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Category Archives: Lifestyle

Does having sex during pregnancy really make normal delivery easier?

Pregnancy में सेक्स कितना सही है? ये बहस काफी पुरानी है। घर के बड़े-बुजुर्ग प्रेगनेंसी में सेक्स को सख्ती से मना करते हैं जबकि डॉक्टर इसे पूरी तरह सुरक्षित मानते हैं। ज्यादातर स्त्री रोग विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर प्रेगनेंसी में कोई दिक्कत नहीं है, तो सेक्स करने में कोई बुराई नहीं है। बल्कि यह प्रेगनेंसी में आपके मू़ड और रिश्ते को बेहतर बनाए रखने में मददगार साबित हो सकता है। स्त्री रोग एक्पर्ट इसे नॉर्मल डिलीवरी के लिए भी फायदेमंद मानती हैं। क्या वाकई प्रेगनेंसी में सेक्स नॉर्मल डिलीवरी में महत्वपूर्ण रोल अदा करता है? आइये समझते हैं इसे विस्तार से-

प्रेगनेंसी में सेक्स पर जानें विशेषज्ञ की राय

These symptoms of pregnancy start appearing only 3 to 4 days after conceiving, pregnancy is confirmed even before the period is missed

विशेषज्ञ ने प्रेगनेंसी में सेक्स करने पर जोर दिया है। वे इसे नॉर्मल डिलीवरी के लिए मददगार मानती है। अपनी पोस्ट में उन्होंने घरों में काम करने वाली उन महिलाओं का जिक्र करते हुए बताया है कि कैसे इन महिलाओं में ज्यादातर की नॉर्मल डिलीवरी होती है। जबकि शहरी-कामकाजी महिलाओं में सी सेक्शन के मामले अधिक देखने को मिलते हैं।

इसके लिए वे उनके गर्भावस्था के पूरे 09 महीने शारीरिक रूप से सक्रिय होने को सबसे बड़ा कारण बताती हैं। एक्सपर्ट की माने तो जो महिलाएं अपनी गर्भावस्था में शारीरिक रूप से सक्रिय रहती हैं, उनके लिए नॉर्मल डिलीवरी आसान हो जाती है। जबकि फिजिकली एक्टिव ना रहने वाली महिलाओं में सी सेक्शन डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है।

इंडियन टॉयलेट सीट का इस्तेमाल है फायदेमंद

गांव की औरतों का उदाहरण देते हुए डॉ अरुणा कालरा कहती हैं, कि इंडियन स्टाइल की टॉयलेट सीट का इस्तेमाल करते हुए आप स्क्वाट पॉजीशन में बैठते हैं, जिससे पेल्विक मसल्स को संकुचित होने और फैलने में मदद मिलती है। यह मुद्रा शरीर के इस हिस्से के लिए एक स्वभाविक व्यायाम है।

सेक्स कैसे करता है नॉर्मल डिलीवरी में योगदान

फिजिकली एक्टिव रहने और इंडियन टॉयलेट सीट के प्रयोग के अलावा प्रेगनेंसी में किया गया सेक्स भी नॉर्मल डिलीवरी को आसान बना देता है। डॉक्टर के मुताबिक पुरुषों के सीमन में एक प्रोस्टाग्लैंडीन नाम का तत्व होता है। जो नॉर्मल डिलीवरी में मदद करता है। डॉक्टर का कहना है कि अगर आप प्रेगनेंसी में सेक्स करने से डरती हैं, तो 9वां महीना शुरू होने के बाद सेक्स करना जरूर शुरू करें ताकि वेजाइनल मसल्स मजबूत हो सकें और योनि प्रसव आसानी से हो सके।

एक्सपर्ट के मुताबिक वे इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में सेक्स करना नॉर्मल वेजाइनल डिलीवरी को आसान बना देता है। यह गर्भाशय के निचले हिस्से की मांसपेशियों को नर्म और लचीला बनाता है, ऑक्सीटॉसिन रिलीज करवाता है और आप दोनों को फीलगुड भी करवाता है। अब घबराने की जरूरत नहीं, अपनी डॉक्टर से सलाह लें और गर्भावस्था में सेक्स को पूरी तरह से एनजॉय करें।

Those men who are interested in BABY PLAN

अगर आप BABY PLAN करना चाहते हैं और कंसीव करने का मन बना रहे हैं तो अपने साथ-साथ अपने पार्टनर की फर्टिलिटी का भी जरूर ध्यान रखें। जब कभी हम फर्टिलिटी की बात करते हैं तो पहले फीमेल फर्टिलिटी की ही बात करते हैं लेकिन अक्सर मेल फर्टिलिटी को दरकिनार कर देते हैं। यह समझना बहुत जरूरी है कि कंसीव करने के लिए एग और स्पर्म दोनों फर्टाइल होने जरूरी होते हैं। मेल फर्टिलिटी से संबंधित जानकारी पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी होनी चाहिए। क्योंकि अपने पार्टनर को सही गाइड करने में कोई बुराई नहीं।

एक सीनियर गाइनेकोलॉजिस्ट और रोबोटिक सर्जन ने मेल फर्टिलिटी बूस्ट करने को लेकर कुछ अहम टिप्स दिए हैं। आइये इस बारे में पूरे विस्तार से जानते हैं-

जानें पुरुषों के हेल्दी फर्टिलिटी से जुड़े कुछ टिप्स

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1. टाइट और सिंथेटिक अंडरगारमेंट्स से नुकसान

कुछ अध्यन के मुताबिक टाइट अंडर गारमेंट्स या पैंट पहनने वाले पुरुषों का स्पर्म काउंट सामान्य पुरुषों की तुलना में कम होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि टाइट अंडरगारमेंट हवा को पास होने से रोकते हैं, जिसकी वजह से अंदर का तापमान बढ़ जाता है। स्क्रोटल टेंपरेचर बढ़ने की वजह से स्पर्म काउंट पर नकारात्मक असर पड़ता है। इसलिए अगर आपके पार्टनर टाइट और सिंथेटिक अंडरगारमेंट्स पहनते हैं, तो इन्हें आज ही कॉटन अंडरगारमेंट से बदले ताकि उनके टेस्टीकल्स एक हेल्दी एनवायरमेंट में रह सकें।

2. स्कोमिंग का कुप्रभाव

जो लोग अत्याधिक स्मोकिंग करते हैं उन पुरुषों की फर्टिलिटी यानी कि स्पर्म काउंट और क्वालिटी दोनों समय के साथ कम होते जाता है। सिगरेट का धुआं ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचता है, इसके अलावा डीएनए डैमेज का कारण बन सकता है। ब्लड वेसल्स के नुकसान की वजह से ब्लड फ्लो कम हो जाता है, जिसकी वजह से इरेक्टाइल डिस्फंक्शन जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कुछ मामलों में पुरुषों के स्पर्म असामान्य शेप में आ जाते हैं, जिसकी वजह से फर्टिलाइजेशन की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है। वहीं सिगरेट के धुएं में मौजूद टॉक्सिंस डीएनए डैमेज का कारण बन सकते हैं, ऐसे में मिसकैरेज, बर्थ डिफेक्ट जैसे गंभीर समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

3. सॉना-जकूजी बाथ प्लानिंग के 6 महीने पहले से न लें

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सॉना और जकूजी बाथ को लंबे समय से अलग-अलग कल्चर में प्रैक्टिस किया जा रहा है। इसे शरीर को रिलैक्स करने के लिए और कई सेहत संबंधी फायदे प्रदान करने के लिए जाना जाता है। पर असल में स्पर्म काउंट और मेल फर्टिलिटी पर इसका नकारात्मक असर हो सकता है, यह स्पर्म की मात्रा और गुणवत्ता दोनों को प्रभावित कर सकता है। टेस्टिकल्स शरीर के बाहर इसलिए होते हैं, क्योंकि उन्हें बॉडी के कोर टेंपरेचर से कम टेंपरेचर में रहने की आवश्यकता होती है, ताकि हेल्दी स्पर्म प्रोडक्शन मेंटेन रखा जा सके। इस तरह लंबे समय तक गर्म वातावरण में समय बिताने की वजह से स्पर्म काउंट और मोटिलिटी कम हो जाती है, और एब्नार्मल स्पर्म बढ़ जाता है। जिसकी वजह से कंसीव करने में परेशानी आती है। इसलिए बेबी प्लैनिंग के 06 महीने पहले से सॉना और जकूजी बाथ लेना बंद कर दें।

4. गोद में लैपटॉप और अगली जेब में मोबाइल न रखें

जिस प्रकार सॉना और जकूजी बाथ में टेस्टिकल्स को अधिक तापमान में रहना पड़ता है, जिसकी वजह से स्पर्म क्वालिटी पर नकारात्मक असर पड़ता है। ठीक उसी प्रकार गोद में लैपटॉप रखकर इस्तेमाल करने से या अपने मोबाइल फोन को अपने फ्रंट पॉकेट में रखने की वजह से स्क्रोटल टेंपरेचर बढ़ जाता है, जो स्पर्म प्रॉडक्शन और क्वालिटी को डिस्टर्ब कर सकता है। हालांकि, प्राइमरी कंसर्न हिट है, परंतु लैपटॉप द्वारा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड जेनरेट होता है, जिसकी वजह से स्पर्म क्वालिटी संबंधी समस्याएं आ सकती हैं। इसलिए हमेशा डेस्क पर रखकर लैपटॉप चलाएं।

5. खानपान का रखें ध्यान

इन सभी के अलावा मेल फर्टिलिटी को बनाए रखने के लिए खान-पान पर ध्यान देना भी जरूरी है। पर्याप्त मात्रा में विटामिन-C युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जो एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है, और शरीर पर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के प्रभाव को कम कर देता है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस स्पर्म काउंट को प्रभावित कर सकता है।

अलवा इसके पर्याप्त मात्रा में विटामिन-D लेने की सलाह दी जाती है, जो टेस्टोस्टरॉन लेवल को मेंटेन रखने में मदद करते हैं। साथ ही साथ कम से कम तनाव लें और शरीर को पर्याप्त आराम दें। इतना ही नहीं नियमित रूप से एक्सरसाइज करना भी निहायत ही जरूरी है, ताकि पूरी तरह स्वस्थ रहा जा सके।

फोटो सौजन्य- गूगल

Heavy stress of relationship is derailing life

Relationship Stress: भारत में तनाव भरी जिंदगी का ग्राफ इतना बढ़ चुका है कि इसका साइड इफेक्ट देखा जाए तो यहां हर दिन लगभग 140 महिलाएं और लड़कियां अपने पार्टनर या घरेलू सदस्य के हाथों मार दी जाती हैं। एक असंतुलन और अन्याय को पारंपरिक मर्यादा से सजाए हुए रखने वाला यह रिश्ता महिलाओं के लिए तनाव भरा साबित हो जाता है।

भयावह है घरेलू हिंसा के आंकड़े

यूएन वीमेन एंड यूएन ऑफिस ऑफ ड्रग्स एंड क्राइम के आंकड़े बताते हैं कि घर महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक है। यहां उनकी जान का कोई मोल नहीं है। पुरुषों के मुकाबले अपने जीवनसाथी और यौन साथी के हाथों मारी जाने वाली महिलाओं की तादाद दुनिया भर में 10 गुना से भी अधिक है। भारत से लेकर अमेरिका और यूरोप तक में ये आंकड़े लगभग एक जैसे ही हैं।

साल 2022 में जहां 48,800 महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हुईं, वहीं वर्ष 2023 में यह आंकड़े बढ़कर 51,100 तक पहुंच गए। वर्ष 2024 और 2025 के आंकड़े अभी आने बाकी हैं लेकिन अंदाजा लगाया जा सकता है। बिग फैट इंडियन वेडिंग जितनी खूबसूरत अलबम में लगती हैं, उनकी हकीकत उतनी ही स्याह है।

सेल्फ केयर बनाम परिवार की मर्यादा

Heavy stress of relationship is derailing life

एक सीनियर साइकेट्रिस्ट और साइकोथेरेपिस्ट कहती हैं कि कई संस्कृतियों में, जिनमें भारतीय संस्कृति भी शामिल है, महिलाओं को यह सोचने के लिए प्रेरित किया गया है कि उनके लिए त्याग, बलिदान और दूसरों की देखभाल अपनी देखभाल से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

एक स्वस्थ संबंध जीवन में अतिरिक्त तनाव का कारण नहीं बनना चाहिए। पर कभी-कभी ऐसा होता है कि संबंध खराब हो जातें हैं और यह किसी महिला के मानसिक स्वास्थ्य, आत्मसम्मान और कार्यक्षमता को बुरी तरह से प्रभावित करता है।

महिलाओं को बार-बार यह याद दिलाया जाता है कि अगर रिश्ता बिगड़ रहा है, तो इसमें उनकी ही गलती है। यह आत्म-दोष अक्सर इनकार की भावना को जन्म देता है, जिससे भावनात्मक रूप से थकान होता है और इस विषाक्त चक्र से बाहर निकलना बहुत कठिन हो जाता है।

रिलेशनशिप में तनाव पैदा करने वाले सामान्य कारण

Heavy stress of relationship is derailing life

सीनियर साइकेट्रिस्ट के मुताबिक रिलेशनशिप में तनाव के कई कारण हो सकते हैं। मगर उन सभी के मूल में संवाद की कमी और वह अन्यायपूर्ण मानसिकता है, जिसमें स्त्री के लिए जिम्मेदारियां और पुरुष के लिए अधिकारों को न्यायसंगत माना गया है। पारिवारिक ढांचा बदल रहा है। वे अपने साथी पुरुष की ही तरह शिक्षित और स्किल्ड हैं। मगर ‘मर्यादा की मानसिकता’ बदल नहीं पा रही है। स्त्रियां बाहर निकल कर काम कर रहीं हैं, पैसा कमा रही हैं, उनका फोकस बदल रहा है। मगर ‘घर’ अब भी उनसे घूघंट वाली बहू सा उम्मीद लगाए बैठा है। वास्तविकता और अपेक्षा के बीच की खाई रिश्तों को तनावपूर्ण बना रहा है।

इनमें संवाद की कमी, घरेलू जिम्मेदारियों में साझेदारी, बहुत ज्यादा साथ रहना या बहुत कम साथ रह पाना, परिवार के बाकी सदस्यों की दखलंदाजी, खर्च, बहस, पूर्वाग्रह, बेवफाई, सेक्स जैसे मुद्दे हैं जो रिश्तों में तनाव की वजह बनते हैं। हर तनाव हिंसा तक नहीं पहुंचता लेकिन दोनों ही पार्टनर्स के जीवन में जहर घोलने लगता है। जिसका असर काम पर पड़ना भी स्वाभाविक है।

जब कोई रिश्ता जोड़-तोड़ भरा, भावनात्मक रूप से प्रताड़ित करने वाला, आत्मकेंद्रित, नियंत्रित करने वाला या विषाक्त होता है, तो यह लंबे समय तक चलने वाले तनाव और चिंता का कारण बन सकता है, जिससे अवसाद भी हो सकता है। आखिर में, इसका प्रभाव ऑफिस में प्रदर्शन और रोजमर्रा की गतिविधियों पर भी दिखाई देने लगता है।

हो सकता है रिलेशनशिप स्ट्रेस से बाहर निकलने का उपाय ?

डिस्ट्रक्शन किसी के लिए भी फायदे का सौदा नहीं है। आप टॉक्सिक हैं या आपका पार्टनर, उसके नुकसान दोनों को ही उठाने पड़ेंगे। इसलिए बेहतर है कि समाधान के रास्ते खोजने पर काम किया जाए।

सीनियर साइकेट्रिस्ट कहती हैं कि तनाव से बाहर निकलना और अपनी शक्ति को फिर से हासिल करने का पहला कदम है- इस विषाक्तता को पहचानना, तनाव के स्रोतों को समझना और यह स्वीकार करना कि यह उनकी गलती नहीं है।

जहर भरे रिश्तों से निपटने के लिए भावनात्मक बुद्धिमत्ता विकसित करना, सीमाएं तय करना और प्रोफेशनल सहायता लेना बहुत जरूरी है। चूंकि ऐसे आत्मकेंद्रित या टॉक्सिक लोग शायद ही कभी थेरेपी में जाते है। इसलिए महिलाओं को अपनी मानसिक क्षमता को सुधारने के लिए थेरेपी और मनोवैज्ञानिक तरीकों पर ध्यान देना चाहिए।

दिल से नहीं दिमाग पर करें यकीन

किसी भी फैसले, किसी भी बहस में भावनात्मक रूप से प्रतिक्रिया देने के बजाय तर्कसंगत रूप से सोचना तनाव को कम करने में मदद करता है। दिल की बजाए दिमाग को ड्राइविंग सीट पर रखें ताकि जीवन को बेहतर बनाया जा सके। सही वक्त पर लिया गया प्रोफेशनल इंटरवेंशन महिलाओं को सशक्त बनाने, उनके जीवन पर उनका अपना नियंत्रण रखने, प्रोडक्टिविटी बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में काफी मदद कर सकता है।

फोटो सौजन्य- गूगल

RAMZAN is the month of self-control and self-restraint

RAMZAN: रमजान इस्लाम धर्म का पवित्र महीना है। इस्लामिक कैलेंडर के इस नौवें महीने में मुसलमान रोजे यानी उपवास रखते हैं। इस दौरान कुरान पढ़ते हैं। पांच बार की नमाज अदा करते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं।

बता दें कि चांद नज़र आने के साथ ही रमजान का पाक महीना शुरू हो गया है। मुस्लिम समुदाय के लोग आज पहला रोजा रख रहे हैं और कुरआन, नमाज व तरावीह का एहतमाम करते हैं। रमजान इस्लामिक कैलेंडर का 9वां महीना है, जिसे बेहद खास माना जाता है। मान्यता है कि इसी महीने 610 ईस्वी में मोहम्मद साहब को लेयलत उल-कद्र की रात पवित्र कुरआन शरीफ का ज्ञान प्राप्त हुआ था, इसलिए इस महीने में रोजा रखने की परंपरा है। यह महीना इबादत, ध्यान और दान-पुण्य के किए जाना जाता है। 30 दिन के रमज़ान के अंत में ईद-उल-फितर मनाया जाता है।

RAMZAN is the month of self-control and self-restraint

बरकत का महीना माह-ए-रमजान के पूरे महीने मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं। रोजा रखने वाले व्यक्तियों की अल्लाह द्वारा उसके सभी गुनाहों की माफी दी जाती है। इसलिए हर एक मुसलमान के लिए रमजान का महीना साल का सबसे विशेष माह होता है। इस्लाम धर्म की मान्यताओं के मुताबिक रमजान का महीना खुद पर नियंत्रण और शांत रखने का महीना होता है। गरीबों के दुख-दर्द को समझने के लिए रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय द्वारा रोजा रखने की परंपरा है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार रमजान के महीने में रोजा रखकर दुनिया में रह रहे गरीबों के दुख-दर्द को महसूस किया जाता है। रोजा आत्म संयम व आत्म सुधार का प्रतीक रोजे के दौरान संयम का तात्पर्य है कि आंख, नाक, कान, जुबान को नियंत्रण में रखा जाना क्योंकि रोजे के दौरान बुरा नहीं सुनना, बुरा नहीं देखना और ना ही बुरा बोलना जाता है। इस तरह से रमजान के रोजे मुस्लिम समुदाय को उनकी धार्मिक श्रद्धा के साथ-साथ बुरी आदतों को छोड़ने के अलावा आत्म संयम रखना सिखाते हैं। इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि गर्मी में रोजेदारों के पाप धूप की अग्नि में जल जाते हैं तथा मन पवित्र हो जाता है। सारे बुरे विचार रोजे के दौरान मन से दूर हो जाते हैं।

आज रखा गया पहला रोजा

RAMZAN is the month of self-control and self-restraint

अकीदतमंदों ने रविवार को पहला रोजा रखा है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, रमजान नौंवा महीना होता है। रोजा रखने के साथ रात में तरावीह की नमाज पढ़ी जाती है। पांच वक्त की नमाज के साथ कुरान की तिलावत करते हैं।

तीन भागों में बंटा रमजान

रमजान का यह महीना तीन भागों में बंटा होता है यानी एक से लेकर 10 दिनों तक रहमत का अशरा होता है, तो 11 से लेकर 20 तक बरकत का और 21 से लेकर 30 रोजे तक मगफिरत होता है। पवित्र रमजान माह में इबादत का काफी महत्व होता है। यही वजह है कि लोग इबादत के साथ-साथ जकात भी निकालते हैं। जकात का अर्थ होता है जमा पूंजी का दो अथवा ढाई प्रतिशत जरूरतमंदों में दान करना।

फोटो सौजन्य- गुगल

Apart from PHYSICAL RELATION

PHYSICAL RELATION: जीवन में जिस तरह प्यार जरूरी है वैसे ही अपने पार्टनर के साथ रिश्ते में गर्माहट के लिए सेक्स भी अहम है। अगर आपका पार्टनर रिश्ते को मजबूती देना चाहता है तो वह एक कदम आगे बढ़ते हुए फिजिकल भी होना पसंद करेगा, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सेक्स को तरजीह नहीं देते! क्या आप भी अभी अपने रिश्ते में सेक्स के लिए आमादा नहीं हैं? या फिजिकल रिलेशन से कुछ दिन परहेज रखना चाहती हैं? लेकिन पूरी तरह से फिजिकल इंटिमेसी में गैप नहीं लाना चाहती हैं तो इसमें कुछ जरूरी गतिविधियां आपको मदद पहुंचा सकती हैं।

कई ऐसी रोमांटिक गतिविधियां हैं, जो इंटरकोर्स के बिना भी आप दोनों के बीच फिजिकल इंटिमेसी को बनाए रखने में आपकी मदद कर सकती है। अगर आप इन गतिविधियों से वाकिफ नहीं हैं, तो अधिक परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, हम आपको इसकी जानकारी देंगे। प्राइमस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की गायनेकोलॉजी और ऑबस्टेशन डिपार्टमेंट की कंसल्टेंट डॉ रश्मि बालियान ने बिना सेक्सुअल इंटरकोर्स के फिजिकल इंटिमेसी मेंटेन रखने के कुछ खास तरीके बताए हैं। तो चलिए जानते हैं इस बारे में अधिक विस्तार से..

जानें बिना इंटरकोर्स के दौरान फिजिकली करीब होने के तरीके

1. एक-दूसरे को ऐसे करें कडल

Apart from PHYSICAL RELATION

हाथ पकड़ें, गले लगें या बिस्तर पर एक-दूसरे के करीब बैठें। बिना किसी और चीज़ के एक-दूसरे को छूने और करीब होने का आनंद लें। जब आप सोने जाएं, तो अपने पार्टनर के साथ लिपटकर एक-दूसरे को करीब से महसूस करने की कोशिश करें। कडल करने से न केवल इंटिमेसी बढ़ती है, बल्कि स्ट्रेस रिलीज करने में भी मदद मिलती है। रोजाना पार्टनर के साथ काम से लौटने के बाद कडल करें।

2. KISS करने का बदले तरीका

Apart from PHYSICAL RELATION

अगर आप बिना सेक्स किए इंटिमेट होना चाहती हैं, तो एक-दूसरे को किस करना एक अच्छा आईडिया है। अलग-अलग तरह से चूमे, अगर आपको समझ नहीं आ रहा है, तो अपने पार्टनर से उनकी किस से जुड़ी डिजायर पूछें और उसके अनुरूप उन्हें किस करें। आप फ्रेंच किस, लेपर्ड किस या स्पाइडरमैन किस भी आज़मा सकती हैं। इस तरीके का प्रयोग करें, इससे आपको इंटिमेसी बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

3. बॉडी मसाज है बढ़िया विकल्प

Apart from PHYSICAL RELATION

एसेंशियल फ्रैगनेंस वाले ऑयल या लोशन का उपयोग करके, बारी-बारी से एक-दूसरे के शरीर की मालिश करें। आप एक-दूसरे के शरीर के कितने हिस्से की मालिश करते हैं, यह आपकी सीमाओं पर निर्भर करता है, अगर आप इससे ज़्यादा मालिश करने के लिए तैयार नहीं हैं, तो आप सिर्फ़ एक-दूसरे की गर्दन और पीठ की मालिश कर सकती हैं। कुछ सुगंधित मोमबत्तियां जलाएं और सुकून भरा संगीत बजाकर मूड सेट करें।

अपने पार्टनर को अच्छा महसूस कराने के लिए आपको प्रोफेशनल मसाज सीखने की जरूरत नहीं है। केवल मालिश के दौरान पार्टनर से पूछती रहें, उन्हें कैसा लग रहा है? या आप किस तरह की मालिश एंजॉय करना चाहते हैं, या आपके किस अंग को ज्यादा आराम की जरूरत है। इस तरह आराम भी मिलता है, तनाव कम होता है साथ ही आप दोनों एक दूसरे के करीब आते हैं।

4. एक-दूसरे को डूबकर करें स्पर्श

Take care of these 5 things for better climax on bed

पार्टनर के शरीर के उन हिस्सों को स्पर्श करें और चूमें जो आमतौर पर सेक्स के दौरान ध्यान आकर्षित नहीं करते हैं, जैसे उनके पैर, पेट या पीठ। अपने पार्टनर के शरीर को एक्सप्लोर करने का आनंद लेने के लिए समय निकाले। ये आप दोनों को फिजिकल इंटिमेसी मेंटेन करने में मदद करती है, साथ ही आप रोमांस के लिए सिर्फ सेक्स पर निर्भर नहीं रहती। अगर आप बिना नेकेड हुए बॉडी एक्सप्लोर करना चाहती हैं, तो शरीर के नजर आने वाले पार्ट्स जैसे की हाथ, पैर, गर्दन, चेहरा आदि को चूमे और उनका आनंदमय स्पर्श करें।

5. बाउंड्री में रहकर करें रोमांस

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नियम बनाने से न केवल आपको अपनी सीमाओं का पालन करने में मदद मिलेगी, बल्कि यह चीज़ों को और भी सेक्सी बना देगा। आपको अपनी बाउंड्री में रहकर रोमांस करना होता है, और मन होने पर भी आगे बढ़ने से खुदको रोकना है। ये नॉटी और सेक्सी रोमांस आप दोनों के बीच इंटिमेसी बढ़ाने में मदद करेगा। ऐसे नियम बनाएं, जिनसे आप और आपके पार्टनर दोनों सहज हों, इसके बाद इसे एंजॉय करें।

फोटो सौजन्य- गूगल

why Valentine Day is celebrated?

VALENTINE DAY: मोहब्बत का पर्व यानी वेलेंटाइन वीक अभी चल रहा है। पूरी दुनिया में हर वर्ष फरवरी महीने में एक हफ्ते प्रेमी-प्रेमिकाओं के नाम कर दिया जाता है। इस हफ्ते को वेलेंटाइन वीक कहते हैं। जिसका हर एक दिन आशिकों को एक दूसरे के करीब लाता है। वेलेंटाइन वीक की शुरुआत 07 फरवरी से होती है, जो 14 फरवरी को वेलेंटाइन पर खत्म होती है। इस बीच रोज डे से लेकर प्रपोड डे और प्रोमिस डे समेत कई ऐसे दिनों को सेलिब्रेट किया जाता है जो कपल को एक दूसरे के और नजदीक लाता है। पर क्या आप जानते हैं कि वेलेंटाइन डे क्यों मनाया जाता है? वेलेंटाइन हफ्ते का हर दिन क्यों स्पेशल है? जानते हैं क्यों और कैसे वेलेंटाइ न डे मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई?

वैलेंटाइन डे की शुरुआत संत वैलेंटाइन के सम्मान में हुई थी, जिन्होंने प्रेम और विवाह के लिए संघर्ष किया था। वैलेंटाइन डे को 06 दिन पहले से मनाया जाता है, ताकि वैलेंटाइन डे पर लव परवान चढ़ें। वैलेंटाइन डे से पहले 07 फरवरी से 14 फरवरी तक वैलेंटाइन वीक मनाया जाता है। इस पूरे हफ्ते में अलग-अलग दिनों का विशेष महत्व होता है, जो प्रेम को अलग-अलग तरीकों से व्यक्त करने का अवसर देते हैं।

वैलेंटाइन वीक का हर दिन है कुछ खास

रोज़ डे (ROSE DAY)

7 फरवरी को रोज डे मनाते हैं । इस दिन प्यार और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए गुलाब का आदान-प्रदान किया जाता है। जिसमें लाल गुलाब प्रेम, पीला गुलाब मित्रता, सफेद गुलाब शांति और गुलाबी गुलाब आभार दर्शाता है।

प्रपोज डे (PROPOSE DAY)

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दूसरे दिन यानी 8 फरवरी को प्रपोज डे मनाया जाता है। यह दिन उन लोगों के लिए खास होता है जो अपने प्रियजन को अपने प्यार का इज़हार करना चाहते हैं। इस दिन शादी के लिए भी प्रपोज किया जाता है।

चॉकलेट डे (CHOCOLATE DAY)

प्यार में मिठास घोलने के लिए चॉकलेट डे मनाया जाता है और अपने प्रिय को चॉकलेट दी जाती है। इसका वजह है कि चॉकलेट खुशी और स्नेह का प्रतीक मानी जाती है।

टेडी डे (TEDDY DAY)

10 फरवरी को टेडी डे मनाते हैं। इस दिन टेडी बियर गिफ्ट किया जाता है, जो मासूमियत और प्यारे एहसास का प्रतीक है। खासकर लड़कियों को यह दिन बहुत पसंद आता है।

प्रॉमिस डे (PROMISE DAY)

11 फरवरी को प्रॉमिस डे मनाया जाता है। इस दिन प्रेमी एक-दूसरे से सच्चे प्रेम, ईमानदारी और विश्वास की कसमें खाते हैं। रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए यह दिन बेहद खास होता है।

हग डे (HUG DAY)

वैलेंटाइन डे के छठे दिन हग डे मनाया जाता है। हग डे पर एक प्यार भरी झप्पी (गले लगाना) प्यार, समर्थन और सुरक्षा का अहसास कराती है। यह दिन दिखाता है कि एक स्नेह भरी झप्पी से हर दर्द मिट सकता है।

किस डे (KISS DAY)

13 फरवरी को किस डे मनाया जाता है। यह दिन प्यार और गहरे रिश्ते की निशानी माना जाता है। एक किस स्नेह, प्रेम और आत्मीयता को दर्शाती है।

वेलेंटाइन डे (VALENTINE’S DAY)

Valentine Day Special: Do not give these 5 gifts to your partner even by mistake

14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाया जाता है। यह दिन इश्क का होता है। इस दिन प्रेमी एक-दूसरे के लिए खास गिफ्ट, फूल और प्यार भरे संदेश देते हैं। कई लोग इस दिन डेट पर जाते हैं, तो कुछ शादी या रिश्ते को मजबूत करने का वादा करते हैं।

क्यों मनाया जाता है वैलेंटाइन डे?

यह दिन संत वैलेंटाइन की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने तीसरी शताब्दी में रोम में प्रेम और विवाह को लेकर में आवाज बुलंद की थी। उस समय सम्राट क्लॉडियस द्वितीय ने सैनिकों के विवाह पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन संत वैलेंटाइन ने सेक्रेट तरीके से प्रेमी जोड़ों का विवाह कराया। जब राजा को यह पता चला, तो उन्होंने संत वेलेंटाइन को 14 फरवरी को मृत्युदंड दे दिया। उनकी याद में यह दिन प्यार की पहचान, इश्क के इजहार का दिन बन गया।

These 6 habits can create tension in every relationship

Relations: हमारे जीवन की एक सच्चाई यह है कि उसे भी गुजर जाना है। लेकिन सबसे अधिक परेशानी लेकर आता है बुढ़ापा। ऐसा समय जब हम बीमारियों से भी घिरे रहते हैं और रिश्ते की डोर भी समय के साथ कमजोर होने लगती है। इसका बड़ा कारण कुछ आदतें होती हैं जो हमने अपने जीवन में वर्षों पहले से लगा रखी होती हैं। हम आपको कुछ ऐसी ही आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आप पहले से छोड़कर अपने उस समय के लिए अपने रिश्तों को और मजबूत कर लेंगे जब आपको उन रिश्तों की सबसे ज्यादा जरूरत होगी, यानी आप के बुढ़ापे में।

6 आदतें जिन्हें छोड़ना है रिश्ते की गारंटी

1. उम्मीद अधिक लगाना

पति-पत्नी के बीच संवाद जरूरी

साइकोलॉजिस्ट और रिलेशनशिप कंसल्टेंट के मुताबिक हम अक्सर रिश्तों में ज्यादा उम्मीदें रख लेते हैं, ये सोचकर कि अगर सामने वाला हमारी तरह नहीं सोचे या वही ना करे जो हम चाहते हैं, तो रिश्ता खराब हो जाएगा। लेकिन, ये आदत हमारे रिश्ते में बहुत तनाव पैदा कर सकती है। जब हम अपने साथी से ज्यादा उम्मीदें रखते हैं और उन्हें बदलने की कोशिश करते हैं, तो इसका उल्टा असर होता है। यह सिर्फ हमारे पार्टनर को असंतुष्ट करता है, बल्कि रिश्ते में भी दूरी आ सकती है।

ऐसे में उस वक्त के लिए अभी से तैयारी करें जब आप बैठकर केवल सोच सकेंगे कि क्या सोचा और क्या पाया। अगर आप अपनी उम्मीदों को थोड़ा कम करेंगे और अपने साथी की अच्छाइयों को मानेंगे, तो न सिर्फ रिश्ता मजबूत होगा, बल्कि आप दोनों के बीच प्यार और समझ भी बढ़ेगा और वो लंबे समय तक आपके साथ चलेगा।

2. छोटी छोटी बातों को नजरंदाज न करें

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कभी-कभी हम रिश्तों में छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं, जैसे एक हल्की मुस्कान, एक अच्छा शब्द या बस एक छोटा सा इशारा। ट्यूटर चेज नाम की एक संस्था की रिपोर्ट कहती है कि स्वस्थ रिश्ता रहने के लिए पार्टनर्स के बीच गेस्चर्स का आदान प्रदान जरूरी है। ये छोटी बातें रिश्ते में बहुत मायने रखती हैं और इनसे रिश्ते में खुशियां और मजबूती आती है। अगर हम इनका ध्यान नहीं देते, तो ये छोटे-छोटे इशारे रिश्ते में दूरियां बना सकते हैं। और ये आप अगर अभी से नहीं करेंगे तो उस उम्र में जब आप को रिश्तों की जरूरत होगी, इसकी शुरुआत तब नहीं हो सकेगी और तब शुरुआत करने पर भी गेस्चर्स अपना काम करें, मुश्किल है।

3. दूसरों की गलतियों को बार-बार याद करना

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उम्र बढ़ने के साथ अक्सर लोगों में यह आदत होती है और आपको अगर बुजुर्ग होने पर ऐसा नहीं बनना तो उसकी शुरुआत आज से करें ताकि आपकी आदतों में ये शामिल हो सके। हैप्पी फेमिली नाम की एक संस्था के लिए डॉक्टर जस्टिन कॉल्सन ने लिखा है कि यह पैटर्न बहुत आम तौर पर पाया गया है कि ऐसे रिश्ते जो टूटे या फिर कमजोर हुए हैं, उसमें दोनों तरफ से एक दूसरे की ग़लतियों को दोहराने का पैटर्न था।

यहां यह समझना है कि हर इन्सान से गलतियां होती हैं, और रिश्तों में यह सामान्य बात है कि कभी न कभी कोई न कोई गलती करेगा। लेकिन अगर आप हमेशा उन गलतियों को याद करेंगे और पुराने बातों को ताज़ा करेंगे, तो यह रिश्ते में तनाव ही बढ़ाएगा। उस उम्र में जब आपको रिश्ते की जरूरत होगी तो आपके इर्द गिर्द लोग आने से परहेज कर सकते हैं।

4. सुनने की आदत न होना

Sleep Separation: Separation of bedroom for a long time causes distance in relationships

हममें से कई लोग अपनी बातों को ज्यादा अहमियत देते हैं और सामने वाले की बातों को नजरअंदाज कर देते हैं। यही आदत रिश्तों में खटास पैदा करती है। रिश्ते तभी अच्छे होते हैं जब दोनों एक-दूसरे को सुनते और समझते हैं। लाइफ काउंसिलिंग इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट कहती है कि न सुनना, किसी भी रिश्ते के अंत की शुरुआत हो सकता है। तो अगर आप भी चाहते हैं कि आपका रिश्ता मजबूत हो, तो अब से पहले सामने वाले की बात पूरी तरह से सुनें।

जल्दी से प्रतिक्रिया देने के बजाय, उनकी बातों को समझने की कोशिश करें। जब आप अपने साथी की बातों को अहमियत देंगे, तो वह भी आपके विचारों की कद्र करेगा। इससे न सिर्फ आपका रिश्ता मजबूत होगा, बल्कि आप दोनों के बीच समझ और नज़दीकी भी बढ़ेगी। यह नजदीकी उस वक्त आपके ज्यादा काम की होगी जब आपको अपने साथी या किसी रिश्ते की जरूरत होगी और आपको प्यार चाहिए होगा।

5. वक्त नहीं है, मत बोलिए

Sleep Separation: Separation of bedroom for a long time causes distance in relationships

हम अक्सर यह बहाना बनाते हैं कि समय की कमी है, खासकर जब हम काम में व्यस्त होते हैं या और कोई जिम्मेदारियां होती हैं। लेकिन अगर हम यही सोचने लगें कि हमारे पास समय नहीं है, तो इससे रिश्तों में दूरी आ सकती है और फिर आप अकेलेपन का शिकार होने लगेंगे।

आप यह सोचिए कि उस वक्त जब आप अपनी उम्र के ऐसे पड़ाव पर हों जहां आप शारीरिक तौर पर भी कुछ कमजोर हों और आपको मानसिक मजबूती के लिए भी रिश्ते चाहिए हों। लेकिन न सुनने की आदत की वजह से आपने तो रिश्ते गंवा दिए हैं। फिर उस उम्र में आप मुश्किल में होंगे। इसलिए सबसे पहले वक्त की कमी का बहाना बना कर रिश्तों को टालना छोड़ दें।

6. नकारात्मक सोच रखना

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एक रिपोर्ट कहती है कि अगर आप हमेशा हर चीज़ को नकारात्मक तरीके से देखते हैं, तो यह आपके रिश्तों में तनाव पैदा कर सकता है। जब हम हर बात में परेशानी ढूंढ़ते रहते हैं, तो रिश्ते में प्यार और समझ की कमी होने लगती है। एक्सपर्ट के मुताबिक उम्र के उस पड़ाव पर जब हम सीख लेते हैं कि हमें क्या नहीं करना, जहां हमारे पास रिश्तों में खुद को बदलने का वक्त होता है तो यह हमारे लिए लाइफटाइम का वरदान बन जाता है। पॉजिटिव सोच की उम्र के उस पड़ाव पर सबसे ज्यादा जरूरत होती है जब हम उम्र के उस पड़ाव पर हों जहां हमें शारीरिक तौर पर दिक्कत हो सकती है। और अगर ऐसे में हम नकारात्मक रहे तो रिश्ते भी प्रभावित होंगे और हम खुद किसी भी बीमारी या समस्या से लड़ नहीं सकते।

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First Time Sex

SEX ना तो अब टैबू रह गया है और ना ही शादीशुदा जीवन का पार्ट रहा गया। लेकिन यह आपकी सेहत से जुड़ा मामला आवश्य है। अब भी लोग इस पर बात नहीं कर पाते। यही कारण है कि इसके बारे में बहुत सारी भ्रांतियां प्रचारित है। अधिकतर किशोर और युवा पहली बार सेक्स इंटरनेट पर यह सर्च करते हैं कि पहली बार सेक्स के बाद क्या होता है?

क्या बदलाव हो सकते हैं पहली बार सेक्स के बाद-

यदि आपने हाल ही में पहली बार सेक्स किया है या सेक्स करने का प्लान कर रही हैं, तो हम बता दें कि आपके शरीर में यही बदलाव आने वाले हैं। हम जानते हैं कि इन बदलावों से जुड़े कई सवाल हैं आपके दिमाग में, इसलिए आपकी जिज्ञासा का निदान करेंगे।

हालांकि हर व्यक्ति में सेक्स के बाद अलग बदलाव आ सकते हैं, पर यह प्रमुख जानकारी आपको जरूर होनी चाहिए-

1. आपको दर्द हो सकता है

unbearable pain in lower back during periods

सेक्स के दौरान दर्द होना सामान्य है। इसके पीछे कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं, लेकिन वे सभी कारण पूरी तरह सामान्य होते हैं। आपका हाइमेन खिंचने के कारण दर्द हो सकता है, लुब्रिकेशन की कमी से दर्द हो सकता है या वेजाइनिस्मस यानी पेल्विक मसल्स के टाइट होने के कारण दर्द हो सकता है। आपके दर्द का कारण एंग्जायटी भी हो सकती है। सेक्स से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं भी हो सकती हैं या पुराना कोई ट्रॉमा हो सकता है।

कई बार शुरुआत में सेक्स के दौरान ऑर्गेज्‍म होने पर यूटेरस में क्रेम्प्स होने लगते हैं। सेक्स के दौरान ऑक्सिटोसिन निकलता है, जिससे यूटेरस में कॉन्ट्रेक्शन के कारण दर्द होने की सम्भावना होती है।

2. स्पॉटिंग हो सकती है 

आपको सेक्स के बाद खून आ सकता है, आपको सेक्स के बाद खून न आए यह भी सम्भव है। दोनों ही स्थिति सामान्य हैं। अगर आपको पहली बार सेक्स के बाद खून आता है, तो इसका कारण होता है हाइमेन। हाइमेन एक पतली सी त्वचा की झिल्ली होती है, जो सेक्स करने पर खिंच जाती है और खून निकल सकता है।

हाइमेन आसानी से खिंच सकती है और इसके टूटने का एकमात्र कारण सेक्स ही नहीं है। स्पोर्ट्स के कारण भी हाइमेन टूट जाता है। यहां तक कि टैम्पॉन्स के प्रयोग से भी हाइमेन टूट सकता है। हाइमेन का आपकी वर्जिनिटी से कोई लेना देना नहीं है।

उसके अलावा भी आपको कई बार स्पॉटिंग नजर आ सकती है। इस स्पॉटिंग का कारण है सेक्स के कारण सर्विक्स में सूजन। अगर आप रफ सेक्स करती हैं, तो स्पॉटिंग की सम्भावना अधिक होती है। यह खून सुर्ख लाल रंग का होता है।

3. पेशाब के दौरान जलन होती है

अगर आपको सेक्स के बाद बाथरूम जाने पर जलन महसूस हो रही है, तो यह नार्मल है। वेजाइना और यूरेथ्रा काफी पास में ही होते हैं इसलिए वेजाइना पर पड़े दबाव का दर्द यूरेथ्रा में भी होता है। लेकिन अगर यह दर्द दो-तीन दिन से ज्यादा रहे, तो डॉक्टर की आवश्य सलाह लें।

4. वेजाइना में खुजली हो सकती है

हल्की खुजली सामान्य है, लेकिन अगर आपको बहुत अधिक खुजली हो रही है जिसे कंट्रोल नहीं कर पा रहीं, तो यह कॉन्डम से एलर्जी के कारण हो सकता है। अगर आपने लुब्रिकेंट का इस्तेमाल किया है तो वह भी एलर्जी का कारण हो सकता है।

5. आपको UTI हो सकता है

Do we have to face the risk of UTI after sex?

सेक्स के दौरान आपके ऐनस के पास मौजूद बैक्टीरिया आपकी वेजाइना और यूरेथ्रा तक पहुंच सकते हैं। इससे दर्दनाक UTI हो सकता है। कई बार खुजली और जलन के लिए यही जिम्मेदार होता है।

6. निपल्स और क्लिटोरिस का साइज बदल सकता है

आपके निप्पल्स में कई सारी नसें आकर खत्म होती हैं, जिसके कारण आपके उत्तेजित होने पर निप्पल्स में बदलाव आ जाता है। इससे आपके ब्रेस्ट के टिश्यू फूल जाते हैं और ब्रेस्ट बड़े लगने लग सकते हैं। यही नहीं सेक्सुअली उत्तेजित होने पर आपके निप्पल्स टाइट हो जाते हैं। उसी तरह क्लाइटोरिस में भी बहुत सी नसें खत्म होती हैं, जिससे क्लाइटोरिस का साइज बढ़ जाता है। हालांकि सेक्स के बाद यह नॉर्मल साइज में लौट जाती है।

7. हैप्पी हॉर्मोन्स निकलते हैं

First Time Sex

जब आप सेक्स करने लगती हैं, तो शरीर में ब्लड फ्लो बढ़ जाता है। यही नहीं, उत्तेजित होने पर निप्पल, ऐरीओला और क्लाइटोरिस की मांसपेशियों में टेंशन आ जाती है। सेक्स के दौरान आपको ऑर्गेज्म की प्राप्ति होती है। इस सब का कारण है दिमाग में ऑक्सिटोसिन का बढ़ा हुआ स्तर जो सेक्स के कारण बढ़ता है।

8. वेजाइना की इलास्टिसिटी

आपकी वेजाइना की मांसपेशियां बहुत इलास्टिक होती हैं और यह इलास्टिसिटी बदलती रहती है। आपकी वेजाइना सेक्स के बाद काफी हद तक खुल जाती है, जो कि बिल्कुल सामान्य है। तो लेडीज, सेक्स करने से पहले ही जान लें सेक्स के बाद या दौरान आपके शरीर में क्या बदलाव आएंगे ताकि आप खुद को मानसिक रूप से तैयार कर सकें।

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Sexual intimacy helps in recovering from loneliness and depression

Reproductive Organ में अगर किसी तरह की कोई खराबी नहीं होती फिर भी प्रेगनेंसी में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। Conceive का प्लान करने के बावजूद हसबैंड और वाइफ दोनों को निराश होना पड़ता है। जिन्हें प्रेगनेंसी में दिक्कत होती है, उन्हें फ्रेंड्स सलाह देते हैं कि इंटरकोर्स के बाद कुछ देर तक बिस्तर पर ही लेटे रहें। क्या यह वाकई कारगर है? क्या है कोई साइंटिफिक वजह है? हम यहां एक्सपर्ट के जरिए जानेंगे प्रेगनेंसी के इस खास तरीके का पूरा सच।

SEX के बाद लेटने से कंसीव करना आसान हो जाता है?

एक्सपर्ट के मुताबिक जब प्रेगनेंसी किन्हीं कारणों से लेट होने लगती है, तो डॉक्टर भी सेक्स के बाद 15- 20 मिनट तक बेड पर लेटे रहने की सलाह देते हैं। दरअसल, सेक्स के बाद स्पर्म का बाहर निकलना सामान्य है। ऐसा ग्रेविटी के कारण होता है। सेक्स के बाद स्पर्म का बाहर निकलने से गर्भधारण की संभावना कम नहीं होती। हालांकि खड़े होने या बाथरूम जाने से गुरुत्वाकर्षण शुक्राणु को गर्भाशय ग्रीवा से खींच कर दूर ले जा सकता है। इसलिए इस मामले में ज्यादातर डॉक्टर सलाह देते हैं कि सेक्स के बाद कम से कम 05 मिनट तक लेटे रहें। इससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।

कंसीव करने के लिए SEX के बाद कितनी देर तक लेटे रहना चाहिए और कैसे?

Some Natural Ways To Spice Up Your Sex Life

एक्सपर्ट इस बात की सलाह देते हैं कि अगर आप कंसीव करना चाहती हैं, तो सेक्स के बाद अपने हिप्स के नीचे एक तकिया लगा लें। इससे सीमेन को गर्भाशय की ओर ले जाने में ग्रेवेटी की मदद मिलती है। इस अवस्था में 10–15 मिनट रहने की सलाह दी जाती है। यह अवधि स्पर्म के लिए पर्याप्त होती है।

इस विधि के अलावा विशेषज्ञ पैर ऊपर करने की भी सलाह देते हैं। पैरों को एक साथ उठाकर दीवार से लगा दें। इस अवस्था में आराम करें। इस विधि में भी गुरुत्वाकर्षण को स्पर्म की मदद करने का अवसर मिलता है। यह भी एक असरदार तरीका है।

कितनी देर में गर्भाशय तक पहुंचता है स्पर्म

यदि स्पर्म के मूवमेंट की बात की जाए, तो स्पर्म को फैलोपियन ट्यूब के भीतर अपने गंतव्य तक पहुंचने में 2 मिनट से भी कम समय लग सकता है। अक्सर शुक्राणु अंडाशय से एग जारी होने तक धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करते हैं। ये शरीर में लगभग पांच दिनों तक जीवित रह सकते हैं। इसका मतलब हुआ कि गर्भाधान वास्तव में सेक्स के कई दिनों बाद भी हो सकता है।

ओवुलेशन के दौरान कैसे ऐग मिलता है स्पर्म से

जो महिलाएं अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान से गुजरती हैं, उनमें स्पर्म की बड़ी संख्या को गर्भाशय के नजदीक छोड़ दिया जाता है। इससे ओव्यूलेशन के दौरान एक अंडा स्पर्म से मिलकर जायगोट बना लेता है। इसमें भी ग्रेविटी के रूल को ही फ़ॉलो किया जाता है।

SEX के बाद यूरीन पास करें या नहीं!

एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई कि 15 मिनट तक लेटने से गर्भधारण की दर 27 फीसदी तक बढ़ जाती है। जबकि इंटरकोर्स के तुरंत बाद उठने वाले लोगों में प्रेगनेंसी की दर 18 फीसदी थी।

अगर आप प्रेगनेंट नहीं होना चाहतीं और सेक्स के दौरान स्पर्म अंदर चला गया है, तो डॉक्टर आपको तुरंत यूरीन पास करने की सलाह देते हैं। यही कारण है कि प्रेगनेंसी को रोकने के तरीके के रूप में सेक्स के बाद यूरीन पास करने की सलाह दी जाती है। सेक्स के बाद पेशाब करने से यूटेरिन ट्रैक्ट इन्फेक्शन से बचाव हो सकता है।

इसके कारण सेक्सुअली ट्रांसमिट होने वाले कुछ संक्रमण को रोकने में भी मदद मिल सकती है। ग्रेविटी फ़ोर्स की वजह से सीमेन वेजाइना के अंदर नहीं जा सकते हैं। लेकिन सभी को यह बात जान लेनी चाहिए कि यूरीन एक छोटे से छेद से निकलता है, जिसे यूरेथरा कहा जाता है। सेक्स के बाद यूरीन करने से योनि से शुक्राणु नहीं निकल पाते हैं।

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Chhath Puja

Chhath Puja: नहाय खाय के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत हो गई है। चार दिवसीय लोक आस्था व सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय से होता है। इस दिन लौकी की सब्जी, चने की दाल और चावल खाने का महत्व है। इसको बनाने से लेकर खाने तक हर जगह शुद्धता और पवित्रता का खास ध्यान रखा जाता है। इस महापर्व का समापन समापन शुक्रवार 08 नवंबर को उगते सूर्य को अर्ध्य देकर किया जाता है।

बताता चलूं कि छठ पर्व एकमात्र ऐसा सुअवसर है जहां उगते सूर्य के साथ-साथ अस्त होते सूर्य की भी पूजा की जाती है। छठ पूजा सूर्य, प्रकृति, जल, वायु और उनकी बहन छठी मइया को समर्पित है। पार्वती का छठा रूप भगवान सूर्य की बहन छठी मैया को त्योहार की देवी के रूप में पूजा जाता है।

कब है नहाए खाय का शुभ मुहूर्त

Importance of 'Chhath', the great festival of folk faith, from bathing to Arghya

ज्योतिषविद ने बताया कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय खाय होता है। इस दिन व्रती गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करने के बाद सूर्य देव की पूजा करते हैं। इसके बाद सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन में चावल-दाल और लौकी की सब्जी ग्रहण करते हैं।

पंचांग गणना के अनुसार 05 नवंबर को नहाय खाय है। इस महापर्व के सभी मुहूर्त सूर्योदय और सूर्यास्त के टाइमिंग पर निर्भर करता है। पटना में आज 06 बजे सूर्योदय हुआ जबकि शाम 05:06 बजे सूर्यास्त होगा। इसी दौरान व्रती स्नान और ध्यान के बाद सूर्यदेव की पूजा करेंगे और फिर सात्विक भोजन ग्रहण करेंगे।

इसलिए खाते हैं सात्विक भोजन

नहाय खाय के दिन छठ का व्रत रखने वाले पुरुष या महिला सात्विक भोजन का सेवन करते हैं। पहले दिन खाने में ऐसी चीजों को शामिल किया जाता है जिससे व्रत वाले दिन भूख-प्यास कम लगे। नहाय खाय के दिन बिना प्याज, लहसुन के सब्जी बनाई जाती है। इस दिन लौकी और कद्दू की सब्जी बनाने का खास महत्व होता है। नहाय खाय में लौकी, चना की दाल को भात से खाया जाता है।

चार दिन चलने वाला महापर्व

छठ पूजा का आरंभ नहाय खाय से होता है। इसके बाद 06 नवंबर को खरना, 07 नवंबर को सायंकालीन अर्घ्यदान और 08 को प्रातःकालीन अर्घ्य के बाद पारण होगा। इसके साथ ही इस महापर्व का समापन भी होगा।

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