किया जाता है इस्तेमाल?
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक आम का पेड़ छठी मइया को प्रिय है। आम की लकड़ी शुद्ध, सात्विक होता है। मान्यता है कि आम की लकड़ी पर पके भोजन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। साथ ही इसका धुआं वातावरण को शुद्ध करता है।
खरना का क्या है महत्व?
खरना छठ पर्व के दूसरे दिन पड़ता है और यहीं से 36 घंटे वाला निर्जला व्रत शुरू होता है। खीर और रोटी खाने के बाद व्रती अन्न और जल ग्रहण नहीं करते हैं। खरना के दिन बनने वाली गुड़ की खीर खाने से छठी मइया का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह सेहत, सुख-समृद्धि, संतान सुख भी देता है। व्रती जब सूर्य देव को अर्घ्य दे देते हैं तो इस प्रसाद का सेवन किया जाता है। उसके बाद ही घर के अन्य सदस्य भी इसे खाते हैं। यहां से शुरू होता है व्रती का 36 घंटे का निर्जला व्रत 27 अक्टूबर को संध्या अर्घ्य और 28 को उगते सूरज को अर्घ्य देकर पूजा का पारण होता है।
खरना प्रसाद गुड़ की खीर बनाने की विधि
इसके लिए मिट्टी या पीतल के बर्तन में दूध डालकर उबालें। इसमें चावल को तीन-चार बार साफ पानी से धोकर डालें। जब चावल पक जाए तो उसमें गुड़ डालकर पकाएं, आंच को कम ही रखें, आप इसमें थोड़ा सा शुद्ध घी भी मिला सकते हैं। अपना पसंदीदा ड्राई फ्रूट्स, इलाचयी पाउडर भी डाल दें।
फोटो सौजन्य- गूगल
Narak Chaturdashi: सनातन परंपरा में कार्तिक मास के कृष्णापक्ष की चतुर्दशी तिथि को छोटी दीपावली या फिर नरक चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी और हनुमान पूजा के नाम के तौर पर मनाते हैं। यह पर्व दिवाली से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है। हिंदू मान्यता के मुताबिक नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध करके 16,000 महिलाओं को उसकी कैद से मुक्त कराया था। इस दिन सुबह के समय शरीर में उबटन लगाकर अभ्यंग स्नान की भी परंपरा है।
नरक चतुर्दशी को हनुमान पूजा के नाम से भी जाना जाता है, इसलिए इस दिन हनुमान जी की विधि विधान से पूजा की जाती है। छोटी दीपावली या फिर नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय यम देवता के लिए विशेष रूप से दीया जलाया जाता है। आइये जानते हैं कि आज किस समय और किस दिशा में दीया जलाने से हमें पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
छोटी दिवाली पर कहां जलाए दीया
हिंदू मान्यता के मुताबिक आज के दिन यम देवता के लिए विशेष रूप से दीया जलाया जाता है। मान्यता है कि आज के दिन यम देवता के लिए दीया जलाने से नरक में जाने से मुक्ति मिलती है। हिंदू मान्यता के मुताबिक आज प्रदोषकाल में यम देवता के लिए दीया जलाने के साथ 14 दीया जलाना शुभ माना गया है। जिसे घर के विभिन्न स्थानों जैसे आंगन, बालकनी, छत, दरवाजे के बाहर आदि जगह पर रखना चाहिए। छोटी दिवाली के दिन सरसों के तेल का दीया जलाना चाहिए।
नरक चतुर्दशी पर दीया जलाने का मुहूर्त
पंचांग के अनुसार आज नरक चतुर्दशी या फिर कहें छोटी दिवाली पर गोधूलि मुहूर्त 5 बजकर 47 मिनट से लेकर 6 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। अलावा इसके आप सायाह्न संध्या के समय यानि सायंकाल 5 बजकर 47 से 7 बजकर 03 मिनट तक बजे के बीच का समय भी दीपदान के लिए उचित रहेगा।
छोटी दिवाली के लिए ये है महाउपाय
छोटी दिवाली के दिन गाय के गोबर से बनाए हुए दीये जलाने की परंपरा है। मान्यता है कि इस उपाय को करने से यम की यातना से मुक्ति मिलती है। आज यम देवता के लिए उनके मंत्र का जप करते हुए चार बाती वाला दीया प्रदोषकाल में जलाना चाहिए। मान्यता है कि इस उपाय को करने से व्यक्ति को यम और प्रेत बाधा का भय नहीं रहता है। दिवाली के पंचपर्व में यम देवता का पूजा विशेष रूप से होता है। गौरतलब है कि दिवाली के पांच पर्वों में न सिर्फ नरक चतुर्दशी बल्कि भैया दूज का पर्व भी यम देवता और यमुना माता से जुड़ा हुआ है।
छोटी दिवाली में दीये का महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार बड़ी दिवाली के मुकाबले आज घरों में जो दीपमालिकाएं बनाई जाती हैं, वो कुछ छोटी होती हैं। मान्यता है कि छोटी दिवाली के दिन जलाए जाने वाले दीये नकारात्मकता को दूर करके सकारात्मकता लाते हैं। छोटी दिवाली पर जलाए जाने वाले ये दीये इस पर्व की पवित्रता के प्रतीक हैं।
फोटो सौजन्य- गूगल
KARWA CHAUTH: पति की लंबी उम्र और बिंदास वैवाहिक जीवन की कामना के साथ शुक्रवार को सुहागिनों ने करवा चौथ का निर्जल व्रत रखा। सोलह श्रृंगार कर शुभ मुहूर्त में शाम को पूजा के साथ, कथा सुनी और चांद देवता का दर्शन व अर्ध्य दिया। फिर अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर लगभग 15 घंटे व्रत रखा। वहीं कई स्थानों पर कुंवारी कन्याओं ने अच्छे जीवनसाथी की कामना के साथ सूर्योदय से चंद्रोदय तक बिना कुछ खाए-पीये करवा चौथ का व्रत रखा। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक इस बार करवा चौथ पर सिद्धि योग बना। जो पूजा-पाठ और शुभ कार्यों के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।
ब्यूटी पार्लरों और मेहंदी की दुकानों पर दिखी लंबी लाइनें
चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहा। यह संयोग सुहागिनों के लिए बहुत शुभ और फलदायी रहा। करवा चौथ पर हर जगह बाजारों में खास रौनक देखने को मिली। महिलाएं ने चूरा, मिष्ठान, सिंदूर, फूल और माला वगैरह की खरीदारी की। वहीं, सुबह से ब्यूटी पार्लरों और मेहंदी की दुकानों पर भी लंबी लाइनें देखी गई। अखंड सौभाग्य के महापर्व करवाचौथ पर सुबह सुर्योदय से पहले सुहागिनों ने स्नान-ध्यान के बाद सुख सौभाग्य का संकल्प करके व्रत रखा। शाम को महिलाओं ने अपने विवाह का जोड़ा या पारंपरिक लहंगा पहन कर, सोलह शृंगार में सजधज कर शुभ मूहूर्त में कहीं अपने परिवार की महिलाओं, तो कहीं मोहल्ले की महिलाओं के साथ सामूहिक रूप से छत व आंगन में मिट्टी, चांदी, पीतल आदि का करवा लेकर पूजन किया।
सुहागिनों ने अपने परिवार के बड़ों का लिया अशीर्वाद
शिव-पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्र देव का विधि विधान से पूजन किया। करवाचौथ की कथा कही और सुनी। इस बार गुरु और शुक्र के अस्त ना होने की वजह से नवविवाहित महिलाओं ने भी अपना पहला करवाचौथ का व्रत रखा। इसके बाद रात 8.02 मिनट पर चन्द्रोदय होते ही महिलाओं ने चन्द्र देव का दर्शन कर अर्घ्य दिया। अपने पति के हाथों से जल और मिष्ठान ग्रहण कर व्रत का पारण किया। पूजन के बाद सुहागिन महिलाओं ने अपने परिवार के बड़ों से अशीर्वाद प्राप्त किया।
फोटो सौजन्य- गूगल
Daily Skin Care: रोजाना स्किन की देखरेख करना गुड हैबिट है। आपकी त्वचा भी डल है तो इसके पीछे बहुत सी वजह हो सकती है। जिनमें से आपका खराब लाइफस्टाइल, उल्टा सीधा खाना और खराब स्किन केयर शामिल है। हमारे शरीर की तरह ही हमारी त्वचा को भी देखभाल की जरूरत होती है और इसके लिए आपको रोजाना स्किन केयर रूटीन का पालन करना होगा। अपनी डल और डेमेज स्किन के लिए नीचे दिए गए टिप्स का करें पालन-
सबसे पहले चुनें एक अच्छे क्लींजर को
आपकी त्वचा से हर तरह की गंदगी को निकालने के लिए एक अच्छे से फेसवॉश की जरूरत होती है। इसके लिए आप अपनी त्वचा टाइप के हिसाब से अच्छी गुणवत्ता वाला फेसवॉश बाजार से ले लें।
एक अच्छे मॉइश्चराइजर का करें इस्तेमाल
अगर आपकी स्किन ऑयली है और आप सोचती हैं कि आपको किसी मॉइश्चराइजर की जरूरत नहीं है तो आप बिल्कुल गलत हैं। हर किसी को स्किन को मॉइश्चराइजर की आवश्यकता होती है। अगर आप की ऑयली स्किन है तो आपको कोई ऑयल फ्री मॉइश्चराइजर इस्तेमाल करना चाहिए और अगर ड्राई स्किन है तो किसी साधारण से मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करें।
सनस्क्रीन लगाना है जरूरी
अगर आप कहीं बाहर निकल रही हैं तो सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना आवश्यक है। यह आपकी स्किन को सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाता है और यदि आप घर बाहर नहीं भी निकल रही हैं तो भी आपको कम से कम एसपीएफ 30 या उससे कम का सनस्क्रीन जरूर लगाना चाहिए। बता दें कि आपको इसका प्रयोग हर चार घंटों के अंतराल पर री-अप्लाई करते रहना चाहिए। अगर आप इसका प्रयोग नहीं करती हैं तो आपकी स्किन बहुत डेमेज हो सकती है।
नाइट क्रीम का इस्तेमाल करें
नाइट क्रीम का इस्तेमाल वैसे तो अक्सर करते रहना फायदेमंद होता है। लेकिन अगर आपकी स्किन ज्यादा सेंसिटिव है तो आपको एक बार अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। कई बार कुछ नाइट क्रीम ज्यादा गाढ़े होते हैं और उससे आपकी स्किन में एक्ने व पिंपल्स हो सकती हैं। इसलिए अपने डर्मेटॉलजिस्ट की सलाह जरूर लेनी चाहिए। अगर आप इन्हीं सिंपल बातों को इग्नोर कर देते हैं तो आपकी स्किन धीरे धीरे डल व डेमेज होनी शुरू हो सकती है।
फोटो सौजन्य- गूगल
Coconut Oil and Methee Seeds: लंबे काले बालों के लिए नियमित सिर की तेल मालिश करना फायदेमंद माना जाता है। इसी तरह बालों में प्राकृतिक और आयुर्वेदिक हर्ब्स से तैयार तेल लगाने के भी कई फायदे होते हैं। ऐसे ही एक विधि है नारियल तेल के साथ मेथी का सीड्स। यह मिश्रण बालों में जादुई अंतर लाता है और बालों और सिर के स्किन को पोषण प्रदान करता है। सबसे खास बात यह है कि मेथी और नारियल तेल बालों में लगाने से हेयर में ग्रोथ देखने को मिलता है। आइये जानते हैं कैसे बालों के लिए कैसे तैयार करें ये खास तेल?
आयुर्वेदिक तेल को ऐसे करें तैयार
नारियल तेल के 100 ml के साथ 02 चम्मच मेथी दाना और मुट्ठीभर करी पत्ते 10-15 मिनट के लिए उबालें। फिर इस ऑयल को उतारकर ठंडा कर लें। ठंडा होने के बाद ऑयल को छान लें और किसी बोतल में भर दें। शैम्पू करने से पहले सिर की अच्छे से मालिश करने के लिए इस तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
बालों का रूखापन होता है दूर
रूखे बालों की ड्राइनेस कम करने के लिए आप नारियल तेल और मेथी दानों से तैयार यह तेल लगा सकते हैं। इससे आपके सिर की त्वचा को भी पोषण मिलता है। पोषण मिलने से बाल सॉफ्ट और मुलायम बनते हैं और हेयर स्ट्रेंथ में भी इजाफा होता है।
ऐसे बढ़ाएं अपने बालों का ग्रोथ
नारियल तेल में लॉरिक एसिड होता है जो हेयर के रूट को मजबूत करने का काम करता है। इसी प्रकार मेथी में पाए जाने वाले प्रोटीन और निकोटिनिक एसिड जैसे तत्व बालों की ग्रोथ बढ़ाते हैं। इससे बालों की लंबाई बढ़ती है।
बालों को व्हाइट होने से बचाए
वक्त से पहले सफेद होते बालों की समस्या से राहत पाने के लिए आप बालों में नारियल तेल और मेथी के सीड्स से तैयार इस हर्बल ऑयल को इस्तेमाल कर सकते हैं। ये बालों की स्ट्रेंथ बढ़ाने के साथ बालों को वक्त से पहले व्हाइट होने से रोकता है।
नारियल तेल और मेथी डैंड्रफ कंट्रोल में होता है मददगार
मेथी बालों में डैंड्रफ को दूर करने में काफी कारगर साबित होता है। अलावा इसके मेथी के सीड्स बालों में शाइनिंग लाने का काम करते हैं।
फोटो सौजन्य- गूगल
Milad-Un-Nabi: इस्लाम में दो ईद को सबसे अहम त्योहार माना जाता है एक है ईद उल फित्र और दूसरा है ईद उल अजहा। वैसे तो ये दोनों त्योहार पूरे मुस्लिम समाज में बड़े ही अकीदत और धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं, मिलाद उन नबी का त्योहार इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल की 12वीं तारीख को मनाया जाता है, जो पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्म दिवस के रूप में जाना जाता है।
ईद-ए-मिलाद उन नबी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व काफी बड़ा है। इसे पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्म और उनके जीवन की महान उपलब्धियों को याद करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन मुसलमान उनके बताए रास्ते और आदर्शों पर चलने का संकल्प लेते हैं और उनकी तमाम जिंदगी की सीख से प्रेरणा लेते हैं। इस्लामी इतिहास में यह दिन एकता, सद्भाव और आध्यात्मिक जागरूकता के रूप में मनाते हैं। मिलाद-उन-नबी पूरे दुनिया के मुसलमानों को एकजुट रखने की कड़ी है।
ईद मिलाद-उन-नबी का इतिहास इस्लाम धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्म से जुड़ा हुआ है। हजरत मोहम्मद साहब का जन्म 570 ईस्वी में मक्का में हुआ था। बता दें कि सुन्नी मुसलमान 12 रबी-उल-अव्वल को ईद-ए-मिलाद उन नबी मनाते हैं जबकि शिया मुसलमान उसे 17 रबी-उल-अव्वल को मनाते हैं। यह दिन न सिर्फ पैगंबर मोहम्मद के जन्म का प्रतीक है, बल्कि उनकी इंतकाल (निधन) के शोक में भी इस दिन को याद किया जाता है। इस दिन रात भर प्राथनाएं होती हैं और जगह-जगह जुलूस भी निकाले जाते हैं। घरों और मस्जिदों में कुरान पढ़ी जाती है।
पैगंबर साहब के जन्म से पहले ही उनके पिता का निधन हो चुका था। जब वह 06 वर्ष के थे तो उनकी मां की भी मृत्यु हो गई। मां के निधन के बाद पैगंबर मोहम्मद अपने चाचा अबू तालिब और दादा अबू मुतालिब के साथ रहने लगे। इनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम बीबी आमिना था। अल्लाह ने सबसे पहले पैगंबर हजरत मोहम्मद को ही पवित्र कुरान अता की थी। इसके बाद ही पैगंबर साहब ने पवित्र कुरान का संदेश दुनिया के हर कोने तक पहुंचाया।
Light off at Sex Time: क्या आपका पार्टनर लाइट बंद करके सेक्स करना पसंद करता है? क्या सेक्स के समय आपका पार्टनर लाइट बंद कर देता है? अगर आपका जवाब हां है तो इसके पीछे कई साइकोलॉजिकल वजह जिम्मेदार हो सकते हैं। बता दें कि सेक्स पर्सनल और संवेदनशील फिलिंग होता है। इसमें दोनों पार्टनर की असीम भावनाएं, कॉन्फिडेंस और मानसिक स्थिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कई लोग सेक्स के दौरान अपने पार्टनर के चेहरे के भावों को देखना चाहते हैं और पूरी तरह से अनुभव लेना चाहते हैं। पर कई लोग ऐसे होते हैं जो सेक्स को अंधेरे में ज्यादा सही तरीके से एन्जॉय कर पाते हैं। यानी उन्हें लाइट में सेक्स करना पसंद नहीं होता है। इसका एक कारण शर्मिंदगी हो सकती है। या फिर वे अपने पार्टनर के सामने पूरी तरह से एक्सपोज होने में सहज महसूस नहीं करते हैं। अलावा इसके भी कई ऐसे कारण हो सकते हैं जिसकी वजह से आपका पार्टनर सेक्स के दरम्यान लाइट बंद कर सकता है।
शरीर को इनसिक्योरिटी का अनुभव होना
कई लोग अपनी बॉडी के मद्देनजर पूरी तरह से कॉन्फिडेंट नहीं होते हैं। वे अपने शरीर को लेकर इनसिक्योर फील करते हैं। उन्हें लगता है कि उनका पार्टनर, उनके शरीर के किसी खास हिस्से को देखकर जज कर सकता है। ऐसे में वे लोग हमेशा सेक्स करने से पहले लाइट बंद करना चाहते हैं। अंधेरे में उन्हें डर नहीं लगता है और वे रिलैक्स होकर एन्जॉय कर पाते हैं।
पूरी तरह ओपन ना हो पाने का डर
कई बार लोग अपने पार्टनर के साथ पूरी तरह से ओपन नहीं हो पाता है। ऐसे में उसे लाइट में सेक्स के दौरान शर्म महसूस हो सकती है। इसकी वजह से उन्हें झिझक महसूस होती है। यदि लाइट ऑन करके सेक्स किया जाता है तो इससे उनकी कमजोरियां उजागर हो जाती है। ऐसे में वे अंधेरे में सेक्स एन्जॉय करना पसंद करते हैं।
परफॉर्मेंस का अनजाना डर
कई बार लोग अपनी परफॉर्मेंस को लेकर कॉन्फिडेंट नहीं होते हैं। उन्हें लगता है कि सामने वाला पार्टनर उनकी परफॉर्मेंस को लेकर जज करेगा। या उनके फेस के भावों को देखेगा, ऐसे में उन्हें शर्मिंदगी महसूस हो सकती है। या बेहतर परफॉर्मेंस का दबाव बना रहता है। ऐसे में अगर अंधेरे में सेक्स किया जाता है, तो दबाव थोड़ा सा कम हो जाता है।
अनुभवों का असर
कई बार पहले के अनुभवों का असर इन्सान के वर्तमान जिंदगी को भी प्रभावित कर देते हैं. अगर पहले किसी ने कभी उनकी बॉडी को लेकर ट्रोलिंग या बॉडी शेमिंग किया हो तो ऐसे में यह डर उनके मन में बैठ जाता है। ऐसे में उनके लिए लाइट ऑन करना एक ट्रिगर हो सकता है। लाइट में उन्हें पहले के अनुभव याद आ सकते हैं। जबकि अंधेरे में पुराने अनुभव याद नहीं आते हैं और वे अधिक सहज फील करते हैं।
फीलिंग को छुपाना
कई लोग सेक्स को सिर्फ शारीरिक ही नहीं, मानसिक और भावनात्मक रूप से भी फील करना पसंद करते हैं। ऐसे में लाइट में वे अपनी भावनाओं को ओपनली दिखाने में शरमा सकते हैं। लाइट बंद करके वे अपनी भावनाओं को आसानी से छुपा सकते हैं।
फोटो सौजन्य- गूगल









