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To uplift your breasts and give them the right shape

Breast Uplift: सही ब्रा का इस्तेमाल नहीं करना, गलत पोश्चर, ब्रेस्ट फीडिंग और मेनोपॉज के बाद अक्सर महिलाओं को सैगी ब्रैस्ट की समस्या से दो-चार होना पड़ता है। हार्मोन में आने वाली चैंजिंग ब्रेस्ट की मसल्स को प्रभावित करने लगते हैं। इसके कारण महिलाओं को सैगी ब्रेस्ट की समस्या का सामना करना पड़ता है। ब्रेस्ट के मसल्स में कसावट लाने के लिए आहार में थोड़ा बदलाव के अलावा कुछ समय एक्सरसाइज करना महत्वपूर्ण है। आइये जानते हैं ब्रेस्ट को अपलिफ्ट करने में मददगार 4 अहम एक्सरसाइज-

महिलाओं को क्यों करना पड़ता है सैगी ब्रेस्ट का-

इस बारे में एक्सपर्ट का कहना हैं कि सही पोश्चर में ना बैठने से मसल्स और लिगामेंटस पर उसका असर दिखने लगता है। इससे मसल्स की कसावट कम होने लगती है। इसका असर ब्रेस्ट की आकार पर पड़ने लगता है। इससे ब्रेस्ट धीरे धीरे लटकने लगती है। ब्रेस्ट के नीचे पाए जाने वाले पेक्टोरलिस मेजर और पेक्टोरेलिस माइनर मसल्स मौजूद होते हैं। इनकी मज़बूती को बनाए रखने के लिए दिनभर में कुछ समय मॉफडरेट एक्सरसाइज़ के लिए निकालने से फायदा मिलता है।

ब्रेस्ट को अपलिफ्ट करने वाली 4 एक्सरसाइज़

To uplift your breasts and give them the right shape

1. पुशअप्स

मसल्स को मज़बूत बनाने के लिए पुशअप्स का अभ्यास करना चाहिए। इसके करने से शरीर का वज़न कंधों पर आने लगता है, जिससे अपर बॉडी मसल्स में कसावट आने लगती है और सैगी ब्रेस्ट की समस्या से मुक्ति मिल जाती है।

जानें करने की विधि-

इसे करने के लिए जमीनपर पेट के बल लेट जाएं। अब अपने दोनों हाथों को कंधो के पास लेकर आएं। बाजूओं को कंधों से ज्यादा चौड़ाई पर खोलें। अब शरीर के उपर हिस्से को उपर की ओर उठाएं। इससे शरीर का वज़न कंधों पर आने लगता है। इसके बाद पैरों की उंगलियों को जमीन पर टिकाएं। शरीर को उपर की ओर लेकर जाएं और फिर नीचे लेकर आएं। 10 से 15 बार इस एक्सरसाइज़ को 2 से 3 सेट्स में करें।

2. डंबबैल फ्लाई

पेक्टोरल मसल्स की मज़बूती के लिए डंबबैल फ्लाई एक आसान एक्सरसाइज़ है। इसे करने से शरीर में स्टेमिना बिल्ड होने लगता है और ब्रेस्ट में कसावट आने लगती है। डेली इस एक्सरसाइज़ का अभ्यास करने से शरीर में बढ़ने वाली स्टिफनेस को दूर करने में मदद मिलती है।

जानें इसे करने की विधि

इसे करने के लिए सीधे बैंच लेट जाएं और टांगों को जमीन पर टिकाकर रखें। अब दोनों हाथों में वज़न को उठाएं और उपर ले जाने की जगह दोनों हाथों को फैलाएं और फिर एक स्थान पर ले आएं। इस एक्सरसाइज़ को 08 से 10 बार दोहराएं।

3. केबल क्रासओवर

चेस्ट मसल्स को हेल्दी बनाए रखने के लिए केबल क्रासओवर एक्सरसाइज़ का एक्सरसाइज करना जरूरी है। इसे नियमित रूप से करने से शरीर के पोश्चर में सुधार आने लगता है और शरीर में एनर्जी का लेवल भी बढ़ने लगता है।

जानें इसे करने की विधि

इस अभ्यास को करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथों से रस्सी को अपनी ओर खीचें। इससे मसल्स स्ट्रेच होते हैं और ब्रेस्ट की मांसपेशियों में कसावट आने लगती है। इसके अलावा शरीर में जमा अतिरिक्त कैलोरीज़ को बर्न करने में भी मदद मिलती है।

4. डंबबेल चेस्ट प्रैस

अपर बॉडी को हेल्दी और टोन बनाए रखने के लिए डंबबेल चेस्ट प्रैस बेहद फायदेमंद है। इसे करने ये चेस्ट पर जमा चर्बी को बर्न करने के अलावा ब्रेस्ट अपलिफ्ट करने में भी मदद मिलती है। नियमित रूप से इसका अभ्यास करने से बॉडी में ब्लड का सर्कुलेशन नियमित बना रहता है।

जानें इसे करने की विधि

इसे करने के लिए किसी बेंच के एक कोने पर बॉडी के उपर हिस्से को टिका लें। अब अपनी क्षमता के अनुसार डंबबेल को हाथों में पकड लें। इस दौरान घुटनों को मोड़कर रखें और पैरों को मज़बूती से जमीन पर टिका लें। अब डंबबेल को नीचे लाएं और फिर उपर की ओर लेकर जाएं। इससे चेस्ट मसल्स को पूरी मज़बूती मिलती है।

फोटो सौजन्य- गूगल

If there is pain in the breast just before periods

पीरियड्स (Periods) के ठीक पहले स्तन में दर्द और असहजता महसूस हो रही है तो कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा। लड़कियों और महिलाओं को पीरियड्स के पहले शरीर में यह दिक्कतें शुरू होती हैं। फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट की वजह, संकेतों और लक्षणों को जानने से आपको अपने हालात को सही ढंग से प्रबंधित करने में सहायता मिल सकती है।

If there is pain in the breast just before periods

यह समझना जरूरी है कि फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट कोई बीमारी या एक तरह का स्तन कैंसर नहीं है। यह एक नॉन कैंसरस स्थिति है। यह स्थिति है जो इसका अनुभव करने वाली हर महिला में अलग-अलग तरह से लक्षण दिखती है। हालांकि, सामान्य तौर पर यह महिला के पीरियड्स साइकल के नैचुरल के कारण शरीर में होने वाले हार्मोनल चेंजेज के कारण होता है। चूंकि पूरे साइकल में हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव होता है, इससे ब्रेस्ट में सूजन और कोमलता हो सकती है और साथ ही गांठ या सिस्ट भी होने लगते हैं।

Breast Feeding

फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं पर आमतौर पर एक या दोनों ब्रेस्ट में दर्द या कोमलता शामिल होती है। खासकर आपके मासिक धर्म से ठीक पहले स्तन भारी या सूजे हुए महसूस हो सकते हैं और छूने पर या ब्रा पहनने पर भी उनमें कठोरता महसूस हो सकती है। वे गांठदार भी हो सकते हैं या उनमें छोटे सिस्ट भी हो सकते हैं। जो बारीकी से देखने पर दिखाई दे सकते हैं। कुछ मसलों में जब आप गांठें छूते हैं तो वे आपकी स्किन के नीचे घूम सकती हैं।

फ़ाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट का सटीक वजह का अब तक पता नहीं चला है लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह महिला के शरीर में हार्मोनल चेंजेज से संबंधित है। हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन को यौवन, गर्भावस्था या पेरिमेनोपॉज़ जैसे हार्मोनल उतार-चढ़ाव की अवधि के दौरान स्तनों में सिस्ट के विकास को ट्रिगर करने के लिए जाना जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे- तनाव, ज्यादा कैफीन पीना और धूम्रपान शामिल हैं।

If there is pain in the breast just before periods

अगर आपको लगता है कि आपको फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट हो गया है तो आपको इनके लक्षणों और चिंताओं के बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात करना चाहिए। किसी गांठ या सिस्ट के साथ-साथ अन्य स्तन से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं की जांच के लिए एक ट्रेनिंग कर सकते हैं।

फ़ाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट खतरनाक या लाइफ थ्रेटिंग के लिए खतरा नहीं है, यह असुविधाजनक लक्षण पैदा कर सकता है जो रोजमर्रा की जिंदगी में हस्तक्षेप कर सकता है। आपके चिकित्सक लक्षणों को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव जैसे तनाव के स्तर को कम करने या कैफीन की मात्रा कम करने की पैरवी करते हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

Breast Feeding

अक्सर लड़कियां अपने ब्रेस्ट साइज को लेकर फ़िकरमंद रहती हैं। फिर चाहे वे छोटे हों, बड़े या बहुत बड़े। एक्सपर्ट मानते हैं कि हर ब्रेस्ट साइज सुंदर है, बशर्ते कि वे स्वस्थ हों।

महिलाएं अपने ब्रेस्ट के आकार को लेकर अक्सर असहज महसूस करती हैं। कुछ महिलाएं इसे बढ़ाना चाहती हैं, तो कुछ घटाना। असल में ब्रेस्ट साइज का कोई पैमाना सही नहीं है। आकार से ज्यादा जरूरी है ब्रेस्ट हेल्थ पर ध्यान देना। आपके ब्रेस्ट की जो भी साइज़ है, उसके साथ सहज रहना जरूरी है। कई योगासन हैं जो ब्रेस्ट को होने वाली बीमारियों के जोखिम को दूर रखकर स्वस्थ रखती हैं। यहां ब्रेस्ट हेल्थ के लिए ऐसे ही कुछ योगासनों के बारे में जानें डॉक्टर से-

ब्रेस्ट हेल्थ के लिए फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना आवश्यक

डॉ. स्मृति अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में कहती हैं, ‘ब्रेस्ट साइज़ बढ़ाने या घटाने के स्थान पर आप यह सोचें आपके अंग कितने स्वस्थ हैं? आपका ब्लड कितना साफ रहता है? अपने गट हेल्थ पर ध्यान दें। अपने मंकी माइंड (Monkey mind) पर कंट्रोल करें। मानसिक स्वास्थ्य (Mental health) पर काम कर मानसिक रूप से स्थिर बनें। अपने शरीर से प्यार करें। जिस दिन शारीरिक रूप से किसी और की तरह दिखना बंद कर देंगी, उस दिन आपका अपना शरीर और ब्रेस्ट साइज़ भी सर्वश्रेष्ठ लगने लगेगा।’

डॉक्टर के बताये योगासन, जो ब्रेस्ट हेल्थ के लिए सभी महिलाओं के लिए जरूरी हैं 

1. भुजंगासन (Bhujangasana or Cobra pose)

भुजंगासन दर्द दूर करने के लिए कंधों और गर्दन को खोलता है। पेट को टोन करता है। पूरी पीठ और कंधों को मजबूत बनाता है। ब्रेस्ट को सही आकार में लाता है। ब्लड फ्लो में सुधार लाकर थकान और तनाव कम करता है।

कैसे करें भुजंगासन (How to do Bhujangasana)

पेट के बल लेट जाएं। कंधों और हथेलियों को अपनी जगह रखते हुए सांस लें।
सिर, छाती और पेट को उठाएं।

कोहनी पर झुके हुए हाथ धीरे-धीरे गर्दन की ओर झुकाएं। ऊपर की ओर देखें।
पेट के बल लेट जाएं। कंधों और हथेलियों को अपनी जगह रखते हुए सांस लें।
सिर, छाती और पेट को उठाएं।

2. सेतुबंधासन (setubandhasana or Bridge Pose)

Yoga for women

सेतु बंधासन करते समय गर्दन, ब्रेस्ट, फ्लेक्सर मांसपेशियों और जांघों के पिछले हिस्से की मांसपेशियों में खिंचाव होता है। यह इन मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद कर सकता है। यह हिप्स की मांसपेशियों को मजबूत करने में भी मदद कर सकता है।

कैसे करें सेतुबंधासना (how to do setu bandhasana)

पीठ के बल लेट कर दोनों घुटनों को मोड़ें।
पैरों को हिप्स की चौड़ाई पर फर्श पर सपाट रखें।
पैरों को फर्श पर दबाएं। सांस लें और हिप्स को ऊपर उठाएं।
रीढ़ को फर्श से ऊपर उठाएं।
चेस्ट को ऊपर उठाने के लिए बाहों और कंधों को नीचे दबाएं।
सांस लें और 4-8 सांसों तक रोकें।
ऊपर जाते समय सांस लें और नीचे आते समय सांस छोड़ें। सरवाइकल पेन हो तो अधिक नहीं करें।

3 उष्ट्रासन (Ustrasana or Camel Pose)

उष्ट्रासन चेस्ट, पेट और क्वाड्रिसेप्स की मांसपेशियों को मजबूत करता है। ग्लूट्स और हैमस्ट्रिंग (जांघ के पीछे) की मांसपेशियों को टोन करता है। उष्ट्रासन बैकबेंड में गर्दन को खींचते हुए सर्वाइकल स्ट्रेस को कम कर सकता है। यह कंधों, बाहों, पीठ और पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करने में (yoga asanas for breast health) भी मदद कर सकता है।

कैसे करें उष्ट्रासन (how to do Ustrasana)

Yoga for women

घुटनोंसीधा के बल खड़ी हो जाएं। जांघों को पूरी तरह सीधा रखें।
पीछे की दिशा में झुकें।
हिप्स को आगे की दिशा में धकेलें।

सिर और बैक बोन को बिना तनाव के जितना हो सके पीछे की ओर झुकाएं।
शरीर और पीठ की मांसपेशियों को आराम दें।
सेंटर में रहते हुए सांस लें। साइड की तरफ रहते हुए सांस छोड़ें और फिर नॉर्मल सांस लें। सरवाइकल दर्द और पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने पर एक हाथ से करें।

 

If the gynecologist asks such questions, do not be shy but answer boldly

Reproductive Health को मेनटेन रखने के लिए हर महिला के लिए आवश्यक है कि वह गायनेकोलॉजिस्ट (Gynecologist) के पास जाकर नियमित रूप से अपना चेकअप कपाएं पर बहुत सी महिलाएं ऐसी हैं जो अफनी सेक्सुअल हेल्थ के बारे में बताने से बचती हैं। इंटीमेट हेल्थ से जुड़ी समस्याओं को लेकर गायनेकोलॉजिस्ट से खुलकर बात ना करना कई बार आपके लिए काफी महंगा साबित हो सकता है। ऐसे में आवश्यकता है कि आप गायनेकोलॉजिस्ट की ओर से पूछे गए प्रश्नों का बिना शरमाये जवाब दें।

इंटीमेट हेल्थ से जुड़ी समस्याओं को लेकर गायनेकोलॉजिस्ट से खुलकर बात ना करना कई बार आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. ऐसे में जरूरी है कि आप गायनेकोलॉजिस्ट की तरफ से पूछे गए प्रश्नों का बिना शरमाते हुए जवाब दें। चेकअप के दौरान आपकी इंटीमेट हेल्थ को लेकर गायनेकोलॉजिस्ट आपसे कई तरह के सवाल पूछ सकती हैं।

आइये देखते हैं उन प्रश्नों के बारे में जिनका जवाब बिना किसी लाज शर्म के देना चाहिए-

हालांकि डॉक्टर का ये सवाल आपको बेकार लग सकता है पर इस सवाल के जवाब के आधार पर ही डॉक्टर यह डिसाइड करते हैं कि आपको कौन से टेस्ट करवाने हैं। एक गायनेकोलॉजिस्ट के अनुसार आप जितनी जानकारी डॉक्टर के साथ साझा करती हैं उसी के हिसाब से आपकी देखभाल होती है।

कितने सेक्सुअल पार्टनर रह चुके हैं ?

इस सवाल का जवाब देने में अक्सर महिलाएं कतराती हैं। अगर आप पिछले 15 सालों से किसी एक ही पार्टनर के साथ रह रही हैं तो डॉक्टर आपको STD टेस्ट ना करवाने का सुझाव दे सकते हैं लेकिन अगर आपने एक ही महीने में तीन अलग-अलग लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाए हैं तो डॉक्टर आपको STD टेस्ट करवाने के लिए बोल सकते हैं।

हर माह पीरियड्स वक्त पर होता है?

If the gynecologist asks such questions, do not be shy but answer boldly

महिलाओं में रेगुलर पीरियड साइकिल 28 दिनों का होता है। डेट से 3-4 दिन आगे-पीछे पीरियड्स का आना कॉमन होता है लेकिन अगर यह गैप काफी अधिक हो तो इसे अनियमित पीरियड्स कहा जाता है। पीरियड्स रेगुलर ना होना कई बार काफी सीरियस हो सकता है। ऐसा होने पर डॉक्टर से अवश्य संपर्क करना चाहिए।

सेक्स के दौरान या बाद में होता है दर्द

सेक्स के दौरान या बाद में अगर कभी-कभी आपकी वजाइना या पेल्विस में दर्द होता है तो इसमें घबराने की कोई जरूरत नहीं होती. हालांकि अगर आपको हर बार सेक्स के दौरान या बाद में दर्द का सामना करना पड़ता है तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए. इसके लिए डॉक्टर आपको बेसिक वजाइनल इंफेक्शन के टेस्ट या एंडोमेट्रियोसिस करवाने के लिए बोल सकते हैं।

आप अपने ब्रेस्ट को सेल्फ चेक करती हैं?

हर महिला के लिए यह काफी जरूरी है कि वह अपने ब्रेस्ट की सेल्फ-चेकिंग करें। हालांकि, यह आपके डॉक्टर का काम है कि वह ऐसा करने के लिए आपको याद दिलाए। सही से चेकिंग के लिए डॉक्टर आपको और भी कई जरूरी तरीके बता सकते हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल