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When there is a delay in periods, apart from pregnancy

Period शुरू होने में अगर देरी होती है तो अधिकतर मामले में प्रेगनेंसी को जिम्मेदार ठहराया जाता है। बता दें कि वजन में बहुत ज्यादा बदलाव, हार्मोनल अनियमितताएं और मेनोपॉज की तरफ बढ़ता साइकल भी इसके कारणों में से एक हो सकता है। अगर एक या दो महीने से ज्यादा पीरियड में देरी की समस्या होती है तो यह एमेनोरिया का प्रॉब्लम हो सकता है। यदि यह समस्या अक्सर हो रही है तो गायनेकोलोजिस्ट से मिलना जरूरी है। फिलहाल एक एक्सपर्ट से जानते हैं कि किन वजहों से पीरियड में देरी हो सकती है।

पीरियड में देरी बढ़ा देती है चिंता

जिस दिन पीरियड शुरू होती है और अगली माहवारी के पहले दिन तक को एक पीरियड साइकल कहा जाता है। सामान्य पीरियड साइकल लगभग 28 दिनों का होता है। हालांकि एक सामान्य चक्र 38 दिनों तक का भी हो सकता है। अगर आपकी पीरियड साइकल इससे ज्यादा लंबा है या सामान्य से अधिक लंबा है तो इसे पीरियड में देरी माना जाता है। लगातार पीरियड में देरी होने पर महिलाएं अपना प्रेगनेंसी टेस्ट करती हैं। पर अगर आप प्रेगनेंट नहीं हैं, तब पीरियड में देरी होने के और भी कई कारण हो सकते हैं।

प्रेगनेंसी के अलावा पीरियड मिस होने के कारण

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1. थायराइड में गड़बड़ी

गायनेकोलोजिस्ट बताती हैं कि थायराइड पीरियड साइकल को नियंत्रित करने में मदद करता है। बहुत अधिक या बहुत कम थायराइड हार्मोन पीरियड साइकल को बहुत हल्का, भारी या अनियमित बना सकता है। थायराइड डिजीज के कारण मासिक धर्म कई महीनों या उससे अधिक समय तक रुक सकते हैं, इस स्थिति को एमेनोरिया कहा जाता है।

2. हाई प्रोलैक्टिन लेवल

डॉ. रिद्धिमा शेट्टी बताती हैं, ‘ब्रेन के पिटउइटेरी ग्लैंड से सीक्रेट होता है प्रोलैक्टिन हॉर्मोन। प्रोलैक्टिन हार्मोन स्तनपान, ब्रेस्ट टिश्यू के विकास और दूध उत्पादन के लिए जिम्मेदार होते हैं। ब्लड में प्रोलैक्टिन का सामान्य से अधिक स्तर पीरियड में देरी कर सकता है। 50-100 एनजी/एमएल के बीच हाई प्रोलैक्टिन लेवल अनियमित अनियमित पीरियड और इनफर्टिलिटी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। कुछ दवा, इन्फेक्शन यहां तक कि स्ट्रेस भी प्रोलैक्टिन हॉर्मोन के सीक्रेशन को बढ़ावा देता है।’

3. हीमोग्लोबिन का लेवल गिरना

Say goodbye to heavy bleeding by adopting these tips during periods

विशेषज्ञ के मुताबिक हीमोग्लोबिन का लो लेवल एंडोमीट्रियल ग्रोथ को प्रभावित कर सकता है। इससे पीरियड शुरू होने में देरी हो सकती है। लो हीमोग्लोबिन के कारण शरीर में आयरन कम हो जाता है, जो पीरियड्स को प्रभावित कर सकता है। इसके कारण एनीमिया हो जाता है, जो मासिक धर्म चक्र में देरी या अनियमितताओं का कारण बन सकता है। यदि लगातार दो से ज्यादा पीरियड साइकिल में देरी या अनियमित पीरियड का अनुभव हो रहा है, तो समस्या को समझने के लिए डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है।

4. अत्यधिक मोटापा या पोषण की कमी

अधिक वजन या मोटापा मासिक धर्म चक्र को प्रभावित कर सकता है। यदि वजन अधिक है, तो शरीर अतिरिक्त मात्रा में एस्ट्रोजन का उत्पादन करने लग सकता है। यह महिलाओं में प्रजनन प्रणाली को नियंत्रित करने वाले हार्मोनों में से एक है। एस्ट्रोजन की अधिकता सीधे तौर पर पीरियड को प्रभावित कर सकती है। यह उसे रोकने का कारण भी बन सकती है। पोषक तत्वों की कमी भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। क्योंकि शरीर में बहुत अधिक बदलाव आने पर इस साइकल पर नेगेटिव इफेक्ट पड़ता है।

5. फीवर और इन्फेक्शन

किसी तरह का संक्रमण मासिक धर्म को सीधे तौर पर प्रभावित नहीं कर सकता है। लेकिन इसके कारण होने वाला फीवर, यूटीआई के कारण पीरियड डिले हो सकता है। UTI के कारण शरीर पर पड़ने वाला तनाव पीरियड को प्रभावित कर सकता है। साथ ही यदि आपकी स्ट्रेसफुल लाइफस्टाइल है, तो तनाव कोर्टिसोल प्रोडक्शन बढ़ा देते हैं। इससे पीरियड में देरी हो जाती है।

क्या करें जब एक-दो महीने से पीरियड न आए?

How can you take care of your wife or girlfriend during periods?

पीरियड में सप्ताह भर की देरी होना सामान्य है। पर अगर आपके पीरियड पंद्रह से बीस दिन बाद भी नहीं आए हैं, तब यह जरूरी है कि आप अपना प्रेगनेंसी टेस्ट करें। कुछ महिलाओं को 01 महीने बाद भी पीरियड नहीं आता। जबकि कुछ जानना चाहती हैं कि 02 महीने बाद भी पीरियड न आए तो क्या करें?

एक्सपर्ट के अनुसार पर अगर आप यौन सक्रिय हैं तो बेहतर है कि आप अपना प्रेगनेंसी टेस्ट करवाएं। लेकिन अगर आप सेक्सुअली एक्टिव नहीं हैं, तो आपको जबरन पीरियड लाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। कई बार तनाव और खानपान सही नहीं होने के कारण भी पीरियड में एक-दो महीने की देरी हो जाती है। यह स्थिति नॉर्मल नहीं है। इसलिए जरूरी है कि आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। किसी भी तरह के घरेलू उपाय अपनाकर जबरन पीरियड लाने का प्रयास करना आपके लिए खतरनाक हो सकता है। इसलिए ऐसा न करें।

फोटो सौजन्य- गूगल

Super Food

Immunity: जब मौसम सर्दियों का हो तो कभी जुकाम तो कभी स्किन प्रॉब्लम का खतरा बढ़ जाता है। अलावा इसके बुजुर्गों को जोड़ों में दर्द और हृदय में जकड़न के जोखिम को भी बढ़ा देती है। ऐसे में शरीर को हेल्दी रखने के लिए खानपान का ख्याल रखना जरूरी है। अगर आप भी मौसमी बीमारियों के कुप्रभावों से बचना चाहती हैं तो कुछ ऐसे सुपरफूड्स को आहार में जरूर शामिल करें जिससे शरीर में रोग से लड़ने की क्षमता को बढ़ाया जा सके। आइये जानते हैं कुछ खास सुपरफूड्स काम्बो के बारे में जिन्हें आहार में शामिल करके इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद मिलती है-

ज्यादातर आहार में फ्लेवर एड करने के लिए कई तरह के मसाले और टेस्ट मेकर्स को रेासपी में मिलाया जाता है जिससे कि आहार की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सके। मगर इसमें पोषण को बढ़ाने के लिए सुपरफूड्स को जोड़ने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगती है। इन सप्लीमेंट्स को मसालों, पत्तियों या फूड्स के तौर पर एड किया जा सकता है। इससे बॉडी को एंटीऑक्सीडेंटस और एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज़ की प्राप्ति होती है।

डायटीशियन बताती हैं कि इम्यून सिस्टम बूस्ट करने के लिए पौष्टिक आहार के सेवन से पहले गट हेल्थ को मज़बूत रखना जरूरी है। इसे शरीर में हेल्दी बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। शरीर की हेल्दी फंक्शनिंग की मदद से शरीर के वज़न को संतुलित रखा जा सकता है और एनर्जी का स्तर उचित बना रहता है।

इन सुपरफूड्स को मिलाकर इम्यून सिस्टम को करें मजबूत

1. दही और पालक

Super Food with Curd

दही के सेवन से जहां प्रोबायोटिक्ट की मात्रा प्राप्त होती है, तो वहीं पालक में मौजूद बीटा कैरोटीन और फाइटोन्यूट्रिएंट्स की मात्रा शरीर को फ्री रेडिकल्स के खतरे से बचाने में मदद करते है। विटामिन डी के मुख्य स्रोत दही को ब्लैंड करके उसमें कटी हुई पालक को डालकर खाने से न केवल गट हेल्थ मज़बूत होती है बल्कि आयरन और फोलेट की प्राप्ति होती है।

अलावा इसके पोषक तत्वों का एबजॉर्बशन भी बढ़ने लगता है। USDA के अनुसार आहार में 01 कप दही को शामिल करने से 28 फीसदी फासफोरस, 10 फीसदी मैग्नीशियम और 12 फीसदी पोटेशियम की प्राप्ति होती है। इसकी मदद से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।

2. हल्दी और काली मिर्च

Turmeric Powder with Daal

हल्दी में एंटी इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं। इसमें मौजूद एक्टिव कंपाउड संक्रमण के प्रभाव को कम करने में मदद करते है। इसके अलावा हल्दी मे पाई जाने वाली करक्यूमिन की मात्रा इंफ्लामेशन को कम करके हेल्दी ब्लड वेसल्स की फंक्शनिंग में मदद करती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा अलसरेटिव कोलाइटिस से राहत दिलाती है।

किसी भी रेसिपी में हल्दी के साथ काली मिर्च को मिलाकर खाने से शरीर को पिपरिन की प्राप्ति होती है, जिससे पोषक तत्वों का एबजॉर्बशन बढ़ने लगता है। खिचड़ी को तैयार करने के दौरान हल्दी के साथ काली मिर्च को मिलाकर खाने से शरीर को फायदा मिलता है।

3. टमाटर में मिलाएं अदरक

आहार में टेस्ट का तड़का जोड़ने के लिए अदरक का इस्तेमाल किया जाता है। इसके सेवन से शरीर में खांसी जुकाम का खतरा कम होने लगता है और पाचनतंत्र मज़बूत बनता है इसके सेवन से शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स की मात्रा बढ़ती है, जिससे इम्यून सिस्टम को बूस्ट किया जा सकता है। वहीं टमाटर में मौजूद लाइकोपिन कंपाउड से शरीर में हृदय रोगों और कैंसर के चातरे को कम किया जा सकता है। लाइकोपिन फैट सॉल्यूबल है, जिससे इसके एबजॉर्बशन में मदद मिलती है। टमाटर के सूप में अदरक के पेस्ट को एड करके सेवन करने से शरीर को पोषण की प्राप्ति होती है।

4. आंवला में शहद मिलाकर खाएं

मेडिसिनल प्रॉपर्टीज़ से भरपूर आंवला में विटामिन सी की उच्च मात्रा पाई जाती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंटस मौसमी संक्रमण के प्रभाव को कम करके शरीर को विटामिन और मिनरल प्रदान करते हैं। इसमें पाई जाने वाली एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज़ से बैक्टीरिया और पायरस के प्रभाव को कम किया जा सकता है। वही शहद को आंवला में मिलाकर खाने से डाइजेस्टिव सिस्टम बूस्ट होता है और विटामिन सी की प्राप्ति से एजिंग का प्रभाव कम होने लगता है। कटे हुए आंवला में शहद मिलाकर स्टोर कर लें। रोज़ाना एक चम्मच इस का सेवन करने से शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है, जिससे वेटलॉस में भी मदद मिलती है।

5. शकरकंदी और एवोकाडो

बीटा कैरोअीन से भरपूर शकरकंदी अक्सर सर्दियों में खाया जाने वाला सुपरफूड है। इससे आहार में स्वाद के साथ पोषण को जोड़ा जा सकता है। इसके सेवन से शरीर को विटामिन ए की प्राप्ति होती है। वहीं इसमें एवोकाडो को मिलाने से शरीर में फैटी एसिड की कमी को पूरा किया जा सकता है। इन दोनों को मिलाकर खाने से इम्यून सिस्टम को बूस्ट किया जा सकता है ।

6. पपीते में काली मिर्च को करें एड

विटमिन A और C से भरपूर पपीते का सेवन करने से डज्ञइजेशन समेत ओवरऑल हेल्थ को फायदा मिलता है। अलावा इसके फाइबर की उच्च मात्रा मेआबॉलिज्म को भी बूस्ट करने में मदद करता है। इसमें काली मिर्च को जोड़कर खाने से व्हाइट ब्लड सेल्स की मात्रा बढ़ने लगती है, जिससे शरीर में बैक्टीरिया और वायरस का प्रभाव कम होने लगता है।

फोटो सौजन्य- गूगल

Hot Water: Why is it important to drink hot water in winter

Hot Water: वैसे ये बात हर किसी को मालूम है कि शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए पानी बहुत जरूरी है। ज्यादातर लोग अपनी प्यास मिटाने के लिए ठंडा पानी लेना पसंद करते हैं लेकिन सर्दी शुरू होते ही लोग ठंडे से पानी पीने से परहेज करने लगते हैं। मगर असल सवाल ये कि क्या वाकई ठंडे पानी की तुलना में गर्म पानी हेल्थ को कोई फायदा पहुंताचा है। आइये जानते हैं एक्सपर्ट से कि क्यों गर्म पानी पीना जरूरी है और इससे शरीर की क्या बेनिफिट मिलते हैं।

जर्नल ऑफ फूड साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक गर्म पानी पीने के लिए तापमान को 130 से 160 डिग्री एफ तक रखें। इससे ज्यादा तापमान पर गर्म पानी पीने से जीभ और गले में छाले बनने लगते हैं। इसके पोषण को बढ़ाने के लिए नींबू का रस डालें और पीएं।

एक डायटीशियन बताती हैं कि पानी स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है और हेल्दी बॉडी फंक्शनिंग के लिए रोज़ाना पर्याप्त मात्रा में पानी पीना बहुत ज़रूरी है। हांलाकि कई लोग हर मौसम में ठंडा पानी पीना पसंद करते हैं लेकिन गर्म पानी पीने के शरीर को कई फ़ायदे मिलते हैं जिन्हें अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। सुबह उठने के बाद और सोने से पहले गर्म पानी पीने से शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है और पाचन को बढ़ावा मिलता है। साथ ही बैली फैट को कम करने में भी मदद मिलती है।

गुनगुना पानी पीने के फ़ायदे

Hot water

1. पाचन में फायदा

गर्म पानी डाइजेस्टिव ऑर्गन्स को उत्तेजित करता है। इससे पाचन तंत्र में रक्त के प्रवाह को बढ़ावा मिलता है, जिससे बेहतर पाचन और नियमित बॉवल मूवमेंट में मदद मिलती है। नियमित रूप से गर्म पानी पीने से शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थों को डिटॉक्स किया जा सकता है। इससे एसिडिटी और ब्लोटिंग से भी बचा जा सकता है।

2. वजन घटाने में अहम रोल

गर्म पानी पीने से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और पेट भरा हुआ महसूस होता है। इससे एपिटाइट को नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही शरीर में जमा चर्बी को बर्न करमे में भी मदद मिलती है। इससे सूजन और कब्ज की समस्या हल हो जाती है। इससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है, जिससे वेटगेन की समस्या हल हो जाती है।

3. ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाए

Hot water

सुबह उठकर खाली पेट गुनगुना पानी पीने से ना सिर्फ डाइजेशन बूस्ट होता है बल्कि शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन भी बढ़ने लगता है। इससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हल हो जाती है। साथ ही शरीर में एकत्रित होने वाले वसा से बनने वाले ब्ल्ड क्लॉटिंग से भी राहत मिलती है। इससे आर्टरीज़ और वेन्स एक्सपैंड हो जाती हैं, जिससे ब्लड का फ्लो उचित बना रहता है।

4. ठंड में बढ़ने वाली ठिठुरन कम हो जाती है

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक ठंड की स्थिति में शरीर में कपकपी बढ़ जाती है। मगर गर्म तरल पदार्थ पीने से कंपकंपी कम हो सकती है। शरीर को अंदरूनी गर्माहट मिलने लगती है और शरीर एक्टिव बना रहता है। बता दें कि इससे निर्जलीकरण का जोखिम भी कम हो जाता है। रिसर्च के अनुसार जहां पुरूष को दिनभर में 112 ओंस पानी की आवश्यकता होती है, तो वहीं महिलाओं को 78 आेंस पानी पीना चाहिए।

5. स्ट्रेस कम करने में मिलेगी मदद

Hot water

रोजाना गुनगुना पानी पीने से नर्वस सिस्टम हेल्दी रहता है। इससे ब्रेन फंक्शनिंग उचित बनी रहती है और मूड बूस्टिंग में मदद मिलती है। ब्रेन एक्टिव रहने से चीजों को याद रखने की क्षमता बढ़ जाती है और एकाग्रता को भी बढ़ाया जा सकता है। घूंट घूंट कर गर्म पानी पीना चाहिए।

6. नेज़न कंजेशन से राहत

एक कप गर्म पानी पीने से बार बार आने वाली खांसी और सांस लेने में होने वाली तकलीफ से बचा जा सकता है। नाक बंद रहने यानि साइनस से सिरदर्द का जोखिम बना रहता है। इसकी मदद से म्यूक्स को बनने से भी रोका जा सकता है, जिससे एयरवेज को क्लीयर रखने में मदद मिलती है।

फोटो सौजन्य- गूगल

If you are troubled by white hair then do this special exercise daily

Hair Loss से छुटकारा पाने के लिए अक्सर कई तरह के नुस्खे और शैम्पू का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन फॉलिकल्स की मजबूती के मद्देनजर सबसे जरूरी अंदरूनी ताकत का मिलना है। दरअसल, बॉडी में पोषक की कमी बालों के झड़ने का अहम कारण बनता है। इसके स्कैल्प का रूखापन भी बढ़ने लगता है और हेयरथिनिंग का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में बालों को प्रोटीन और बीटा कैरोटीन समेत कई पोषक तत्वों की जरूरत होती है, जो विटामिन्स के सेवन से शरीर को हासिल होते है। आइये जानते हैं किन विटामिन्स की कमी से बढ़ने लगती हेयरफॉल की समस्या और उससे बचने के लिए किन टिप्स की लें सकते हैं सहायता-

इन VITAMINS की कमी से बढ़ती है बाल झड़ने की समस्या

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1. विटामिन B, बायोटिन और फॉलिक एसिड

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक विटामिन-B12 का सेवन करने से स्कैल्प पर सेल डिविज़न में मदद मिलती है। बायोटिन एक प्रकार का विटामिन बी है जो शरीर में मौजूद फूड को ऊर्जा में बदलने और सेल कम्यूनिकेशन में मदद करता है। ऐसे में बालों का झड़ना बायोटिन की कमी को दर्शाता है। ऐसे में विटामिन बी से भरपूर फूड्स को आहार में शामिल करके इस समस्या को हल किया जा सकता है।

2. विटामिन- D

इस विटामिन को सनशाइन विटामिन भी कहा जाता है। इसके सेवन से बालों का रोम चक्र प्रभावित होता है और इससे हेयरलॉस से राहत मिलती है। इससे बालों के फॉलिकल्स को मज़बूती मिलती है, जिससे हेयर नरिशमेंट बढ़ जाता है। शरीर में इसकी मात्रा को बढ़ाने के लिए धूप प्रदान करने के अलावा दूध, दही, पनीर, मछली, अंडे और संतरे का सेवन करने से फायदा मिलता है।

3. विटामिन- C की कमी

शरीर में विटामिन- C की कमी आयरन के अवशोषण को कम कर देती है। इसके कारण खून की कमी हेयरलॉस का कारण साबित होता है। अलावा इसके विटामिन- C की कमी के चलते कोलेजन का स्तर कम होता है, जिससे स्कैल्प का रूखापन बढ़ने लगता है और शुष्कता बढ़ जाती है। इसके लिए आहार में ब्रोकली, बैरीज़ और खट्टे फलों को शामिल करें।

4. विटामिन- E

विटामिन- E की गिनती फैट सॉल्यूबल विटामिन में की जाती है। इससे त्वचा, बालों और नाखूनों का स्वासथ्य उचित बना रहता है। इसमें मौजूद सूजनरोधी गुण ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करते हैं। इसके सेवन से एलोपीसिया का जोखिम कम हेने लगता है।

बालों की ग्रोथ के लिए इन फूड्स को करें आहार में शामिल

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1. पालक से मिलती है विटामिन और आयरन की मात्रा

आहार में पालक को शामिल करने से शरीर को शरीर को फोलेट, आयरन, विटामिन ए और सी की भी प्राप्ति होती है। यूएसडीए के अनुसार 1 कप पालक का सेवन करने से 20 फीसदी विटामिन ए की प्राप्ति होती है। इससे ब्लड सेल्स को ऑक्सीजन मिलती है, जिससे बालों का टूटना और झड़ना कम होने लगता है।

2. शकरकंदी है बीटा कैरोटीन से भरपूर

विटामिन- A की कमी हेयरलॉस का कारण बनने लगती है। ऐसे में विटामिन- A से भरपूर शकरकंदी को आहार में शामिल करने से बालों को बीटा कैरोटीन की प्राप्ति होती है, जिससे सीबम प्रोडक्टशन बढ़ने लगता है। इससे हेयरलॉस की समस्या हल हो जाती है।

3. एवोकाडो से होगी विटामिन-E की प्राप्ति

स्कैल्प के नरिशमेंट के लिए विटामिन-C और E बेहद कारगर साबित होते है। इससे स्कैल्प पर बढ़ने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव को कम किया जा सकता है। एवोकाडो का सेवन करने से शरीर को हेल्दी फैट्स की प्राप्ति होती है, जिससे बालों की मज़बूती बढ़ने लगती है।

4. बैरीज़ से मिलते हैं एंटीऑक्सीडेंटस

इसमें मौजूद विटामिन-C से कोलेजन का प्रोडक्शन बढ़ने लगता है। इससे बालों को रूखापन दूर होता है और मज़बूती बढ़ जाती है। आहार में बैरीज़ को एड करने से शरीर में आयरन का एबजॉर्बशन बढ़ने लगता है। इससे हेयरलॉस से बचा जा सकता है।

Sexual intimacy helps in recovering from loneliness and depression

Reproductive Organ में अगर किसी तरह की कोई खराबी नहीं होती फिर भी प्रेगनेंसी में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। Conceive का प्लान करने के बावजूद हसबैंड और वाइफ दोनों को निराश होना पड़ता है। जिन्हें प्रेगनेंसी में दिक्कत होती है, उन्हें फ्रेंड्स सलाह देते हैं कि इंटरकोर्स के बाद कुछ देर तक बिस्तर पर ही लेटे रहें। क्या यह वाकई कारगर है? क्या है कोई साइंटिफिक वजह है? हम यहां एक्सपर्ट के जरिए जानेंगे प्रेगनेंसी के इस खास तरीके का पूरा सच।

SEX के बाद लेटने से कंसीव करना आसान हो जाता है?

एक्सपर्ट के मुताबिक जब प्रेगनेंसी किन्हीं कारणों से लेट होने लगती है, तो डॉक्टर भी सेक्स के बाद 15- 20 मिनट तक बेड पर लेटे रहने की सलाह देते हैं। दरअसल, सेक्स के बाद स्पर्म का बाहर निकलना सामान्य है। ऐसा ग्रेविटी के कारण होता है। सेक्स के बाद स्पर्म का बाहर निकलने से गर्भधारण की संभावना कम नहीं होती। हालांकि खड़े होने या बाथरूम जाने से गुरुत्वाकर्षण शुक्राणु को गर्भाशय ग्रीवा से खींच कर दूर ले जा सकता है। इसलिए इस मामले में ज्यादातर डॉक्टर सलाह देते हैं कि सेक्स के बाद कम से कम 05 मिनट तक लेटे रहें। इससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।

कंसीव करने के लिए SEX के बाद कितनी देर तक लेटे रहना चाहिए और कैसे?

Some Natural Ways To Spice Up Your Sex Life

एक्सपर्ट इस बात की सलाह देते हैं कि अगर आप कंसीव करना चाहती हैं, तो सेक्स के बाद अपने हिप्स के नीचे एक तकिया लगा लें। इससे सीमेन को गर्भाशय की ओर ले जाने में ग्रेवेटी की मदद मिलती है। इस अवस्था में 10–15 मिनट रहने की सलाह दी जाती है। यह अवधि स्पर्म के लिए पर्याप्त होती है।

इस विधि के अलावा विशेषज्ञ पैर ऊपर करने की भी सलाह देते हैं। पैरों को एक साथ उठाकर दीवार से लगा दें। इस अवस्था में आराम करें। इस विधि में भी गुरुत्वाकर्षण को स्पर्म की मदद करने का अवसर मिलता है। यह भी एक असरदार तरीका है।

कितनी देर में गर्भाशय तक पहुंचता है स्पर्म

यदि स्पर्म के मूवमेंट की बात की जाए, तो स्पर्म को फैलोपियन ट्यूब के भीतर अपने गंतव्य तक पहुंचने में 2 मिनट से भी कम समय लग सकता है। अक्सर शुक्राणु अंडाशय से एग जारी होने तक धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करते हैं। ये शरीर में लगभग पांच दिनों तक जीवित रह सकते हैं। इसका मतलब हुआ कि गर्भाधान वास्तव में सेक्स के कई दिनों बाद भी हो सकता है।

ओवुलेशन के दौरान कैसे ऐग मिलता है स्पर्म से

जो महिलाएं अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान से गुजरती हैं, उनमें स्पर्म की बड़ी संख्या को गर्भाशय के नजदीक छोड़ दिया जाता है। इससे ओव्यूलेशन के दौरान एक अंडा स्पर्म से मिलकर जायगोट बना लेता है। इसमें भी ग्रेविटी के रूल को ही फ़ॉलो किया जाता है।

SEX के बाद यूरीन पास करें या नहीं!

एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई कि 15 मिनट तक लेटने से गर्भधारण की दर 27 फीसदी तक बढ़ जाती है। जबकि इंटरकोर्स के तुरंत बाद उठने वाले लोगों में प्रेगनेंसी की दर 18 फीसदी थी।

अगर आप प्रेगनेंट नहीं होना चाहतीं और सेक्स के दौरान स्पर्म अंदर चला गया है, तो डॉक्टर आपको तुरंत यूरीन पास करने की सलाह देते हैं। यही कारण है कि प्रेगनेंसी को रोकने के तरीके के रूप में सेक्स के बाद यूरीन पास करने की सलाह दी जाती है। सेक्स के बाद पेशाब करने से यूटेरिन ट्रैक्ट इन्फेक्शन से बचाव हो सकता है।

इसके कारण सेक्सुअली ट्रांसमिट होने वाले कुछ संक्रमण को रोकने में भी मदद मिल सकती है। ग्रेविटी फ़ोर्स की वजह से सीमेन वेजाइना के अंदर नहीं जा सकते हैं। लेकिन सभी को यह बात जान लेनी चाहिए कि यूरीन एक छोटे से छेद से निकलता है, जिसे यूरेथरा कहा जाता है। सेक्स के बाद यूरीन करने से योनि से शुक्राणु नहीं निकल पाते हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

Increasing pollution in the air can be fatal for the heart

Pollution का बढ़ता खतरनाक स्तर सांस से जुड़ी समस्याओं के अलावा हार्ट डिजीज के खतरे को भी बढ़ा रहा है। हवा में मौजूद हानिकारक पार्टिकल्स सांस के जरिए शरीर के भीतर प्रवेश करने के बाद हृदय रोग, सांस की बीमारी और कैंसर सहित अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ा देता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक हर वर्ष पॉल्यूशन से 70 लाख लोगों की मौत होती है। खराब एयरक्वालिटी के कारण हृदय की ब्लड को पंप करने की क्षमता पर असर पड़ता है, जिससे हृदय रोगों का संकट काफी बढ़ जाता है। आइये जानते हैं एयर पॉल्यूशन किस तरह से बढ़ाता है हृदय रोगों का जोखिम-

पॉल्यूशन का हृदय पर असर

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की रिसर्च के मुताबिक वायु प्रदूषण एथेरोस्क्लेरोसिस की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे आर्टरीज़ की वॉल्स में प्लाक बनने लगता है। कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और वसा से प्लाक बनने लगता है, जो हृदय में रक्त के प्रवाह को बाधित कर देता है। इससे हृदय गति प्रभावित होती है और हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और अन्य हृदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है। प्रदूषण से हार्ट हेल्थ को नुकसान पहुंचने के अलावा डायबिटीज़ का खतरा भी बना रहता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हवा में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड हेल्थ रिस्क को बढ़ाती हैं। इसके अलावा हवा में घुले जहरीले कण फेफड़ों में पहुंचकर रक्त प्रवाह में प्रवेश करते हैं। इससे टिशूज़ और रेड ब्लड सेल्स को नुकसान का सामना करना पड़ता है। लंबे वक्त तक महीन पार्टिकुलेट मैटर के संपर्क में रहने से व्यक्ति को स्ट्रोक, हृदय रोग, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और कैंसर जैसी घातक बीमारियों का खतरा बना रहता है।

इस बारे में एक सीनियर डॉक्टर ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर हार्ट पर दिखता है। PM, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूषक जो गाड़ियों के धुएं फैक्ट्रियों और ईंधन जलाने से निकलते हैं, शरीर में जाकर दिल की सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं।

कैसे हृदय स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है प्रदूषण

Increasing pollution in the air can be fatal for the heart

1. हार्ट अटैक का जोखिम

ये प्रदूषक सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंचकर खून में मिल जाते हैं। ये नसों पर असर डालते हैं, जिससे सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ने लगता है। यह नसों में फैट जमा होने का कारण बनता है, जो दिल की बीमारियों और हार्ट अटैक की वजह बन सकता है। लंबे समय तक इन प्रदूषकों के संपर्क में रहने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

2. दिल की धड़कन का बढ़ना

नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड सेहत पर बुरा असर डालते हैं। नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, जो गाड़ियों और पावर प्लांट से निकलती है। फेफड़ों को कमजोर करती है और दिल पर अधिक दबाव बनाए रखती है। वहीं, कार्बन मोनोऑक्साइड खून में ऑक्सीजन पहुंचाने की क्षमता को कम कर देती है, जिससे दिल और शरीर के अन्य हिस्सों को सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। यह दिल की धड़कन को अनियमित कर सकता है और दिल की बीमारियों का कारण बन सकता है।

3. कोलेस्ट्रॉल का लेवल असंतुलित हो जाना

एक अध्ययन के मुताबिक लगातार धुएं और धूल मिट्टी के संपर्क में रहने से शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होने लगता है। प्रदूषण के कारण शरीर में हाई डेंसिटी लिपो प्रोटीन यानी गुड कोलेस्ट्रॉल में कमी आने लगती है। इससे हृदय संबंधी अनय समस्याओं के अलावा बैड कोलेस्ट्रॉल तेजी से बढ़ने लगता है।

4. ब्लड वेसल्स को करता है संकुचित

If you get such signs, then understand that heart problems have started

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार एयरबॉर्न पार्टिक्यूलेट मैटर से हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं। इससे ब्लड वेसल्स संकुचित होने लगती है और रक्त का प्रवाह असंतुलित हो जाता है। इसके अलावा ब्लडप्रेशर में वृद्धि, रक्त के थक्के जमना, कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज और स्ट्रोक का खतरा बना रहता हैं। बच्चे, बुजुर्ग और हार्ट के मरीज वायु प्रदूषण के असर से ज्यादा प्रभावित होते हैं।

इन सुझावों की मदद से समस्या को दूर किया जा सकता है

  • गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करना गले की सूजन को कम करता है और राहत देता है। दिन में दो बार गरारे करने से गले में मौजूद संक्रमण को दूर किया जा सकता है।
  • अदरक और शहद की चाय पीने से गले में आराम मिलता है और कफ साफ होता है। इससे फेफड़ों में बढ़ने वाले संक्रमण से बचाव होता है और म्यूक्स का उत्पादन कम होने लगता है।
  • इनडोर पॉल्यूशन से खुद को बचाव करनेअ के लिए घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और इनडोर प्लांटस भी लगाएं। अलावा इसके बाहर निकलते समय मास्क लगाना न भूलें।
  • अपने शरीर को निर्जलीकरण से बचाने का प्रयास करें। इससे गले में दर्द और खराश कम होती है। ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं ताकि गला और फेफड़े नम बने रहें और सेहत ठीक रहे।

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Keep the intimate area fresh and healthy

Intimate Area बॉडी का सबसे संवेदनशील पार्ट होता है। जिस तरह आप अपनी स्किन और बालों का केयर करती हैं, ठीक उसी प्रकार थोड़ा वक्त वेजाइना और एनस की देखभाल में भी देना चाहिए। अक्सर लोग नहाते हुए अपने इंटिमेट एरिया को साफ करते हैं, उसके बाद पूरे दिन इस पर कोई ध्यान नहीं देते हैं। इसलिए कई दफा यह अनकंफर्ट की वजह बन जाता है। इंटिमेट एरिया मतलब कि वेजाइना और एनस को डेली हजार तरह के कीटाणुओं का सामना करना पड़ता है।

इंटिमेट एरिया का ख्याल रखने से इरिटेशन, गीलापन और किसी तरह के संक्रमण से आप दूर रहेंगी, अन्यथा आप सामान्य डेली रूटीन की गतिविधियों को करने में सक्षम महसूस नहीं करेंगी। अनक्लीन इंटिमेट एरिया आपके मूड को इरिटेट कर देती है। ऐसी परिशानियों से बचने को लेकर अपनी इंटिमेट एरिया को फ्रेश रखना आवश्यक है।

गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट की एक सीनियर डायरेक्टर ने इंटिमेट एरिया को फ्रेश रखने के कुछ प्रभावी टिप्स सुझाएं हैं। आइये जानते हैं, फ्रेश और हेल्दी इंटिमेट एरिया मेंटेन करने के कुछ टिप्स-

जानें इंटिमेट एरिया में तरोताजा बनाए रखने के कुछ टिप्स

Keep the intimate area fresh and healthy

1. वेजाइना को दिन में 2-3 बार क्लीन करें

आमतौर पर महिलाएं सुबह नहाने के वक्त एक बार वेजाइना को क्लीन करती हैं, उसके बाद उन्हें अपनी इंटिमेट एरिया का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रहता। यह एक गलत प्रैक्टिस है, दिन में कम से कम 2 से 3 बार अपनी वेजाइना को क्लीन करें। इसके लिए आपको हल्के गुनगुने पानी से अपनी वेजाइना को क्लीन करना है, और टिश्यू या सॉफ्ट टॉवेल से उसे अच्छी तरह से ड्राई कर लें। इस तरह आपको अंदर से तरोताजा महसूस करने में मदद मिलेगी।

2. यूरिन पास करने बाद वेजाइना को रखें ड्राई

टॉयलेट इस्तेमाल करने के बाद सीधे पैंटी पहन लेने से वेजाइना में चिपचिपापन महसूस हो सकता है, साथ ही बार बार ऐसा करने से खुजली महसूस हो सकती है। इन परेशानियों को अवॉइड करने के लिए यूरिन पास करने के बाद टिशू पेपर से अपनी वेजाइना को ड्राई कर लें। आप चाहें तो पानी से क्लीन करने के बाद इसे ड्राई करें।

3. पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं

पूरे दिन में पर्याप्त मात्रा में पानी पीने का प्रयास करें, विशेष रूप से तब जब आपको प्यास का अनुभव हो रहा हो। जब बॉडी हाइड्रेशन मेंटेन रहता है, तो वेजाइना भी तरोताजा रहती है। डिहाइड्रेशन आपकी वेजाइना को चिपचिपा और स्मेली बना सकता है। यदि मुमकिन हो तो दिन में एक बार डिटॉक्स वॉटर जरूर पिएं, इससे आपका पाचन क्रिया संतुलित रहता है और आप अधिक फ्रेश महसूस करती हैं।

4. सही तरीके से करें वाइप

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स्टूल पास करने के बाद अपने एनस को टिशू की मदद से आगे से पीछे की ओर क्लीन करें। अगर आप पीछे से क्लीन करते हुए आगे की ओर आती हैं, तो इससे आपकी योनी में बैक्टीरिया का ग्रोथ बढ़ जाता है और आप संक्रमित हो सकती हैं।

5. दिन में एक बार जरूर क्लीन करें एनस

आजकल बहुत से लोग ऐसे हैं, जो स्टूल पास करने के बाद, टिशू पेपर या केवल पानी से अपने एनस को क्लीन करते हैं। पर सभी को नहाने के बाद पूरे दिन में कम से कम एक बार स्टूल पास करने के बाद अपने एनस को पानी से अच्छी तरह क्लीन करने के बाद उसे टिशू पेपर से पूरी तरह ट्राई करना चाहिए। इस प्रकार संक्रमण और खुजली का खतरा कम हो जाता है।

6. बीच-बीच में वॉक करती रहें

आप ऑफिस जाती हैं या घर पर रहती हैं, लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठी न रहे। एक से डेढ़ घंटे के अंतराल पर उठे और अपने पैरों को थोड़ा स्ट्रेच करें, ताकि वेजाइना को सांस लेने की जगह मिल सके। क्योंकि एक जगह पर पर दबाकर बैठे रहने से वेजाइना अनकंफरटेबल हो जाती है और हवा ट्रैप हो जाता है। जिसकी वजह से पसीना आता है और आपको अनकंफरटेबल महसूस हो सकता है।

7. कॉटन की पैंटी और हल्के कपड़े पहने

अपनी इंटिमेट एरिया को तरोताजा रखने के लिए हमेशा कॉटन की पैंटी और ढीले ढाले कपड़े पहनें, जिससे कि एनस और वेजाइनल एरिया में हवा पास होती रहे। यदि आपके कपड़े आपकी बॉडी से चिपके रहते हैं, तो अधिक पसीना आता है और वे उन्हीं एरिया में ट्रैप हो जाता है। जिसकी कारण इचिंग और अनकंफरटेबल महसूस हो सकता है। वहीं कई बार वेजाइना काफी चिपचिपी हो जाती है।

8. रात को पैंटी उतार कर सोएं

रात को पैंटी उतार कर सोने से आपकी वेजाइना रिलैक्स हो जाती है। पूरे दिन आपके इंटिमेट एरिया कपड़ों से ढके रहते हैं, इसलिए इन्हें सांस लेने की आजादी देना बहुत जरूरी है। पैंटी उतार कर सोने से सुबह उठने के बाद आपकी वेजाइना एकदम तरोजाताजा रहती है।

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Every girl should have these important things in her bag

लड़कियों से हमेशा पति से लेकर दोस्त तक मजाक करते हैं कि आपके पास अक्सर एक BAG रहता है या पूरी गृहस्थी साथ लेकर चलती हैं। लेकिन हमारे लिए घर से बाहर अपनी जरूरत के सामान के बिना रहना बहुत मुश्किल है। लड़की होने की वजह से हमारी कई शारीरिक और समाजिक जरूरतें होती हैं। हमें अचानक आने वाली किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहना पड़ता है। बैग में रखी जाने वाली ये जरूरी चीजें ना सिर्फ आपको किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में मदद करती हैं बल्कि सुविधाजनक रहने के लिए भी जरूरी हैं।

आइए आज जानते हैं कि एक लड़की या महिला को अपने बैग में कौन सी चीजें हमेशा रखनी चाहिए।

मोबाइल, चार्जर, पावर बैंक और ईयरपॉड आजकल ये हर लड़की के बैग में जरूर होता है। हर दिन इस्तेमाल होने वाली ये वो चीजें हैं जो आपकी सुरक्षा की दृष्टि से भी जरूरी हैं। मगर जब बात आपकी सेहत की आती है, तो इसके लिए भी आपको अपने बैग में कुछ जरूरी चीजें रखनी चाहिए। यहां हम उन्हीं जरूरी चीजों के बारे में बात कर रहे हैं।

एक्सपर्ट भी करती हैं सिफारिश

Every girl should have these important things in her bag

सीनियर डॉक्टर के मुताबिक एक महिला होने के नाते मैं ये कह सकती हूं वो समझाती हैं कि हर लड़की या महिला को अपने बैग में कुछ जरूरी चीजें हमेशा रखनी चाहिए ताकि वह किसी भी स्वास्थ्य संबंधी या व्यक्तिगत स्थिति का सामना कर सके।

पीरियड्स के दौरान इस्तेमाल होने वाले सैनिटरी पैड या टैम्पॉन सबसे महत्वपूर्ण हैं। इसके साथ ही, इंटिमेट हाइजीन वाइप्स या सैनिटाइज़र भी होना चाहिए ताकि स्वच्छता का ध्यान रखा जा सके। महिलाओं को एक छोटी बोतल में हैंड सैनिटाइज़र, फेस मास्क और टिश्यू पेपर भी रखना चाहिए, खासकर यात्रा के दौरान।

ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवाएं, जैसे पेरासिटामोल या इबुप्रोफेन, पेट दर्द या सिरदर्द के लिए मददगार हो सकती हैं। अलावा इसके हमेशा पीरियड्स के समय एक पानी की बोतल और कुछ हल्के स्नैक्स भी आवश्यक होते हैं, ताकि भूख या कमजोरी से निपटा जा सके।

हर लड़की या महिला को अपने बैग में रखनी चाहिए ये आवश्यक चीजें

1. पीरियड किट है आपकी सेवियर

Every girl should have these important things in her bag

हर लड़की जिसे बाहर जाना होता है, उसके बैग में एक पैड आपको हमेशा मिल जाएगा। लेकिन अगर आप अपने साथ एक DIY पीरियड किट रखती हैं, तो यह आपको और सहज महसूस करवा सकता है। इस किट में आप एक हैंड सैनेटाइजर और पेपर सोप ( पैड चेंज करने के पहले और बाद के इस्तेमाल के लिए), पैड या टैम्पौन या कोई भी मेन्स्ट्रुअल प्रोडक्ट जो आप इस्तेमाल करती हैं, पेन रोल ऑन स्टिक (क्रैम्प्स के लिए) , पैन्टी लाइनर (बहुत ज्यादा वाइट डिस्चार्ज के लिए) रख सकते हैं।

2. पानी की बोतल रखें अपने साथ

आपके स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह ना सिर्फ आपके शरीर को हाइड्रेटेड रखता है, बल्कि डाइजेशन, स्किन हेल्थ और मानसिक स्पष्टता में भी सुधार करता है। रोजाना पर्याप्त पानी पीने से एनर्जी बढ़ती है और आप खुद को तरोताजा महसूस करते हैं। इसलिए, हमेशा अपनी पानी की बोतल साथ रखें और नियमित रूप से पानी पीते रहें। इससे आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होगी और आपको पानी खरीदने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।

3. फर्स्ट एड पाउच है बहुत महत्वपूर्ण

एक फर्स्ट एड पाउच का आपके बैग में होना बहुत आवश्यक है। यह आपको किसी भी तरह की शारीरिक समस्या से निपटने में मदद करती है। इस किट में आप अपनी दैनिक दवाइयों के अलावा, बैंडेंड, एन्टीसेप्टिक लिक्विड, पेन किलर्स, कॉटन बॉल, जुकाम और संक्रमण की दवा या अगर आपको कोई एलर्जी है तो उसकी दवा साथ रखें। ये आपकी या आपके आस-पास के लोगों को जरूरत पर पूरा फस्ट एड देने में सक्षम है।

4. मेकअप और हेयर एसेंशियल हमेशा रखें साथ

जब आप अच्छे दिखते हैं, तो आपका कॉन्फिडेंस खुद ब खुद बढ़ जाता है। किसी अनएक्सपेक्टेड मीटिंग, प्रेजेंटेशन या डेट के लिए, आपके बैग में रखी ये किट आपको तुरंत तैयार कर सकती है। इस किट में अपनी स्किनकेयर की जरूरतों के लिए अपने साथ एक लिप बाल्म, हैंड क्रीम और सन्सक्रीन जरूर रखें।

अब अगर आपको टच अप की जरूरत पड़ती है तो आपके पास आपकी पसंदीदा लिपस्टिक, काजल, पॉकेट पर्फ्यूम, वेट वाइप्स या टिश्यूज, एक कॉमपैक्ट पाउडर और शीशा होने चाहिए। इसके साथ आपके बालों के लिए एक कंघी और स्क्रन्ची, क्लचर या क्लिप रखना आपके बालों को संभालने में मददगार होगा।

इन किट्स के अलावा, आपके बैग में धूप का चश्मा, सेफ्टी पिन्स, सैनेटाइजर, टिश्यूज, एक नोट पैड, पैन, माउथ फ्रेशनर, पैपर स्प्रे और खाने के लिए कुछ हेल्दी स्नैक्स रखना एक बेहतर विकल्प है। ये किसी भी परिस्थिति में आपको सुरक्षित और तैयार रखने में मदद करते हैं। धूप का चश्मा आपकी आंखों की सुरक्षा करता है, जबकि सेफ्टी पिन्स किसी कपड़े में अचानक आई समस्या को हल कर सकते हैं। सैनेटाइजर और टिश्यूज हाइजीन बनाए रखने में मदद करते हैं, और नोट पैड व पैन महत्वपूर्ण विचारों या सूचनाओं को नोट करने के लिए जरूरी हैं। माउथ फ्रेशनर ताजगी देता है, जबकि हेल्दी स्नैक्स आपको ऊर्जा प्रदान करते हैं। इन सभी चीज़ों के साथ, आप किसी भी स्थिति का सामना करने में पूरी तरह से सक्षम रहती हैं।

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Pre-Wedding Skin Care: मैरेज की डेट पलक झपकते ही सामने चली आती है लेकिन उससे पहले दुल्हन की खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए शुरू किए जाने वाले ट्रीटमेंट को सिलसिलेवार ढंग से ब्यूटी कैलेंडर में एड करना जरूरी है। जाहिर है स्किन को पैंपर करने के लिए प्री वेडिंग योजना का तैयार होना जरूरी है। दरअसल, वेडिंग के दरम्यान दुल्हन अक्सर शॉपिंग और नई जुड़ने वाले रिश्तों के मद्देनजर तनाव में रहती है जिसका असर चेहरे पर भी दिखने लगता है। ऐसे में लुक को परफेक्ट बनाने के लिए इस स्किन केयर रूटीन का ख्याल रखना जरूरी हो जाता है। यहां हम आपको होने वाली दुल्हनों के लिए एक प्री वेडिंग स्किन केयर रूटीन दे रहे हैं, ताकि आप अपने स्पेशल दिन पर और भी खूबसूरत नजर आएं।

ब्यूटी एक्सपर्ट बताती हैं कि प्री वेडिंग स्किन केयर रूटीन के लिए ग्लो को बनाए रखने के लिए क्लीजिंग जरूरी है। अलाव इसके स्किन पर बढ़ने वाले दाग धब्बों को कम करने और पोर्स टाइटनिंग के लिए मॉइश्चराइजे़शन से लेकर फेशियल मसाज करने से स्किन ग्लो बढ़ने लगता है। ऐसे में ऑयली स्किन पर बढ़ने वाले ब्लैकहेड्स से निपटने के लिए स्क्रब करना फायदेमंद है। साथ ही हैंड क्लीनिंग और फुट मसाज भी ब्यूटी रूटीन में अवश्य शामिल करें।

स्किन केयर रूटीन के लिए ये टिप्स को करें फॉलो

Pre wedding skin care means enhancing the beauty of the bride

1. पहले अपने स्किन टाइप को जाने

अगर आपकी स्किन ऑयली है और स्किन पोर्स लार्ज है, तो ऐेसे लोगों को ब्लैकहेड्स की समस्या बनी रहती है। ऐसे में क्रीमी बेस्ड प्रोडक्टस की जगह जेल बेस्ड प्रोडक्टस का इस्तेमाल करें। वे लोग जिनकी त्वचा रूखी या नॉर्मल है उन्हें क्रीम बेस्ड मॉइश्चराइज़र से लेकर लोशन का प्रयोग करना चाहिए।

2. स्किन कंडीशन्स का रखें ध्यान

Let us know why the skin becomes lifeless in summer and why does one feel tired

वे लोग जिनकी स्किन सेंसिटिव है या कुछ लोगों को सन बर्न या पोलन एलर्जी की समस्या बनी रहती है। उन्हें त्वचा रोग विशेषज्ञ से सलाह लेकर किसी भी प्रोडक्ट को अप्लाई करना चाहिए। इसके अलावा नॉन कॉमिडोजेनिक प्रोडक्टस को ही विकल्प के तौर पर चुनना चाहिए।

3. अपने खानपान का रखें ख्याल

प्री वेडिंग स्किन केयर रुटीन के लिए त्वचा पर फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से बचने के लिए एंटीऑक्सीडेंटस से भरपूर फल और सब्जियों का सेवन करें। इससे स्किन सेल्स को रिपेयर करने में मदद मिलती है। साथ ही फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से भी बचा जा सकता है। इसके अलावा फैट्स को अवॉइड करने के लिए प्रोसेस्ड फूड्स के सेवन से बचें।

4. स्किन क्लीजिंग ना करें आवॉइड

त्वचा का निखार बढ़ाने के लिए किसी भी प्रोडक्ट को अप्लाई करने से पहले चेहरे को क्लीन करना ज़रूरी है। अलावा इसके एलोवेरा जेल और ऑरेज पील पाउडर को दूध में मिलाकर नेचुरल फेस वॉश तैयार कर लें और उससे चेहरे पर मसाज करके क्लीन करें। इससे स्किन में पाई जाने वाली इम्प्यूरिटीज को दूर किया जा सकता है।

5. सनस्क्रीन का करें इस्तेमाल

यूवी रेज़ के प्रभाव से बचने के लिए और अर्ली एजिंग के प्रभाव को राकने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। इससे त्वचा का लचीलापन बढ़ने लगता है और त्वचा पर बनने वाले दाग धब्बों को कम किया जा सकता है। अलावा इसके स्किन टोन में भी बदलाव नज़र आता है। दिन में 02 से 03 बार सनस्क्रीन अवश्य प्रयोग करें।

6. बॉडी को हाइड्रेट रखें

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नियमित मात्रा में पानी पीने से शरीर में मौजूद टाक्सिक पदार्थ रिलीज़ हो जाते है और शरीर हाइड्रेट रहता है। प्री वेडिंग स्किन केयर रूटीन के लिए त्वचा की शाइन को बढाने के लिए दिन में 8 से 10 गिलास पानी पीएं और वॉटर कंटेट से भरपूर खाद्य पदार्थों का भी सेवन करें। साथ ही कैफीन से दूरी बनाकर रखें।

7. मेकअप रिमूव करना जरूरी

शादी से पहले कई कार्यक्रम की लंबी चौड़ी लिस्ट होती है। ऐसे में चेहरे पर मेकअप करने के अलावा उसे रिमूव करना भी आवश्यक है। अन्यथा स्किन डैमेज का खतरा बना रहता है। प्री वेडिंग स्किन केयर रूटीन के लिए त्वचा को क्लीन करने के लिए डीप क्लीजिंग की मदद लें।

8. ब्रीदिंग एक्सरसाइज़

शादी की वजह से बढ़ने वाले तनाव को रिलीज़ करने के लिए दिनभर में कुछ वक्त ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ के लिए निकालें। इससे हार्मोनस का संतुलन बढ़ने लगता है, जिससे चेहरे का ग्लो बना रहता है। इसे करने से शरीर दिनभर एनर्जी से भरपूर रहता है और सोच-फिक्र से राहत मिलती है।

Chhath Puja

Chhath Puja: नहाय खाय के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत हो गई है। चार दिवसीय लोक आस्था व सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय से होता है। इस दिन लौकी की सब्जी, चने की दाल और चावल खाने का महत्व है। इसको बनाने से लेकर खाने तक हर जगह शुद्धता और पवित्रता का खास ध्यान रखा जाता है। इस महापर्व का समापन समापन शुक्रवार 08 नवंबर को उगते सूर्य को अर्ध्य देकर किया जाता है।

बताता चलूं कि छठ पर्व एकमात्र ऐसा सुअवसर है जहां उगते सूर्य के साथ-साथ अस्त होते सूर्य की भी पूजा की जाती है। छठ पूजा सूर्य, प्रकृति, जल, वायु और उनकी बहन छठी मइया को समर्पित है। पार्वती का छठा रूप भगवान सूर्य की बहन छठी मैया को त्योहार की देवी के रूप में पूजा जाता है।

कब है नहाए खाय का शुभ मुहूर्त

Importance of 'Chhath', the great festival of folk faith, from bathing to Arghya

ज्योतिषविद ने बताया कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय खाय होता है। इस दिन व्रती गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करने के बाद सूर्य देव की पूजा करते हैं। इसके बाद सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन में चावल-दाल और लौकी की सब्जी ग्रहण करते हैं।

पंचांग गणना के अनुसार 05 नवंबर को नहाय खाय है। इस महापर्व के सभी मुहूर्त सूर्योदय और सूर्यास्त के टाइमिंग पर निर्भर करता है। पटना में आज 06 बजे सूर्योदय हुआ जबकि शाम 05:06 बजे सूर्यास्त होगा। इसी दौरान व्रती स्नान और ध्यान के बाद सूर्यदेव की पूजा करेंगे और फिर सात्विक भोजन ग्रहण करेंगे।

इसलिए खाते हैं सात्विक भोजन

नहाय खाय के दिन छठ का व्रत रखने वाले पुरुष या महिला सात्विक भोजन का सेवन करते हैं। पहले दिन खाने में ऐसी चीजों को शामिल किया जाता है जिससे व्रत वाले दिन भूख-प्यास कम लगे। नहाय खाय के दिन बिना प्याज, लहसुन के सब्जी बनाई जाती है। इस दिन लौकी और कद्दू की सब्जी बनाने का खास महत्व होता है। नहाय खाय में लौकी, चना की दाल को भात से खाया जाता है।

चार दिन चलने वाला महापर्व

छठ पूजा का आरंभ नहाय खाय से होता है। इसके बाद 06 नवंबर को खरना, 07 नवंबर को सायंकालीन अर्घ्यदान और 08 को प्रातःकालीन अर्घ्य के बाद पारण होगा। इसके साथ ही इस महापर्व का समापन भी होगा।

फोटो सौजन्य- गूगल

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